desiaks
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मैंने सूरज से आगे की कहानी बताने को कहा तो,
सूरज बोला- भाभी, उसके बाद अब हम दोनों रोज ही एक दूसरे के समान से खेलते और पढ़ाई कर रहे थे।
फिर रविवार का दिन आया और रागिनी का फोन आया और बोली कि उसका बर्थडे है और मैं तुरन्त ही उसके घर पहुंचूँ।
मेरे खुरापाती दिमाग में ख्याल आया कि रागिनी की चूत फड़क रही है, मैं तुरन्त ही तैयार होकर रागिनी के घर की ओर चल दिया। घर का दरवाजा रागिनी ने ही खोला, रागिनी बहुत ही सेक्सी नजर आ रही थी, जिससे मुझे और मेरी सोच को बल मिला।
उसने बहुत ही छोटी टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था, अगर वो सोफे पर भी बैठ जाये तो उसके सामने बैठे हुए बन्दे को उसका पूरा योनि प्रदेश मुफ्त में ही देखने को मिलेगी। रागिनी ने बहुत ही ज्यादा मेक अप किया हुआ था। मैं अन्दर पहुँचा, देखा कि अन्दर मेरे और रागिनी के अतरिक्त कोई नहीं था,
मैंने रागिनी से कहा- रागिनी अगर तेरे को गांड मरवानी थी तो सीधे बोल देती कि आज घर में कोई नहीं है, तो मैं थोड़ा जल्दी आ जाता।
मेरी बात को इगनोर करते हुये बोली- बता गांडू, मैं कैसे लग रही हूँ?
सूरज - 'इतनी सेक्सी कि मेरा मन कर रहा है कि अभी ही तुझे चोद दूं!'
रागिनी - 'इसीलिये तो मेरे गांडू, तुझे बुलाया है कि आज तेरे साथ मैं अपना बर्थडे मना लूँ!'
कहकर रागिनी मुझे अपने कमरे में ले गई और मुझे बेड पर बैठाते हुए वो अपनी पैन्टी को इस प्रकार उतारने लगी कि मुझे उसके स्कर्ट के अन्दर कुछ भी न दिखे। पैन्टी उतारकर मुझे देती हुई बोली- हमारे पास पूरे दो घंटे है, मुझे आज खूब मजा दो। आज तुम मुझे मसल दो। अच्छे से मेरा बर्थडे मना दो।
जैसे ही उसकी पैन्टी मेरे हाथ में आई तो मुझे गीली लगी। इसका मतलब आज वो सिर्फ मेरे बारे में ही सोच रही थी और जैसे ही उसे पता चला कि आज वो घर में दो-तीन घंट के लिये अकेली रहेगी तो वो मेरे बारे में और सोच सोच कर उत्तेजित हो गई और पैन्टी ही अपने रस को निकाल दिया। मैंने उसकी पैन्टी सूंघी और उसको चाटने लगा। पैन्टी चाटने के बाद मैं घुटने के बल उसके पास बैठ गया और उसके स्कर्ट को ऊपर उठाकर उसकी चूत को भी सूंघने लगा। उसकी चूत की महक बहुत ही अच्छी लग रही थी हालांकि उसकी चूत में झांटें काफी बड़ी हो गई थी। मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को रागिनी को दिखाते हुए उसे चूसने के लिये कहा। रागिनी बिना कोई प्रतिरोध किये मेरे लंड को चूसने बैठ गई। पहली बार रागिनी ने लंड को अपने मुंह में लिया था तो उसके दांत मेरे लंड में गड़ रहे थे लेकिन धीरे-धीरे वो मेरे लंड को सही तरीके से चूसने लगी। अब मुझे लगने लगा कि मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने अपने लंड को रागिनी के मुंह से निकाला और उसकी पैन्टी को लंड पर लगाते हुए मूठ मारने लगा।
आज किसी बात का डर नहीं था सो वो भी बड़े मजे से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी।
दो चार हाथ चलाने के बाद मेरा पूरा वीर्य उसकी पैन्टी में आ गया। रागिनी पैन्टी लेकर बड़े ही प्यार से मेरे माल को चाटने लगी। पैन्टी को चाटने के बाद रागिनी ने मेरे लंड में बचे हुए माल को साफ किया और फिर मुझसे चिपकते हुए
बोली- गांडू, मैंने तेरे को पूरा नंगा देख लिया है अब तू मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा देख!
मैंने तुरन्त ही उसके कपड़े उसके बदन से अलग किए। उसके नंगे जिस्म को देखकर पूरा विश्वास हो गया कि रागिनी अभी कोरी है और आज उसका कोरापन मैं ही खत्म करूंगा।
मैं आकांक्षा अपने देवर सूरज की कहानी में इतना डूब चुकी थी कि उसने मुझे झकझोरा और पूछने लगा- कहाँ खो गई भाभी?
मैं बोली- काश, मैं भी पैन्टी पहनती तो तुमसे अपनी पैन्टी चटवाती।
सूरज हंसने लगा और बोला- वो तो ठीक है, लेकिन आप कहां खो गई थी?
मैं - 'तुम जो कहानी सुना रहे हो, उसमें मैं अपने आपको ही रागिनी समझने लगी।'
सूरज बोला- तो यह बात है और मैं सोच रहा था कि आप पूछोगी कि तुम कैसे जाने कि रागिनी कोरी होगी।
मैंने भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहा- तो बताओ कि तुमने कैसे जाना कि रागिनी कोरी होगी।
सूरज - 'क्योंकि उसके चूचे सख्त थे और चूचुक भी काफी छोटे थे मतलब वो अभी चूसे हुए नहीं थे। और जब मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो उसके मुलायम झांटों के बीच उसकी बुर भी बहुत मुलायम थी। मैंने उसकी चूत सूंघने के बाद उसे घुमाया और उसके गांड के फांकों को फैलाया तो उसकी गांड का छेद क्या लाल लाल था। मेरे होंठ अपने आप ही उसकी गांड को चूमने लगे और रागिनी गहरी गहरी सांसें लेने लगी। गांड चूमने के बाद मैं खड़ा हो गया और रागिनी को अपनी बांहो में भर लिया।
क्या गर्म जिस्म था उसका। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसकी अमरूद जैसी चूची को मुंह में भर लेता और चूसता खास कर उसकी निप्पल को... और उसके जिस्म के हर हिस्से से मैं छेड़खानी कर रहा था। कभी मैं उसके जिस्म से छेड़खानी करता और कभी वो मेरी ही नकल मेरे जिस्म में उतारती। इस तरह बारी-बारी से हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से छेड़खानी कर रहे थे कि मेरी नजर रागिनी के हाथों की तरफ गई तो देखा कि रागिनी अपनी चूत को तेज-तेज खुजली कर रही थी। मैंने उसके हाथ को हटाया और उसकी जांघों के बीच आकर बैठ गया और अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा। क्या गर्म थी साली की चूत... ऐसा लग रहा था कि कोई दहकती हुई भट्टी हो। जब मैं अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा तो,
रागिनी बोल उठी- बस सूरज, ऐसे ही सहलाते रहो, बड़ा अच्छा लग रहा है।
मैंने उसके कहेनुसार अपने लंड को उसकी बुर में सहलाना चालू रखा और जब मुझे विश्वास हो गया कि रागिनी खूब मस्त हो गई है तो मैंने एक झटके में अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया। अचानक हुए इस हमले से वो बिलबिला गई और चिल्लाने लगी। यह तो अच्छा था कि उस वक्त घर में कोई नहीं था। मैंने तुरन्त ही उसके मुंह में हाथ रखा लेकिन रागिनी अपने हाथों पैरों को पटक रही थी और बार-बार मेरी पीठ पर अपने मुक्के जमाये जा रही थी और अपने से अलग करने की कोशिश कर रही थी। मैं उसके मुंह में हाथ रखते हुए उसकी चूची को मुंह में लेकर बारी-बारी चूसने लगा। जब धीरे-धीरे रागिनी ने अपने हाथ पांव को पटकना बंद कर दिया तो मैंने उसके मुंह से हाथ हटाया तो,
छुटते ही बोली- हरामजादे मुझे मार कर ही दम लेगा क्या?
मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसके चूची को मुंह में लेकर जब तक पीता रहा जब तक कि रागिनी के अन्दर फिर से एक बार उत्तेजना बढ़नी शुरू न हो गई। इस बार रागिनी अपनी कमर उठा कर मेरे लंड को पूरा का पूरा अपने अन्दर लेने की कोशिश करने लगी। मैंने लोहे को गर्म देखा तो तुरन्त ही एक चोट और पहुँचा दी लेकिन इस बार रागिनी ने चिल्लाने के साथ साथ अपने नाखूनों को मेरी पीठ में गड़ा दिया। मैं भी इस तरह नाखून को गड़ा देने से बिलबिला उठा लेकिन अपने ऊपर संयम रखते हुए उसके दिये हुए दर्द को बर्दाश्त करने लगा और उसके जिस्म से एक बार फिर जब तक खेलता रहा और रागिनी को दुबारा जोश दिलाने लगा। जोश आने के बाद रागिनी सब कुछ भूल गई और कमर उठा कर एक बार फिर मेरे लंड को अपने अन्दर लेने लगी।
सूरज बोला- भाभी, उसके बाद अब हम दोनों रोज ही एक दूसरे के समान से खेलते और पढ़ाई कर रहे थे।
फिर रविवार का दिन आया और रागिनी का फोन आया और बोली कि उसका बर्थडे है और मैं तुरन्त ही उसके घर पहुंचूँ।
मेरे खुरापाती दिमाग में ख्याल आया कि रागिनी की चूत फड़क रही है, मैं तुरन्त ही तैयार होकर रागिनी के घर की ओर चल दिया। घर का दरवाजा रागिनी ने ही खोला, रागिनी बहुत ही सेक्सी नजर आ रही थी, जिससे मुझे और मेरी सोच को बल मिला।
उसने बहुत ही छोटी टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था, अगर वो सोफे पर भी बैठ जाये तो उसके सामने बैठे हुए बन्दे को उसका पूरा योनि प्रदेश मुफ्त में ही देखने को मिलेगी। रागिनी ने बहुत ही ज्यादा मेक अप किया हुआ था। मैं अन्दर पहुँचा, देखा कि अन्दर मेरे और रागिनी के अतरिक्त कोई नहीं था,
मैंने रागिनी से कहा- रागिनी अगर तेरे को गांड मरवानी थी तो सीधे बोल देती कि आज घर में कोई नहीं है, तो मैं थोड़ा जल्दी आ जाता।
मेरी बात को इगनोर करते हुये बोली- बता गांडू, मैं कैसे लग रही हूँ?
सूरज - 'इतनी सेक्सी कि मेरा मन कर रहा है कि अभी ही तुझे चोद दूं!'
रागिनी - 'इसीलिये तो मेरे गांडू, तुझे बुलाया है कि आज तेरे साथ मैं अपना बर्थडे मना लूँ!'
कहकर रागिनी मुझे अपने कमरे में ले गई और मुझे बेड पर बैठाते हुए वो अपनी पैन्टी को इस प्रकार उतारने लगी कि मुझे उसके स्कर्ट के अन्दर कुछ भी न दिखे। पैन्टी उतारकर मुझे देती हुई बोली- हमारे पास पूरे दो घंटे है, मुझे आज खूब मजा दो। आज तुम मुझे मसल दो। अच्छे से मेरा बर्थडे मना दो।
जैसे ही उसकी पैन्टी मेरे हाथ में आई तो मुझे गीली लगी। इसका मतलब आज वो सिर्फ मेरे बारे में ही सोच रही थी और जैसे ही उसे पता चला कि आज वो घर में दो-तीन घंट के लिये अकेली रहेगी तो वो मेरे बारे में और सोच सोच कर उत्तेजित हो गई और पैन्टी ही अपने रस को निकाल दिया। मैंने उसकी पैन्टी सूंघी और उसको चाटने लगा। पैन्टी चाटने के बाद मैं घुटने के बल उसके पास बैठ गया और उसके स्कर्ट को ऊपर उठाकर उसकी चूत को भी सूंघने लगा। उसकी चूत की महक बहुत ही अच्छी लग रही थी हालांकि उसकी चूत में झांटें काफी बड़ी हो गई थी। मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को रागिनी को दिखाते हुए उसे चूसने के लिये कहा। रागिनी बिना कोई प्रतिरोध किये मेरे लंड को चूसने बैठ गई। पहली बार रागिनी ने लंड को अपने मुंह में लिया था तो उसके दांत मेरे लंड में गड़ रहे थे लेकिन धीरे-धीरे वो मेरे लंड को सही तरीके से चूसने लगी। अब मुझे लगने लगा कि मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने अपने लंड को रागिनी के मुंह से निकाला और उसकी पैन्टी को लंड पर लगाते हुए मूठ मारने लगा।
आज किसी बात का डर नहीं था सो वो भी बड़े मजे से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी।
दो चार हाथ चलाने के बाद मेरा पूरा वीर्य उसकी पैन्टी में आ गया। रागिनी पैन्टी लेकर बड़े ही प्यार से मेरे माल को चाटने लगी। पैन्टी को चाटने के बाद रागिनी ने मेरे लंड में बचे हुए माल को साफ किया और फिर मुझसे चिपकते हुए
बोली- गांडू, मैंने तेरे को पूरा नंगा देख लिया है अब तू मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा देख!
मैंने तुरन्त ही उसके कपड़े उसके बदन से अलग किए। उसके नंगे जिस्म को देखकर पूरा विश्वास हो गया कि रागिनी अभी कोरी है और आज उसका कोरापन मैं ही खत्म करूंगा।
मैं आकांक्षा अपने देवर सूरज की कहानी में इतना डूब चुकी थी कि उसने मुझे झकझोरा और पूछने लगा- कहाँ खो गई भाभी?
मैं बोली- काश, मैं भी पैन्टी पहनती तो तुमसे अपनी पैन्टी चटवाती।
सूरज हंसने लगा और बोला- वो तो ठीक है, लेकिन आप कहां खो गई थी?
मैं - 'तुम जो कहानी सुना रहे हो, उसमें मैं अपने आपको ही रागिनी समझने लगी।'
सूरज बोला- तो यह बात है और मैं सोच रहा था कि आप पूछोगी कि तुम कैसे जाने कि रागिनी कोरी होगी।
मैंने भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहा- तो बताओ कि तुमने कैसे जाना कि रागिनी कोरी होगी।
सूरज - 'क्योंकि उसके चूचे सख्त थे और चूचुक भी काफी छोटे थे मतलब वो अभी चूसे हुए नहीं थे। और जब मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो उसके मुलायम झांटों के बीच उसकी बुर भी बहुत मुलायम थी। मैंने उसकी चूत सूंघने के बाद उसे घुमाया और उसके गांड के फांकों को फैलाया तो उसकी गांड का छेद क्या लाल लाल था। मेरे होंठ अपने आप ही उसकी गांड को चूमने लगे और रागिनी गहरी गहरी सांसें लेने लगी। गांड चूमने के बाद मैं खड़ा हो गया और रागिनी को अपनी बांहो में भर लिया।
क्या गर्म जिस्म था उसका। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसकी अमरूद जैसी चूची को मुंह में भर लेता और चूसता खास कर उसकी निप्पल को... और उसके जिस्म के हर हिस्से से मैं छेड़खानी कर रहा था। कभी मैं उसके जिस्म से छेड़खानी करता और कभी वो मेरी ही नकल मेरे जिस्म में उतारती। इस तरह बारी-बारी से हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से छेड़खानी कर रहे थे कि मेरी नजर रागिनी के हाथों की तरफ गई तो देखा कि रागिनी अपनी चूत को तेज-तेज खुजली कर रही थी। मैंने उसके हाथ को हटाया और उसकी जांघों के बीच आकर बैठ गया और अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा। क्या गर्म थी साली की चूत... ऐसा लग रहा था कि कोई दहकती हुई भट्टी हो। जब मैं अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा तो,
रागिनी बोल उठी- बस सूरज, ऐसे ही सहलाते रहो, बड़ा अच्छा लग रहा है।
मैंने उसके कहेनुसार अपने लंड को उसकी बुर में सहलाना चालू रखा और जब मुझे विश्वास हो गया कि रागिनी खूब मस्त हो गई है तो मैंने एक झटके में अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया। अचानक हुए इस हमले से वो बिलबिला गई और चिल्लाने लगी। यह तो अच्छा था कि उस वक्त घर में कोई नहीं था। मैंने तुरन्त ही उसके मुंह में हाथ रखा लेकिन रागिनी अपने हाथों पैरों को पटक रही थी और बार-बार मेरी पीठ पर अपने मुक्के जमाये जा रही थी और अपने से अलग करने की कोशिश कर रही थी। मैं उसके मुंह में हाथ रखते हुए उसकी चूची को मुंह में लेकर बारी-बारी चूसने लगा। जब धीरे-धीरे रागिनी ने अपने हाथ पांव को पटकना बंद कर दिया तो मैंने उसके मुंह से हाथ हटाया तो,
छुटते ही बोली- हरामजादे मुझे मार कर ही दम लेगा क्या?
मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसके चूची को मुंह में लेकर जब तक पीता रहा जब तक कि रागिनी के अन्दर फिर से एक बार उत्तेजना बढ़नी शुरू न हो गई। इस बार रागिनी अपनी कमर उठा कर मेरे लंड को पूरा का पूरा अपने अन्दर लेने की कोशिश करने लगी। मैंने लोहे को गर्म देखा तो तुरन्त ही एक चोट और पहुँचा दी लेकिन इस बार रागिनी ने चिल्लाने के साथ साथ अपने नाखूनों को मेरी पीठ में गड़ा दिया। मैं भी इस तरह नाखून को गड़ा देने से बिलबिला उठा लेकिन अपने ऊपर संयम रखते हुए उसके दिये हुए दर्द को बर्दाश्त करने लगा और उसके जिस्म से एक बार फिर जब तक खेलता रहा और रागिनी को दुबारा जोश दिलाने लगा। जोश आने के बाद रागिनी सब कुछ भूल गई और कमर उठा कर एक बार फिर मेरे लंड को अपने अन्दर लेने लगी।