hotaks444
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आज तक मेरे और संजय के बीच ओरल सेक्स नही हुवा था. हम इसके बारे में सोचते तो थे पर कभी कर नही पाए थे.
पहली बार किसी के होंठ मेरी योनि पर थे.
मेरा मन गिल्ट से भरा था, पर मेरी योनि मुझे धोका दे रही थी.
वो मेरी योनि से मूह हटा कर बोला, देख कितनी चिकनी हो गयी है अब, पानी का दरिया बहा रही है.
मैने ग्लानि से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, क्या किसी ने कभी तेरी चूत चूसी है.
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो फिर बोला, बता ना चूसी है क्या किसी ने.
मैने कहा, नही.
वो बोला, तेरे पति ने भी नही ?
मैं ये सुन कर हैरान हो गयी. अभीतक तो उसे मेरे पति के नाम से जीझक हो रही थी और अब वो खुद उनके बारे में पूछ रहा था.
मैने गुस्से में पूछा, क्यो ?
वो बोला, कुछ नही जाने दे.
उसने फिर से अपने होंठ मेरी योनि पर टीका दिए और उशे बे-तहासा चूमने लगा.
मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये, और एक पल को मैं खो गयी.
पर जल्दी ही मैने खुद को संभाल लिया.
मैं किसी भी पल को एंजाय नही करना चाहती थी.
वाहा मेरा होना एक सज़ा थी, जितनी जल्दी ये सज़ा ख़तम हो अछा हो.
उसने पूछा, कैसा लग रहा है.
मैने कहा, मुझे नही पता.
उसने फिर से अपना मूह मेरी योनि से सटा दिया और बेशर्मी से चूसने लगा.
ना चाहते हुवे भी मैं, एक अजीब सी बेचैनी में खोने लगी.
वो बोला, अछा लग रहा है ना तुझे ?
मैं खोमोसी से लेटी रही.
वो बोला, बता ना अछा लग रहा है क्या तुझे ? मैं जब तक तू चाहे चूस्ता रहूँगा मुझे तेरी चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है, बहुत मीठा, रस है इसका.
मैं सोच रही थी कि कितना बेशरम है ये कैसी अजीब बाते कर रहा है.
और वो फिर से मेरी योनि को चूसने लगा. मेरी योनि पर उसकी दाढ़ी के बॉल ज़ोर से चुभ रहे थे, और एक अजीब सी सांसटिओं पैदा कर रहे थे.
मेरे मन में ख्याल आया कि ऋतु बस रोक दे इस आदमी को, इतना काफ़ी है इस के लिए, और यहा से फॉरन निकल ले.
मैने उसका सर वाहा से हटा दिया और बोली, बस बहुत हो गया, अब मैं चलती हू.
वो बोला, तूने कहा था, जो मैं चाहूँगा तू करेगी, अभी मैने तुझे जाने को नही कहा.
मैं बोली, कितनी देर से तुम कर तो रहे हो, अब बहुत हो गया.
वो बोला, तुझे मज़ा नही आ रहा क्या ?
मैने कहा मुझे नही पता, मुझे घर जा कर काम भी करना है.
वो बोला, ठीक है हम जल्दी जल्दी करते है और फिर से मेरी योनि पर झुक गया.
मैने फिर से आँखे बंद कर ली और सोचने लगी की, मेरी जींदगी कैसे मोड़ पर आ गयी है, इतना बदसूरत आदमी मेरे सबसे प्राइवेट पार्ट से इतनी बेशर्मी से खेल रहा है.
अचानक मुझे महसूस हुवा कि वह मेरी योनि से हाथ चुका है. मुझे एक पल को सकुन मिला.
मैने आँखे खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैने अपनी आँखे झट से बंद कर ली. मैं घबरा गयी कि अब ये क्या करेगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और झट से उशे अपने लिंग पर रख दिया. मुझे एक दम करंट सा लगा और मैने अपना हाथ वापस खींच लिया.
वो बोला, अरे पकड़ ना, तुझे बिल्लू के लंड से अछा लगेगा.
मैं क्या कहती चुपचाप वाहा पड़ी रही.
उसने फिर से मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पर कस के रख दिया.
इस बार उसने अपना हाथ मेरे हाथ के उपर दबा कर रखा.
मैं चाहते हुवे भी अपना हाथ नही खींच पाई.
पहली बार किसी के होंठ मेरी योनि पर थे.
मेरा मन गिल्ट से भरा था, पर मेरी योनि मुझे धोका दे रही थी.
वो मेरी योनि से मूह हटा कर बोला, देख कितनी चिकनी हो गयी है अब, पानी का दरिया बहा रही है.
मैने ग्लानि से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, क्या किसी ने कभी तेरी चूत चूसी है.
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो फिर बोला, बता ना चूसी है क्या किसी ने.
मैने कहा, नही.
वो बोला, तेरे पति ने भी नही ?
मैं ये सुन कर हैरान हो गयी. अभीतक तो उसे मेरे पति के नाम से जीझक हो रही थी और अब वो खुद उनके बारे में पूछ रहा था.
मैने गुस्से में पूछा, क्यो ?
वो बोला, कुछ नही जाने दे.
उसने फिर से अपने होंठ मेरी योनि पर टीका दिए और उशे बे-तहासा चूमने लगा.
मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये, और एक पल को मैं खो गयी.
पर जल्दी ही मैने खुद को संभाल लिया.
मैं किसी भी पल को एंजाय नही करना चाहती थी.
वाहा मेरा होना एक सज़ा थी, जितनी जल्दी ये सज़ा ख़तम हो अछा हो.
उसने पूछा, कैसा लग रहा है.
मैने कहा, मुझे नही पता.
उसने फिर से अपना मूह मेरी योनि से सटा दिया और बेशर्मी से चूसने लगा.
ना चाहते हुवे भी मैं, एक अजीब सी बेचैनी में खोने लगी.
वो बोला, अछा लग रहा है ना तुझे ?
मैं खोमोसी से लेटी रही.
वो बोला, बता ना अछा लग रहा है क्या तुझे ? मैं जब तक तू चाहे चूस्ता रहूँगा मुझे तेरी चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है, बहुत मीठा, रस है इसका.
मैं सोच रही थी कि कितना बेशरम है ये कैसी अजीब बाते कर रहा है.
और वो फिर से मेरी योनि को चूसने लगा. मेरी योनि पर उसकी दाढ़ी के बॉल ज़ोर से चुभ रहे थे, और एक अजीब सी सांसटिओं पैदा कर रहे थे.
मेरे मन में ख्याल आया कि ऋतु बस रोक दे इस आदमी को, इतना काफ़ी है इस के लिए, और यहा से फॉरन निकल ले.
मैने उसका सर वाहा से हटा दिया और बोली, बस बहुत हो गया, अब मैं चलती हू.
वो बोला, तूने कहा था, जो मैं चाहूँगा तू करेगी, अभी मैने तुझे जाने को नही कहा.
मैं बोली, कितनी देर से तुम कर तो रहे हो, अब बहुत हो गया.
वो बोला, तुझे मज़ा नही आ रहा क्या ?
मैने कहा मुझे नही पता, मुझे घर जा कर काम भी करना है.
वो बोला, ठीक है हम जल्दी जल्दी करते है और फिर से मेरी योनि पर झुक गया.
मैने फिर से आँखे बंद कर ली और सोचने लगी की, मेरी जींदगी कैसे मोड़ पर आ गयी है, इतना बदसूरत आदमी मेरे सबसे प्राइवेट पार्ट से इतनी बेशर्मी से खेल रहा है.
अचानक मुझे महसूस हुवा कि वह मेरी योनि से हाथ चुका है. मुझे एक पल को सकुन मिला.
मैने आँखे खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैने अपनी आँखे झट से बंद कर ली. मैं घबरा गयी कि अब ये क्या करेगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और झट से उशे अपने लिंग पर रख दिया. मुझे एक दम करंट सा लगा और मैने अपना हाथ वापस खींच लिया.
वो बोला, अरे पकड़ ना, तुझे बिल्लू के लंड से अछा लगेगा.
मैं क्या कहती चुपचाप वाहा पड़ी रही.
उसने फिर से मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पर कस के रख दिया.
इस बार उसने अपना हाथ मेरे हाथ के उपर दबा कर रखा.
मैं चाहते हुवे भी अपना हाथ नही खींच पाई.