hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
गतांक से आगे .........................
पिंकी की शुरत रोने वाली हो रही थी, हो भी क्यो ना किसी भी लड़की के लिए ऐसा करना आसान नही था.
“देखो मुझे थोड़ा वक्त दो, इतनी जल्दी मैं कैसे मेंटली प्रिपेर हो पाउन्गि” ---- वो सुरेश की और गुस्से में देखते हुवे बोली,
“मैने तुम्हे, पीछले हफ्ते ही ये बात बता दी थी कि वो हरामी रामू हमारे बारे में सब कुछ जान गया है और संजना को सब कुछ बताने की धमकी दे रहा है. मैने तुम्हे बताया था ना कि वो अपना मूह बंद रखने की कीम्मत माँग रहा है. और कितना वक्त चाहिए तुम्हे ? ” ------ सुरेश ने भी पिंकी को गुस्से में जवाब दिया
पिंकी किसी गहरी सोच में डूब गयी, ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मन ही मन में कोई फ़ैसला कर रही हो.
“पर तुम्हे नही लगता कि वो कुछ ज़्यादा ही माँग रहा है, आख़िर उसकी औकात क्या है ?” -----पिंकी ने सुरेश का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा.
“हाँ शायद, पर तुम ये भी तो देखो क़ि जितना माल हम संजना का उड़ा रहे है, उसके आगे ये कुछ भी नही है. और उसकी कोई औकात भले ही ना हो पर वो संजना का बहुत ख़ास ड्राइवर है और अगर उसने संजना को सब कुछ बता दिया तो हम कहीं के नही रहेंगे, समझ रही हो ना तुम”. ---- सुरेश ने पिंकी के हाथ को चूमते हुवे कहा.
“तुम्हारे लिए ये कुछ भी नही है, पर मेरे लिए ये बहुत बड़ी किम्मत है, मैं उस बद्शुरत मोटे के साथ छी….सोच भी नही सकती…. ओह गॉड ये में कौन सी मुसीबत में फँस गयी” ---- पिंकी ने अपने चेहरे को हाथो में छुपा कर कहा
सुरेश पिंकी को समझाने की कोशिश कर रहा था, और पिंकी सुरेश को समझाने की कोशिस कर रही थी.
पर्दे के पीछे खड़े खड़े मैं बहुत तक चुकी थी, पर वाहा का नाटक थमने का नाम ही नही ले रहा था. मैं सोच रही थी कि बेकार में हम इस कमरे में घुसे, सीधे 103 में चले जाते तो अछा होता.
पिंकी को ऐसी हालत में देख कर मुझे वो कहावत याद आ गयी की…..“ जो इंशान दूसरो के लिए खड्डा खोदता है, एक दिन खुद उसी में गिरता है ”. मुझ से बदला लेने के चक्कर में पिंकी खुद बर्बादी की ओर बढ़ रही थी.
मुझ से ये सब नही शुना जा रहा था, मैने दीप्ति को वही रोक कर कहा, “बस यार आगे मत सुनाओ, बहुत बेकार लग रहा है सब कुछ”
पर तभी नेहा बोल पड़ी, “अरे नही ऋतु, बताने दो ना, देंखे तो सही कि जिसने दीप्ति के साथ इतनी बड़ी साजिश की, उसका आगे क्या बना”.
मैने नेहा से कहा, “ देखो किसी के दुख को अपने मज़े के लिए हरगीज़ उसे नही करना चाहिए. मुझे तो नफ़रत होती है ऐसे लोगो से जो रेप की कहानिया पढ़ कर, या रेप की वीडियो देख कर खुस होते है”
“ऋतु, मेरा ऐसा कोई मकसद नही है, हम तो सिर्फ़ बाते कर रहें है, और ये जान-ने की कोशिस कर रहे है कि पिंकी को उसके किए की सज़ा कैसे मिली” ----- नेहा ने गंभीर चेहरा बना कर कहा
तभी दीप्ति बीच में बोल पड़ी, “अरे यार बस करो तुम दोनो”
हम दोनो दीप्ति की आवाज़ सुन कर चुप हो गये.
“ऋतु, मैं मानती हूँ कि तुम्हे ये सब शन-ना अछा नही लग रहा, पर ये कहानी कुछ समझा रही है, इसलिए इसे पूरा सुन लो, आधे अधूरे से हम किसी भी नतीजे पर नही पहुँच सकते” ----दीप्ति ने मेरी और देखते हुवे कहा
मैने गहरी साँस ले कर कहा, ह्म….. ठीक है सुनाओ फिर, मैं सुन रही हूँ.
“ठीक है सुनो फिर”,------ दीप्ति ने हम दोनो से कहा.
दीप्ति के शब्दो में :---------
अछा तो मैं क्या कह रही थी…. ह्म्म….. हाँ याद आया,….. “ये सच है कि इंशान को उसके किए कि सज़ा इसी जनम में मिल जाती है. इसलिए हमें हमेसा ही आछे करम करने चाहिए. हम कोई भी ग़लत काम करके उसके परिणामो से नही बच सकते है. कभी ना कभी हमें अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलती है”. ऐसा ही कुछ पिंकी के साथ हो रहा था.
सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ रख कर उसके बालो को सहलाते हुवे कहा, “देखो बस एक बार की बात है, वो एक बार कर लेगा तो उसके मूह खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा और किसी को कुछ भी बताने की हालत में नही रहेगा, उसके बाद हमें उसे मूह लगाने की ज़रूरत नही है, ठीक है ना” ?
पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम कर कहा, “पर सुरेश मैं कैसे कर पाउन्गि, मुझ से नही होगा, देखा है ना तुमने उसे ? वो बहुत ही भयानक है. कोई और रास्ता निकालो ना.
“देखो, तुम जानती ही हो रामू को, वो पहले भी मेरी काई बाते संजना को बता चुका है, और संजना उस पर विश्वास भी करती है, वो उसका बहुत पुराना ड्राइवर जो ठहरा. और हां आजकल मुझ पर संजना का शक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में मैं कोई ख़तरा मोल नही ले सकता” ----- सुरेश ने पिंकी के गालो को सहलाते हुवे कहा.
तभी कमरे की बेल बजी…… टिंग…टॉंग….और पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम लिया.
“शायद वो आ गया, मैं दरवाजा खोलता हूँ”. सुरेश ने पिंकी से हाथ छुड़ाते हुवे कहा.
पिंकी ने उसका हाथ ज़ोर से जाकड़ लिया और बोली, “रूको ना प्लीज़, एक बार फिर से सोच लो, क्या कोई और रास्ता नही है” ??
सुरेश बोला, हां है !!
पिंकी ने पूछा, क्या ? बताओ
“हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते है और रामू को संजना को सब कुछ बताने देते है और ख़ुसी-ख़ुसी सड़क पर आ जाते है. पर ये बात याद रखना कि अगर कोई हुन्गामा हुवा तो दीप्ति तक भी बात पहुँच सकती है” ------ सुरेश ने पिंकी की और देखते हुवे थोड़ा गुस्से में कहा.
पिंकी की शुरत रोने वाली हो रही थी, हो भी क्यो ना किसी भी लड़की के लिए ऐसा करना आसान नही था.
“देखो मुझे थोड़ा वक्त दो, इतनी जल्दी मैं कैसे मेंटली प्रिपेर हो पाउन्गि” ---- वो सुरेश की और गुस्से में देखते हुवे बोली,
“मैने तुम्हे, पीछले हफ्ते ही ये बात बता दी थी कि वो हरामी रामू हमारे बारे में सब कुछ जान गया है और संजना को सब कुछ बताने की धमकी दे रहा है. मैने तुम्हे बताया था ना कि वो अपना मूह बंद रखने की कीम्मत माँग रहा है. और कितना वक्त चाहिए तुम्हे ? ” ------ सुरेश ने भी पिंकी को गुस्से में जवाब दिया
पिंकी किसी गहरी सोच में डूब गयी, ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मन ही मन में कोई फ़ैसला कर रही हो.
“पर तुम्हे नही लगता कि वो कुछ ज़्यादा ही माँग रहा है, आख़िर उसकी औकात क्या है ?” -----पिंकी ने सुरेश का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा.
“हाँ शायद, पर तुम ये भी तो देखो क़ि जितना माल हम संजना का उड़ा रहे है, उसके आगे ये कुछ भी नही है. और उसकी कोई औकात भले ही ना हो पर वो संजना का बहुत ख़ास ड्राइवर है और अगर उसने संजना को सब कुछ बता दिया तो हम कहीं के नही रहेंगे, समझ रही हो ना तुम”. ---- सुरेश ने पिंकी के हाथ को चूमते हुवे कहा.
“तुम्हारे लिए ये कुछ भी नही है, पर मेरे लिए ये बहुत बड़ी किम्मत है, मैं उस बद्शुरत मोटे के साथ छी….सोच भी नही सकती…. ओह गॉड ये में कौन सी मुसीबत में फँस गयी” ---- पिंकी ने अपने चेहरे को हाथो में छुपा कर कहा
सुरेश पिंकी को समझाने की कोशिश कर रहा था, और पिंकी सुरेश को समझाने की कोशिस कर रही थी.
पर्दे के पीछे खड़े खड़े मैं बहुत तक चुकी थी, पर वाहा का नाटक थमने का नाम ही नही ले रहा था. मैं सोच रही थी कि बेकार में हम इस कमरे में घुसे, सीधे 103 में चले जाते तो अछा होता.
पिंकी को ऐसी हालत में देख कर मुझे वो कहावत याद आ गयी की…..“ जो इंशान दूसरो के लिए खड्डा खोदता है, एक दिन खुद उसी में गिरता है ”. मुझ से बदला लेने के चक्कर में पिंकी खुद बर्बादी की ओर बढ़ रही थी.
मुझ से ये सब नही शुना जा रहा था, मैने दीप्ति को वही रोक कर कहा, “बस यार आगे मत सुनाओ, बहुत बेकार लग रहा है सब कुछ”
पर तभी नेहा बोल पड़ी, “अरे नही ऋतु, बताने दो ना, देंखे तो सही कि जिसने दीप्ति के साथ इतनी बड़ी साजिश की, उसका आगे क्या बना”.
मैने नेहा से कहा, “ देखो किसी के दुख को अपने मज़े के लिए हरगीज़ उसे नही करना चाहिए. मुझे तो नफ़रत होती है ऐसे लोगो से जो रेप की कहानिया पढ़ कर, या रेप की वीडियो देख कर खुस होते है”
“ऋतु, मेरा ऐसा कोई मकसद नही है, हम तो सिर्फ़ बाते कर रहें है, और ये जान-ने की कोशिस कर रहे है कि पिंकी को उसके किए की सज़ा कैसे मिली” ----- नेहा ने गंभीर चेहरा बना कर कहा
तभी दीप्ति बीच में बोल पड़ी, “अरे यार बस करो तुम दोनो”
हम दोनो दीप्ति की आवाज़ सुन कर चुप हो गये.
“ऋतु, मैं मानती हूँ कि तुम्हे ये सब शन-ना अछा नही लग रहा, पर ये कहानी कुछ समझा रही है, इसलिए इसे पूरा सुन लो, आधे अधूरे से हम किसी भी नतीजे पर नही पहुँच सकते” ----दीप्ति ने मेरी और देखते हुवे कहा
मैने गहरी साँस ले कर कहा, ह्म….. ठीक है सुनाओ फिर, मैं सुन रही हूँ.
“ठीक है सुनो फिर”,------ दीप्ति ने हम दोनो से कहा.
दीप्ति के शब्दो में :---------
अछा तो मैं क्या कह रही थी…. ह्म्म….. हाँ याद आया,….. “ये सच है कि इंशान को उसके किए कि सज़ा इसी जनम में मिल जाती है. इसलिए हमें हमेसा ही आछे करम करने चाहिए. हम कोई भी ग़लत काम करके उसके परिणामो से नही बच सकते है. कभी ना कभी हमें अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलती है”. ऐसा ही कुछ पिंकी के साथ हो रहा था.
सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ रख कर उसके बालो को सहलाते हुवे कहा, “देखो बस एक बार की बात है, वो एक बार कर लेगा तो उसके मूह खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा और किसी को कुछ भी बताने की हालत में नही रहेगा, उसके बाद हमें उसे मूह लगाने की ज़रूरत नही है, ठीक है ना” ?
पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम कर कहा, “पर सुरेश मैं कैसे कर पाउन्गि, मुझ से नही होगा, देखा है ना तुमने उसे ? वो बहुत ही भयानक है. कोई और रास्ता निकालो ना.
“देखो, तुम जानती ही हो रामू को, वो पहले भी मेरी काई बाते संजना को बता चुका है, और संजना उस पर विश्वास भी करती है, वो उसका बहुत पुराना ड्राइवर जो ठहरा. और हां आजकल मुझ पर संजना का शक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में मैं कोई ख़तरा मोल नही ले सकता” ----- सुरेश ने पिंकी के गालो को सहलाते हुवे कहा.
तभी कमरे की बेल बजी…… टिंग…टॉंग….और पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम लिया.
“शायद वो आ गया, मैं दरवाजा खोलता हूँ”. सुरेश ने पिंकी से हाथ छुड़ाते हुवे कहा.
पिंकी ने उसका हाथ ज़ोर से जाकड़ लिया और बोली, “रूको ना प्लीज़, एक बार फिर से सोच लो, क्या कोई और रास्ता नही है” ??
सुरेश बोला, हां है !!
पिंकी ने पूछा, क्या ? बताओ
“हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते है और रामू को संजना को सब कुछ बताने देते है और ख़ुसी-ख़ुसी सड़क पर आ जाते है. पर ये बात याद रखना कि अगर कोई हुन्गामा हुवा तो दीप्ति तक भी बात पहुँच सकती है” ------ सुरेश ने पिंकी की और देखते हुवे थोड़ा गुस्से में कहा.