hotaks444
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जब साँसे कुछ ठीक हुई तो माँ उठी ऑर बाथरूम मे चली गई इतनी देर मे मैं ऑर कारण भी उठे ऑर बाहर आ गये
जहाँ सोफे के पास मेरे ऑर कारण के कपड़े पड़े हुए थे ,,मैने ऑर करण ने कपड़े पहन लिए ऑर इतनी देर मे माँ
भी करण के रूम से बाहर आ गई,,,माँ की चाल कुछ ठीक नही थी क्यूकी अभी कुछ देर पहले मैने ऑर करण ने माँ
की सुखी गान्ड मारी थी वो भी खुश्क लंड से ,,,उनको शायद दर्द हो रहा था जो उनकी चाल से सॉफ ज़ाहिर हो रहा था,,,
मैने ऑर करण ने माँ की तरफ हँसके देखा तो माँ ने भी हम लोगो की तरफ हँसके देखा ,,ऑर करीब आके अपने
कपड़े उठा कर पहनने लगी,,,,
क्या हुआ माँ ऐसे क्यू चल रही थी ,,,मैने मज़ाक मे पूछा,,,,,
कमिने अभी इतनी जबरदस्त गान्ड मारी है मेरी वो भी बिना आयिल के अब पूछता है क्या हुआ,,,,माँ थोड़े गुस्से मे
बोली,,
माँ तूने ही तो बोला था कि औरत को जब चुदाई करते टाइम दर्द होता है तभी उसको ज़्यादा मज़ा आता है,,,,मैने तो
तेरी ही बात पूरी की है,,,,
अच्छा मेरी बात पूरी की है ,,मैने हल्के दर्द की बात की थी गान्ड फाड़ने वाले दर्द की नही,,,,तूने तो इतनी बुरी तरह
से चोदा है कि अभी तक रह रह कर दर्द की लहर उठ रही है पूरे जिस्म मे,,,
मैने तो ज़्यादा दर्द नही दिया ना आंटी जी,,करण बीच मे बोल पड़ा,,,,,
कोशिश तो तूने भी की थी करण बेटा लेकिन तेरा मूसल लंबा तो है लेकिन सन्नी के मूसल जितना मोटा नही है ,,अगर
होता तो तू भी दर्द देने मे पीछे नही रहता ,,,,
ग़लती हो गई माँ अब दोबारा ऐसे नही करूँगा,,,,माफ़ कर्दे,,,
अरे नही पागल ऐसा मत बोल,,,ऐसा बोल कि माँ हर बार ऐसा ही करूँगा और ऐसे ही जबरदस्त तरीके से गान्ड मारूँगा
लेकिन खुश्क लंड से नही हल्का आयिल लगा कर,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी ओर कपड़े पहन कर सोफे पर बैठ गई ऑर
अपने पर्स से कुछ मेक-अप का समान निकाल कर अपना हुलिया ठीक करने लगी क्यूकी अलका आंटी कभी भी आ सकती थी
ऑर ऐसा ही हुआ अभी हम लोग कपड़े पहन कर ठीक तरह से बैठे ही थे कि डोर बेल बजी ,,,
मैं ऑर माँ ठीक तरह से बैठ गये ऑर करण ने जल्दी से अपने बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया क्यूकी उसके रूम
मे बेडशीट गंदी हो गई थी ऑर बेड का हाल भी बुरा था,,,वो जल्दी से अपने रूम को बंद करके बाहर गेट खोलने
चला गया,,,,
कुछ देर बाद अलका आंटी अंदर आ गई,,,,जैसे आज माँ को देख कर मेरा बुरा हाल हो गया था जब उन्होने टाइट
फिटिंग वाला सूट पहना हुआ था उसी तरह अलका आंटी को देख कर भी मेरा बुरा हाल हो गया,,,
अलका आंटी ने भी हल्के पिंक कलर का एक दम टाइट सूट पहना हुआ था,,,मेरी माँ की तरह उनके बूब्स भी बहुत
बड़े बड़े थे जो आधे से ज्याद सूट से बाहर निकले हुए थे ,,सूट इतना टाइट था कि उनकी बॉडी का एक एक पार्ट खुल
कर नज़र आ रहा था ,,
तभी वो अंदर आते ही अपने हाथ मे पकड़ा हुआ कुछ समान ऑर एक बास्केट ज़मीन पर रख कर माँ की तरफ बढ़ी,,
माँ भी आंटी को अपने करीब आता देख सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,,
नमस्ते दीदी,,इतना बोलकर आंटी माँ के गले लग गई ऑर माँ ने भी उसकी बात का जवाब देके उनको अपनी बाहों मे
भर लिया ,,,वो दोनो एक दूसरे को हग करके खड़ी हुई थी ,,मैं ऑर कारण दोनो को ऐसी हालत मे देख कर मस्त हो गये
थे ,,क्यूकी दोनो क्या लग रही थी ,,,ये बताना मुश्किल था कि कॉन ज़्यादा सेक्सी लग रही है ,,करण की माँ या मेरी माँ
दोनो के भरे हुए जिस्म ,,बड़े बड़े बूब्स ,,मस्त मोटी गान्ड ऑर उपर से टाइट फिटिंग वाला सूट,,,जान निकाल कर रख
दी थी दोनो ने,,,,अभी दिल कर रहा था कि दोनो को नंगी करके जल्दी से बेड पर ले जाउ ऑर लंड पेल दूं दोनो की गान्ड
मे,,,,,अभी कुछ देर पहले मैं माँ की गान्ड मार कर आया था ऑर अब अलका आंटी को इमॅजिन कर रहा था वो भी बेड
पर पूरी तरह नंगी कुतिया बनी हुई ऑर मैं पीछे खड़ा उनकी गान्ड मे लंड पेल रहा था,,,
तभी आंटी ने मुझे आवाज़ दी,,,,हेलो सन्नी,,,,,मैं एक दम से नींद से जाग गया,,,हील्लूओ हेलो आंटी
अरे क्या हुआ इतना डरा हुआ क्यू है,,,,मैं कितना हसीन सपना देख रहा था आंटी की आवाज़ से मैं थोड़ा घबरा
गया ऑर सपने से निकल कर हक़ीक़त की दुनिया मे आ गया ,,,,
मेरी इस तरह बोखलाने से माँ ऑर करण मेरी तरफ़ देख कर हँसने लगे,,,,
कुछ नही आंटी जी बस मैं वो,,,,,
तभी माँ बीच मे बोल पड़ी,,,,,,,
बड़ा टाइम लगा दिया तूने अलका ,,,,थोड़ा ऑर लेट होती तो मैं बस जा ही रही थी,,,,
सॉरी दीदी घर से काफ़ी दूर थी तो वापिस आने मे टाइम लग गया,,,वो तो आपके आने का पता चला वर्ना मैने तो ऑर
भी ज़्यादा लेट आना था,,,,,
अच्छा छोड़ो इन बातों को ,,ऑर सुना क्या हाल है तेरा,,,
ठीक हूँ दीदी,,,,आप बैठो ना खड़ी क्यू हो,,,,,
माँ सोफे पर बैठ जाती है ओर मैं एक तरफ सिंगल सोफे पर बैठ गया करण भी दूसरी तरफ जाके बैठ गया,,,
कितने टाइम से तेरा वेट कर रही हूँ मैं अलका ,,,,
सॉरी बोला ना दीदी ,,बस ज़रा शॉपिंग मे बिज़ी हो गई थी,,,,अच्छा ये बातो ये करण ने आपको चाइ कोफ़ी दी या नही,,
हाँ हाँ चाइ भी दी ऑर कॉफी भी ,,,बहुत दिल लगा कर सेवा की इसने आज मेरी,,,
माँ की बात सुनके मैं ऑर करण हँसने लगे,,,,
सच मे दीदी,,,कॉफी बना के दी इसने आपको,,,,मुझे तो आज तक कभी पानी का ग्लास भी नही लाके दिया किचन से,,,
तेरे को सेवा करवानी ही नही आती अलका ,,पर अब तू टेन्षन मत ले मैं आ गई हूँ तो तुझे सिखा दूँगी कि बच्चों से
काम कैसे लेते है ऑर अपनी सेवा कैसे करवाते है,,,,
सच मे दीदी,,,,आप ही मेरी कुछ हेल्प करो ,,ये करण तो मेरी एक भी बात नही सुनता,,,जबसे इसके डॅड आउट ऑफ कंट्री
गये है तबसे मेरा कोई कहना ही नही मानता,,,,,आप ही कुछ बोलो इसको,,,
अच्छा तो ये कहना नही मानता तेरा,,,लेकिन मेरा तो बहुत कहना मानता है,,,,नही यकीन तो ये देख ज़रा,,,,
करण बेटा जल्दी किचन मे जाओ ऑर कॉफी बना कर लेके आओ,,,
जी आंटी जी अभी लेके आया ,,,,,
अरे वाह दीदी,,,आपकी बात कितनी जल्दी मान गया,,मुझे तो सॉफ सॉफ मना कर देता है,,,,,,,दीदी आप 2 मिनट रूको मैं
ज़रा फ्रेश होके आती हूँ फिर बात करते है,,,,,
ठीक है तो चल मैं भी तेरे साथ चलती हूँ तेरे रूम मे वहीं बैठ कर बात करते है,,,,
माँ आंटी के साथ जाने लगी ,,,माँ की चाल ठीक नही थी तो आंटी ने भी माँ से पूछ लिया,,,,,
ऐसे क्यू चल रही हो दीदी,,,चोट लगी है क्या टाँग मे
माँ कुछ नही बोली ओर गुस्से से मूड कर मुझे देखने लगी,,,मैं जल्दी से उठा ऑर किचन मे करण के पास चला गया
ऑर वो लोग रूम मे जाने लगी,,,,
हां अलका हल्की चोट लगी है,,,,रूम मे चल दिखाती हूँ तुझे,,,,इतना बोलकर वो रूम की तरफ चली गई,,,,,
रूम मे जाके सरिता बेड पर बैठ गई ऑर अलका बाथरूम मे फ्रेश होने चली गई,,,
कुछ देर बाद अलका फ्रेश होके बाथरूम से निकली ऑर बेड पर आके सरिता के पास बैठ गई,,,
इस से पहले वो कोई बात शुरू करते सन्नी ऑर करण भी कॉफी लेके आ गये,,,,
अरे वाह दीदी ,इतनी जल्दी कॉफी लेके आ गया करण ,,,मुझे तो पानी का ग्लास देने मे 1 घंटा लगा देता है ऑर कभी
कभी तो सुनता ही नही,,,,सॉफ मना ही कर देता है,,,,
क्यू माँ हर वक़्त ताने मारती रहती हो इतना तो कहा मानता हूँ तुम्हारा,,,,करण हल्का चिढ़ते हुए बोला,,
देखा दीदी अभी भी कैसे गुस्सा कर रहा है,,,जब देखो चिढ़ता रहता है,,,ऑर जब कोई काम बोलो तो ,,,
अलका तेरे को इसको क़ाबू मे करना नही आता ,,लेकिन अब तू डर मत मैं आ गई हूँ तो तेरे को सब कुछ सीखा दूँगी
कि जवान बेटे को क़ाबू मे कैसे करते है,,
तुम दोनो अपनी कॉफी लेके करण के रूम मे जाओ ऑर दोनो भाई वहीं बैठ कर बातें करो,,,,मैं आज अपनी बेहन के
साथ इतने टाइम बाद बैठी हूँ बहुत सारी बातें है करने के लिए,,,,,चलो जाओ यहाँ से ,,,,,
मैने ऑर करण ने अपनी कॉफी ली ओर रूम से बाहर आ गये,,,,,
अरे दीदी उनको क्यू भेज दिया ,,यही रहने देती ना उनको भी,,,
अरे पगली उनको यहाँ रहने देती तो तुझे अपनी चोट के बारे मे क्या बताती ऑर तुझे कैसे दिखाती कि जखम कितना
गहरा है,,,,,,
ओह्ह सॉरी दीदी मैं तो भूल ही गई थी कि आपको चोट लगी है,,,,,कहाँ लगी है चोट दिखाओ तो ज़रा ऑर कैसे लगी,,,
रुक रुक मेरी माँ ज़रा साँस तो ले ,,,सब कुछ बता दूँगी ,,लेकिन तू पहले या बता कि आज कल टाइम कैसे पास करती है,,
क्या करना दीदी ,,सारा दिन घर के काम मे लगी रहती हूँ ,,,करण कॉलेज चला जाता है तो शिखा के साथ घर का
काम करती रहती हूँ,,,,
अच्छा शिखा के बारे मे कुछ सोचा कि नही,,,,
क्या सोचना था दीदी शिखा के बारे मे,,,,,,
मेरा मतलब है उसकी दूसरी शादी के बारे मे कुछ सोचा या नही,,,,,
नही दीदी अभी कुछ नही सोचा ,,अगर सोचो भी तो वो मना कर देती थी,,पहले तो बोलती थी थोड़ा टाइम चाहिए सोचने
के लिए लेकिन अब तो कुछ दिनो से शादी के नाम पर भी गुस्सा करती है,,,,बोलती है कि अब शादी ही नही करनी,,,,बहुत ज़ोर
डाला लेकिन अब नही मानती शादी के लिए,,,,ऑर वैसे भी इतनी बड़ी जवान बेटी पर ज़्यादा ज़ोर भी तो नही डाला जा सकता ,,ये
तो अब अच्छा हुआ कि शोभा के साथ उसके बुटीक जाने लगी है काम मे लगी रहेगी तो दिल बहल जाया करेगा घर पर
तो सारा दिन बोर ही होती रहती है ,,,,
हाँ बात तो ठीक है लेकिन अब शादी तो करनी ही होगी उसकी,,,लेकिन इस बार लड़का देख परख कर शादी करना कहीं
पहले जैसा निखट्टू ना हो ,,जिस से कुछ होता ही ना हो,,,,
हाँ दीदी सही बोला आपने ,,अब तो लड़के के बारे मे सब कुछ जान परख कर ही बात आगे पक्की करूँगी,,,,वर्ना फिर से मेरी
बेटी की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी ओर मैं ऐसा नही चाहती,,,,
शिखा को कोई लड़का पस्संद है क्या,,उससे किसी से प्यार तो नही जो शादी के लिए मना कर रही है,,,तूने कभी पूछा
क्या उस से,,,,अगर उसको कोई लड़का पस्संद है तो उसको अपनी मर्ज़ी से शादी कर लेने दो,,,,
मुझे कोई एतराज़ नही दीदी वो चाहे तो अपनी मर्ज़ी से शादी करे ,,मुझे तो इसी बात की खुशी होगी कि मेरी बेटी का घर
बस गया है,,,,,लेकिन उसको कोई लड़का पसंद नही,,,कुछ महीने पहले एक लड़का अच्छा लगता था उसको उसने मुझसे बात
भी की थी लेकिन बाद मे पता नही क्या हुआ ,,दोबारा कभी बात भी नही की उसके बारे मे ,,,मैने पूछा तो बोलने
लगी कि माँ अब उसका नाम भी मत लेना,,,,,शायद झगड़ा हो गया होगा या ऑर किसी ऑर लड़की के चक्कर मे होगा ,,शायद
धोखा दे रहा होगा मेरी बेटी को,,,,
हाँ हो सकता है अलका,,,लड़की कभी धोखा बर्दाश्त नही करती ऑर ना ही कभी नपुंसक पति को बर्दाश्त करती है,,,
सही बोला दीदी तभी तो पहले पति से तलाक़ हुआ है मेरी बेटी का,,,,
मैं जानती हूँ अलका ,,,वो कमीना अगर कुछ करता होता तो हमारी बेटी आज तलाक़ करके हमारे पास नही रहती ,,लड़की
घर मे 4 की जगह 2 रोटी खा सकती है लेकिन अपने पति के प्यार के लिए भूखी नही रह सकती,,,,
बिल्कुल सही कहा दीदी अपने,,,मेरी बेटी को अगर पूरा सुख मिलता उस घर मे तो ये बेचारी तलाक़ क्यू करती,,,उस कमिने
ने तो 6 महीने मे बस कुछ बार ही मेरी बेटी को सुख दिया ,,कितना तरस आया था मुझे मेरी बेटी पर,,,,ऑर उस कमिने
पर गुस्सा ,,,अगर कुछ कर नही सकता था तो शादी करके मेरी बेटी की ज़िंदगी क्यू बर्बाद की,,,
ठीक बोला तूने अलका ,,लेकिन अब ये बता कि तुझे अब कैसे सुख मिलता है जीजा जी तो काफ़ी महीने से बाहर गये हुए है,,,
तभी अलका शर्मा जाती है,,,,क्या बोल रही हो दीदी ,,,,
शर्मा क्यू रही है ,,,मैने सब देख लिया है,,,,,
क्या देख लिया दीदी अपने,,,,अलका थोड़ा शरमाते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी,,,,,
वही तेरे हाथ मे पकड़ी हुई बास्केट जिसमे सब्जिया थी ऑर बीच ही पड़ा था सब्जियों का राजा ,,,बैंगन,,,वो भी इतना
लंबा लंबा,,,,,,
अलका कुछ ज़्यादा ही शरमाते हुए,,,,अरे नही दीदी वो तो मुझे बैंगन खाना बहुत अच्छा लगता है,,,,,इसलिए लेके आई हूँ
जहाँ सोफे के पास मेरे ऑर कारण के कपड़े पड़े हुए थे ,,मैने ऑर करण ने कपड़े पहन लिए ऑर इतनी देर मे माँ
भी करण के रूम से बाहर आ गई,,,माँ की चाल कुछ ठीक नही थी क्यूकी अभी कुछ देर पहले मैने ऑर करण ने माँ
की सुखी गान्ड मारी थी वो भी खुश्क लंड से ,,,उनको शायद दर्द हो रहा था जो उनकी चाल से सॉफ ज़ाहिर हो रहा था,,,
मैने ऑर करण ने माँ की तरफ हँसके देखा तो माँ ने भी हम लोगो की तरफ हँसके देखा ,,ऑर करीब आके अपने
कपड़े उठा कर पहनने लगी,,,,
क्या हुआ माँ ऐसे क्यू चल रही थी ,,,मैने मज़ाक मे पूछा,,,,,
कमिने अभी इतनी जबरदस्त गान्ड मारी है मेरी वो भी बिना आयिल के अब पूछता है क्या हुआ,,,,माँ थोड़े गुस्से मे
बोली,,
माँ तूने ही तो बोला था कि औरत को जब चुदाई करते टाइम दर्द होता है तभी उसको ज़्यादा मज़ा आता है,,,,मैने तो
तेरी ही बात पूरी की है,,,,
अच्छा मेरी बात पूरी की है ,,मैने हल्के दर्द की बात की थी गान्ड फाड़ने वाले दर्द की नही,,,,तूने तो इतनी बुरी तरह
से चोदा है कि अभी तक रह रह कर दर्द की लहर उठ रही है पूरे जिस्म मे,,,
मैने तो ज़्यादा दर्द नही दिया ना आंटी जी,,करण बीच मे बोल पड़ा,,,,,
कोशिश तो तूने भी की थी करण बेटा लेकिन तेरा मूसल लंबा तो है लेकिन सन्नी के मूसल जितना मोटा नही है ,,अगर
होता तो तू भी दर्द देने मे पीछे नही रहता ,,,,
ग़लती हो गई माँ अब दोबारा ऐसे नही करूँगा,,,,माफ़ कर्दे,,,
अरे नही पागल ऐसा मत बोल,,,ऐसा बोल कि माँ हर बार ऐसा ही करूँगा और ऐसे ही जबरदस्त तरीके से गान्ड मारूँगा
लेकिन खुश्क लंड से नही हल्का आयिल लगा कर,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी ओर कपड़े पहन कर सोफे पर बैठ गई ऑर
अपने पर्स से कुछ मेक-अप का समान निकाल कर अपना हुलिया ठीक करने लगी क्यूकी अलका आंटी कभी भी आ सकती थी
ऑर ऐसा ही हुआ अभी हम लोग कपड़े पहन कर ठीक तरह से बैठे ही थे कि डोर बेल बजी ,,,
मैं ऑर माँ ठीक तरह से बैठ गये ऑर करण ने जल्दी से अपने बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया क्यूकी उसके रूम
मे बेडशीट गंदी हो गई थी ऑर बेड का हाल भी बुरा था,,,वो जल्दी से अपने रूम को बंद करके बाहर गेट खोलने
चला गया,,,,
कुछ देर बाद अलका आंटी अंदर आ गई,,,,जैसे आज माँ को देख कर मेरा बुरा हाल हो गया था जब उन्होने टाइट
फिटिंग वाला सूट पहना हुआ था उसी तरह अलका आंटी को देख कर भी मेरा बुरा हाल हो गया,,,
अलका आंटी ने भी हल्के पिंक कलर का एक दम टाइट सूट पहना हुआ था,,,मेरी माँ की तरह उनके बूब्स भी बहुत
बड़े बड़े थे जो आधे से ज्याद सूट से बाहर निकले हुए थे ,,सूट इतना टाइट था कि उनकी बॉडी का एक एक पार्ट खुल
कर नज़र आ रहा था ,,
तभी वो अंदर आते ही अपने हाथ मे पकड़ा हुआ कुछ समान ऑर एक बास्केट ज़मीन पर रख कर माँ की तरफ बढ़ी,,
माँ भी आंटी को अपने करीब आता देख सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,,
नमस्ते दीदी,,इतना बोलकर आंटी माँ के गले लग गई ऑर माँ ने भी उसकी बात का जवाब देके उनको अपनी बाहों मे
भर लिया ,,,वो दोनो एक दूसरे को हग करके खड़ी हुई थी ,,मैं ऑर कारण दोनो को ऐसी हालत मे देख कर मस्त हो गये
थे ,,क्यूकी दोनो क्या लग रही थी ,,,ये बताना मुश्किल था कि कॉन ज़्यादा सेक्सी लग रही है ,,करण की माँ या मेरी माँ
दोनो के भरे हुए जिस्म ,,बड़े बड़े बूब्स ,,मस्त मोटी गान्ड ऑर उपर से टाइट फिटिंग वाला सूट,,,जान निकाल कर रख
दी थी दोनो ने,,,,अभी दिल कर रहा था कि दोनो को नंगी करके जल्दी से बेड पर ले जाउ ऑर लंड पेल दूं दोनो की गान्ड
मे,,,,,अभी कुछ देर पहले मैं माँ की गान्ड मार कर आया था ऑर अब अलका आंटी को इमॅजिन कर रहा था वो भी बेड
पर पूरी तरह नंगी कुतिया बनी हुई ऑर मैं पीछे खड़ा उनकी गान्ड मे लंड पेल रहा था,,,
तभी आंटी ने मुझे आवाज़ दी,,,,हेलो सन्नी,,,,,मैं एक दम से नींद से जाग गया,,,हील्लूओ हेलो आंटी
अरे क्या हुआ इतना डरा हुआ क्यू है,,,,मैं कितना हसीन सपना देख रहा था आंटी की आवाज़ से मैं थोड़ा घबरा
गया ऑर सपने से निकल कर हक़ीक़त की दुनिया मे आ गया ,,,,
मेरी इस तरह बोखलाने से माँ ऑर करण मेरी तरफ़ देख कर हँसने लगे,,,,
कुछ नही आंटी जी बस मैं वो,,,,,
तभी माँ बीच मे बोल पड़ी,,,,,,,
बड़ा टाइम लगा दिया तूने अलका ,,,,थोड़ा ऑर लेट होती तो मैं बस जा ही रही थी,,,,
सॉरी दीदी घर से काफ़ी दूर थी तो वापिस आने मे टाइम लग गया,,,वो तो आपके आने का पता चला वर्ना मैने तो ऑर
भी ज़्यादा लेट आना था,,,,,
अच्छा छोड़ो इन बातों को ,,ऑर सुना क्या हाल है तेरा,,,
ठीक हूँ दीदी,,,,आप बैठो ना खड़ी क्यू हो,,,,,
माँ सोफे पर बैठ जाती है ओर मैं एक तरफ सिंगल सोफे पर बैठ गया करण भी दूसरी तरफ जाके बैठ गया,,,
कितने टाइम से तेरा वेट कर रही हूँ मैं अलका ,,,,
सॉरी बोला ना दीदी ,,बस ज़रा शॉपिंग मे बिज़ी हो गई थी,,,,अच्छा ये बातो ये करण ने आपको चाइ कोफ़ी दी या नही,,
हाँ हाँ चाइ भी दी ऑर कॉफी भी ,,,बहुत दिल लगा कर सेवा की इसने आज मेरी,,,
माँ की बात सुनके मैं ऑर करण हँसने लगे,,,,
सच मे दीदी,,,कॉफी बना के दी इसने आपको,,,,मुझे तो आज तक कभी पानी का ग्लास भी नही लाके दिया किचन से,,,
तेरे को सेवा करवानी ही नही आती अलका ,,पर अब तू टेन्षन मत ले मैं आ गई हूँ तो तुझे सिखा दूँगी कि बच्चों से
काम कैसे लेते है ऑर अपनी सेवा कैसे करवाते है,,,,
सच मे दीदी,,,,आप ही मेरी कुछ हेल्प करो ,,ये करण तो मेरी एक भी बात नही सुनता,,,जबसे इसके डॅड आउट ऑफ कंट्री
गये है तबसे मेरा कोई कहना ही नही मानता,,,,,आप ही कुछ बोलो इसको,,,
अच्छा तो ये कहना नही मानता तेरा,,,लेकिन मेरा तो बहुत कहना मानता है,,,,नही यकीन तो ये देख ज़रा,,,,
करण बेटा जल्दी किचन मे जाओ ऑर कॉफी बना कर लेके आओ,,,
जी आंटी जी अभी लेके आया ,,,,,
अरे वाह दीदी,,,आपकी बात कितनी जल्दी मान गया,,मुझे तो सॉफ सॉफ मना कर देता है,,,,,,,दीदी आप 2 मिनट रूको मैं
ज़रा फ्रेश होके आती हूँ फिर बात करते है,,,,,
ठीक है तो चल मैं भी तेरे साथ चलती हूँ तेरे रूम मे वहीं बैठ कर बात करते है,,,,
माँ आंटी के साथ जाने लगी ,,,माँ की चाल ठीक नही थी तो आंटी ने भी माँ से पूछ लिया,,,,,
ऐसे क्यू चल रही हो दीदी,,,चोट लगी है क्या टाँग मे
माँ कुछ नही बोली ओर गुस्से से मूड कर मुझे देखने लगी,,,मैं जल्दी से उठा ऑर किचन मे करण के पास चला गया
ऑर वो लोग रूम मे जाने लगी,,,,
हां अलका हल्की चोट लगी है,,,,रूम मे चल दिखाती हूँ तुझे,,,,इतना बोलकर वो रूम की तरफ चली गई,,,,,
रूम मे जाके सरिता बेड पर बैठ गई ऑर अलका बाथरूम मे फ्रेश होने चली गई,,,
कुछ देर बाद अलका फ्रेश होके बाथरूम से निकली ऑर बेड पर आके सरिता के पास बैठ गई,,,
इस से पहले वो कोई बात शुरू करते सन्नी ऑर करण भी कॉफी लेके आ गये,,,,
अरे वाह दीदी ,इतनी जल्दी कॉफी लेके आ गया करण ,,,मुझे तो पानी का ग्लास देने मे 1 घंटा लगा देता है ऑर कभी
कभी तो सुनता ही नही,,,,सॉफ मना ही कर देता है,,,,
क्यू माँ हर वक़्त ताने मारती रहती हो इतना तो कहा मानता हूँ तुम्हारा,,,,करण हल्का चिढ़ते हुए बोला,,
देखा दीदी अभी भी कैसे गुस्सा कर रहा है,,,जब देखो चिढ़ता रहता है,,,ऑर जब कोई काम बोलो तो ,,,
अलका तेरे को इसको क़ाबू मे करना नही आता ,,लेकिन अब तू डर मत मैं आ गई हूँ तो तेरे को सब कुछ सीखा दूँगी
कि जवान बेटे को क़ाबू मे कैसे करते है,,
तुम दोनो अपनी कॉफी लेके करण के रूम मे जाओ ऑर दोनो भाई वहीं बैठ कर बातें करो,,,,मैं आज अपनी बेहन के
साथ इतने टाइम बाद बैठी हूँ बहुत सारी बातें है करने के लिए,,,,,चलो जाओ यहाँ से ,,,,,
मैने ऑर करण ने अपनी कॉफी ली ओर रूम से बाहर आ गये,,,,,
अरे दीदी उनको क्यू भेज दिया ,,यही रहने देती ना उनको भी,,,
अरे पगली उनको यहाँ रहने देती तो तुझे अपनी चोट के बारे मे क्या बताती ऑर तुझे कैसे दिखाती कि जखम कितना
गहरा है,,,,,,
ओह्ह सॉरी दीदी मैं तो भूल ही गई थी कि आपको चोट लगी है,,,,,कहाँ लगी है चोट दिखाओ तो ज़रा ऑर कैसे लगी,,,
रुक रुक मेरी माँ ज़रा साँस तो ले ,,,सब कुछ बता दूँगी ,,लेकिन तू पहले या बता कि आज कल टाइम कैसे पास करती है,,
क्या करना दीदी ,,सारा दिन घर के काम मे लगी रहती हूँ ,,,करण कॉलेज चला जाता है तो शिखा के साथ घर का
काम करती रहती हूँ,,,,
अच्छा शिखा के बारे मे कुछ सोचा कि नही,,,,
क्या सोचना था दीदी शिखा के बारे मे,,,,,,
मेरा मतलब है उसकी दूसरी शादी के बारे मे कुछ सोचा या नही,,,,,
नही दीदी अभी कुछ नही सोचा ,,अगर सोचो भी तो वो मना कर देती थी,,पहले तो बोलती थी थोड़ा टाइम चाहिए सोचने
के लिए लेकिन अब तो कुछ दिनो से शादी के नाम पर भी गुस्सा करती है,,,,बोलती है कि अब शादी ही नही करनी,,,,बहुत ज़ोर
डाला लेकिन अब नही मानती शादी के लिए,,,,ऑर वैसे भी इतनी बड़ी जवान बेटी पर ज़्यादा ज़ोर भी तो नही डाला जा सकता ,,ये
तो अब अच्छा हुआ कि शोभा के साथ उसके बुटीक जाने लगी है काम मे लगी रहेगी तो दिल बहल जाया करेगा घर पर
तो सारा दिन बोर ही होती रहती है ,,,,
हाँ बात तो ठीक है लेकिन अब शादी तो करनी ही होगी उसकी,,,लेकिन इस बार लड़का देख परख कर शादी करना कहीं
पहले जैसा निखट्टू ना हो ,,जिस से कुछ होता ही ना हो,,,,
हाँ दीदी सही बोला आपने ,,अब तो लड़के के बारे मे सब कुछ जान परख कर ही बात आगे पक्की करूँगी,,,,वर्ना फिर से मेरी
बेटी की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी ओर मैं ऐसा नही चाहती,,,,
शिखा को कोई लड़का पस्संद है क्या,,उससे किसी से प्यार तो नही जो शादी के लिए मना कर रही है,,,तूने कभी पूछा
क्या उस से,,,,अगर उसको कोई लड़का पस्संद है तो उसको अपनी मर्ज़ी से शादी कर लेने दो,,,,
मुझे कोई एतराज़ नही दीदी वो चाहे तो अपनी मर्ज़ी से शादी करे ,,मुझे तो इसी बात की खुशी होगी कि मेरी बेटी का घर
बस गया है,,,,,लेकिन उसको कोई लड़का पसंद नही,,,कुछ महीने पहले एक लड़का अच्छा लगता था उसको उसने मुझसे बात
भी की थी लेकिन बाद मे पता नही क्या हुआ ,,दोबारा कभी बात भी नही की उसके बारे मे ,,,मैने पूछा तो बोलने
लगी कि माँ अब उसका नाम भी मत लेना,,,,,शायद झगड़ा हो गया होगा या ऑर किसी ऑर लड़की के चक्कर मे होगा ,,शायद
धोखा दे रहा होगा मेरी बेटी को,,,,
हाँ हो सकता है अलका,,,लड़की कभी धोखा बर्दाश्त नही करती ऑर ना ही कभी नपुंसक पति को बर्दाश्त करती है,,,
सही बोला दीदी तभी तो पहले पति से तलाक़ हुआ है मेरी बेटी का,,,,
मैं जानती हूँ अलका ,,,वो कमीना अगर कुछ करता होता तो हमारी बेटी आज तलाक़ करके हमारे पास नही रहती ,,लड़की
घर मे 4 की जगह 2 रोटी खा सकती है लेकिन अपने पति के प्यार के लिए भूखी नही रह सकती,,,,
बिल्कुल सही कहा दीदी अपने,,,मेरी बेटी को अगर पूरा सुख मिलता उस घर मे तो ये बेचारी तलाक़ क्यू करती,,,उस कमिने
ने तो 6 महीने मे बस कुछ बार ही मेरी बेटी को सुख दिया ,,कितना तरस आया था मुझे मेरी बेटी पर,,,,ऑर उस कमिने
पर गुस्सा ,,,अगर कुछ कर नही सकता था तो शादी करके मेरी बेटी की ज़िंदगी क्यू बर्बाद की,,,
ठीक बोला तूने अलका ,,लेकिन अब ये बता कि तुझे अब कैसे सुख मिलता है जीजा जी तो काफ़ी महीने से बाहर गये हुए है,,,
तभी अलका शर्मा जाती है,,,,क्या बोल रही हो दीदी ,,,,
शर्मा क्यू रही है ,,,मैने सब देख लिया है,,,,,
क्या देख लिया दीदी अपने,,,,अलका थोड़ा शरमाते हुए अपने कपड़े ठीक करने लगी,,,,,
वही तेरे हाथ मे पकड़ी हुई बास्केट जिसमे सब्जिया थी ऑर बीच ही पड़ा था सब्जियों का राजा ,,,बैंगन,,,वो भी इतना
लंबा लंबा,,,,,,
अलका कुछ ज़्यादा ही शरमाते हुए,,,,अरे नही दीदी वो तो मुझे बैंगन खाना बहुत अच्छा लगता है,,,,,इसलिए लेके आई हूँ