hotaks444
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भीमा अब भी अपने काम को अंजाम देने में लगा था और किसी जंगली जानवर की तरह से कामया को अपने आगोस में जकड़े हुए अपने आपको उसके अंदर तक लेजा रहा था और हर धक्के के साथ ही वो बहू को और भी जोर से अपने शरीर से जकड़ते जा रहा था बहू की तो जान ही नहीं बची थी वो यह अच्छी तरह से जानता था पर अपने उफ्फान को ठंडा करे बगैर उसे चैन कहाँ वो उसके लगभग मरे हुए शरीर को भोग रहा था जिसमें कोई जान नहीं बची थी और ना ही कोई हरकत ही थी
हर धक्के के साथ ही बहू का सारा शरीर उसे बाहों में लटका हुआ सा महसूस होता था पर भीमा को क्या वो तो बस अपने को शिखर पर पहुँचते हुए देख रहा था और अपने आपको संतुष्ट करना चाहता था वो पागलो की तरह से अपनी कमर को चलाते हुए बहू को जहां तहाँ चूमता जा रहा था और निचोड़ता जा रहा था वो बी अपने मुकाम पर पहुँचा पर बहुत देर के बाद उसके शरीर की सारी ताकत उसने अपने ऊपर पड़े हुए बहू के शरीर को निचोड़ने में लगा दी और वो भी छोड़ने लगा उसके शरीर का हर अंग अब बहू को अपने अंदर समेटने में लगे थे और किसी बहशी की तरह वो बहू के शरीर पर टूट पड़ता
जब वो शांत हुआ तो बहू के शरीर में कोई भी हलचल नहीं थी उसने बहू को उठाकर वापस बेड पर लिटा दिया और बड़ी ही कामुक नजर से उस सुंदरता को देखता रहा बहू अब भी बिना कोई हरकत के वैसे ही नंगी जैसे उसने लिटाया था लेटी हुई थी भीमा ने भी उठकर अपने कपड़े पहने और वही बेड पर पड़ी हुई चद्दर से बहू को ढँकते हुए जल्दी से बाहर की ओर रवाना हो गया और जाते हुए उसने एक बार फिर से बेड की ओर नजर घुमाई और दरवाजा बंद कर अपनी खोली की ओर बढ़ने लगा
कामया जो कि झड़ने के बाद भीमा चाचा की हर हरकतो को अपने में समाने की कोशिश में थी अब बिल्कुल थक चुकी थी उसमें जान ही नहीं बची कि वो कुछ अपनी तरफ से कोई संघर्ष करती या फिर कोई आपत्ति या फिर कोई साथ देने की कोशिश पर भीमा चाचा के वहशी पन में भी उसे आनंद आया था उसे भीमा चाचा के दरिंदे पन में भी मजा आया था और उनकी हर हरकत का उसने मजा उठाया था आज जो हालत भीमा चाचा ने उसकी की थी वो एक असली मर्द ही किसी औरत का कर सकता था जैसे उसे निढाल किया था और जैसे उसे थका दिया था वो एक असली मर्द ही कर सकता था वो यह अच्छे से जान गई थी कि किसी औरत को क्या चाहिए होता है रुपये पैसे के अलावा
जो शरीर सुख वो आज तक अपने पति के साथ भोग रही थी वो तो कुछ भी नहीं था वो तो बस एक इंट्रोडक्षन सा ही था वो तो बस एक नाम मात्र का सुख था जिसका कि अगला स्टेप या फिर आगे का स्टेप यह था उसका शरीर आज बहुत तक चुका था और उसे एक सुखद नींद की ओर धकेल रहा था वो अपने चेहरे पर एक मुश्कान लिए कब सो गई उसे पता नहीं चला हाँ पर हर वक़्त उसके शरीर में एक नई तरावट आती जा रही थी उसके शरीर में एक अनौखि लहर उठी जा रही थी उसके हर अंग में एक मादकता और मदहोशी का नशा बढ़ता जा रहा था उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था और किसी अंजाने सफर की तैयारी करने लगा था
शाम को उसकी नींद तब खुली जब इंटरकम बजा
कामया- हाँ…
- जी मम्मीजी चाय को आने वाली है
कामया- हाँ…
उस तरफ भीमा चाचा थे वो जल्दी से उठी और वैसे ही बिना कपड़ों के ही जल्दी से बाथरूम में घुस गई थी और जल्दी से तैयार होकर नीचे मम्मीजी के पास पहुँच गई
मम्मीजी- तैयार नहीं हुई बहू लाखा आता होगा
कामया- जी बस होती हूँ
पर कामया का मूड आज कहीं भी जाने नहीं था वो बहुत थक चुकी थी और अब भी उसका शरीर दुख रहा था पर यह सोचते ही कि लाखा काका के साथ भी वही होगा जो आज भीमा चाचा ने किया था उसके शरीर में एक जान फिर से आ गई और वो जल्दी से चाय पीकर अपने कमरे की ओर भागी और तैयारी करने लगी अपने अगले मज़े के लिए वही साड़ी और ब्लाउस उसने निकाला और तैयारी कने लगी पर अचानक ही उसके जेहन में एक बात आई कि आज भीमा चाचा ने उसे एक बात बताई थी तब जब वो अपना लिंग उसके मुख में डाल रहे थे कि लाखा का भी तो लिया था तो वो कुछ देर के लिया ठहर गई
तो क्या लाखा ने भीमा चाचा को पहले दिन ही बता दिया था कि गाड़ी चलाते हुए क्या हुआ था और काका ने उसके साथ क्या किया था अरे बाप रे तो क्या भीमा ने भी काका को बताया होगा कि उन्होंने कामया के साथ कब और कैसे अरे बाप रे
उसकी जान अब तो मुँह को आने को थी अब क्या होगा अगर यह बात फैल गई तो पर इन दोनों ने एक दूसरे को यह बात क्यों बताई यह लाखा काका ने अच्छा नहीं किया वो तैयार होना छोड़ कर वही बेड पर बैठी रही और बहुत कुछ सोचने को मजबूर होने लगी थी लाखा काका पापाजी के ड्राइवर थे और इस घर के बहुत पुराने कामया का पूरा शरीर सुन्न सा हो गया था
वो अब तैयार होना भूल गई थी और कमरे में ही चालकदमी करने लगी थी और करती रही बहुत देर तक उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था बहुत देर बाद उसकी नजर आचनक की घड़ी ओर गई तो देखा कि 8 30 होने को है पर काका तो आज नहीं आए वो वैसे ही खड़ी-खड़ी सोचने लगी क्या बात है काका आए क्यों नहीं
पर थोड़ी देर बाद जैसे ही पोर्च में गाड़ी रुकने की आवाज आई वो थोड़ा सा ठिठकी कि अभी आया है काका पर नहीं काका नहीं थे पापाजी जी थे शोरुम से घर आ गये थे मतलब आज काका नहीं आए पर क्यों कामया सोचते सोचते कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाल पाई और टीवी ओन करके कमरे मे ही बैठी रही
जब कामेश आया तो वो थोड़ा सा एंगेज हुई पर दिमाग में तो वही बात थी कि काका आज आए क्यों नहीं
कामेश- क्या कर रही हो
कामया- और क्या करू बैठी हूँ और टीवी देख रही हूँ
कामेश- आज भी लाखा नहीं आया ना
कामया- हाँ…
कामेश- पता नहीं क्या हुआ है उसे
कामया- क्यों
कामेश- कुछ खोया हुआ सा रहता है
कामया- क्या हुआ
कामेश- पता नहीं आज भी कहा था कि घर चले जाना पर कहता है कि कल से चला जाउन्गा
कामया- ओह्ह्ह्ह्ह्ह
कामेश- तुमने कही डांटा वाटा तो नहीं था ही ही ही और कहता हुआ जल्दी से बाथरूम में घुस गया
कामया भी सोचने लगी कि आखिर क्या बात है क्या हुआ है काका को क्यों नहीं आए है कही अपने किए पर पछता तो नहीं रहे है शायद यही हो सकता है पर कामया को तो उसपर सिर्फ़ इस बात का गुस्सा था कि उसने भीमा चाचा को क्यों बताया और तो कुछ भी नहीं
वो खड़ी हुई और वारड्रोब से कामेश के लिए कपड़े निकालने लगी
शायद वो जान सके कि क्या बात है
हर धक्के के साथ ही बहू का सारा शरीर उसे बाहों में लटका हुआ सा महसूस होता था पर भीमा को क्या वो तो बस अपने को शिखर पर पहुँचते हुए देख रहा था और अपने आपको संतुष्ट करना चाहता था वो पागलो की तरह से अपनी कमर को चलाते हुए बहू को जहां तहाँ चूमता जा रहा था और निचोड़ता जा रहा था वो बी अपने मुकाम पर पहुँचा पर बहुत देर के बाद उसके शरीर की सारी ताकत उसने अपने ऊपर पड़े हुए बहू के शरीर को निचोड़ने में लगा दी और वो भी छोड़ने लगा उसके शरीर का हर अंग अब बहू को अपने अंदर समेटने में लगे थे और किसी बहशी की तरह वो बहू के शरीर पर टूट पड़ता
जब वो शांत हुआ तो बहू के शरीर में कोई भी हलचल नहीं थी उसने बहू को उठाकर वापस बेड पर लिटा दिया और बड़ी ही कामुक नजर से उस सुंदरता को देखता रहा बहू अब भी बिना कोई हरकत के वैसे ही नंगी जैसे उसने लिटाया था लेटी हुई थी भीमा ने भी उठकर अपने कपड़े पहने और वही बेड पर पड़ी हुई चद्दर से बहू को ढँकते हुए जल्दी से बाहर की ओर रवाना हो गया और जाते हुए उसने एक बार फिर से बेड की ओर नजर घुमाई और दरवाजा बंद कर अपनी खोली की ओर बढ़ने लगा
कामया जो कि झड़ने के बाद भीमा चाचा की हर हरकतो को अपने में समाने की कोशिश में थी अब बिल्कुल थक चुकी थी उसमें जान ही नहीं बची कि वो कुछ अपनी तरफ से कोई संघर्ष करती या फिर कोई आपत्ति या फिर कोई साथ देने की कोशिश पर भीमा चाचा के वहशी पन में भी उसे आनंद आया था उसे भीमा चाचा के दरिंदे पन में भी मजा आया था और उनकी हर हरकत का उसने मजा उठाया था आज जो हालत भीमा चाचा ने उसकी की थी वो एक असली मर्द ही किसी औरत का कर सकता था जैसे उसे निढाल किया था और जैसे उसे थका दिया था वो एक असली मर्द ही कर सकता था वो यह अच्छे से जान गई थी कि किसी औरत को क्या चाहिए होता है रुपये पैसे के अलावा
जो शरीर सुख वो आज तक अपने पति के साथ भोग रही थी वो तो कुछ भी नहीं था वो तो बस एक इंट्रोडक्षन सा ही था वो तो बस एक नाम मात्र का सुख था जिसका कि अगला स्टेप या फिर आगे का स्टेप यह था उसका शरीर आज बहुत तक चुका था और उसे एक सुखद नींद की ओर धकेल रहा था वो अपने चेहरे पर एक मुश्कान लिए कब सो गई उसे पता नहीं चला हाँ पर हर वक़्त उसके शरीर में एक नई तरावट आती जा रही थी उसके शरीर में एक अनौखि लहर उठी जा रही थी उसके हर अंग में एक मादकता और मदहोशी का नशा बढ़ता जा रहा था उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था और किसी अंजाने सफर की तैयारी करने लगा था
शाम को उसकी नींद तब खुली जब इंटरकम बजा
कामया- हाँ…
- जी मम्मीजी चाय को आने वाली है
कामया- हाँ…
उस तरफ भीमा चाचा थे वो जल्दी से उठी और वैसे ही बिना कपड़ों के ही जल्दी से बाथरूम में घुस गई थी और जल्दी से तैयार होकर नीचे मम्मीजी के पास पहुँच गई
मम्मीजी- तैयार नहीं हुई बहू लाखा आता होगा
कामया- जी बस होती हूँ
पर कामया का मूड आज कहीं भी जाने नहीं था वो बहुत थक चुकी थी और अब भी उसका शरीर दुख रहा था पर यह सोचते ही कि लाखा काका के साथ भी वही होगा जो आज भीमा चाचा ने किया था उसके शरीर में एक जान फिर से आ गई और वो जल्दी से चाय पीकर अपने कमरे की ओर भागी और तैयारी करने लगी अपने अगले मज़े के लिए वही साड़ी और ब्लाउस उसने निकाला और तैयारी कने लगी पर अचानक ही उसके जेहन में एक बात आई कि आज भीमा चाचा ने उसे एक बात बताई थी तब जब वो अपना लिंग उसके मुख में डाल रहे थे कि लाखा का भी तो लिया था तो वो कुछ देर के लिया ठहर गई
तो क्या लाखा ने भीमा चाचा को पहले दिन ही बता दिया था कि गाड़ी चलाते हुए क्या हुआ था और काका ने उसके साथ क्या किया था अरे बाप रे तो क्या भीमा ने भी काका को बताया होगा कि उन्होंने कामया के साथ कब और कैसे अरे बाप रे
उसकी जान अब तो मुँह को आने को थी अब क्या होगा अगर यह बात फैल गई तो पर इन दोनों ने एक दूसरे को यह बात क्यों बताई यह लाखा काका ने अच्छा नहीं किया वो तैयार होना छोड़ कर वही बेड पर बैठी रही और बहुत कुछ सोचने को मजबूर होने लगी थी लाखा काका पापाजी के ड्राइवर थे और इस घर के बहुत पुराने कामया का पूरा शरीर सुन्न सा हो गया था
वो अब तैयार होना भूल गई थी और कमरे में ही चालकदमी करने लगी थी और करती रही बहुत देर तक उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था बहुत देर बाद उसकी नजर आचनक की घड़ी ओर गई तो देखा कि 8 30 होने को है पर काका तो आज नहीं आए वो वैसे ही खड़ी-खड़ी सोचने लगी क्या बात है काका आए क्यों नहीं
पर थोड़ी देर बाद जैसे ही पोर्च में गाड़ी रुकने की आवाज आई वो थोड़ा सा ठिठकी कि अभी आया है काका पर नहीं काका नहीं थे पापाजी जी थे शोरुम से घर आ गये थे मतलब आज काका नहीं आए पर क्यों कामया सोचते सोचते कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाल पाई और टीवी ओन करके कमरे मे ही बैठी रही
जब कामेश आया तो वो थोड़ा सा एंगेज हुई पर दिमाग में तो वही बात थी कि काका आज आए क्यों नहीं
कामेश- क्या कर रही हो
कामया- और क्या करू बैठी हूँ और टीवी देख रही हूँ
कामेश- आज भी लाखा नहीं आया ना
कामया- हाँ…
कामेश- पता नहीं क्या हुआ है उसे
कामया- क्यों
कामेश- कुछ खोया हुआ सा रहता है
कामया- क्या हुआ
कामेश- पता नहीं आज भी कहा था कि घर चले जाना पर कहता है कि कल से चला जाउन्गा
कामया- ओह्ह्ह्ह्ह्ह
कामेश- तुमने कही डांटा वाटा तो नहीं था ही ही ही और कहता हुआ जल्दी से बाथरूम में घुस गया
कामया भी सोचने लगी कि आखिर क्या बात है क्या हुआ है काका को क्यों नहीं आए है कही अपने किए पर पछता तो नहीं रहे है शायद यही हो सकता है पर कामया को तो उसपर सिर्फ़ इस बात का गुस्सा था कि उसने भीमा चाचा को क्यों बताया और तो कुछ भी नहीं
वो खड़ी हुई और वारड्रोब से कामेश के लिए कपड़े निकालने लगी
शायद वो जान सके कि क्या बात है