hotaks444
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हम फिर से अदला बदली कर के बैठ गये और फिर कोशिश की… नतीजा ढाक के तीन पात….! फिरसे वही ग़लती हो गयी, और गाड़ी झटके खाकर फिरसे बंद हो गयी…
कामिनी भाभी बोली – इतना आसान काम भी आपसे नही हो पा रहा,
मेने कहा – ये आपके लिए आसान होगा भाभी, क्योंकि आप जानती हैं, लेकिन मेरे लिए तो ये अभी बहुत मुश्किल लग रहा है…
मेरी बात समझते हुए वो बोली – सही कह रहे हो, अब आपको सिखाने का एक ही तरीक़ा है..,
मेने पूछा – क्या ?
तो वो थोड़ा मुस्कराते हुए बोली – कल ही बताउन्गी, अब चलो चलते हैं यहाँ से.., अब कल से ही शुरू करेंगे…,
फिर हमने उन दोनो को भी वहाँ से पिक किया और घर वापस लौट लिए…
दूसरे दिन मंडे था, मे सुबह-2 कॉलेज चला गया… अपने पीरियड अटेंड किए..
फिर जैसे ही घर निकलने लगा… तो कुछ दोस्तों ने मुझे रोक लिया… और उस दिन हुई घटना के बारे में चर्चा करने लगे…
मेने उन सबको साथ देने के लिए थॅंक्स बोला,… उनमें से कुछ ने प्रॉमिस किया.. कि वो हमेशा उसके साथ रहेंगे…
ज़्यादातर का विचार था कि रागिनी और उसका भाई ग़लत हैं.. और उन्हें जो सज़ा मिली है वो एकदम सही है..
उसके बाद मे घर आया, खाना- वाना ख़ाके.. थोड़ा लेक्चरर रिव्यू किए.., कोई 3 बजे कामिनी भाभी मेरे पास आई और गाड़ी सीखने जाने के लिए कहा..
वो आज भी साड़ी- ब्लाउज में ही थी.. जो एक गाँव में ससुराल के चलन के हिसाब से अवाय्ड नही किया जा सकता था.. पहनना मजबूरी थी..
फेब्रुवरी का एंड था, ज़्यादा ठंड भी नही थी तो मेने भी एक ट्रॅक सूट पहन लिया और चल दिए गाड़ी सीखने…
ग्राउंड में पहुँच कर भाभी ने गाड़ी खड़ी की और मुझे कहा – देवर्जी.. ज़रा बाहर जाकर खड़े हो जाओ…
मेने कहा – क्यों भाभी..?
वो – अरे बस थोड़ी देर के लिए… जाओ तो सही… मे बाहर उतर गया.. वो भी बाहर आ गयी और बोली – गाड़ी के पीछे खड़े होकर देखो, कोई इधर-उधर है तो नही..
मे पीछे जाकर चारों तरफ नज़र दौड़ा कर देखने लगा.. भाभी पीछे की सीट पर गयी, वहाँ जाकर उन्होने अपनी साड़ी और ब्लाउज निकालकर एक टीशर्ट पहन ली….
नीचे वो पेटिकोट की जगह एक स्लेकक जैसी पहने हुए थी, जो बहुत ही सॉफ्ट और हल्की एकदम फिट.., साड़ी मोटे कपड़े की होने की वजह से पता नही चला कि वो पेटिकोट पहने थी या नही..
वो फिर से बाहर आकर साइड वाली सीट पर बैठ गयी और मुझे आवाज़ दी कि अब आ जाओ..
मेने जैसे ही उन्हें देखा… मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया… गाढ़े लाल रंग की टीशर्ट और ब्लू स्लेकक जो दोनो ही इतने टाइट फिट की उनके शरीर का एक एक कटाव साफ-साफ दिख रहा था,.. इन कपड़ों में वो एकदम माल लग रही थी..
ऐसे क्या देख रहे हो…? भाभी ने जब मुझसे कहा… तब मेरी तंद्रा टूटी….
मेने अपना सर झटक कर कहा – ये आपने इतनी जल्दी चेंज कर लिया… ? पर भाभी आपको यहाँ किसी ने इन कपड़ों में देख लिया तो..?
वो – यहाँ कॉन जानता है कि हम कॉन हैं..? वैसे साड़ी में आपको ड्राइविंग सिखाना मुश्किल पड़ता इसलिए मेने कल नही सिखाया ..
अब चलो गाड़ी स्टार्ट करो, देखें कितना तक कर पाते हो…
मे ड्राइविंग सीट पर बैठा, और गाड़ी स्टार्ट की, फिर वो जैसे-2 बताती गयी… क्लच दबाया, फिर फर्स्ट गियर डाला, और गाड़ी आगे बढ़ाई कि वो साली फिरसे झटका खाकर बंद हो गयी…
भाभी बोली – अभी आपके बस का नही है… अब मुझे ही बैठना पड़ेगा आपके पास.. तभी कुछ हो पाएगा..
फिर वो उतर कर मेरी तरफ आई, गेट खोल कर बोली.. चलो खिस्को उधर....
मे थोड़ा गियर साइड को खिसक गया.. और आधी सीट उनके लिए खाली कर दी…
वो मेरे साथ सॅट कर बैठ गयी… मेरी तो सिट्टी-पिटी गुम हो गयी यार…
क्या अहसास था उनकी मांसल जाघ के टच होने का मेरी जाँघ के साथ… ऊपर से ना जाने कॉन्सा पर्फ्यूम लगाया था उन्होने…
उनके टच और बदन की मादक खुश्बू से मेरा शरीर झनझणा गया… उनकी खनकती आवाज़ से मे होश में लौटा..
वो बोली – अब गाड़ी स्टार्ट करो…देवर्जी ! या ऐसे ही बैठके मुझे देखते रहोगे..
अपनी तो साली इज़्ज़त की वाट लग गयी.. और मेरी स्थिति पर वो मन ही मन खुश हो रही थी..
मेने गाड़ी स्टार्ट की.., उन्होने कहा अपना लेफ्ट पैर क्लच पर रखो… मेने रख लिया.. फिर उन्होने राइट पैर को एग्ज़िलेटर पर रखने को कहा…और मुझे स्टीरिंग पकड़ा दी…
फिर उन्होने मेरे पैरों के ऊपर से अपना भी एक पैर भी रख लिया और क्लच दबा कर गियर डालने को कहा....
मेने ठीक वैसा ही किया… फिर वो बोली.. देखो एग्ज़िलेटर जब तक में ना कहूँ दबाना मत और क्लच से जैसे – जैसे में आपके पैर के ऊपर से अपने पैर का दबाब कम करूँ, आप भी उतना ही उसको छोड़ते जाना… ठीक है…
मेने हां में सर हिलाया.. लेकिन मेरा दिमाग़ आधा उनके रूप लावण्य और टाइट फिट कपड़ों से उभरते हुए यौवन पर ही अटका पड़ा था…
फिर उन्होने जैसे-2 अपने पैर का दबाब हटाया.. मे भी अपना पैर ऊपर करता गया..
कामिनी भाभी बोली – इतना आसान काम भी आपसे नही हो पा रहा,
मेने कहा – ये आपके लिए आसान होगा भाभी, क्योंकि आप जानती हैं, लेकिन मेरे लिए तो ये अभी बहुत मुश्किल लग रहा है…
मेरी बात समझते हुए वो बोली – सही कह रहे हो, अब आपको सिखाने का एक ही तरीक़ा है..,
मेने पूछा – क्या ?
तो वो थोड़ा मुस्कराते हुए बोली – कल ही बताउन्गी, अब चलो चलते हैं यहाँ से.., अब कल से ही शुरू करेंगे…,
फिर हमने उन दोनो को भी वहाँ से पिक किया और घर वापस लौट लिए…
दूसरे दिन मंडे था, मे सुबह-2 कॉलेज चला गया… अपने पीरियड अटेंड किए..
फिर जैसे ही घर निकलने लगा… तो कुछ दोस्तों ने मुझे रोक लिया… और उस दिन हुई घटना के बारे में चर्चा करने लगे…
मेने उन सबको साथ देने के लिए थॅंक्स बोला,… उनमें से कुछ ने प्रॉमिस किया.. कि वो हमेशा उसके साथ रहेंगे…
ज़्यादातर का विचार था कि रागिनी और उसका भाई ग़लत हैं.. और उन्हें जो सज़ा मिली है वो एकदम सही है..
उसके बाद मे घर आया, खाना- वाना ख़ाके.. थोड़ा लेक्चरर रिव्यू किए.., कोई 3 बजे कामिनी भाभी मेरे पास आई और गाड़ी सीखने जाने के लिए कहा..
वो आज भी साड़ी- ब्लाउज में ही थी.. जो एक गाँव में ससुराल के चलन के हिसाब से अवाय्ड नही किया जा सकता था.. पहनना मजबूरी थी..
फेब्रुवरी का एंड था, ज़्यादा ठंड भी नही थी तो मेने भी एक ट्रॅक सूट पहन लिया और चल दिए गाड़ी सीखने…
ग्राउंड में पहुँच कर भाभी ने गाड़ी खड़ी की और मुझे कहा – देवर्जी.. ज़रा बाहर जाकर खड़े हो जाओ…
मेने कहा – क्यों भाभी..?
वो – अरे बस थोड़ी देर के लिए… जाओ तो सही… मे बाहर उतर गया.. वो भी बाहर आ गयी और बोली – गाड़ी के पीछे खड़े होकर देखो, कोई इधर-उधर है तो नही..
मे पीछे जाकर चारों तरफ नज़र दौड़ा कर देखने लगा.. भाभी पीछे की सीट पर गयी, वहाँ जाकर उन्होने अपनी साड़ी और ब्लाउज निकालकर एक टीशर्ट पहन ली….
नीचे वो पेटिकोट की जगह एक स्लेकक जैसी पहने हुए थी, जो बहुत ही सॉफ्ट और हल्की एकदम फिट.., साड़ी मोटे कपड़े की होने की वजह से पता नही चला कि वो पेटिकोट पहने थी या नही..
वो फिर से बाहर आकर साइड वाली सीट पर बैठ गयी और मुझे आवाज़ दी कि अब आ जाओ..
मेने जैसे ही उन्हें देखा… मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया… गाढ़े लाल रंग की टीशर्ट और ब्लू स्लेकक जो दोनो ही इतने टाइट फिट की उनके शरीर का एक एक कटाव साफ-साफ दिख रहा था,.. इन कपड़ों में वो एकदम माल लग रही थी..
ऐसे क्या देख रहे हो…? भाभी ने जब मुझसे कहा… तब मेरी तंद्रा टूटी….
मेने अपना सर झटक कर कहा – ये आपने इतनी जल्दी चेंज कर लिया… ? पर भाभी आपको यहाँ किसी ने इन कपड़ों में देख लिया तो..?
वो – यहाँ कॉन जानता है कि हम कॉन हैं..? वैसे साड़ी में आपको ड्राइविंग सिखाना मुश्किल पड़ता इसलिए मेने कल नही सिखाया ..
अब चलो गाड़ी स्टार्ट करो, देखें कितना तक कर पाते हो…
मे ड्राइविंग सीट पर बैठा, और गाड़ी स्टार्ट की, फिर वो जैसे-2 बताती गयी… क्लच दबाया, फिर फर्स्ट गियर डाला, और गाड़ी आगे बढ़ाई कि वो साली फिरसे झटका खाकर बंद हो गयी…
भाभी बोली – अभी आपके बस का नही है… अब मुझे ही बैठना पड़ेगा आपके पास.. तभी कुछ हो पाएगा..
फिर वो उतर कर मेरी तरफ आई, गेट खोल कर बोली.. चलो खिस्को उधर....
मे थोड़ा गियर साइड को खिसक गया.. और आधी सीट उनके लिए खाली कर दी…
वो मेरे साथ सॅट कर बैठ गयी… मेरी तो सिट्टी-पिटी गुम हो गयी यार…
क्या अहसास था उनकी मांसल जाघ के टच होने का मेरी जाँघ के साथ… ऊपर से ना जाने कॉन्सा पर्फ्यूम लगाया था उन्होने…
उनके टच और बदन की मादक खुश्बू से मेरा शरीर झनझणा गया… उनकी खनकती आवाज़ से मे होश में लौटा..
वो बोली – अब गाड़ी स्टार्ट करो…देवर्जी ! या ऐसे ही बैठके मुझे देखते रहोगे..
अपनी तो साली इज़्ज़त की वाट लग गयी.. और मेरी स्थिति पर वो मन ही मन खुश हो रही थी..
मेने गाड़ी स्टार्ट की.., उन्होने कहा अपना लेफ्ट पैर क्लच पर रखो… मेने रख लिया.. फिर उन्होने राइट पैर को एग्ज़िलेटर पर रखने को कहा…और मुझे स्टीरिंग पकड़ा दी…
फिर उन्होने मेरे पैरों के ऊपर से अपना भी एक पैर भी रख लिया और क्लच दबा कर गियर डालने को कहा....
मेने ठीक वैसा ही किया… फिर वो बोली.. देखो एग्ज़िलेटर जब तक में ना कहूँ दबाना मत और क्लच से जैसे – जैसे में आपके पैर के ऊपर से अपने पैर का दबाब कम करूँ, आप भी उतना ही उसको छोड़ते जाना… ठीक है…
मेने हां में सर हिलाया.. लेकिन मेरा दिमाग़ आधा उनके रूप लावण्य और टाइट फिट कपड़ों से उभरते हुए यौवन पर ही अटका पड़ा था…
फिर उन्होने जैसे-2 अपने पैर का दबाब हटाया.. मे भी अपना पैर ऊपर करता गया..