hotaks444
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"हा मामी पहली बार देखी है, बहुउउउउउत खूबसूरत है" राजू को लग रहा था जैसे की उसका लंड में से कुच्छ निकल जाएगा. लंड एक दम से अकड़ कर उप डाउन हो रहा था और सुपरा तो एक दम पहाड़ी आलू के जैसा लाल हो गया था.
"देख तेरा औज़ार कैसे फनफना रहा है, थोड़ी देर और देखेगा तो फट जाएगा"
"ही मामी फट जाने दो, थोड़ा सा और पॅंटी खोल के भीईइ............"
इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में थाम लिया और दबाती हुई बोली "अभी तो ये हाल है पॅंटी खोल दिया तो क्या होगा"
"हाई मामी ज़रा सा बस खोल के.......", इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में और कस के दबोच लिया और उपर नीचे करने लगी. लंड के सुपाडे से चमड़ी पूरी तरह से हट जाती थी और फिर जब मुठ्ठी उपर होती तो चमड़ी फिर से ढक जाती थी. इतनी ज़ोर से तो मुन्ना ने भी कभी अपने हाथो से मूठ नही मारी जितनी ज़ोर से आज मामी मूठ मार रही थी. सनसनी के कारण राजू की गांद फट रही थी. उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे. सब कुच्छ भूल कर सिसकारी लेते हुए मामी के हाथो से मूठ मराई का मज़ा लूट रहा था. लंड तो पहले से ही पके आम के तरह से हो रखा था. दो चार हाथ मरने की ज़रूरत थी, फट से पानी फेंक देता मगर कयामत तो तब हो गयी जब उर्मिला देवी ने आगे झुक कर लंड को अपने मुँह में ले लिया. अपने पतले गुलाबी होंठो के बीच लंड को दबोच कर जैसे पीपे से पानी चूस कर निकालते हैं वैसे ही कस के जो चुसाइ शुरू की तो आँखे बंद होने लगी, गला सुख गया ऐसा लगा जैसे शरीर का सारा खून सिमट कर लंड में भर गया है और मामी उसको चूस लेना चाहती है. मज़े के कारण आँखें नही खुल रही थी. मुँह से केवल गोगियाने हुई आवाज़ में बोलता जा रहा था "हाई चूस लो चूस लो ओह मामी चूस लो............."
तभी उर्मिला देवी ने चूसना बंद कर अपने होंठो को लंड पर से हटा लिया और फिर से अपने हाथो से मूठ मारते हुए बोली "अब देख तेरा कैसे फल फला के निकलेगा जब तू मेरी पॅंटी की सहेली को देखेगा" चुसाइ बंद होने से मज़ा थोड़ा कम हुआ तो राजू ने भी अपनी आँखे खोल दी. मामी ने एक हाथ से मूठ मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को पूरा पेट तक उपर उठा दिया और अपनी जाँघो को खोल कर पॅंटी के किनारे (मयनि) को पकड़ एक तरफ सरका कर अपनी झांतो भरी चूत के दर्शन कराए तो राजू के लंड ने भल-भला कर पानी छोड़ना शुरू कर दिया. राजू के मुँह से एकदम से आनंद भरी ज़ोर की सिसकारी निकली और आँखे बंद होने लगी और "ओह मामी ओह मामी" करता हुआ अपने लंड का पानी छोड़ने लगा. उर्मिला देवी ने उसके झाड़ते लंड का सारा माल अपने हाथो में लिया और फिर बगल में रखे टॉवेल में पोछ्ति हुई बोली "देखा मैं कहती थी ना कि देखते ही तेरा निकल जाएगा". राजू अब एक दम सुस्त हो गया था. इतने जबरदस्त तरीके से वो आजतक नही झाड़ा था. उर्मिला देवी ने उसके गालो को चुटकी में भर कर मसल्ते हुए एक हाथ से उसके ढीले लंड को फिर से मसला. राजू अपनी मामी को हसरत भारी निगाहो से देख रहा थ.दोस्तो आपके राज शर्मा का भी बुरा हाल हो रहा है बाकी कहानी अगले भाग मे
"देख तेरा औज़ार कैसे फनफना रहा है, थोड़ी देर और देखेगा तो फट जाएगा"
"ही मामी फट जाने दो, थोड़ा सा और पॅंटी खोल के भीईइ............"
इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में थाम लिया और दबाती हुई बोली "अभी तो ये हाल है पॅंटी खोल दिया तो क्या होगा"
"हाई मामी ज़रा सा बस खोल के.......", इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में और कस के दबोच लिया और उपर नीचे करने लगी. लंड के सुपाडे से चमड़ी पूरी तरह से हट जाती थी और फिर जब मुठ्ठी उपर होती तो चमड़ी फिर से ढक जाती थी. इतनी ज़ोर से तो मुन्ना ने भी कभी अपने हाथो से मूठ नही मारी जितनी ज़ोर से आज मामी मूठ मार रही थी. सनसनी के कारण राजू की गांद फट रही थी. उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे. सब कुच्छ भूल कर सिसकारी लेते हुए मामी के हाथो से मूठ मराई का मज़ा लूट रहा था. लंड तो पहले से ही पके आम के तरह से हो रखा था. दो चार हाथ मरने की ज़रूरत थी, फट से पानी फेंक देता मगर कयामत तो तब हो गयी जब उर्मिला देवी ने आगे झुक कर लंड को अपने मुँह में ले लिया. अपने पतले गुलाबी होंठो के बीच लंड को दबोच कर जैसे पीपे से पानी चूस कर निकालते हैं वैसे ही कस के जो चुसाइ शुरू की तो आँखे बंद होने लगी, गला सुख गया ऐसा लगा जैसे शरीर का सारा खून सिमट कर लंड में भर गया है और मामी उसको चूस लेना चाहती है. मज़े के कारण आँखें नही खुल रही थी. मुँह से केवल गोगियाने हुई आवाज़ में बोलता जा रहा था "हाई चूस लो चूस लो ओह मामी चूस लो............."
तभी उर्मिला देवी ने चूसना बंद कर अपने होंठो को लंड पर से हटा लिया और फिर से अपने हाथो से मूठ मारते हुए बोली "अब देख तेरा कैसे फल फला के निकलेगा जब तू मेरी पॅंटी की सहेली को देखेगा" चुसाइ बंद होने से मज़ा थोड़ा कम हुआ तो राजू ने भी अपनी आँखे खोल दी. मामी ने एक हाथ से मूठ मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को पूरा पेट तक उपर उठा दिया और अपनी जाँघो को खोल कर पॅंटी के किनारे (मयनि) को पकड़ एक तरफ सरका कर अपनी झांतो भरी चूत के दर्शन कराए तो राजू के लंड ने भल-भला कर पानी छोड़ना शुरू कर दिया. राजू के मुँह से एकदम से आनंद भरी ज़ोर की सिसकारी निकली और आँखे बंद होने लगी और "ओह मामी ओह मामी" करता हुआ अपने लंड का पानी छोड़ने लगा. उर्मिला देवी ने उसके झाड़ते लंड का सारा माल अपने हाथो में लिया और फिर बगल में रखे टॉवेल में पोछ्ति हुई बोली "देखा मैं कहती थी ना कि देखते ही तेरा निकल जाएगा". राजू अब एक दम सुस्त हो गया था. इतने जबरदस्त तरीके से वो आजतक नही झाड़ा था. उर्मिला देवी ने उसके गालो को चुटकी में भर कर मसल्ते हुए एक हाथ से उसके ढीले लंड को फिर से मसला. राजू अपनी मामी को हसरत भारी निगाहो से देख रहा थ.दोस्तो आपके राज शर्मा का भी बुरा हाल हो रहा है बाकी कहानी अगले भाग मे