hotaks444
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सुबह उठा ऑर नाश्ता करके कॉलेज की तरफ चल पड़ा तभी रास्ते मे सोनिया का फोन आ गया,,,,,
सोनिया-हेलो सन्नी मुझे भी अपने साथ कॉलेज लेके जाना आज कविता को कॉलेज नही जाना है,,,,,,,,,,,,,,,
मैं भी सीधा कविता के घर के बाहर पहुँचा गया,,,,,,,,,,,,वहाँ सोनिया पहले से बाहर खड़ी हुई थी कविता भी उसके साथ थी बट कविता कुछ उदास लग रही थी ऑर ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत ज़्यादा रोई हुई थी,,,,,,,,
मैं-हाई कविता ,,,,,,उसने भी मुझे उदासी भरी आवाज़ मे हल्के से हाई बोला ऑर अंदर चली गई सोनिया मेरे साथ आके बैठ गई लेकिन सोनिया ने मुझे नही पकड़ा बल्कि बाइक की सीट को पकड़ कर बैठ गई,,,,,,,,,,,मैं सोनिया से कविता के बारे मे बात करना चाहता था जैसे ही मैने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला तो मेरे से पहले सोनिया बोल पड़ी,,,,,,,,,,,
सोनिया-सन्नी मुझे आज कॉलेज नही जाना तू प्लज़्ज़्ज़ कहीं ऑर ले चल मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-क्या हुआ सोनिया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;कुछ नही सन्नी बस मूड थोड़ा ठीक नही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं;-कविता के घर मे कोई प्राब्लम है क्या ,,,,,,
सोनिया-; हाँ सन्नी तभी तो मैं कल से वहाँ थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-; क्या प्राब्लम है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;वो तेरा जानना ज़रूरी नही है,,,,,,,सोनिया गुस्से मे बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं चुप हो गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-; सॉरी सन्नी मेरा वो मतलब नही था मैं जस्ट कविता की वजह से बहुत परेशान हूँ तभी तो तेरे पर गुस्सा
हो गई तू प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे कहीं ऐसी जगह ले चल जहाँ मेरा मन थोड़ा बहल जाए,,,लेकिन मुझे माल
या मूवी नही देखने जाना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-; इट्स ओके सोनिया,,,जनता हूँ तुम कविता की वजह से टेन्षन मे हो तुम
आराम से बैठो मैं तुमको माल या मूवी के लिए नही बल्कि पार्क मे लेके चलता हूँ जहाँ तुम्हारा मन
बहल जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं सोनिया को पार्क मे ले गया,,,,,,,,,,वहाँ बहुत सकून था सुबह का टाइम था
तो ज़्यादा रश नही था क्यूकी ज़्यादातर रश शाम के टाइम होता था,,,लेकिन अभी भी कुछ लवर्स थे यहाँ
पर जो हाथों मे हाथ डालके घूम रहे थे,,,,,,,,,,,,,,,मैं ऑर सोनिया पार्क मे 2 टेबल्स पर जाके बैठ गये
जो एक कॉर्नर पे अलग थलग जगह पर पड़े हुए थे,,,,,,,,,,,,,,,,,सोनिया कुछ उदास थी,,,,,,,,मैने उसका मन
बहलाने की कोशिश करते हुए उसको जोक्स सुनाने शुरू किए ,,मैं अक्सर उसको हँसाने के लिए उसको जोक्स सुनाता
था जिस से उसको बहुत खुशी होती थी,,,,,,ऑर अब भी जोक्स का असर होने लगा था ऑर वो हँसने लगी थी,,वो इतना
ज़ोर से हँसने लगी थी मेरे जोक्स पर कि आस पास के लोग जो आस पास नही थे कुछ दूर थे उनको भी सोनिया की
हँसी सुनाई देने लगी थी,,,,,,,,,,,,,,सोनाई ने देखा कि लोग उसके ऐसे पागलों की तरह हँसते देख रहे थे तो वो चुप
हो गई ऑर शरमाने लगी उसका एक दम से शरमाना मुझे बहुत अच्छा लगा ऑर मैं एक टक उसको देखने लगा,,,उसने
मुझे ऐसे उसकी तरफ घूरते देखा तो उसकी नज़रे झुक गई ऑर उसका शरमाना ऑर भी हसीन हो गया,,,इतनी बात
तो थी कि अब वो कविता के घर की टेन्षन को भूल चुकी थी ऑर खुश थी,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-भाई ऐसे मत देखो मुझे अच्छा नही लगता,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं फिर भी उसको देखता जा रहा था,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ऐसे मत देखो ना,,,,,वरना मुझे गुस्सा आ जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,मैं फिर भी उसको देखता जा रहा था,,
तभी वो उठी ओर मेरे पास आ गई ओर मेरे साथ मेरे टेबल पर बैठ गई ओर आते ही उसने मुझे एक थप्पड़
मारा लेकिन ज़्यादा ज़ोर से नही मैं डर गया था कहीं इसको गुस्सा तो नही आ गया था ,,,,मैं हैरान भी हो गया
था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तभी वो बोलने लगी,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ऐसा क्यू होता है जब भी मैं उदास होती हूँ तो आपके साथ रहने से मेरी उदासी दूर हो जाती है,,,,कल से
मैं कविता क घर पर हूँ ऑर एक बार भी मेरे फेस पर हल्की सी स्माइल नही आई ऑर आपके साथ होते ही मैं इतना
ज़्यादा खुश होने लगी हूँ इतना ज़्यादा हँसने लगी हूँ कि लोग भी मुझे पागल समझ रहे है,,,,ऐसा क्यू है भाई,,,,,,,,,,,
मैं-क्यूकी मैं तेरा भाई हूँ,,,भाई कम ऑर दोस्त ज़्यादा,,,जो तेरी हर बात को समझता है,,ऑर तेरे इस मासूम
चेहरे पर उदासी नही देख सकता ऑर तुझे खुश करने क लिए कुछ भी कर सकता है,,,,,,,,
सोनिया-इतने ही अच्छे भाई हो ऑर इतनी फिकर करने वाले दोस्त हो तो घटिया हरकते करके ऐसे रिश्ते को खराब क्यूँ करते हो भाई,,,,,,,,,,,,क्यूँ ऐसे अजीब नज़रो से देखते हो मुझे कि मुझे ही अपने आप पर शरम आने लग जाती है,,
क्यू करते ही ऐसा भाई,,,,,क्यू अपनी बेहन को ,,अपनी एक ऐसी दोस्त को जिसकी तुम बहुत ज़्यादा फ़िक्र करते हो कि उसको हर्ट करने वाले इंसान को भी जान से मारने की कोशिश करते हो,,,,,,,,,उस दिन उन लोगो को इतनी बुरी तरह से
मारा तुम ने जिन्होने ने मेरा हाथ पकड़ा था ,,,ऑर एक तरफ रात को खुद ऐसी हरकत,,,,,,,,,,,,,कहते हुए ही सोनिया चुप हो गई,,,,,,,,,,,
मैं-;तेरे को कोई हाथ लगाएगा तो मैं उसकी जान ले लूँगा सोनिया,,,मैं तुझे बहुत लाइक करता हूँ जानता हूँ मैं
तेरा भाई हूँ ऑर जो हरकते मैं करता हूँ वो ग़लत है लेकिन क्या करूँ तुझे देखता हूँ तो मेरे होश गुम
हो जाते है ,,,,तू इतनी अच्छी लगती है कि मैं ये भी भूल जाता हूँ कि तू मेरी बेहन है,,पता नही क्या हो जाता
है मुझे,,,,,,,,,इतना बोल कर मैने हिम्मत की ऑर सोनाई के हाथ पर हाथ रख दिया जो उसकी टाँगो पर पड़ा
हुआ था,,,,,,,,
सोनिया ने जल्दी से अपने हाथ को हटा लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ऐसा नही करो प्लज़्ज़्ज़ हम भाई बेहन है,, ऐसा करना ग़लत है,,ऐसा करके तुम क्यूँ भाई बेहन के रिश्ते को खराब कर रहे हो,,,,तुमको शरम क्यू नही आती भाई मेरे साथ ऐसा करते हुए,,,,,,,,कुछ तो सोचो अपने इस रिश्ते के बारे मे,,,,,,,,,,
मैं-;मुझे कुछ नही सोचना ऑर ना कुछ समझना है,,,,,जब भी तेरे करीब आता हूँ खुद बा खुद तेरी तरफ
खिंचा चला आता हूँ,,,,दिल ऑर दिमाग़ काम करना बंद कर देते है,,,जानता हूँ ये ग़लत है लेकिन फिर
भी ना जाने क्यूँ मुझे ये सब ग़लत नही लगता जब भी तुम मेरे करीब होती हो,,ना जाने क्यू,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ये ग़लत है,,,,तुम खुद पर क़ाबू करो,,,,दुनिया क्या कहेगी अगर किसी को पता चलेगा,,,,,,,,,,
मैं-;किसको पता चलेगा,,,,,,,,,ऑर दुनिया की टेन्षन मत लो तुम,,,दुनिया मे पता नही कितने भाई बेहन ऐसे है
जो ये सब करते है,,,,,,,,,,कयि भाई बेहन तो शादी करके पति पत्नी की तरह रहते है,,,,,,,,,,
सोनिया-;तुमको कैसे पता,,,,,,,
मैने बहुत सारी स्टोरी रीड की है राजशर्मास्टॉरीज पर,,,,,,,,,,,
सोनिया-;ये राजशर्मास्टॉरीज क्या है भाई,,,,,,,,,
मैं-;ये एक सोशियल साइट है,,जहाँ बहुत सारी स्टॉरीज पड़ी हुई है,,,,,,,इन्सेस्ट स्टोरीस,,,जिसमे भाई बेहन को,,,,,बेटा
माँ को,,,,,,,बाप बेटी को ऑर पता नही कॉन कॉन किस किस के साथ ये सब करता है,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई वो स्टोरी झूठ होती है,,,भला कॉन भाई अपनी बेहन को ऑर कॉन मा अपने बेटे से ऐसी गंदी हरकत कर
सकती है,,,,,मुझे तो सोच कर भी गुस्सा आ रहा है,,,,,,,,,,
मैं-;तेरे को गुस्सा आने से क्या होगा,,,,,,जो सच है सो है,,,,,,,,,,,,,,,,,वहाँ आने वाले हर राइटर मे से हर कोई
झूँठा नही होता,,,,,,,,,,,,कुछ सच्चे भी होते है जो अपनी रियल लाइफ स्टोरी लोगो के साथ शेयर करते है,,लेकिन वो
लोग अपनी पहचान छुपा लेते है,,,,,,,,,,ऑर तुमको क्या पता हो सकता है अपने पड़ोसी ही ऐसे हो जो घर मे ही
ऐसी हरकते करते हो,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ये लिखी पढ़ी बातों पर यकीन नही करो तुम,,,,,,,,,
तभी मुझे पता नही क्या हुआ,,,,,मैं एक दम से बोल पड़ा,,शायद मे जोश मे था ऑर सोनिया को किसी भी तरह
से मनाना चाहता था,,,,,,,,,,,,,स्टोरी पर नही लेकिन मेरी आँखों देखी पर तो यकीन कर सकती हो,,,,,,,,,
सोनिया हैरत भरी नज़रो से मुझे देखने लगी,,,,,,क्या बोल रहे हो तुम भाई,,,,,,
मैं कुछ पल खामोश रहा,,,,,,साला ये क्या बोल गया सोनिया को,,,,,अब क्या बोलूं इसको मैने किसको देखा है,,,
इसको फसाने के चक्कर मे किसकी चुदाई का भंडा फोड़ दूँ मैं,,,,,,,,अपना ऑर शोभा का बता दूँ,,
नही नही,,,,,तो फिर माँ ऑर मामा का,,,,,,,,,,,,,,,,नही वो भी नही,,,,,,,,,,तो क्या इसको डॅड ऑर बुआ के बारे मे
बता दूँ,,,,,,,,,,,क्या करूँ यार कुछ समझ नही आ रहा,,,,घर वालो की सारी पूल खोल दी तो पता नही ये
घर जाके क्या करेगी,,,,,,कहीं घर मे झगड़ा शुरू कर दिया तो,,,,,,,,
सोनिया-;बोलो सन्नी चुप क्यूँ हो गये,,,,,,,,,तुमने किस भाई बेहन को ऐसी घटिया हरकत करते देखा है,,,,मुझे भी
पता चले कॉन है ऐसे घटिया भाई बेहन जो ऐसी नीच हरकत कर सकते है,,,,,
मेरे को साँप ही सूंघ गया था,,,वो बोल ही इतने गुस्से मे रही थी,,जैसे अभी मैं इसको बता दूँगा तो ये
जाके उनको गोली मार देगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-है कोई ऐसे भाई बेहन जो एक दूसरे के साथ मस्ती करते है,,,,,,,
सोनिया-;छ्ह्हि सन्नी,,,,ऐसी घटिया हरकत को मस्ती का नाम मत दो,,,मुझे तो सोच कर भी गुस्सा आने लगा है कि
भाई बेहन ऐसा कैसे कर सकते है,,,,,
मैं-सोनिया ये सब ग़लत है मैं जानता हूँ,,,,लेकिन मैने अपनी आँखों से देखा है,,,पहले मेरे लिए भी यकीन
करना मुश्किल था ,,,लेकिन जब उनकी बातें सुनी तो यकीन हुआ ,,,,,,भाई अपनी बेहन को खुश कर रहा था
ताकि उसकी बेहन कहीं बाहर जाके ऐसा वैसा कुछ ना करे,,,
सोनिया-;बाहर जाके मतलब,उसकी बेहन बाहर किसी के साथ ऐसी गंदी हरकत करती थी क्या,,,,,,,,,
मैं-;नही सोनिया की तो नही थी लेकिन उसको डर था ,,क्यूकी सोनिया जब लड़का ऑर लड़की जवान हो जाते है तो उनको अपने पर क़ाबू पाना मुश्किल हो जाता है ऑर अक्सर वो जवानी मे कोई ना कोई भूल कर जाते है जिस से ना सिर्फ़ उनकी बल्कि उनके परिवार की भी बदनामी हो जाती है,,,,,लेकिन अगर वो लोग घर मे ही ऐसी हरकत करते है वो भी बंद
कमरो मे तो बाकी दुनिया तो दूर की बात उनके पड़ोसियों तक को ऑर तो ऑर उनके साथ वाले रूम मे सोने वाले
बाकी लोगो को भी कानों कान खबर नही होती,,,,,,,,,,वो लोग अपनी मस्ती भी कर लेते है ओर अपनी चढ़ती जवानी
के जोश को क़ाबू करने का तरीका भी मिल जाता है ऑर साथ-2 बदनामी का डर भी नही रहता,,,,,,,,
सोनिया चुप चाप मेरी बातों को सुन रही थी,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;क्या हुआ सोनिया किस सोच मे पड़ गई,,,,,,,,,,,
सोनिया-;कुछ नही सोच रही हूँ क्या ये सच है,,,,ऑर क्या कोई बेहन भाई ऐसी हरकत ,,,,,,छि मुझे तो सोचना भी
अजीब लग रहा है,,,,,,
मैं-लेकिन सोनिया ये,,,,,,मैने बोलना शुरू ही किया था कि सोनिया ने मुझे चुप करवा दिया,,,,,,,,अब इस टॉपिक पर कोई
बात नही करना तुम,,,वर्ना मैं थप्पड़ लगा दूँगी तेरे ब्लककी,,,,वो गुस्से मे थी इसलिए मैं चुप हो गया
सोनिया-;तेरे को ऐसे घटिया टॉपिक के लिए चुप रहने को बोला है बाकी बातें तो कर सकता है,,,,,,,,,,,
मैंफिर भी चुप रहा,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;चल फिर उठ घर चलते है अगर तूने इस घटिया टोपीक के अलावा कोई बात नही करनी तो,,,,,,,,,,,,
मैं चुप चाप उठ गया,,,मुझे इस सोनिया पर गुसा आ रहा था साली ने कलपद कर दिया
मेरे साथ ,,,मैं सोच रहा था ये मेरी बातों मे आके बोतल मे उतर जाएगी लेकिन इसने तो सॉफ सॉफ मना
कर दिया कि इस टॉपिक पर बात ही नही करनी लेकिन एक बात अच्छी हुई थी थोड़ी बहुत ही सही लेकिन सोनिया ने मेरी बात चुप रहके सुनी तो थी,,,अब सब कुछ सुन कर उसकी ज़ुबान पर तो गुस्सा था लेकिन दिल मे क्या था ये नही पता
चल रहा था पता करने का एक ही तरीका था कि इसको फिर से उसी टॉपिक पर बात करने के लिए शुरू किया जाए
पर अब मेरी हिम्मत नही हो रही थीउसी टॉपिक पर बात करने की साली ने थप्पड़ की धमकी जो दी थी ऑर अगर
मैं कुछ बोलता उस बारे मे तो ये इसी पार्क मे सबके सामने मेरे को थप्पड़ रसीद कर देती साली का गुस्सा ही
इतना ज़्यादा था,,,,,,मैं चुप चाप सोचते हुए बाइक की तरफ चलने लगा,,,,,मैने बिके स्टार्ट की ऑर सोनिया मेरे
साथ बैठ गई अबकी बार उसने फिर से मुझे नही पकड़ा था बाइक की सीट को ही पकड़ा था,,,,,मैं भी बाइक
चला कर घर की तरफ बढ़ने लगा,,,,,,,,,,,,,,,,,
अभी मैं घर के गाते पर ही पहुँचा था कि तभी मुझे करण का फोन आ गया,,,,,,उसने मुझे थॅंक्स बोला
कि मैने उसकी शिखा दीदी को समझा दिया है ओर वो अमित से नफ़रत करने लगी है,,,करण बहुत खुश था इस बात
पर ऑर मुझे बार बार थॅंक्स बोल रहा था,,,,,,,,,मैने फोन बंद किया तब तक सोनिया गेट से होते हुए मैन
दरवाजे तक पहुँच गई थी,,,उसने बेल बजाई बट 2 मिनिट तक कोई नही आया,,,,,,,,मुझे पता था माँ ऑर
मामा जी लगे होंगे अंदर अपने खेल मे,,,,,,,,,,सोनिया ने गुस्से मे हाथ को बेल पर रखा ऑर तब तक बजाती रही
जब तक माँ अंदर से दरवाजा खोलने नही आ गई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;क्या माँ कितनी देर से बेल बजा रही हूँ आप खोलती क्यू नही,,कहाँ बिज़ी रहती हो इतनी देर,,,,,,,,,,,,,,
माँ ने मेरी तरफ़ देखा ऑर बोली,,बेटा मैं ज़रा सा किचन मे बिज़ी थी,,,,,,,,,,,
सोनिया-;मामा कहाँ है माँ वो नही खोल सकते क्या दरवाजा जब देखो घर पे वहले
इधर उधर घूमते रहते हैं,,उसको बोला करो दरवाजा खोलने को,,इस से पहले माँ कुछ बोलती सोनिया गुस्से से
घर के अंदर चली गई,,,,
माँ अभी भी दरवाजे पर खड़ी हुई थी,,,,,,,,,,,,,मैं दरवाजे के पास गया तभी माँ बोली,,,,,,,,,,,,,,बेटा तू मुझे फोन नही कर सकता था क्या कि सोनिया को घर लेके जल्दी आ रहा है तो मैं ऑर मामा जल्दी से काम ख़तम कर लेते,,,,,,,,,,,,,
मैं-;क्या करता माँ सोनिया के होते फोन कैसे करता,,,सॉरी माँ
माँ-;चल कोई बात नही अब अंदर चलो,,,,,तब तक सोनिया उपर जा चुकी थी सोनिया क जाते ही मैने मामा को
माँ के रूम से बाहर आते देखा,,,,,,,,,,,,,,मामा चुप चाप जाके सोफे पर बैठ गया ऑर माँ अपने रूम मे
चली गई,,मैं भी अपने रूम मे चला गया,,सोनिया बाथरूम मे थी ऑर मैं अपने बॅग से लप्पी निकालकर
अपने बेड पर लेट गया ऑर टाइम पास करने के लिए गेम खेलने लगा,,,कुछ देर बाद सोनिया बाथरूम से निकली
ऑर चुप चाप बेड पर बैठ गई,,,,,हम लोग ऐसे ही काफ़ी देर बैठे रहे ना उसने कोई बात की ऑर ना मैने,,,,
काफ़ी टाइम बाद जब मैं लप्पी से फ्री हुआ तो देखा वो सो चुकी थी मैने भी लप्पी साइड मे रखा ऑर नीचे
चला गया,,,,,,,,,,,,मामा अभी भी सोफे पर बैठा हुआ था जबकि माँ अपने रूम मे थी शायद क्यूकी मैं
किचन मे पानी लेने गया तो माँ वहाँ नही थी ,,,,,,मैं भी मामा के पास जाके बैठ गया,,,,,,मामा मेरा
आलसी बंदा था बात भी कम ही करता था,,जितना मतलब हो या ज़रूरी हो उतना ही बोलता था,,,,,मैं भी चुप
चाप टीवी देखने लगा,,,,,,,,,,,,मैं बोर होने लगा था तो सोचा क्यूँ ना कह बाहर चला जाए,,,मैने
बाइक ली ऑर घर से चला गया,,,क्यूकी घर पर रहके बोर ही होना था,,,सोनिया घर पर थी तो माँ के साथ
चुदाई करना भी मुश्किल था लेकिन दिल तो बहुत था चुदाई करने को तो मैं बुआ के बुटीक पर चला गया,,
बुटीक खुला हुआ था ,,मैं सीधा अंदर चला गया,,,,,,,,बुआ सामने बैठी हुई थी ऑर साथ ही पूजा भी
थी लेकिन मनीषा नज़र नही आ रही थी,,,,शोबा दीदी तो आती ही शाम को थी कॉलेज से,,,,,,,,,
बुआ-;अरे तुम आज कॉलेज नही गये सन्नी,,,बुआ ने बोला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;नही बुआ आज दिल नही किया सोचा बुआ के पास चलता हूँ थोड़ा टाइम पास हो जाएगा,ऑर मस्ती भी हो जाएगी,,,,,मेरी बात सुनके पूजा हंस कर मेरी तरफ देखने लगी,,,लेकिन बुआ मेरे वहाँ आने से खुश नही लग रही थी,,,,,,,,,,
मैं-,बुआ आज मनीषा कहाँ है नज़र नही आ रही,,,,,,,,,,,,,
बड़ा याद कर रहे हो मनीषा को सन्नी सर,,,,,पूजा ने मज़ाक मे हँसते हुए बोला,,,,,,
तभी बुआ ने उसकी तरफ़ देखा ऑर वो चुप चाप काम करने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;बेटा उसकी तबीयत ठीक नही है वो उपर आराम कर रही है ,,,,,,,,,,
मैं-क्या हुआ उसको बुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;बोला ना बेटा उसकी तबीयत ठीक नही है,,,
मैं-;बुआ क्या मैं एक बार उसको मिल सकता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;नही बेटा वो आराम कर रही है तुम अभी जाओ शाम मे आके मिल लेना ऑर तुमको जिस काम के लिए मिलना है मैं सब जानती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-जानती हो तो मिलने दो ना एक बार बुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;नही सन्नी ऐसे ज़िद्द मत करो मैने बोला ना अभी तुम जाओ शाम मे आके मिल लेना तब तक आराम करने से तबीयत शायद ठीक हो जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,बुआ हल्की सी डरी हुई थी ऑर उसके बोलने के अंदाज से लग रहा था जैसे वो गुस्से मे मुझे ऑर्डर दे रही थी,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;,ठीक है बुआ तो पूजा से बात करने दो थोड़ी देर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;हाँ पूजा से बात कर सकते हो तुम सन्नी,,,,,जाओ बैठो ऑर आराम से बात कर्लो पूजा के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;यहाँ नही बुआ उपर जाके आराम से,,,,,,,,
बुआ-;,नही सन्नी यही बात करो जो करनी है उपर नही जाना अभी पूजा को ,,,बहुत काम है आज पूजा के
पास,अभी भी बुआ मुझे ऑर्डर ही दे रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;ठीक है बुआ आप लोग काम करो मैं चलता हूँ शाम को आता हूँ जब आप लोग फ्री हो जाओ,,,,,,,,,मैं वहाँ से जाने लगा,,,,,,,,,
सोनिया-हेलो सन्नी मुझे भी अपने साथ कॉलेज लेके जाना आज कविता को कॉलेज नही जाना है,,,,,,,,,,,,,,,
मैं भी सीधा कविता के घर के बाहर पहुँचा गया,,,,,,,,,,,,वहाँ सोनिया पहले से बाहर खड़ी हुई थी कविता भी उसके साथ थी बट कविता कुछ उदास लग रही थी ऑर ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत ज़्यादा रोई हुई थी,,,,,,,,
मैं-हाई कविता ,,,,,,उसने भी मुझे उदासी भरी आवाज़ मे हल्के से हाई बोला ऑर अंदर चली गई सोनिया मेरे साथ आके बैठ गई लेकिन सोनिया ने मुझे नही पकड़ा बल्कि बाइक की सीट को पकड़ कर बैठ गई,,,,,,,,,,,मैं सोनिया से कविता के बारे मे बात करना चाहता था जैसे ही मैने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला तो मेरे से पहले सोनिया बोल पड़ी,,,,,,,,,,,
सोनिया-सन्नी मुझे आज कॉलेज नही जाना तू प्लज़्ज़्ज़ कहीं ऑर ले चल मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-क्या हुआ सोनिया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;कुछ नही सन्नी बस मूड थोड़ा ठीक नही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं;-कविता के घर मे कोई प्राब्लम है क्या ,,,,,,
सोनिया-; हाँ सन्नी तभी तो मैं कल से वहाँ थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-; क्या प्राब्लम है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;वो तेरा जानना ज़रूरी नही है,,,,,,,सोनिया गुस्से मे बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं चुप हो गया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-; सॉरी सन्नी मेरा वो मतलब नही था मैं जस्ट कविता की वजह से बहुत परेशान हूँ तभी तो तेरे पर गुस्सा
हो गई तू प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मुझे कहीं ऐसी जगह ले चल जहाँ मेरा मन थोड़ा बहल जाए,,,लेकिन मुझे माल
या मूवी नही देखने जाना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-; इट्स ओके सोनिया,,,जनता हूँ तुम कविता की वजह से टेन्षन मे हो तुम
आराम से बैठो मैं तुमको माल या मूवी के लिए नही बल्कि पार्क मे लेके चलता हूँ जहाँ तुम्हारा मन
बहल जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं सोनिया को पार्क मे ले गया,,,,,,,,,,वहाँ बहुत सकून था सुबह का टाइम था
तो ज़्यादा रश नही था क्यूकी ज़्यादातर रश शाम के टाइम होता था,,,लेकिन अभी भी कुछ लवर्स थे यहाँ
पर जो हाथों मे हाथ डालके घूम रहे थे,,,,,,,,,,,,,,,मैं ऑर सोनिया पार्क मे 2 टेबल्स पर जाके बैठ गये
जो एक कॉर्नर पे अलग थलग जगह पर पड़े हुए थे,,,,,,,,,,,,,,,,,सोनिया कुछ उदास थी,,,,,,,,मैने उसका मन
बहलाने की कोशिश करते हुए उसको जोक्स सुनाने शुरू किए ,,मैं अक्सर उसको हँसाने के लिए उसको जोक्स सुनाता
था जिस से उसको बहुत खुशी होती थी,,,,,,ऑर अब भी जोक्स का असर होने लगा था ऑर वो हँसने लगी थी,,वो इतना
ज़ोर से हँसने लगी थी मेरे जोक्स पर कि आस पास के लोग जो आस पास नही थे कुछ दूर थे उनको भी सोनिया की
हँसी सुनाई देने लगी थी,,,,,,,,,,,,,,सोनाई ने देखा कि लोग उसके ऐसे पागलों की तरह हँसते देख रहे थे तो वो चुप
हो गई ऑर शरमाने लगी उसका एक दम से शरमाना मुझे बहुत अच्छा लगा ऑर मैं एक टक उसको देखने लगा,,,उसने
मुझे ऐसे उसकी तरफ घूरते देखा तो उसकी नज़रे झुक गई ऑर उसका शरमाना ऑर भी हसीन हो गया,,,इतनी बात
तो थी कि अब वो कविता के घर की टेन्षन को भूल चुकी थी ऑर खुश थी,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-भाई ऐसे मत देखो मुझे अच्छा नही लगता,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं फिर भी उसको देखता जा रहा था,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ऐसे मत देखो ना,,,,,वरना मुझे गुस्सा आ जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,,मैं फिर भी उसको देखता जा रहा था,,
तभी वो उठी ओर मेरे पास आ गई ओर मेरे साथ मेरे टेबल पर बैठ गई ओर आते ही उसने मुझे एक थप्पड़
मारा लेकिन ज़्यादा ज़ोर से नही मैं डर गया था कहीं इसको गुस्सा तो नही आ गया था ,,,,मैं हैरान भी हो गया
था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तभी वो बोलने लगी,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ऐसा क्यू होता है जब भी मैं उदास होती हूँ तो आपके साथ रहने से मेरी उदासी दूर हो जाती है,,,,कल से
मैं कविता क घर पर हूँ ऑर एक बार भी मेरे फेस पर हल्की सी स्माइल नही आई ऑर आपके साथ होते ही मैं इतना
ज़्यादा खुश होने लगी हूँ इतना ज़्यादा हँसने लगी हूँ कि लोग भी मुझे पागल समझ रहे है,,,,ऐसा क्यू है भाई,,,,,,,,,,,
मैं-क्यूकी मैं तेरा भाई हूँ,,,भाई कम ऑर दोस्त ज़्यादा,,,जो तेरी हर बात को समझता है,,ऑर तेरे इस मासूम
चेहरे पर उदासी नही देख सकता ऑर तुझे खुश करने क लिए कुछ भी कर सकता है,,,,,,,,
सोनिया-इतने ही अच्छे भाई हो ऑर इतनी फिकर करने वाले दोस्त हो तो घटिया हरकते करके ऐसे रिश्ते को खराब क्यूँ करते हो भाई,,,,,,,,,,,,क्यूँ ऐसे अजीब नज़रो से देखते हो मुझे कि मुझे ही अपने आप पर शरम आने लग जाती है,,
क्यू करते ही ऐसा भाई,,,,,क्यू अपनी बेहन को ,,अपनी एक ऐसी दोस्त को जिसकी तुम बहुत ज़्यादा फ़िक्र करते हो कि उसको हर्ट करने वाले इंसान को भी जान से मारने की कोशिश करते हो,,,,,,,,,उस दिन उन लोगो को इतनी बुरी तरह से
मारा तुम ने जिन्होने ने मेरा हाथ पकड़ा था ,,,ऑर एक तरफ रात को खुद ऐसी हरकत,,,,,,,,,,,,,कहते हुए ही सोनिया चुप हो गई,,,,,,,,,,,
मैं-;तेरे को कोई हाथ लगाएगा तो मैं उसकी जान ले लूँगा सोनिया,,,मैं तुझे बहुत लाइक करता हूँ जानता हूँ मैं
तेरा भाई हूँ ऑर जो हरकते मैं करता हूँ वो ग़लत है लेकिन क्या करूँ तुझे देखता हूँ तो मेरे होश गुम
हो जाते है ,,,,तू इतनी अच्छी लगती है कि मैं ये भी भूल जाता हूँ कि तू मेरी बेहन है,,पता नही क्या हो जाता
है मुझे,,,,,,,,,इतना बोल कर मैने हिम्मत की ऑर सोनाई के हाथ पर हाथ रख दिया जो उसकी टाँगो पर पड़ा
हुआ था,,,,,,,,
सोनिया ने जल्दी से अपने हाथ को हटा लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ऐसा नही करो प्लज़्ज़्ज़ हम भाई बेहन है,, ऐसा करना ग़लत है,,ऐसा करके तुम क्यूँ भाई बेहन के रिश्ते को खराब कर रहे हो,,,,तुमको शरम क्यू नही आती भाई मेरे साथ ऐसा करते हुए,,,,,,,,कुछ तो सोचो अपने इस रिश्ते के बारे मे,,,,,,,,,,
मैं-;मुझे कुछ नही सोचना ऑर ना कुछ समझना है,,,,,जब भी तेरे करीब आता हूँ खुद बा खुद तेरी तरफ
खिंचा चला आता हूँ,,,,दिल ऑर दिमाग़ काम करना बंद कर देते है,,,जानता हूँ ये ग़लत है लेकिन फिर
भी ना जाने क्यूँ मुझे ये सब ग़लत नही लगता जब भी तुम मेरे करीब होती हो,,ना जाने क्यू,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ये ग़लत है,,,,तुम खुद पर क़ाबू करो,,,,दुनिया क्या कहेगी अगर किसी को पता चलेगा,,,,,,,,,,
मैं-;किसको पता चलेगा,,,,,,,,,ऑर दुनिया की टेन्षन मत लो तुम,,,दुनिया मे पता नही कितने भाई बेहन ऐसे है
जो ये सब करते है,,,,,,,,,,कयि भाई बेहन तो शादी करके पति पत्नी की तरह रहते है,,,,,,,,,,
सोनिया-;तुमको कैसे पता,,,,,,,
मैने बहुत सारी स्टोरी रीड की है राजशर्मास्टॉरीज पर,,,,,,,,,,,
सोनिया-;ये राजशर्मास्टॉरीज क्या है भाई,,,,,,,,,
मैं-;ये एक सोशियल साइट है,,जहाँ बहुत सारी स्टॉरीज पड़ी हुई है,,,,,,,इन्सेस्ट स्टोरीस,,,जिसमे भाई बेहन को,,,,,बेटा
माँ को,,,,,,,बाप बेटी को ऑर पता नही कॉन कॉन किस किस के साथ ये सब करता है,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई वो स्टोरी झूठ होती है,,,भला कॉन भाई अपनी बेहन को ऑर कॉन मा अपने बेटे से ऐसी गंदी हरकत कर
सकती है,,,,,मुझे तो सोच कर भी गुस्सा आ रहा है,,,,,,,,,,
मैं-;तेरे को गुस्सा आने से क्या होगा,,,,,,जो सच है सो है,,,,,,,,,,,,,,,,,वहाँ आने वाले हर राइटर मे से हर कोई
झूँठा नही होता,,,,,,,,,,,,कुछ सच्चे भी होते है जो अपनी रियल लाइफ स्टोरी लोगो के साथ शेयर करते है,,लेकिन वो
लोग अपनी पहचान छुपा लेते है,,,,,,,,,,ऑर तुमको क्या पता हो सकता है अपने पड़ोसी ही ऐसे हो जो घर मे ही
ऐसी हरकते करते हो,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;भाई ये लिखी पढ़ी बातों पर यकीन नही करो तुम,,,,,,,,,
तभी मुझे पता नही क्या हुआ,,,,,मैं एक दम से बोल पड़ा,,शायद मे जोश मे था ऑर सोनिया को किसी भी तरह
से मनाना चाहता था,,,,,,,,,,,,,स्टोरी पर नही लेकिन मेरी आँखों देखी पर तो यकीन कर सकती हो,,,,,,,,,
सोनिया हैरत भरी नज़रो से मुझे देखने लगी,,,,,,क्या बोल रहे हो तुम भाई,,,,,,
मैं कुछ पल खामोश रहा,,,,,,साला ये क्या बोल गया सोनिया को,,,,,अब क्या बोलूं इसको मैने किसको देखा है,,,
इसको फसाने के चक्कर मे किसकी चुदाई का भंडा फोड़ दूँ मैं,,,,,,,,अपना ऑर शोभा का बता दूँ,,
नही नही,,,,,तो फिर माँ ऑर मामा का,,,,,,,,,,,,,,,,नही वो भी नही,,,,,,,,,,तो क्या इसको डॅड ऑर बुआ के बारे मे
बता दूँ,,,,,,,,,,,क्या करूँ यार कुछ समझ नही आ रहा,,,,घर वालो की सारी पूल खोल दी तो पता नही ये
घर जाके क्या करेगी,,,,,,कहीं घर मे झगड़ा शुरू कर दिया तो,,,,,,,,
सोनिया-;बोलो सन्नी चुप क्यूँ हो गये,,,,,,,,,तुमने किस भाई बेहन को ऐसी घटिया हरकत करते देखा है,,,,मुझे भी
पता चले कॉन है ऐसे घटिया भाई बेहन जो ऐसी नीच हरकत कर सकते है,,,,,
मेरे को साँप ही सूंघ गया था,,,वो बोल ही इतने गुस्से मे रही थी,,जैसे अभी मैं इसको बता दूँगा तो ये
जाके उनको गोली मार देगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-है कोई ऐसे भाई बेहन जो एक दूसरे के साथ मस्ती करते है,,,,,,,
सोनिया-;छ्ह्हि सन्नी,,,,ऐसी घटिया हरकत को मस्ती का नाम मत दो,,,मुझे तो सोच कर भी गुस्सा आने लगा है कि
भाई बेहन ऐसा कैसे कर सकते है,,,,,
मैं-सोनिया ये सब ग़लत है मैं जानता हूँ,,,,लेकिन मैने अपनी आँखों से देखा है,,,पहले मेरे लिए भी यकीन
करना मुश्किल था ,,,लेकिन जब उनकी बातें सुनी तो यकीन हुआ ,,,,,,भाई अपनी बेहन को खुश कर रहा था
ताकि उसकी बेहन कहीं बाहर जाके ऐसा वैसा कुछ ना करे,,,
सोनिया-;बाहर जाके मतलब,उसकी बेहन बाहर किसी के साथ ऐसी गंदी हरकत करती थी क्या,,,,,,,,,
मैं-;नही सोनिया की तो नही थी लेकिन उसको डर था ,,क्यूकी सोनिया जब लड़का ऑर लड़की जवान हो जाते है तो उनको अपने पर क़ाबू पाना मुश्किल हो जाता है ऑर अक्सर वो जवानी मे कोई ना कोई भूल कर जाते है जिस से ना सिर्फ़ उनकी बल्कि उनके परिवार की भी बदनामी हो जाती है,,,,,लेकिन अगर वो लोग घर मे ही ऐसी हरकत करते है वो भी बंद
कमरो मे तो बाकी दुनिया तो दूर की बात उनके पड़ोसियों तक को ऑर तो ऑर उनके साथ वाले रूम मे सोने वाले
बाकी लोगो को भी कानों कान खबर नही होती,,,,,,,,,,वो लोग अपनी मस्ती भी कर लेते है ओर अपनी चढ़ती जवानी
के जोश को क़ाबू करने का तरीका भी मिल जाता है ऑर साथ-2 बदनामी का डर भी नही रहता,,,,,,,,
सोनिया चुप चाप मेरी बातों को सुन रही थी,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;क्या हुआ सोनिया किस सोच मे पड़ गई,,,,,,,,,,,
सोनिया-;कुछ नही सोच रही हूँ क्या ये सच है,,,,ऑर क्या कोई बेहन भाई ऐसी हरकत ,,,,,,छि मुझे तो सोचना भी
अजीब लग रहा है,,,,,,
मैं-लेकिन सोनिया ये,,,,,,मैने बोलना शुरू ही किया था कि सोनिया ने मुझे चुप करवा दिया,,,,,,,,अब इस टॉपिक पर कोई
बात नही करना तुम,,,वर्ना मैं थप्पड़ लगा दूँगी तेरे ब्लककी,,,,वो गुस्से मे थी इसलिए मैं चुप हो गया
सोनिया-;तेरे को ऐसे घटिया टॉपिक के लिए चुप रहने को बोला है बाकी बातें तो कर सकता है,,,,,,,,,,,
मैंफिर भी चुप रहा,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;चल फिर उठ घर चलते है अगर तूने इस घटिया टोपीक के अलावा कोई बात नही करनी तो,,,,,,,,,,,,
मैं चुप चाप उठ गया,,,मुझे इस सोनिया पर गुसा आ रहा था साली ने कलपद कर दिया
मेरे साथ ,,,मैं सोच रहा था ये मेरी बातों मे आके बोतल मे उतर जाएगी लेकिन इसने तो सॉफ सॉफ मना
कर दिया कि इस टॉपिक पर बात ही नही करनी लेकिन एक बात अच्छी हुई थी थोड़ी बहुत ही सही लेकिन सोनिया ने मेरी बात चुप रहके सुनी तो थी,,,अब सब कुछ सुन कर उसकी ज़ुबान पर तो गुस्सा था लेकिन दिल मे क्या था ये नही पता
चल रहा था पता करने का एक ही तरीका था कि इसको फिर से उसी टॉपिक पर बात करने के लिए शुरू किया जाए
पर अब मेरी हिम्मत नही हो रही थीउसी टॉपिक पर बात करने की साली ने थप्पड़ की धमकी जो दी थी ऑर अगर
मैं कुछ बोलता उस बारे मे तो ये इसी पार्क मे सबके सामने मेरे को थप्पड़ रसीद कर देती साली का गुस्सा ही
इतना ज़्यादा था,,,,,,मैं चुप चाप सोचते हुए बाइक की तरफ चलने लगा,,,,,मैने बिके स्टार्ट की ऑर सोनिया मेरे
साथ बैठ गई अबकी बार उसने फिर से मुझे नही पकड़ा था बाइक की सीट को ही पकड़ा था,,,,,मैं भी बाइक
चला कर घर की तरफ बढ़ने लगा,,,,,,,,,,,,,,,,,
अभी मैं घर के गाते पर ही पहुँचा था कि तभी मुझे करण का फोन आ गया,,,,,,उसने मुझे थॅंक्स बोला
कि मैने उसकी शिखा दीदी को समझा दिया है ओर वो अमित से नफ़रत करने लगी है,,,करण बहुत खुश था इस बात
पर ऑर मुझे बार बार थॅंक्स बोल रहा था,,,,,,,,,मैने फोन बंद किया तब तक सोनिया गेट से होते हुए मैन
दरवाजे तक पहुँच गई थी,,,उसने बेल बजाई बट 2 मिनिट तक कोई नही आया,,,,,,,,मुझे पता था माँ ऑर
मामा जी लगे होंगे अंदर अपने खेल मे,,,,,,,,,,सोनिया ने गुस्से मे हाथ को बेल पर रखा ऑर तब तक बजाती रही
जब तक माँ अंदर से दरवाजा खोलने नही आ गई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सोनिया-;क्या माँ कितनी देर से बेल बजा रही हूँ आप खोलती क्यू नही,,कहाँ बिज़ी रहती हो इतनी देर,,,,,,,,,,,,,,
माँ ने मेरी तरफ़ देखा ऑर बोली,,बेटा मैं ज़रा सा किचन मे बिज़ी थी,,,,,,,,,,,
सोनिया-;मामा कहाँ है माँ वो नही खोल सकते क्या दरवाजा जब देखो घर पे वहले
इधर उधर घूमते रहते हैं,,उसको बोला करो दरवाजा खोलने को,,इस से पहले माँ कुछ बोलती सोनिया गुस्से से
घर के अंदर चली गई,,,,
माँ अभी भी दरवाजे पर खड़ी हुई थी,,,,,,,,,,,,,मैं दरवाजे के पास गया तभी माँ बोली,,,,,,,,,,,,,,बेटा तू मुझे फोन नही कर सकता था क्या कि सोनिया को घर लेके जल्दी आ रहा है तो मैं ऑर मामा जल्दी से काम ख़तम कर लेते,,,,,,,,,,,,,
मैं-;क्या करता माँ सोनिया के होते फोन कैसे करता,,,सॉरी माँ
माँ-;चल कोई बात नही अब अंदर चलो,,,,,तब तक सोनिया उपर जा चुकी थी सोनिया क जाते ही मैने मामा को
माँ के रूम से बाहर आते देखा,,,,,,,,,,,,,,मामा चुप चाप जाके सोफे पर बैठ गया ऑर माँ अपने रूम मे
चली गई,,मैं भी अपने रूम मे चला गया,,सोनिया बाथरूम मे थी ऑर मैं अपने बॅग से लप्पी निकालकर
अपने बेड पर लेट गया ऑर टाइम पास करने के लिए गेम खेलने लगा,,,कुछ देर बाद सोनिया बाथरूम से निकली
ऑर चुप चाप बेड पर बैठ गई,,,,,हम लोग ऐसे ही काफ़ी देर बैठे रहे ना उसने कोई बात की ऑर ना मैने,,,,
काफ़ी टाइम बाद जब मैं लप्पी से फ्री हुआ तो देखा वो सो चुकी थी मैने भी लप्पी साइड मे रखा ऑर नीचे
चला गया,,,,,,,,,,,,मामा अभी भी सोफे पर बैठा हुआ था जबकि माँ अपने रूम मे थी शायद क्यूकी मैं
किचन मे पानी लेने गया तो माँ वहाँ नही थी ,,,,,,मैं भी मामा के पास जाके बैठ गया,,,,,,मामा मेरा
आलसी बंदा था बात भी कम ही करता था,,जितना मतलब हो या ज़रूरी हो उतना ही बोलता था,,,,,मैं भी चुप
चाप टीवी देखने लगा,,,,,,,,,,,,मैं बोर होने लगा था तो सोचा क्यूँ ना कह बाहर चला जाए,,,मैने
बाइक ली ऑर घर से चला गया,,,क्यूकी घर पर रहके बोर ही होना था,,,सोनिया घर पर थी तो माँ के साथ
चुदाई करना भी मुश्किल था लेकिन दिल तो बहुत था चुदाई करने को तो मैं बुआ के बुटीक पर चला गया,,
बुटीक खुला हुआ था ,,मैं सीधा अंदर चला गया,,,,,,,,बुआ सामने बैठी हुई थी ऑर साथ ही पूजा भी
थी लेकिन मनीषा नज़र नही आ रही थी,,,,शोबा दीदी तो आती ही शाम को थी कॉलेज से,,,,,,,,,
बुआ-;अरे तुम आज कॉलेज नही गये सन्नी,,,बुआ ने बोला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;नही बुआ आज दिल नही किया सोचा बुआ के पास चलता हूँ थोड़ा टाइम पास हो जाएगा,ऑर मस्ती भी हो जाएगी,,,,,मेरी बात सुनके पूजा हंस कर मेरी तरफ देखने लगी,,,लेकिन बुआ मेरे वहाँ आने से खुश नही लग रही थी,,,,,,,,,,
मैं-,बुआ आज मनीषा कहाँ है नज़र नही आ रही,,,,,,,,,,,,,
बड़ा याद कर रहे हो मनीषा को सन्नी सर,,,,,पूजा ने मज़ाक मे हँसते हुए बोला,,,,,,
तभी बुआ ने उसकी तरफ़ देखा ऑर वो चुप चाप काम करने लगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;बेटा उसकी तबीयत ठीक नही है वो उपर आराम कर रही है ,,,,,,,,,,
मैं-क्या हुआ उसको बुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;बोला ना बेटा उसकी तबीयत ठीक नही है,,,
मैं-;बुआ क्या मैं एक बार उसको मिल सकता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;नही बेटा वो आराम कर रही है तुम अभी जाओ शाम मे आके मिल लेना ऑर तुमको जिस काम के लिए मिलना है मैं सब जानती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-जानती हो तो मिलने दो ना एक बार बुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;नही सन्नी ऐसे ज़िद्द मत करो मैने बोला ना अभी तुम जाओ शाम मे आके मिल लेना तब तक आराम करने से तबीयत शायद ठीक हो जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,बुआ हल्की सी डरी हुई थी ऑर उसके बोलने के अंदाज से लग रहा था जैसे वो गुस्से मे मुझे ऑर्डर दे रही थी,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;,ठीक है बुआ तो पूजा से बात करने दो थोड़ी देर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बुआ-;हाँ पूजा से बात कर सकते हो तुम सन्नी,,,,,जाओ बैठो ऑर आराम से बात कर्लो पूजा के साथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;यहाँ नही बुआ उपर जाके आराम से,,,,,,,,
बुआ-;,नही सन्नी यही बात करो जो करनी है उपर नही जाना अभी पूजा को ,,,बहुत काम है आज पूजा के
पास,अभी भी बुआ मुझे ऑर्डर ही दे रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;ठीक है बुआ आप लोग काम करो मैं चलता हूँ शाम को आता हूँ जब आप लोग फ्री हो जाओ,,,,,,,,,मैं वहाँ से जाने लगा,,,,,,,,,