Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी - Page 3 - SexBaba
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Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी

[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]. सानिया साली जैसी मस्त माल का दलाल बनना भी कम किस्मत की बात नहीं थी। मैंने सुरी को फ़ोन लगाया-"यार सुरी, एक लड़की है, बहुत मस्त। उसको सिर्फ़ एक बार के लिए बुक कर दो आज-कल में। नहीं-नहीं घंटा वाला नहीं, फ़ुल टाईम। हाँ दिन में भी (और मैंने सानिया से इशारे से पूछा, और वो हाँ की) कर सकते हो। पर उसको मर्द थोड़ा सही देना। बच्ची है। हाँ, अपनी ही समझो, घर की बच्ची है, जरा मस्ती के मूड में है। अरे यार सुरी, नहीं, मैं तो ठीक है पर उसका मन जरा पैसा कमाने का है। नहीं बस एक बार अभी। ठीक है, तुम फ़ोटो ले लो एक उसकी, किधर हो? वाह, फ़िर आ जाओ मेरे घर मैं हूँ, ओके।" मैंने अब सानिया से कहा कि सुरी इसी इलाके में है, अभी आ कर तुम्हारी फ़ोटो ले लेगा, फ़िर एक दो दिन में कोई फ़िक्स कर देगा। पर त्म एक बार सोच लो। सानिया बोली-"अभी करीब एक वीक हैं ना अम्मी को आने में तब तक तो हो जायेगा ना एक दिन कोई?" मैं उसकी बेताबी देख हैरान था। करीब आधे घन्टे बाद सुरी आ गया। मैंने सानिया को बुलाया। सुरी उसकी सुन्दरता पर दंग था। एक पल के लिए तो सन्न था सानिया के मक्खन बदन से नजर ना हट रही थी साले भरवे की। सानिया सर नीचे करके खड़ी थी सामने। मैंने ही रुम की शान्ति भंग की-"यही लड़की है सुरी, कब तक सेट कर दोगे। मेरे घर तीन दिन है (मैंने झूठ कहा, ताकि जल्दी काम हो), जिसमें एक दिन तुम इसको ले जा सकते हो।" सुरी बोला (उसकी आवाज हल्का सा लड़की जैसा लगता था) -"अरे सर, ऐसी चीज के लिए तो लाईन लगा दुँगा। एकदम फ़्रेश दिख रही है, कहाँ से लाये सर?" उसके आवाज में शरारत थी। मैंने कहा-"अरे कहा ना घर की लड़की है। यार हमेशा दुसरे की बेटी चोदता हूँ तो फ़र्ज बनता है कि अपने घर से भी थोड़ा कन्ट्रीब्युट कर दूँ दुनिया के लिए।" मैं अपनी ही बात पर हँस दिया। वो बोला-"हाँ सर हम लोग तो धर्म का काम करते हैं, लड़का को लड़की से मिला देते हैं और लड़की को पैसे दिला देते हैं, दोनों खुश और हम भी खुश।" हम दोनों हँस दिए। सानिया बोली-"मैं पानी लाती हूँ।" और चली गई। शायद उसको शर्म आ रही थी अब। मैंने सुरी को बता दिया कि सानिया को मैं रोज चोद रहा हूँ, जब से वो शुरु हुई है, और अब वही चाहती है कि थोड़ा टेस्ट बदल कर देखे और पैसा भी कमा ले।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]. मैंने कहा कि तब मुझे सुरी की याद आई कि क्यों न सुरी भी थोड़ा कमा ले, वर्ना जब लड़की का मन हो गया तो उसको चोदने वाले बहुत मिल जाएँगे। सुरी मेरा अहसान माना, और बोला-"सर अगर यह वीक में एक बार भी आए ना तो मेरा २५००० पक्का हो जायेगा। तभी सानिया पानी ले कर आ गई। सुरी ने उपर से नीचे तक उसको घुरा फ़िर उसके चारों तरफ़ घुम कर उसको सब तरफ़ से देखा, बोला-"बहुत सही चीज खोजे सर आप", इसके एक रात की बुकिंग १०००० की करुँगा कम से कम"। फ़िर सानिया से बोला-"क्यों ठीक है, १०००० तुम्को मिल जायेगा, पर एक बार मेरे साथ करना पड़ेगा फ़्री, मेरा कमीशन यही होगा पहली बार का। उसके बाद तुम्को जो मिलेगा उस्का २०% मेरा, और मेरे लिए ५०० पर शौट। मंजूर है तो बोलो" सुरी थोड़ा भारी बदन का था, और ऐसे तो कोई सेक्सी लड़की उससे नहीं चुदाती, पक्का। सानिया को यह सब समझ नहीं आया ठीक से, तो वो मुझे देखी। मैंने कहा, "अरे बेटी, सब ठीक है, पहली बार करा लो, फ़िर बाद का बाद में सोच लेना। आगे तो तुम्हारी मर्जी है।" सानिया ने हाँ कर दी। सुरी ने उसको टौप और पैन्ट खोलने को कहा, और फ़िर ब्रा पैन्टी में उसकी अपने मोबाईल में ३-४ फ़ोटो खींचा, फ़िर चला गया। सानिया कपड़े पहनने लगी तो मैंने कहा-"क्यों अब सिर्फ़ १०००० देने वाले से ही चुदाओगी क्या, फ़िर मेरा क्या होगा?" बच्ची शर्मा गई, और मैं उसको अपने बाहों में उठा कर बेड्रुम में आ गया। आगे की बात आप को पता है, कि क्या हुआ होगा उस माल के साथ जब मेरे जैसा चुदक्कड़ हरामी बिस्तर पर हो तो। अगले दिन सुबह ८ बजे सुरी का फ़ोन आया-"सर, आज १० बजे उसको तैयार रहने बोलिए, कल सुबह को फ़्री होगी वो। बहुत किस्मत से मेरे एक क्लाईंट का फ़ोन आया अभी। पाकिस्तानी हैं, अबुधाबी में रहते हैं। बाप-बेटा हैं पर एक साथ ही लड़की चोदते हैं जब मेरे से लड़की बुलाते हैं। पुरी दुनिया में बिजनेस है उनका। जहाँ जाते हैं पहले एक दिन सिर्फ़ वहाँ की लोकल लड़की चोदते हैं। पैसा बहुत देते हैं सर। उसको २०००० में बुक किया है, आज दिन और फ़िर रात के लिए। लकी हैं, ये माल। पहली बार हीं बुड्ढ़ा और जवान दोनो मिल जायेगा उसको।"[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]सुरी मुझे होटल पोल्का में एक सुट में ले गया। वहाँ पहले से ही दोनों मौजूद थे। बाप का नाम था वकार अली खान और बेटे का आसिफ़ अली खान। बेटा २५-२६ साल का हैंड्सम मर्द था जब्कि बाप ५५ साल के करीब होगा। मेरे अब्बा से बड़ा था उमर में पर फ़िट था। बाल सब सफ़ेद हो गये थे पर दिखने में वो भी हैंडसम था। मुझे देख दोनों बहुत खुश हुए और सुरी से कहा-"इसीलिए सुरी हम तुम्हें ही खोजते हैं। तुम माल बहुत सौलिड लाते हो"। सुरी भी दाँत निकाल कर हँसा और कहा-"सर आपके लिए इसको लखनऊ से बुलाया हूँ। इसकी मौसेरी बहन साबीहा मेरे साथ टीम में है, वही इसको लायी है। एक दम घर की चीज है सर। आप टेस्ट करेंगे तो खुद समझ जाएँगे।" वकार अली बोला-"देखने में तो हूर है, पर थोड़ा अनुभवी भी हो तो मजा ज्यादा आयेगा। कच्ची लड़की चुदाते समय बहुत ड्रामा करती है।" इस पर सुरी बोला-"कच्ची नहीं है सर, घर पर चुदी है, दो चार बार अपने रिश्ते के एक चाचा से। सबीहा के साथ तो हमेशा ही मजे करती है, जब साबीहा इसके घर जाती है।" फ़िर मुझसे कहा-"तुम भी बोलो न, सर जो कह रहे हैं तो बात करना चाहिए।" फ़िर उन दोनों से बोला-"पहली बार आज होटल में आयी है सर, इसलिए शायद सकपका रही है।" आसिफ़ चुपचाप बैठ कर मुझे घुर रहा था, उसके अब्बा ही सारी बात कर रहे थे। उन्होनें सुरी को एक बीयर औफ़र किया और मुझसे पूछा तुम भी लोगी क्या? तो मैंने मना कर दिया। सुरी जब तक बीयर पिया, वकार ने पैसे नगद उसको दे दिए।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]सुरी ने मुझसे पूछा पैसे तुम रखोगी? मैंने ना में सर हिला दिया, तो वो सब पैसे अपने साथ ले कर निकल गया कि वो अब कल ७ बजे आ जायेगा। सुरी के जाने के बाद वकार ने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैंने अपना असली नाम सानिया खान बता दिया। उन्होने फ़िर पूछा-"पठान हो?" मैंने हाँ मे सर हिलाया तो वो पहले बार मुझे छुए। मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर बोले "डरो मत, इस तरह चुप मत रहो। बात करो तुम तो चुदा चुकी हो, तुम्हें सब पता है। तुम्हारी मर्जी हैं ना, इस काम की या सुरी किसी मजबूरी में पकड़ लाया है?" मैंने कहा कि ऐसी बात नहीं है। मुझे ये सब करने में मजा भी बहुत आता है। अब आसिफ़ पहली बार बोला-"कुछ खाओगी, मँगाऊ?" तो मैंने कहा कि नाश्ता कर के आई हूँ। वकार अब बोले-"आसिफ़ बेटा, ले जाओ इसको बेड पर और तुम्हीं पहले चोद लो इसको, जवान हो तुम बार बार चोद सकते हो। मैं शाम में एक बार चोदुंगा। ११.३० बज गए हैं। १.३० बजे के लिए लंच और्डर कर देता हूँ।" ओके अब्बू कहते हुए असिफ़ उठ गया। वकार रुम सर्विस को और्डर किया-"४ बौटल बीयर अभी और खाना १.३० बजे"। आसिफ़ बेड्रुम के दरवाजे पर पहुँच कर मुझे बोला-"आ जाओ सानिया डार्लिंग" और मैं भी उठ कर पीछे पीछे चल दी। वकार हँसते हुए पास आया और मेरा दुपट्टा मेरे बदन से खींच लिया, कहा-"पहले बुजुर्ग से इजाजत लो बेटी" मैं सिटपिटा गयी, तो वो हँसा और मेरे चेहरे पर नजर गड़ा कर कहा जाओ और मेरे बेटे को अपने बदन का पुरा मजा लुटाओ"। आसिफ़ अब बोला-"अब्बुज़ान, आप इसको ठीक से चेक कर लो ना पहले। तब तक मैं जरा फ़ारिग हो हीं लूँ फ़िर जरा जम के लूटुँगा इसे। ऐसी मस्त हूर जैसी चीज हरदम नहीं मिलती", और उसने पेट पर हाथ फ़ेरा कि उसे टट्टी जाना है। मुझे कहा "जाओ अब्बूज़ानी का एक बार चुस कर खाली कर दो।" मुझे समझ आ गया कि ये दोनों बाप-बेटे मिल कर आज मुझे एक बार की बुकिंग में हीं रन्डीपने की डिग्री देने लायक पढ़ा देंगे। मेरी चूत गीली होने लगी आसिफ़ बाथरुम चला गया और वकार इशारे से मुझे पास बुलाया और अपने पैजामा के डोरी को ढ़ीला कर दिया। साफ़ था कि मुझे अब उसका लन्ड चुसना था। मैंने पैजामा नीचे खींच दिया। उसका लन्ड लगभग सिकुड़ा हुआ था, करीब ५"। थैली भी ढ़ीली थी, पर बड़ी थी और उसके भीतर का दोनों गोटी साफ़ दिख रहा था फ़ुला हुआ। लन्ड के चारों तरफ़ बड़ी-बड़ी झाँटे थी और उसमें से कई बाल सफ़ेद थे। लन्ड का सुपाड़ा भी थोड़ा सफ़ेद रंगत लिए था। मैंने लन्ड हाथ में लिया और मुँह में डाल चुसने लगी। वकार का वो इलाका हल्के पसीने की खुश्बू या बदबू से भरा था, पर मुझे तो ये सब कहना नहीं था। धीरे-धीरे लन्ड में ताव आने लगा। जब वो ६" का हो गया तब वकार बोला-"बेटा अब तुम भी कपड़े हल्के कर लो। तुम्हारे तराशे हुए बदन को देख ये साला जल्दी निपट जायेगा" मैं उठी और कुर्ते के उपर के दो बटन खोल कर उसको अपने सर के उपर से निकाल दिया। फ़िर मैंने अपनी सल्वार को खोला और अपने पैरों से बाहर कर दिया। वकार सब देख रहा था। मैंने अब अपनी सफ़ेद समीज भी उतार दी। फ़िर पहली बार वकार से नज़र मिलाई। अभी मेरे बदन पर एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी थी। मैंने अपना हाथ पीछे किया और ब्रा का हुक टच हीं किया क्कि वकार बोला-"अब रहने दो, कुछ आसिफ़ के सामने खोलना"। मैं रुक गई और एक बार फ़िर उसका लन्ड चुसने लगी। वो अब मेरे पीठ और चुचियों पर अपने हाथ घुमा रहा था।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]मेरा बदन हल्की सिहरन से भर रहा था और चूत भी गीली हो रही थी। वो मेरे लन्ड चुसने की कला की दाद देता और मैं और जोर से चुसती। तभी आसिफ़ आ गया और पास आकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिसके बाद उसके अब्बा का हाथ अब मेरे निप्पल से खेलने लगा और मैं सिसक उठी। वकार यह देख आसिफ़ से बोला-"बहुत ताज़ा माल दिया है सुरी इसबार, पुरा पैसा वसूल"। वकार अब छुटने वाला था, तब वो बोला-"तुमको मेरा सारा मणि खा जाना है।" मेरे लिए ये कोई नई बात ना थी, पर यह शब्द नया था, शायद पाकिस्तान में वीर्य को मणि बोलते हैं। मुझे तो हिन्दी के शब्द हीं आते थे। मैं मुँह खोल कर सामने जमीन पर बैठ गयी और वकार ने हाथ से अपना लन्ड हिला-हिला कर पिचकारी मारी। छः बार मे सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं खा गयी। अब वो मेरा मुँह चुम लिया और बोला अब जाओ और आसिफ़ से चुदो अच्छे से। मैं उठी तो असिफ़ ने मेरी पैन्टी खीच दी, कहा-"इतना सा बदन अब्बू से क्यों छुपा रही हो, सब दिखा दो एक बार फ़िर चलना"। मैं उठी और अपना पैन्टी खोल दी। आज सुबह ही जब मुझे चाचु ने बताया तो अपने झाँट को साईड से साफ़ की थी, जिससे १" चौड़ी पट्टी में पिछले ५-६ दिन में उगे छोटे-छोटे काले-काले झाँट मेरी गोरी बुर की खुबसुरती को और बढ़ा रहे थे। मेरी ऐसी मस्त चूत देख दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली और फ़िर निकला "सुभानल्लाह"। आसिफ़ बोला, "अब चल पहले चोदूँ तुमको वर्ना अफ़सोस होने लगेगा देरी क्यों की।" मैं बोली, "पहले बुर को धो लूँ, बहुत गीली हो गयी है और रास्ते में आते समय गर्मी से थोड़ा पसीने की भी बदबू आ रही है"। मुझे तो वकार के पसीने की बू याद आ रही थी। पर आसिफ़ की बेकरारी में कोई फ़र्क नहीं पड़ा, बोला-"अबे चल, जवानी लौन्डी के बुर के पसीने की बू से यार लोग का लौंड़ा ठनक जाता है। अभी तक घर में चुदी है ना, इसीलिए बदबू/खुश्बू की बात करती है। कुतिया की चूत से बदबू कभी नहीं आती। अपने अब्बा के देखते झुका और चूत की फ़ाँक से शुरु करके हलके झाँटों वाली पट्टी तक अपने जीभ से चाट लिया। मेरा बदन गुदगुदी से भर गया। उसने एक चपत मेरे चुतड़ पर लगाया और बेडरुम की तरफ़ बढ़ गया।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large] बिस्तर पे लिटा वो मेरे चूत के पीछे पड़ गया। लगतार जोर्दार तरीके से चाटा, या कहिए खाया उस पुरे इलाके को। मेरे मुँह से अजीब अजीब आवाज निकली, जो पहले नहीं निकली थी और मैं एक बार झड़ी तो वो पुरा बुर उँगली से खोल चाटा। मैं शान्त हो गई थी। पर आसिफ़ पक्का हरामी था। वो अब अपना पैन्ट खोला और पहली बार मैंने उसके लन्ड को देखा। ९" से कम न था। गहरा भूरा और खुब लम्बा। उसकी चमड़ी देख लगा नहीं था कि उसका लन्ड इतना डार्क होगा। मुसलमान था, सो सुन्न्त किया हुआ था और उसकए लन्ड की चमड़ी उसके आधे लन्ड से ज्यादा नहीं पहुँच रही थी। मैं एक बार झड़ कर शान्त लेटी थी, इतनी मस्ती कभी मिली नहीं थी पहले। शायद माहौल का असर था। पर आसिफ़ का इरादा कुछ और था। वो बिना कुछ बोले मेरे पैर को फ़ैलाया और उपर चढ़ गया। मैं जब तक कुछ समझूँ वो मेरे चूत में अपना लन्ड ठांस दिया। दो धक्के में पुरा ९" भीतर। मैं दर्द से बिलबिला उठी, "उईईईई माँआँआँआँ, छोड़ो मुझे प्लीज" आज पहली बार चुदाते समय अम्मी याद आई और आँखों में आँसू आ गए। आसिफ़ बोला-"अब चुप भी कर साली रन्डी। दलाल को २०००० हज़ार दे कर चलता कर दिया और अब चुदाने में नानी मर रही है, ज्यादा नखरे ना कर और आराम से चुद पहले। ऐसे ही लन्डों की बदौलत तो तु बाज़ार की रानी बनेगी एक दिन।" मैं रोने लगी थी, सोचा था कि सब चाचु जैसे रागिनी को चोदे थे वैसे चोदते हैं। रागिनी की बात सब याद आई। पर मुझे रोता देख आसिफ़ प्यार से समझने लगा, "देख चुप हो जा, अभी तु नई है, इसलिए तकलीफ़ है, पर तु तो चुदी हुई है पहले से फ़िर क्यों डर रही है। आम लोग से मेरा थोड़ा बड़ा है पर अपनी तरह का अनोखा मजा देगा जब भीतर तक धक्के खाएगी तु। पहले मेरे दो-चार धक्के बर्दास्त कर फ़िर खुद से फ़ुदक फ़ुदक कर मरवायेगी अपनी चूत।" सच, जल्दी ही मेरी बुर उसके इस हेवी लन्ड के धक्के बर्दास्त कर के एक बार फ़िर पानी छोड़ने लगी और कमरा हच-हच फ़च-फ़च की आवाज से भर गया। १०-१२ मिनट मेरी चूत ठोकने के बाद आसिफ़ ने लन्ड बाहर खींचा और कहा-"चल चुस अब इसको।" मैं हिचक रही थी क्योंकि लन्ड पर मेरे चूत का गीलापन लगा हुआ था। एक बार चेहरा पास ले गयी पर मन न हुआ, बोली "इसमें से कैसी खट्टी से बू आ रही है।" आसिफ़ हँसा-"अबे ये बू ही तो खुश्बू है, बताया था न तुझे। और ये खट्टी बू तेरे ही मस्त चूत की है। अब आजा बच्ची देर ना कर अभी तुझे पीछे से ठुकना बाकी है। मैंने लन्ड मुँह में डाला और खुद की चूत के पानी का स्वाद लिया। ५ मिनट में बिना कुछ वार्निंग आसिफ़ मेरे मुँह में झड़ा और बोला कि मैं बिना रुके चुसती रहूँ।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]. उसका लन्ड हल्का सा ढ़ीला हुआ और फ़िर जल्द हीं टनटना गया। इसबार आसिफ़ ने मुझे पलट दिया और जैसे कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर चोदता है, वैसे मुझे चोदा। हर धक्के पर मस्ती से मैं कराह उठती और वो आवाज सुन एक और धक्का और जोर से देता। ऐसे ही मैं थकने लगी और धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ झुकने लगी। जल्द ही मैं लगभग बिस्तर पर पेट के बल हो गयी, और आसिफ़ मेरे उपर लेट मेरी चुदाई करता रहा। मेरे नीचे हो जाने से उसको अब परेशानी हो रही थी धक्का लगाने में तो बोला-"चल अब पलट, सीधा हो। इसबार की ठुकाई में तेरे चूत को भर देता हूँ मणि से।" अब मुझे याद आया कि ऐसा तो मैंने सोचा न था, अब अगर इसके वीर्य से मुझे बच्चा रह गया तो। पर मैं कुछ बोलने की हालत में न थी। बस एक बार अल्लाह को याद किया और सीधी हो कर पैर खोल कर उपर उठा दी। आसिफ़ से अपने लन्ड को तीन बार मेरे चूत की उपर की घुन्डी पर पटका। उसकी चोट मुझे एक अजीब सी मस्ती दे रही थी कि तभी वो एक झटके में पुरा ९" भीतर पेल दिया। मैं अब आआह उउउउह इइइस्स्स हुम्म्म्म्म जैसी आवाज कर रही थी। मैं एक बार और झड़ चुकी थी पर आसिफ़ अपनी धुन में मुझे चोदे जा रहा था। फ़िर ५-६ तगड़े झटके के साथ उसके वीर्य ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी। आसिफ़ अपना लन्ड भीतर ही घुसा कर रखे था। थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शान्त पड़ रहे फ़िर वो अपना लन्ड निकाला और मेरे मुँह में दाल दिया, "साफ़ कर चाट कर इसे मेरी कुतिया" और प्रो० जमील अहमद खान की प्यारी इकलौती बेटी २०००० हज़ार ले कर एक रन्डी की तरह चुदाने के बाद अब लन्ड पर लगे हुए वीर्य को चाट रही थी। तभी बाहर से वकार ने आवाज लगाई-"अब खत्म करो भाई १ से ज्यादा बज गए, खाना आ जायेगा अब। थोड़ा आराम भी करो खाने से पहले।" करीब डेढ़ घंटे से मैं लगातार चुद रही थी। अब मुझे लगा कि हाँ, यह अनुभव हमेशा याद रखने वाला है। मैं उठी और सिर्फ़ सल्वार और समीज पहन ली। तभी रुम सर्वीस खाना ले आया। दोनों वेटरों के लिए ये सब देखना नयी बात नहीं थी। मेरे सल्वार और समीज के बीच के गैप से करीब ५" का सपाट पेट पर उन वेटरों की नज़र बार-बार जा रही थी। २०-२२ साल के नौजवान वेटरों को दिखा कर जमीन पर पड़ी हुई अपनी ब्रा और पैन्टी उठाई। मेरे झुकने से उनको मेरे सुन्दर से चुचियों की झलक मिल गयी। चूत में जो वीर्य भरा हुआ था अब हल्के-हल्के बाहर आने लगा था। मैंने सब को दिखा कर अपनी सल्वार की मियानी से अपनी चूत को पोछा, और फ़िर गीली हुई मियानी को देख कहा-"भीतर निकाल दिए, देख लीजिए, कपड़ा खराब हो गया"। वकार हँस दिया, "अरे बच्ची, अगर पेट से रह जायेगी पुरा ताजमहल बिगड़ जायेगा और तु कपड़े की चिन्ता कर रही है।" बेशर्म बुढ़ा मेरे फ़िगर की बात कर रहा था। मुझे अब उन दोनों के साथ मजा आ रहा था। आसिफ़ मेरे बदन की खुब तारीफ़ कर रहा था और उसका बाप मजे ले कर सुन रहा था, फ़िर पूछा "तुझे मजा आया ना बेटा इसको चोद कर।" आसिफ़ खुशी से बोला-"बहोत अब्बा, चूत तो बिल्कुल कसी हुई है। पर लौन्डिया मस्त है, आँख से आँसू निकल गया जब दो ही धक्के में पेल दिया पुरा भीतर। ये रान्ड साली इतनी सुन्दर है की मैं बेकाबू हो गया। पर क्या मस्त चुदी अब्बा, अम्मीजान की कसम मजा आ गया।"[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]. हम सब साथ खाना खाए और वकार ने कहा कि मैं दो घन्टे आराम कर लूँ। क्योंकि शाम की चाय के पहले वह मुझे चोदेगा और फ़िर रात में तो मुझे लगातार चुदना है। मैं भी आराम से बेड पर जा कर आराम करने लगी और मुझे नीं लग गयी। करीब ४.३० बजे मुझे लगा कि कोई मेरा चेहरा सहला रहा है, तो हड़बड़ा कर उठी। वकार बिलकुल नंगा मेरे बगल में लेटा हुआ था। मुझे जगा हुआ देख वो मेरे मुँह को चुमने लगा और फ़िर अपने मुँह से ढ़ेर सारा थुक मेरे मुँह में गिरा दिया। मैं इसके लिए तैयार नहीं थी, पर वो मेरी अक्बकाहट देख खुश हुआ और बोला निगल ले मेरी थुक, जब मेरा मणि खा सकती हो तो मेरे थुक से क्या परेशानी। मौझे अब समझ आ या कि मैं तो उसके लिए एक रन्डी थी, और मुझे वही करना था जो वो कहें। मैं जब थुक निगल गई तो वो मेरे उपर चढ़ कर लेट गया मुझे अपने बदन से पुरी तरह से दबा कर और फ़िर से मेरे होठ चुसने शुरु कर दिए। फ़िर पलट गया और वो नीचे मैं था मैं उपर होठ से होठ मिले हुए। तभी वो मेरी चुतड़ सहलाने लगा और फ़िर अचानक मेरी सल्वार की मियानी पकड़ कर उसे एक झटके से करीब ४" फ़ाड़ दिया। मैं चौंक गई-"हाय अल्लाह, अब मैं घर कैसे जाउँगी।" मैं एक दम से परेशान हो गयी और बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी। वकार मेरी बेचैनी देख हँस पड़ा, बोला-"क्यों फ़टी सलवार पहन कर जाना, अम्मा खुश होएगी। इतना सज धज के आई है तो तेरी अम्मी को पता तो चले कि बेटी सही से चुदी, क्यों?" उस हरामी को कहाँ पता थी की मेरे अम्मीजान को जरा भी अंदाजा न था कि बेटी रन्डी बन चुद रही है। पर ऐसी मजबूरी में मेरी आँख फ़िर नम होने लगी, तभी वह बोला-"अरे खुश हो जा, तुझे नये कपड़े में विदा कर देंगे। आसिफ़ को भेजा है, तेरे लिए नये कपड़े लेने। इससे अच्छे कपड़े में घर जाना। मेरे चेहरे को अपने हाथ में पकड़ बड़े प्यार से पूछा-"अब तो खुश है तु। देख अगर तु दुखी होएगी तो चोदने का मजा कम हो जाएगा। अरे तु इतनी हसीन है, जवान है कि तेरे साथ शरारत करने का मन बन गया। अब हँस भी दे"। उसके ऐसे मनाने से म्झे दिल से खुशी हुई और मैं मुस्कुरा दी।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
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