hotaks444
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मुझे शुनाई दिया, अरे संजय क्या हुवा, भाबी को ? मुझे अभी-अभी पता चला, वो यहा क्लिनिक में है
संजय ने कहा, बस पूछ मत यार, मुझे खुद कुछ समझ नही आ रहा, मेरा दीमाग घूम रहा है.
मैं आवाज़ से समझ चुकी थी कि दूसरी आवाज़ संजय के दोस्त विवेक की है. वो संजय का बहुत अछा दोस्त था.
विवेक बोला, बता तो सही आख़िर हुवा क्या है ?
संजय ने कहा, मुझे लगता है, ऋतु का रेप हुवा है और वो भी मेरे घर के पीछे और मैने खुद अपनी आँखो से ये सब देख भी लिया. मैं गहरे शॉक में हूँ.
विवेक ने कहा, क्या ? तूने पोलीस में रिपोर्ट की.
संजय ने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है, मैं उन लोगो को बर्बाद कर दूँगा. एक को तो मैने गोली भी मार दी थी, मुझे यकीन है वो मर चुका होगा.
विवेक ने हैरानी भरे शब्दो में कहा, क्या ? कितने लोग थे वाहा ?
संजय ने कहा, तीन
विवेक बोला, हे भगवान, वैसे तुम वाहा कैसे पहुँच गये.
संजय ने कहा, मुझे एक फोन आया था कि अपने घर आ कर अपनी बर्बादी देखो. और जब में घर पहुँचा तो मुझे एक एसएमएस आया कि अपने किचन की खिड़की खोल कर देखो कि तुम्हारी बीवी किस हाल में है.
विवेक बोला, फिर क्या देखा तूने ?
संजय ने कहा, मैने देखा कि ऋतु छटपटा रही थी और वो कमीना बिल्लू उशके साथ…………………..
विवेक बोला, बिल्लू ! कौन बिल्लू ?
आगे मुझे कुछ शुनाई नही दिया, श्याद संजय ने धीरे से कुछ कहा था.
पर अचानक संजय के मूह से बिल्लू का नाम सुन कर मैं हैरान रह गयी थी, मुझे समझ नही आ रहा था कि संजय बिल्लू को कैसे जानते है ?
मैं ये सोच ही रही थी कि तभी, विवेक बोल पड़ा, तो फिर तुमने क्या किया,
संजय ने कहा, मैने तुरंत अपने बेडरूम की अलमारी से पिस्टल निकाली और उस कामीने को गोली मार दी, पर तभी उशके एक साथी ने एक पठार उठा कर मारा और मेरी पिस्टल खिड़की से बाहर ज़मीन पर गिर गयी, और इतने में उशके साथी उशे ले कर भाग गये. ऋतु तभी बेहोश हो गयी थी. पर मुझे यकीन है वो बिल्लू नही बचेगा, गोली बिल्कुल दिल के पास लगी है.
विवेक ने पूछा, फिर क्या हुवा ?
संजय ने कहा, फिर मैं ऋतु को वाहा से उठा कर बेहोशी की हालत में ही, यहा ले आया.
विवेक ने कहा, मुझे लगता है तुझे पोलीस में रिपोर्ट तो करनी ही चाहिए.
संजय ने कहा, तू समझा कर यार, तू तो जानता ही है, ये बात इतनी सीधी नही है. रिपोर्ट की कोई ज़रूरत नही है, पोलीस से काम लेना मुझे आता है. अब तक बाकी के दो लोगो का एनकाउंटर हो चुका होगा.
विवेक ने पूछा, पर यार भाबी वाहा कैसे पहुँच गयी, किसी पड़ोसी ने क्या चीन्खने चील्लने की आवाज़ नही सुनी ?
संजय बोले, पता नही यार, ये सब तो ऋतु ही बता पाएगी. एक बार उसे होश आ जाए तो इस बारे में बात करेंगे, अभी तो वो भी शॉक में होगी.
विवेक ने कहा, मुझे शक है कि तुझे वाहा बिल्लू ने ही बुलाया होगा.
संजय ने कहा, तुझे शक है, मुझे तो पूरा यकीन है कि ये सब उसने जानबूझ कर किया है. पर अब कोई चिंता की बात नही, उसका खेल ख़तम हो चुका है.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर बात क्या है, ऐसा लग रहा था जैसे की संजय और विवेक बिल्लू को आछे से जानते है.
ऐसा क्यो था मैं समझ नही पा रही थी ?
पर उनकी बाते सुन कर मेरी दुविधा दूर होती नज़र आ रही थी. मैं सोच रही थी कि अगर में ये सब रेप बता दू तो संजय से नज़रे मिला सकती हूँ, संजय भी तो ऐसा ही सोच रहे थे.
एक तरह से मुझे अपनी छोटी सी भूल को सुधारने का मोका मिल रहा था, और मैं अपने परिवार को भी बचा सकती थी.
पर फिर मुझे ख्याल आया कि मैं संजय को तो झूठ बोल दूँगी पर अपनी आत्मा को क्या जवाब दूँगी. सच क्या है वो तो मैं जानती थी, और इस सच को झुटला कर मेरे लिए अब एक पल भी जीना मुश्किल था.
संजय ने कहा, बस पूछ मत यार, मुझे खुद कुछ समझ नही आ रहा, मेरा दीमाग घूम रहा है.
मैं आवाज़ से समझ चुकी थी कि दूसरी आवाज़ संजय के दोस्त विवेक की है. वो संजय का बहुत अछा दोस्त था.
विवेक बोला, बता तो सही आख़िर हुवा क्या है ?
संजय ने कहा, मुझे लगता है, ऋतु का रेप हुवा है और वो भी मेरे घर के पीछे और मैने खुद अपनी आँखो से ये सब देख भी लिया. मैं गहरे शॉक में हूँ.
विवेक ने कहा, क्या ? तूने पोलीस में रिपोर्ट की.
संजय ने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है, मैं उन लोगो को बर्बाद कर दूँगा. एक को तो मैने गोली भी मार दी थी, मुझे यकीन है वो मर चुका होगा.
विवेक ने हैरानी भरे शब्दो में कहा, क्या ? कितने लोग थे वाहा ?
संजय ने कहा, तीन
विवेक बोला, हे भगवान, वैसे तुम वाहा कैसे पहुँच गये.
संजय ने कहा, मुझे एक फोन आया था कि अपने घर आ कर अपनी बर्बादी देखो. और जब में घर पहुँचा तो मुझे एक एसएमएस आया कि अपने किचन की खिड़की खोल कर देखो कि तुम्हारी बीवी किस हाल में है.
विवेक बोला, फिर क्या देखा तूने ?
संजय ने कहा, मैने देखा कि ऋतु छटपटा रही थी और वो कमीना बिल्लू उशके साथ…………………..
विवेक बोला, बिल्लू ! कौन बिल्लू ?
आगे मुझे कुछ शुनाई नही दिया, श्याद संजय ने धीरे से कुछ कहा था.
पर अचानक संजय के मूह से बिल्लू का नाम सुन कर मैं हैरान रह गयी थी, मुझे समझ नही आ रहा था कि संजय बिल्लू को कैसे जानते है ?
मैं ये सोच ही रही थी कि तभी, विवेक बोल पड़ा, तो फिर तुमने क्या किया,
संजय ने कहा, मैने तुरंत अपने बेडरूम की अलमारी से पिस्टल निकाली और उस कामीने को गोली मार दी, पर तभी उशके एक साथी ने एक पठार उठा कर मारा और मेरी पिस्टल खिड़की से बाहर ज़मीन पर गिर गयी, और इतने में उशके साथी उशे ले कर भाग गये. ऋतु तभी बेहोश हो गयी थी. पर मुझे यकीन है वो बिल्लू नही बचेगा, गोली बिल्कुल दिल के पास लगी है.
विवेक ने पूछा, फिर क्या हुवा ?
संजय ने कहा, फिर मैं ऋतु को वाहा से उठा कर बेहोशी की हालत में ही, यहा ले आया.
विवेक ने कहा, मुझे लगता है तुझे पोलीस में रिपोर्ट तो करनी ही चाहिए.
संजय ने कहा, तू समझा कर यार, तू तो जानता ही है, ये बात इतनी सीधी नही है. रिपोर्ट की कोई ज़रूरत नही है, पोलीस से काम लेना मुझे आता है. अब तक बाकी के दो लोगो का एनकाउंटर हो चुका होगा.
विवेक ने पूछा, पर यार भाबी वाहा कैसे पहुँच गयी, किसी पड़ोसी ने क्या चीन्खने चील्लने की आवाज़ नही सुनी ?
संजय बोले, पता नही यार, ये सब तो ऋतु ही बता पाएगी. एक बार उसे होश आ जाए तो इस बारे में बात करेंगे, अभी तो वो भी शॉक में होगी.
विवेक ने कहा, मुझे शक है कि तुझे वाहा बिल्लू ने ही बुलाया होगा.
संजय ने कहा, तुझे शक है, मुझे तो पूरा यकीन है कि ये सब उसने जानबूझ कर किया है. पर अब कोई चिंता की बात नही, उसका खेल ख़तम हो चुका है.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर बात क्या है, ऐसा लग रहा था जैसे की संजय और विवेक बिल्लू को आछे से जानते है.
ऐसा क्यो था मैं समझ नही पा रही थी ?
पर उनकी बाते सुन कर मेरी दुविधा दूर होती नज़र आ रही थी. मैं सोच रही थी कि अगर में ये सब रेप बता दू तो संजय से नज़रे मिला सकती हूँ, संजय भी तो ऐसा ही सोच रहे थे.
एक तरह से मुझे अपनी छोटी सी भूल को सुधारने का मोका मिल रहा था, और मैं अपने परिवार को भी बचा सकती थी.
पर फिर मुझे ख्याल आया कि मैं संजय को तो झूठ बोल दूँगी पर अपनी आत्मा को क्या जवाब दूँगी. सच क्या है वो तो मैं जानती थी, और इस सच को झुटला कर मेरे लिए अब एक पल भी जीना मुश्किल था.