hotaks444
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ये बात सुन कर सबके चेहरे खुशी से खिल उठे… पर कुछ देर बाद ही एक पिता की चिंता बाबूजी के चेहरे पर झलकने लगी…, वो कुछ दुखी से होकर बोले …
बाबूजी – ये सब तो ठीक है, कृष्णा बेटा, लेकिन अब तुम अपनी शादी का भी कुछ सोचो.. तुम कहो तो मे कहीं बात चलाऊ…
यौं सारी उमर अकेले तो नही काट सकते…
इससे पहले कि कृष्णा भैया कुछ बोलते, मेने कहा – उसका इंतेजाम भी हो चुका है बाबूजी…!
ये कह कर मेने भैया की तरफ देखा.. जो नज़र नीची करके मेरी तरफ देख रहे थे…शर्म उनकी आँखों में दिखाई दे रही थी…
बाबूजी – क्या इंतेज़ाम किया है तुमने…?
मे – कल ही अपने घर मेरी होने वाली भाभी अपनी माँ के साथ आ रही है…!
भाभी – सच…! कॉन है वो लड़की, क्या बड़े देवर्जी जानते हैं उसे..?
मे – जानते ही नही भाभी… अच्छी तरह से पहचानते भी हैं… क्यों भैया, सही कह रहा हूँ ना मे…!
कृष्णा भैया – तू ना अब बहुत मार खाएगा मेरे हाथों से…फिर वो भाभी से बोले - ऐसा कुछ नही है भाभी… बस एक दो बार मिले हैं हम…
भाभी – लल्ला जी ! कॉन है वो लड़की..? और तुम कैसे जानते हो उसे..?
मे – वो रेखा की छोटी बेहन है, जिसने इस केस में मेरी मदद की थी… ये दोनो तो एक तरह से तय कर ही चुके हैं, बस अब सबकी सहमति से फेरे पड़ने वाकी हैं..
भाभी – वाह देवर जी ! आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. कहीं पोलीस का डंडा दिखा कर तो नही फसा लिया बेचारी को…हहेहहे….
भाभी की बात पर सभी ठहाके मारकर हँसने लगे…
कृष्णा भैया – ये भी इस नालयक की ही करामात है भाभी… इसी ने प्राची को मेरे पास भेजा था.. रीलेशन बढाने को…
भाभी – ओह हो ! तो उसका नाम प्राची है…! फिर तो बाबूजी जल्दी से पंडित जी से मिलन करा कर चट मँगनी और पट शादी करा देते हैं…..
मे – अरे भाभी अब काहे की मॅचिंग, जब सब कुछ ऑलरेडी मॅच हो ही गया है, तो फिर क्यों चिंता करती हैं आप… क्यों भैया….
मेरी बात सुन कर भैया अपनी जगह से उठकर मुझे मारने दौड़े, मे भी उनके हाथ आने से पहले ही अपनी जगह से उठ कर भागने लगा…
दोनो भाई, पूरे आँगन में इधर से उधर दौड़ने लगे, वो मुझे पकड़ना चाहते थे, मे उनके हाथ नही आ रहा था….
हमें देख कर वाकी सबकी आँखें नम हो उठी, उन्हें हमारे बचपन याद आ गये, आज भी हम दोनो भाइयों के बीच का प्यार देख कर सबको बड़ा अच्छा लगा…..
रूचि हम दोनो को देख कर ताली बजा-बजा कर हंस रही थी, उच्छल-उच्छल मुझे एनकरेज कर रही थी… कम ओन चाचू येस ! बड़े चाचू के हाथ नही आना है..
तो कभी भैया को भी चेअर-अप करती…
हम दोनो भाइयों को यौं छोटे बच्चों की तरह एक दूसरे से छेड़ छाड़ करते देख, कॉन कहता सकता था, कि इनमें से एक पोलीस का एसएसपी है,
और दूसरा डिस्ट कोर्ट का जाना माना वकील, जो कुछ ही दिनो में अच्छे- अच्छों को अपने दिमाग़ का लोहा मनवा चुका है………!
देर रात तक हम सब परिवार के लोग बैठ कर बातें करते रहे… रूचि को नींद आने लगी थी, सो वो उठकर अपने कमरे में चली गयी…
अब वो भाभी से अलग रामा दीदी वाले कमरे में सोती थी…
फिर निशा ने सबको दूध दिया और हम सब सोने के लिए अपने -अपने कमरे में चले गये….
मेने अपने कपड़े चेंज किए, एक शॉर्ट और स्लीवलेशस टीशर्ट पहन कर पलंग पर बैठ, निशा का इंतेज़ार करने लगा…
जब वो काफ़ी देर तक नही आई, मेने सोचा शायद भाभी की मालिश करने गयी होगी… अब उनके दिन पूरे हो रहे थे, अगले महीने ही डेलिवरी होनी थी…
कुछ देर इंतेज़ार करके मे पलंग पर लेट गया…अभी 10 मिनिट ही हुए होंगे कि निशा आ गयी… और अपना गाउन लेकर बाथ रूम में घुस गयी…
कपड़े चेंज करके वो चुप चाप आकर पलंग के दूसरी छोर पर जाकर लेट गयी, जबकि मे अभी भी जाग रहा था, और उसी को देख भी रहा था…
वो दूसरी तरफ करवट लिए पड़ी थी, जब कुछ देर तक वो नही कुछ बोली, तो मेने उसके पीछे से अपने को सटा लिया और उसकी कमर में अपना बाजू लपेट कर उसे अपनी तरफ मुँह करने के लिए खींचा…
उसने बिना कुछ कहे मेरा हाथ अपनी कमर से हटा दिया…मेने फिर से अपनी ओर पलटने की कोशिश की, वो कुन्मूनाते हुए झटके से बोली – क्या है..? क्यों परेशान कर रहे हो…?
मे – निशु ! इधर मुँह करो ना मेरी तरफ…!
निशा ने मेरा हाथ झटकते हुए कहा – सोने दो मुझे…! नींद आ रही है.. सारा दिन काम करते हो जाता है… अब तो सोने दो…
मे उसके कूल्हे को सहलाते हुए पटाने वाले लहजे में बोला – अले..अले…मेला.. सोना…नाराज़ है… ये कह कर मेने अपना बाजू उसके आगे से ले जाकर उसे पलट दिया…
जब उसने मेरी तरफ अपना फेस किया तो मेने अपने कानों पर हाथ लगाकर बोला – सॉरी जान…! मे बिना भैया के किसी को कुछ बताना नही चाहता था…
वो – अच्छा ! अब मे किसी और में शुमार होने लगी हूँ आपके लिए…?
मेने उसके गाल सहलाते हुए कहा – नही..नही.. तुम तो मेरी स्पेशल वन हो…, मेरी जाने जिगर हो…
लेकिन ज़रा सोचो जान ! ये बात मेने भाभी तक को भी नही बताई, तो कुछ तो रीज़न रहा होगा, ना बताने का…?
बाबूजी – ये सब तो ठीक है, कृष्णा बेटा, लेकिन अब तुम अपनी शादी का भी कुछ सोचो.. तुम कहो तो मे कहीं बात चलाऊ…
यौं सारी उमर अकेले तो नही काट सकते…
इससे पहले कि कृष्णा भैया कुछ बोलते, मेने कहा – उसका इंतेजाम भी हो चुका है बाबूजी…!
ये कह कर मेने भैया की तरफ देखा.. जो नज़र नीची करके मेरी तरफ देख रहे थे…शर्म उनकी आँखों में दिखाई दे रही थी…
बाबूजी – क्या इंतेज़ाम किया है तुमने…?
मे – कल ही अपने घर मेरी होने वाली भाभी अपनी माँ के साथ आ रही है…!
भाभी – सच…! कॉन है वो लड़की, क्या बड़े देवर्जी जानते हैं उसे..?
मे – जानते ही नही भाभी… अच्छी तरह से पहचानते भी हैं… क्यों भैया, सही कह रहा हूँ ना मे…!
कृष्णा भैया – तू ना अब बहुत मार खाएगा मेरे हाथों से…फिर वो भाभी से बोले - ऐसा कुछ नही है भाभी… बस एक दो बार मिले हैं हम…
भाभी – लल्ला जी ! कॉन है वो लड़की..? और तुम कैसे जानते हो उसे..?
मे – वो रेखा की छोटी बेहन है, जिसने इस केस में मेरी मदद की थी… ये दोनो तो एक तरह से तय कर ही चुके हैं, बस अब सबकी सहमति से फेरे पड़ने वाकी हैं..
भाभी – वाह देवर जी ! आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. कहीं पोलीस का डंडा दिखा कर तो नही फसा लिया बेचारी को…हहेहहे….
भाभी की बात पर सभी ठहाके मारकर हँसने लगे…
कृष्णा भैया – ये भी इस नालयक की ही करामात है भाभी… इसी ने प्राची को मेरे पास भेजा था.. रीलेशन बढाने को…
भाभी – ओह हो ! तो उसका नाम प्राची है…! फिर तो बाबूजी जल्दी से पंडित जी से मिलन करा कर चट मँगनी और पट शादी करा देते हैं…..
मे – अरे भाभी अब काहे की मॅचिंग, जब सब कुछ ऑलरेडी मॅच हो ही गया है, तो फिर क्यों चिंता करती हैं आप… क्यों भैया….
मेरी बात सुन कर भैया अपनी जगह से उठकर मुझे मारने दौड़े, मे भी उनके हाथ आने से पहले ही अपनी जगह से उठ कर भागने लगा…
दोनो भाई, पूरे आँगन में इधर से उधर दौड़ने लगे, वो मुझे पकड़ना चाहते थे, मे उनके हाथ नही आ रहा था….
हमें देख कर वाकी सबकी आँखें नम हो उठी, उन्हें हमारे बचपन याद आ गये, आज भी हम दोनो भाइयों के बीच का प्यार देख कर सबको बड़ा अच्छा लगा…..
रूचि हम दोनो को देख कर ताली बजा-बजा कर हंस रही थी, उच्छल-उच्छल मुझे एनकरेज कर रही थी… कम ओन चाचू येस ! बड़े चाचू के हाथ नही आना है..
तो कभी भैया को भी चेअर-अप करती…
हम दोनो भाइयों को यौं छोटे बच्चों की तरह एक दूसरे से छेड़ छाड़ करते देख, कॉन कहता सकता था, कि इनमें से एक पोलीस का एसएसपी है,
और दूसरा डिस्ट कोर्ट का जाना माना वकील, जो कुछ ही दिनो में अच्छे- अच्छों को अपने दिमाग़ का लोहा मनवा चुका है………!
देर रात तक हम सब परिवार के लोग बैठ कर बातें करते रहे… रूचि को नींद आने लगी थी, सो वो उठकर अपने कमरे में चली गयी…
अब वो भाभी से अलग रामा दीदी वाले कमरे में सोती थी…
फिर निशा ने सबको दूध दिया और हम सब सोने के लिए अपने -अपने कमरे में चले गये….
मेने अपने कपड़े चेंज किए, एक शॉर्ट और स्लीवलेशस टीशर्ट पहन कर पलंग पर बैठ, निशा का इंतेज़ार करने लगा…
जब वो काफ़ी देर तक नही आई, मेने सोचा शायद भाभी की मालिश करने गयी होगी… अब उनके दिन पूरे हो रहे थे, अगले महीने ही डेलिवरी होनी थी…
कुछ देर इंतेज़ार करके मे पलंग पर लेट गया…अभी 10 मिनिट ही हुए होंगे कि निशा आ गयी… और अपना गाउन लेकर बाथ रूम में घुस गयी…
कपड़े चेंज करके वो चुप चाप आकर पलंग के दूसरी छोर पर जाकर लेट गयी, जबकि मे अभी भी जाग रहा था, और उसी को देख भी रहा था…
वो दूसरी तरफ करवट लिए पड़ी थी, जब कुछ देर तक वो नही कुछ बोली, तो मेने उसके पीछे से अपने को सटा लिया और उसकी कमर में अपना बाजू लपेट कर उसे अपनी तरफ मुँह करने के लिए खींचा…
उसने बिना कुछ कहे मेरा हाथ अपनी कमर से हटा दिया…मेने फिर से अपनी ओर पलटने की कोशिश की, वो कुन्मूनाते हुए झटके से बोली – क्या है..? क्यों परेशान कर रहे हो…?
मे – निशु ! इधर मुँह करो ना मेरी तरफ…!
निशा ने मेरा हाथ झटकते हुए कहा – सोने दो मुझे…! नींद आ रही है.. सारा दिन काम करते हो जाता है… अब तो सोने दो…
मे उसके कूल्हे को सहलाते हुए पटाने वाले लहजे में बोला – अले..अले…मेला.. सोना…नाराज़ है… ये कह कर मेने अपना बाजू उसके आगे से ले जाकर उसे पलट दिया…
जब उसने मेरी तरफ अपना फेस किया तो मेने अपने कानों पर हाथ लगाकर बोला – सॉरी जान…! मे बिना भैया के किसी को कुछ बताना नही चाहता था…
वो – अच्छा ! अब मे किसी और में शुमार होने लगी हूँ आपके लिए…?
मेने उसके गाल सहलाते हुए कहा – नही..नही.. तुम तो मेरी स्पेशल वन हो…, मेरी जाने जिगर हो…
लेकिन ज़रा सोचो जान ! ये बात मेने भाभी तक को भी नही बताई, तो कुछ तो रीज़न रहा होगा, ना बताने का…?