hotaks444
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मैं शरमा उठी, और नज़रे झुका कर बोली, प्लीज़ ऐसी बाते मत करो. पर वो बोला, नही पर ये सच है.
मैने कहा, मैं चलती हू, तुम अब यहा से चले जाओ, और अपना वादा मत भूलना कि, तुम अब यहा नही आ-ओगे.
वह बोला, ठीक है, मैं जेया रहा हू, तेरे यहा अब नही आउन्गा, पर अगर तुझे कभी मेरी ज़रूरत पड़े तो, मदन एलेक्ट्रॉनिक्स की, शॉप पर चली आना, वो तेरे ब्यूटी पार्लर के बिल्कुल साथ मे ही है.
मैने कहा, मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नही है, मैं अपने पति के साथ खुस हू. वो बोला, पर तू अभी, मेरा लंड तो, ऐसे देख रही थी जैसे की, तुझे कोई कमी हो.
मैं बोली, बिल्लू चुप कर, मुझे अपनी जिंदगी मे कोई कमी नही है, तुम अब चले जाओ और बाते मत बनाओ.
वो बोला, ठीक है मैं अब चलता हू. वह मेरे कानो के पास, अपना मूह लाकर बोला, थॅंकआइयू ऋतु, तेरी गांद मुझे हमेशा याद रहेगी.
मुझे अब गुस्सा आ गया, और बोली कि तुम अब जाते हो या नही. वह बोला सॉरी बाबा, मैं जा रहा हू. वह अपने, रिक्शे की और, बढ़ गया और मैं छाता उठा कर अपने घर की और चल दी.
मैं पूरी तरह भीग गयी थी. मैने सोचा, अगर संजय देखेंगे, तो पूछेंगे की, छाता होते हुवे भी कैसे भीग गयी. मैं डरते, डरते, झाड़ियो को, पार करके, अपने घर मे आ गयी.
मैने चुपके से, बेडरूम मे झाँक कर देखा तो, पाया कि, संजय अभी भी सो रहे थे. मैने फॉरन, गीले कपड़े उतारे, और नहाने चली गयी. मैने उन कपड़ो को अख़बार मे लपेट कर कूड़ेदान मे डाल दिया. मैं आज के दिन की कोई याद अपने साथ नही रखना चाहती थी.
मैं नहाने के, बाद किचन मे आकर, डिन्नर सर्व करने की तैयारी करने लगी. अचानक मुझे, अपने नितंबो पर, हाथ की छुवन महसूस हुई, और मेरे होंटो तक तुरंत आया बिल्लू, पर मैने खुद को ये बोलने से रोक लिया, क्योकि मैं समझ गयी थी कि संजय मेरे पीछे खड़े है, और उनका हाथ मेरे नितंबो पर है.
मैने पूछा, आप कब उठे, वो बोले, बस अभी उठा हू, और मेरी गर्दन को चूम लिया. मैं पछता रही थी कि काश आज का दिन मेरी जिंदगी मे ना होता.
संजय बोले, कब आई पार्लर से, मैने डरते, डरते जवाब दिया यही , यही कोई एक घंटा पहले. उन्होने पूछा चिंटू कहा है, मैने कहा मौसी के यहा है, हम अभी उसे लेने चलेंगे.
हम दोनो छाता लेकर, चिंटू को लेने निकल पड़े. संजय बोले आज मौआसम बहुत बढ़िया है ना, मैने बड़ी मायूसी से, जवाब दिया हा है तो सही.
घर वापस आ कर, हमने खाना खाया और मैं सब काम कर के सोने के लिए लेट गयी. संजय बाहर बारिश का मज़ा ले रहे थे.
अचानक वो कमरे मे आए, और मुझ से लिपट गये, और मुझे बेतहासा चूमने लगे. वो बोले, आज मौसम ईतना अछा है, और तुम सो रही हो. मैने मन ही मन कहा ये, मौसम क्या आज मेरी जान लेगा.
उन्होने जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारे और मुझे यहा वाहा चूमने लगे. उन्होने मुझे उल्टा घुमाया और मेरी पीठ से लेकर टाँगो तक चूमने लगे.
अचानक वो बोले, अरे ये तुम्हारे चूतड़ पर लाल निशान क्यो है. मेरे तो, पैर के नीचे से ज़मीन निकल गयी. मैने अपने कपड़े तो, फेंक दिए, पर ये भूल गयी कि, बिल्लू ने मेरे नितंबो पर काटा था. मुझे ध्यान ही, नही रहा कि वाहा, उसके काटे का निसान भी हो सकता है.
मैने मन ही मन मे, कहा, कुत्ता कही का और सोचने लगी कि वो बदमास लड़का चला तो गया पर जाते-जाते मेरे नितंबो पर अपना निशान छोड़ गया.
मैं सोच रही थी कि क्या जवाब दू संजय को. मुझे खामोस देख कर वो फिर से बोले की बताओ ना ये निशान कैसा है.
मैने डरते डरते कहा क..क…कुछ नही, मैं आज बाथरूम मे फिसल गयी थी, सायड उसका निशान होगा.
उन्होने कहा कि, मुझे बताना था ना, और आगे बढ़ कर उस निशान को चूम लिया और बोले ये अब ठीक हो जाएगा.
वो उसी पोज़िशन मे, मुझे तैयार करने लगे, और मेरी योनि को छू कर बोले, अरे आज तुम कुछ ज़्यादा ही गीली हो. मेरे पास इसका कोई जवाब नही था.
वो मुझ मे, समा गये और मैं खोती चली गयी. जैसे ही वो मुझ मे समाए, मेरे कानो मे बिल्लू के वो बोल गूँज गये कि, आज तेरा पति तेरी ज़रूर लेगा. मैं हैरान थी कि वो बदमास मेरे दीमाग मे भी अपनी छाप छोड़ गया है. फिर मैने सब कुछ भुला दीया और संजय के प्यार मे डूब गयी.
मैने कहा, मैं चलती हू, तुम अब यहा से चले जाओ, और अपना वादा मत भूलना कि, तुम अब यहा नही आ-ओगे.
वह बोला, ठीक है, मैं जेया रहा हू, तेरे यहा अब नही आउन्गा, पर अगर तुझे कभी मेरी ज़रूरत पड़े तो, मदन एलेक्ट्रॉनिक्स की, शॉप पर चली आना, वो तेरे ब्यूटी पार्लर के बिल्कुल साथ मे ही है.
मैने कहा, मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नही है, मैं अपने पति के साथ खुस हू. वो बोला, पर तू अभी, मेरा लंड तो, ऐसे देख रही थी जैसे की, तुझे कोई कमी हो.
मैं बोली, बिल्लू चुप कर, मुझे अपनी जिंदगी मे कोई कमी नही है, तुम अब चले जाओ और बाते मत बनाओ.
वो बोला, ठीक है मैं अब चलता हू. वह मेरे कानो के पास, अपना मूह लाकर बोला, थॅंकआइयू ऋतु, तेरी गांद मुझे हमेशा याद रहेगी.
मुझे अब गुस्सा आ गया, और बोली कि तुम अब जाते हो या नही. वह बोला सॉरी बाबा, मैं जा रहा हू. वह अपने, रिक्शे की और, बढ़ गया और मैं छाता उठा कर अपने घर की और चल दी.
मैं पूरी तरह भीग गयी थी. मैने सोचा, अगर संजय देखेंगे, तो पूछेंगे की, छाता होते हुवे भी कैसे भीग गयी. मैं डरते, डरते, झाड़ियो को, पार करके, अपने घर मे आ गयी.
मैने चुपके से, बेडरूम मे झाँक कर देखा तो, पाया कि, संजय अभी भी सो रहे थे. मैने फॉरन, गीले कपड़े उतारे, और नहाने चली गयी. मैने उन कपड़ो को अख़बार मे लपेट कर कूड़ेदान मे डाल दिया. मैं आज के दिन की कोई याद अपने साथ नही रखना चाहती थी.
मैं नहाने के, बाद किचन मे आकर, डिन्नर सर्व करने की तैयारी करने लगी. अचानक मुझे, अपने नितंबो पर, हाथ की छुवन महसूस हुई, और मेरे होंटो तक तुरंत आया बिल्लू, पर मैने खुद को ये बोलने से रोक लिया, क्योकि मैं समझ गयी थी कि संजय मेरे पीछे खड़े है, और उनका हाथ मेरे नितंबो पर है.
मैने पूछा, आप कब उठे, वो बोले, बस अभी उठा हू, और मेरी गर्दन को चूम लिया. मैं पछता रही थी कि काश आज का दिन मेरी जिंदगी मे ना होता.
संजय बोले, कब आई पार्लर से, मैने डरते, डरते जवाब दिया यही , यही कोई एक घंटा पहले. उन्होने पूछा चिंटू कहा है, मैने कहा मौसी के यहा है, हम अभी उसे लेने चलेंगे.
हम दोनो छाता लेकर, चिंटू को लेने निकल पड़े. संजय बोले आज मौआसम बहुत बढ़िया है ना, मैने बड़ी मायूसी से, जवाब दिया हा है तो सही.
घर वापस आ कर, हमने खाना खाया और मैं सब काम कर के सोने के लिए लेट गयी. संजय बाहर बारिश का मज़ा ले रहे थे.
अचानक वो कमरे मे आए, और मुझ से लिपट गये, और मुझे बेतहासा चूमने लगे. वो बोले, आज मौसम ईतना अछा है, और तुम सो रही हो. मैने मन ही मन कहा ये, मौसम क्या आज मेरी जान लेगा.
उन्होने जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारे और मुझे यहा वाहा चूमने लगे. उन्होने मुझे उल्टा घुमाया और मेरी पीठ से लेकर टाँगो तक चूमने लगे.
अचानक वो बोले, अरे ये तुम्हारे चूतड़ पर लाल निशान क्यो है. मेरे तो, पैर के नीचे से ज़मीन निकल गयी. मैने अपने कपड़े तो, फेंक दिए, पर ये भूल गयी कि, बिल्लू ने मेरे नितंबो पर काटा था. मुझे ध्यान ही, नही रहा कि वाहा, उसके काटे का निसान भी हो सकता है.
मैने मन ही मन मे, कहा, कुत्ता कही का और सोचने लगी कि वो बदमास लड़का चला तो गया पर जाते-जाते मेरे नितंबो पर अपना निशान छोड़ गया.
मैं सोच रही थी कि क्या जवाब दू संजय को. मुझे खामोस देख कर वो फिर से बोले की बताओ ना ये निशान कैसा है.
मैने डरते डरते कहा क..क…कुछ नही, मैं आज बाथरूम मे फिसल गयी थी, सायड उसका निशान होगा.
उन्होने कहा कि, मुझे बताना था ना, और आगे बढ़ कर उस निशान को चूम लिया और बोले ये अब ठीक हो जाएगा.
वो उसी पोज़िशन मे, मुझे तैयार करने लगे, और मेरी योनि को छू कर बोले, अरे आज तुम कुछ ज़्यादा ही गीली हो. मेरे पास इसका कोई जवाब नही था.
वो मुझ मे, समा गये और मैं खोती चली गयी. जैसे ही वो मुझ मे समाए, मेरे कानो मे बिल्लू के वो बोल गूँज गये कि, आज तेरा पति तेरी ज़रूर लेगा. मैं हैरान थी कि वो बदमास मेरे दीमाग मे भी अपनी छाप छोड़ गया है. फिर मैने सब कुछ भुला दीया और संजय के प्यार मे डूब गयी.