desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
शाहजी थोड़ी देर सोचने के बाद कहने लगा, “जो मैं करना चाहता हूँ वो शायद शादी के बाद ही हो सके गा, क्यूंकी 2 / 3 दिन मे तेरे घर मे शादी का हंगामा शुरू हो जाएगा इसलिए मौका नही मिले गा. देख जिस दिन घर पर सिर्फ़ तू,नजमा और तेरी माँ हों और कोई नही हो मेरा इशारा तेरे दोनो छोटे भाई और बेहन की तरफ है, तुम फ़ौरन आकर मुझे बताना, मैं उसी वक़्त तेरे घर जा कर तुम दोनो के सामने तेरी माँ
को उठा कर चोदने के लिए कमरे मे ले जाउन्गा और जाते हुए तुम से कहूँगा कि तुम भी जा कर नजमा को चोदो, फिर तुम फ़ौरन नजमा को पकड़ कर प्यार करते हुए अपनी माँ के सामने उसे अपने कमरे मे ले जाना और उसे चोदना. बस एक बार तेरी माँ देख ले कि तू नजमा को
चोद रहा है उसके बाद सब झिझक ख़तम और तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा, समझा या नही.
“ठीक है शाहजी, शादी के बाद ही स्कूल की छुट्टियाँ (हॉलिडे) ख़तम हो जाएगा और स्कूल खुल जाएँगे फिर वो दोनो स्कूल जाने लगें गे और उस दिन मैं और नजमा स्कूल की छूट्टी कर लें गे. यह तो हुआ यह बताओ कि आज की चुदाई कैसी रही और हां तुम ने यह लैला मजनू के
मुहब्बत की क्या कहानी शुरू कर दी थी.”
“अबे साले अभी तू बच्चा है, हमेशा याद रखना औरत को मुहब्बत के जाल मे फँसा कर चोदा जाए तो वो दिल से खुल कर चुदवाती है और मैने यही ड्रामा किया, अब तेरी माँ पूरी तरह मेरे प्यार के जाल मे फँस गयी है अब मैं जो चाहूँगा वो वही करेजी, अगर मैं यह सब नही करता तो वो बाद मे ज़ाहिद, शरीफ और रशीद से चुदवाने के लिए कभी राज़ी नही होती अब वो मेरी बात नही टाले गी, समझा. यार तेरी माँ का
जवाब नही है, जितना खूबसूरत उसका चेहरा है वैसा ही उसका बदन, और उसकी चूत ऊऊफफफ्फ़ इतनी टाइट है जैसे किसी कंवारी
लड़की की होती है.
हम दोनो देर तक मम्मी की ही बात करते रहे फिर मैं शाहजी के यहाँ से निकल कर अपने एक दोस्त के घर चला गया क्यूंकी मैं चाहता था
कि जब पापा, भाई और नजमा आ जाए तो मैं घर जाऊं शायद अभी अकेले मे मम्मी का सामना करने की हिम्मत नही कर रहा था.
मैं 10 बजे घर मे दाखिल हुआ और देखा अभी तक किसी ने खाना नही खाया था क्यूंकी सब खाने के लिए डाइनिंग रूम मे दाखिल हो रहे थे. मैं भी जल्दी से मुँह हाथ धो कर डाइनिंग रूम मे जा कर अपनी कुर्सी पर बैठ गया, अभी तक टेबल पर खाना नही लगा था और वहाँ मम्मी और नजमा नही थी. मैं समझ गया कि नजमा और मम्मी किचेन मे खाना लाने की तैयारी कर रही हैं. चन्द मिनिट के बाद मम्मी और नजमा दोनो खाने की ट्रे ले कर अंदर आई और टेबल पर खाना लगाना शुरू कर दिया और खाना लगा कर अपने अपने चेयर पर जा कर बैठ गई. मैं चोर नज़रों से मम्मी को देख रहा था वो चुप-चाप सर झुकाए अपनी प्लेट मे खाना निकाल रही थी. इस वक़्त उनके चेहरे के तासूरात
बिल्कुल अलग क़िस्म के थे, उनके चेहरे पर, बे-चैनि, घबराहट, शरम, फीका पन का मिला जुला तास-सुर फैला हुआ था साथ ही सॉफ मालूम हो रहा था कि वो रोटी भी रही होंगी. मम्मी की बदली हुई कैफियत सॉफ तौर पर नज़र आ रही थी जिसे सब लोगों ने महसूस करलिया था, क्यूंकी पापा मम्मी से पूछ-ने लगे, “रज़िया क्या बात है तुम्हारी तबीयात तो ठीक है,”
हां मम्मी आप का चेहरा बहुत उतरा हुआ और अजीब सा हो रहा है क्या बात है.” भाईजान ने भी पूछा.
मम्मी अचानक पूछे जाने पर एकदम सटपटा गई और जल्दी से हकलाते हुए कहने लगी, “न्न्न्न्नही म्म्म्मै बिल्कुल ठीक हूँ बस शाम से सर मे दर्द हो रहा था शायद इसीलिए मेरा चेहरा उतरा हुआ नज़र आ रहा हो गा.” फिर जल्दी से सालन का प्याला पापा की तरफ बढ़ा ते हुए कहने लगें, “अरे आप ने तो यह सालन लिया ही नही है.”
“ओह हां अभी लेता हूँ और देखो खाने के बाद तुम अस्प्रिन की दो गोली चाय के साथ ज़रूर लेलो.” मम्मी के जवाब ने पापा और भाई को मुतमनीं कर दिया और वो खाने मे लग गई.
को उठा कर चोदने के लिए कमरे मे ले जाउन्गा और जाते हुए तुम से कहूँगा कि तुम भी जा कर नजमा को चोदो, फिर तुम फ़ौरन नजमा को पकड़ कर प्यार करते हुए अपनी माँ के सामने उसे अपने कमरे मे ले जाना और उसे चोदना. बस एक बार तेरी माँ देख ले कि तू नजमा को
चोद रहा है उसके बाद सब झिझक ख़तम और तेरा रास्ता सॉफ हो जाएगा, समझा या नही.
“ठीक है शाहजी, शादी के बाद ही स्कूल की छुट्टियाँ (हॉलिडे) ख़तम हो जाएगा और स्कूल खुल जाएँगे फिर वो दोनो स्कूल जाने लगें गे और उस दिन मैं और नजमा स्कूल की छूट्टी कर लें गे. यह तो हुआ यह बताओ कि आज की चुदाई कैसी रही और हां तुम ने यह लैला मजनू के
मुहब्बत की क्या कहानी शुरू कर दी थी.”
“अबे साले अभी तू बच्चा है, हमेशा याद रखना औरत को मुहब्बत के जाल मे फँसा कर चोदा जाए तो वो दिल से खुल कर चुदवाती है और मैने यही ड्रामा किया, अब तेरी माँ पूरी तरह मेरे प्यार के जाल मे फँस गयी है अब मैं जो चाहूँगा वो वही करेजी, अगर मैं यह सब नही करता तो वो बाद मे ज़ाहिद, शरीफ और रशीद से चुदवाने के लिए कभी राज़ी नही होती अब वो मेरी बात नही टाले गी, समझा. यार तेरी माँ का
जवाब नही है, जितना खूबसूरत उसका चेहरा है वैसा ही उसका बदन, और उसकी चूत ऊऊफफफ्फ़ इतनी टाइट है जैसे किसी कंवारी
लड़की की होती है.
हम दोनो देर तक मम्मी की ही बात करते रहे फिर मैं शाहजी के यहाँ से निकल कर अपने एक दोस्त के घर चला गया क्यूंकी मैं चाहता था
कि जब पापा, भाई और नजमा आ जाए तो मैं घर जाऊं शायद अभी अकेले मे मम्मी का सामना करने की हिम्मत नही कर रहा था.
मैं 10 बजे घर मे दाखिल हुआ और देखा अभी तक किसी ने खाना नही खाया था क्यूंकी सब खाने के लिए डाइनिंग रूम मे दाखिल हो रहे थे. मैं भी जल्दी से मुँह हाथ धो कर डाइनिंग रूम मे जा कर अपनी कुर्सी पर बैठ गया, अभी तक टेबल पर खाना नही लगा था और वहाँ मम्मी और नजमा नही थी. मैं समझ गया कि नजमा और मम्मी किचेन मे खाना लाने की तैयारी कर रही हैं. चन्द मिनिट के बाद मम्मी और नजमा दोनो खाने की ट्रे ले कर अंदर आई और टेबल पर खाना लगाना शुरू कर दिया और खाना लगा कर अपने अपने चेयर पर जा कर बैठ गई. मैं चोर नज़रों से मम्मी को देख रहा था वो चुप-चाप सर झुकाए अपनी प्लेट मे खाना निकाल रही थी. इस वक़्त उनके चेहरे के तासूरात
बिल्कुल अलग क़िस्म के थे, उनके चेहरे पर, बे-चैनि, घबराहट, शरम, फीका पन का मिला जुला तास-सुर फैला हुआ था साथ ही सॉफ मालूम हो रहा था कि वो रोटी भी रही होंगी. मम्मी की बदली हुई कैफियत सॉफ तौर पर नज़र आ रही थी जिसे सब लोगों ने महसूस करलिया था, क्यूंकी पापा मम्मी से पूछ-ने लगे, “रज़िया क्या बात है तुम्हारी तबीयात तो ठीक है,”
हां मम्मी आप का चेहरा बहुत उतरा हुआ और अजीब सा हो रहा है क्या बात है.” भाईजान ने भी पूछा.
मम्मी अचानक पूछे जाने पर एकदम सटपटा गई और जल्दी से हकलाते हुए कहने लगी, “न्न्न्न्नही म्म्म्मै बिल्कुल ठीक हूँ बस शाम से सर मे दर्द हो रहा था शायद इसीलिए मेरा चेहरा उतरा हुआ नज़र आ रहा हो गा.” फिर जल्दी से सालन का प्याला पापा की तरफ बढ़ा ते हुए कहने लगें, “अरे आप ने तो यह सालन लिया ही नही है.”
“ओह हां अभी लेता हूँ और देखो खाने के बाद तुम अस्प्रिन की दो गोली चाय के साथ ज़रूर लेलो.” मम्मी के जवाब ने पापा और भाई को मुतमनीं कर दिया और वो खाने मे लग गई.