desiaks
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रोहित सच में प्रोजेक्ट के काम के लिए विदेश चला गया | प्रियम रीमा के साथ कुछ दिन ही रहेगा, क्योंकि उसकी बुवा लम्बी छुट्टी बिताने यहाँ आ रही थी हालाँकि वो अलग बात है की रोहित के साथ वो वक्त नहीं बिता पायेगी | इसकी वजह से रीमा से ज्यादा प्रियम ने राहत की साँस की थी | प्रियम को अपने साथ रखने पर रीमा को अपनी उन्मुक्त आजादी को त्यागना पड़ता जबकि प्रियम को रीमा के स्कैनर में लाइफ बितानी पड़ती | रोहित के जाने और प्रियम की बुवा के आने के बीच में बस ४ दिन का फर्क था |
पहला दिन शांति से गुजर गया | रीमा और प्रियम में ज्यादा बातचीत भी नहीं हुई | दुसरे दिन तीनो जुगत लगाते रहे आखिर कार प्लान बना ही डाला | कल रीमा ऑफिस से जल्दी घर आने वाली है | वो तीन बजे तक ऑफिस आ जाएगी | प्रियम का काम सारे अपडेट दोनों को देते रहना है | पीछे का दरवाजा खुला रहेगा | जग्गू और राजू दोनों मुहँ ढककर आयेगें | आते ही जग्गू अपनी गन निकल लेगा, पराजू लपककर प्रियम के कमरे का दरवाजा बंद कर देगा | इसके आगे का न उन्होंने सोचा न प्लान करने की जरुरत थी |
अगले तीन रीमा तय समय पर घर पर आ गयी | जग्गू अपने बाप की एक चोरी की खाली गन उठा लाया | रीमा ने आते ही कपड़े बदले, प्रियम का अपडेट लिया और अपने बेडरूम में कोई नावेल पढ़ने चली गयी | प्रियम ने दोनों को मेसेज कर अपडेट दिया | पीछे का दरवाजा प्लान के अनुसार खुला था | जग्गू और दोनों ने जल्दी से मुहँ ढका और बनाये हुए नक्शे के अनुसार घर के अन्दर घुसे | अन्दर घुसते ही जग्गू ने बेड पर पसरी रीमा पर गन तान दी - हिलना मत वरना बेजा उड़ा दूगां |
रीमा के तोअचानक ये देख होश ही उड़ गए | वो नावेल छोड़ बाहर की तरफ भागी कर दिया | इससे पहले बेडरूम से निकल पति, जग्गू ने बमुश्किल उसको कमरे के अन्दर ठेला और बाहर से बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया | राजू ने प्रियम के रूम का दरवाजा बंद किया | राजू भागकर बाहर का गेट बंद करने गया | राजू ने सभी परदे खींच दिए |
जग्गू बाहर से ही रीमा को धमकाते हुए बोला - अगर चीखी चिल्लाई तो इस कमरे में बंद को लड़के को गोली मार दूगां | रीमा बदहवास ही बहुत डर गयी, उसका चेहरा डर के कारन पीला पड़ गया | कुछ देर तक तो वो समझ ही नहीं पाई कि हो क्या रहा है | राजू अपना काम ख़त्म करके वापस आ गया | प्रियम दुसरे कमरे में बंद था | उसके बाद जग्गू ने रीमा को धमकाया - सुन आचे से कान खोलकर सुन, अगर मेरी बात मानेगी तो तू और तेरा ये लड़का दोनों जिन्दा रहेगें, नहीं तो पहले तेरे सामने इस लड़के को निकालकर गोली मारूंगा फिर तुझे मार दूगां | इसलिए जितना बोली चुपचाप करती जा |
रीमा डरे हुए चेहरे के साथ सहमी आवाज में - प्रियम को कुछ मत करना, तुम जो बोलोगे वो करूंगी | क्या चाहिए तुम लोगो को और कौन हो तुम |
जग्गू ने ठहाका लगाया - साला हमसे पूछती है कौन लोग है हम ? शकल से क्या हम किसी बैंक के मेनेजर लगाते है | गुंडे है हम माल लुटने आये है |
रीमा की डर के मारे हालत ख़राब थी, लेकिन उसने अन्दर से हिम्मत बटोरी और अपना फ़ोन उठा कर पुलिस को मिलाने चली, खिड़की से ये देखते ही जग्गू ने झट से बेह्र्रोम का दरवाजा खोला और रीमा के बिलकुल सामने जाकर बन्दूक तान दी - मोबाईल फेंक वरना मरने के लिए तैयार हो जा |
रीमा के काटो तो खून नहीं, चेहरा डर के मारे बिलकुल पीला हो गया, फ़ोन अपने आप ही उसके हाथ से फिसल कर फर्श पर गिर गया | राजू ने फट से वो फ़ोन उठा लिया |
जग्गू ने धमकाया - हमसे कोई चालाकी नहीं |
रीमा ने डर के मारे नजरे झुका ली |
जग्गू - इस घर का मालिक कौन है ? क्या नाम है तेरा |
रीमा - मै ही हूँ इस घर की मालिक, रीमा नाम है मेरा |
जग्गू - चालाकी नहीं, पति का नाम बता |
रीमा - वो कई साल पहले गुजर गए |
जग्गू - उस कमरे में जो है वो तेरा लड़का है |
रीमा - नहीं मेरा भतीजा है |
राजू जोश में उछलता हुआ - बॉस काम की बात करे, मालकिन मस्त है |
जग्गू उसे डांटता हुआ - छुप कर बत्तमीज, औरतो की इज्जत करना नहीं जानता | हमें अपने काम से मतलब है, हमें अपना काम करना है और चले जाना है |
रीमा को कुछ जान जान आई, उसे लगा ये बड़ा वाला बदमाश भला इंसान है - तुझे जो चहिये ले ले, बस प्रियम को कुछ मत करना |
जग्गू - सोच ले तू क्या बोल रही है, बाद में पीछे मत हटना |
राजू बीच में ही बोल पड़ा - बॉस ये तो लेने की बात कर रही है, इतनी हसीन जिस्म की मालकिन के एक बार लेने में क्या बुराई है | माल तो हर जगह बना लेटे है लेने का मौका हर जगह नहीं मिलता है |
रीमा के शरीर में एक ठंडी सिरहन दौड़ गयी, मन ही मन सोचने लगी ये क्या बोल गयी मै, ये तो मेरे इज्जत लूटने की सोच रहे है | रीमा डर से कांपते शब्दों में बोली - मेरा मतलब पैसे से था, जग्गू को मुखातिब होते हुए - तुम तो भले इंसान लगते हो, जितना पैसा चाहिए मै दे दूँगी | हम दोनों को छोड़ दो |
जग्गू - हम कौन तुझे साथ ले जाने आये है छोड़ देगें, इतनी जल्दी भी क्या है कुछ खातिरदारी तो करवा ले पहले |
जग्गू - जूनियर जाकर उस छोरे को पकड़ के लावो और सामने वाली कुर्सी में इस धोती से बांध दो |
राजू ने बिलकुल वैसे ही किया | उसने प्रियम को लाकर रीमा के बिलकुल सामने पड़ी कुर्सी पर बांध दिया |
जग्गू ने जमीं पर पड़ी नावेल उठाकर देखने लगा -
प्रियम भड़कता हुआ - साले मेरी माँ समान चाची से ऐसे बात नहीं कर सकता |
जग्गू - मै इम्प्रेस हुआ, राजू इसकी पेंट खोल साले की, इसकी चड्ढी उतार |
राजू ने दो मिनट में प्रियम को कमर के नीचे नंगा कर दिया |
रीमा - ये क्या कर रहे हो, तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दूँगी | उसे छोड़ दो |
पहला दिन शांति से गुजर गया | रीमा और प्रियम में ज्यादा बातचीत भी नहीं हुई | दुसरे दिन तीनो जुगत लगाते रहे आखिर कार प्लान बना ही डाला | कल रीमा ऑफिस से जल्दी घर आने वाली है | वो तीन बजे तक ऑफिस आ जाएगी | प्रियम का काम सारे अपडेट दोनों को देते रहना है | पीछे का दरवाजा खुला रहेगा | जग्गू और राजू दोनों मुहँ ढककर आयेगें | आते ही जग्गू अपनी गन निकल लेगा, पराजू लपककर प्रियम के कमरे का दरवाजा बंद कर देगा | इसके आगे का न उन्होंने सोचा न प्लान करने की जरुरत थी |
अगले तीन रीमा तय समय पर घर पर आ गयी | जग्गू अपने बाप की एक चोरी की खाली गन उठा लाया | रीमा ने आते ही कपड़े बदले, प्रियम का अपडेट लिया और अपने बेडरूम में कोई नावेल पढ़ने चली गयी | प्रियम ने दोनों को मेसेज कर अपडेट दिया | पीछे का दरवाजा प्लान के अनुसार खुला था | जग्गू और दोनों ने जल्दी से मुहँ ढका और बनाये हुए नक्शे के अनुसार घर के अन्दर घुसे | अन्दर घुसते ही जग्गू ने बेड पर पसरी रीमा पर गन तान दी - हिलना मत वरना बेजा उड़ा दूगां |
रीमा के तोअचानक ये देख होश ही उड़ गए | वो नावेल छोड़ बाहर की तरफ भागी कर दिया | इससे पहले बेडरूम से निकल पति, जग्गू ने बमुश्किल उसको कमरे के अन्दर ठेला और बाहर से बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया | राजू ने प्रियम के रूम का दरवाजा बंद किया | राजू भागकर बाहर का गेट बंद करने गया | राजू ने सभी परदे खींच दिए |
जग्गू बाहर से ही रीमा को धमकाते हुए बोला - अगर चीखी चिल्लाई तो इस कमरे में बंद को लड़के को गोली मार दूगां | रीमा बदहवास ही बहुत डर गयी, उसका चेहरा डर के कारन पीला पड़ गया | कुछ देर तक तो वो समझ ही नहीं पाई कि हो क्या रहा है | राजू अपना काम ख़त्म करके वापस आ गया | प्रियम दुसरे कमरे में बंद था | उसके बाद जग्गू ने रीमा को धमकाया - सुन आचे से कान खोलकर सुन, अगर मेरी बात मानेगी तो तू और तेरा ये लड़का दोनों जिन्दा रहेगें, नहीं तो पहले तेरे सामने इस लड़के को निकालकर गोली मारूंगा फिर तुझे मार दूगां | इसलिए जितना बोली चुपचाप करती जा |
रीमा डरे हुए चेहरे के साथ सहमी आवाज में - प्रियम को कुछ मत करना, तुम जो बोलोगे वो करूंगी | क्या चाहिए तुम लोगो को और कौन हो तुम |
जग्गू ने ठहाका लगाया - साला हमसे पूछती है कौन लोग है हम ? शकल से क्या हम किसी बैंक के मेनेजर लगाते है | गुंडे है हम माल लुटने आये है |
रीमा की डर के मारे हालत ख़राब थी, लेकिन उसने अन्दर से हिम्मत बटोरी और अपना फ़ोन उठा कर पुलिस को मिलाने चली, खिड़की से ये देखते ही जग्गू ने झट से बेह्र्रोम का दरवाजा खोला और रीमा के बिलकुल सामने जाकर बन्दूक तान दी - मोबाईल फेंक वरना मरने के लिए तैयार हो जा |
रीमा के काटो तो खून नहीं, चेहरा डर के मारे बिलकुल पीला हो गया, फ़ोन अपने आप ही उसके हाथ से फिसल कर फर्श पर गिर गया | राजू ने फट से वो फ़ोन उठा लिया |
जग्गू ने धमकाया - हमसे कोई चालाकी नहीं |
रीमा ने डर के मारे नजरे झुका ली |
जग्गू - इस घर का मालिक कौन है ? क्या नाम है तेरा |
रीमा - मै ही हूँ इस घर की मालिक, रीमा नाम है मेरा |
जग्गू - चालाकी नहीं, पति का नाम बता |
रीमा - वो कई साल पहले गुजर गए |
जग्गू - उस कमरे में जो है वो तेरा लड़का है |
रीमा - नहीं मेरा भतीजा है |
राजू जोश में उछलता हुआ - बॉस काम की बात करे, मालकिन मस्त है |
जग्गू उसे डांटता हुआ - छुप कर बत्तमीज, औरतो की इज्जत करना नहीं जानता | हमें अपने काम से मतलब है, हमें अपना काम करना है और चले जाना है |
रीमा को कुछ जान जान आई, उसे लगा ये बड़ा वाला बदमाश भला इंसान है - तुझे जो चहिये ले ले, बस प्रियम को कुछ मत करना |
जग्गू - सोच ले तू क्या बोल रही है, बाद में पीछे मत हटना |
राजू बीच में ही बोल पड़ा - बॉस ये तो लेने की बात कर रही है, इतनी हसीन जिस्म की मालकिन के एक बार लेने में क्या बुराई है | माल तो हर जगह बना लेटे है लेने का मौका हर जगह नहीं मिलता है |
रीमा के शरीर में एक ठंडी सिरहन दौड़ गयी, मन ही मन सोचने लगी ये क्या बोल गयी मै, ये तो मेरे इज्जत लूटने की सोच रहे है | रीमा डर से कांपते शब्दों में बोली - मेरा मतलब पैसे से था, जग्गू को मुखातिब होते हुए - तुम तो भले इंसान लगते हो, जितना पैसा चाहिए मै दे दूँगी | हम दोनों को छोड़ दो |
जग्गू - हम कौन तुझे साथ ले जाने आये है छोड़ देगें, इतनी जल्दी भी क्या है कुछ खातिरदारी तो करवा ले पहले |
जग्गू - जूनियर जाकर उस छोरे को पकड़ के लावो और सामने वाली कुर्सी में इस धोती से बांध दो |
राजू ने बिलकुल वैसे ही किया | उसने प्रियम को लाकर रीमा के बिलकुल सामने पड़ी कुर्सी पर बांध दिया |
जग्गू ने जमीं पर पड़ी नावेल उठाकर देखने लगा -
प्रियम भड़कता हुआ - साले मेरी माँ समान चाची से ऐसे बात नहीं कर सकता |
जग्गू - मै इम्प्रेस हुआ, राजू इसकी पेंट खोल साले की, इसकी चड्ढी उतार |
राजू ने दो मिनट में प्रियम को कमर के नीचे नंगा कर दिया |
रीमा - ये क्या कर रहे हो, तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दूँगी | उसे छोड़ दो |