desiaks
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रीमा ने अपने जिस्म को सहलाना शुरू कर दिया | शायद वो भी अनिल से खेलना चाहती थी, उसे नहीं परवाह थी की ये गेम कहाँ जाकर खतम होगा लेकिन फिलहाल वो अभी तो इन सब बातो के बारे में नहीं सोच रही थी |
अनिल की हालत और बिगड़ रही थी | हालाँकि वो बंदा भी बहुत खेला खाया हुआ था इलसिए खुद को काबू करना आता था | उसे उसकी बीबी ने ही सिखाया है औरत को इतना मजबूर कर दो की खुद ही तुमारी बांहों में आकर बोले अब मुझे चोद दो | अगर मर्द औरत के पास पहले गया तो औरत चुदने में इतने नखरे दिखाएगी की आदमी की गांड से पसीना निकाल देगी |
और आगे हमेशा के लिए इसे ही अपना ट्रेडमार्क बना लेगी | इसलिए अनिल का फंडा था अपने जिस्म में चूत की प्यास उतनी जगावो जीतनी आपके लंड में सामने वाली चूत में आग लगाने की कुव्वत हो | एक बार आपके लंड के नाम की आग किसी चूत में लग गई फिर तो आप ही का लंड असली फायर ब्रिगेड है | जब मर्जी हो जीतनी मर्जी हो उतनी आग बुझाओ, जब तक न बुझे , चूत को मसलते रहो, कुचलते रहो, हंसी ख़ुशी राजी होकर औरत चुदवाती रहेगी | लेकिन आज ऐसा लग रहा था रीमा को देखकर उनका सारा काम ज्ञान फ़ैल होने वाला है | उनसे अब काबू नहीं हो रहा था और मन कर रहा था बस जाकर रीमा की जांघे फैलाये और पेल से अपना फनफनाता नागनाथ रीमा की गुलाबी चूत की मखमली गहराइयों में | कसम से रीमा जैसी चूत से एक रात में तो मन नहीं भरेगा | इसे तो कम से कम महीने भर तक चोदना होगा | क्या करू क्या न करू उनकी कुछ समझ नहीं आ रहा था |
रीमा को पता था अब अनिल इससे आगे जाने वाले नहीं है और उसकी आँखों में भी शराब और नीद का नशा पूरी तरह से घर कर चूका था | रीमा ने बेड पर लेटे लेटे ही हल्का सा स्लीपिंग म्यूजिक बजा दिया और सोने के लिए अपने ऊपर चादर डाल ली | इधर अनिल बहुत उधेड़बुन में थे | रीमा को चोदना उनका सपना था और रीमा बस कुछ फुट और एक दीवार की दूरी पर पूरी तरह से नंगी लेती है | उनका लंड भी बुरु तरह से अकड़ा हुआ है | अब इससे अच्छा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा | अभी वो शराब के नशे में है इसलिए उसे भी कहाँ कुछ पता चलने वाला है | एक बार पुछुगा, हाँ बोलेगी तो ठीक नहीं बोलेगी तो ठीक | साली को अपनी जांघ के नीचे दबाकर उसकी गुलाबी चूत में लंड पेल दूगां | बाकि एक बार चूत में लंड गया तो गया फिर झड़ने से पहले तो निकलेगा नहीं | सुबह जो भी रोना धोना होगा वो सुबह देखा जायेगा | रोहिणी के पैरो में गिर कर माफ़ी मांग लूगाँ | अपने अन्दर जमकर करके विस्वास इकठ्ठा करने के बाद अनिल ने रीमा के बेडरूम की तरफ कदम बढाया | इससे पहले वो दूसरा कदम बढ़ाते उनका फ़ोन घनघनाने लगा | गनीमत तो ये थी की वाइब्रेशन मोड में था वरना आज उनका पकड़ा जान निश्चित था | फिर के सामने ही उनकी चोरी पकड़ ली जाती | वाइब्रेशन की आवाज रीमा के कानो तक पहुँच गयी | जीजा को रंगे हाथो पकड़ने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं था | यही सोच रीमा ने अपने जिस्म पर से हलकी चादर खिसकाई, चादर उसके कमर के नीच पहुँच गयी | उसकी चिकनी पीठ, भारी भरकम उठे हुए चूतड़ और उसका नंगा गोरा जिस्म कमरे की रौशनी में नुमाया हो गया | इससे पहले वो उठती उसे वाइब्रेशन की आवाज दूर जाती सुनाई दी | रीमा पीठ के बल लेटे लेटे बाहर की तरह देखने लगी | जैसे अनिल को चुनती दे रही हो देख फट्टू एक नंगी चूत तेरे सामने लेती है और तू बस अपना लंड सहला रहा है | अनिल अब तक बाहर की तरफ जा चुके थे | अनिल ने आइस्ते से पिछला दरवाजा खोला और बाहर निकले और फिर कॉल रिसीव की | कॉल उनकी पत्नी की जो उनसे फ़ोन मिला या नहीं ये जानना चाह रही थी | रीमा हल्का सा मुस्कुराई, थोडा सा अपने जिस्म पर इतराई और फिर तकिये में मुहँ घुसाकर सोने की कोशिश करने लगी |
उस दिन के बाद से अनिल के ऊपर तो जैसे रीमा का बुखार ही चढ़ गया | सुबह शाम दिन रात उनके दिमाग में वही रीमा का नंगा गोरा गुलाबी बदन ही आगे पीछे घूमता रहता था | रात में सोते तो भी रीमा उनको सपने में दिखाई देती थी | उस दिन जब अनिल रात को घर वापस गए तो उन्होंने और रोहिणी दोनों ने शराब पी रखी थी | उसके बाद जब वो मोबाईल लेने वापस रीमा के घर गए और वहां से वापस लौटे | जब तक वो घर पहुंचे रोहिणी लगभग लगभग नींद के आगोश में जा चुकी थी लेकिन अनिल बेचैन थे रीमा ने उनके अंदर वो आग लगा दी थी की वो समझ ही नहीं पा रहे थे की इसे कैसे बुझाये | क्या करें क्या न करें की पैंट के अंदर उनका काला मोटा लंड अभी भी उनकी पेंट में मीनार की तरह खड़ा हुआ था | अब पछता रहे थे क्यों वो फ़ोन वापस लेने गए थे | वहां जाकर जो जो कुछ भी देखा उसको देखकर अभी तक अनिल के दिलों दिमाग में बस वही छाया हुआ था | अनिल ने कपड़े उतार कर के सोने की कोशिश करी और चुपचाप बिस्तर में घुस गए | शराब का भरपूर नशा था फिर भी नींद आंखों से बहुत दूर थी बार-बार घूमकर उनके दिलो-दिमाग पर रीमा का नंगा गोरा बदन आ जाता था रीमा के भारी-भारी चूतड़ , उसकी गोरी छाती के उठे हुए उरोज, गोरी चिकनी पीठ, मांसल भरी भरकम चूतड़, गुलाबी कमसिन चिकनी चूत..................अनिल तो पूरी तरह से रीमा के गुलाबी गोर जिस्म के आकर्षण के मोह जाल में फंस चुके थे उनकी आंखों से नींद मीलो दूर थी फिर भी जबरदस्ती किसी तरह से वह अपना सर तकिये में घुसा कर सोने की कोशिश करने लगे | बहुत हाथ पाँव मारने के बाद, ढेर सारा पानी पीने के बाद, किसी तरह से सोने की गोली खाकर बहुत ही ज्यादा मुश्किल के बाद अपने आप को काबू करके आखिरकार अनिल सो गए | ये अनिल के लिए हाल के एक दशक की सबसे मुश्किल रात में बदल गयी |
अनिल की हालत और बिगड़ रही थी | हालाँकि वो बंदा भी बहुत खेला खाया हुआ था इलसिए खुद को काबू करना आता था | उसे उसकी बीबी ने ही सिखाया है औरत को इतना मजबूर कर दो की खुद ही तुमारी बांहों में आकर बोले अब मुझे चोद दो | अगर मर्द औरत के पास पहले गया तो औरत चुदने में इतने नखरे दिखाएगी की आदमी की गांड से पसीना निकाल देगी |
और आगे हमेशा के लिए इसे ही अपना ट्रेडमार्क बना लेगी | इसलिए अनिल का फंडा था अपने जिस्म में चूत की प्यास उतनी जगावो जीतनी आपके लंड में सामने वाली चूत में आग लगाने की कुव्वत हो | एक बार आपके लंड के नाम की आग किसी चूत में लग गई फिर तो आप ही का लंड असली फायर ब्रिगेड है | जब मर्जी हो जीतनी मर्जी हो उतनी आग बुझाओ, जब तक न बुझे , चूत को मसलते रहो, कुचलते रहो, हंसी ख़ुशी राजी होकर औरत चुदवाती रहेगी | लेकिन आज ऐसा लग रहा था रीमा को देखकर उनका सारा काम ज्ञान फ़ैल होने वाला है | उनसे अब काबू नहीं हो रहा था और मन कर रहा था बस जाकर रीमा की जांघे फैलाये और पेल से अपना फनफनाता नागनाथ रीमा की गुलाबी चूत की मखमली गहराइयों में | कसम से रीमा जैसी चूत से एक रात में तो मन नहीं भरेगा | इसे तो कम से कम महीने भर तक चोदना होगा | क्या करू क्या न करू उनकी कुछ समझ नहीं आ रहा था |
रीमा को पता था अब अनिल इससे आगे जाने वाले नहीं है और उसकी आँखों में भी शराब और नीद का नशा पूरी तरह से घर कर चूका था | रीमा ने बेड पर लेटे लेटे ही हल्का सा स्लीपिंग म्यूजिक बजा दिया और सोने के लिए अपने ऊपर चादर डाल ली | इधर अनिल बहुत उधेड़बुन में थे | रीमा को चोदना उनका सपना था और रीमा बस कुछ फुट और एक दीवार की दूरी पर पूरी तरह से नंगी लेती है | उनका लंड भी बुरु तरह से अकड़ा हुआ है | अब इससे अच्छा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा | अभी वो शराब के नशे में है इसलिए उसे भी कहाँ कुछ पता चलने वाला है | एक बार पुछुगा, हाँ बोलेगी तो ठीक नहीं बोलेगी तो ठीक | साली को अपनी जांघ के नीचे दबाकर उसकी गुलाबी चूत में लंड पेल दूगां | बाकि एक बार चूत में लंड गया तो गया फिर झड़ने से पहले तो निकलेगा नहीं | सुबह जो भी रोना धोना होगा वो सुबह देखा जायेगा | रोहिणी के पैरो में गिर कर माफ़ी मांग लूगाँ | अपने अन्दर जमकर करके विस्वास इकठ्ठा करने के बाद अनिल ने रीमा के बेडरूम की तरफ कदम बढाया | इससे पहले वो दूसरा कदम बढ़ाते उनका फ़ोन घनघनाने लगा | गनीमत तो ये थी की वाइब्रेशन मोड में था वरना आज उनका पकड़ा जान निश्चित था | फिर के सामने ही उनकी चोरी पकड़ ली जाती | वाइब्रेशन की आवाज रीमा के कानो तक पहुँच गयी | जीजा को रंगे हाथो पकड़ने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं था | यही सोच रीमा ने अपने जिस्म पर से हलकी चादर खिसकाई, चादर उसके कमर के नीच पहुँच गयी | उसकी चिकनी पीठ, भारी भरकम उठे हुए चूतड़ और उसका नंगा गोरा जिस्म कमरे की रौशनी में नुमाया हो गया | इससे पहले वो उठती उसे वाइब्रेशन की आवाज दूर जाती सुनाई दी | रीमा पीठ के बल लेटे लेटे बाहर की तरह देखने लगी | जैसे अनिल को चुनती दे रही हो देख फट्टू एक नंगी चूत तेरे सामने लेती है और तू बस अपना लंड सहला रहा है | अनिल अब तक बाहर की तरफ जा चुके थे | अनिल ने आइस्ते से पिछला दरवाजा खोला और बाहर निकले और फिर कॉल रिसीव की | कॉल उनकी पत्नी की जो उनसे फ़ोन मिला या नहीं ये जानना चाह रही थी | रीमा हल्का सा मुस्कुराई, थोडा सा अपने जिस्म पर इतराई और फिर तकिये में मुहँ घुसाकर सोने की कोशिश करने लगी |
उस दिन के बाद से अनिल के ऊपर तो जैसे रीमा का बुखार ही चढ़ गया | सुबह शाम दिन रात उनके दिमाग में वही रीमा का नंगा गोरा गुलाबी बदन ही आगे पीछे घूमता रहता था | रात में सोते तो भी रीमा उनको सपने में दिखाई देती थी | उस दिन जब अनिल रात को घर वापस गए तो उन्होंने और रोहिणी दोनों ने शराब पी रखी थी | उसके बाद जब वो मोबाईल लेने वापस रीमा के घर गए और वहां से वापस लौटे | जब तक वो घर पहुंचे रोहिणी लगभग लगभग नींद के आगोश में जा चुकी थी लेकिन अनिल बेचैन थे रीमा ने उनके अंदर वो आग लगा दी थी की वो समझ ही नहीं पा रहे थे की इसे कैसे बुझाये | क्या करें क्या न करें की पैंट के अंदर उनका काला मोटा लंड अभी भी उनकी पेंट में मीनार की तरह खड़ा हुआ था | अब पछता रहे थे क्यों वो फ़ोन वापस लेने गए थे | वहां जाकर जो जो कुछ भी देखा उसको देखकर अभी तक अनिल के दिलों दिमाग में बस वही छाया हुआ था | अनिल ने कपड़े उतार कर के सोने की कोशिश करी और चुपचाप बिस्तर में घुस गए | शराब का भरपूर नशा था फिर भी नींद आंखों से बहुत दूर थी बार-बार घूमकर उनके दिलो-दिमाग पर रीमा का नंगा गोरा बदन आ जाता था रीमा के भारी-भारी चूतड़ , उसकी गोरी छाती के उठे हुए उरोज, गोरी चिकनी पीठ, मांसल भरी भरकम चूतड़, गुलाबी कमसिन चिकनी चूत..................अनिल तो पूरी तरह से रीमा के गुलाबी गोर जिस्म के आकर्षण के मोह जाल में फंस चुके थे उनकी आंखों से नींद मीलो दूर थी फिर भी जबरदस्ती किसी तरह से वह अपना सर तकिये में घुसा कर सोने की कोशिश करने लगे | बहुत हाथ पाँव मारने के बाद, ढेर सारा पानी पीने के बाद, किसी तरह से सोने की गोली खाकर बहुत ही ज्यादा मुश्किल के बाद अपने आप को काबू करके आखिरकार अनिल सो गए | ये अनिल के लिए हाल के एक दशक की सबसे मुश्किल रात में बदल गयी |