desiaks
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उसके लंड के बाहर निकलते ही रीमा की आंखे चौड़ी हो गयी | लंड नहीं था बड़ा सा मुसल था | रीमा तेजी से उसे अपनी मुठ्ठी में भरकर सहलाने लगी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूल चूका था | उसका सुपाडा उसकी खाल छोड़ चूका था |
कांपते हाथों से जितेश के उस मुसल लंड को अपने हाथ में थामा और सहलाने लगी | रीमा और जितेश ने एक दुसरे को देखा | रीमा ने जितेश के मुसल लंड पर सख्ती बढ़ा दी और जितेश के लंड को बुरी तरह मसलने लगी | जितेश हैरान रह गया आखिर ये रीमा क्या कर रही है | रीमा ने जितेश की तरफ देखना बंद कर दिया था उसका पूरा जितेश के लंड पर आ गया | जितेश का लंड रीमा के चेहरे के ठीक सामने था | रीमा के हाथो की तेज फिसलन से उठती गर्मी जितेश के लंड की गर्माहट बढ़ाने लगी | जितेश के लंड में तेजी से खून भरने लगा | उसका लंड का कड़ापन बढ़ने लगा | जितेश के शरीर में भी वासना की गर्मी बढ़ने लगी | रीमा के हाथ तेजी से जितेश के लंड की मजबूती चेक कर रहे थे | जितेश का लंड ने बिलकुल 90 डिग्री का कोण बना दिया | जितेश की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ने लगी | रीमा ने एक बार तेजी से हाथ पीछे जितेश के लंड की जड़ तक खीच दिए |
जितेश के लंड की खाल पीछे तक खीचती चली गयी उसका लंड का मोटा फूला लाल सुपाडा रीमा की आँखों के सामने चमकने लगा | उसके जिस्म की धधकती आग के कारन उसके ओंठ वासना की प्यास में सुख चले थे | रीमा ने अपनी जीभ के गीलेपन से अपने गुलाबी ओंठो को सींचा, जिससे उसके ओंठो की नमी वापस आई | रीमा ने अपनी उंगली से जितेश के जलते लंड के धधकते सुपाडे के तापमान का जायजा लिया | बहुत तेजी से मुठीयाने के कारन जितेश की सांसे तेज हो गयी थी | रीमा ने अपने रस भरे ओंठो को जितेश के लंड के सुपाडे को छुआ और उसके छेद से निकली नमी की बूंद से अपने ओंठ सींच लिए | रीमा ने जितेश का लंड इतनी तेज मसला था कि जितेश का प्रिकम की बूंद छलक आई | गार्ड की अधबुझायी वासना की आग रीमा अन्दर लगातार जल रही थी | जितेश के मोटे लंड और हट्नेटे कट्टे जिस्म ने उसको और भड़का दिया | रीमा गीली जीभ से गरम सुपाडे को चाटने लगी | उसकी जीभ तेजी से जितेश के सुपाडे के इर्द गिर्द फिसलने लगी | जितेश समझ गया था मैडम अच्छे से खेली खाई लगती हैं | उसके रीमा के मुहँ की तरफ लंड ठेलने की कोशिश की लेकिन रीमा ने चालाकी से लंड को तिरछा कर दिया | रीमा के हाथ जितेश के लंड पर फिसलते रहे |
रीमा - अब कुछ धर्य रखो, अपनी दीदी को भूल जावोगे ये रीमा का वादा है |
जितेश - ओह्ह्ह्ह मैडम |
रीमा - बस आज रात आहे कराहे ही निकलेगी |
रीमा ने फिर से सुपाडे के इर्द गिर्द जीभ नाचनी शुरू कर दी | अपने सुपाडे पर रीमा की गीली रसीली जीभ का ठंडा ठंडा अहसास जितेश को रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा लग रहा था | कुछ ही देर में जितेश बेचैन होने लगा |
जितेश - मैडम अब चुसो भी कितना तड़पाओगी |
रीमा मादकता में मुस्कुराते हुए - बड़े बेसब्र हो रहे हो , मुझे तो लगा था बड़े धीरज वाले मर्द हो |
जितेश - बस मुझे पता है आपको देख कैसे रोका है खुद को | अब नहीं रोक पाऊंगा |
रीमा - हाहा हाहा थोड़ा हवस में डुबो तो सही, जब तक अन्दर तक गोता नहीं लगाओगे तब तक इस जवानी का असली सुख नहीं भोग पाओगे | जितना सब्र रखोगे उतना ही मजा मिलेगा |
रीमा ने अपने ओठ फैलाये और जितेश के सुपाडे को निगलने लगी | उसके गुलाबी ओंठो ने जितेश के खुल से भरे लाल धधकते सुपाडे को निगल लिया और टॉफी की तरह चूसने लगी | जितेश को पता था मैडम को कुछ भी करने में कोई शर्म हया नहीं है, वरना लंड चूसने में ये अदा ये क़ाबलियत शायद बहुत कम औरतो में होती है | रीमा ने उसकी कामुकता बहुत बढ़ा दी थी फिर भी उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी वह सांसे भर करके अपने आप को काबू में रख कर के सुखद एहसास का अनुभव लेने लगा था | रीमा ने धीरे से जितेश के लंड को चुसना शुरु कर दिया था | और अपने कांपते रसीले गुलाबी होठों को उसके लंड पर गोल गोल घुमाने लगी थी | अब कोई शर्म नहीं थी कोई हया नहीं थी कोई पर्दा नहीं जब कोई झिझक नहीं थी | रीमा भी समझ गई थी जब यही नियति है तो क्या शर्म क्या चीज है सब कुछ खुलेआम करो ना | जितेश को भी लग रहा था कि रीमा के साथ खुल करके ही खेलने में समझदारी है इस तरह से शर्माने झिझकने का कोई फायदा नहीं है | जितेश ने फटाफट अपनी चड्डी पैरों से नीचे की तरफ उतार दी और उसके बाद रीमा उसके पैरो के बीच में पूरी तरह से आराम से बैठकर उसके लंड को चूसने, चटाने और चूमने लगी|
इतने अच्छे से रीमा को लंड चूसते देखकर जितेश के मुहँ से सिसकारियां ही फुट रही थी | उससे रहा नहीं गया सिसकारियां भरते हुए बोला - मैडम लग रहा है आपका यह फेवरेट है |
रीमा बोली - नहीं मेरा सब कुछ फेवरेट है वह अलग बात है लोग अक्सर कहते हैं यह काम में बहुत अच्छे से करती हूँ | बाकि काम भी अच्छे से ही करती हूँ ...............................................................बस सबका अपना-अपना टेस्ट है |
जितेश - कुछ भी कमाल का लंड चूसती है मैडम |
रीमा - फिर तुमने मैडम कहना शुरू कर दिया |
जितेश - मै आपको मैडम ही कहूँगा |
रीमा - तुमारा औजार भी कमाल का है |
जितेश - अब मैडम ये तो जुल्म है, ऐसे माहौल में ये शब्द माहौल नहीं गन्दा कर रहे है |
रीमा - तुम मुझे रीमा कहो तो मेरे अन्दर से भी अपनापन निकले | तुमने ही पराया कर रखा है तो मै क्या करू |
रीमा ने लंड को कसकर ओंठो से जकड़कर चूस लिया और लगी हाथ हिलाने |
जितेश के मुहँ से कराह निकल गयी - ठीक है रीमा |
रीमा - ये हुई न बात ..................तुम्हारा मुसल तो बहुत ही बड़ा मोटा है इसीलिए मुझे लग रहा है तुम्हारी दीदी कोई पसंद आ गया था |
जितेश - हां सच कह रही हो रीमा दीदी मेरे लंड की वजह से ही मुझसे प्यार करने लगी थी और शायद इसीलिए उन्होंने अपनी कुंवारी चूत में से चुदवाई थी |
रीमा लंड चूसते हुए बोलती- तुम्हारा लंड है भी कमाल का ..........किस्मत वालों को ही ऐसा लंड मिलता है |
रीमा ने अभी तक सिर्फ जितेश के सुपाडे को ही मुंह में ले पाई थी और चाट रही थी लेकिन अब उसने और गहराई तक रितेश के लंड को मुहँ में निगलने लगी | थोड़ा थोड़ा करके ;लंड को अन्दर ले जाती और चुस्ती | इधर वासना में नहाये जितेश का मन था पूरा का पूरा लंड रीमा के मुहँ में पेल दे और धक्के पर धक्के मार के कसकर रीमा का मुहँ में चोद दे | रीमा जितेश के लंड को और अन्दर तक मुंह में निगलने की कोशिश करने लगी थी हालांकि बार-बार उसके बड़े लंड की वजह से उसे दिक्कत हो रही थी | अब आगे बढ़कर के रीमा उसके लंड को और गहराई तक चूसने चाटने की कोशिश कर रही थी | रीमा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा सा और मुहँ के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा रीमा के गीले और गरम मुहँ में समा गया |
जितेश भी रीमा के इस अदाकारी पर फिदा हो गया था उसने आंखें बंद करके पूरी तरह से इस इस मोमेंट को अपने अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहा था वह बस इस चीज को इंजॉय करना चाह रहा था उसने सब कुछ रीमा पर छोड़ दिया था | रीमा ने पूरा का पूरा सुपड़ा मुंह में ले रखा था और खास करके अब वह लंड के निचले हिस्से को निगलने की तरफ बढ़ने लगी थी |
रीमा जितेश के लंड के सुपाडे पर जीभ फिराते हुए उसको मुहँ में घोटने लगी थी | बार बार लंड उसके मुहँ में आता जाता | लंड को अन्दर तक ले जाती बाहर लाती सुपाडे को जीभ से चाटती, चूसती जैसे कोई लोलीपोप चूसता है |उसके बाद रीमा ने उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लेती | लंड को मुहँ में लेकर ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और फिर धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगती | रीमा की अदाए और हरकते और लंड पर फिसलते उसके हाथ और ओंठ सब कुछ सोचकर देखकर जितेश पागल हुआ जा रहा था | जितेश कामुक लम्बी कराहे भर रहा था | कुछ देर बाद अचानक जितेश का हाथ रीमा के सर तक पंहुच गया, उसने रीमा के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा | रीमा को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है | उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है | रीमा इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी | रीमा ने जितेश का प्रतिरोध किया, लेकिन जितेश की ताकत और मजबूती के आगे उसे जितेश का पूरा लंड गटकना पड़ा | जितेश का का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ रीमा के गले में जाकर अटक गया | जितेश ने नीचे से कमर का झटका मारा और रीमा का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया | लंड उसके गले में फंस गया | रीमा को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था | उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी | रीमा ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी | उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली | उसकी आँखों से पानी बहने लगा | यही तो रीमा चाहती थी | सामन्य से कुछ हटकर कुछ अलग सा, जो उसके अन्दर की वासनाओं को तृप्ति पंहुचाये भले ही उसके जिस्म को कितनी तकलीफ हो | अभी रीमा को खासी आ गयी, आखो के लालिमा बढ़ने लगी, वो अपनी सांसे काबू कर रही थी लेकिन उसकी चाहत थी जितेश एक बार वैसे ही फिर से उसके मुहँ में लंड ठेले |
कांपते हाथों से जितेश के उस मुसल लंड को अपने हाथ में थामा और सहलाने लगी | रीमा और जितेश ने एक दुसरे को देखा | रीमा ने जितेश के मुसल लंड पर सख्ती बढ़ा दी और जितेश के लंड को बुरी तरह मसलने लगी | जितेश हैरान रह गया आखिर ये रीमा क्या कर रही है | रीमा ने जितेश की तरफ देखना बंद कर दिया था उसका पूरा जितेश के लंड पर आ गया | जितेश का लंड रीमा के चेहरे के ठीक सामने था | रीमा के हाथो की तेज फिसलन से उठती गर्मी जितेश के लंड की गर्माहट बढ़ाने लगी | जितेश के लंड में तेजी से खून भरने लगा | उसका लंड का कड़ापन बढ़ने लगा | जितेश के शरीर में भी वासना की गर्मी बढ़ने लगी | रीमा के हाथ तेजी से जितेश के लंड की मजबूती चेक कर रहे थे | जितेश का लंड ने बिलकुल 90 डिग्री का कोण बना दिया | जितेश की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ने लगी | रीमा ने एक बार तेजी से हाथ पीछे जितेश के लंड की जड़ तक खीच दिए |
जितेश के लंड की खाल पीछे तक खीचती चली गयी उसका लंड का मोटा फूला लाल सुपाडा रीमा की आँखों के सामने चमकने लगा | उसके जिस्म की धधकती आग के कारन उसके ओंठ वासना की प्यास में सुख चले थे | रीमा ने अपनी जीभ के गीलेपन से अपने गुलाबी ओंठो को सींचा, जिससे उसके ओंठो की नमी वापस आई | रीमा ने अपनी उंगली से जितेश के जलते लंड के धधकते सुपाडे के तापमान का जायजा लिया | बहुत तेजी से मुठीयाने के कारन जितेश की सांसे तेज हो गयी थी | रीमा ने अपने रस भरे ओंठो को जितेश के लंड के सुपाडे को छुआ और उसके छेद से निकली नमी की बूंद से अपने ओंठ सींच लिए | रीमा ने जितेश का लंड इतनी तेज मसला था कि जितेश का प्रिकम की बूंद छलक आई | गार्ड की अधबुझायी वासना की आग रीमा अन्दर लगातार जल रही थी | जितेश के मोटे लंड और हट्नेटे कट्टे जिस्म ने उसको और भड़का दिया | रीमा गीली जीभ से गरम सुपाडे को चाटने लगी | उसकी जीभ तेजी से जितेश के सुपाडे के इर्द गिर्द फिसलने लगी | जितेश समझ गया था मैडम अच्छे से खेली खाई लगती हैं | उसके रीमा के मुहँ की तरफ लंड ठेलने की कोशिश की लेकिन रीमा ने चालाकी से लंड को तिरछा कर दिया | रीमा के हाथ जितेश के लंड पर फिसलते रहे |
रीमा - अब कुछ धर्य रखो, अपनी दीदी को भूल जावोगे ये रीमा का वादा है |
जितेश - ओह्ह्ह्ह मैडम |
रीमा - बस आज रात आहे कराहे ही निकलेगी |
रीमा ने फिर से सुपाडे के इर्द गिर्द जीभ नाचनी शुरू कर दी | अपने सुपाडे पर रीमा की गीली रसीली जीभ का ठंडा ठंडा अहसास जितेश को रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा लग रहा था | कुछ ही देर में जितेश बेचैन होने लगा |
जितेश - मैडम अब चुसो भी कितना तड़पाओगी |
रीमा मादकता में मुस्कुराते हुए - बड़े बेसब्र हो रहे हो , मुझे तो लगा था बड़े धीरज वाले मर्द हो |
जितेश - बस मुझे पता है आपको देख कैसे रोका है खुद को | अब नहीं रोक पाऊंगा |
रीमा - हाहा हाहा थोड़ा हवस में डुबो तो सही, जब तक अन्दर तक गोता नहीं लगाओगे तब तक इस जवानी का असली सुख नहीं भोग पाओगे | जितना सब्र रखोगे उतना ही मजा मिलेगा |
रीमा ने अपने ओठ फैलाये और जितेश के सुपाडे को निगलने लगी | उसके गुलाबी ओंठो ने जितेश के खुल से भरे लाल धधकते सुपाडे को निगल लिया और टॉफी की तरह चूसने लगी | जितेश को पता था मैडम को कुछ भी करने में कोई शर्म हया नहीं है, वरना लंड चूसने में ये अदा ये क़ाबलियत शायद बहुत कम औरतो में होती है | रीमा ने उसकी कामुकता बहुत बढ़ा दी थी फिर भी उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी वह सांसे भर करके अपने आप को काबू में रख कर के सुखद एहसास का अनुभव लेने लगा था | रीमा ने धीरे से जितेश के लंड को चुसना शुरु कर दिया था | और अपने कांपते रसीले गुलाबी होठों को उसके लंड पर गोल गोल घुमाने लगी थी | अब कोई शर्म नहीं थी कोई हया नहीं थी कोई पर्दा नहीं जब कोई झिझक नहीं थी | रीमा भी समझ गई थी जब यही नियति है तो क्या शर्म क्या चीज है सब कुछ खुलेआम करो ना | जितेश को भी लग रहा था कि रीमा के साथ खुल करके ही खेलने में समझदारी है इस तरह से शर्माने झिझकने का कोई फायदा नहीं है | जितेश ने फटाफट अपनी चड्डी पैरों से नीचे की तरफ उतार दी और उसके बाद रीमा उसके पैरो के बीच में पूरी तरह से आराम से बैठकर उसके लंड को चूसने, चटाने और चूमने लगी|
इतने अच्छे से रीमा को लंड चूसते देखकर जितेश के मुहँ से सिसकारियां ही फुट रही थी | उससे रहा नहीं गया सिसकारियां भरते हुए बोला - मैडम लग रहा है आपका यह फेवरेट है |
रीमा बोली - नहीं मेरा सब कुछ फेवरेट है वह अलग बात है लोग अक्सर कहते हैं यह काम में बहुत अच्छे से करती हूँ | बाकि काम भी अच्छे से ही करती हूँ ...............................................................बस सबका अपना-अपना टेस्ट है |
जितेश - कुछ भी कमाल का लंड चूसती है मैडम |
रीमा - फिर तुमने मैडम कहना शुरू कर दिया |
जितेश - मै आपको मैडम ही कहूँगा |
रीमा - तुमारा औजार भी कमाल का है |
जितेश - अब मैडम ये तो जुल्म है, ऐसे माहौल में ये शब्द माहौल नहीं गन्दा कर रहे है |
रीमा - तुम मुझे रीमा कहो तो मेरे अन्दर से भी अपनापन निकले | तुमने ही पराया कर रखा है तो मै क्या करू |
रीमा ने लंड को कसकर ओंठो से जकड़कर चूस लिया और लगी हाथ हिलाने |
जितेश के मुहँ से कराह निकल गयी - ठीक है रीमा |
रीमा - ये हुई न बात ..................तुम्हारा मुसल तो बहुत ही बड़ा मोटा है इसीलिए मुझे लग रहा है तुम्हारी दीदी कोई पसंद आ गया था |
जितेश - हां सच कह रही हो रीमा दीदी मेरे लंड की वजह से ही मुझसे प्यार करने लगी थी और शायद इसीलिए उन्होंने अपनी कुंवारी चूत में से चुदवाई थी |
रीमा लंड चूसते हुए बोलती- तुम्हारा लंड है भी कमाल का ..........किस्मत वालों को ही ऐसा लंड मिलता है |
रीमा ने अभी तक सिर्फ जितेश के सुपाडे को ही मुंह में ले पाई थी और चाट रही थी लेकिन अब उसने और गहराई तक रितेश के लंड को मुहँ में निगलने लगी | थोड़ा थोड़ा करके ;लंड को अन्दर ले जाती और चुस्ती | इधर वासना में नहाये जितेश का मन था पूरा का पूरा लंड रीमा के मुहँ में पेल दे और धक्के पर धक्के मार के कसकर रीमा का मुहँ में चोद दे | रीमा जितेश के लंड को और अन्दर तक मुंह में निगलने की कोशिश करने लगी थी हालांकि बार-बार उसके बड़े लंड की वजह से उसे दिक्कत हो रही थी | अब आगे बढ़कर के रीमा उसके लंड को और गहराई तक चूसने चाटने की कोशिश कर रही थी | रीमा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा सा और मुहँ के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा रीमा के गीले और गरम मुहँ में समा गया |
जितेश भी रीमा के इस अदाकारी पर फिदा हो गया था उसने आंखें बंद करके पूरी तरह से इस इस मोमेंट को अपने अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहा था वह बस इस चीज को इंजॉय करना चाह रहा था उसने सब कुछ रीमा पर छोड़ दिया था | रीमा ने पूरा का पूरा सुपड़ा मुंह में ले रखा था और खास करके अब वह लंड के निचले हिस्से को निगलने की तरफ बढ़ने लगी थी |
रीमा जितेश के लंड के सुपाडे पर जीभ फिराते हुए उसको मुहँ में घोटने लगी थी | बार बार लंड उसके मुहँ में आता जाता | लंड को अन्दर तक ले जाती बाहर लाती सुपाडे को जीभ से चाटती, चूसती जैसे कोई लोलीपोप चूसता है |उसके बाद रीमा ने उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लेती | लंड को मुहँ में लेकर ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और फिर धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगती | रीमा की अदाए और हरकते और लंड पर फिसलते उसके हाथ और ओंठ सब कुछ सोचकर देखकर जितेश पागल हुआ जा रहा था | जितेश कामुक लम्बी कराहे भर रहा था | कुछ देर बाद अचानक जितेश का हाथ रीमा के सर तक पंहुच गया, उसने रीमा के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा | रीमा को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है | उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है | रीमा इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी | रीमा ने जितेश का प्रतिरोध किया, लेकिन जितेश की ताकत और मजबूती के आगे उसे जितेश का पूरा लंड गटकना पड़ा | जितेश का का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ रीमा के गले में जाकर अटक गया | जितेश ने नीचे से कमर का झटका मारा और रीमा का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया | लंड उसके गले में फंस गया | रीमा को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था | उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी | रीमा ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी | उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली | उसकी आँखों से पानी बहने लगा | यही तो रीमा चाहती थी | सामन्य से कुछ हटकर कुछ अलग सा, जो उसके अन्दर की वासनाओं को तृप्ति पंहुचाये भले ही उसके जिस्म को कितनी तकलीफ हो | अभी रीमा को खासी आ गयी, आखो के लालिमा बढ़ने लगी, वो अपनी सांसे काबू कर रही थी लेकिन उसकी चाहत थी जितेश एक बार वैसे ही फिर से उसके मुहँ में लंड ठेले |