bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी - Page 7 - SexBaba
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bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी

बीना ने प्यार से मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली: बस एक बार विराट तुम्हे पसंद कर ले फिर तो जल्द ही तुम दोनो की शादी करवा दूँगी. 

शादी की बात सुनते ही रागिनी के गाल लाल सुर्ख हो गये और होंठों पर एक हल्की से शर्मीली हँसी आ गई.

बीना ने मेन दरवाज़े पर लगी चैन से नॉक किया और बाहर लगे इंटरकम का रिसेवर उठा कर अपने कान से लगाते हुए कहा "मिस्टर. विराट डॉक्टर. बीना ईज़ हियर, आपसे आज सुबह ही बात हुई थी". बीना ने "ओके" कह कर रिसेवर रख दिया. रागिनी यह सब देख कर बहुत ज़्यादा हैरान थी. इतनी संपन्नता की उसने कभी उम्मीद ही नहीं की थी. वो डॉक्टर. बीना का मन ही मन शुक्रिया अदा कर रही थी जिसने उसके लिए इतना बड़ा घर चुना. थोड़ी देर के बाद बिहारी (विराट ) ने दरवाज़ा खोला. 

विराट: आइए डॉक्टर. बीना, मैं तो भूल ही गया था कि आप आने वाली हैं. 

बीना ने ध्यान से बिहारी की तरफ देखा. सामने खड़े इंसान को देख कर तो एक बार बीना भी हैरान हो गई. सामने बिहारी बिल्कुल क्लीन शेव मे एक बहुत ही बढ़िया पॅंट कोट मे खड़ा था. उसके ब्लॅक लेदर जूते भी एक दम चम चमा रहे थे. बिहारी के सफेद पड़ रहे बाल भी एक दम काले नज़र आ रहे थे और उसके बाल भी पहले के मुक़ाबले काफ़ी छोटे छोटे लग रहे थे (बीना समझ गई कि बिहारी ने अपनी एक बिज़्नेस मॅन इमेज बनाने के लिए बाल कटवा दिए हैं). सबसे बड़ी बात उसने आज पहली बार बिहारी के बालों को एक बहुत ही अच्छे तरीके से कोंब किए हुए देखा. एक बार तो बीना भी उसे पहचान नहीं पाई. रागिनी तो बिहारी को पहली नज़र मे देख कर ही खुश हो गई. इस ड्रेस अप मैं बिहारी कोई 29- 30 साल का गबरू जवान लग रहा था. बदन तो उसका पहले से ही घातीला था तो आज सूट बूट मे उसका यह रूप तो वाकई रागिनी जैसी लड़की को इंप्रेस करने के लिए काफ़ी था.

विराट: अंदर आइए ना डॉक्टर. बीना. 

बीना: हां हां, इनसे मिलिए, यह हैं मिस रागिनी, मेरे क्लिनिक मे सबसे होनहार नर्स. 

बिहारी ने रागिनी की तरफ देखा और फिर उसे हेलो बोला. रागिनी ने भी हाथ जोड़ कर उन्हे नमस्कार कहा. 

सब लोग हाल मे रखे सोफा चेयर्स पर बैठ गये. रागिनी और बीना एक डबल सोफा पर बैठे और बिहारी उनके ठीक बिल्कुल सामने एक सोफे पर टाँग पर टाँग चढ़ा कर आराम से बैठ गया. बिहारी की हरकतें बीना को भी अचम्बित कर रही थी. 

बिहारी: क्या लेंगी आप डॉक्टर. बीना, कुछ ठंडा या गरम.

बीना: अरे तकलीफ़ की कोई बात नहीं है 

बिहारी ; आप बताइए तो सही. 

बीना ने रागिनी की तरफ देखा और पूछा कॉफी चलेगी. रागिनी ने हां मैं सिर हिलाया. रागिनी को शरमाता देख बिहारी के लंड ने बवाल मचा दिया था. उसका लंड पॅंट फाड़ने को बेकरार था. बिहारी ने ज़िंदगी मे आज पहली बार पॅंट पहनी थी. हालाँकि यह ड्रेस उसपर काफ़ी जच रही थी मगर वो इसमे काफ़ी अनकंफर्टबल था. 

बीना(बिहारी की तरफ देखते हुए): आप बैठिए मैं कॉफी बना कर लाती हूँ. 

रागिनी ने बीना का हाथ पकड़ लिया और बोली कि आप लोग बैठ कर बातें कीजिए, मैं बना लाती हूँ. 

बिहारी: चलिए हम आपको किचन के समान के बारे मे बताते हैं. रागिनी अकेले मे विराट से बात करने मे शरमा रही थी मगर इस बार तो वो फँस ही गई थी. 

रागिनी: जी.

बिहारी अपनी सीट से उठा और किचन की ओर जाने लगा तो बीना की नज़र उसकी पॅंट में फूले हुए लंड पर पड़ी तो अनायास ही उसके मूह से निकला "कमीना". वैसे भी बंदर को जितने मर्ज़ी ज़ेवरो से लाद दो वो गुलाटी मारना नहीं छोड़ता ठीक उसी तरह बिहारी चाहे जितना मर्ज़ी सभ्य दिखने की कोशिश करे लेकिन उसका लंड उसकी औकात बता ही देता है. 

बीना: विराट जी, रागिनी को किचन दिखा कर आप मेरे पास आईएगा, कुछ ज़रूरी बात करनी है. 

बिहारी: जी डॉक्टर. बीना (मन मे तो उसके आया था "कुतिया तू मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी"). 

बिहारी ने रागिनी को किचन के बाहर छोड़ा और बीना का पास आ गया. 

बिहारी: बोल कुतिया क्या काम है. 

बीना: कुत्ते की तरह उसके आगे पीछे मत भाग, कच्ची कली है डर जाएगी. 

बिहारी की आँखें यह सुनते ही चमक उठी. 

बिहारी: तेरे मूह मे घी शक्कर, अगर यह सच मुच कच्ची कली निकली तो. 

बीना: घी शक्कर कॉन माँगता है ज़ालिम बस जल्दी से अपना लोड्‍ा दे दे मेरे मूह मे. बिहारी ने पॅंट की ज़िप खोली और अपना फनफनाता लोड्‍ा बाहर निकाल दिया. 

बीना: साले तूने कच्चा नहीं पहना क्या??? 

बिहारी: पहले कभी पहना है क्या जो आज पहनूगा. 

बीना: लगता है चिड़िया ने दाना चुगना शुरू कर दिया है और यह कहते ही उसने बिहारी का लंड गॅप से मूह मे ले लिया. 

बिहारी: उसे देख कर लगता तो मुझे भी यही है कि मुझे रईस आदमी समझ कर मेरी बीवी बनने को यह चिड़िया तैयार है. माल तो तूने बहुत तगड़ा चुना है. इतनी छोटी उम्र मे ही जवानी इस पर भी आशना की तरह टूट कर आई है. बीना ने अपने मूह से उसके लंड को निकाला और उसे चूम कर बोली तुझे साले आजकल आशना का भूत सवार हो गया है. 

बिहारी ने बीना के सिर पर हाथ रखकर अपना लंड उसके मूह मे डालने की कोशिस की तो बीना ने मना कर दिया और बोली: आशना से ही करवाना यह सब. 

बिहारी ने लंड पॅंट मे डालकर ज़िप बंद की और अपनी जगह पर बैठ गया. 

बिहारी: तू साली आशना से इतना जलती क्यूँ है. 

बीना: जलन तो होगी ना, जिस लोड्‍े को सबसे पहली बार मैने सुख दिया उसे अपनी चूत मे वो रांड़ लेगी. 

बिहारी: तो तेरा भी तो नंबर. लगेगा. 

बीना: यही सोच कर तो मन को मार के बैठी हूँ. 

बिहारी: अच्छा उसे छोड़ लेकिन यह बता कि तू इसे यह कॉन सी ड्रेस मे लाई है. इतनी कूल है यह कि इसके बदन के कटाव दिख ही नहीं रहे. 

बीना: तीखी मिर्ची है साले यह. इसके जिस्म के कटाव देखेगा तो वहीं पर तेरे लंड से धार निकल जाएगी. तेरा बस चले तो तू इसे कपड़े पहनने ही ना दे. 

बिहारी: एक बार यह मेरे बिस्तर तक पहुँच जाए फिर देख इसके सारे कपड़े ही जला दूँगा. 

बीना: लड़की प्यार मे धोखा खाई हुई है लेकिन है एकदम कोरी और सबसे बड़ी बात इसे अपने जिस्म के कहर का पता है इस लिए हमेशा काफ़ी ढीले कपड़े पहनती है ताकि लोगों की गंदी नज़र से बच सके. 

बिहारी: लेकिन कुछ तो ढंग का पहनाकर लाती इसे, इसके बदन को याद करके मूठ ही मारता आज रात. 

बीना: मूठ मारे तेरा दुश्मन. 

मैं किस मर्ज़ की दवा हूँ. आती हूँ ना आज रात को तू चिंता क्यूँ करता है? 

बिहारी: साली मेरी चिंता कर रही है या अपनी चूत के लिए जुगाड़?

बीना: कुछ भी समझ ले. 

तभी उन्हे ट्रे के खनकने की आवाज़ आती है. 

बीना: चिड़िया आने वाली है, अब चुप चाप बैठ जा और जो कुछ सिखाया था शुरू कर दे.

थोड़ी देर बाद रागिनी एक ट्रे मे तीन कप कॉफी और कुछ स्नॅक्स लेकर आ गई. उसने एक कप बीना को और एक कप बिहारी को दिया. दोनो को स्नॅक्स सर्व किए और अपना कप लेने के बाद वो बीना के साथ ही बैठ गई. 

बिहारी: वाह कॉफी तो बहुत अच्छी बनी है. 

बीना ने भी सिर हिलाकर हां मे हामी भारी. रागिनी अपनी तारीफ से मुस्कुरा दी. 

बीना: मिस्टर. विराट, बताइए अब अपने क्या सोचा है. 

बिहारी फिर से टाँग पर टाँग चढ़ाकर ऐसे बैठ गया जैसे कि वो किसी रियासत का राजकुमार हो और रागिनी को उसके सामने बेचने के लिए परोसा गया हो. 
 
बिहारी: देखिए डॉक्टर. बीना ऐसा है कि हमारा बिज़्नेस इतना बड़ा है कि हमे किसी नौकरी पेशा लड़की की ज़रूरत नहीं है और रही बात क्वालिफिकेशन की तो वो भी कोई मायने नहीं रखती मेरे लिए. मेरे लिए सबसे ज़रूरी है कि जो भी लड़की मुझ से शादी करके इस घर मे आए वो मेरा ख़याल रखे और मुझे कभी किसी शिकायत का मोका ना दे. रागिनी विराट के ख़यालो से काफ़ी प्रभावित हुई. 

बीना: रागिनी एक बहुत ही अच्छी और सुलझी हुई लड़की है. हॉस्पिटल के सारे पेशेंट्स का यह ख़याल बड़ी बखूबी रखती है, मुझे पूरा यकीन है कि आपको कभी किसी शिकायत का मोका नहीं मिलेगा.

रागिनी शरम से सिर झुकाए उनकी बातें सुने जा रही थी. 

बिहारी: एक बात और, शादी के बाद जब हम लोग कहीं बाहर जाए या कोई पार्टी अटेंड करे तो मैं चाहता हूँ कि यह हाइ स्टेटस के कपड़े पहने, मुझे ऐसे कपड़े बिल्कुल पसंद नहीं जो आपके शरीर को पूरी तरह ढक दें. 

बीना: बिहारी की चालाकी को एकदम ताड़ गई. 

बीना: आप बिल्कुल भी चिंता मत करें, आपको कभी किसी शिकायत का मोका नही देगी यह. इतना कह कर बीना ने रागिनी की तरफ देखा और पूछा: मैं ठीक कह रही हूँ ना बेटी. 

रागिनी की तो जैसे साँस ही रुक गई यह सुनकर. उसने शरमाकर जवाब दिया: जी. 

बीना: अरे भाई तुम भी तो कुछ बोलो कब से मैं ही बोले जा रही हूँ. रागिनी की धड़कने एक दम तेज़ चलने लगी. रागिनी ने बड़ी हिम्मत जुटाकर अपना चेहरा बिहारी की तरफ किया और नज़र झुका कर बोली: आप जो चाहेंगे मैं वोही करूँगी. 

बिहारी: तो ठीक है डॉक्टर. बीना, आप जल्दी से कोई अच्छा सा मुहूरत देख लीजिए मे बारात लेकर......... इस से पहले कि बिहारी अपनी बात पूरी करता उसने चौंक कर बीना से पूछा: लेकिन आपने इसे मेरे भाई वीरेंदर के बारे मे तो बता ही दिया है ना. 

बीना: जी वो.....वो मैं.....

बिहारी: नहीं बीना जी, जब तक हम रागिनी को सारा सच ना बता दें, मैं यह शादी नहीं कर सकता, मैं नहीं चाहता कि हमारी शादी किसी झूठ की बुनियाद पर हो. 

बीना: जी वो मैं बताने ही वाली थी, मेरी कल रात ही इस से बात हुई है. सब कुछ बता चुकी हूँ मगर..... 

बिहारी: कोई बात नहीं बीना जी, मैं आपकी मदद किए देता हू. 

बिहारी ने रागिनी की तरफ देखा और बोला: देखो रागिनी बात ऐसा है कि वीरेंदर मेरा सौतेला भाई है (रागिनी ने हां मे सिर हिला कर जताया कि उसे पता है), और वो नहीं चाहता कि मैं शादी करूँ क्यूंकी इस से उसे मुझे प्रॉपर्टी का 50% देना पड़ेगा. 

बीना: लेकिन आपने तो मुझे यही बताया था कि वीरेंदर ने आपके सामने शर्त रखी है कि आपकी शादी होने के बाद वो आपको 50% प्रॉपर्टी दे देगा. 

बिहारी: बीना जी, आप ही बताइए कि अपने घर की बात सड़क तक पहुँच जाए तो किसे अच्छा लगता है. दरअसल बात यह है कि वीरेंदर ने पहले भी मेरी शादी मे काफ़ी रुकावटें डाली. खुद तो शादी की नहीं मुझे भी शादी नहीं करने दी. हर बार कोई ना कोई पचड़ा खड़ा कर देता है. यह तो गनीमत है कि आज वो घर पर नहीं है नहीं तो अब तक वो आपको भी रवाना कर चुका होता. 

बीना:माइ गॉड. 

बिहारी: देखिए बीना जी, मैं रागिन से शादी तो कर लेता हूँ लेकिन एक बात का ध्यान रखना होगा कि वीरेंदर को तीन महीने तक इस बात का पता ना लगे, उसके बाद तो क़ानून भी हमे जुदा नहीं कर सकेगा. 

बीना: तो तीन महीने रागिनी कहाँ रहेगी. 

बिहारी: कहीं और क्यूँ रहेगी??? मेरी बीवी मेरे ही घर मे रहेगी मगर तीन महीने इसे घर के पीछे बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे रहना होगा और जब तक वीरेंदर घर मे हो इसे वहाँ से बाहर नहीं निकलना होगा. 

बीना: यह आप क्या कह ......बीना अपना सेंटेन्स पूरा करती इस बीच रागिनी बोल पड़ी:मुझे मंज़ूर है. 

बिहारी और बीना दोनो हैरानी से रागिनी को देखते रहे. 

थोड़ी देर के लिए हॉल मे खामोशी छाई रही फिर बीना ही बोली: तो ठीक है कल ही आप चोरी चुपके कोर्ट मॅरेज कर लीजिए. 

बिहारी और रागिनी दोनो एक साथ बोले:कल !!!!!!. 

रागिनी इस लिए बोली क्यूंकी उसे लगा कि काफ़ी जल्दी है और बिहारी इस लिए बोला कि उसने तो सोचा था कि आज ही इस काली को मसलेगा. 

बीना(रागिनी की तरफ देखते हुए): हां कल, वीरेंदर के आने से पहले आपकी शादी हो जानी चाहिए. 

रागिनी को असमंजस मे देखते हुए बीना बोली, डॉन'ट वरी सब तैयारियाँ हो जाएँगी. 

बिहारी: डॉक्टर., रागिनी को आप बस हमे दो कपड़ों मे सौंप दीजिए (बाकी के वैसे भी इसे पहनने नहीं दूँगा). रागिनी जैसी लड़की को पत्नी के रूप मे पाकर मैं अपने आप को बहुत खुशनसीब समझूंगा. 

रागिनी बिहारी की इस बात से एक दम शरमा गई. 

बीना: अच्छा तो अब हम चलते हैं कल सुबह कोर्ट मे ही मिलेंगे ठीक 10: 00 बजे. 

बिहारी उन्हे बाहर गेट तक छोड़ने आया. बीना बिहारी की आक्टिंग की दाद मन ही मन दे रही थी. जैसे ही बीना ने गाड़ी आगे बड़ाई तो बिहारी ने झट से गेट बंद किया और तेज़ी से घर के अंदर आकर अपने कपड़े उतार फेंके. 

बिहारी: साले यह कपड़े लोग कैसे पहनते हैं. बिहारी ने देखा 8:00 बजने वाले थे उसने फॉरन अपने कमरे मे जाकर अपना पाजामा कुर्ता पहना और अपने लिए खाना गर्म करने लगा. खाने से पहले उसनो दो पेग लगाए और फिर खाना खाकर आराम करने लगा. रागिनी का चेहरा बार बार उसकी आँखों के आगे घूम रहा था. उसका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था. 
 
बिहारी(अपने लंड पर हाथ फेरते हुए): बस आज की रात उस बीना की चूत मे जाना है, कल से तेरे लिए नयी चूत का इंतज़ाम हो जाएगा. बिहारी ने देखा कि 10:00 बजने को आए मगर बीना अभी तक नही पहुँची. बिहारी ने अपना मोबाइल निकाला और उसे ऑन करके बीना का नंबर. डाइयल कर दिया. बीना ने फोन उठाया. 

बिहारी: साली क्यूँ नखरे कर रही है, अब आ भी जा. 

बीना: साले तेरी ही दुल्हन के साथ बिज़ी हूँ. अभी अभी हॉस्पिटल पहुँची हूँ उसे ब्यूटी पार्लर छोड़कर. अब फिर उसे लेने जाना है. 

बिहारी(खुस होते हुए): देख एकदम चिकनी होनी चाहिए, एक भी बाल उसके गले से नीचे नहीं होना चाहिए. 

बीना: तू चिंता ना कर, एक दम झक्कास माल बनाकर लाउन्गी उसे. उसे देखते ही तेरा पानी नहीं निकला तो मेरा नाम बदल देना. 


बिहारी: वो तो कल देख कर ही पता लगेगा. अच्छा तू बता कब तक आएगी?? 

बीना: शायद ही आ पाऊ, तेरी चिड़िया मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रही. एक काम कर, तू भी सो जा और अपने लोड्‍े को भी सुला दे, कल एक कच्ची कली को मसल्ने के लिए दोनो का आराम करना बहुत ज़रूरी है. 

बिहारी: चल ठीक है, लेकिन समझ ले कि चिड़िया एक दम मस्त लगनी चाहिए और उसे समझा देना कि बिस्तर पर ज़्यादा ना-नुकर ना करे.

बीना: सब समझा दूँगी रज्जा, कल तुझे लगेगा कि तू मुझे ही चोद रहा है बस सील पॅक चूत के साथ. 

बिहारी: अगर ऐसा हुआ तो मैं तुझे वीरेंदर का लोड्‍ा लेने की इजाज़त दे दूँगा और वो भी बिना किसी शर्त के. 

बीना: सच!! लेकिन अगर तू बदल गया और फिर से आशना को वीरेंदर से पहले चोदने की शर्त रखी तो?? 

बिहारी: साली कल कोर्ट से एक स्टंप पेपर ले लेना, रागिनी की चूत के खून से अपना वादा लिख दूँगा. 

बीना: मुझे तुझ पर यकीन है मेरे रज्जा तू बस कल की तैयारी कर और अब थोड़ा आराम कर ले. 

बिहारी: चल तू भी मेरी दुल्हन को सफाचट करके रख मैं भी अपने लोड्‍े का मुंडन कर लेता हूँ. 

बीना: आज तो बड़ा याद आ रहा है लोड्‍े के बाल साफ करने का, मेरे लिए तो कभी किए ही नहीं. 

बिहारी: तेरे लिए इतने दमदार लोड्‍े का अरेंज्मेंट किया है, खुद ही साफ कर लेना उसे अपने लिए. 

बीना: उसके लोड्‍े को तो अब मैं छोड़ूँगी ही नहीं, अच्छा चल बाइ और लोड्‍े पर रेज़र मत चलाना, हेयर रिमूवर क्रीम लगा लेना. 

फोन रखकर बिहारी अपने लोड्‍े को साफ करने चला गया. 

जब तक बिहारी अपने बाल साफ करता है, आइए हम चलते हैं ब्यूटी पार्लर की तरफ जहाँ बीना ने रागिनी को छोड़ा है. रागिनी को अंदर गये करीब 4:00 घंटे हो चुके हैं और बीना को भी हॉस्पिटल से आए 15 मिनिट से उपर हो चुके हैं. जैसे ही रागिनी बाहर आई, बीना उसे देख कर एक दंग रह गई. कहाँ वो साधारण सा मेकप करने वाली लड़की और कहाँ यह हाइ क्लास मॉडेल सी लगने वाली लड़की. रागिनी, बीना को इस तरह देख कर शरमा दी. 

बीना: शरमाने से काम नहीं चलेगा रागिनी, आज से मैं तुम्हारी दोस्त हूँ. तुम बिना झीजक और बिना किसी शरम के मुझे कुछ भी पूछ सकती हो या कुछ भी शेयर कर सकती हो. रागिनी का गोरा रंग और सॉफ हो गया था. उसका कंप्लीट बॉडी प्रोफाइल कर दिया गया था. गले से नीचे किसी भी हिस्से मे बाल नहीं बचे थे. रागिनी को यह सिल्की एहसास बहुत ही रोमांचित कर रहा था. दोनो गाड़ी मे बैठकर डॉक्टर. बीना के क्वॉर्टर्स मे आ गये जो कि हॉस्पिटल के पास ही था. 

बीना: रागिनी तुम थोड़ी देर आराम कर लो, कल सुबह जल्दी उठना है. सुबह 6:00 बजे मेहंदी लगवाने और तैयार होने फिर से जाना है उसी ब्यूटी पार्लर मे. रागिनी की आँखों से आँसू छलक पड़े. बीना ने उसकी आँखों मैं आँसू देखे तो उसे गले से लगा लिया और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा " रो मत मेरी बच्ची, आज से मैं ही तेरी माँ, तेरा पिता और तेरी दोस्त हूँ". बाकी सब भूल जा और एक नई ज़िंदगी की शुरुआत कर. रागिनी घुट घुट कर रो रही थी तो बीना ने उसे छेड़ते हुए कहा "थोड़े आँसू बचा कर रख अपनी सुहागरात के लिए, वहाँ काम आएँगे". इतना सुनते ही रागिनी के आँसू तो थम गये मगर उसके गाल लाल सुर्ख हो गये. 
 
बीना: देख ज़्यादा रोना नही और विराट का पूरा साथ देना. रागिनी शरम से दोहरी होती जा रही थी. 

बीना: अरे अब शरमाना छोड़ कल दोपहर बाद तू भी बेशर्मो की गिनती मे आ जाएगी. बस एक बार विराट बाबू खुश हो जाएँ फिर देख तू अपनी किस्मत पर कितना खुश होगी. 

रागिनी: मैं उन्हें दुनिया का हर सुख दूँगी. 

बीना: देख रागिनी, मेरा तजुर्बा कहता है कि मर्द की हर बात मानो तो अपने आप ही आपका गुलाम बन जाएगा इस लिए तू विराट बाबू की किसी भी बात को टालना मत और हो सके तो जितनी बेशर्मी दिखा सके तो दिखा देना आख़िर वो भी तो इतने सालों से तड़प रहे होंगे औरत के बदन के लिए. 

रागिनी: लेकिन मैने सुना है कि पहली बार मे काफ़ी तकलीफ़ होती है तो मैं कैसे बर्दाश्त....... और इतना कहते ही वो चुप हो गई. 

बीना: अरे दर्द तो होगा ही ना जब इतना बड़ा अंदर जाएगा तो. बीना ने इतना कहा ही था के रागिनी ने अपने हाथ अपने चेहरे पर रख लिए. 

बीना: तू सोच रही होगी ना कि मैं कितनी गंदी हूँ लेकिन देख लेना कल के बाद तू भी ऐसे ही बोलेगी और तब तुझे लगेगा कि यह सब तो नॅचुरल सी बातें हैं. मुझसे शरमा मत और मुझे अपनी सहेली समझ, देख मर्द का लिंग जब पहली बार अंदर जाता है ना तो काफ़ी दर्द होता है पर औरत का फ़र्ज़ है कि उस दर्द को पी जाए और फिर उसके बाद तो जन्नत ही जन्नत है. वैसे भी विराट बाबू काफ़ी सेहतमंद इंसान हैं, तुझे तो बिस्तर मे काफ़ी खुश रखेंगे. बीना के मूह से ऐसी बातें बार सुनने से रागिनी की शर्म जाती रही और धीरे धीरे वो फिर से नॉर्मल हो गई. 

रागिनी: डॉक्टर., क्या मैं आपको दीदी बुला सकती हूँ आज से. 

बीना: हां, हां क्यूँ नही. 

रागिनी: दीदी, मुझे तो कुछ भी नहीं पता कि कब, कैसे, क्या करना है तो फिर अगर विराट जी नाराज़ हो गये या उन्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं क्या करूँगी??

बीना ने प्यार से उसके चेहरे पर हाथ फेरा और बोली: देख............. और फिर उसे वो सारे काम समझा दिए जो कि एक मर्द को बिस्तर तक खींच लाते हैं. रागिनी बड़ी हैरानी और शरम के भाव लिए उसकी हर एक बात को अपने दिमाग़ मे बिठा रही थी. 

सब समझाने के बाद बीना बोली, बस इतना काफ़ी है मुझे बिल्कुल बेशरम बना के ही छोड़ेगी यह लड़की, बाकी सब तो तुझे विराट बाबू सीखा ही देंगे.



रागिनी: दीदी बाकी सब तो ठीक है लेकिन मूह मे लेने वाली बात मुझे बड़ी गंदी लगी. 

बीना: अरे मर्द पर काबू पाना है तो उसके लिंग को मूह मे काबू करना बहुत ज़रूरी है. विराट बाबू खानदानी रईस हैं तो यह शौक तो वो ज़रूर ही रखते होंगे, इसलिए मेरी बात मान और यह सोच कर चल कि बिसतर पर कुछ गंदा नहीं होता. तूने बस एक बात दिल मे बाँध कर जाना है कि 3 महीने तक विराट बाबू का पीछे नहीं छोड़ना, जब भी मोका मिले टाँगे खोल कर लेट जाना ताकि 3 महीनो मे वो तेरे इतने गुलाम हो जाएँ कि जब 3 महीने के बाद जब विराट वीरेंदर को तेरे बारे मे बताएँ तो वो किसी भी कीमत पर तेरा ही साथ दे. रागिनी, बीना की हर बात बड़े दिल से सुनकर उसे दिल मे बिठा रही थी. 

बीना: अच्छा चल अब सो जा और मुझे भी सोने दे, सुबह जल्दी उठना है. 

सुबह 6:30 बजे तक दोनो नहा धो कर फिर से ब्यूटी पार्लर पहुँच गये थे. शादियों का सीज़न था, ब्यूटी पार्लर मे 24 घंटे भीड़ रहती थी. रागिनी को अंदर भेजने के बाद बीना ने हॉस्पिटल जाकर एक राउंड लिया और पेशेंट्स के चेकप के बाद चार्ज जूनियर डॉक्टर्स को देकर फिर से ब्यूटी पार्लर आ गई. करीब 9:45 पर वो वेटिंग रूम मे आकर बैठ गई और रागिनी का इंतज़ार करने लगी. 9:55 पर रागिनी रूम से बाहर निकली तो बीना उसे देखते ही दंग रह गई. रागिनी के चेहरे पर जो निखार आया था वो देखते ही बनता था. उसके हाथों मे मेहंदी का रंग भी काफ़ी निखर कर आया था. लाल चुड़े और पर्पल लहंगा- चोली मे उसका गोरा बदन एक दम उसे अप्सरा का रूप दे रहा था. बीना ने अपने काजल से उसके कान के पीछे टीका लगाया और धीरे से उसके कान मे बोली: "आज तो विराट गये काम से". उसकी बात सुनकर रागिनी ने अपने लाल सुर्ख लिपस्टिक वाले होंठ खोले और बोली: दीदी बस कीजिए ना प्लीज़, कुछ होता है. 

बीना: आज तो बहुत कुछ होने वाला है तेरे साथ, यह तो कुछ भी नहीं. 

रागिनी, बीना की इस बात से शरमा गई. 

बीना: माइ गॉड, लेट हो गये, जल्दी चलो. 

कहीं दूल्हे राजा हमारा इंतज़ार करते करते बेहोश ना हो जाएँ. दोनो गाड़ी मे बैठे और गाड़ी तेज़ी से कोर्ट कॉंप्लेक्स की तरफ चल पड़ी. ऑफीस टाइमिंग पर सड़को मे काफ़ी ज़्यादा ट्रॅफिक और जगह जगह ट्रॅफिक सिग्नल होने के कारण कोर्ट पहुँचते पहुँचते उन्हें 11:00 बज गये. 

बिहारी, बाहर ही उनका वेट कर रह था. 

बीना: विराट जी आप बाहर क्यूँ खड़े हैं??

बिहारी: कोर्ट मे काफ़ी लोग मेरी जान पहचान वाले हैं तो इस लिए टॅक्सी मे आया हूँ ताकि लोग मुझे देख कर पहचान ना लें, मैं नहीं चाहता कि किसी को इस शादी के बारे मे पता लगे. 

बीना: यह तो अपने बहुत ही अच्छा किया, मेरे तो दिमाग़ से ही निकल गया था कि इतनी बड़ी हस्ती को तो लाखों लोग जानते होंगे. आइए बैठिए हमारे साथ. 

बिहारी पीछे का दरवाज़ा खोलकर पीछे बैठ गया. बिहारी ने आज फिर से एक पॅंट कोट डाला था मगर आज उसने एक फ्रेंचिए भी डाल रखी थी जिस से उसका लंड इधर उधर भटकने की बजाए एक ही जगह सांस ले रहा था. बिहारी ने रागिनी को देखा तो उसके मूह मे लार टपक गई. इतनी हसीन लड़की कुछ ही देर मे उसके बिस्तर पर नंगी लेटी होगी और वो जी भर के उसकी चूत का रस्पान करने के बाद उस पर अपने लोड्‍े से सबसे पहली मुहर लगाएगा. 

बीना ने बिहारी को रागिनी की तरफ देखते हुए देखा तो मुस्कुरा कर कहा: सब्र रखिए विराट जी, आपकी ही है, बस एक बार कोर्ट की मुहर लग जाए फिर घर ले जाके जी भर कर देख लीजिएगा. 

बीना के ऐसा कहने से बिहारी के चेहरे पर कमीनी मुस्कान आ गई और रागिनी ने शरम के मारे नज़रें नीचे कर ली. करीब आधे घंटे मे बिहारी और रागिनी क़ानून की नज़र मे पति पत्नी बन गये थे.

कोर्ट से बाहर निकलते ही बीना ने कहा: विराट जी आपको तो रागिनी के पुराने कपड़े पसंद नहीं होंगे तो क्यूँ ना पहले इस के लिए आप अपनी मर्ज़ी की कुछ शॉपिंग कर लें. 

बिहारी: लेकिन, मैं कैसे.?????

बीना: अरे घबराते क्यूँ हैं, मैं चलूंगी ना आपके साथ और रागिनी को हम गाड़ी मे ही छोड़ देंगे ताकि आप अपनी मर्ज़ी से इसके लिए ड्रेसस खरीद सकें. गाड़ी को माल के बाहर खड़ा करके वो दोनो रागिनी को गाड़ी मे बिठाकर माल मे चले गये. 

जब तक ये लोग शॉपिंग करते हैं, आइए बॅंगलॉर का हाल भी जान लेते हैं.

आशना के अपने फ्लॅट मे जाने के बाद ज़्यादा कुछ ख़ास नहीं हुआ बस वो अपने सिम के बारे मे सोचती हुई अटकलें लगाए जा रही थी लेकिन किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रही थी. जब वो देल्ही जाने के लिए यहाँ से निकली थी तो एरपोर्ट से उसने प्रिया को अपने जाने की खबर कर दी थी और उसे यह भी कहा था कि वो वहाँ पहुँचते ही उसे खबर कर देगी. लेकिन वहाँ पहुँचने के बाद तो वीरेंदर की हालत देख कर उसका क्या हाल हुआ वो तो आप सब जानते ही हैं. 

अब आपके दिमाग़ मे शायद यह सवाल ना आया हो लेकिन मेरा फर्ज़ है कि आपके दिमाग़ में एक सवाल पैदा करूँ और फिर आपको उसका जवाब दूं. तो सवाल यह है कि " आशना को वीरेंदर के बारे मे खबर किसने दी".सवाल सुनकर चौंक गये ना? दाद देती हूँ आपके तेज़ दिमाग़ की, कहानी को ससपेन्स, एरॉटिका, मस्त और पता नहीं क्या-क्या खिताब दे डाले मगर दिमाग़ लगा कर इस सवाल को नहीं सोच पाए. चलिए कोई बात नहीं अब सवाल पता चल ही गया है तो आपकी आत्मा के कीड़े आपको उस का जवाब जानने के लिए भी उकसा रहे होंगे. तो सुनिए इसका जवाब. 

इसका जवाब सीधा सीधा आपको बता दूं तो इतनी बड़ी कहानी लिखने का क्या फ़ायदा, चलिए मैं आपको थोड़ा फ्लॅशबॅक मे लिए चलती हूँ. 
 
डेट:15-08-2012
ज़्यादा मत सोचिए, आपको शायद याद नहीं होगा मगर आशना वो दिन कभी भूल नहीं सकती. उस दिन आशना की छुट्टी थी, रात को ही ड्यूटी देकर आई थी तो सुबह उठने मे आलस कर रही थी. प्रिया सुबह सुबह ही निकल गई थी आज उसकी फ्लाइट दोपहर की थी. हमेशा की तरह पहले वो अपने बॉय फ्रेंड से मिलने गई और फिर उसके बाद ड्यूटी करने. कोई 12:00-12:30 का टाइम था जब आशना का मोबाइल बजा "ज़रा-ज़रा टच मी टच मी....................." आशना ने मोबाइल स्क्रीन पर नंबर. देखा "त्रिवेणी" (जी हां यह त्रिवेणी कोई और नहीं, शी ईज़ त्रिवेणी राजपूत, यह नाम इस नाचीज़ का है जो यह स्टोरी आप तक पहुँचा रही है).

आशना ने एक दम फोन उठाया और इस से पहले के त्रिवेणी कुछ बोलती, आशना ने पहले बोल दिया "हॅपी इनडिपेंडेन्स डे त्रिवेणी". 

त्रिवेणी: सेम टू यू मेरी जान, और बता क्या कर रही है?

आशना : सो रही थी यार, तूने सारा मज़ा खराब कर दिया, नाइट शिफ्ट थी तो काफ़ी थक गई थी. 

त्रिवेणी: मैं भी तो अभी अभी उठी हूँ यार, रात को देर तक विजय (माइ बाय्फ्रेंड आंड सून टू बी हब्बी) से चॅट होती रही तो काफ़ी देर से सोई. आज छुट्टी थी तो खूब नींद की. 

आशना: विजय के साथ अब तक तेरा अफेयर है क्या??

त्रिवेणी: हां यार, लगता है अब उस से ही शादी करनी पड़ेगी और यह कह कर ही त्रिवेणी हंस दी. 

आशना: बेचारा, जानता नहीं क्या करने जा रहा है वो. 

त्रिवेणी: रहने दे रहने दे, मुझ से अच्छी लड़की उसे मिल भी नहीं सकती और उस से अच्छा लड़का मुझे. 

आशना: वो तो है, तुम दोनो तो बने हे एक दूसरे के लिए हो. और सुना, कॉलेज कैसा चल रहा है.बहुत याद आते हैं कॉलेज के वो दिन. 

त्रिवेणी: मुझे भी तेरे साथ बिताए वो दिन नहीं भूलते, चाहे तू कुछ ही दिन के लिए कॉलेज आई हो मगर तू मेरी ज़िंदगी भर की दोस्त बन गई. 

आशना: क्या करती यार, कॉलेज मे अड्मिशन लेना तो बस एक मजबूरी थी कि जब तक मंज़िल ना मिल जाए तो तब तक यही सही लेकिन याद है तेरे बर्त'डे वाले दिन अगर मुझे तेरी मोम ने सपोर्ट नहीं किया होता तो मैं कभी फ्रांकफिंन जाय्न ही नहीं करती. उन्होने ही तो हिम्मत देकर मुझे जाय्न करने को बोला और आज मैं अक एयिर्हसटेस्स हूँ. 

त्रिवेणी: वो तो है, आख़िर मोम किसकी है. 

आशना: अच्छा मोम कैसी है?? 

त्रिवेणी: मोम ठीक हैं और पापा भी. 

आशना से बात करते करते त्रिवेणी बोली: अच्छा सुन तूने एक बार बताया था कि "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक'स वर्ल्ड" शोरुम तेरे भैया का है. 

आशना: हां, क्यूँ अब वहाँ भी धक्का मारने का इरादा है क्या. 

त्रिवेणी: आशना तेरे लिए एक बुरी खबर है, अभी कुछ देर पहले मेरे रूम मे (त्रिवेणी उस वक्त डीयू के एक हॉस्टिल मे रहती थी) एक लड़की आई थी और बोल रही थी कि वीरेंदर शर्मा नाम के बिजिनिस मॅन जिनका "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक'स वर्ल्ड" है उन्हे हार्ट अटॅक आया है और वो काफ़ी सीरीयस हैं. 

इतना सुनते ही आशना के हाथ पाँव ठंडे पड़ गये. आशना एक दम बौखला गई. हालाँकि वो वीरेंदर से काफ़ी नफ़रत करती थी मगर दिल के किसी कोने मे वो यह भी मानती थी कि आज वो जो कुछ भी है उसका सारा क्रेडिट वीरेंदर को ही जाता है. उसने कभी उसे पैसो की कोई कमी नही होने दी और उसके किसी भी फ़ैसले मे कोई धखल नहीं दिया. वीरेंदर ने चुप रहकर ही सही लेकिन अपना हर फ़र्ज़ अदा किया है. 

आशना: त्रिवेणी मैं देल्ही आ रही हूँ, क्या तू मुझे पता करके बता सकती है कि भैया किस हॉस्पिटल मे हैं. 

आशना ने जल्दी से अपना कुछ समान , पासपोर्ट, डी/एल, एटीम कार्ड्स एक हॅंडबॅग मे डाले और अपने फ्लॅट से चल दी. रास्ते मे उसने प्रिया को फोन किया और उसे बताया कि वो कुछ दिनो के लिए देल्ही जा रही है किसी काम से, वहाँ पहुँचते ही उसे फोन करेगी. एयिर्हसटेस्स होने के कारण उसे टिकेट मे भी कोई प्राब्लम नहीं हुई और वो शाम तक देल्ही पहुँच चुकी थी. देल्ही पहुँच कर उसने त्रिवेणी को फोन किया तो त्रिवेणी ने उसे हॉस्पिटल का पता दिया और बताया कि हॉस्टिल से पार्मिशन नहीं मिली वरना वो उसे खुद लेने वहाँ आ जाती. 

आशना: त्रिवेणी मेरे लिए जो तुमने किया है उतना ही काफ़ी है, तुम्हारा यह एहसान मैं ज़िंदगी भर नहीं भूलूंगी. मैं तुम्हें वहाँ पहुँच के फोन करती हूँ. 

हॉस्पिटल पहुँच कर आशना को तो कोई होश ही नहीं रहा जब उसने वीरेंदर की हालत को देखा. 

त्रिवेणी ने उसे रात को काफ़ी बार फोन ट्राइ किया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था (शायद तब तक उसका सिम निकाला जा चुका था या फिर उस वक्त आशना के सेल की बॅटरी डेड थी). रत को करीब 1:00 बजे त्रिवेणी को घर फोन आया कि उसके पापा एक कार आक्सिडेंट मे ज़ख़्मी हो गये हैं तो वो तुरंत अपने होम टाउन के लिए रवाना हो गई. जब तक त्रिवेणी वापिस देल्ही आती आशना एक बहुत ही बड़ी साजिश मे फस चुकी थी. हॉस्पिटल आकर उसे यही पता लगा कि वीरेंदर डिसचार्ज होकर चला गया है और आशना भी दो दिन के बाद चली गई थी थी. त्रिवेणी ने कई बार आशना को फ़ोन मिलाया लेकिन हर बार उसका फोन स्विचऑफ ही आया. उस वक्त त्रिवेणी ने भी इस बात पर ज़्यादा गोर नहीं किया आख़िर वो भी अपनी फॅमिली को लेके चिंतित थी, उसके फादर को हाथ और टाँग मे फ्रॅक्चर हो गया था. 


तो आइए अब आते हैं फिर से प्रेज़ेंट में, 

यानी कि आशना के फ्लॅट के बिल्कुल सामने जहाँ वीरेंदर ने रूम किराए पर लिया था लेकिन यह क्या वीरेंदर तो गहरी नींद मे है. अब उसे डिस्टर्ब करना अच्छी बात तो नहीं होगी तो चलते हैं आशना के फ्लॅट में. 

अरे यह क्या आशना भी सो रही है, आख़िर दोनो रात भर जागे हैं. शाम करीब 5:00 बजे आशना के फ्लॅट का डोर नॉक हुआ. आशना ने हडबडा कर उठते हुए डोर खोला और प्रिया को देख कर बोली: बड़ी जल्दी आ गई तू, प्रोग्राम कॅन्सल हो गया क्या??? 

प्रिया: मेडम 5:00 बज रहे हैं शाम के और तुम्हारे जीजू कोई टार्ज़ॅन तो हैं नही. 

आशना: क्या 5:00 बज गये???? शिट मेरी फ्लाइट मिस हो गई. 

प्रिया: मेडम फ्लाइट मिस हो गई तो क्या हुआ, कल दूसरी फ्लाइट से चली जाना. 

आशना: नहीं यार मेरा आज ही जाना बहुत ज़रूरी था. 

प्रिया: ओह हो इतना उतावलापन, मेडम हमे भी एक बार अपने उन से ज़रूर मिलवाना. अच्छा चल फ्रेश हो जा फिर चाइ पीने मोनू के होटेल पर ही चलते हैं. थोड़ा घूम भी लेंगे और कुछ बातें भी कर लेंगे. आशना को चैन नहीं आ रहा था. उसे वीरेंदर की काफ़ी चिंता हो रही थी. उसे मालूम था कि वीरेंदर उस से नाराज़ होगा और पता नहीं कितना परेशान होगा उस के लिए. एक बार उसके मन मे ख़याल आया कि डॉक्टर. बीना को फोन करके वीरेंदर का नंबर. ले लिया जाए, कम से कम वीरेंदर की खबर तो हो जाए और उसे सारी ग़लतफ़हमियाँ बता सके लेकिन फिर उसने सोचा कि वीरेंदर के सामने जाके ही अब वो सारी ग़लतफेहमियाँ दूर करेगी. आख़िर कोई ना कोई राज़ तो है ही उसके सिम चोरी होने मे. 
 
अचानक आशना को ध्यान आया अपने डॉक्युमेंट्स, अपने पासपोर्ट, डी/एल, एटीएम कार्ड के बारे मे तो उसने झट से अपना बॅग खोला लेकिन उन्हे वो हॅंडबॅग मे ना पाकर उसके पैरों तले से ज़मीन निकल गई. उसे समझ मे नहीं आ रहा था कि आख़िर वो बॅग गया कहाँ. उसने याद से उस हॅंडबॅग को बॅग में संभाल कर रखा था. उसी बॅग मे उसकी सारी आइडेंटिटीस थी. आशना का सिर घूमने लगा, उसे चक्कर आने लगा और वो धडाम से बिस्तर पर गिर गई. प्रिया जब बाथरूम से बाहर निकली तो उसने देखा कि आशना फिर से सो रही है. 

प्रिया: कितना सोती है यह लड़की. आशना इतनी आलसी कब से हो गई. 

प्रिया: आशना उठो और फ्रेश हो जाओ, यार बहुत भूख लगी है. जल्दी से तैयार हो जा फिर कुछ खा लेते हैं. 

आशना को कोई होश ही नहीं था. प्रिया ने आशना को झिन्झोड कर जगाया तो आशना हड़बड़ा कर उठ गई, उसके सिर मे तेज़ दर्द हो रहा था. 

प्रिया ने आशना की आँखों मे देखा तो घबरा कर बोली: आशना, आर यू ओके? 

आशना: प्रिया मेरी तबीयत ठीक नहीं है, तुम चली जाओ, मैं आराम करना चाहती हूँ. 

प्रिया: क्या हुआ तेरी तबीयत को, जब से आई है तू कुछ बदली बदली सी लग रही है. यार टेन्षन मत ले, देल्ही जाकर उस से बात कर लेना सब ठीक हो जाएगा. 

आशना: पता नहीं यार मेरे साथ क्या हो रहा है. 

प्रिया: ऐसा क्या हो गया अब? 

आशना: पहले मेरा सिम बदल दिया गया और अब मेरी सारी आइडेंटिटीस जो कि एक बॅग मे थी, वो खो गई हैं. 

प्रिया: परेशान मत हो , हो सकता है तुम उन्हे देल्ही मे अपने कमरे मे ही भूल आई हो. 

आशना: हो सकता है लेकिन मुझे याद नहीं आता कि मैने वो बॅग कहीं रखा हो निकाल कर. 

प्रिया: जितना सोचेगी उतनी परेशानी होगी. अब चल उठ और बाहर चल मेरे साथ. तेरा मन भी हल्का हो जाएगा और मैं तेरी सुबह की ही बुकिंग करवा दूँगी, तू सुबह ही निकल जाना, परेशान होने से तेरी सेहत भी बिगड़ सकती है. 

आशना का मन बाहर जाने को बिल्कुल नहीं था लेकिन वो यह सोच कर उठ गई कि अब क्या पता प्रिया से कब मिलना हो. 

कोई 6:00-6:15 बजे के करीब वो दोनो मोनू के होटेल मे बैठी थी. प्रिया: आज मोनू नहीं दिख रहा कहीं पर, तभी मोनू की आवाज़ आई " मैं यहाँ हूँ प्रिया दी, आशना दी. 

प्रिया और आशना दोनो ने आवाज़ की तरफ देखा तो मोनू उन के लिए चाइ और स्नॅक्स लेकर आ रहा था. 

मोनू ने उन्हे स्नॅक और चाइ दी और बोला: आशना दी, आप चाइ पीजिए मैं तब तक आपके सामने वाले होटेल के ग्राउंडफ्लॉर पर जो बाबू जी रुके हैं, उनसे खाने का पूछ कर आता हूँ, बाबा बोल रहे थे कि बाबू जी ना तो सुबह ब्रेकफास्ट के लिए आए थे और ना ही दोपहर को लंच के लिए. 

प्रिया ने आशना की तरफ सवालिया नज़रो से देखा, जैसे पूछ रही हो "कॉन है वो". 

आशना: पता नहीं, सुबह मोनू ने ही बताया था कि कोई हमारा पीछा करता हुआ यहाँ तक आ गया था और हमारे फ्लॅट के सामने वाले होटेल मे ही ग्राउंड फ्लोर पर रूम लेकर रह रहा है. मोनू बता रहा था कि रात को काफ़ी देर तक खिड़की के पास बैठ कर हमारे फ्लॅट की तरफ ही देखे जा रहा था. 

प्रिया: खिड़की तो मैने भी देखी थी सुबह उस रूम की खुई हुई और अब शाम को भी देखा तो खिड़की खुली ही थी. मुझे भी बड़ा अजीब लगा कि सर्दी के मौसम मे भी सारा दिन खिड़की खुली क्यूँ रखी है किसी ने. 

प्रिया: मोनू ने और कुछ बाते की वो कॉन है, कहाँ से आया है और क्या करता है??? 

आशना: मैने उस से ज़्यादा पूछा नहीं. हो सकता है मोनू को ग़लती लगी हुई हो कि वो हमारे पीछे आया है क्यूंकी अगर ऐसा होता तो हम मे से किसी ना किसी से बात करने की कोशिश तो करता. 

प्रिया ने आशना का हाथ पकड़ा और बोली: आशना उठ जल्दी कर. 

आशना: क्या हुआ?? चाइ तो पी ले. 

प्रिया: आशना, वो वीरेंदर ही होगा, तू भी ना कितनी पागल है, इतना भी नही समझी. आशना के चेहरे के भाव एक दम बदलने लगे. 

आशना: प्रिया यह तू क्या बोल रही है?? 

प्रिया: मैं ठीक कह रही हूँ आशना, तू चल तो सही मेरे साथ. 

आशना को खींचती हुई प्रिया होटेल से बाहर ले आई. 

आशना: प्रिया छोड़ तो मुझे, तू पागल हो गई है क्या?? वीरेंदर यहाँ कैसे आ सकता है? 

प्रिया वक्त के हाथो इंसान वो कर देता है जो किसी ने उस से उम्मीद भी नहीं की हो. 

सच ही तो थी प्रिया, आशना भी तो अपने दिल के हाथो मजबूर होकर अपने भाई से ही प्यार करने लगी थी. क्या उसने कभी सोचा था कि जिस इंसान को उसने अपनी ज़िंदगी से निकाल दिया है वो उसकी ज़िंदगी के लिए................

तभी उन्हे मोनू सामने से दौड़ता हुआ उनके पास आता हुआ दिखाई दिया. आशना मोनू को देख कर एकदम घबरा गई, उसके गला एक दम खुश्क हो गया. 

प्रिया: क्या हुआ मोनू तो इतना हाँफ क्यूँ रहा है? 

मोनू: वो.....वो... दीदी.... वो बाबू जी को बहुत तेज़ बुखार है. मैं उनके कमरे मे गया था, उनका सारा शरीर तप रहा है. वो बेहोश है और बेहोशी मे आशना दीदी का नाम ले रहे हैं. इतना सुनते ही आशना ने प्रिया से अपने हाथ छुड़ाया और होटेल की तरफ भागी. 

प्रिया: मोनू तू जाकर टॅक्सी लेकर आ, जल्दी कर. 
 
इतना कहते ही प्रिया भी होटेल की तरफ भागी. प्रिया रूम पर पहुँची तो अंदर देख कर उसकी आँखें भर गई. आशना वीरेंदर से लिपट कर उसके गले लग कर माफी माँग रही थी और उसे होश मे आने को कहते हुए रोए जा रही थी. 

आशना: वीरेंदर प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, प्लीज़ एक बार उठ जाओ, मेरी बात तो सुनो, तुम्हे नहीं पता मैं किस मुसीबत मे फस गई हूँ वीरेंदर. एक बार मेरी बात सुन लो, प्लीज़ मुझे एक मोका दो. मैं तुम्हे छोड़ कर कही नहीं जाउन्गी, हमेशा तुम्हारे पास ही रहूंगी, तुम प्लीज़ एक बार मेरी बात सुन लो, आँखे खोलो वीरेंदर बस एक बार. 

वीरेंदर ने कई बार आँखे खोलने की कोशिश की मगर वो फिर से बेहोश हो गया. 

प्रिया: आशना सम्भालो अपने आप को, इस वक्त सबसे ज़रूरी वीरेंदर को डॉक्टर. के पास लेजाना है. तभी मोनू टॅक्सी लेकर आ गया. प्रिया ने मोनू और टॅक्सी ड्राइवर की मदद से वीरेंदर को टॅक्सी तक पहुँचाया और उसे पिछली सीट पर बैठा दिया. आशना जड बन कर वहीं बैठी रही. वो अपने आप को ही दोषी मान रही थी. प्रिया ने आशना का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ टॅक्सी तक ले आई. आशना को जब तक वो आगे बिठाती तब तक मोनू भी अपनी अक्तिवा लेकर आ गया. प्रिया मोनू के साथ उसकी स्कूटी पर बैठ गई और टॅक्सी के पीछे चल दी. टॅक्सी एक प्राइवेट क्लिनिक के बाहर जाकर रुकी. ड्राइवर ने अंदर जाकर इनफॉर्म किया तो दो कम्पाउन्दर तेज़ी से एक स्ट्रेचर लेकर आ गये और वीरेंदर को उसमे लेटा कर एमर्जेन्सी रूम मे ले गये.

प्रिया ने आकर टॅक्सी वाले को पैसे दिए और वीरेंदर की फाइल तैयार करवाई. इस पूरी करवाई के दौरान, आशना बिल्कुल खामोश खून के आँसू रोती रही. करीब 45 मिनिट बाद डॉक्टर. एमर्जेन्सी रूम से बाहर आए और आशना-प्रिया को बताया कि पेशेंट अब ख़तरे से बाहर है. 

डॉक्टर.: देखिए पेशेंट ने शायद कुछ दिनो से ठीक से खाना नहीं खाया और सर्दी की वजह से इन्हे कमज़ोरी और बुखार हो गया है. घबराने की तो वैसे कोई बात नहीं, मैने इंजेक्षन लगा दिया है और दवाइयाँ भी दे दी हैं. पेशेंट को जल्द ही होश आ जाएगा लेकिन मुझे लगता है कि पेशेंट काफ़ी मेंटल स्ट्रेस मे है जिस कारण इनके हार्ट पर भी असर हुआ है. मेरा तजुर्बा कहता है कि इन्हे पहले भी माइनर अटॅक आया है तो प्लीज़ जितना हो सके इन्हे खुश रखने की कोशिश की जाए और ऐसी कोई भी बात ना बताई जाए जिस से इनके दिल पर कोई असर हो. ऐसी अवस्था मे कई बार इंसान साइलेंट्ली कोमा मे चला जाता है. 

आशना की धड़कन एक दम रुक गई और हॉस्पिटल आने के बाद पहली बार वो बोली: डॉक्टर. अब वीरेंदर बिल्कुल ठीक हैं ना??

डॉक्टर: देखिए मिस, अभी तक तो सब ठीक है बट उनकी हार्ट पल्स बता रही है कि उन्हे कोई गहरा सदमा लगा है. जैसे ही उन्हे होश आता है, हार्ट बीट एकदम तेज़ हो जाती है और वो फिर से बेहोश हो जाते हैं. कम से कम 12 घंटे तक कुछ कहा नहीं जा सकता, तब तक हम उन्हे अब्ज़र्व करते रहेगे. आशना की आँखों मे एक बार फिर से आँसुओं की झड़ी लग गई. प्रिया ने आशना के खांडे पर हाथ रख कर कहा.: डॉक्टर. हम उनसे कब मिल सकते हैं?

डॉक्टर.: मेरी मानिए तो पेशेंट को आराम करने दीजिए और सुबह जैसे ही उन्हे होश आता है आप उनसे मिल सकती है. इतना कह कर डॉक्टर. ने बाकी के डॉक्टर्स को कुछ हिदायते दी और वहाँ से चला गया. 
प्रिया: आशना, क्या तुम्हे पता है कि वीरेंदर को किस चीज़ का सदमा लगा है??? 

आशना ने प्रिया की तरफ देखा और "ना" मैं गर्दन हिला दी. तभी आशना को मोनू की सुबह वाली बात याद आ गई. 

आशना(प्रिया से): मोनू कहाँ है? 

प्रिया: मैने उसे भेज दिया है, वो बेचारा ऐसे ही परेशान हो रहा था. 

आशना को अक्तिवा की चाबी देते हुए प्रिया बोली: वो अपनी स्कूटी यहाँ छोड़ गया है ताकि अगर रात को ज़रूरत पड़े तो किसी काम आ सके.

आशना: प्रिया तू यहीं बैठ, मैं अभी आती हूँ. 

प्रिया: कहाँ जा रही है?. 

आशना: आके बताती हूँ प्रिया और यह कह कर आशना बाहर निकल गई. 

बाहर आते ही उसने स्कूटी स्टार्ट की और मोनू के घर की तरफ चल दी. मोनू के घर पर पहुँची तो पता चला कि मोनू और उसके पिता जी अभी होटेल मे ही हैं. 

होटेल पहुँच कर आशना ने मोनू को अपने पास बुलाया और उस से पूछा: मोनू याद करके बता कि कल वीरेंदर से तुम्हारी क्या क्या बात हुई थी. मोनू ने आशना को सब सच बता दिया. मोनू की बात सुनकर एक बार तो आशना भी चकरा गई. उसने सपने मे भी नहीं सोचा था कि वीरेंदर के आगे उसकी सच्चाई इस कदर आएगी. आशना समझ गई कि इसी झूठ के कारण वीरेंदर को इतना बड़ा सदमा लगा है. आशना ने मोनू को वापिस भेज दिया और खुद स्कूटी लेकर हॉस्पिटल की और चल दी.
 
रास्ते मे वो वोही सोचती रही कि अगर उसने वीरेंदर को सच बता दिया होता तो आज यह नोबत ना आती. आशना ने मन मे सोचा कि अगर वीरेंदर की हालत उसके कारण बिगड़ी है तो अब वो ही उसकी हालत सुधारेगी भी लेकिन वो यह समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए. हॉस्पिटल पहुँच कर आशना ने बाहर किसी होटेल से खाना पॅक करवाया और हॉस्पिटल आ गई. 

प्रिया: कहाँ गई थी तू??? 

आशना: तुझे भूख लगी थी ना, तेरे लिए खाना लेने गई थी. 

यह सुनते ही प्रिया की आँखें भर आई और उसने कस के आशना को गले लगा दिया. 

प्रिया: पगली जीजू के लिए तो मैं सारी ज़िंदगी बुखी रह लूं, बस मेरे जीजू ठीक हो जाएँ. 

यह सुनकर आशना ने भी प्रिया को कस कर पकड़ लिया. काफ़ी देर तक दोनो सहेलियाँ एक दूसरे के गले लग कर रोती रही. 

प्रिया ने नॉर्मल होते हुए कहा: अच्छा चल, अब ज़्यादा रुला मत मुझको, खाना खा लेते है. 

आशना ने खामोशी से खाना खा लिया वो जानती थी कि अगर वो नहीं खाएगी तो प्रिया भी नहीं खाएगी. खाना खाने के बाद आशना बोली: प्रिया तू फ्लॅट मे चली जा और स्कूटी ले जा, अगर कोई प्राब्लम होगी तो मैं तुम्हे कॉल कर लूँगी. 

प्रिया: नहीं आशना मेरा इस वक्त तेरे पास रहना बहुत ज़रूरी है. 

आशना: समझा कर प्रिया मैं कुछ देर अकेला रहना चाहती हूँ, मेरे दिमाग़ मे काफ़ी सवाल चल रहे हैं और वैसे भी फ्लॅट भी खुला है, हम ने लॉक भी तो नहीं किया. तू जा और अगर ज़रूरत पड़ी तो मैं तुझे बुला लूँगी. 

प्रिया: ठीक हैं मैं चली जाती हूँ लेकिन अगर तेरा फोन नहीं आया तो मैं सुबह सुबह टपक पड़ूँगी. 

आशना: ओके, अब तू जा. 

प्रिया के जाते ही आशना वेटिंग हाल मे जाकर एक चेयर पर बैठ गई. काफ़ी भीड़ थी वहाँ पर सब अपने किसी के लिए दुआ कर रहे थे. आशना दुआ भी क्या करती वीरेंदर को दिया हुआ दुख भी तो उसी का था. सारी रात आशना यही सोचती रही कि अब क्या किया जाए, सबसे पहले उसका सिम चोरी होना, फिर सारे डॅक्यूमेंट्स, उसकी सारी आइडेंटिटीस और अब वीरेंदर को सच का पता चल जाना.इस वक्त उसके लिए सबसे ज़रूरी था वीरेंदर का होश मे आना और फिर उस से बात करना लेकिन क्या वीरेंदर उसे माफ़ कर पाएगा. वो जानती थी कि वीरेंदर उस से प्यार करने लगा है और वो भी तो वीरेंदर से प्यार करने लगी है यह जानते हुए भी के वो उसका भाई है लेकिन वीरेंदर को तो यह बात अभी-अभी पता लगी है कि आशना उसकी बेहन है.इस सूरत मे वीरेंदर उसे कभी माफ़ नहीं कर पाएगा और वो वीरेंदर को दुखी नहीं देख सकती थी. रात को डॉक्टर.स ने करीब 3 बार वीरेंदर की कंडीशन को अब्ज़र्व किया और वो उसकी रिकवरी से काफ़ी खुश दिख रहे थे. आशना के पूछने पर डॉक्टर, ने बताया कि वीरेंदर की हालत अब स्थिर है पर दिल और दिमाग़ पर ज़्यादा दवाब होने से अभी उसे आराम की ज़रूरत है इस लिए उसे बेहोशी वाला इंजेक्षन दे दिया गया है. आशना यह बात सुनकर काफ़ी खुश हुई. उसने अपना मोबाइल निकाला और प्रिया को फोन पर यह खुशख़बरी दी.

सुबह के 5:00 बज चुके थे, डॉक्टर. के मुताबिक वीरेंदर 10:00-11:00 बजे तक होश मे आ जाएगा. अब आशना को यह चिंता थी कि वो वीरेंदर का सामना कैसे कर पाएगी. सोचते सोचते उसे अचानक त्रिवेणी का ख़याल आ गया, एक त्रिवेणी ही तो थी जिस से वो अपने दिल का हर हाल बताती थी, वीरेंदर उसका भाई है यह भी सिर्फ़ त्रिवेणी को ही पता था. आशना ने सोच लिया था कि उसे क्या करना है. आशना ने त्रिवेणी का नंबर. डाइयल किया, काफ़ी देर तक बेल बजती रही लेकिन त्रिवेणी ने फोन नहीं उठाया. आशना ने फिर से नंबर. डाइयल किया. इस बार भी किसी ने फोन नहीं उठाया. आशना अब पागल हो गई थी उसे त्रिवेणी से अभी की अभी बात करनी थी, उसने फिर से नंबर. डाइयल किया तो थोड़ी देर बेल बजने के बाद त्रिवेणी की नींद मे आवाज़ आई "हेलो कॉन बदतमीज़ इस समय मुझे याद कर रहा है". 

एक बार के लिए उसकी बात सुनकर तो आशना का चेहरा खिल उठा और मन मे सोचा (यह हमेशा ऐसी ही रहेगी, सुधरेगी नहीं यह). 

आशना: त्रिवेणी, मैं बोल रही हूँ. 

त्रिवेणी(अलसाई आवाज़ मे) : वाह, मैं भी मैं ही बोल रही हूँ, सेम पिंच यार. 

आशना: त्रिवेणी, मैं आशना बोल रही हूँ. 

त्रिवेणी: लेकिन मैं त्रिवेणी.........इस से पहले के त्रिवेणी अपनी बात पूरी करती, उसने ज़ोर से चीख कर कहा आशना तू, कहाँ मर गई थी तू, तेरा फोन भी तब से स्विचऑफ है. पापा का आक्सिडेंट हो गया था तो मैं घर चली गई थी, वापिस आकर पता चला कि वीरेंदर भैया ठीक होकर अपने घर चले गये है और तू वापिस चली गई, लेकिन तुमने मुझे एक बार भी फोन नहीं किया. मुझे पता है तू मुझसे नाराज़ होगी कि मैं तुझसे मिलने नहीं आ सकी लेकिन क्या करती यार उसी रात घर से फोन आया कि पापा का आक्सिडेंट हो गया है तो मुझे वहाँ जाना पड़ा. लेकिन नाराज़गी का यह मतलब थोड़े है कि तू अपना फोन ही बंद कर दे और मुझे फोन भी ना करे. त्रिवेणी ने एक ही सांस मे सब कुछ बोल दिया. त्रिवेणी को जब इस बात का एहसाह हुआ तो बोली:हेलो. 

आशना: बोल ले बोल ले और कुछ बचा हो तो वो भी बोल ले. 

त्रिवेणी: चल माफ़ किया तेरे को और सुना. 

आशना: यह मेरा नया नंबर. है, इसे फीड कर ले मेरा पुराना नंबर; कहीं खो गया है. 

त्रिवेणी: ठीक है, यही बताने के लिए इतनी सुबह मुझे फोन किया था क्या?
आशना: नहीं यार ऐकचुली एक काम था तुझसे. 

त्रिवेणी: बोल ना यार तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है. 

आशना: विजय इस वक्त कहाँ है. 

त्रिवेणी: सॉरी माइ फ्रेंड मैने जान के लिए कहा था जानेमन के लिए नहीं. 

आशना: तू नहीं सुधरेगी, सुन मुझे तेरी मदद की ज़रूरत है और इस काम मे तेरी मदद विजय कर सकता है. 

त्रिवेणी: पहले बता क्या काम है?

आशना: मुझे एक आइडेंटिटी कार्ड चाहिए आशना शर्मा के नाम से, बॅंगलॉर के किसी भी मेडिकल स्कूल का. उस मे मेरा पार्मेनेंट अड्रेस्स देल्ही का होना चाहिए और माँ- बाप का नाम तू खुद रख लेना और याद रहे कि आइ-कार्ड 5थ सेमी का होना चाहिए. 

त्रिवेणी: यह सब क्या चक्कर है मेडम, एयिर्हसटेस्स के बाद अब डॉक्टर. बनने का इरादा है क्या?
आशना: यह सब तुझे बहुत जल्द ही बताउन्गी तुझ से मिलकर, मगर यार प्लीज़ मेरी हेल्प कर दे. 

त्रिवेणी: हो जाएगा यार, इतना गिड़गिदा मत नहीं तो मैं रो पड़ूँगी. अभी विजय से बात करके तुझे फोन करती हूँ. 

आशना ने फोन रखा और राहत की साँस ली, वो जानती थी कि यह काम अगर कोई कर सकता है तो वो विजय ही कर सकता है. 29 की एज मे ही विजय देल्ही के ही एक टॉप हॉस्पिटल मे बड़े बड़े सर्जनो मे गिना जाता है. विजय के लिंक्स सारे देश मे थे और इतनी जल्दी वो ही इस काम को अंजाम दे सकता था. 
 
आशना अभी सोच ही रही थी कि वीरेंदर से किस तरह बात करनी है उसका मोबाइल बज उठा "ज़रा-ज़रा टच मी......". वेटिंग हॉल मे सो रहे सभी लोग अब तक उठ गये थे और आशना को घूर्ने लगे. आशना ने सबकी नज़रें जब अपने उपर देखी तो वो शरमा गई और फोन ऑन करके उठ कर बाहर की तरफ आ गई. 

आशना: हेलो. 

त्रिवेणी:मेरी जान, मेरे जानेमन ने कहा है कि .................. हॉस्पिटल मे जाकर आधे घंटे मे अपना आइ-कार्ड कलेक्ट कर लो. 

आशना: ओह,थॅंक्स त्रिवेणी तू नही जानती तूने मेरे लिए क्या किया है. 

त्रिवेणी: थॅंक्स तो विजय का बोलना चाहिए, लेकिन तू टेन्षन मत ले मैं उस से मिल कर तेरी तरफ से अपने तरीके से थॅंक्स बोल दूँगी, बाइ टेक केयर और जल्दी मिलके बताना कि आख़िर यह चक्कर क्या है मेडम. 

आशना: बाइ. 

आशना ने प्रिया को फोन लगाया तो पीछे से उसे प्रिया की आवाज़ आई "तुमने पुकारा और हम चले आए, साथ मैं चाइ भी ले आए रे"आशना ने पीछे मूड कर देखा तो प्रिया को देखकर दौड़ कर उसे गले लगा लिया और बोली: सब ठीक हो गया प्रिया, बस अब तुझे मेरा थोड़ा साथ देना होगा ताकि हम सब ठीक कर सकें. 

प्रिया: तो चलो फिर चाइ पीते हैं और बैठ कर बात भी कर लेते हैं.दोनो कॅंटीन मे चली गई, प्रिया ने कॅंटीन से दो स्टफ्ड कुलछा लिए और दोनो चाइ के साथ साथ कुलछा खाने लगी. 

आशना: प्रिया मेरे कारण तुझे भी इतनी टेन्षन हो गई है.

प्रिया: वो तो है यार, लेकिन क्या करूँ मजबूरी है. 

आशना ने हैरानी से उसे देखा. 

प्रिया: लगी ना मिर्ची. चल अब ज़्यादा नाटक मत कर, एमोशनल होने की ज़रूरत नहीं है, बोल क्या फेवर चाहिए तुझे मुझसे. 

आशना: तू बहुत चालाक है प्रिया, एक दम से पहचान जाती है कि सामने वाला इंसान क्या चाहता है. 

प्रिया: तभी तो, अगर मुझे तूने कल सुबह ही मोनू की बात बता दी होती तो शायद आज हम यहाँ नहीं होते. 

आशना: जो होना था वो हो गया, अब सोचना यह है कि हम इस मुश्किल से कैसे निकले. 

प्रिया: मुश्किल???? 

आशना: तू चल मेरे साथ मे बताती हूँ. आशना ने बाहर आकर स्कूटी स्टार्ट की और प्रिया को पीछे बैठने का इशारा किया. 

प्रिया: कहाँ जा रहे हैं हम? 

आशना: पीछे बैठ सब बताती हूँ, अच्छा यह बता कि ................... हॉस्पिटल किस रोड पर है और यहाँ से कॉन सा रोड पाकडूं. 

प्रिया: क्यूँ क्या इस क्लिनिक के डॉक्टर.स पर तुम्हे विश्वास नहीं है क्या? 

आशना: अब कुछ मत पूछना और चुप चाप बैठी रह, बस मुझे रास्ता बताती जा. 
प्रिया , आशना को रास्ता बताती गई और दोनो कोई 40 मिनिट मे उस हॉस्पिटल के पास मेडिकल कॉलेज पहुँच गये थे. सुबह के 7:30 बजे कॉलेज के कारण बाहर कोई ज़्यादा चहल पहल नहीं थी, बस सफाई करम्चारी अपने अपने काम मे लगे हुए थे. आशना ने रिसेप्षन काउंटर पर जाकर प्रिन्सिपल ऑफीस के बारे मे पूछा तो रिसेप्षन काउंटर पर बैठी एक अधेड़ उम्र की औरत ने पहले तो दोनो को घूर कर देखा और फिर बोली: प्रिन्सिपल सर अभी आए नहीं हैं, 10:00 बजे आना. यह कह कर वो औरत दोबारा आँखे बंद करके अपनी कुर्सी पर सुसताने लगी. 

आशना: जी देखिए, मुझे देल्ही से ................. हॉस्पिटल से डॉक्टर. विजय शर्मा ने भेजा है. 

इतना सुनते ही वो औरत एकदम खड़ी हो गई और हड़बड़ाते हुए बोली: आर.. आर..अरे आ.आ.आप ने पहले क...क्यूँ नहीं बताया. आइए आइए बैठिए ना. 

प्रिया उस औरत के बदलते तेवर देख कर एक दम हैरान थी.

आशना: नहीं मुझे प्रिन्सिपल साहब से मिलना है. 

औरत: प्रिन्सिपल साहब ने आपके लिए कुछ रखा है, यह लीजिए. 

आशना ने उसके हाथ से एन्वेलप लिया और उसे खोल कर उसमे से आइ-कार्ड निकाल लिया, जिसपर लिखा था "आशना शर्मा, डी/ओ लेट श्री. मनोहर शर्मा, आर/ओ जानकी विहार न्यू देल्ही, सें-5थ, वॅलिड फ्रॉम औग 2012 टू एप्रिल 2013. आशना ने अपने वॉलेट से अपनी स्नॅप निकाल कर उसपर चिपकाई और उस औरत को कहा कि इस पर स्टंप लगा दो. 
औरत ने उन्हे बैठने के लिए बोला और खुद सीडीयाँ चढ़कर उपर चली गई. प्रिया हैरानी से आशना को देख रही थी. प्रिया उस से काफ़ी कुछ पूछना चाहती थी मगर इस वक्त उसने चुप रहना ही ठीक समझा. कोई 5 मिनिट के बाद वो औरत आई और आशना के हाथ मे आइ-कार्ड देते हुए बोली: यह लीजिए. 

आशना: थॅंक्स और उठ कर जाते हुए बोली: प्रिन्सिपल सर को मेरा थॅंक्स बोलना. 

बाहर आते ही आशना ने अपने मोबाइल पर त्रिवेणी का नंबर. डाइयल किया और त्रिवेणी के फोन उठाते ही आशना बोली " अपने विजय को मेरी तरफ से ज़ोर से थॅंक्स कहना, और मैं जल्द ही तुझसे मिलने दिल्ली मे आउन्गि, बाइ थॅंक यू सो मच". 

फोन रखते ही उसके कानो मे प्रिया की आवाज़ पड़ी, "यह सब क्या हो रहा है आशना"? 

आशना: बताती हूँ, चल स्कूटी तू चला. प्रिया ने स्कूटी स्टार्ट की और आशना उस के पीछे बैठ गई. मेडिकल कॉलेज से बाहर निकलते ही प्रिया ने बोला: अब बोलेगी भी या मुझे और परेशान करेगी. 

आशना: बताती हूँ, सुन. 

आशना:तूने परसो रात को मुजसे पूछा था ना कि मैं वीरेंदर को पहले से कैसे जानती हूँ. 

प्रिया: हां और तूने बताया था कि वो तेरी फ्रेंड का भाई है. 

आशना: नहीं वो झूठ था, वीरेंदर मेरी किसी फ्रेंड का नहीं बल्कि मेरा ही चचेरा भाई है. उसके अलावा जो कुछ भी तुझे बताया था वो सब सच है. 

प्रिया ने एकदम स्कूटी की ब्रेक्स दबाई और चिल्लाई "क्या"? तू होश मे तो है, तू क्या बोल रही है तुझे पता भी है. तेरा भाई अंजाने मे तुझसे प्यार करने लगा है और तूने उसे सच बताया भी नहीं. कैसी लड़की है तू अपने भाई को ही अपने प्यार मे फसा लिया. आशना मुस्कुराती रही और प्रिया की बातें सुनती रही. 

आशना: जो बोलना है बोलती रह, लेकिन प्लीज़ स्कूटी चलाती रह, वीरेंदर के होश आने से पहले हमे हॉस्पिटल पहुँचना है. 

प्रिया ने स्कूटी स्टार्ट की और कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली: तो इसका मतलब तू भी वीरेंदर से...... लेकिन तुझे तो पता था ना कि वो तेरा भाई है. आशना चुप रही. 

प्रिया: पागल मत बन आशना , जो रिश्ता सबसे पवित्र माना जाता है उसपर कलंक लगाते हुए तूने ज़रा भी नही सोचा. 

आशना:बहुत सोच समझ कर यह फ़ैसला लिया है प्रिया, शायद तू नहीं समझेगी. बस एक बार अपने आप को मेरी जगह रख कर सोच. 

प्रिया: मेरे लिए ऐसा सोचना भी पाप है. हालाँकि मेरा कोई भाई नहीं है मगर फिर भी ऐसा सोचना भी इतना अजीब लगता है लेकिन तू तो........ 

प्रिया: चलो मान लेती हूँ कि तू उसके सामने उसकी बेहन बनकर जाना नहीं चाहती थी, लेकिन उसके घर मे जाकर उसकी सेवा करने की क्या ज़रूरत थी? वहीं कहीं आस-पास रहकर भी तो उसकी खबर ले सकती थी. 

आशना: हां, मगर उस वक्त मुझे यही सब से सही लगा और डॉक्टर. बीना ने भी मुझे यही सलाह दी. 

प्रिया: शी बिच, तुम नहीं जानती तुमने उसकी बातों मे आकर क्या कर लिया है. वीरेंदर तुम्हारे प्यार मे इतना पागल हो गया है कि वो तुम्हारे पीछे यहाँ तक आ पहुँचा और जब उसे पता लगेगा कि जिस लड़की को उसने प्यार किया वो उसकी ही बेहन है. एक धोखा तो वो पहले ही बर्दाश्त कर चुका है, इस बार वो शायद बर्दाश्त ना कर पाए. 

आशना: वीरेंदर को मेरी सच्चाई पता लग चुकी है, उसे मोनू ने मेरे बारे मे सब बता दिया था. 

प्रिया: क्या?????? तो इसका मतलब उसकी इस वक्त जो हालत है इसी सच की वजह से है. 

आशना: हां. 

प्रिया: चलो अच्छा है कि उसे सब कुछ टाइम रहता पता चल गया, लेकिन तूने यह अच्छा नहीं किया. 
 
आशना: करना तो मैं भी नहीं चाहती थी, तू खुद ही सोच क्या कोई लड़की अपने भाई के लिए ऐसा सोच सकती है भला. उस वक्त हालत ऐसे बन गये और फिर वीरेंदर का मेरे सिवा कोई अपना था भी तो नहीं तो मैं कैसे किसी पर यकीन कर लेती. 

प्रिया:शायद मैं इस बात पर तुझे कोई राय दे सकूँ मगर मुझे लगता है कि जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था. 

आशना: सोचा तो मैने भी यही था कि भैया के ठीक होते ही उनसे दूर चली जाउन्गी लेकिन अब उनकी हालत देख कर लगता है कि वो मेरे बिना शायद ही रह पाएँगे. 

प्रिया: लगता तो मुझे भी कुछ ऐसा ही है, तो अब तूने क्या सोचा है. 

आशना: रात भर सोच कर ही तो यह एक ही बात मेरे दिमाग़ मे आई है. देख चाहे तू मुझे ग़लत समझ लेकिन मैं उस इंसान का साथ कभी नहीं छोड़ सकती जिसको मेरी इस वक्त सबसे ज़्यादा ज़रूरत है और जो मेरे लिए अपने घर-बिज़्नेस की परवाह किया बिना मेरे पीछे यहाँ तक आ पहुँचा. 

प्रिया: मैं तेरा मतलब नहीं समझी. 

तब तक हॉस्पिटल भी नज़दीक आ गया था और सड़को पर ट्रॅफिक के शोर से वो एक दूसरे को ज़्यादा सुन भी नहीं पा रही थी तो आशना बोली: चल हॉस्पिटल चल सब समझाती हूँ.

हॉस्पिटल पहुँच कर सबसे पहले आशना ने डॉक्टर. से वीरेंदर की हालत के बारे मे पूछा तो डॉक्टर. ने कहा कि एवेरितिंग ईज़ नॉर्मल, अभी 2-3 घंटे मे उन्हे होश आ जाएगा. फिर आप उन्हे मिल सकती हैं. हां एक बात का ख़याल रखे कि इस दौरान कोई ऐसा बात ना हो कि उनके दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर पड़े. 

आशना: ओके डॉक्टर. थॅंक यू.

आशना और प्रिया डॉक्टर. के रूम से बाहर निकली और प्रिया ने आशना से पूछा: अब तू क्या करने वाली है, यह भी बता दे. 

आशना:चल कॅंटीन मे चलते हैं, सुबह सुबह स्कूटी चलाने से पूरा शरीर ठंडा हो गया है, एक एक कॉफी पीते हैं. प्रिया ने दो कॉफी का ऑर्डर दिया और वो दोनो दूर एक टेबल पर बैठ गई. 

आशना: देख प्रिया अगर तू मेरी जगह होती तो तू क्या करती. 

प्रिया: मेरा तो दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा यार. 

आशना: ठीक मेरे साथ भी कुछ दिन पहले ऐसा ही हुआ था, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. तू तो सिर्फ़ उस स्थिती को सोच कर इतना परेशान है लेकिन मैने तो सब देखा है और फील किया है. देख मैं जानती हूँ कि मुझसे ग़लती हो गई है, तो क्या इस ग़लती की सज़ा मैं वीरेंदर को दूं. 

प्रिया ने गर्दन झुका कर ना मे जवाब दिया. 

आशना ग़लती मैने की है तो सज़ा भी मुझे ही मिलेगी. 

प्रिया: मतलब??

आशना: मतलब यह कि मेरी ग़लती के कारण वीरेंदर यहाँ तक पहुँचे हैं तो अब "वीरेंदर का ख़याल भी मैं ही रखूँगी". 

प्रिया: कैसे??? बहन बनकर.???? 

आशना: कॉन बेहन? किसकी बेहन?
प्रिया: मुझे तेरी कोई भी बात समझ नहीं आ रही. 

आशना: प्रिया बड़ा सिंपल सा है, देख वीरेंदर ने आशना यानी मुझे बचपन मे देखा था, अब वो कैसी दिखती है वो नहीं जानता. अब तक वो मुझे मेडिकल स्टूडेंट समझता था जो कि बॅंगलॉर मे एमबीबीएस कर रही है. 

प्रिया:तो??? 

आशना: तो हम उसे किसी भी लड़की से मिला सकते हैं आशना यानी कि उसकी बेहन बना कर और मैं उसे यह आइ-कार्ड दिखाकर यकीन दिला दूँगी कि मैं उसकी बेहन आशना नहीं हूँ.

प्रिया: लेकिन इस से फ़ायदा क्या होगा.


आशना: डॉक्टर. ने अभी क्या कहा, यही कि अभी वीरेंदर मेंटली काफ़ी स्ट्रेस्ड है तो उसे और ज़्यादा टेन्षन ना दी जाए. इसलिए मैं चाहती हूँ कि उसके दिमाग़ से टेन्षन हटा दूं चाहे मूज़े झूठ का सहारा लेना पड़े.

प्रिया: चल मान लेती हूँ कि मैं किसी भी लड़की को उसकी बेहन आशना बनने के लिए मना लेती हूँ, लेकिन प्राब्लम तो फिर से वहीं की वहीं ही रहेगी ना. 

आशना: क्या???? 

प्रिया: वो तुझ से प्यार करता है. 

आशना: प्यार, यह प्यार क्या होता है प्रिया? क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है, मेरी बात मानो तो प्रिया प्यार का दूसरा नाम हवस है और जब इंसान की हवस पूरी हो जाए तो प्यार ख़तम.वीरेंदर की ज़रूरत प्यार नहीं हवस है और उसकी वो ज़रूरत पूरी करने का मैं कोई ना कोई तरीका ढूँढ ही लूँगी. आख़िर बेहन हूँ उसकी, उसे नहीं पता तो क्या हुआ लेकिन मैं तो अपना फ़र्ज़ निभा कर ही चैन लूँगी. अपने लिए भाभी कहीं ना कहीं से ढूँढ ही लूँगी.

आशना की बात सुनकर प्रिया बोली: आशना सच मे आज मुझे गर्व है कि तू मेरी दोस्त है और यह कह कर उसने आशना को गले लगा लिया. प्रिया के गले लगते ही आशना की आँख से एक आँसू टपक गया. उसके दिमाग़ मे अब फिर से वही सवाल उठ रहे थे "उसका सिम, उसके डाकुमेन्त्स और जो एक बात प्रिया ने उसके दिमाग़ मे अभी अभी डाली कि बीना ने उसे ऐसा करने से रोका क्यूँ नही".

उसके बाद आशना ने प्रिया को समझा दिया कि वीरेंदर के सामने क्या कहना है और आशना ने भी शायद सोच लिया था कि अब देल्ही जाकर क्या करना है. 

सुबह करीब 10:15-10:30 बजे वीरेंदर को होश आ गया था लेकिन उसने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली, काफ़ी कमज़ोरी महसूस कर रह था वो. उसे याद नहीं था कि उसे हॉस्पिटल कॉन लाया लेकिन उसे धुन्द्ला धुन्द्ला आशना का चेहरा याद आ रहा था. आशना का ख़याल आते ही उसे आशना की हक़ीकत याद आ गई और उसके दिल मे एक टीस उठी. उसके दिल से आवाज़ निकली "आशना तुमने ऐसा क्यूँ किया मेरे साथ". 
 
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