hotaks444
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गाँव का राजा पार्ट -7 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
आठ बजने पर बिस्तर छोड़ा और भाग कर बाथरूम में गई कमोड पर जब बैठी और चूत से पेशाब की धारा निकलने लगी तो रात की बात फिर से याद आ गई और चेहरा शर्म और मज़े की लाली से भर गया. अपनी चुदी चूत को देखते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान खेल गई कि कैसे रात में राजू के मुँह पर उन्होने अपनी चूत को रगड़ा था और कैसे लौडे को तडपा तडपा कर अपनी चूत की चटनी चटाई थी. नहा धो कर फ्रेश हो कर निकलते निकलते 9 बज गये, जल्दी से राजू को उठाने उसके कमरे में गई तो देखा लौंडा बेसूध होकर सो रहा है. थोड़ा सा पानी उसके चेहरे पर डाल दिया. राजू एक दम से हर्बाड़ा उठ ता हुआ बोला "पेस्सशाब….मत…..". आँखे खोली तो सामने मामी खड़ी थी. वो समझ गई कि राजू शायद रात की बातो को सपने में देख रहा था और पानी गिरने पर उसे लगा शायद मामी ने उसके मुँह मैं पिशाबफिर से कर दिया. राजू आँखे फाडे उर्मिला देवी को देख रहा था.
"अब उठ भी जाओ ….9 बज गये अभी रात के ख्वाबो में डूबे हो के"…..फिर उसके शॉर्ट्स के उपर से लंड पर एक थपकी मारती हुई बोली "चल जल्दी से फ्रेश हो जा"
उर्मिला देवी किचन में नाश्ता तैयार कर रही थी. बाथरूम से राजू अभी भी नही निकला था.
"आरे जल्दी कर…..नाश्ता तैय्यार है…….इतनी देर क्यों लगा रहा है बेटा…"
ये मामी भी अजीब है. अभी बेटा और रात में क्या मस्त छिनाल बनी हुई थी. पर जो भी हो बड़ा मज़ा आया था. नाश्ते के बाद एक बार चुदाई करूँगा तब कही जाउन्गा. ऐसा सोच कर राजू बाथरूम से बाहर आया तो देखा मामी डाइनिंग टेबल पर बैठ चुकी थी. राजू भी जल्दी से बैठ गया नाश्ता करने लगा. कुच्छ देर बाद उसे लगा जैसे उसके शॉर्ट्स पर ठीक लंड के उपर कुच्छ हरकत हुई. उसने मामी की ओर देखा, उर्मिला देवी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. नीचे देखा तो मामी अपने पैरो के तलवे से उसके लंड को छेड रही थी. राजू भी हँस पड़ा और उसने मामी के कोमल पैर अपने हाथो से पकड़ कर उनके तलवे ठीक अपने लंड के उपर रख दोनो जाँघो के बीच जाकड लिया. दोनो मामी भानजे हँस पड़े. राजू ने जल्दी जल्दी ब्रेड के टुकड़ो को मुँह में ठुसा और हाथो से मामी के तलवे को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी साड़ी को घुटनो तक उपर कर दिया. राजू का लंड फनफना गया था. उर्मिला देवी लंड को तलवे से हल्के हल्के दबा रही. राजू ने अपने आप को कुर्सी पर अड्जस्ट कर अपने हाथो को लंबा कर साड़ी के अंदर और आगे की तरफ घुसा कर जाँघो को छुते हुए सहलाने की कोशिश की. उर्मिला देवी ने हस्ते हुए कहा "उईइ क्या कर रहा….कहा हाथ ले जा रहा है……"
"कोशिश कर रहा हू कम से कम उसको छु लू जिसको कल रात आपने बहुत तडपाया था छुने के लिए…."
"अच्छा बहुत बोल रहा है…..रात में तो मामी..मामी कर रहा था"
" कल रात में तो आप एकदम अलग तरह से बिहेव कर रही थी"
"शैतान तेरे कहने का क्या मतलब कल रात तेरी मामी नही थी तब"
"नही मामी तो आप मेरी सदा रहोगी तब भी अब भी मगर…."
"तो रात वाली मामी अच्छी थी या अभी वाली मामी…"
"मुझे तो दोनो अच्छी लगती है…पर अभी ज़रा रात वाली मामी की याद आ रही है" कहते हुए राजू कुर्सी सेनीचे खिसक गया और जब तक उर्मिला देवी "रुक क्या कर रहा है" कहते हुए रोक पाती वो डिनाइनिंग टेबल के नीचे घुस चुका था और उर्मिला देवी के तलवो और पिंदलियो कोचाटने लगा था. उर्मिला देवी के मुँह सिसकारी निकल गई वो भी सुबह से गरम हो चुकी थी.
"ओये……क्या कर रहा है….नाश्ता तो कर लेने दे….."
"पुच्च पुच्च….ओह तुम नाश्ता करो मामी……मुझे अपना नाश्ता कर लेने दो"
"उफ़फ्फ़……मुझे बाज़ार जाना है अभीईइ छोड़ दे…..बाद मीएइन्न……." उर्मिला देवी की आवाज़ उनके गले में ही रह गई. राजू अब तक साड़ी को जाँघो से उपर तक उठा कर उनके बीच घुस चुक्का था. मामी ने आज लाल रंग की पॅंटी पहन रखी थी. नहाने कारण उक्नकि स्किन चमकीली और मक्खन के जैसी गोरी लग रही थी और भीनी भीनी सुगंध आ रही थी. राजू गदराई गोरी जाँघो पर पप्पी लेता हुआ आगे बढ़ा और पॅंटी उपर एक जोरदार चुम्मि ली. उर्मिला देवी ने मुँह से "आउच….इसस्स क्या कर रहा है" निकला.
"ममीईइ…मुझे भी टुशण जाना है……पर अभी तो तुम्हारा फ्रूट जूस पी कर हीईइ…." कहते हुए राजू ने पूरी चूत को पॅंटी के उपर से अपने मुँह भर कर ज़ोर से चूसा.
"इसस्सस्स…….एक ही दिन में ही उस्ताद…बन गया हॅयियी….चूत का पानी फ्रूट जूस लगता हाईईईईईईईई……..उफफफ्फ़ पॅंटी मत उतर्ररर……" मगर राजू कहा मान ने वाला था. उसके दिल का डर तो कल रात में ही भाग गया था. जब वो उर्मिला देवी के बैठे रहने के कारण पॅंटी उतारने में असफल रहा तो उसने दोनो जाँघो को फैला कर चूत को ढकने वाली पट्टी के किनारे को पकड़ कर खींचा और चूत नंगी कर उस पर अपना मुँह लगा दिया.
आठ बजने पर बिस्तर छोड़ा और भाग कर बाथरूम में गई कमोड पर जब बैठी और चूत से पेशाब की धारा निकलने लगी तो रात की बात फिर से याद आ गई और चेहरा शर्म और मज़े की लाली से भर गया. अपनी चुदी चूत को देखते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान खेल गई कि कैसे रात में राजू के मुँह पर उन्होने अपनी चूत को रगड़ा था और कैसे लौडे को तडपा तडपा कर अपनी चूत की चटनी चटाई थी. नहा धो कर फ्रेश हो कर निकलते निकलते 9 बज गये, जल्दी से राजू को उठाने उसके कमरे में गई तो देखा लौंडा बेसूध होकर सो रहा है. थोड़ा सा पानी उसके चेहरे पर डाल दिया. राजू एक दम से हर्बाड़ा उठ ता हुआ बोला "पेस्सशाब….मत…..". आँखे खोली तो सामने मामी खड़ी थी. वो समझ गई कि राजू शायद रात की बातो को सपने में देख रहा था और पानी गिरने पर उसे लगा शायद मामी ने उसके मुँह मैं पिशाबफिर से कर दिया. राजू आँखे फाडे उर्मिला देवी को देख रहा था.
"अब उठ भी जाओ ….9 बज गये अभी रात के ख्वाबो में डूबे हो के"…..फिर उसके शॉर्ट्स के उपर से लंड पर एक थपकी मारती हुई बोली "चल जल्दी से फ्रेश हो जा"
उर्मिला देवी किचन में नाश्ता तैयार कर रही थी. बाथरूम से राजू अभी भी नही निकला था.
"आरे जल्दी कर…..नाश्ता तैय्यार है…….इतनी देर क्यों लगा रहा है बेटा…"
ये मामी भी अजीब है. अभी बेटा और रात में क्या मस्त छिनाल बनी हुई थी. पर जो भी हो बड़ा मज़ा आया था. नाश्ते के बाद एक बार चुदाई करूँगा तब कही जाउन्गा. ऐसा सोच कर राजू बाथरूम से बाहर आया तो देखा मामी डाइनिंग टेबल पर बैठ चुकी थी. राजू भी जल्दी से बैठ गया नाश्ता करने लगा. कुच्छ देर बाद उसे लगा जैसे उसके शॉर्ट्स पर ठीक लंड के उपर कुच्छ हरकत हुई. उसने मामी की ओर देखा, उर्मिला देवी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. नीचे देखा तो मामी अपने पैरो के तलवे से उसके लंड को छेड रही थी. राजू भी हँस पड़ा और उसने मामी के कोमल पैर अपने हाथो से पकड़ कर उनके तलवे ठीक अपने लंड के उपर रख दोनो जाँघो के बीच जाकड लिया. दोनो मामी भानजे हँस पड़े. राजू ने जल्दी जल्दी ब्रेड के टुकड़ो को मुँह में ठुसा और हाथो से मामी के तलवे को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी साड़ी को घुटनो तक उपर कर दिया. राजू का लंड फनफना गया था. उर्मिला देवी लंड को तलवे से हल्के हल्के दबा रही. राजू ने अपने आप को कुर्सी पर अड्जस्ट कर अपने हाथो को लंबा कर साड़ी के अंदर और आगे की तरफ घुसा कर जाँघो को छुते हुए सहलाने की कोशिश की. उर्मिला देवी ने हस्ते हुए कहा "उईइ क्या कर रहा….कहा हाथ ले जा रहा है……"
"कोशिश कर रहा हू कम से कम उसको छु लू जिसको कल रात आपने बहुत तडपाया था छुने के लिए…."
"अच्छा बहुत बोल रहा है…..रात में तो मामी..मामी कर रहा था"
" कल रात में तो आप एकदम अलग तरह से बिहेव कर रही थी"
"शैतान तेरे कहने का क्या मतलब कल रात तेरी मामी नही थी तब"
"नही मामी तो आप मेरी सदा रहोगी तब भी अब भी मगर…."
"तो रात वाली मामी अच्छी थी या अभी वाली मामी…"
"मुझे तो दोनो अच्छी लगती है…पर अभी ज़रा रात वाली मामी की याद आ रही है" कहते हुए राजू कुर्सी सेनीचे खिसक गया और जब तक उर्मिला देवी "रुक क्या कर रहा है" कहते हुए रोक पाती वो डिनाइनिंग टेबल के नीचे घुस चुका था और उर्मिला देवी के तलवो और पिंदलियो कोचाटने लगा था. उर्मिला देवी के मुँह सिसकारी निकल गई वो भी सुबह से गरम हो चुकी थी.
"ओये……क्या कर रहा है….नाश्ता तो कर लेने दे….."
"पुच्च पुच्च….ओह तुम नाश्ता करो मामी……मुझे अपना नाश्ता कर लेने दो"
"उफ़फ्फ़……मुझे बाज़ार जाना है अभीईइ छोड़ दे…..बाद मीएइन्न……." उर्मिला देवी की आवाज़ उनके गले में ही रह गई. राजू अब तक साड़ी को जाँघो से उपर तक उठा कर उनके बीच घुस चुक्का था. मामी ने आज लाल रंग की पॅंटी पहन रखी थी. नहाने कारण उक्नकि स्किन चमकीली और मक्खन के जैसी गोरी लग रही थी और भीनी भीनी सुगंध आ रही थी. राजू गदराई गोरी जाँघो पर पप्पी लेता हुआ आगे बढ़ा और पॅंटी उपर एक जोरदार चुम्मि ली. उर्मिला देवी ने मुँह से "आउच….इसस्स क्या कर रहा है" निकला.
"ममीईइ…मुझे भी टुशण जाना है……पर अभी तो तुम्हारा फ्रूट जूस पी कर हीईइ…." कहते हुए राजू ने पूरी चूत को पॅंटी के उपर से अपने मुँह भर कर ज़ोर से चूसा.
"इसस्सस्स…….एक ही दिन में ही उस्ताद…बन गया हॅयियी….चूत का पानी फ्रूट जूस लगता हाईईईईईईईई……..उफफफ्फ़ पॅंटी मत उतर्ररर……" मगर राजू कहा मान ने वाला था. उसके दिल का डर तो कल रात में ही भाग गया था. जब वो उर्मिला देवी के बैठे रहने के कारण पॅंटी उतारने में असफल रहा तो उसने दोनो जाँघो को फैला कर चूत को ढकने वाली पट्टी के किनारे को पकड़ कर खींचा और चूत नंगी कर उस पर अपना मुँह लगा दिया.