Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - Page 11 - SexBaba
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Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस

हम फिर से अदला बदली कर के बैठ गये और फिर कोशिश की… नतीजा ढाक के तीन पात….! फिरसे वही ग़लती हो गयी, और गाड़ी झटके खाकर फिरसे बंद हो गयी…

कामिनी भाभी बोली – इतना आसान काम भी आपसे नही हो पा रहा,

मेने कहा – ये आपके लिए आसान होगा भाभी, क्योंकि आप जानती हैं, लेकिन मेरे लिए तो ये अभी बहुत मुश्किल लग रहा है…

मेरी बात समझते हुए वो बोली – सही कह रहे हो, अब आपको सिखाने का एक ही तरीक़ा है..,

मेने पूछा – क्या ?

तो वो थोड़ा मुस्कराते हुए बोली – कल ही बताउन्गी, अब चलो चलते हैं यहाँ से.., अब कल से ही शुरू करेंगे…,

फिर हमने उन दोनो को भी वहाँ से पिक किया और घर वापस लौट लिए…
दूसरे दिन मंडे था, मे सुबह-2 कॉलेज चला गया… अपने पीरियड अटेंड किए..

फिर जैसे ही घर निकलने लगा… तो कुछ दोस्तों ने मुझे रोक लिया… और उस दिन हुई घटना के बारे में चर्चा करने लगे…

मेने उन सबको साथ देने के लिए थॅंक्स बोला,… उनमें से कुछ ने प्रॉमिस किया.. कि वो हमेशा उसके साथ रहेंगे…

ज़्यादातर का विचार था कि रागिनी और उसका भाई ग़लत हैं.. और उन्हें जो सज़ा मिली है वो एकदम सही है..

उसके बाद मे घर आया, खाना- वाना ख़ाके.. थोड़ा लेक्चरर रिव्यू किए.., कोई 3 बजे कामिनी भाभी मेरे पास आई और गाड़ी सीखने जाने के लिए कहा..

वो आज भी साड़ी- ब्लाउज में ही थी.. जो एक गाँव में ससुराल के चलन के हिसाब से अवाय्ड नही किया जा सकता था.. पहनना मजबूरी थी..

फेब्रुवरी का एंड था, ज़्यादा ठंड भी नही थी तो मेने भी एक ट्रॅक सूट पहन लिया और चल दिए गाड़ी सीखने…

ग्राउंड में पहुँच कर भाभी ने गाड़ी खड़ी की और मुझे कहा – देवर्जी.. ज़रा बाहर जाकर खड़े हो जाओ…

मेने कहा – क्यों भाभी..?

वो – अरे बस थोड़ी देर के लिए… जाओ तो सही… मे बाहर उतर गया.. वो भी बाहर आ गयी और बोली – गाड़ी के पीछे खड़े होकर देखो, कोई इधर-उधर है तो नही..

मे पीछे जाकर चारों तरफ नज़र दौड़ा कर देखने लगा.. भाभी पीछे की सीट पर गयी, वहाँ जाकर उन्होने अपनी साड़ी और ब्लाउज निकालकर एक टीशर्ट पहन ली….

नीचे वो पेटिकोट की जगह एक स्लेकक जैसी पहने हुए थी, जो बहुत ही सॉफ्ट और हल्की एकदम फिट.., साड़ी मोटे कपड़े की होने की वजह से पता नही चला कि वो पेटिकोट पहने थी या नही..

वो फिर से बाहर आकर साइड वाली सीट पर बैठ गयी और मुझे आवाज़ दी कि अब आ जाओ..

मेने जैसे ही उन्हें देखा… मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया… गाढ़े लाल रंग की टीशर्ट और ब्लू स्लेकक जो दोनो ही इतने टाइट फिट की उनके शरीर का एक एक कटाव साफ-साफ दिख रहा था,.. इन कपड़ों में वो एकदम माल लग रही थी..

ऐसे क्या देख रहे हो…? भाभी ने जब मुझसे कहा… तब मेरी तंद्रा टूटी….

मेने अपना सर झटक कर कहा – ये आपने इतनी जल्दी चेंज कर लिया… ? पर भाभी आपको यहाँ किसी ने इन कपड़ों में देख लिया तो..?

वो – यहाँ कॉन जानता है कि हम कॉन हैं..? वैसे साड़ी में आपको ड्राइविंग सिखाना मुश्किल पड़ता इसलिए मेने कल नही सिखाया ..

अब चलो गाड़ी स्टार्ट करो, देखें कितना तक कर पाते हो…

मे ड्राइविंग सीट पर बैठा, और गाड़ी स्टार्ट की, फिर वो जैसे-2 बताती गयी… क्लच दबाया, फिर फर्स्ट गियर डाला, और गाड़ी आगे बढ़ाई कि वो साली फिरसे झटका खाकर बंद हो गयी…

भाभी बोली – अभी आपके बस का नही है… अब मुझे ही बैठना पड़ेगा आपके पास.. तभी कुछ हो पाएगा..

फिर वो उतर कर मेरी तरफ आई, गेट खोल कर बोली.. चलो खिस्को उधर....

मे थोड़ा गियर साइड को खिसक गया.. और आधी सीट उनके लिए खाली कर दी…
वो मेरे साथ सॅट कर बैठ गयी… मेरी तो सिट्टी-पिटी गुम हो गयी यार…

क्या अहसास था उनकी मांसल जाघ के टच होने का मेरी जाँघ के साथ… ऊपर से ना जाने कॉन्सा पर्फ्यूम लगाया था उन्होने…

उनके टच और बदन की मादक खुश्बू से मेरा शरीर झनझणा गया… उनकी खनकती आवाज़ से मे होश में लौटा..

वो बोली – अब गाड़ी स्टार्ट करो…देवर्जी ! या ऐसे ही बैठके मुझे देखते रहोगे..
अपनी तो साली इज़्ज़त की वाट लग गयी.. और मेरी स्थिति पर वो मन ही मन खुश हो रही थी..

मेने गाड़ी स्टार्ट की.., उन्होने कहा अपना लेफ्ट पैर क्लच पर रखो… मेने रख लिया.. फिर उन्होने राइट पैर को एग्ज़िलेटर पर रखने को कहा…और मुझे स्टीरिंग पकड़ा दी…

फिर उन्होने मेरे पैरों के ऊपर से अपना भी एक पैर भी रख लिया और क्लच दबा कर गियर डालने को कहा....

मेने ठीक वैसा ही किया… फिर वो बोली.. देखो एग्ज़िलेटर जब तक में ना कहूँ दबाना मत और क्लच से जैसे – जैसे में आपके पैर के ऊपर से अपने पैर का दबाब कम करूँ, आप भी उतना ही उसको छोड़ते जाना… ठीक है…

मेने हां में सर हिलाया.. लेकिन मेरा दिमाग़ आधा उनके रूप लावण्य और टाइट फिट कपड़ों से उभरते हुए यौवन पर ही अटका पड़ा था…

फिर उन्होने जैसे-2 अपने पैर का दबाब हटाया.. मे भी अपना पैर ऊपर करता गया..
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन्होने झिड़कते हुए कहा.. पूरा पैर क्यों उठाते हो…खाली पंजे का दबाब कम करना है.. हील गाड़ी के फ्लोर पर ही टिकी रहनी चाहिए…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर मेने वैसे ही किया.., अब गाड़ी बिना एंजिन बंद हुए आगे को बढ़ने लगी…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो बोली – यस ! अब स्टीरिंग को जस्ट देखो… और गाड़ी तुम्हारे हिसाब से दूसरी तरफ जाती हुई दिखे तभी उसे हल्के से दिशा देना है… अब थोड़ा-2 एग्ज़िलेटर पर दबाब डालो..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेने जैसे ही पैर दबाया.. वो थोड़ा ज़्यादा दब गया और गाड़ी झटके के साथ आगे बढ़ने लगी.. हड़बड़ी में मे स्टीरिंग संभालना भी भूल गया..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]देखते-2 गाड़ी मैदान से बाहर की तरफ जाने लगी… भाभी एकदम से चिल्लाई.. सम्भालो.. और उन्होने झटके से अपने हाथ स्टीरिंग पर लगाए तो उनकी मांसल गोरी-2 नंगी बाहें मेरे सीने से रगड़ने लगी..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]गाड़ी तो कंट्रोल हो गयी.. लेकिन अब भाभी का शरीर मेरे शरीर से और ज़्यादा सॅट गया.. मुझे कंपकपि सी होने लगी…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी में अपने होश इकट्ठा करने की कोशिश में ही था… कि तभी वो बोली – देवर जी.. देखो गाड़ी के एंजिन की आवाज़ ज़्यादा है.. इसका मतलव अब तुम्हें दूसरा गियर डालना पड़ेगा..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और उन्होने मेरे क्लच वाले पैर को दबा दिया.. जब क्लच दब गयी तो वो बोली – अब एग्ज़िलेटर कम करो… और दूसरा गियर डालो..[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेने एग्ज़िलेटर कम कर के दूसरा गियर डाला तो वो नही पड़ा.. क्योंकि मे उसे न्यूट्रल स्लॉट में लाना भूल गया था…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो – अरे.. क्या करते हो देवर जी.. डालो ना.. मेने कहा – पड़ ही नही रहा भाभी..मे क्या करूँ..?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तो फिर उन्होने अपना हाथ लंबा कर के गियर डालने के लिए बढ़ाया.. जिससे उनकी एल्बो…आहह….मेरे लंड को दबा दिया… मेरे मुँह से अह्ह्ह्ह… निकल गयी…[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]गियर तो पड़ गया… और उन्होने अपनी एल्बो का दबाब भी कम कर दिया.. लेकिन[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेकिन मेरे नाग को जगा दिया… जिसको अब यहाँ मनाने का कोई इलाज़ संभव नही था…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी आह… सुन कर उन्होने एक नज़र मेरी ओर देखा और मुस्करा उठी…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब लगभग गाड़ी का सारा कंट्रोल तो उनके हाथ में ही था.. तो दूसरे गियर में भी गाड़ी अच्छे से चल रही थी, लेकिन ऐसे हम दोनो को ही बड़ी दिक्कत हो रही थी.[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर के बाद उन्होने गाड़ी रोक दी और गेट खोल कर बाहर निकल गयी… [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उतरो.. उन्होने आदेश सा दिया… मे बाहर आ गया.. तो उन्होने सीट का लीवर उठाकर सीट को थोड़ा और पीछे को कर दिया.. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब बैठिए… वो बोली .. मे सीधा तन्कर बैठ गया.. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो बोली - अरे आराम से पीठ टिका कर बैठिए… जब मे उनके हिसाब से बैठ गया.. तो वो फिर बोली -[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी टाँगें चौड़ी करिए…, मेने अपनी टाँगें चौड़ी करदी.., अब मेरे आगे काफ़ी जगह बन गयी थी, [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मे अभी ये सोच ही रहा था, कि आख़िर इनका आइडिया है क्या, तभी वो मेरे आगे की जगह पर आकर बैठ गयी…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सत्यानाश हो सिचुयेशन का……वैसे भी साला शरीर में गर्मी बढ़ने लगी थी.. [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब ये गुदगूदे रूई जैसे सॉफ्ट कूल्हे एकदम मेरे खुन्टे के सामने रखे थे, वो भी एकदम सट कर, [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनके कपड़े तो वैसे भी इतने सॉफ्ट और टाइट फिट थे, कि उनका होना ना होना एक बराबर था…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऊपर से उनकी टाइट टीशर्ट से झँकते आमों के उभर और उनका दूध जैसा गोरा सफेद चित्त क्लीवेज मेरी आँखों के ठीक सामने था, [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोने पे सुहागा… उनके बदन से उठती मादक सुगंध…., [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुल मिलकर मेरे लॉड की माM-बेहन एक होने लगी…., वो मेरे शॉर्ट के अंदर किसी ग़ुस्सेल नाग की तरह फुफ्कार मारने लगा…![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऊपर से मुशिबत ये, कि दोनो के बीच इतनी जगह भी नही थी, कि अपना हाथ डालकर उसे अड्जस्ट भी कर सकूँ… साला एक्दाM खूँटे की तरह खड़ा होकर उनकी कमर में ठोकरें मारने लगा…[/font]


[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आख़िर में मेने हथियार डालते हुए कहा… भाभी छोड़िए.., अब घर चलते हैं, ये गाड़ी चलाना मेरे बस का नही है……![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन्होने तिर्छि नज़र कर के मेरी तरफ देखा… अब उनके कंधे का दबाब भी मेरे सीने पर था, और नज़रों का तीखापन देख कर… मेरी रही सही हिम्मत की माँ चुद गयी…[/font]
 
यहाँ तबसे मज़ाक चल रहा है.. उहोने किसी इन्स्ट्रक्टर की तरह कड़क आवाज़ में कहा … चलो चुप चाप गाड़ी स्टार्ट करो.. ऐसा कोई काम है जो इंसान ना कर सके..

बात वो नही थी कि मुझे कोई प्राब्लम हो रही थी…, मेरे लौडे के तो मज़े हो रहे थे, बहुत अच्छा भी लग रहा था… लेकिन मेरे लंड महाराज की उत्तेजना लगातार बढ़ती जा रही थी उसका क्या किया जाए…?

नयी भाभी.. ठीक से अभी तक हसी मज़ाक भी नही हो पाई थी उनके साथ…, ऊपर से एमएलए की बेटी और एसपी की बीवी.., साला कुछ उल्टा-पुल्टा हो गया…., तो इतने जूते पड़ेंगे की गान्ड लाल हो जाएगी… बस ये डर सताए जा रहा था मुझे…!

अब शुरू करो… या सोचते ही रहोगे… ? उनके एक साथ झटके से बोलने पर मेरे हाथ पैर और ज़्यादा फूल गये…, फिर भी काँपते हाथों से मेने गाड़ी स्टार्ट की…

भाभी मेरी स्थिति पर मन ही मन खुश हो रही थी… लेकिन मान-ना पड़ेगा.. कमाल की आक्टिंग थी उनकी…

मज़ाल क्या है…, ज़रा भी फेस पर ऐसा एक्सप्रेशन आने दिया हो कि वो मेरे मज़े ले रहीं हैं…

चलो अब वो सब दोहराओ.. जो पहले कर चुके हैं.. गाड़ी अनकंट्रोल दिखेगी तो ही मे हाथ लगाउन्गी…

मेने क्लच दबा कर गियर डाला.. और धीरे-2 क्लच छोड़ा.. शुरुआत तो सही हुई.. लेकिन लास्ट में झटका लग ही गया.. और वो स्टीरिंग की तरफ झुक गयी…

मे भी झटके से उनकी पीठ से चिपक गया.. झुकने से उनके दशहरी आम एक दम से मेरी नज़रों के सामने आ गये…,

दूसरा सबसे बुरा ये हुआ कि, मेरे सीने के दबाब से वो जैसे ही आगे को हुई, उनकी मखमली गान्ड थोड़ी अधर हो गयी…

लंड महाराज तो इसी ताक में थे, कि कब स्पेस मिले, सॅट्ट से गान्ड के नीचे सरक गये…, और गान्ड की दरार के उपरी भाग पर कब्जा जमा लिया…

खैर.. मेरे पप्पू की तो बल्ले-2 हो रही थी.. लेकिन अपनी तो साली आफ़त में जान अटकी पड़ी थी.., भाभी की गुदगुदी गान्ड के स्पर्श मात्र से ही वो फूल कर कुप्पा हुआ जा रहा था…

भाभी गाड़ी संभालते हुए बोली – कोई बात नही.. ये अच्छा है, कि इस बार गाड़ी बंद नही हुई.. गुड.. अब थोड़ा-2 एग्ज़िलेटर दो…

पैर फिर से थोड़ा ज़्यादा दब गया एग्ज़िलेटर पर, .. और गाड़ी फिर से झटके से आगे बढ़ी.. स्टेआरिंग थोड़ा डिसबॅलेन्स हुई… तो भाभी ने अपने हाथ मेरे हाथों के ऊपर रख कर उसे कंट्रोल कर लिया..

लेकिन उनकी गान्ड और मेरे खूँटे के बीच एक अच्छा सा घिस्सा लग गया…

जब गाड़ी कंट्रोल हुई.. तो उन्होने क्लच दबा कर गियर चेंज करने को कहा.. मेने क्लच तो दबा दी लेकिन एग्ज़िलेटर कम नही किया.. गाड़ी का एंजिन हों..हों.. करने लगा…

भाभी – देवर्जी ! मेने कितनी बार कहा है.. कि जब क्लच दबाओ तो एग्ज़िलेटर नही देना है….. क्या बुलेट भी ऐसे ही चलाते हो..?

मेने दूसरा गियर ठीक से चेंज कर के कहा – वो तो मेरी प्रॅक्टीस में आ गयी है.. इसलिए…, अब इन्हें कॉन बताए, की इस सिचुयेशन में जो भी आता है वो भी भूले बैठे हैं…

अब धीरे – 2 मेरा थोड़ा-2 कॉन्फिडॅन्स आने लगा था.. तो वो बोली- गुड ! वैसे उसी एक्सपीरियेन्स से इसको भी कंट्रोल करो…

जब गाड़ी ठीक से चलने लगी… तो मेने कहा भाभी अब तीसरा डालूं…

वो – नही, आज दो तक ही प्रॅक्टीस करो.. यहाँ तक की अच्छी प्रॅक्टीस होने दो..
उनके हाथ अभी भी मेरे हाथो पर ही थे..
 
जब गाड़ी सही से कंट्रोल में आने लगी.. तो मेरा ध्यान भटकने लगा… वो मेरे सीने से अपनी पीठ टिकाए हुए थी… मेरा पप्पू उनकी गान्ड की दरार के साथ शरारत कर रहा था…

उसका मे फिलहाल कुछ कर भी नही सकता था, क्योंकि मेरे पास पीछे हटने के लिए स्पेस भी नही था…

लाख कंट्रोल के बबजूद भी वो, गाहे-बगाहे ठुमके मार ही देता था,

उसकी ठोकर भाभी को भी महसूस हो रही थी… मेरा मुँह उनके कान के बिल्कुल पास था… और नाक से निकलने वाली हवा उनके कान की लौ को सर-सरा रही थी…

ऐसे मादक बदन की महक और जवानी से लवरेज़ यौवन अगर किसी युवक की गोद में हो तो ये कहना बेमानी होगी.. कि वो अपने आप पर कंट्रोल रख पाएगा…

मेने अपना मुँह उनके गाल के पास करलिया.. मेरे होंठों और उनके गाल का फासला ना के बराबर था.. मेरे मुँह की भाप से वो भी उत्तेजित हो रही थी…

ना जाने कब उनके हाथ स्टेआरिंग से हटकर मेरी जांघों पर आ गये और वो धीरे-2 उन्हें सहलाने लगी…

उनकी ज़ुल्फो की खुसबु मेरा नियंत्रण खोने पर मजबूर कर रही थी,.. लंड बुरी तरह उनकी गान्ड पर ठोकरें मार रहा था… जिसका वो अपनी आँखे मूंदकर स्वाद ले रही थी…

मेरे लौडे की हालत लगातार बद से बदतर होती जा रही थी, वो अंडरवेर के अंदर एंथने लगा था…प्री-कम से उसका टोपा गीला होने लगा…

मेरा अपने ऊपर से नियंत्रण हटता जा रहा था, नतीजा ध्यान स्टीरिंग से हट गया और मेरे होंठ उनके गाल से जा टकराए….

गाड़ी ना जाने कब मैदान छोड़ कर बाजू के खेत में चली गयी और रेत में जा फँसी…और हों-हों करने लगी..

हम दोनो ही हड़बड़ा गये.. हों-हों कर के एंजिन बंद हो गया.. हम दोनो की नज़रें मिली तो वो एक नशीली मुस्कराहट देकर गाड़ी का गेट खोल कर नीचे उतर गयी..

फिर उन्होने मुझे भी उतरने का इशारा किया.. और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गाड़ी को बॅक गियर में डाल कर वहाँ से निकाला…

फिर उन्होने मुझे बगल वाली सीट पर बैठने का इशारा करते हुए कहा – अब आज के लिए इतना ही काफ़ी है…, आगे का कल सीखना.. चलो अब घर चलते हैं.. वैसे दूसरे गियर तक आपने अच्छा किया… वेल डन…!

फिरसे उन्होने पीछे सीट पर जाकर कपड़े चेंज किए, मौके का फ़ायदा उठाकर मे थोड़ी दूर झाड़ियों के पीछे जाकर अपनी टंकी रिलीस करने चला गया.

खड़े लंड से मूत भी रुक-रुक कर आ रहा था, जिससे बहुत देर तक में मुतते रहा, आख़िर जब टंकी रिलीस हुई, तब जाकर कुछ राहत महसूस हुई.


रास्ते में हमने ज़्यादा कोई बात नही की.. बस कुछ एक दो ड्राइविंग से ही रिलेटेड कुछ बातें…!

घर आते-2 शाम हो चुकी थी…. तो मे थोड़ी देर के लिए चाची के पास चला गया.. बच्चे को गोद में लेकर खेलता रहा.. चाची अपने काम काज में लगी रही…

रात का खाना खा-पीकर मोहिनी भाभी ने मुझे अपने कमरे में आने का इशारा किया…

मेरे पहुँचते ही वो बोली – हां तो आज कितना तक सीखा..?

तो मेने उन्हें बताया कि आज दूसरे गियर तक ही सीखा है.. लगता है हफ्ते-दस दिन में आजाएगी…!

वो – थोड़ा डीटेल में बताओ.. कैसे शुरुआत की क्या-2 प्राब्लम हुई.. ?

मे – अरे ! इन सबको जान कर आपको क्या लेना देना..?

वो – मेरा भी मन किया तो मे तुमसे सीख लूँगी ना.. वो थोड़ा शोख अंदाज में बोली…

मे उनके कहने का मतलव समझ गया… और वैसे भी मे भाभी से कोई बात छिपा भी नही पाता था… पता नही वो कैसे मेरे मन के चोर को भाँप लेती थी..

सो मेने सब डीटेल उन्हें बता दिया… वो कुछ देर तक मुस्करती रही…

मेने पूछा – आप मुस्करा क्यों रही हो .. ?

वो – बस ऐसे ही.. अब तुम मन लगा कर ऐसे ही सीखते रहो…अब जाओ आराम करो.. कल कॉलेज भी जाना है..

मे अपने कमरे में चला आया और कुछ देर किताब निकाल कर पढ़ता रहा.. और फिर सो गया..

दूसरे दिन मे और सोनू कॉलेज गये…लेक्चर अटेंड किए..

तीसरे पीरियड में पीयान ने आकर कहा – अंकुश शर्मा..! आपको प्रिन्सिपल साब बुला रहे हैं..

मे जब उनके ऑफीस में पहुँचा.. ! देखा कि उनके सामने एक अधेड़ व्यक्ति मध्यम हाइट.. गोरा लाल चेहरा.. जिसपर बड़ी-2 ठाकुरयती मुन्छे फक्क सफेद कुर्ता और धोती.. ऊपर से एक नेहरू कट जकेट पहने बैठे हुए थे.

मेने ऑफीस के गेट से ही अंदर जाने की पर्मिशन ली … प्रिन्सिपल साब मुझे देखते ही बोले –

आओ अंकुश.. हम तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहे थे… इनसे मिलो.. ठाकुर सुर्य प्रताप सिंग.. यहाँ के ज़मींदार… साब..

और ठाकुर साब यही है.. अंकुश.. बहुत ही नेक और मेहनती लड़का है.. अपनी पढ़ाई के अलावा वाकी से इसको कोई मतलव नही… सभी स्टूडेंट्स इसे बहुत मानते हैं..

मेने उनको नमस्ते किया.. तो उन्होने अपनी बगल वाली कुर्सी पर बैठने के लिए कहा…

मेने कहा – मे ऐसे ठीक हूँ.. ठाकुर साब.. फिर उन्होने बात शुरू की…

बेटे तुम *** गाँव के मास्टर सुंदर लाल शर्मा के बेटे हो ना.. ?
मेने कहा – जी..

वो बोले – बड़े ही भले आदमी हैं मास्टर जी, मेरे ख्याल से सबसे ज़्यादा पढ़ा लिखा परिवार है तुम्हारा… एक भाई प्रोफेसर है,.. और दूसरा भाई एसपी है..

मे सही कह रहा हूँ ना..

तो मेने कहा जी बिल्कुल…

और एसपी साब की शादी अपने एमएलए की बेटी से हुई है.. है ना.. !

देखो बेटे… मे यहाँ अपनी बेटी और लड़के की हरकतों के लिए तुम्हारे पिताजी से माफी माँगने जाने वाला था.. फिर सोचा उससे पहले तुम से मिल लूँ..!

बेटा ! मेरे बच्चों से अंजाने में जो ग़लती हुई है… उसे तो मे सुधार नही सकता.. लेकिन आगे के लिए विश्वास दिलाता हूँ कि ऐसा फिर कभी नही होगा..

मे – मुझे आपकी बात पर भरोसा है ठाकुर साब…!

वो – अब मे तुम्हारे पिताजी के पास जा रहा हूँ… क्या तुम मेरे साथ चलना चाहोगे..?

मे – बिल्कुल चलिए.. मेरे घर पर आपका स्वागत है… ये कह कर वो उठ गये.. और प्रिन्सिपल साब को नमस्ते बोल कर हम बाहर आ गये…
वो अपनी गाड़ी में थे… मे आगे-2 अपनी बुलेट पर आ रहा था, हम घर की तरफ चल दिए…….
 
ठाकुर सूर्य प्रताप ने बाबूजी से मिलकर सबसे पहले हाथ जोड़कर अपने बेटे के व्यवहार के लिए माफी माँगी, .. एक दूसरे से बड़े अपनेपन से मिले..

घर - परिवार की चर्चा की.. और भविश्य में आपस में संबंध अच्छे रहें इस बात का आश्वासन दिया, और कुछ देर बैठकर चाइ नाश्ता लेकर वो चले गये…

उनके जाने के बाद बाबूजी ने मुझे अपने पास बुलाया, और उनके साथ जो भी बात-चीत हुई, वो सब उन्होने बताते हुए कहा..

बेटा ! ठाकुर साब ने कहा है, कि अब इस बात को यहीं ख़तम करो, तो मे चाहता हूँ, तुम अपनी तरफ से उनके बच्चों के प्रति कोई बैर मत रखना..

मेने हां में अपनी सहमति जताई, और अपने कमरे में आकर कुछ देर के लिए सो गया…

3 बजते ही मे और कामिनी भाभी गाड़ी लेकर चल दिए ग्राउंड की ओर.. मेरे मन में उथल-पुथल मची हुई थी…,

भाभी की कल की हरकतों ने मुझे मेरे लंड तक हिला दिया था, ना जाने आज क्या होने वाला था…?

कल का वाक़या याद करते ही मेरा लौडा खड़ा होने लगा.. और उसने पाजामे के अंदर तंबू बनाना शुरू कर दिया…!

जान बूझकर मेने आज काफ़ी पुराना पड़ा हुआ अंडरवेर पहना था, जिससे उसका कपड़ा काफ़ी लूस हो गया था, उसमें मेरे मूसल महाराज आज कुछ कंफर्टबल फील कर रहे थे,

उसकी लंबाई आज ऊपर से पाजामे के बबजूद भी कुछ ज़्यादा ही लग रही थी.

भाभी गाड़ी चलाते हुए बीच-2 में मेरी तरफ मुँह कर के बातें भी करती जा रही थी… लाख छुपाने के बबजूद भी उनकी नज़र मेरे तंबू पर पड़ गयी..,
जिसे देखकर उनके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान तैर गयी…

मैदान में पहुँचकर कल की तरह अपने उन्होने अपने कपड़े चेंज किए… और मुझे ट्राइयल देने को कहा…

कई बार की कोशिशों के बाद भी में गाड़ी को ठीक से उठा नही पाया.. हर बार झटके मार कर बंद हो जाती…!

भाभी ने कहा – देवर्जी क्या बात है, अभी भी आपका क्लच के ऊपर पैर का कंट्रोल सही नही आ रहा.. !

खैर कोई बात नही धीरे-2 आ जाएगा… चलो कल की तरह ही चलाते हैं…!

आज भाभी के कपड़े कल से भी ज़्यादा टाइट थे… उनके दशहरी आम आज टाइट टॉप की वजह से थोड़े दबे हुए से लगे, जिसकी वजह से उनकी बगलें ज़्यादा मासल दिख रही थी…, और ऊपर से कुछ ज़्यादा ही दर्शन हो रहे थे…

नीचे तो कहने ही क्या, एक बहुत ही सॉफ्ट कपड़े की लोवर में उनकी पेंटी का आकर भी साफ-साफ पता चल रहा था…!

मुझे लगा जैसे उनकी पेंटी गान्ड की तरफ तो ना के बराबर ही रही होगी… दोनो कलश एकदम गोल मटोल… एकदुसरे से जुड़े-जुड़े.. मानो दो बॉल फेविकोल से चिपका दिए हों..

जब वो अपनी एक टाँग अंदर डाल कर मेरी गोद में बैठने को हुई, तो उनकी गान्ड का दूसरा भाग, किसी फुटबॉल की तरह और ज़्यादा पीछे की तरफ उभर गया..

सीन देखते ही मेरे लौडे ने एक जोरदार झटका खाया, और वो एकदम से अंडरवेर में तन गया…

बीच की दरार एकदम से क्लियर ही दिखाई दे रही थी…, कपड़े का जैसे कोई उसे ही नही दिख रहा था…

आज भाभी शायद ये ठान के आई थी, की मेरा पानी निकलवा कर ही रहेंगी…

भाभी आज कुछ आगे को झुक कर बैठ गयी मेरी गोद में… जिससे उनकी गान्ड की दरार का ऊपरी भाग मेरे पप्पू के ठीक सामने आ गया…

मेरा लॉडा तो वैसे भी बिगड़ैल भेंसे की तरह अंडरवेर के अंदर फडफडा रहा था, ऊपर से अंडरवेर का कपड़ा भी आज उसे कंट्रोल में रख पाने में असमर्थ लग रहा था,

उनके पिच्छवाड़े के एलिवेशन को देखकर तो सारी हदें तोड़ने पर आमादा होने की कोशिश करने लगा…

बेचारा अंडरवेर जैसे-तैसे कर के उसे संभाले हुए था…
बैठने के समय उन्होने हल्का सा गॅप बनाके रखा था, … मेने गाड़ी स्टार्ट की और उनके पैर के गाइडेन्स से क्लच छोड़ने से आगे बढ़ गयी…

गाड़ी के आगे बढ़ते ही आज उन्होने अपना पैर मेरे पैर से हटा लिया… कुछ देर बाद उन्होने मुझे गियर चेंज करने को कहा… मेने क्लच दबा कर दूसरा गियर डाला..

क्लच छोड़ने में फिरसे थोड़ा झटका सा लगा.. जिससे भाभी की तशरीफ़ पीछे को खिसक गयी, और हमारे बीच का गॅप ख़तम हो गया… अब लंड महाशय को उनकी फ़ेवरेट जगह मिल चुकी थी…!

आज मेरा स्टेआरिंग पर कंट्रोल कल के मुक़ाबले अच्छा था… हम 20-25 की स्पीड तक गाड़ी को कुछ देर चलाते रहे… भाभी की दरार में मेरे पप्पू की उच्छल कूद जारी थी…

कुछ देर बाद भाभी के कहने पर मेने 3र्ड गियर भी डाल दिया… अब गाड़ी तेज चलने लगी…लेकिन मुझे कुछ डर सा लगने लगा… तो मेने कहा –

ओह.. भाभी ! ये तो बिना एग्ज़िलेटर के ही इतनी तेज भाग रही है…

वो हँसते हुए बोली – भागने दो ना .. ! 3र्ड गियर में है.. भगेगी ही.. आप बस स्टेआरिंग को संभाले रखो.. अगर ज़रूरत हो तो बस ब्रेक मार देना.. हल्के से…

बातों-2 में भाभी ने अपने कुल्हों को थोड़ा सा और पीछे को दबा दिया… मेरा लॉडा कड़क होने लगा…, उसकी हार्डनेस फील करते ही भाभी बोली—

ओउच… देवेर जी मेरे पीछे कुछ चुभ सा रहा है… ?

मेने कहा – आप थोड़ा सा आगे खिसक जाओ…, तो वो स्माइल करते हुए बोली – नही चलेगा.. आगे होने से मेरे पैरों को मूव्मेंट नही मिलेगी…आपको तो कोई प्राब्लम नही है ना..?

मेने कहा… मुझे तो कोई प्राब्लम नही है, वो आपको कुछ चुबा था इसलिए मे बोला.., इतना सुनते ही उन्होने अपनी पीठ भी मेरे सीने से सटा दी…

उनकी बगलों की मांसलता मेरी बाजुओं को छु रही थी.., मेरी साँसें उनके गाल को सहलाने लगी… भाभी के ऊपर मदहोशी सी छाने लगी.. और उन्होने अपनी गान्ड को मेरे लंड के ऊपर और ज़्यादा दबाया…

भाभी ने अपनी बाजुओं को मेरी बाजुओं के ऊपर से बाहर की साइड से लाकर स्टेआरिंग पर रख लिया…

अब उनके उभारों की गुंडाज़ बग्लें मेरी बाजुओं पर फील हो रही थी…!
 
इधर मेरा लॉडा उनकी गान्ड की दरार में फिट हो चुका था, जो बीच-बीच में ठुमके लगा देता…

इस चक्कर में एक बार मेरा कंट्रोल स्टेआरिंग से हट गया.. गाड़ी 30-35 की स्पीड में लहरा उठी… मेने फिरसे अपने ऊपर कंट्रोल किया और गाड़ी को संभाला…!

बीच बीच में भाभी अपने एक हाथ को अपनी जांघों के बीच लाकर अपनी मुनिया को सहला देती, और इधर-उधर होकर मेरे लौडे को अपनी गान्ड की दरार से रगड़ देती..

उनके इधर-उधर होने के मोमेंट से उनकी चुचियों की साइड मेरे बाजुओं से दब जाती, जिसके मखमली अहसास से मेरा हाल बहाल हो रहा था…

ढेढ़ घंटे की प्रेक्टिस में हम दोनो के शरीर दहकने लगे…

इससे पहले कि बात कंट्रोल से बाहर हो… मेने गाड़ी रोक दी… क्योंकि मेरा लंड फूल कर फटने की कगार तक पहुँच गया था…

मुझे लगने लगा कि मेरा पानी छूटने ही वाला है.. अगर ऐसा हो गया तो भाभी ना जाने क्या सोचेंगी मेरे बारे में…

मेने गाड़ी रोक दी… झटके की वजह से उनकी आँखें खुल गयी… और मेरे से पूछा – क्या हुआ…? गाड़ी क्यों रोक दी..?

मेने कहा – आज के लिए इतना ही काफ़ी है..

उन्होने मुस्करा कर कहा - ठीक है.. कल चौथे गियर की प्रॅक्टीस करेंगे… और वो मेरे आगे से उठ गयी…

मे फ़ौरन सीट से उठा.. और अपनी लिट्ल फिंगर दिखा कर झाड़ियों की तरफ भागा… मे जल्द से जल्द अपने लौडे को रिलीस करना चाहता था..

मेरी तेज़ी देख कर भाभी समझ गयी.. और मंद मंद मुस्कुराती रही…!

झाड़ियों के पीछे जाकर आज मुझे अपने लंड को मुठियाना ही पड़ा…, कुछ ही पलों में उसने इतनी तेज धार मारी कि वो कम से कम 5-7 फीट दूर तक चली गयी…!

जब लंड का टेन्षन रिलीस हुआ तब जाकर मुझे शांति मिली…!

यही सब एक हफ्ते तक चलता रहा… मेरा गाड़ी पर अच्छा कंट्रोल आने लगा था.. आज जब हम लौटने लगे तो भाभी ने कहा…

कल आपका लास्ट ट्रैनिंग सेशन होगा… कल आपको बॅक गियर की प्रॅक्टीस करनी है.. उसके बाद आपकी ट्रैनिंग पूरी……

अब मे घर से मैदान तक गाड़ी खुद ही चलाकर ले जाने लगा था…..!

आज गाड़ी सीखने का लास्ट दिन था, इस लास्ट सेशन में गाड़ी को रिवर्स गियर डालकर चलाने का तरीक़ा सीखना था…

मे घर से ग्राउंड तक गाड़ी को अच्छी स्पीड से चलाकर ले गया..

भाभी ने मेरी ड्राइविंग को अप्रीश्षेट करते हुए कहा…वाह देवेर्जी, आप तो एकदम मज़े हुए ड्राइवर की तरह चलाने लगे… वेल डन..

अब वो मेरे आगे नही बैठती थी लेकिन अलग अलग तरीकों से मुझे सिड्यूस करना उन्होने बंद नही किया था,

कभी समझाने के बहाने मेरी जांघों को सहला देना, तो कभी जान बूझकर मेरे लंड पर हाथ रख देना, बाद में सॉरी बोलकर जताना कि ये अंजाने में उनसे हुआ हो जैसे…

ना जाने उनके मन में क्या चल रहा था… लेकिन मेने अपने मन में ठान लिया था… कि किसी भी परिस्थिति में पहल मेरी तरफ से नही होगी… चाहे जैसे भी हो, मुझे अपने आप पर कंट्रोल बनाए रखना ही होगा..

उधर भाभी भी दीनो दिन मेरे धैर्य की परीक्षा ले रही थी…, नित नये तरीक़े अपनाकर मुझे उनके साथ पहल करने पर मजबूर करने की कोशिश में लगी थी.

आज उन्होने फिर से कपड़े चेंज किए… जो पिच्छले दो दिन से बंद कर दिए थे..

मेने पूछा.. अब क्यों चेंज कर रही हो भाभी… तो वो बोली – आज आपको नया सबक सीखना हैं, आंड आइ आम शुवर, वो आप मेरे बिना नही कर पाओगे…
 
भाभी चेंज कर के जैसे ही गाड़ी से बाहर आईं… मेरा भाड़ सा मुँह खुला का खुला रह गया… मेने उनसे ऐसे कपड़ों की उम्मीद कतयि नही की थी…

वो एक स्लीव्ले वेस्ट टाइप के उपर में जो बहुत ही लो कट जिसमें से उनकी आधी चुचियाँ दिखाई दे रही थी…और वो उनकी 34 साइज़ की चुचियों से कुछ ही नीचे तक कवर कर रहा था..

नीचे एक बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मिनी स्कर्ट, जो झुकने पर पेंटी की झलक भी दिखा सके… जो शायद मात्र 8-10 इंच लंबा ही होता.. वो कमर की हड्डियों पर ही टिका हुआ था.. और पीछे से उनकी ऊपरी दरार भी दिख रही थी…

कमर पर उनकी पेंटी की एक डोरी जैसी ही दिखी मुझे, जो उनकी गान्ड की दरार में फँसी दिखाई दे रही थी…

नीचे वो सिर्फ़ गान्ड की गोलाईयों के ख़तम होने से पहले ही उसकी हद ख़तम हो रही थी…, यानी उनका वो शॉर्ट कुल्हों की ढलान तक ही सिमट कर रह गया था…

उनको इन कपड़ों में देखते ही मेरे पप्पू ने एक जोरदार अंगड़ाई ली…, मानो आज वो खुशी में झूमना चाहता हो…

भाभी ने शायद आज ठान लिया था, कि वो मेरे धैर्य की माँ-बेहन एक कर के ही मानेंगी… क्योंकि वो जैसे ही मेरे सामने बैठी…

कुछ देर तो मेरे मुँह के आगे वो अपनी गान्ड लिए खड़ी रही रही, जो उनकी नाम मात्र की स्कर्ट से साफ-2 दिखाई दे रही थी…

बहुत कोशिश कर के में अपने हाथ को कंट्रोल किए हुए था, वरना वो बार बार उसे सहलाने के लिए उठने की कोशिश करता.

फिर एक लंबा सा घिस्सा अपनी गान्ड से मेरे लंड पर मारते हुए वो मेरे आगे बैठ गयी…
ठुमके मारता मेरा पप्पू अपने लिए आरामगाह देखते ही भड़क उठा… और बुरी तरह से अकड़ कर उनकी गान्ड की दरार मे घुसने लगा…

ये बात तय थी, कि अगर बीच में कपड़े नही होते.. तो वो आज किसी के बाप की भी सुनने वाला नही था…, आज वो शर्तिया भाभी की गान्ड फाड़के ही रहता.

मेने जैसे-तैसे कर के अपने आप पर कंट्रोल रखा.. यहाँ तक कि मेरे लौडे का मुँह चिपचिपाने लगा था…

वो बोली – देवर्जी पहले आप सिर्फ़ देखो उसके बाद में आपको स्टेआरिंग दूँगी, इतना कहकर उन्होने मेरे दोनो हाथ अपनी नंगी जांघों पर रखवा दिए…

आअहह…. क्या मखमली अहसास था उनकी चिकनी मुलायम मक्खन जैसी जांघों का… हाथ रखते ही, मेरे पूरे शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी..

मेरा लंड खूँटा तोड़कर कर उनके बिल में घुसने की फिराक में था…

भाभी ने बॅक गियर में गाड़ी डाल कर, स्टेआरिंग कैसे कंट्रोल करना होता है, ये सब वो बताने लगी… लेकिन उनका ध्यान पूरी तरह से गाड़ी सिखाने पर नही था…

मेरे लंड और हाथों के अहसास ने उनकी भी साँसें फूलने पर मजबूर कर दिया था…

जिसकी वजह से गाड़ी कहीं की कहीं जाने लगी… वो तो अच्छा था, कि कुछ कंट्रोल मुझे भी आ गये थे, सो मेने अपने हाथ स्टेआरिंग रख लिए और गाड़ी को कंट्रोल करने में हेल्प की.

भाभी की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी, एक बार तो उन्होने अपनी गान्ड को खुजाने के बहाने ऊपर को उचकाया, और सीधे अपने गान्ड के छेद को मेरे लंड के ऊपर ही टिका दिया…

इतना ही नही, उन्होने दो-तीन झटके भी आगे पीछे कर के अपनी गान्ड को दिए…

मेरा पेशियेन्स जबाब देता जा रहा था, ..मुझे लगा मेरा पानी निकल जाएगा, सो मेने उन्हें गाड़ी रोकने को कहा –

भाभी प्लीज़ जल्दी से गाड़ी रोकिए.. मुझे टाय्लेट जाना है…

भाभी की वासना इस समय एकदम चरम पर थी…, मेरे कहने पर उन्होने गाड़ी तो रोक दी, लेकिन नीचे उतरने की वजाय, वो पलट कर मेरी गोद में आ बैठी,



और मेरे सर के बालों को जकड़कर उन्होने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया..

मेरी हवा वैसे ही टाइट थी… कुछ देर तो मेने अपने हाथ अलग रखे.. लेकिन जब कोई चारा नही बचा तो मेने उनकी फुटबॉल जैसी गान्ड की गोलाईयों को कस्के मसल दिया…

एक मादक सीईईईईई….सस्स्सकी भरते हुए उन्होने अपनी गान्ड को मेरे लंड पर ज़ोर से रगड़ दिया…

किस करते करते दोनो की साँसें डूबने लगी… भाभी लगातार अपनी गान्ड के साथ साथ अपनी चूत को भी मेरे लंड पर रगड़ा दे रही थी…!

मेरे हाथ अनायास ही उनके आमों पर कस गये..., और उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा…
 
भाभी की कमर बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी, मेरे लंड को अपनी चूत के होंठों पर फील कर के उन्होने मेरे होंठों को चब-चबा दिया…

वो मेरे ऊपर किसी भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी थी…, लंड की हालत बहुत ही खराब होती जा रही थी, मुझे लगने लगा कि अब सिबाय पानी छोड़ने के और कोई चारा नही बचा है..

उधर भाभी भी अपने होसो-हवास खो चुकी थी, वो बुरी तरह कमर मटका-मटका कर मेरे लौडे को अपनी चूत की फांकों पर घिस रही थी…

एका एक हम दोनो के शरीर अकड़ने लगे, मेने उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसकर उनकी गान्ड को अपने लंड पर दबा दिया…

इसी के साथ मेरे लंड ने और भाभी की चूत ने एक साथ अपना अपना पानी छोड़ दिया…

वो मेरे गले में बाहें डाले लटक गयी, मुन्डी अपने आप पीछे को लटक गयी…, उनके आमों ने मेरे मुँह को दबा रखा था…

कुछ देर वो ऐसे ही बैठी रही..

फिर जब सब कुछ शांत हो गया तो वो अपनी नज़रें झुकाए नीचे उतर गयी..

और पिच्छली सीट पर जाकर अपने कपड़े चेंज करने लगी, में अपनी टंकी खाली करने झाड़ियों की तरफ चला गया……..!

झाड़ियों के पीछे जाकर मेने पाजामा की जेब से रुमाल निकाला, और अपने लंड और अंडरवेर को उससे पोंच्छ कर सॉफ किया…,

वरना धीरे-2 उसका गीलापन पाजामे के ऊपर से भी दिखने लगता..

रास्ते में हम दोनो के बीच गेहन चुप्पी छाइ रही…

कहीं ना कहीं वो अपने मन में गिल्टी फील कर रही थी…

कुछ देर की चुप्पी के बाद वो बोली – देवर जी सॉरी फॉर दट..! प्लीज़ आप मुझे ग़लत मत समझना… दरअसल मे अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाई…

मे – इट्स ओके भाभी… हम दोनो ही जवान हैं.. अब इतने नज़दीक रह कर ये सब तो हो ही जाता है… प्लीज़ इसके लिए आपको सॉरी कहने की ज़रूरत नही है…

वो कुछ देर चुप रही, फिर बोली – तो क्या मे ये समझू.. कि आज जो कुछ हम दोनो के बीच हुआ… उसे और आगे बढ़ाना चाहिए…..?

मेने उनकी तरफ देखा, वो मुझे ही देख रही थी…फिर मेने अपनी नज़रें सामने कर ली और रास्ते पर ध्यान केंद्रित कर के बोला – मेरे ख्याल से ये सब अब और नही होना चाहिए...., ये ठीक नही होगा…

वो – किस आंगल से ठीक नही होगा…? लाइफ में थोड़ा एंजाय्मेंट मिलता है.. तो उसमें बुराई क्या है..? और ये हम दोनो की ज़रूरत भी है…!

मे – ये भैया के साथ धोखा नही होगा…?

वो – तो आप क्या समझते हो, कि आपके भैया ये सब नही करते होंगे..? ओह्ह.. कामन डार्लिंग… ऐसा कों है इस दुनिया में जो इससे अछुता हो…?

मेने मन ही मन सोचा, कि बात तो आपकी सही है… अब मुझे ही ले लो.., हर रोज़ गिनती बढ़ती जा रही है,

यहाँ तक कि बाबूजी भी नही रह पा रहे हैं इसके बिना… फिर भी मेने प्रत्यच्छ में कहा…

लेकिन मे उनके साथ धोका नही कर सकता…, प्लीज़ भाभी आप मेरी मजबूरी समझने की कोशिश कीजिए…!

वो कशमासाते हुए बोली – धोका तो तब होगा ना, जब ये बात उनको पता चलेंगी, अब ये शरीर की ज़रूरतें तो पूरी करनी ही होगी ना…!

मेने उन्हें काफ़ी समझाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्होने कोई ना कोई लॉजिक देकर मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर दिया.. और आख़िर में मुझे कहना ही पड़ा…

जैसा आप ठीक समझो भाभी… अब में आपको क्या कह सकता हूँ… मेरे से ज़्यादा तो आपने दुनियादारी देखी है…

वो – तो फिर आज रात को मेरे कमरे में आजना प्लीज़, मे आपका इंतेज़ार करूँगी !

उनकी इस बात का मेने कोई जबाब नही दिया.., इतने में घर आ गया.. और हम गाड़ी खड़ी कर के घर के अंदर चले गये…!
घर मे घुसते ही दो खबरें एक साथ सुनने को मिली..

एक – मोहिनी भाभी के भाई राजेश की शादी तय हो गयी थी, जिसकी डेट भी नज़दीक थी.. और भाभी को अभी बुलाया गया था…

चूँकि उनके यहाँ कोई और नही था उन्हें ले जाने के लिए.. तो हमें ही छोड़ कर आना था उनको… वो भी दो दिन बाद ही, 15 दिन बाद शादी थी…

दूसरा- मनझले भैया आज आने वाले हैं, .. उनका फोन आ गया था.. वैसे तो वो कामिनी भाभी को ले जाने के लिए आ रहे थे,

ये खबर कामिनी भाभी को कुछ नागवार गुज़री…, उनके चेहरे को देखकर लग रहा था, मानो गरम चूत पर ठंडा पानी डाल दिया हो…

लेकिन चूँकि बड़ी भाभी अपने घर जाने वाली हैं.. तो शायद अगर वो मान गये तो उन्हें कुछ दिनो के लिए और यहाँ रुकना पड़ सकता है…

भैया देर रात घर पहुँचे.. तो आपस में कोई बात नही हो पाई…!

रात को में मोहिनी भाभी के पास बैठने चला गया, क्योंकि अब वो कुछ दिनो मुझसे दूर रहने वाली थी,

मे रूचि को गोद में लिए उनके बगल में बैठा था, कि तभी भाभी ने पुच्छ लिया…!

लल्ला, गाड़ी अच्छे से चलाना आ गया तुम्हें, या और सीखना वाकी है..

मे – चलाना तो सीख गया हूँ भाभी, अब तो बस जैसे-जैसे प्रॅक्टीस होगी, हाथ साफ होता रहेगा..

वो – वैसे आज जब तुम लौटे थे, तो तुम्हारे हॉ-भाव कुछ अजीब से थे, कुछ हुआ था क्या..?

मे – नही तो ऐसा तो कुछ नही हुआ, आपको ऐसा कैसे लगा…?

वो – नही वो, तुम्हारी आँखें कुछ चढ़ि हुई थी, शरीर भी कुछ कांप-कंपा रहा था…, सच बताना कुछ तो हुआ है..
 
मेने मान में सोचा – भाभी आप क्यों इतनी तेज हो, कुछ भी परदा नही रहने दोगि…,

जब कुछ देर मेने कोई जबाब नही दिया, तो उन्होने फिर पूछा – बोलो ना क्या हुआ था..?

मेने हिचकते हुए आज की घटना उन्हें सुना दी, कुछ देर तो वो मौन रहकर मन ही मन मुस्करती रही, फिर बोली –

जिसका मुझे अंदेसा था वही हुआ, खैर छोड़ो ये सब, ये बताओ अब आगे क्या सोचा है..?

मे – किस बारे में…?

वो – अरे कामिनी के बारे में, मेरे पीछे अगर उसने फिरसे पहल की तो…

मे – कोशिश करूँगा, उनसे दूर ही रहूं…, फिर भी बात ना बनी तो साफ-साफ मना कर दूँगा…

वो – भूल से भी ये ग़लती मत करना, एक बार उसे समझाने की कोशिश भर ज़रूर करना, अगर नही माने तो फिर हालत से समझौता कर लेना,

क्योंकि ये ऐसे मामले होते हैं, जिन्हें तूल पकड़ते देर नही लगती…, अपनी बात मनमाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है..

बातों के दौरान रूचि मेरी गोद में ही सो गयी, तो उसे भाभी ने मेरी गोद से लेकर बेड के एक सिरे पर सुला दिया, और फिर वो मुझसे सॅटकर बैठ गयी..

उन्होने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा – मे इतने दिन तुमसे दूर रहूंगी, याद करोगे ना मुझे… या नयी भाभी की मस्ती में भूल जाओगे..?

भाभी सोने से पहले मात्र एक गाउन ही पहनती थी, सो मेने उनके गाउन की डोरी खींच कर आगे से उनके बदन को उजागर कर दिया…
उनके भरे-भरे आमों को प्यार से सहलाया, और होंठों का चुंबन लेकर कहा – ये तो मरते दम तक भी नही हो पाएगा भाभी मुझसे, की मे आपको भूल जाउ..!

मौत आने के बाद ही आप मेरे दिल से निकल पाओगि…!

मेरी बात सुनते ही भाभी ने मुझे अपने अंक से लिपटा लिया, और फिर आँखों में आँसू भरकर भर्राए गले से बोली –

भूल कर भी ऐसे शब्द मत निकालना अपने मुँह से, वरना मे तुमसे कभी बात नही करूँगी,,, समझे.

मे भी किसी बच्चे की तरह उनसे लिपट गया…, भाभी आगे बोली –

लेकिन समय के साथ ये प्यार बाँटना तो पड़ेगा ही तुम्हें, जब निशा व्याह कर इस घर में आ जाएगी…

मे – वो तो मे अभी भी उससे करता ही हूँ, आगे भी करता रहूँगा, लेकिन जो प्यार आपके लिए है, उसमें कभी कमी नही आएगी.. इतना कह कर मेने भाभी को अपने चौड़े सीने से सटकर उनके होंठों को चूम लिया…

भाभी ने मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा – लल्ला जी आज मुझे तुम्हारा इतना प्यार चाहिए की आनेवाले 15-20 दिन तक मुझे तुम्हारी तलब महसूस ना हो..,

मेने मुस्कराते हुए भाभी की चुचियों को मसल कर कहा – जो हुकुम मेरे आका, इतना कहकर उन्हें निवस्त्र कर के, बेड पर लिटा दिया…और उनके नाज़ुक अंगों से खेलने लगा…..

भाभी ने भी, पूरी सिद्दत से अपने बदन को मेरे सुपुर्द कर दिया, बेड पड़ी वो मेरी हरकतों से बिन जल मछलि की तरह मचल रही थी.…

एक समय था, जब मे भाभी के इशारों पर नाचता था, लेकिन आज वो मेरे हाथों के इशारों पर इस तरह मचल रही थी, जैसे उनके बदन का रिमोट मेरे हाथों में हो…

कुछ ही पलों में कमरे का वातावरण वसनामय हो गया…मादकता से भरी आहों, करहों के बीच तूफान आए, चले गये, फिर आए फिर चले गये….

भाभी अब पूरी तरह तृप्त हो चुकी थी, फिर उन्होने मुझे बड़े प्यार से मेरे माथे को चूमकर कोई 3 बजे अपने कमरे में सोने के लिए भेज दिया..

सुबह जब सबने मिलकर नाश्ता किया, उस समय बाबूजी ने भैया से बात चलाई…

बाबूजी – और कृष्णा बेटा, कैसी चल रही है तुम्हारी ड्यूटी…?

भैया – वैसे तो ठीक है बाबूजी, ड्यूटी की कोई प्राब्लम नही है, लेकिन घर में खाने पीने का सब कुछ गड़बड़ रहता है,

सब कुछ नौकरों के सहारे नही हो पता है, तो मे सोच रहा था, कि कामिनी को भी अपने साथ ले जाता हूँ…

बाबूजी – हमें तो कोई दिक्कत नही है, बस एक छोटी सी समस्या है, बड़ी बहू के भाई की शादी है, कल वो अपने घर जाने वाली है, तो तब तक के लिए कामिनी बहू यहाँ बनी रहती तो कुछ सहारा रहता इन बच्चों को…

रामा बिटिया अभी इतनी परिपक्व नही है, जो अकेले घर संभाल ले…
 
भैया – वैसे मुझे तो कोई प्राब्लम नही है.. अगर कामिनी रुकना चाहे तो भाभी के आने तक रुक सकती है.. लेकिन क्या वो अकेली घर संभाल पाएगी..?

मोहिनी भाभी – रामा तो है ना…यहाँ पर.. उसके साथ…!

भैया ने कामिनी भाभी की तरफ देखा – तुम क्या कहती हो कामिनी.. रुक सकती हो…!

वो तो चाहती भी यही थी, सो तपाक से बोली – अब दीदी चली जाएँगी तो मुझे तो रुकना ही होगा.. मेरा भी घर है, मे नही सोचूँगी तो और कॉन सोचेगा…

दीदी ने इस घर के लिए इतने साल न्युचचबर कर दिए.. अब वो अपने घर की खुशी में शामिल होने जा रही हैं.. तो मेरा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है.. कि उनके बाद घर की देखभाल करूँ…

भैया – ठीक है… ठीक है… बाबा… मेने तो बस पूछा ही था.. तुमने तो पूरा भाषण ही दे डाला…

वैसे अपने घर के प्रति तुम्हारी संवेदन शीलता देख कर अच्छा लगा.. है ना बाबूजी..

पिताजी बस मुस्काराकर रह गये… और कामिनी भाभी के सर पर हाथ रख कर बाहर चले गये…

भैया उस रात और रुके.. अगले दिन मुझे भी भाभी को छोड़ने जाना था.. तो
भाभी ने मनझले भैया से गाड़ी लेजाने के लिए पूछा…

भाभी – देवर्जी, आप कहो तो हम लोग आपकी गाड़ी ले जाएँ…?

भैया – चला के कॉन ले जाएगा.. भाभी ?

भाभी – लल्ला जी ने ड्राइविंग सीख ली है देवर्जी .. क्यों कामिनी, तुम्हें भरोसा तो है ना.. इनकी ड्राइविंग पर…!

कामिनी भाभी – भरोसा तो है दीदी.. पर मे क्या कहती हूँ, क्यों ना मे भी आपके साथ चलूं.. भले ही देवर्जी ड्राइव करेंगे.. लेकिन अगर कुछ प्राब्लम आई तो मे हेल्प तो कर सकती हूँ..

भैया – तो इसमें मेरी पर्मिशन की क्या ज़रूरत थी भाभी..

भाभी – आख़िर आपकी गाड़ी है.. पुच्छना ज़रूरी है देवर्जी..

भैया – ये कह कर आपने मुझे पराया कर दिया भाभी.., मे अगर ऐसा सोचता तो गाड़ी अपने साथ नही ले जाता..,

अपने घर के मान सम्मान के लिए ही तो इसे यहाँ छोड़ा है…! फिर इसपर मेरा हक़ कहाँ रह गया..?

भाभी – सॉरी देवर्जी मेरा मतलव आपका दिल दुखाना नही था… मेने तो बस इसलिए पूछा कि घर की एकता बनी रहे.. और आपस में कभी कोई ऐसी बात ना बने जिससे किसी को कोई उंगली उठाने की नौबत आए…!

अब जब ये तय हो गया कि मे और कामिनी भाभी दोनो ही भाभी को छोड़ने जा रहे हैं.. तो रामा दीदी भी बोलने लगी..

रामा – फिर मे अकेली यहाँ क्या करूँगी मे भी आप लोगों के साथ चलती हूँ..!

भाभी ने कहा – ये भी ठीक है, फिर ये फिक्स हुआ कि भैया के निकलते ही हम सब भी भाभी को छोड़ने उनके गाँव जाएँगे.. बाबूजी का ल्यूक रेडी कर के रख दिया जाएगा..

अगर शाम को आने में हमें देर होती है.. तो वो छोटी चाची के यहाँ खाना खा लेंगे..और ये बात चाची को भी बता दी गयी..

सुबह चाय नाश्ते के बाद ही भैया अपनी ऑफीस की गाड़ी से निकल गये.. उनके कुछ देर बाद ही हम चारों भी चल दिए भाभी के घर की तरफ…

11:30 को हम उनके घर पहुँच गये.. सारे रास्ते में ही ड्राइव कर के ले गया था, .. अब मुझे और ज़्यादा कॉन्फिडॅन्स आने लगा था…

निशा, मेरी जान ! मुझे देखते ही किसी ताज़े फूल की तरह खिल उठी… भाभी के घरवाले हम लोगों की आव-भगत में लग गये..
उनके गाँव में भाभी का सम्मान दुगना हो गया, उनको इतनी शानदार गाड़ी में आते देख कर.

किसी तरह मौका निकाल कर मे और निशा एकांत में मिले.., वो तड़प कर मेरे सीने से लग गयी…, मेरी छाती के बालों से खेलते हुए शिकायत भरे लहजे में बोली-

निर्मोही कहीं के, जब से मुझे छोड़कर गये हो, एक बार पलट कर भी नही देखा इधर को, कम से कम एक बार मिलने नही आ सकते थे…

मेने उसके गोल-गोल नितंबों को सहलाते हुए कहा – घर की ज़िम्मेदारियाँ और कॉलेज से कहाँ समय मिलता है, वैसे फोन तो करता ही हूँ ना मे..

वो मेरे होंठों को चूमकर बोली – फोन से कहीं इस बेकरार दिल की प्यास बुझती है भला.., अब ये दूरियाँ सही नही जाती हैं जानू !

मेने उसकी झील सी गहरी आँखों में झाँकते हुए कहा – निशा मेरी जान ! मे भी कहाँ तुमसे दूर रहना चाहता हूँ, लेकिन अपनी कुछ मजबूरियाँ हैं, जिन्हें हम नज़र अंदाज तो नही कर सकते ना…!

इतना कहकर मेने जैसे ही उसके गले पर चुंबन लिया, वो सिसक कर मेरे सीने से लिपट गयी…

उसकी कठोर कुँवारी चुचियाँ मेरे बदन से दब कर एक सुखद अहसास का अनुभव करा रही थी…

वो मेरे गले में बाहों का हार डाले हुए बोली – मे समझती हूँ जानू ! पर इस दिल का क्या करूँ, ये जानते हुए भी कि तुम नही आनेवाले, फिर भी हर समय तुम्हारे आने की आस लगाए रहता है…!

मेने उसकी चिन को हाथ लगाकर उसके चेहरे को ऊपर किया, और उसके होंठों को फिर एक बार चूम कर बोला – इस दिल से कहो, कुछ दिन और इंतेज़ार करे…

कुछ देर हम यूँही एक दूसरे की बाहों में खड़े बीते दिनो की याद ताज़ा करते रहे.. कुछ नये कसमे वादे, नये इरादे किए…

बातों-2 में कुछ एमोशनल मूव्मेंट भी आए..हम दोनो की आँखे नम हो गयी…,

ये समय और मौका हमें इससे ज़्यादा की इज़ाज़त नही दे सकता था…. सो शादी पर आने का वादा कर के हम अलग हुए ही थे, कि तभी रामा दीदी हमें ढूँढते हुए वहाँ आ पहुँची…

अच्छा ! तो तोता-मैना यहाँ चोंच भिड़ा रहे हैं, कब्से ढूंड रही हूँ, हमें यौं खड़े देख कर वो बोली…

निशा झेंप कर वहाँ से भाग गयी, फिर मेने उससे कहा - क्या हुआ दीदी, हमें क्यों ढूँढ रहीं थी ??

वो – अरे वहाँ आंटी तुम्हें खाने के लिए बुला रही हैं, और तुम यहाँ अपनी मैना के साथ गुटार गू कर रहे हो…ये कहकर वो खिल खिलाकर हंस पड़ी…

मे अपनी नज़र नीची कर उसके साथ बैठक की तरफ चल पड़ा, जहाँ वाकी लोग बैठे खाने पर मेरा इंतेज़ार कर रहे थे…

शाम ढलते ही हम ने वहाँ से विदा ली… भाभी के घर वाले रोकना चाहते थे.. लेकिन वहाँ घर सुना पड़ा था.. सो उन्हें भी इज़ाज़त देनी ही पड़ी…

रात 8 बजे तक हम अपने घर लौट आए…हम लोगों को तो कोई खास भूख नही थी, और बाबूजी के लिए चाची ने खाना बनाकर भेज दिया था… तो उन्हें खाना खिलाकर बस अब सोना ही था…

कामिनी भाभी ने कई बार इशारे कर के वो बात मुझे याद दिलाने की कोशिश की लेकिन मे अंत तक अंजान बनाने का नाटक करता रहा.. और अपने कमरे में सोने चला गया…!

मुझे आज नींद नही आ रही थी.., करवट बदलते -2 काफ़ी रात निकल गयी, रह-रह कर निशा मेरी आँखों के सामने आ जाती थी.. उसकी बातें मेरे कानों में गूज़्ने लगती…
रात कोई 11:30 को मेरे गेट पर आहट हुई… मेने उठ कर गेट खोला.. देखा तो सामने एक मिनी गाउन पहने कामिनी भाभी खड़ी थी…. जो इस समय रति का स्वरूप लग रही थी…!

जिसमें से उनके चुचक भी बाहर झाँकने का भरसक प्रयास कर रहे थे…
 
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