hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मेरे लंड की गर्मी पाकर उसकी चूत में संकुचन होने लगा.. मानो वो अपने दोस्त को चूम रही हो… और कह रही हो कि आओ मेरे प्यारे.. मेरे आँगन में तुम्हारा स्वागत है…
मेने एक हल्का सा धक्का देकर अपने सुपाडे को उसके छोटे से छेद में फिट कर दिया… उसकी आह… निकल गयी.. और वो उफ़फ्फ़…उफफफ्फ़… करने लगी…
मे – क्या हुआ रानी…?
वो बोली – थोड़ा टाइट है… आराम से ही डालना..
मेने कहा – फिकर मत करो.. तुम्हें कुछ नही होगा… थोड़ा सहन कर लेना बस..
ये कह कर मेने एक अच्छा सा शॉट लगाया और मेरा आधा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरते हुए अंदर फिट हो गया…
वो दर्द से बिल-बिला उठी… मेने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी चुचि सहलाते हुए कहा… बस थोड़ा सा और… फिर मज़ा ही मज़ा…
वो थोड़ी देर करही, मे उसकी चुचियों की मालिश करता रहा… और हल्के हल्के से आधे लंड को अंदर बाहर किया… जब उसे कुछ अच्छा लगने लगा और मस्ती से कमर हिलाने लगी…
मौका देख मेने एक और फाइनल शॉट लगा दिया… मेरा पूरा लंड किसी खूँटे की तरह उसकी कसी हुई चूत में फिट हो गया…
आआंन्नज्….माआआ….मररर्र्ररर…गाइिईईईईईईई….रीईईई……वो दर्द से तड़पने लगी …
उसकी चूत के होंठ पूरी तरह खुल चुके थे…
मेने उसे ज़मीन से उठा कर अपने सीने से लगा लिया… होंठ चूस्ते हुए उसके सर को सहलाया.. और फिरसे लिटा कर उसके निप्पलो से खेलने लगा…
एक-दो मिनिट में ही उसका दर्द कम हुआ तो मेने अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकाला.. देखा तो उसपर कुछ खून भी लगा हुआ था…
सही माइने में आज ही उसकी सील टूटी थी…
मेने फिरसे अपना लंड धीरे-2 अंदर किया… तो वो इस बार सिर्फ़ सिसक कर रह गयी…
कुछ देर आराम-आराम से अंदर-बाहर कर के उसकी चूत को अपने लंड के हिसाब से सेट किया… अब उसे भी मज़ा आने लगा था…
मेने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब घचा घच.. उसकी कसी चूत में लंड चलाने लगा… जब पूरा लंड अंदर जाता तो वो अपने पेट पर हाथ रख कर उसे महसूस करती..
जब मेने पूछा तो वो बोली – देखो ये यहाँ तक आ जाता है… आअहह…बड़ा मज़ा दे रहा है… और ज़ोर से करो…हइई….माआ… में गयी.ईयी……हूंम्म्म..
वो झड रही थी… जिससे उसके पैरों की एडीया मेरी गान्ड पर कस गयी…और वो मेरे सीने से चिपक गयी..
मे उसे उसी पोज़ में लिए हुए खड़ा हो गया… वो मेरे सीने से चिपकी हुई थी…. मेने उसकी जांघों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसे अपने लंड पर अधर उठा लिया….
कुछ देर उसको अपने लंड पर अपने हाथों के इशारे से मेने आराम आराम से उसे कूदाया..
वो अब फिरसे गरम होने लगी… और खुद ही अपनी कमर उच्छल-2 कर मेरे लंड पर कूदने लगी..
मेरी स्टॅमिना देख कर वो दंग रह गयी… 10 मिनिट तक में उसे हवा में लटकाए ही चोदता रहा… और अंत में मेने ज़ोर से उसे अपने सीने में कस लिया..
मेरे साथ-साथ वो भी झड़ने लगी.. और मेरे गले से चिपक गयी….
कुछ देर बाद में उसे गोद में लेकर वही घास पर बैठ गया.. वो मेरे होंठ चूमते हुए बोली – आज मेने जाना की सच्चा मर्द क्या होता है… और चुदाई कैसे होती है..
उसके बाद हम ने अपने शरीर साफ किए… वो वहीं पास में बैठ कर मूतने लगी..
उसके मूत से पहले ढेर सारी मलाई निकलती रही.. जिसे वो बड़े गौर से देखती रही..
मूतने के बाद वो फिरसे मेरी गोद में आकर बैठ गयी,
हमारे हाथ धीरे – 2 फिरसे से बदमाशियाँ करने लगे, जिससे कुछ ही देर में हम फिरसे गरम हो गये…
फिर मेने उसे घुटने मोड़ कर घोड़ी बना दिया, और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा…
इसी तरह मेने कई आसनों से उसे तीन बार उसे जमकर चोदा.. वो चुदते-2 पस्त हो गयी..
कुछ देर बैठ कर, हम कपड़े पहन कर मैदान में आ गये.. और एक पेड़ की छाया में लेट गये..
एक घंटा अच्छे से आराम करने के बाद घर लौट लिए…
घर आकर मेने उसके सास-ससुर को बताया कि उसका इलाज़ तो हो गया है.., लेकिन कुछ दिनो तक हर हफ्ते उसे ले जाना होगा…
तो वो बोले – बेटा अब तुम ही इसे ले जा सकते हो.. हमारे पास और कॉन है.. तो मेने भी हां कर दिया…
पंडित – पंडिताइन ने मुझे खूब आशीर्वाद दिया.. हम दोनो मन ही मन खुश हो रहे थे…
कुछ देर चाय नाश्ता करने के बाद मे अपने घर आ गया और भाभी को सारी बात बताई…
वो हँसते हुए बोली – वाह देवेर जी ! मेरी सोहवत में स्मार्ट हो गये हो… हर हफ्ते का इंतेज़ाम भी कर लिया… मान गये उस्ताद…!
मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी ! बेचारी मिन्नतें कर रही थी.. कि समय निकल कर मुझे भी प्यार कर लिया करना.. सो मेने ये तरीक़ा सोच लिया…
इस तरह से पंडित जी की बहू वर्षा की समस्या का समाधान मेरी भाभी ने कर दिया….
मेने एक हल्का सा धक्का देकर अपने सुपाडे को उसके छोटे से छेद में फिट कर दिया… उसकी आह… निकल गयी.. और वो उफ़फ्फ़…उफफफ्फ़… करने लगी…
मे – क्या हुआ रानी…?
वो बोली – थोड़ा टाइट है… आराम से ही डालना..
मेने कहा – फिकर मत करो.. तुम्हें कुछ नही होगा… थोड़ा सहन कर लेना बस..
ये कह कर मेने एक अच्छा सा शॉट लगाया और मेरा आधा लंड उसकी कसी हुई चूत को चीरते हुए अंदर फिट हो गया…
वो दर्द से बिल-बिला उठी… मेने उसके होंठों को चूम लिया और उसकी चुचि सहलाते हुए कहा… बस थोड़ा सा और… फिर मज़ा ही मज़ा…
वो थोड़ी देर करही, मे उसकी चुचियों की मालिश करता रहा… और हल्के हल्के से आधे लंड को अंदर बाहर किया… जब उसे कुछ अच्छा लगने लगा और मस्ती से कमर हिलाने लगी…
मौका देख मेने एक और फाइनल शॉट लगा दिया… मेरा पूरा लंड किसी खूँटे की तरह उसकी कसी हुई चूत में फिट हो गया…
आआंन्नज्….माआआ….मररर्र्ररर…गाइिईईईईईईई….रीईईई……वो दर्द से तड़पने लगी …
उसकी चूत के होंठ पूरी तरह खुल चुके थे…
मेने उसे ज़मीन से उठा कर अपने सीने से लगा लिया… होंठ चूस्ते हुए उसके सर को सहलाया.. और फिरसे लिटा कर उसके निप्पलो से खेलने लगा…
एक-दो मिनिट में ही उसका दर्द कम हुआ तो मेने अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकाला.. देखा तो उसपर कुछ खून भी लगा हुआ था…
सही माइने में आज ही उसकी सील टूटी थी…
मेने फिरसे अपना लंड धीरे-2 अंदर किया… तो वो इस बार सिर्फ़ सिसक कर रह गयी…
कुछ देर आराम-आराम से अंदर-बाहर कर के उसकी चूत को अपने लंड के हिसाब से सेट किया… अब उसे भी मज़ा आने लगा था…
मेने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब घचा घच.. उसकी कसी चूत में लंड चलाने लगा… जब पूरा लंड अंदर जाता तो वो अपने पेट पर हाथ रख कर उसे महसूस करती..
जब मेने पूछा तो वो बोली – देखो ये यहाँ तक आ जाता है… आअहह…बड़ा मज़ा दे रहा है… और ज़ोर से करो…हइई….माआ… में गयी.ईयी……हूंम्म्म..
वो झड रही थी… जिससे उसके पैरों की एडीया मेरी गान्ड पर कस गयी…और वो मेरे सीने से चिपक गयी..
मे उसे उसी पोज़ में लिए हुए खड़ा हो गया… वो मेरे सीने से चिपकी हुई थी…. मेने उसकी जांघों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसे अपने लंड पर अधर उठा लिया….
कुछ देर उसको अपने लंड पर अपने हाथों के इशारे से मेने आराम आराम से उसे कूदाया..
वो अब फिरसे गरम होने लगी… और खुद ही अपनी कमर उच्छल-2 कर मेरे लंड पर कूदने लगी..
मेरी स्टॅमिना देख कर वो दंग रह गयी… 10 मिनिट तक में उसे हवा में लटकाए ही चोदता रहा… और अंत में मेने ज़ोर से उसे अपने सीने में कस लिया..
मेरे साथ-साथ वो भी झड़ने लगी.. और मेरे गले से चिपक गयी….
कुछ देर बाद में उसे गोद में लेकर वही घास पर बैठ गया.. वो मेरे होंठ चूमते हुए बोली – आज मेने जाना की सच्चा मर्द क्या होता है… और चुदाई कैसे होती है..
उसके बाद हम ने अपने शरीर साफ किए… वो वहीं पास में बैठ कर मूतने लगी..
उसके मूत से पहले ढेर सारी मलाई निकलती रही.. जिसे वो बड़े गौर से देखती रही..
मूतने के बाद वो फिरसे मेरी गोद में आकर बैठ गयी,
हमारे हाथ धीरे – 2 फिरसे से बदमाशियाँ करने लगे, जिससे कुछ ही देर में हम फिरसे गरम हो गये…
फिर मेने उसे घुटने मोड़ कर घोड़ी बना दिया, और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा…
इसी तरह मेने कई आसनों से उसे तीन बार उसे जमकर चोदा.. वो चुदते-2 पस्त हो गयी..
कुछ देर बैठ कर, हम कपड़े पहन कर मैदान में आ गये.. और एक पेड़ की छाया में लेट गये..
एक घंटा अच्छे से आराम करने के बाद घर लौट लिए…
घर आकर मेने उसके सास-ससुर को बताया कि उसका इलाज़ तो हो गया है.., लेकिन कुछ दिनो तक हर हफ्ते उसे ले जाना होगा…
तो वो बोले – बेटा अब तुम ही इसे ले जा सकते हो.. हमारे पास और कॉन है.. तो मेने भी हां कर दिया…
पंडित – पंडिताइन ने मुझे खूब आशीर्वाद दिया.. हम दोनो मन ही मन खुश हो रहे थे…
कुछ देर चाय नाश्ता करने के बाद मे अपने घर आ गया और भाभी को सारी बात बताई…
वो हँसते हुए बोली – वाह देवेर जी ! मेरी सोहवत में स्मार्ट हो गये हो… हर हफ्ते का इंतेज़ाम भी कर लिया… मान गये उस्ताद…!
मेने हँसते हुए कहा – अरे भाभी ! बेचारी मिन्नतें कर रही थी.. कि समय निकल कर मुझे भी प्यार कर लिया करना.. सो मेने ये तरीक़ा सोच लिया…
इस तरह से पंडित जी की बहू वर्षा की समस्या का समाधान मेरी भाभी ने कर दिया….