desiaks
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अमित बोला- भाभी केवल आप ही हो जो जब चाहे और जहां चाहे मजा दे सकती हो।
दोनों ने एक एक बार फिर हम को चुम्बन दिया और मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।
मैं रितेश के लिये असन्तुष्ट थी, बेचारा... चूत उसे मिल ही नहीं रही है। इसी तरह मेहमान-वाजी में फिर रात के ग्यारह बज गये और सब लोग सोने की तैयारी में थे। मैं और नमिता माताजी के कमरे में आ गई पर काफी देर तक रोहन नहीं आया था। सब गहरी नींद में सो चुके थे लेकिन रोहन? मैं उठी और बाथरूम की तरफ इस उम्मीद से गई थी कि स्नेहा और रोहन बाथरूम के अन्दर ही मजे ले रहे होंगे, पर बाथरूम में कोई नहीं था, बाकी और कमरों में मेहमान थे तो वहाँ सवाल ही नहीं उठता था।
पर यह भी नहीं हो सकता था कि रोहन बिना किसी मतलब के अपनी नींद खराब करे... कल जब उसे मेरे साथ मौका मिला तो उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया था और स्नेहा... वो जब से आई है रोहन के साथ ही मजे लिये। यही सोचते हुए मैं स्टोर रूम की तरफ गई तो अन्दर से हल्की आवाज आ रही थी और इस आवाज ने मेरी सोच को सही कर दिया। स्टोर रूम के अन्दर स्नेहा और रोहन ही थे, दोनों की कामुक आवाज आ रही थी, बस आवाज थोड़ी धीमी थी और जहां तक मेरा अंदाज था कि वो दोनों काफी देर से लगे हैं। मेरे दिमाग में मेरे प्यारे रितेश का ख्याल आया कि उसे भी स्नेहा की चूत का मजा दिलवा दूं। मैंने तुरन्त ही रितेश को स्टोर रूम के पास आने का मैसेज किया।
रितेश तुरन्त ही आ भी गया। मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और एक ऐसी जगह छुप गये जहाँ से रोहन और स्नेहा की नजर हम पर न पड़े। मैंने पूरी बात रितेश को बता दी।
पांच सात मिनट बाद रोहन स्टोर रूम से निकल कर कमरे की तरफ चला गया। मैंने रितेश को बता दिया कि अगर मैं कमरे में न मिली तो रोहन हो सकता है कि यहां आ जाये तो तुम ही अन्दर चले जाओ। मेरी बात मानते हुए रितेश अन्दर चला गया। मैं दो मिनट के लिये बाहर रूक गई और देखने लगी कि रितेश को सामने देखकर उसका क्या रिएक्शन होता है। वो पैन्टी पहन चुकी थी और ब्रा पहन रही थी कि रितेश को सामने देखकर चौंकी। रितेश ने जब पूछा कि वो वहाँ क्या रही है तो उसके पास कोई उत्तर नहीं था। रितेश माहिर खिलाड़ी तो था ही उसने ज्यादा कुछ पूछना मुनासिब नहीं समझा और स्नेहा के और करीब जा कर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी पीठ सहलाने लगा और बिना कुछ बोले दोनों इसी तरह चिपके खड़े रहे लेकिन रितेश का हाथ स्नेहा की पैन्टी के अन्दर भी घुसकर अपना काम कर रहा था।
दोनों को वहाँ छोड़ कर मैं कमरे में चली आई, देखा तो रोहन सीधा लेटा हुआ है, मैं जाकर बगल में लेट गई। मेरे लेटते ही रोहन ने मेरी तरफ करवट ली और अपने एक पैर और एक हाथ को मेरे ऊपर रख दिया। रोहन बहुत ही चोदू किस्म का हो चुका था, अभी-अभी स्नेहा को चोद कर आया और मेरे ऊपर सवारी करने की सोच कर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी।
रोहन बोला- भाभी, दूध पीना है!
कहते हुए वो थोड़ा नीचे सरक गया, मैंने अपने गाउन को खोलकर अपनी चूची को उसके मुंह में डाल दिया, एक निप्पल उसके मुंह में था और दूसरे को वो मसल रहा था और मैं उसके बालों को सहला रही थी। जब उसका मन मेरी चूची पीने से भर गया तो वो थोड़ा और नीचे आया और मेरी नाभि के साथ खेलने लगा और मेरी चूत के अन्दर अपनी उंगली डालकर चूत के साथ खेलने लगा। वो नाभि के अन्दर अपनी जीभ चला रहा था और चूत को उंगली से चोद रहा था, मैं पानी छोड़ चुकी थी। रोहन ने मुझे सीधा किया और फिर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और बहते हुए रस को चाटने लगा फिर मुझे पेट के बल होने के लिये कहा और मेरी गांड को फैलाकर उसको चाटने लगा। काफी देर गांड चाटने के बाद उसने मुझे फिर सीधा किया और अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते से मुझे चोद रहा था। उसकी और मेरी दोनों की ही नजर मां और नमिता पर थी कि कहीं कोई इस खेल को न देख ले। नमिता की तो चिन्ता नहीं थी क्योंकि उसे तो सब पता था पर मां की चिन्ता ज्यादा थी। पर दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे। रोहन अपने जबड़े को भींचे मुझ पर अपनी पूरी ताकत लगा रहा था, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। क्या एडवेंचर था कि सास सो रही थी और उसी के ही बगल में नीचे उसका दूसरा पुत्र अपनी भाभी को चोद रहा था और भाभी चुदवा रही थी। डर मुझे और रोहन दोनों को ही था कि कही सासू मां जाग न जाये।
खैर वो धक्के पे धक्के पेले पड़ा था। फिर वक्त आ गया उसके डिसचार्ज होने का... मैं पहले ही झर चुकी थी, मेरी चूत केवल अपने आप को रोहन के लंड से फ्री होने का इंतजार कर रही थी कि कब रोहन डिसचार्ज हो और कब उसके लंड से मुक्ति मिले। रोहन का शरीर अकड़ने लगा और उसने तुरन्त ही मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और अपने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ना शुरू किया। वो अपने आपको काबू नहीं कर पाया और उसका वीर्य एक झटके में खाली हो गया।
कुछ बूंद मेरी मुंह के अन्दर गिरी तो कुछ बाहर निकल कर गालों से होती हुई नीचे गिरने लगी। जब वो पूरी तरह से डिसचार्ज हो गया और उसका लंड ढीला पड़ गया तो रोहन मेरे सीने से नीचे उतर कर मेरी बगल में लेट गया और रोहन ने मेरी चूत मेरी गाउन से साफ कर दी और मुझसे चिपक कर सो गया।
दोनों ने एक एक बार फिर हम को चुम्बन दिया और मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।
मैं रितेश के लिये असन्तुष्ट थी, बेचारा... चूत उसे मिल ही नहीं रही है। इसी तरह मेहमान-वाजी में फिर रात के ग्यारह बज गये और सब लोग सोने की तैयारी में थे। मैं और नमिता माताजी के कमरे में आ गई पर काफी देर तक रोहन नहीं आया था। सब गहरी नींद में सो चुके थे लेकिन रोहन? मैं उठी और बाथरूम की तरफ इस उम्मीद से गई थी कि स्नेहा और रोहन बाथरूम के अन्दर ही मजे ले रहे होंगे, पर बाथरूम में कोई नहीं था, बाकी और कमरों में मेहमान थे तो वहाँ सवाल ही नहीं उठता था।
पर यह भी नहीं हो सकता था कि रोहन बिना किसी मतलब के अपनी नींद खराब करे... कल जब उसे मेरे साथ मौका मिला तो उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया था और स्नेहा... वो जब से आई है रोहन के साथ ही मजे लिये। यही सोचते हुए मैं स्टोर रूम की तरफ गई तो अन्दर से हल्की आवाज आ रही थी और इस आवाज ने मेरी सोच को सही कर दिया। स्टोर रूम के अन्दर स्नेहा और रोहन ही थे, दोनों की कामुक आवाज आ रही थी, बस आवाज थोड़ी धीमी थी और जहां तक मेरा अंदाज था कि वो दोनों काफी देर से लगे हैं। मेरे दिमाग में मेरे प्यारे रितेश का ख्याल आया कि उसे भी स्नेहा की चूत का मजा दिलवा दूं। मैंने तुरन्त ही रितेश को स्टोर रूम के पास आने का मैसेज किया।
रितेश तुरन्त ही आ भी गया। मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और एक ऐसी जगह छुप गये जहाँ से रोहन और स्नेहा की नजर हम पर न पड़े। मैंने पूरी बात रितेश को बता दी।
पांच सात मिनट बाद रोहन स्टोर रूम से निकल कर कमरे की तरफ चला गया। मैंने रितेश को बता दिया कि अगर मैं कमरे में न मिली तो रोहन हो सकता है कि यहां आ जाये तो तुम ही अन्दर चले जाओ। मेरी बात मानते हुए रितेश अन्दर चला गया। मैं दो मिनट के लिये बाहर रूक गई और देखने लगी कि रितेश को सामने देखकर उसका क्या रिएक्शन होता है। वो पैन्टी पहन चुकी थी और ब्रा पहन रही थी कि रितेश को सामने देखकर चौंकी। रितेश ने जब पूछा कि वो वहाँ क्या रही है तो उसके पास कोई उत्तर नहीं था। रितेश माहिर खिलाड़ी तो था ही उसने ज्यादा कुछ पूछना मुनासिब नहीं समझा और स्नेहा के और करीब जा कर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी पीठ सहलाने लगा और बिना कुछ बोले दोनों इसी तरह चिपके खड़े रहे लेकिन रितेश का हाथ स्नेहा की पैन्टी के अन्दर भी घुसकर अपना काम कर रहा था।
दोनों को वहाँ छोड़ कर मैं कमरे में चली आई, देखा तो रोहन सीधा लेटा हुआ है, मैं जाकर बगल में लेट गई। मेरे लेटते ही रोहन ने मेरी तरफ करवट ली और अपने एक पैर और एक हाथ को मेरे ऊपर रख दिया। रोहन बहुत ही चोदू किस्म का हो चुका था, अभी-अभी स्नेहा को चोद कर आया और मेरे ऊपर सवारी करने की सोच कर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी।
रोहन बोला- भाभी, दूध पीना है!
कहते हुए वो थोड़ा नीचे सरक गया, मैंने अपने गाउन को खोलकर अपनी चूची को उसके मुंह में डाल दिया, एक निप्पल उसके मुंह में था और दूसरे को वो मसल रहा था और मैं उसके बालों को सहला रही थी। जब उसका मन मेरी चूची पीने से भर गया तो वो थोड़ा और नीचे आया और मेरी नाभि के साथ खेलने लगा और मेरी चूत के अन्दर अपनी उंगली डालकर चूत के साथ खेलने लगा। वो नाभि के अन्दर अपनी जीभ चला रहा था और चूत को उंगली से चोद रहा था, मैं पानी छोड़ चुकी थी। रोहन ने मुझे सीधा किया और फिर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और बहते हुए रस को चाटने लगा फिर मुझे पेट के बल होने के लिये कहा और मेरी गांड को फैलाकर उसको चाटने लगा। काफी देर गांड चाटने के बाद उसने मुझे फिर सीधा किया और अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते से मुझे चोद रहा था। उसकी और मेरी दोनों की ही नजर मां और नमिता पर थी कि कहीं कोई इस खेल को न देख ले। नमिता की तो चिन्ता नहीं थी क्योंकि उसे तो सब पता था पर मां की चिन्ता ज्यादा थी। पर दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे। रोहन अपने जबड़े को भींचे मुझ पर अपनी पूरी ताकत लगा रहा था, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। क्या एडवेंचर था कि सास सो रही थी और उसी के ही बगल में नीचे उसका दूसरा पुत्र अपनी भाभी को चोद रहा था और भाभी चुदवा रही थी। डर मुझे और रोहन दोनों को ही था कि कही सासू मां जाग न जाये।
खैर वो धक्के पे धक्के पेले पड़ा था। फिर वक्त आ गया उसके डिसचार्ज होने का... मैं पहले ही झर चुकी थी, मेरी चूत केवल अपने आप को रोहन के लंड से फ्री होने का इंतजार कर रही थी कि कब रोहन डिसचार्ज हो और कब उसके लंड से मुक्ति मिले। रोहन का शरीर अकड़ने लगा और उसने तुरन्त ही मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और अपने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ना शुरू किया। वो अपने आपको काबू नहीं कर पाया और उसका वीर्य एक झटके में खाली हो गया।
कुछ बूंद मेरी मुंह के अन्दर गिरी तो कुछ बाहर निकल कर गालों से होती हुई नीचे गिरने लगी। जब वो पूरी तरह से डिसचार्ज हो गया और उसका लंड ढीला पड़ गया तो रोहन मेरे सीने से नीचे उतर कर मेरी बगल में लेट गया और रोहन ने मेरी चूत मेरी गाउन से साफ कर दी और मुझसे चिपक कर सो गया।