desiaks
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रीमा की चूत का नाम आते ही जग्गू का गुस्सा काफूर हो गया ..............उसकी आंखों में फिर से एक बार सपने तैर गए | ये देख प्रियम ने एक कुटिल मुस्की मारी | जग्गू ने अपने अंतरूनी प्रतिरोध को दबाते हुए रीमा के जोर से झुकता चला गया |
उसने अपने गांड की गंध से बसाते रबर लंड के लिए अपने मुंह को हल्का सा खोल दिया | रीमा ने जोर से उसके बालो को पकड़ा और उसके मुंह में अपने लंड पर ठेल दिया | रीमा के अंदर जग्गू को लेकर कितनी नफरत भरी थी ये सिर्फ रीमा जानती थी आज जग्गू अपनी ही गांड के रस से सने हुए लंड उसी के मुहँ में घुसेड़ कर बहुत खुसी हो रही थी उसके दिमाग के लिए इससे ज्यादा सुकून वाला पल कोई नहीं था वह जग्गू को इस तरह से अपमानित कर रही थी जैसे जग्गू को पता भी नहीं चल रहा था और जब वह अपनी जिंदगी के सबसे नीच काम भी कर रहा था | जग्गू की नाक में उसकी गांड में गए लंड की गांड बहुत तेज आ रही थी और उसे बहुत बुरा लग रहा था लेकिन रीमा ने कसकर उसके सर को थाम रखा था जिससे कि ना चाहते हुए भी अपने मुंह से वो लंड लेना पड़ रहा था | जग्गू इस समय असहाय सा हो गया था रीमा उसकी इस असहाय असहाय पन को देखकर के अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा खुस हो रही थी | आज उसने जग्गू को उस स्थान पर लाकर पटक दिया था जहां से उसके लिए अपनी आंखों में आंखें मिला कर के शीशे के सामने खड़े हो पाना भी नामुमकिन था रीमा जग्गू से ऐसा बदला ले रही था जिसकी भरपाई कर पाना लगभग नामुमकिन था | वो पहले ही प्रियम की गांड का लंड चूस चूका था और कब खुद उसकी गांड के रस से सने हुए लंड को उसके मुंह में रीमा ने घुसा दिया उसे पता ही नहीं चला | जग्गू तो जैसे रीमा के हुस्न के मोह पाश में बंधा हुआ मंत्रमुग्ध होकर के उसका गुलाम बन गया था वो वही कर रहा था जो रीमा कह रही थी उसमें किसी तरह से उस लंड को चुसना शुरू कर दिया और फिर ढेर सारी लार निकालकर उस काले मोटे लंड को गीला कर दिया | उसके बाद रीमा ने जग्गू के पीछे आ गई और उसकी गांड में लंड को पेल दिया और उसके सख्त हाथ को उसी के लंड पर रखकर उसे ही हिलाने का इशारा करने लगी |
जग्गू तेजी से अपने लंड को हिलाने लगा और अपनी गांड में जा रहे हैं रीमा के मोटे काले लंड से होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने लगा | अभी तक उनको यकीन ही नहीं हो रहा था रीमा ये सब क्या करवा रही है उससे | उसे समझ में ही नहीं आ रहा था आखिर उसके साथ ये सब हो क्या रहा है बस वह रीमा का गुलाम बना रीमा की आंखों में आंखें डाल वही कर रहा था जो भी वो जग्गू से करवाना चाह रही थी | रीमा ने जैसे-तैसे तेज झटके लगाने शुरू कर दिए लेकिन जग्गू की गांड पूरी तरह से खुली नहीं थी इसलिए रीमा को बहुत जोर लगाना पड़ा था इसके बाद रीमा ने जग्गू को कसकर पकड़ कर के अपने लंड को जग्गू की गांड में अंदर तक घुसाने का जतन करने लगी और आठ-दस बार जोर लगाने के बाद में उसका पूरा का पूरा प्लास्टिक का लंड जग्गू की गांड में पूरी तरह से समा गया इसके बाद रीमा ने उसकी गांड को फुल स्पीड में मारना शुरू कर दिया था | वो वह थकी हुई थी लेकिन बदले की आग उसकी थकान पर हावी थी ................ जग्गू को इस तरह से मारने अपमानित करने के आत्म संतोष के कारण उसका जोश हाई था उसने जग्गू को बहुत अच्छे से गांड मारना शुरू कर दिया उसने जग्गू को उल्टा लिटाया उसके यहां मोटर उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ से पकड़ कर के और बेदर्दी से अपने लंड को उसकी गांड में पेलने लगी | जग्गू की गांड का छेद भी पूरी तरह से खुल चुका था , लगातार लगते धक्को से उसकी गांड में बहुत तेज दर्द हो रहा था लेकिन रीमा को इन सब से कोई परवाह नहीं की | वो तेजी से अपनी कमर को पूरे पूरे लंबे-लंबे झटके देकर अपने मोटे प्लास्टिक के लंड को जग्गू की गांड में गहराई तक पेल रही थी इतनी गहराई तक कि उसकी गांड के अंतिम छोर पर जाकर टकरा रहा था | साथ ही साथ उसके खड़े लंड को बहुत तेजी से मुठिया रही थी | जग्गू भी हैरान परेशान थे एक तरफ तो उसक लंड मसला जा रहा था और दूसरी तरफ उसकी गांड मारी जा रही थी जिसमें दर्द हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा है कैसे हो रहा है |
जग्गू रीमा के आगे लेटा हुआ अपनी गांड मरवा रहा था उसके बाद रीमा ने उसकी पोजीशन बदल दी और उसको घुटनों के बल खड़ा करके उसके पीछे आ गई उसे पता था जग्गू की सूखी गांड मारने में उसे भी बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन बदले की आग उसकी अन्दर भरी हुई थी, वो बिना जग्गू की परवाह किये पूरा का पूरा उसके गांड में गुसा देती | जग्गू के मुंह से एक लंबी कराह निकल जाती | रीमा ने बेतहाशा धक्के मारने शुरू कर दिए | जग्गू की तो फट के हाथ में आ गयी | रीमा ने उसी पोजीशन में जग्गू की गांड मारने शुरू कर दी और दे दना दन तक को के धक्कों से जग्गू की गांड का पुर्जा पुर्जा हिला के रख दिया | रीमा बुरी तरह से हांफ रही लेकिन उसके झटके की स्पीड कम ही नहीं हो रही थी | जग्गू हैरान था आखिर रीमा मैडम थक क्यों नहीं |रीमा सटासट पूरी तरह से जग्गू की गांड में लंड पेल उसकी गांड थी उसका मोटा काला प्लास्टिक का लंड सटासट जग्गू की गांड में जा रहा था यह देखकर राजू और प्रियम दोनों बहुत ही खुश हो रहे थे क्योंकि कुछ देर पहले जग्गू ने ही रीमा को उनकी गांड मारने के लिए उकसाया था | दोनों बहुत खुश थे कि कम से कम अब जग्गू उनके सामने अपनी डींगे नहीं मार पाएगा | औरे रीमा ने तीनो की गांड मारकर सबका हिसाब बराबर कर दिया था | इसके बावजूद वो चाहते थे की रीमा बुरी तरह से उसकी गांड को कुचल कुचल कर उसका भरता बना दे ताकि जग्गू के अंदर की जो अकड़न है जो रौब वो दूसरो पर जमाता वह हमेशा के लिए खत्म हो जाए | वह इस तरह से जग्गू को लाचार और बेबस देखकर बहुत ही खुश हो रहे थे |
उसने अपने गांड की गंध से बसाते रबर लंड के लिए अपने मुंह को हल्का सा खोल दिया | रीमा ने जोर से उसके बालो को पकड़ा और उसके मुंह में अपने लंड पर ठेल दिया | रीमा के अंदर जग्गू को लेकर कितनी नफरत भरी थी ये सिर्फ रीमा जानती थी आज जग्गू अपनी ही गांड के रस से सने हुए लंड उसी के मुहँ में घुसेड़ कर बहुत खुसी हो रही थी उसके दिमाग के लिए इससे ज्यादा सुकून वाला पल कोई नहीं था वह जग्गू को इस तरह से अपमानित कर रही थी जैसे जग्गू को पता भी नहीं चल रहा था और जब वह अपनी जिंदगी के सबसे नीच काम भी कर रहा था | जग्गू की नाक में उसकी गांड में गए लंड की गांड बहुत तेज आ रही थी और उसे बहुत बुरा लग रहा था लेकिन रीमा ने कसकर उसके सर को थाम रखा था जिससे कि ना चाहते हुए भी अपने मुंह से वो लंड लेना पड़ रहा था | जग्गू इस समय असहाय सा हो गया था रीमा उसकी इस असहाय असहाय पन को देखकर के अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा खुस हो रही थी | आज उसने जग्गू को उस स्थान पर लाकर पटक दिया था जहां से उसके लिए अपनी आंखों में आंखें मिला कर के शीशे के सामने खड़े हो पाना भी नामुमकिन था रीमा जग्गू से ऐसा बदला ले रही था जिसकी भरपाई कर पाना लगभग नामुमकिन था | वो पहले ही प्रियम की गांड का लंड चूस चूका था और कब खुद उसकी गांड के रस से सने हुए लंड को उसके मुंह में रीमा ने घुसा दिया उसे पता ही नहीं चला | जग्गू तो जैसे रीमा के हुस्न के मोह पाश में बंधा हुआ मंत्रमुग्ध होकर के उसका गुलाम बन गया था वो वही कर रहा था जो रीमा कह रही थी उसमें किसी तरह से उस लंड को चुसना शुरू कर दिया और फिर ढेर सारी लार निकालकर उस काले मोटे लंड को गीला कर दिया | उसके बाद रीमा ने जग्गू के पीछे आ गई और उसकी गांड में लंड को पेल दिया और उसके सख्त हाथ को उसी के लंड पर रखकर उसे ही हिलाने का इशारा करने लगी |
जग्गू तेजी से अपने लंड को हिलाने लगा और अपनी गांड में जा रहे हैं रीमा के मोटे काले लंड से होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने लगा | अभी तक उनको यकीन ही नहीं हो रहा था रीमा ये सब क्या करवा रही है उससे | उसे समझ में ही नहीं आ रहा था आखिर उसके साथ ये सब हो क्या रहा है बस वह रीमा का गुलाम बना रीमा की आंखों में आंखें डाल वही कर रहा था जो भी वो जग्गू से करवाना चाह रही थी | रीमा ने जैसे-तैसे तेज झटके लगाने शुरू कर दिए लेकिन जग्गू की गांड पूरी तरह से खुली नहीं थी इसलिए रीमा को बहुत जोर लगाना पड़ा था इसके बाद रीमा ने जग्गू को कसकर पकड़ कर के अपने लंड को जग्गू की गांड में अंदर तक घुसाने का जतन करने लगी और आठ-दस बार जोर लगाने के बाद में उसका पूरा का पूरा प्लास्टिक का लंड जग्गू की गांड में पूरी तरह से समा गया इसके बाद रीमा ने उसकी गांड को फुल स्पीड में मारना शुरू कर दिया था | वो वह थकी हुई थी लेकिन बदले की आग उसकी थकान पर हावी थी ................ जग्गू को इस तरह से मारने अपमानित करने के आत्म संतोष के कारण उसका जोश हाई था उसने जग्गू को बहुत अच्छे से गांड मारना शुरू कर दिया उसने जग्गू को उल्टा लिटाया उसके यहां मोटर उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ से पकड़ कर के और बेदर्दी से अपने लंड को उसकी गांड में पेलने लगी | जग्गू की गांड का छेद भी पूरी तरह से खुल चुका था , लगातार लगते धक्को से उसकी गांड में बहुत तेज दर्द हो रहा था लेकिन रीमा को इन सब से कोई परवाह नहीं की | वो तेजी से अपनी कमर को पूरे पूरे लंबे-लंबे झटके देकर अपने मोटे प्लास्टिक के लंड को जग्गू की गांड में गहराई तक पेल रही थी इतनी गहराई तक कि उसकी गांड के अंतिम छोर पर जाकर टकरा रहा था | साथ ही साथ उसके खड़े लंड को बहुत तेजी से मुठिया रही थी | जग्गू भी हैरान परेशान थे एक तरफ तो उसक लंड मसला जा रहा था और दूसरी तरफ उसकी गांड मारी जा रही थी जिसमें दर्द हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा है कैसे हो रहा है |
जग्गू रीमा के आगे लेटा हुआ अपनी गांड मरवा रहा था उसके बाद रीमा ने उसकी पोजीशन बदल दी और उसको घुटनों के बल खड़ा करके उसके पीछे आ गई उसे पता था जग्गू की सूखी गांड मारने में उसे भी बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन बदले की आग उसकी अन्दर भरी हुई थी, वो बिना जग्गू की परवाह किये पूरा का पूरा उसके गांड में गुसा देती | जग्गू के मुंह से एक लंबी कराह निकल जाती | रीमा ने बेतहाशा धक्के मारने शुरू कर दिए | जग्गू की तो फट के हाथ में आ गयी | रीमा ने उसी पोजीशन में जग्गू की गांड मारने शुरू कर दी और दे दना दन तक को के धक्कों से जग्गू की गांड का पुर्जा पुर्जा हिला के रख दिया | रीमा बुरी तरह से हांफ रही लेकिन उसके झटके की स्पीड कम ही नहीं हो रही थी | जग्गू हैरान था आखिर रीमा मैडम थक क्यों नहीं |रीमा सटासट पूरी तरह से जग्गू की गांड में लंड पेल उसकी गांड थी उसका मोटा काला प्लास्टिक का लंड सटासट जग्गू की गांड में जा रहा था यह देखकर राजू और प्रियम दोनों बहुत ही खुश हो रहे थे क्योंकि कुछ देर पहले जग्गू ने ही रीमा को उनकी गांड मारने के लिए उकसाया था | दोनों बहुत खुश थे कि कम से कम अब जग्गू उनके सामने अपनी डींगे नहीं मार पाएगा | औरे रीमा ने तीनो की गांड मारकर सबका हिसाब बराबर कर दिया था | इसके बावजूद वो चाहते थे की रीमा बुरी तरह से उसकी गांड को कुचल कुचल कर उसका भरता बना दे ताकि जग्गू के अंदर की जो अकड़न है जो रौब वो दूसरो पर जमाता वह हमेशा के लिए खत्म हो जाए | वह इस तरह से जग्गू को लाचार और बेबस देखकर बहुत ही खुश हो रहे थे |