hotaks444
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"मैं तो…बोल रहा था…कि अच्छा हुआ…जो किसी और से…नही…करवाया…नही तो….मुझे…तेरी टाइट…छेद की जगह…ढीली…छेद…"
"हाई…हरामी…तुझे..छेद की…पड़ी है…इस बात की नही की मैं दूसरे आदमी…"
"मैं तो…बस एक..बात बोल रहा…था की…वैसे…"
"चुप कर…कामीने…दूसरे से करवा कर मैं बदनाम होती…साले…घर की बात…"
"हा…घर की बात…घर में…रहे तो, …फिर दस इंच के हथियार वाला बेटा किस दिन…काम आएगा…ठीक किया तूने…बचा कर रखा…मज़ा आ रहा….अब तुझे खूब मज़े…"
"हाई…बहुत मज़ा…आ…पेलता रह…मेरा जवान लौंडा….गाओं भर की हरमज़ड़िया मज़े लूटे और मैं…"
"हाई अब…गाओंवालियों को छ्चोड़…अब तो बस तेरा बेटा…तेरे को….ही…सीईईईईई उफ़फ्फ़…बहुत मजेदार छेद है…" गपा-गॅप लंड पेलता हुआ मुन्ना सीस्यते हुए बोला. लंड बूर की दीवारों को बुरी तरह से कुचालता हुआ अंदर घुसते समय चूत के दूप-दुपते छेद को पूरा चौड़ा कर देता था और फिर जब बाहर निकलता था तो चूत की पत्तियाँ अपने आप सिकुड कर छेद को फिर से छ्होटा बना देती थी. बड़े होंठो वाली गुदाज चूत होने का यही फ़ायडा था. हमेशा गद्देदार और टाइट रहती थी. उपर के रसीले होंठो को चूस्ते हुए नीचे के होंठो में लंड धँसाते हुए मुन्ना तेज़ी से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर शीला देवी के उपर कूद रहा था.
"हाई तेरा केला भी….बहुत मजेदार…है, मैने आजतक इतना लंबा…डंडा…सस्सीईईई…ही डालता रह….ऐसे ही…अफ…पहले दर्द किया…मगर…अब….आराम से….ही….अब फाड़ दे…डाल….सीईए…पूरा डाल…कर….हाँ मादर..चोद…बहुत पानी फेंक रही…है मेरी…चू…." नीचे से गांद उच्छलती मुन्ना के चूतरों को दोनो हाथो से पकड़ अपनी चूत के उपर दबाती गॅप गॅप लंड खा रही थी शीला देवी. कमरे में बारिश की आवाज़ के साथ शीला देवी की चूत के पानी में फॅक-फॅक करते हुए लंड के अंदर-बाहर होने की आवाज़ भी गूँज रही थी. इस सुहाने मौसम में खलिहान के वीरान में दोनो मा-बेटे जवानी का मज़ा लूट रहे थे. कहा तो मुन्ना अपनी चोरी पकड़े जाने पर अफ़सोस मना रहा था वही अभी खुशी से गांद कूदते हुए अपनी मा की टाइट पवरोटी जैसी फूली चूत में लंड पेल कर वाडा-पाव खा रहा था. उधर शीला देवी जो सोच रही थी कि उसका बेटा बिगड़ गया है, नंगी अपने बेटे के नीचे लेट कर उसके तीन इंच मोटे और दस इंच लंब लंड को कच-कच खाते हुए अपने बेटे के बिगड़ने की खुशियाँ मना रही थी. आख़िर हो भी क्यों ना, जिस लंड के पिछे गाओं भर की औरतो की नज़र थी अब उसके कब्ज़े में था, घर के अंदर, जितनी मर्ज़ी उतना चुदवा सकती थी.
"हाइईईईईई बहुत….मजेदार है तेरे आम…तेरा छेद…उफफफफफफफफ्फ़…शियीयीयियीयियी अब तो…हाइईईईई मा मज़ा आ रहा अपने बेटे डंडा बिल में घुस्वा के….सीईईईईईई….हाइईईईईईईईईईईई पहले बता दिया होता तो…अब तक…कितनी बार तेरा आम-रस पी लेता….तेरी छेद पेल देता…सीईईईईई तेरी सिकुदीईईईईईईइ हुई छेद खोल देता…रंडी…खा अपने बेटे का….लंड…द्द्दद्ड….हीईईईईईइ…बहुत मज़ा हीईईई…तूने तो खेल खेल कर इतना…तडपा दिया है…अब बर्दाश्त नही हो रहा…मेरा तो निकल जाएगा……सीईई…पानी फेंक दू तेरीईईईईईईईईईइ….चूऊऊऊऊऊऊऊऊओ…त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त..में. सीस्यते हुए मुन्ना बोला. नीचे से धक्का मारती और उपर से ढाका-धक लंड खाती शीला देवी भी अब चरम सीमा पर पहुच चुकी थी. गांद उच्छलती हुई अपनी टाँगो को मुन्ना की कमर पर कास्ती चिल्लई…"मार..मार ना भोसड़ीवाले…मेरे छ्होटे चौधरी…मार…अपनी चौधरैयन….की चूत…फाड़ दे….हाइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….बेटा मेरिइईईईईईईईईईईईईईईईई भी अब पानी फेंक देगीईईईईईईईइ…..पुराआआआआआआ लंड…डाल के चोद दीईईईईईई…अपनी मा…की बूर….हाइईईईईईईई…सीईई अपने घोड़े जैसे….लंड का पानी…डाल दे…पेल दीईईईईईईईई….माआआआआआ के लालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल….बेहन्चोद्द्द्द……मेरी चूऊत में…." यही सब बकते हुए उसने मुन्ना को अपनी बाहों में कस लिया. उसकी चूत ने पानी
फेंकना शुरू कर दिया था. मुन्ना के लंड से भी तेज फ़ौवार्रे के साथ पानी निकलना शुरू हो गया था. मुन्ना के होंठ चौधरैयन के होंठो से चिपक हुए थे, दोनो का पूरा बदन अकड़ गया था. दोनो आपस में ऐसे चिपक गये थे कि तिल रखने की जगह भी नही थी. पसीने से लत-पथ गहरी सांस लेते हुए. जब मुन्ना के लंड का पानी चौधरैयन की बूर में गिरा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसकी बर्शो की प्यास भुज गई हो. तपते रेगिस्तान पर मुन्ना का लंड बारिश कर रहा था और बहुत ज़यादा कर रहा था आख़िर उसने अपनी मामी के बाद अपनी मा को चोद दिया था. उसके लंड के नीचे उसके ख्वाबो की दोनो पारियाँ आ चुकी थी बस एक तीसरी बाकी थी…किस्मत ने साथ दिया तो…
करीब आधे घंटे तक दोनो एक दूसरे से चिपके बेशुध हो कर वैसे ही नंगे लेट रहे मुन्ना अब उसके बगल में लेटा हुआ था. शीला देवी आँखे बंद किए टांग फैलाए बेशुध लेटी हुई थी और बाहर बारिश अपने पूरे शबाब पर छ्होटे चौधरी और बड़ी चौधरैयन की चुदाई की खुशी मना रही थी.
"हाई…हरामी…तुझे..छेद की…पड़ी है…इस बात की नही की मैं दूसरे आदमी…"
"मैं तो…बस एक..बात बोल रहा…था की…वैसे…"
"चुप कर…कामीने…दूसरे से करवा कर मैं बदनाम होती…साले…घर की बात…"
"हा…घर की बात…घर में…रहे तो, …फिर दस इंच के हथियार वाला बेटा किस दिन…काम आएगा…ठीक किया तूने…बचा कर रखा…मज़ा आ रहा….अब तुझे खूब मज़े…"
"हाई…बहुत मज़ा…आ…पेलता रह…मेरा जवान लौंडा….गाओं भर की हरमज़ड़िया मज़े लूटे और मैं…"
"हाई अब…गाओंवालियों को छ्चोड़…अब तो बस तेरा बेटा…तेरे को….ही…सीईईईईई उफ़फ्फ़…बहुत मजेदार छेद है…" गपा-गॅप लंड पेलता हुआ मुन्ना सीस्यते हुए बोला. लंड बूर की दीवारों को बुरी तरह से कुचालता हुआ अंदर घुसते समय चूत के दूप-दुपते छेद को पूरा चौड़ा कर देता था और फिर जब बाहर निकलता था तो चूत की पत्तियाँ अपने आप सिकुड कर छेद को फिर से छ्होटा बना देती थी. बड़े होंठो वाली गुदाज चूत होने का यही फ़ायडा था. हमेशा गद्देदार और टाइट रहती थी. उपर के रसीले होंठो को चूस्ते हुए नीचे के होंठो में लंड धँसाते हुए मुन्ना तेज़ी से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर शीला देवी के उपर कूद रहा था.
"हाई तेरा केला भी….बहुत मजेदार…है, मैने आजतक इतना लंबा…डंडा…सस्सीईईई…ही डालता रह….ऐसे ही…अफ…पहले दर्द किया…मगर…अब….आराम से….ही….अब फाड़ दे…डाल….सीईए…पूरा डाल…कर….हाँ मादर..चोद…बहुत पानी फेंक रही…है मेरी…चू…." नीचे से गांद उच्छलती मुन्ना के चूतरों को दोनो हाथो से पकड़ अपनी चूत के उपर दबाती गॅप गॅप लंड खा रही थी शीला देवी. कमरे में बारिश की आवाज़ के साथ शीला देवी की चूत के पानी में फॅक-फॅक करते हुए लंड के अंदर-बाहर होने की आवाज़ भी गूँज रही थी. इस सुहाने मौसम में खलिहान के वीरान में दोनो मा-बेटे जवानी का मज़ा लूट रहे थे. कहा तो मुन्ना अपनी चोरी पकड़े जाने पर अफ़सोस मना रहा था वही अभी खुशी से गांद कूदते हुए अपनी मा की टाइट पवरोटी जैसी फूली चूत में लंड पेल कर वाडा-पाव खा रहा था. उधर शीला देवी जो सोच रही थी कि उसका बेटा बिगड़ गया है, नंगी अपने बेटे के नीचे लेट कर उसके तीन इंच मोटे और दस इंच लंब लंड को कच-कच खाते हुए अपने बेटे के बिगड़ने की खुशियाँ मना रही थी. आख़िर हो भी क्यों ना, जिस लंड के पिछे गाओं भर की औरतो की नज़र थी अब उसके कब्ज़े में था, घर के अंदर, जितनी मर्ज़ी उतना चुदवा सकती थी.
"हाइईईईईई बहुत….मजेदार है तेरे आम…तेरा छेद…उफफफफफफफफ्फ़…शियीयीयियीयियी अब तो…हाइईईईई मा मज़ा आ रहा अपने बेटे डंडा बिल में घुस्वा के….सीईईईईईई….हाइईईईईईईईईईईई पहले बता दिया होता तो…अब तक…कितनी बार तेरा आम-रस पी लेता….तेरी छेद पेल देता…सीईईईईई तेरी सिकुदीईईईईईईइ हुई छेद खोल देता…रंडी…खा अपने बेटे का….लंड…द्द्दद्ड….हीईईईईईइ…बहुत मज़ा हीईईई…तूने तो खेल खेल कर इतना…तडपा दिया है…अब बर्दाश्त नही हो रहा…मेरा तो निकल जाएगा……सीईई…पानी फेंक दू तेरीईईईईईईईईईइ….चूऊऊऊऊऊऊऊऊओ…त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त..में. सीस्यते हुए मुन्ना बोला. नीचे से धक्का मारती और उपर से ढाका-धक लंड खाती शीला देवी भी अब चरम सीमा पर पहुच चुकी थी. गांद उच्छलती हुई अपनी टाँगो को मुन्ना की कमर पर कास्ती चिल्लई…"मार..मार ना भोसड़ीवाले…मेरे छ्होटे चौधरी…मार…अपनी चौधरैयन….की चूत…फाड़ दे….हाइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….बेटा मेरिइईईईईईईईईईईईईईईईई भी अब पानी फेंक देगीईईईईईईईइ…..पुराआआआआआआ लंड…डाल के चोद दीईईईईईई…अपनी मा…की बूर….हाइईईईईईईई…सीईई अपने घोड़े जैसे….लंड का पानी…डाल दे…पेल दीईईईईईईईई….माआआआआआ के लालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल….बेहन्चोद्द्द्द……मेरी चूऊत में…." यही सब बकते हुए उसने मुन्ना को अपनी बाहों में कस लिया. उसकी चूत ने पानी
फेंकना शुरू कर दिया था. मुन्ना के लंड से भी तेज फ़ौवार्रे के साथ पानी निकलना शुरू हो गया था. मुन्ना के होंठ चौधरैयन के होंठो से चिपक हुए थे, दोनो का पूरा बदन अकड़ गया था. दोनो आपस में ऐसे चिपक गये थे कि तिल रखने की जगह भी नही थी. पसीने से लत-पथ गहरी सांस लेते हुए. जब मुन्ना के लंड का पानी चौधरैयन की बूर में गिरा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसकी बर्शो की प्यास भुज गई हो. तपते रेगिस्तान पर मुन्ना का लंड बारिश कर रहा था और बहुत ज़यादा कर रहा था आख़िर उसने अपनी मामी के बाद अपनी मा को चोद दिया था. उसके लंड के नीचे उसके ख्वाबो की दोनो पारियाँ आ चुकी थी बस एक तीसरी बाकी थी…किस्मत ने साथ दिया तो…
करीब आधे घंटे तक दोनो एक दूसरे से चिपके बेशुध हो कर वैसे ही नंगे लेट रहे मुन्ना अब उसके बगल में लेटा हुआ था. शीला देवी आँखे बंद किए टांग फैलाए बेशुध लेटी हुई थी और बाहर बारिश अपने पूरे शबाब पर छ्होटे चौधरी और बड़ी चौधरैयन की चुदाई की खुशी मना रही थी.