hotaks444
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धीरज ने तान्या की टाँगों को अपने कंधे पर रख कर उसकी चुदाई की शुरूवात की. फिर तान्या घूम गयी, और धीरज ने उसकी गान्ड को दोनो हाथों से पकड़ कर, और गान्ड की गोलाईयों को निहारते हुए, अपने लक्कड़ हो चुके लंड को पीछे से तान्या की प्यासी चूत में पेल दिया. और फिर, तान्या ने धीरज के लंड को चूस कर फिर से खड़ा किया, और उसके लंड पर बैठकर उसकी ऐसी सवारी की मानो आज उसकी ये आख़िरी चुदाई हो. शाम होते होते, वो दोनो बेहद थक चुके थे, और एक दूसरे से लिपटे हुए बेड पर लेट कर हाँफ रहे थे.
"हे भगवान! मुझे इसकी बेहद ज़रूरत थी!" तान्या लंबी साँस लेती हुई बोली. सच में मैं मज़ाक नही कर रही हूँ!
"इतना मज़ा आएगा मुझे विश्वास नही होता!" धीरज ने तान्या के उपर आते हुए, और उसको चूमते हुए जवाब दिया. "मेरे लंड को आज ना जाने कितने सालों बाद इतना अच्छी तरह चूसा है, शायद कॉलेज डेज़ के बाद, पहली बार,” धीरज ने तान्या की गर्दन को चूमते हुए और होंठों को नीचे तान्या की मस्त चूंचियों की तरफ लाते हुए जवाब दिया.
"मुझे भी तुम्हारे मस्त लंबे लंड को चूसने में बहुत मज़ा आया,"तान्या मुस्कुराते हुए बोली. "अगली बार मैं तुम्हारा पानी अपने मूँह में चूस चूस कर निकाल कर पी जाउन्गि, लेकिन आज तो मेरी चूत को तुम्हारे लंड की सेवा की ज़्यादा ज़रूरत थी." धीरज अगली बार की बात सुनकर थोड़ा खुश हो गया.
"कम ऑन. शवर ले लेते हैं," तान्या धीरज के मूँह को अपने निपल्स से दूर करते हुए बोली. "मुझे घर भी जाना है, और डिन्नर भी बनाना है."
बाथरूम में दोनो एक दूसरे के नंगे बदन पर साबुन लगाने लगे, और धीरज साबुन लगाते हुए तान्या के शरीरी के हर उभार का आनंद ले रहा था, और तान्या उसके लंड को हिलाते हुए उसके टट्टों को सहला रही थी. तान्या के कड़क चूंचियाँ धीरज के सहलाने और दबाने के कारण और ज़्यादा टाइट हो रही थी, और उन पर उसके गुलाबी निपल्स कड़े हो रहे थे. जब तक शवर के नीचे आकर दोनो ने साबुन को पानी से धोया, तब तक धीरज का लंड फिर से पूरी तरह खड़ा होकर फन्फनाने लगा था.
"मुझे लगता है, मेरे को अगली बार का वेट करने की ज़रूरत नही है," तान्या मुस्कुराते हुए बाथरूम के फ्लोर पर घुटनों के बल बैठते हुए, और अपने होंठों के बीच धीरज के लंड को लेते हुए बोली.
हे भगवान! धीरज ना जाने कब से इस तरह तान्या से लंड को चुसवाने के सपने देख रहा था, और आज ये हक़ीक़त में हो रहा था. सारी दोपहर चुदाई करने के बाद धीरज को लग रहा था कि शायद अब उसकी गोलियों में बाहर निकालने के लिए थोड़ा भी पानी नही बचा होगा, लेकिन जैसे ही तान्या ने उसके लंड को चूसना और टट्टों को सहलाना शुरू किया, उसके लंड में फिर से टेन्षन बढ़ने लगी थी. तान्या की जीभ उसके लंड के सुपाडे पर गोल गोल घूम रही थी और वो हाथ से उसके लंड को, अपने मूँह में भरे हुए, अपने गीले होंठों के बीच आगे पीछे कर के हिला रही थी. तभी धीरज ने तान्या के बालों को एक हाथ से पकड़ा और अपना लंड उसके मूँह में अंदर तक घुसा दिया. तान्या का हाथ जो कि उसके लंड के निचले हिस्से को पकड़े हुए था, वो ही थोड़ी मदद कर पाया, नही तो धीरज उसके गले में अंदर तक अपने लंड को पेल देता.
"ओह! बहुत मज़ा आ रहा है!" धीरः कराहते हुए बोला, और तान्या उसकी गोलिओं को सहलाने लगी. धीरज इस उत्तेजना को ज़्यादा देर बर्दाश्त नही कर पाया और उसके लंड ने अपनी सलहज के मूँह में यकायक अपना पानी छोड़ लिया.
"आआररर्ररगज्गघह!" धीरज के मूँह से गुर्राने की आवाज़ निकली, और उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा पानी उसकी गोलियों ने बाहर उंड़ेल दिया. बाथरूम की दीवार जिस पर टाइल्स लगी हुई थी, उस पर हाथ टिका कर अपना बॅलेन्स बनाते हुए, वो तान्या के मूँह के गीले होंठों के बीच अपने लंड को आगे धकेलकर अपनी गोलियों के बाकी बचे वीर्य को निकाल कर परम संतुष्टि पर पहुँचने लगा. तान्या उसके लंड से निकल रही आख़िरी बूँद तक चाट कर वीर्य को निगल रही थी.
"थॅंक यू, धीरज," तान्या बोली, जब दोनो ने अपने कपड़े पहन लिए. धीरज ने तान्या को अपनी बाहों में भर लिया, और उसके होंठों को एक धीरे से किस किया, जिस से वासना की एक पल को फिर से चिंगारी धधक उठी.
"मैने डॉली को बता दिया है कि हर वेडनेसडे को मैं मॅनेज्मेंट ट्रैनिंग्स की वजह से थोड़ा लेट हो जाया करूँगा,” धीरज ने तान्या के किस को थोड़ा सा बीच में ब्रेक करते हुए बताया, जिस से की वो नेक्स्ट वेडनेसडे का प्रोग्राम फाइनल कर ले.
"एम्म्म. मॅनेज्मेंट ट्रैनिंग अच्छा बहाना है. मुझे इस बात की खुशी है कि हम इस सब को फॅमिली के अंदर ही रख रहे हैं,” बाहर निकलते हुए तान्या ने हंसते हुए कहा.
अगली हर रात को, सारे हफ्ते, वेडनेसडे दोपहर को उन दोनो के बीच जो कुछ हुआ, बस वही सब धीरज के दिमाग़ में घूमता रहा. सब कुछ इतना जल्दी से हुआ था, कि वो उसको समझ नही पा रहा था. धीरज ने मन ही मन डिसाइड किया कि अगली बार वो सब कुछ धीरे धीरे करेगा, लेकिन इंतेजार करना मुश्किल होता जा रहा था.
तान्या भी वही सब सोच रही थी, क्यूंकी नेक्स्ट वेनस्डे को जब उसने गेस्टहाउस के रूम का डोर खोला तब वो बिल्कुल नंगी थी!
"मैने सोचा टाइम क्यों वेस्ट किया जाए,” तान्या ने मुस्कुराते हुए, डोर को बंद करते हुए कहा, और धीरज की शर्ट के बटन खोलने लगी.
अगली हर रात को, सारे हफ्ते, वेडनेसडे दोपहर को उन दोनो के बीच जो कुछ हुआ, बस वही सब धीरज के दिमाग़ में घूमता रहा. सब कुछ इतना जल्दी से हुआ था, कि वो उसको संजों नही पा रहा था. धीरज ने मन ही मन डिसाइड किया कि अगली बार वो सब कुछ धीरे धीरे करेगा, लेकिन इंतेजार करना मुश्किल होता जा रहा था.
"हे भगवान! मुझे इसकी बेहद ज़रूरत थी!" तान्या लंबी साँस लेती हुई बोली. सच में मैं मज़ाक नही कर रही हूँ!
"इतना मज़ा आएगा मुझे विश्वास नही होता!" धीरज ने तान्या के उपर आते हुए, और उसको चूमते हुए जवाब दिया. "मेरे लंड को आज ना जाने कितने सालों बाद इतना अच्छी तरह चूसा है, शायद कॉलेज डेज़ के बाद, पहली बार,” धीरज ने तान्या की गर्दन को चूमते हुए और होंठों को नीचे तान्या की मस्त चूंचियों की तरफ लाते हुए जवाब दिया.
"मुझे भी तुम्हारे मस्त लंबे लंड को चूसने में बहुत मज़ा आया,"तान्या मुस्कुराते हुए बोली. "अगली बार मैं तुम्हारा पानी अपने मूँह में चूस चूस कर निकाल कर पी जाउन्गि, लेकिन आज तो मेरी चूत को तुम्हारे लंड की सेवा की ज़्यादा ज़रूरत थी." धीरज अगली बार की बात सुनकर थोड़ा खुश हो गया.
"कम ऑन. शवर ले लेते हैं," तान्या धीरज के मूँह को अपने निपल्स से दूर करते हुए बोली. "मुझे घर भी जाना है, और डिन्नर भी बनाना है."
बाथरूम में दोनो एक दूसरे के नंगे बदन पर साबुन लगाने लगे, और धीरज साबुन लगाते हुए तान्या के शरीरी के हर उभार का आनंद ले रहा था, और तान्या उसके लंड को हिलाते हुए उसके टट्टों को सहला रही थी. तान्या के कड़क चूंचियाँ धीरज के सहलाने और दबाने के कारण और ज़्यादा टाइट हो रही थी, और उन पर उसके गुलाबी निपल्स कड़े हो रहे थे. जब तक शवर के नीचे आकर दोनो ने साबुन को पानी से धोया, तब तक धीरज का लंड फिर से पूरी तरह खड़ा होकर फन्फनाने लगा था.
"मुझे लगता है, मेरे को अगली बार का वेट करने की ज़रूरत नही है," तान्या मुस्कुराते हुए बाथरूम के फ्लोर पर घुटनों के बल बैठते हुए, और अपने होंठों के बीच धीरज के लंड को लेते हुए बोली.
हे भगवान! धीरज ना जाने कब से इस तरह तान्या से लंड को चुसवाने के सपने देख रहा था, और आज ये हक़ीक़त में हो रहा था. सारी दोपहर चुदाई करने के बाद धीरज को लग रहा था कि शायद अब उसकी गोलियों में बाहर निकालने के लिए थोड़ा भी पानी नही बचा होगा, लेकिन जैसे ही तान्या ने उसके लंड को चूसना और टट्टों को सहलाना शुरू किया, उसके लंड में फिर से टेन्षन बढ़ने लगी थी. तान्या की जीभ उसके लंड के सुपाडे पर गोल गोल घूम रही थी और वो हाथ से उसके लंड को, अपने मूँह में भरे हुए, अपने गीले होंठों के बीच आगे पीछे कर के हिला रही थी. तभी धीरज ने तान्या के बालों को एक हाथ से पकड़ा और अपना लंड उसके मूँह में अंदर तक घुसा दिया. तान्या का हाथ जो कि उसके लंड के निचले हिस्से को पकड़े हुए था, वो ही थोड़ी मदद कर पाया, नही तो धीरज उसके गले में अंदर तक अपने लंड को पेल देता.
"ओह! बहुत मज़ा आ रहा है!" धीरः कराहते हुए बोला, और तान्या उसकी गोलिओं को सहलाने लगी. धीरज इस उत्तेजना को ज़्यादा देर बर्दाश्त नही कर पाया और उसके लंड ने अपनी सलहज के मूँह में यकायक अपना पानी छोड़ लिया.
"आआररर्ररगज्गघह!" धीरज के मूँह से गुर्राने की आवाज़ निकली, और उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा पानी उसकी गोलियों ने बाहर उंड़ेल दिया. बाथरूम की दीवार जिस पर टाइल्स लगी हुई थी, उस पर हाथ टिका कर अपना बॅलेन्स बनाते हुए, वो तान्या के मूँह के गीले होंठों के बीच अपने लंड को आगे धकेलकर अपनी गोलियों के बाकी बचे वीर्य को निकाल कर परम संतुष्टि पर पहुँचने लगा. तान्या उसके लंड से निकल रही आख़िरी बूँद तक चाट कर वीर्य को निगल रही थी.
"थॅंक यू, धीरज," तान्या बोली, जब दोनो ने अपने कपड़े पहन लिए. धीरज ने तान्या को अपनी बाहों में भर लिया, और उसके होंठों को एक धीरे से किस किया, जिस से वासना की एक पल को फिर से चिंगारी धधक उठी.
"मैने डॉली को बता दिया है कि हर वेडनेसडे को मैं मॅनेज्मेंट ट्रैनिंग्स की वजह से थोड़ा लेट हो जाया करूँगा,” धीरज ने तान्या के किस को थोड़ा सा बीच में ब्रेक करते हुए बताया, जिस से की वो नेक्स्ट वेडनेसडे का प्रोग्राम फाइनल कर ले.
"एम्म्म. मॅनेज्मेंट ट्रैनिंग अच्छा बहाना है. मुझे इस बात की खुशी है कि हम इस सब को फॅमिली के अंदर ही रख रहे हैं,” बाहर निकलते हुए तान्या ने हंसते हुए कहा.
अगली हर रात को, सारे हफ्ते, वेडनेसडे दोपहर को उन दोनो के बीच जो कुछ हुआ, बस वही सब धीरज के दिमाग़ में घूमता रहा. सब कुछ इतना जल्दी से हुआ था, कि वो उसको समझ नही पा रहा था. धीरज ने मन ही मन डिसाइड किया कि अगली बार वो सब कुछ धीरे धीरे करेगा, लेकिन इंतेजार करना मुश्किल होता जा रहा था.
तान्या भी वही सब सोच रही थी, क्यूंकी नेक्स्ट वेनस्डे को जब उसने गेस्टहाउस के रूम का डोर खोला तब वो बिल्कुल नंगी थी!
"मैने सोचा टाइम क्यों वेस्ट किया जाए,” तान्या ने मुस्कुराते हुए, डोर को बंद करते हुए कहा, और धीरज की शर्ट के बटन खोलने लगी.
अगली हर रात को, सारे हफ्ते, वेडनेसडे दोपहर को उन दोनो के बीच जो कुछ हुआ, बस वही सब धीरज के दिमाग़ में घूमता रहा. सब कुछ इतना जल्दी से हुआ था, कि वो उसको संजों नही पा रहा था. धीरज ने मन ही मन डिसाइड किया कि अगली बार वो सब कुछ धीरे धीरे करेगा, लेकिन इंतेजार करना मुश्किल होता जा रहा था.