hotaks444
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]रागिनी एक दम से शांत हो गयी थी। मैनें उसे पुकारा-"रागिनी बेटा, कैसा लगा... कुछ बताओ भी।" वो उठी और मेरे से लिपट गई, मुझे जवाब मिल गया। हम दोनों एक एक बार झड़ गए थे। मेरा लन्ड फ़िर से मस्त हो चुका था। मै बेड से उठा और साईड टेबल पर रखे जग से थोड़ा पानी पिया, और रागिनी की तरफ़ देखा तो उसने इशारे से पानी माँगा। एक ग्लास पानी पीने के बाद उसके मुँह से बोल निकले-"ओह अंकल, आज तक ऐसा नहीं लगा था। बहुत अच्छा लगा अंकल, थैंक्स। अभी तक तो मेरा एक्स्पीरियंस था कि मर्द लोग धक्के लगा लगा कर खुद मजा लेते, पर मेरे मजा आने के पहले ही, शांत हो जाते। आज पहली बार पता चला असल सेक्स क्या है।" मैंने सानिया की तरफ़ देखा। वो शांति से सब देख रही थी, पर अब उसकी टाँगे थोड़ी आपस में जोर से सटी हुई लगी। उसकी भी चुत गीली हो गयी थी। मैंने उसी को देखते हुए कहा-"अभी कहाँ तुम्हें पता चला है कि सेक्स क्या होता है। वो तो अब पता चलेगा जब इस लन्ड को तुम्हारी बुर में पेल कर तुम्हारी चुदाई करुँगा। जल्दी से रेडी हो जाओ चुदवाने के लिए।" मैं अपने लन्ड को सहला सहला कर सांत्वना दे रहा था कि पप्पु जल्दी ना कर, अभी लालमुनिया मिलेगी चोदने के लिए। दो मिनट बाद रागिनी बोली-"आ जाइए अंकल, मैं तैयार हूँ।" वो तकिये पर सिर रख कर सीधा लेट गयी। मैंने उसके पैरों को घुटने से हल्का मोड़ कर उपर उठा दिया जिससे उसके गीली गीली बुर एक दम से खुल गई। भीतर का नन्हा सा गुलाबी फ़ूल सामने दिख रहा था। मैं उसकी खुली टाँगों के बीच आ गया और अपने ७२ किलो के बदन के उसके उपर ले आया। फ़िर अपने बाँए हाथ से थुक निकाला और अपने लन्ड की फ़ुली हुई सुपाड़ी पे लगा कर लन्ड रागिनी की बुर पे सेट कर लिया, पूछा-"पेल दूँ अब भीतर रागिनी?" उसका सिर हाँ में हिला। "ठीक है फ़िर चुदो बेटा", कहते हुए मैंने लन्ड भीतर ठाँसने लगा। रागिनी हल्के से कुनमुनाई। मैंने एक जोर का ध्क्का लगाया और पुरा ८" लन्ड भीतर पेल दिया। रागिनी की आँख बन्द थी, "आआअह" मुँह से निकली, और उसने आँख खोल कर भरपुर नजरों से मुझे देखा। मैंने उसके कान में कहा-"जब मैं चोदुँगा तो मुझे खुब गाली देना, मजा आएगा।" मैंने रागिनी से पूछा-"बोलो बच्ची,चोदूँ तुम्हें।" और सानिया की देख उससे पूछा-"दिखा साफ़-साफ़, नहीं तो एक बार फ़िर बाहर निकाल कर पेलूँ भीतर"। ये कहते हुए मैंने लन्ड बाहर खींचा और दुबारा से रागिनी की बुर में पेल दी। रागिनी के मुँह से दुबारा आआआह निकली।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]