Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही - Page 47 - SexBaba
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Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही

अहह उहह हहयययययययययईईईई वो सिसकियाँ लेती हुई अपने सर को
बेड पर इधर उधर हिला रही थी,,,,तड़प रही थी मचल रही थी,,,वो पूरी गर्म थी
कुछ देर चूत को चाटने और चूसने के बाद मैं उठकर खड़ा हुआ बेड पर और अपनी निक्केर
उतारने लगा अभी मेरी निक्केर पूरी तरह से उतरी नही थी कि कविता ने मेरे लंड को अपने
हाथों मे पकड़ लिया और मेरे लंड पर हल्की हल्की किस करने लगी,,,मैने उसकी तरफ
देखा तो वो शरमा गयी,,फिर आँखें बंद करके अपने मुँह को खोला और लंड को मुँह मे लेने
लगी,,,,उसका मुँह बहुत छोटा और क्यूट था ,,,उसका मुँह इतना नही खुल रहा था कि मेरा लंड
अंदर जा सके लेकिन वो कोशिश कर रही थी और कामयाब भी हो गयी थी,,,कुछ देर मे मेरा
3 इंच लंड उसके मुँह मे था,,उसको मुश्किल हो रही थी इसलिए उसने अपनी ज़ुबान को मुँह से
बाहर निकाल लिया जिस से ज़्यादा जगह बन गयी उसके मुँह मे और उसको लंड मुँह मे भरने मे
आसानी होने लगी,,,,वो मेरा 3-4 इंच लंड मुँह मे लेके चूस रही थी और मैं बेड पर खड़ा
हुआ उसकी तरफ देख रहा था,,,,उसकी आँखें बंद थी,,,





फिर उसने अपनी आँखें खोली और जब मुझे अपनी तरफ देखते हुए पाया तो जल्दी से आँखें
बंद करली,,,मैं उसकी इस हरकत से खुश हो गया,,,,,,वो करीब 5-7 मिनिट मेरा लंड
चुस्ती रही फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर लेटा दिया और खुद मेरे उपर आ गयी
और मेरे उपर आते ही मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और मेरे लंड पर बैठने
लगी जिस से मेरा लंड उसकी चूत मे घुस गया,,,,उसने अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर
रखे और अपनी कमर को हल्के हल्के उपर नीचे करने लगी और मेरे लंड पर उपर नीचे होके
अपनी चुदाई करवाने लगी,,,,मैने भी अपने हाथ उसके बूब्स पर रख दिए और हल्के हल्के
मसल्ने लगा,,,,,,





क्या हुआ आज बड़ी मस्ती मे हो कविता,,,,,,,,





पत्ता नाहहिि सुउन्नयी बॉयाड्डया डिल्ल्ल्ल कारर राहहा था मस्स्त्तीी कररननी कूओ इसलिए
टूऊ तुुझहही आपपंनी सात्तह सुउल्ला रहहीी त्ीईिइ,,अहह उहह
हययइईईईईईई पपाटता नाहहिईिइ ससुउबबाहह सीईए भ्हुत्त् डिल्ल्ल्ल त्ााआआअ
मीर्राआ आहह तुउउउ कूल्लग्ग्गी कच्छाल्ला ग्ययाअ औरर्र मैईन्न्न घहाआरररर पर
बूर्री होत्तीीई रहहिईिइ तुऊउ घहररर पीईएर हूत्ताअ तूओ सुउबब्बहह हिी मास्स्त्तिीई
कारर्र लेटटीीई टीररी सात्तह,,,,,,,ऊऊऊओह हहयइईईईईई क्कीिट्त्न्ना
माज्ज़जा र्रहहा हहाईईईई सुउन्न्ञनययययी अहह भ्हुत्त् ंमाज़्ज़जा आ र्राहहा हाीइ




सच मे मज़ा आ रहा है कविता,,,,,





हान्ं सुउन्न्णी भ्हुत्त्त माज्जा आ राहहा हाईईइ,,,तुंमहराअ ये भूत्त् बड्डा हाईईइ
भ्हुत्त्त मज्ज़जा डेटताअ हाई,,दर्रद्द भीइ देत्ता हाीइ लेकिन्न्न्न् एब्ब नाहहिि पहल्लीए
पहल्ली भ्हुत्त् दर्द्दद्ड देत्त्ता था ,,आब्ब्ब तूओ सिर्रफ़्फ़ माअज़्जा देत्ता हाीइ,,,,,




अच्छा अब मज़ा देता है,,कितना मज़ा देता है अब,,,,,





बहुत मज़ा देता हाइईइ सुउन्नयययी,,,प्लज़्ज़्ज़ आब बूल्ल्ल मॅट मज्जा दीए मुुझहही ,,अहह
ऊओह हयइईईईईईईईईई





मैने उसकी बात सुनी और जल्दी से उसकी बेड पर पीछे की तरफ झुका दिया और खुद उसकी
टाँगों के बीच मे बैठ गया,,,,,वो बेड पर लेट गयी और मैं उसकी टाँगों के बीच बैठ
कर उसके बूब्स पर हाथ रखकर उसकी चुदाई करने लगा,,,,कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने
के बाद मैने उसको बेड पर झुका कर कुतिया बना दिया और खुद पीछे से उसकी चुदाई करने
लगा,,,,कुछ देर चूत मारने के बाद मैने लंड बाहर निकाला और उसकी गान्ड पर रखा ,,,




नही यहाँ मत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त काररू दार्र्द्द हूटता हाीइ ,,,,,




मैने लंड को वापिस उसकी चूत मे डाल दिया क्यूकी मैं उसको दर्द नही देना चाहता था,प्यार
करता था उसको,,,इसलिए जैसा उसको मंजूर वैसा मुझे मंजूर,,,,




मैं पीछे से उसकी चूत मार रहा था और वो सिसकियाँ ले रही थी,,,,,अहह ऊहह
हयीईईईईईईईई ऊऊओह म्हममम्म्ममममममममममममम




वो सिसकियाँ लेती हुई मेरी पीठ पीछे दरवाजे की तरफ देख रही थी,,,,मैने भी उसकी
नज़र का पीछा किया और पीछे दरवाजे की तरफ देखा तो परेशान हो गया,,,,,वहाँ सोनिया
खड़ी हुई थी दरवाजे पर,,,,वो बस आँखें फाड़ फाड़ कर मुझे और कविता को देख रही थी,
मैं डर गया और रुक गया तभी कविता ने जल्दी से मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे उपर
आ गयी,,,,मेरा ध्यान सोनिया की तरफ था,,,,वो बस हम लोगो को देख रही थी,,,,ना तो वो
अपनी चूत को सहला रही थी ना बूब्स को,,,बस हम लोगो को देख रही थी,,,मैं तो डर के
रुक गया था लेकिन कविता नही रुकी,,,मुझे बेड पर लेटा कर वो मेरे उपर आके खुद अपनी
चुदाई करवाने लगी,,,,




सोनिया मेरी तरफ देख रही थी मेरी आँखों मे और मैं उसकी आँखों मे देख रहा था,और
कविता खुद अपनी चुदाई करवा रही थी,,,तभी कुछ देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ना
शुरू कर दिया,,,कितने टाइम बाद ये तो पता नही क्यूकी मेरा ध्यान अब चुदाई पर नही
सोनिया की तरफ था,,,,,मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू किया तो कविता मेरे उपर से उतर
गयी और साइड पर लेट गयी,,शायद उसका भी पानी निकल गया था,,,,,जैसे ही कविता मेरे जिस्म
से नीचे उतरी सोनिया वहाँ से चली गयी,,,,,
 
कुछ देर बाद कविता की हालत ठीक हुई तो वो मुझे किस करने लगी,,,,,,मैं उसको किस
का रेस्पॉन्स नही दे रहा था क्यूकी मैं थोड़ा परेशान था,,,,,,





सॉरी सन्नी,,,ये सब सोनिया का प्लान था,,,,वो तेरे साथ कुछ कर तो नही सकती थी लेकिन
अब वो तेरी तरफ आकर्षित होने लगी थी इसलिए तुझे ये सब करते देखना चाहती थी,तभी
तो मैं तुझे हम लोगो के साथ सोने को बोल रही थी लेकिन उसने मना कर दिया,,फिर उसी ने
मुझे यहाँ आने को बोला था इस रूम मे,,,,,




उसने बोला था,,, तो क्या तेरा दिल नही कर रहा था यहाँ आने को,,,,




मेरा भी दिल कर रहा था बुद्धू ,,लेकिन जब उसने बोला तो मुझे और भी अच्छा लगा क्यूकी मैने
उसको बता दिया था मेरा बहुत दिल कर रहा है इसलिए उसने बोला कि मैं तेरे पास जा सकती
हूँ लेकिन एक शर्त पर,,उसको हम लोगो को ये सब करते देखना है,,,मुझे कोई प्राब्लम
नही थी तो मैं मान गयी,,,,,




वो ये सब देख सकती है तो करने से क्यूँ डरती है,,,,


सन्नी वो तेरी बहन है,,,तू समझा कर,,,,एक तो वो तेरी और तेरी फॅमिली की वो सब बातों
को भुला नही सकी अभी तक,,,उसको गुस्सा आता है जब भी तुझे सरिता शोभा और गीता के
साथ एक ही बेड पर सोचती है,,,वो परेशान है उसको खुद पता नही चल रहा वो क्या करे
तू भी प्लज़्ज़्ज़ समझा कर उसकी बात को,,,,




अब तो मैं वो सब नही करता ना,,,अब तो मैं सबसे दूर रहता हूँ,,,बस तुम दोनो के
करीब हूँ,,फिर उसको क्या प्राब्लम है,,,,,




वो तेरी बहन है यही उसकी प्राब्लम है सन्नी,,,




तो शोभा भी मेरी बहन थी,,,,फिर भी तो मैने उसके साथ ये सब किया ना,,,,तो सोनिया को
क्या प्राब्लम है ,,,,




उनके साथ जो तूने किया उसमे तुम सब की रज़ामंदी थी,,,लेकिन सोनिया की रज़ामंदी नही है
तेरे साथ कुछ करने की,,,,जिस दिन उसकी रज़ामंदी होगी शायद वो भी तैयार हो जाए,,लेकिन
तब तक तू कुछ नही करेगा समझा,,,,,उसको कुछ टाइम दे इस सब से उभरने मे,,,





मैं कविता की बात समझ गया,,,,,फिर कविता उठी और कपड़े पहन कर वहाँ से सोनिया के
पास चली गयी,,,मैं ऐसे ही नंगा सो गया ,,,,,लेकिन नींद कहाँ थी आँखों मे मुझे तो
बस सोनिया की वो 2 आँखें नज़र आ रही थी जो मुझे और कविता को देख रही थी,,,,जब वो
देख सकती है तो कर क्यूँ नही सकती,,,वैसे कविता की एक बात सही थी,,जो भी मेरे और
मेरी फॅमिली के बीच हुआ उसमे सब की रज़ामंदी थी,,,,मुझे सोनिया की रज़ामंदी का इंतजार
करना चाहिए,,,,,लेकिन वो डरती है,,,,अगर कभी उसकी रज़ामंदी ना हुई तो,,,,,क्या मैं
बस दूर दूर से ही उसको प्यार करता रहूँगा,,,,क्या कभी मैं उसको पूरी तरह से हाँसिल
भी कर पाउन्गा या नही,,,,,यही सब सोचते हुए मुझे नींद आ गयी

सुबह उठा और फ्रेश होके नीचे गया तो सोनिया और कविता नाश्ता कर रही थी मैं भी जाके
नाश्ता करने लगा,,,कविता बहुत खुश लग रही थी लेकिन जैसे ही मैने सोनिया की तरफ
देखा उसने जल्दी से अपना चेहरा झुका लिया और नाश्ता करने लगी,,,वो मेरे से नज़रे मिलाने
से डर रही थी,,,वैसे मैं भी डर रहा था क्यूकी उसने रात मुझे कविता के साथ उस
हालत मे जो देख लिया था,,,,लेकिन वो वहाँ से गयी नही जब तक कि मेरा और कविता का काम
पूरा नही हो गया था,,,,बुत उसकी एक बात मुझे समझ नही आई,,वो कविता और मुझे सेक्स करते
हुए देख रही थी दरवाजे के पास खड़ी होके लेकिन वो खुद कुछ नही कर रही थी,,,,ना
तो अपने जिस्म से खेल रही थी और ना ही अपने बूब्स और चूत को सहला रही थी बस एक
नज़र टिका कर मुझे और कविता को देख रही थी,,,,क्या उसको वो सब अच्छा नही लग रहा था
लेकिन अगर अच्छा नही लग रहा था तो फिर वो इतनी देर तक रुकी क्यूँ रही ,,अपने कमरे मे
वापिस क्यूँ नही चली गयी,,



यही सब सोचते हुए नाश्ता ख़तम हो गया और हम सब कॉलेज की तरफ चल पड़े,,,कविता
मेरे साथ आगे बैठी हुई थी जबकि सोनिया पीछे की सीट पर थी,,,,मैं मिरर मे उसकी
तरफ देख रहा था ,,जब भी उसकी और मेरी नज़रे आपस मे टकराती वो ध्यान कार से बाहर की
तरफ कर लेती लेकिन मैं उसकी तरफ़ देखता जाता,,,,फिर कविता ने मेरे हाथ पर अपना हाथ
मारा और जब मैने कविता की तरफ देखा तो उसने मुझे सोनिया को घूर्ने से मना कर दिया,,




हम लोग कॉलेज पहुँच गये,,सोनिया और कविता जल्दी से कार से उतर कर एक लड़कियों के
ग्रूप की तरफ चली गयी,,,,,वहाँ जाके वो दोनो हँस हँस के बातें कर रही थी,,मैं
भी कार से उतर कर कॅंटीन की तरफ जाने लगा ,,,आज कॉलेज मे सब लोग बहुत खुश थे
हर तरफ सुरेश और अमित की बात हो रही थी,,,





मैं जाके कॅंटीन मे बैठ गया,,,कॉलेज मे पार्टी का महॉल था,, लगता नही था आज कोई
स्टडी के मूड मे है,,,,,कॅंटीन भी फुल थी आज,,,,मैं कॅंटीन मे बैठा हुआ था तभी
कॅंटीन वाला मेरे पास आया,,,,उसके साथ एक लड़की थी,,,




कॅंटीन वाले ने लड़की को मेरे से मिलवाया,,,,,,ये है सन्नी ,,लो मिल लो सन्नी को,,,



उस लड़की ने मुझे नमस्ते बोला,,,,,नमस्ते सन्नी भैया,,,





मैने भी उसको नमस्ते बोला,,,,पता चला वो लड़की कॅंटीन वाले की बहन थी,,,अमित की
वजह से जो एक लड़की मरी थी वो कॅंटीन वाले की बहन की अच्छी दोस्त थी,,,लेकिन ग़रीब
घर को होने की वजह से और अमित के बाप की पॉवर की वजह से उसको इंसाफ़ नही मिल सका
था,,,,अब कॅंटीन वाले ने उसको बता दिया था कि अमित मेरी वजह से पकड़ा गया है तो उसकी
बहन मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोलने आई थी,,,,





थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भैया,,,,वो बोलने ही लगी थी कि कॅंटीन वाला उसको इशारा करते हुए बोलने
लगा,,,,,,थोड़ा आराम से बात कर छोटी कोई सुन ना ले,,,किसी को पता नही चलना चाहिए
इस सब के पीछे सन्नी भाई का हाथ है,,,समझी,,,,




लड़की ने हां मे सर हिला दिया और फिर धीरे आवाज़ मे बोली,,,थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भैया आपकी
वजह से अमित और सुरेश पकड़े गये,,,हम कॉलेज की लड़कियाँ बहुत तंग आ गयी थी उन दोनो
से ,,मैने कई बार भाई से भी शिकायत की थी उनकी लेकिन भाई कुछ नही कर सका,,लेकिन
अब आपकी वजह से वो दोनो कामीने इस कॉलेज से दूर चले गये है आपको नही पता कॉलेज
के सभी लोग कितने खुश है,,,,अगर उन लोगो को पता चल गया कि सब आपकी वजह से हुआ
है तो सब लोगो ने आपको सर पे उठा लेना है,,,




नही नही,,,,किसी को पता नही चलना चाहिए,,,तुम किसी को नही बताना,,,,




कैसे बताएगी सन्नी भाई,,मेरी बहन है,,,,,




मैं किसी को नही बताउन्गी सन्नी भाई,,,,आप बेफ़िक्र रहिए,,,आपने मेरी फ्रेंड को इंसाफ़
दिलवाया है भला मैं किसी को आपके बारे मे क्यूँ बताउन्गी,,,,




अभी इंसाफ़ मिला नही है,,,,अभी तो अमित गिरफ्तार हुआ है,,,,सुरेश अभी फरार है लेकिन
जल्दी ही पकड़ा जाएगा वो,,,,दुआ करना कि वो पकड़ा जाए और सबके साथ इंसाफ़ हो,,,




मैं तो दुआ करूँगी भाई उन सबको फाँसी हो,,,,,अगर उपर वाला भी इंसाफ़ करेगा तो उनको
फाँसी से कम सज़ा नही होगी,,,,इतना बोलके वो वहाँ से चली गयी,,,,




उसके जाते ही कॅंटीन वाला 3 कॉफी लेके आ गया मेरे टेबल पर,,,,मैने हैरान होके देखा
कि मैं तो अकेला हूँ फिर कॉफी 3 क्यूँ,,,तभी देखा मेरे पिछले टेबल से उठकर सोनिया
और कविता भी मेरे साथ बैठ गयी,,,,उन लोगो ने सब सुन लिया था,,जो भी मेरी बात हुई
कॅंटीन वाले की बहन के साथ,,,,



खैर जैसे तैसे कॉलेज का टाइम ख़तम हुआ और हम लोग वापिस घर आ गये,,,रास्ते भर
कविता और सोनिया बहुत खुश थी,,,,कविता बार बार मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोल रही थी कि मेरी
वजह से कॉलेज को अमित और सुरेश से छुटकारा मिल गया था,,,,



हम लोग घर आए ,,,, खाने का टाइम हो गया था लेकिन हम लोग कॅंटीन से कहके आए थे
इसलिए बैठकर टीवी देखने लगे,,,,लेकिन कविता उठी और सोनिया को लेके किचन मे चली
गयी,,,,




चल उठ किचन मे जाके रात के खाने की तैयारी कर लेते है,,फिर पूरा दिन कोई काम नही
होगा आराम से टीवी देख लेंगे,,,,




वो दोनो किचन मे चली गयी,,,मैं टीवी देखता रहा,,,,कुछ देर बाद कविता का फोन बजने
लगा,,,,ये कामिनी भाभी का फोन था,,,कविता फोन पर बात करने लगी,,मुझे प्यास लगी
तो मैं किचन मे चला गया,,,,मैने देखा सोनिया आटा गूँथ रही थी,,,,मैं फ्रिड्ज
खोलकर पानी पीने लगा,,,उसने मेरी तरफ देखा और फिर वापिस अपना काम करने लगी,,वो मेरे
से नज़रे मिलाने से डर रही थी,,,




मैं पानी पीक बाहर आने लगा तभी वो बोली,,,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी,,जो कुछ भी तूने किया
अमित और सुरेश को पकड़वाने के लिए,,,,तुझे नही पता सब लड़कियाँ कितनी खुश थी,




वो मेरी तरफ नही देख रही थी ,,,,बस ऐसे ही पीठ करके बोल रही थी,,,,




बाकी लड़कियाँ खुश है कॉलेज की तू खुश नही है क्या,,,मैने सोनिया को बोला




नही भाई मैं भी खुश हूँ कि वो दोनो पकड़े गये,,,,वो फिर पीठ करके ही बोल रही थी




अगर खुश है तो मेरी तरफ देखकर बोल ना,,,,मुझे भी तो पता चले कितनी खुशी है
तुझे,,,



सन्नी मैं वो,,,वू मैं,,,,मैं,,,





मैं वो मैं वो क्या कर रही थी,,,अभी आँख मिलाने से डर रही है लेकिन रात को तो पलके
भी नही झपका रही थी,,बस एक नज़र मेरी और कविता की तरफ ही देख रही थी,,,,
 
मेरी बात से वो डर गयी,,उसको कुछ सूझ ही नही रहा था क्या बोले वो,,,




क्यूँ सही बोल रहा हूँ ना मैं,,,,इतना बोलकर मैं उसके पास जाके खड़ा हो गया,,मैं उसकी
लेफ्ट साइड पर खड़ा हो गया तो वो राइट साइड घूम गयी,,,मैं जाके राइट साइड खड़ा हो गया
तो वो लेफ्ट साइड घूमने लगी,लेकिन मैने उसका हाथ पकड़ लिया,,,



मुझसे नज़रे घूमा कर तू मेरे से बच नही सकती ,,मेरे से पीछा नही च्छुड़वा सकती ,मेरे
से दूर नही जा सकती,,,मैं तेरी परच्छाई हूँ भूल मत,,,,



वो सन्नी मैं,,,,,,,,वो कुछ बोलने लगी तो मैने उसके मुँह पर हाथ रख दिया,,श्ह्ह्ह्ह्ह्ह
कुछ मत बोल,,,मैं तेरी हालत समझ सकता हूँ,,,,क्यूकी जो तेरी हालत है वहीं मेरी
हालत है,,,,जैसे मैं तेरे से दूर नही रह सकता तू भी मेरे से दूर नही रह सकती,
जैसे तू मजबूर है अपने रिश्ते को लेके मैं मजबूर हूँ तेरी रज़ामंदी को लेके,,जब
तक तू इस रिश्ते को भूल कर रज़ामंदी ब्यान नही करेगी तब तक मैं तेरे करीब नही
आउन्गा,,,




इतना बोलते टाइम अभी तक मेरा हाथ उसके मुँह पर था ,,,वो बड़ी बड़ी आँखों से मुझे देख
रही थी और मेरी बातें सुन रही थी,,,



मैं जानता हूँ तू वो सब भूल नही सकी अभी तक जो भी तूने इस घर मे देखा,,,लेकिन
उसमे मेरा कोई क़सूर नही था,,मैं मजबूर था,,मेरी उमर ही ऐसी थी,,,और जब मैने भी
घर मे वो सब देख लिया तो मेरे से भी रहा नही गया,,,पहले पहले मुझे ग़लत लगा लेकिन
जवानी के जोश मे मैं खुद पर क़ाबू नही कर सका,,,,और जो कुछ भी हुआ उसमे हम सब
लोगो की रज़ामंदी थी,,जैसे मैने उनके साथ रज़ामंदी से वो सब किया वैसे ही तेरी भी
रज़ामंदी का इंतजार करूँगा मैं,,,और तेरी हालत देखकर मुझे लगता नही कि तुझे ज़्यादा
टाइम लगेगा राज़ी होने मे,,,,



मैने ऐसा इसलिए बोला था क्यूकी अभी मेरा हाथ उसके मुँह पर था ,,,इतने भर से ही उसकी
हालत खराब हो गयी थी,,,,हालाकी वो मेरी बातें सुन रही थी लेकिन उसके दिल की धड़कन
और साँसे बहुत तेज़ी से चल रही थी,,,,,



मैने इतनी बात की और अपना हाथ उसके मुँह से उठा लिया और अपने होंठों उसके होंठों की
तरफ ले गया ,,उसने हल्के से अपनी आँखें बंद करली वो समझ गयी अब क्या होने वाला है
लेकिन उसने मुझे रोका नही,,,मैने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और हल्के से किस
करदी ,,,उसने भी अपने होंठों को हल्के से खोल दिया और मुझे किस करने लगी,,लेकिन
ज़्यादा देर तक नही,,,,वो किस कुछ पल लिए थी ,उसने मेरे छाती पर अपने हाथ रखे और
मुझे पीछे होने को बोला,,मैं भी पीछे हट गया,,,,



पीछे हटके मैं उसकी तरफ देखने लगा,,,,वो कुछ पल मे इतनी ज़्यादा मदहोश हो गयी की
उसकी साँसे उखाड़ने लगी थी,,वो खुद पर क़ाबू करने की कोशिश कर रही थी,,उसकी आँखें
अभी भी बंद थी,,,,,फिर उसने आँखें खोलकर मुझे देखा और अपने हाथ से अपने होंठों
पर लगे हुए मेरे थूक को सॉफ करने लगी,,,,ऐसा करते हुए उसका हाथ से थोड़ा आटा उसके
लिप्स पर लग गया,,,,,तभी उसका ध्यान गया किचन के बाहर जहाँ कविता खड़ी हुई थी


सोनिया ने कविता को देखा और जल्दी से वहाँ से भाग गयी,,,,,




कविता मेरे पास आई और मेरी टी-शर्ट पर लगे हुए आटे को सॉफ करने लगी,,,,ये तब लगा
जब सोनिया ने मुझे खुद से दूर किया,,,उसने ज़्यादा ज़ोर नही लगाया बस हल्के से मुझे पीछे
होने का इशारा किया,,,मैने भी कोई जल्दबाज़ी या ज़बरदस्ती नही की और एक ही पल मे उस
से दूर हट गया,,,,



कविता मेरी टी-शर्ट सॉफ करते हुए बोली,,,,,,,,,,,क्यूँ तंग कर रहा है उसको सन्नी,वो तो
पहले से बहुत परेशान है,,,,,मत तंग कर उसको ,,,,थोड़ा टाइम दे उसको,,,,प्ल्ज़्ज़



मैं कविता की बात समझ गया और हां मे सर हिला कर उसको बता दिया कि मैं समझ गया
,,,,उसने हँसके मुझे हल्की किस की लिप्स पर,,,,,,



चल जा बाहर जाके बैठ मुझे काम ख़तम करने दे,,,,मैने उसकी बात सुनी और बाहर आके
टीवी देखने लगा,,,,,सोनिया वहाँ नही थी,,,शायद वो अपने रूम मे चली गयी थी,,



अपना काम ख़तम करके कविता भी उपर सोनिया के पास चली गयी थी,,



रात डिन्नर करके मैं टीवी देखता रहा,,,,टीवी देखते देखते मैं सोफे पर ही सो गया,,सर्दी
का मौसम था मुझे सर्दी लग रही थी ,,,तभी मैने देखा कोई मेरे पास था और मेरे
जिस्म पर कोई कपड़ा ओढ़ा रहा था,,मैने आँखें खोल कर देखा तो वो सोनिया थी,,,,



वो मेरे पर कंबल ओढ़ा कर बोली,,,,सर्दी बहुत है भाई,,,,जाके रूम मे आराम से सोजा,



इतना बोलकर वो जाने लगी तो मैने उठकर उसका हाथ पकड़ लिया,,,,वो वहीं रुक गयी और मेरी
तरफ देखने लगी,,,,




सन्नी जाने दे मुझे प्लज़्ज़्ज़ ,,उसने बड़े प्यार से बोला,,,ज़ोर भी नही लगाया अपना हाथ मेरे
से च्छुड़वाने क लिए,,,लेकिन उसके प्यार मे उसके ज़ोर से ज़्यादा ताक़त थी मैने उसके कहते
ही उसका हाथ छोड़ दिया,,,वो मेरी इस हरकत से हँसके मुझे देखती हुई वहाँ से चली
गयी,,,,,




अभी वो 4 कदम आगे ही गयी थी कि फिर से वापिस आ गयी और आके मेरे पास खड़ी हो गयी,
मैं हैरत से उसकी तरफ देख रहा था ,,फिर उसके झुक कर मेरी एक टाँग पर हाथ
मारा और मुझे टाँग साइड करने को बोला,,,मैने भी अपनी टाँग साइड करदी और सोफे पर
थोड़ी जगह बन गयी,,,,वो सोफे पर मेरी कमर के पास बैठ गयी,,,,उसकी इस हरकत से
मैं थोड़ा परेशान हो गया था,,,,,फिर उसने अपने हाथ को मेरे सर पर रखा और मेरे सर
को प्यार से सहलाने लगी,,,मेरे बलों मे उंगलियाँ घुमाने लगी,,,,लेकिन उसके दिमाग़ मे
कोई गंदगी नही थी,,,उसका मेरे सर को सहलाना कोई वासना से भरा खेल नही था,,वो मुझे
एक बहन होने के नाते बड़े प्यार से सहला रही थी और मेरी आँखों मे देख रही थी,,,,उसकी
आँखों मे भी प्यार था,,,वासना की हवस नही थी,,,एक बहन का प्यार था,,,,जो अपने भाई
से बहुत प्यार करती थी,,बहुत केर करती थी,,,,



मुझे भी उसका मेरे सर को सहलाना अच्छा लग रहा था,,,लेकिन मेरे दिमाग़ मे भी कोई गंदगी
नही थी,,,मुझे भी अब वो पल याद आ रहे थे जब अक्सर मैं सोनिया के बेड पर लेट
जाता तो वो मेरे सर को अपनी गोद मे रखकर प्यार से सहलाने लगती,,,,,मुझे बड़ी जल्दी ही
नींद आ जाती थी,,,,लेकिन ये सब उस टाइम की बात थी जब तक मेरे दिल और दिमाग़ पर
सेक्स और वासना हावी नही हुए थे,,,



वो बड़े प्यार से मेरे सर को सहलाने लगी और मुझे नींद आने लगी,,,मेरी आँखें बंद होने
लगी,,,,जैसे ही मेरी आँखें बंद हुई उसने मुझे हल्के से फोरहेड पर किस की और मुझे
गुड नाइट बोलकर वहाँ से चली गयी,,,,,उसने 2-3 मिनिट ही मेरे सर को सहलाया था लेकिन
उस 2-3 मिनिट की वजह से पूरी रात बहुत अच्छी नींद आई थी मुझे,,




नेक्स्ट डे कॉलेज जाने लगा तभी ख़ान भाई का फोन आ गया,,,,उन्होने बताया कि आज अमित
के केस की सुनवाई है कोर्ट मे,,,मैं कोर्ट मे तो नही जा सकता था क्यूकी मैं नही
चाहता था कि कोई मुझे वहाँ देख ले,,,वैसे भी ख़ान भाई ने बताया था कि बड़े लोगो का
केस है इसलिए बस केस से जुड़े लोग ही आ सकते है कोर्टरूम मे,,,,बाकी की खबर
ख़ान भाई ने बाद मे बताने को बोला और फोन काट दिया,,,,




कॉलेज से वापिस आए तो खाना ख़ाके कविता और सोनिया स्टडी करने लगी और मैं गेम खेलने
लगा,,,करीब 3 बजे का टाइम था तो ख़ान भाई का वापिस फोन आ गया,,,,वो बहुत खुश थे




अमित के केस की सुनवाई हो गयी थी,,,सब तैयारी पहले से की हुई थी इसलिए पहली सुनवाई
मे ही सारे सबूत कोर्ट मे पेश कर दिए गये थे,,,सबूत पक्के थे इसलिए अमित को 10
दिन की पोलीस रिमॅंड पर भेज दिया था क्यूकी पहली बार मे केस की सुनवाई पर फेंसला
नही हो सकता था,,,,अमित के बाप के वकील ने भी सीडीज़ की जाँच के लिए अर्जी दी थी कोर्ट
मे,,,,हालाकी कुछ हो नही सकता था लेकिन फिर भी कोर्ट ने 10 दिन का टाइम दिया था,,वैसे
ख़ान भाई ने बता दिया था कि अमित की सज़ा पक्की है,,,,,




मैं भी बहुत खुश हुआ ख़ान भाई की बात सुनके,,,मैने जाके ये बात कविता और सोनिया को
बताई तो वो दोनो भी बहुत खुश हो गयी,,,,दोनो जल्दी से अपने मोबाइल से अपने कॉलेज की
फ्रेंड्स को कॉल करके ये खबर बताने लगी,,,,,,,




मैं वापिस आके गेम खेलने लगा,,तभी मोबाइल की रिंग बजी तो देखा मोबाइल की बेटरी लो
होने वाली थी,,,,,मैने उसको मामा के रूम मे चार्जिंग पर लगा दिया,,,
 
जब कुछ टाइम बाद दोनो फ्री हुई तो मेरे पास आ गयी और आके दोनो ही मेरे गले लग गयी,
ओह्ह सन्नी कितनी अच्छी खराब सुनाई तूने ,,,आज तो पार्टी होनी चाहिए,,,,,और पार्टी मैं
करूँगी,,,ये बात बोली कविता ने और जल्दी से अपने मोबाइल से कॉल की और पिज़्ज़ा ओरडर कर
दिया,,,,,



कुछ देर मे पिज़्ज़ा आ गया हम लोग पिज़्ज़ा एंजाय करने लगे,,,,हम लोग बहुत खुश थे और
पिज़्ज़ा खा रहे थे,,,,साथ मे हल्का हल्का हँसी मज़ाक भी चल रहा था,,अमित के नाम
पर जोक्स सुनाए जा रहे थे,,,,,तभी बाहर बेल बजी,,,,,



साला पिज़्ज़ा तो कबका आ गया था लेकिन अब बाहर कॉन आ गया,यही सोच कर मैं बाहर दरवाजे
पर गया,,,,,




बाहर का गेट भी बंद था,,,, जैसे ही मैने बाहर का गेट खोला तो सामने सुरेश खड़ा हुआ था
हाथ मे पिस्टल लेके,,,,मैं कुछ बोलता या कुछ करता इस से पहले वो गुस्से से बोला,,,,


चल चल अंदर चल जल्दी,,,उसने पिस्टल को मेरी तरफ़ तान रखा था,,,मैं गेट से थोड़ा
पीछे हट गया वो भी गेट से आगे बढ़ कर घर के अंदर आ गया,,,




सुरेश ये क्या कर रहा है मेरे भाई,,,,,ये पिस्टल क्यूँ लेके आया तू ,,,,,



साले बकवास बंद कर अपनी,,,,,अब दोबारा मुँह खोला तो गोली मार दूँगा,,,



सुरेश लेकिन मैने किया क्या है मेरे भाई,,,,,मेरा क़सूर क्या है जो तू पिस्टल से मुझे
डरा रहा है,,,,,



साले हरामी,,,,,डरा नही रहा गोली मारने आया हूँ तुझे,,,,सब तेरी वजह से हुआ ,,,अमित
पकड़ा गया,,,सज़ा भी हो जाएगी शायद उसको,,,,इतनी बड़ी गेम खेली तूने हम लोगो के साथ



तुझे गलतफहमी हो रही है सुरेश,,,,मैने कुछ नही किया,,,कोई गेम नही खेली तुम लोगो
के साथ तुझे कोई ग़लतफहमी हो रही है,,,,,




गलतफहमी पहले थी साले मुझे,,,,लेकिन जब पता चला कि कोर्ट मे आज मेरी और अमित की
कोई वीडियो पेश हुई तो माथा ठनक गया मेरा,,,,वो वीडियो मेरे रूम की थी,,,जहाँ बैठकर
मैं और अमित बात कर रहे थे,,,,उन लोगो को वो वीडियो कहाँ से मिली होगी,,मैं यही सोच
रहा था तब तेरा पूरा प्लान मेरे दिमाग़ मे आ गया,,,,

पहले मुझे थोड़ा शक था तेरे पे,,,लेकिन हम लोगो का आपस मे कोई बैर नही था तो सोचा
कि तू ये सब क्यूँ करेगा,,,,फिर याद आया करण की बहन शिखा के बारे मे जो अमित के साथ
सेट थी,,,,अमित के कहने पर मैने सुमित के घर मे उसकी वीडियो भी बनाई थी लेकिन जब
कॅम चेक किया तो उसमे कोई वीडियो नही थी,,,,ये कैसे हो सकता था,,,हो ना हो वो भी तेरी
और करण की ही करतूत होगी,,,वरना आज तक मैने कॅम सेट किया हो और वीडियो ना बने ऐसा
कैसे हो सकता था,,,





तू ग़लत समझ रहा है ,,,मैने कुछ नही किया सुरेश,,मेरा बात मान मेरे भाई,,,,







मान लेता साले तेरी बात,,,,जैसे सुमित मानता था हम लोगो की बात,,पहले कभी उसकी इतनी
हिम्मत नही थी कि हम लोगो के सामने बोल सके,,,,,साला हमारे घर का कुत्ता था दुम
हिलाता था हम लोगो के आगे पीछे लेकिन तेरी बातों मे आके हम लोगो को काटना शुरू कर दिया
उसने,,,उसको वीडियोस के बारे मे सब पता था क्यूकी उसके घर ही लड़कियों को लेके जाते थे
हम लोग,,,उसने पहले कभी वीडियो के बारे मे बोलकर हम लोगो को ब्लॅकमेल करने की कोशिश
नही की थी कभी,,,,,और जब उसने हम लोगो को सीडीज़ की धमकी दी थी तो मुझे याद आया उसका
तब तुम लोगो के साथ उठना बैठना शुरू हो गया था,,,,,हो ना हो तूने ही उसके दिल मे हम
लोगो के खिलाफ जहर भरा होगा,,,,वरना उसकी इतनी हिम्मत कहाँ कि मेरे साथ झगड़ा कर
सके,,,वो सब तेरा ही प्लान था हरामी साले,,,,

उन्ही सीडीज़ की वजह से तूने मेरे बाप को ब्लॅकमेल करके मेरी बहन की शादी उस 2 कोड़ी के
करण के साथ करवा दी,,,,मैं कुछ नही कर सका,,,,,अब तुम लोगो ने मेरी बहन को कहीं
बाहर भेज दिया,,वो भी मेरे बाप की मदद से,,,,मेरे बाप को तो मैं कुछ नही कह सका
लेकिन तेरे से बदला ज़रूर लूँगा,,,,



जब सन्नी काफ़ी देर तक अंदर नही आया तो सोनिया भी बाहर देखने आई कि आख़िर बाहर कॉन आया
है जो सन्नी ने इतना टाइम लगा दिया,,,,

जैसे ही सोनिया की नज़र पड़ी सुरेश पर जो हाथ मे पिस्टल लेके खड़ा हुआ था और पिस्टल का
निशाना था सन्नी की तरफ तो सोनिया भाग कर सन्नी के पास आ गयी और सन्नी के सामने खड़ी
होने लगी,,,,,

सन्नी को पहले से पता था सोनिया ऐसा ही करेगी इसलिए सन्नी ने पहले ही सोनिया को अपने
साइड पर खड़ा कर लिया,,,,और आगे नही आने दिया,,,,

सोनिया के बाहर आते ही कविता भी घर के दरवाजे से बाहर आई और सन्नी के पास आके खड़ी
हो गयी,,,,


वाह भाई वाह,,,,एक तरफ मासूक़ और एक तरफ बहन,,,,सौरी मैं तो भूल गया था,,,बहन
नही दोनो तरफ ही तेरी माशूक़ है,,,,इतना बोलकर सुरेश हँसने लगा,,,,,

देखा था तुम लोगो को उस दिन माल मे जब तू लोगो के सामने अपनी ही बहन के होंठों को
चूस रहा था,,,,,साले ज़रा भी शरम नही आई अपनी ही बहन को किस कर रहा था या
फिर मैं बोलूं कि अपनी ही बहन को इतना प्यार कर रहा था कि लोगो को परवाह भी नही रही
तुझे,,,,मान गये,,,,इतना प्यार करता है तू अपनी बहन को,,,,,

अब तेरे से बदला लेने का आइडिया आया,,,,साले तेरी बहन को ही मार देता हूँ,,,यहीं है ना
तेरी जान ,,,,ये मरेगी तो तेरी जान अपने आप निकल जाएगी,,उस दिन भी माल की पार्किंग मे
बच गयी जब मैने इसको अपनी कार से कुचलने की कोशिश की,,,तब भी तू हीरो बनके सामने
से आ टपका और बचा लिया था इसको,,,लेकिन आज नही,,,,,आज बचके जाने नही दूँगा इसको,


इतना बोलकर सुरेश ने निशाना सोनिया की तरफ कर लिया,,,,


नही सुरेश,,,,तुम ऐसा कुछ नही करोगे,,,,बात तेरी और मेरी है सोनिया को बीच मे मत
लेके आ,,,गोली मारनी है तो मुझे मार ,,,,सोनिया का कोई क़सूर नही इसमे,,,,

साले क़सूर तो रितिका का भी नही था फिर तू उसको बीच मे क्यूँ लेके आया,,,,क्यूँ उसकी शादी
करवाई उस 2 कोड़ी के करण के साथ,,,क्यूँ मेरी बहन को भड़काया मेरे खिलाफ ,,इतना जहर
क्यूँ भरा मेरी बहन के दिल मे मेरे खिलाफ कि उसने मेरी और अमित की वीडियो बना कर तुझे
दे दी थी,,,,,,,क्यूँ दूर किया उसको मेरे से,,,,बोल क्यूँ किया ,,,,,,,,,,अब मैं भी तेरी
बहन को तेरे से दूर कर दूँगा फिर जाके चैन मिलेगा मुझे,,,,,
 
सुरेश पूरे गुस्से मे बोला और निशाना सोनिया की तरफ करते हुए गोली चला दी,,,सन्नी पहले
ही समझ गया था कि अब सुरेश गोली चला देगा इसलिए वो जल्दी से सोनिया के सामने आ गया
और सोनिया को धक्का दे दिया,,,सोनिया धक्का लगते ही ज़मीन पर गिर गयी और गोली लगी सन्नी
के लेफ्ट शोल्डर के थोड़ा नीचे हार्ट के उपर,,,,,



सन्नी को गोली लगी तो एक दम से सोनिया और कविता के मुँह से चीख के साथ सन्नी का नाम
निकल गया ,,,,,सुउुुउउन्न्ञननन्न्नययययययययययययी


गोली लगते ही सन्नी भी सोनिया के करीब ही ज़मीन पर गिर गया,,,,,इस से पहले सुरेश
दूसरी गोली चलाता कविता भाग कर ज़मीन पर गिरे हुए सन्नी के सामने आ गयी और सन्नी की
तरफ बढ़ने वाली गोली खुद के सीने पर खाने को तैयार हो गयी,,,,,


गोली लगने के बाद मैं ज़मीन पर गिरा हुआ था जबकि सोनिया ने भाग कर मुझे बाहों मे
भर लिया और मेरे जिस्म को पीछे से बाहों मे भरके खुद के आधे जिस्म को मेरी छाती पर
कर दिया और मुझे बचाने लगी,,,,कविता मेरे सामने आके घुटनो के बल बैठ गयी ,,,,

सुरेश हँसने लगा,,,,,अरे वाह मान गया सन्नी 2-2 माशूक़ ,,,,एक की खातिर तू मरने को
तैयार है और दूसरी तेरी खातिर मरने को तैयार है,,,,मारना तो मैं एक को चाहता हूँ लेकिन
लेकिन सोचता हूँ क्यूँ ना दोनो को मार दूं,,,इस से ज़्यादा तडपेगा तू,,ज़्यादा दर्द होगा जब
दोनो चाहने वालियों को मैं तेरे से दूर कर दूँगा,,,,


सुरेश ने निशाना किया कविता की तरफ और फिर एक गोली चली,,,,लेकिन जैसे ही गोली चली
सुरेश ज़मीन पर गिर गया,,,,मैं हैरान हो गया ,,,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी गेट के पास
खड़े थे ख़ान भाई,,,,,ख़ान भाई के हाथ मे भी पिस्टल थी जिस से उन्होने सुरेश की
एक टाँग पर गोली मारी थी,,,जैसे ही सुरेश को गोली लगी वो ज़मीन पर गिरा और गिरते ही
अपना निशाना किया ख़ान भाई की तरफ और गोली चला दी लेकिन ख़ान भाई बच गये और गोली
लगी गेट पर ,,,,तभी ख़ान भाई ने दूसरी गोली चलाई तो सुरेश ज़मीन पर लेट गया
उसका वो हाथ जिसमे पिस्टल पकड़ी हुई थी वो भी ज़मीन पर गिर गया,,,,मैने देखा गोली
सुरेश के दिल पर लगी थी,,,,,शायद वो मर गया था,,,,

सुरेश के गिरते ही कविता जल्दी से सुरेश की तरफ भागी और उसके हाथ से पिस्टल लेने लगी
तभी ख़ान भाई ने उसको रोक लिया,,,,,,नही बेटी ऐसा मत करो,,,ये सबूत है उसपे उसकी
उंगलियों के निशान है,,,

कविता सुरेश के हाथ से पिस्टल लेके बाकी की बची हुई गोलियाँ भी सुरेश के सीने मे
उतार देना चाहती थी,,,,लेकिन ख़ान भाई ने उसको रोक लिया था,,,,ख़ान भाई ने कविता को
'पीछे से पकड़ा हुआ था इसलिए कविता गुस्से मे सुरेश के जिस्म पर टाँगे मारने लगी और
ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर बोलने लगी,,,,तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे सन्नी को गोली मारने की
मैं तेरा खून पी जाउन्गी ,,,कामीने,,,,कविता ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी और सुरेश की
लाश को अपने पैरो से मार रही थी,,,

तभी ख़ान भाई फिर से बोले,,,,बस कर बेटी वो मर गया है,,,,लेकिन कविता ख़ान भाई की
बात ही नही सुन रही थी,,,,

फिर मैं धीरे से बोला,,,,बस कर कविता वो मर गया है,,,,,कविता ने मेरी बात सुनी
और भाग कर मेरे पास आ गयी,,,,तभी ख़ान भाई ने कविता और सोनिया को मेरे जख्म पर
पूरा ज़ोर लगा कर दबाने को बोला,,,,

तुम दोनो जखम पर ज़ोर से दबा कर रखो,,,ज़्यादा खून मत निकलने देना,,,मैं आंब्युलेन्स
को कॉल करता हूँ,,,,

लेकिन ख़ान भाई अप यहाँ कैसे आए ,,,मैने हल्की आवाज़ मे ख़ान भाई से पूछा,,,,



मुझे इसके बाप का फोन आ गया था सन्नी,,,,उसने बोला था कि ये घर से पिस्टल लेके तेरे
घर तुझे मारने आ रहा है ,,,,उन्होने बोला था कि जो भी करना पड़े अबकी बार सुरेश को
कोई और ज़ुल्म मत करने देना,,,,मैं उनकी बात समझ गया था,,,मैने तेरे को फोन भी किए
कितनी बार लेकिन तूने फोन उठाया ही नही इसलिए मैं खुद तेरे घर तुझे बताने आ
गया था,,,,लेकिन यहाँ आके देखा तो ,,,,



अच्छा हुआ ख़ान बही आप सही टाइम पर आ गये,,,,,वरना आज मैं,,,,,

तभी सोनिया ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,वो रो रही थी और रोती हुई मुझे कुछ भी
ग़लत बोलने से मना कर रही थी,,,,,,कविता भी मेरे पास बैठकर रो रही थी,,,


फिर ख़ान भाई पोलीस और आंब्युलेन्स को फोन करने लगे,,,मैं ज़मीन पर गिरा हुआ था मेरा
सर सोनिया की गोद मे था,,,,उसका एक हाथ मेरे जखम पर दबा हुआ था और एक हाथ मेरे सर
को प्यार से सहला रहा था ,,,,कविता का भी हाथ सोनिया के हाथ के साथ मेरे जखम को
दबा रहा था ताकि ज़्यादा खून ना निकले,,लेकिन खून बहुत निकल चुका था इसलिए मैं
सोनिया की गोद मे बेहोश हो गया,,,,,,



जब होश आया तो मैं हॉस्पिटल मे था,,,साइड पर एक नर्स खड़ी हुई थी जो मुझे खून की
बॉटल चढ़ा रही थी,,,,मैने हल्की आँखें खोली और इधर उधर देखा तो कविता मेरे
पास एक टेबल पर बैठी हुई थी,,,,,


मेरे शोल्डर पर पट्टी हो चुकी थी,,,कविता मेरे पास ही बैठी हुई थी और उसका सर
मेरे बेड पर टिका हुआ था,,शायद वो सो रही थी,,,,लेकिन जैसे ही मुझे होश आया और नर्स
बाहर की तरफ भागी तो कविता उठ गयी,,,,


मुझे होश आते ही नर्स डॉक्टर को लेने चली गयी,,,,नर्स के बार जाते ही कविता उठी और रोते
हुए मेरे गले लग गयी,,,,

अब कैसा है तू,,,,दर्द तो नही हो रहा,,,,,,,अभी मैं कविता की बात का जवाब देने ही
लगा था कि माँ भुआ और शोभा भी वहाँ आ गयी,,,


सब लोगो की आँखें नम थी,,,,सब की सब रो रही थी,,,,,,तभी पीछे से डॉक्टर आ गया

चलो चलो इतना रश मत लगाओ,,,,,थोड़ा आराम करने दो इसको,,,

तभी माँ बोली,,,,,,अब कैसा है मेरा बेटा डॉक्टर साहब,,, कोई ख़तरा तो नही,,,,

नही बहन जी, अब कोई ख़तरा नही,,,,,गोली जिस्म के आर पार हो गयी थी इसलिए गोली का
जहर नही फैला जिस्म मे और गोली ना तो दिल को टच हुई और ना ही किसी बोन को,,किस्मत
वाला है सन्नी,,,,,,जो बच गया,,,,,,लेकिन फिर भी गोली जिस्म से आरपार हुई है तो कुछ
डॅमेज तो हुआ है,,,,,खून भी बहुत निकला है,,,,लेकिन अब घबराने की ज़रूरत नही इसको
कुछ खून की बॉटल चढ़ानी है बाकी ये ख़तरे से बाहर है,,,,अब आप लोग बाहर जाओ
मुझे इसका चेक-अप करना है जल्दी ही इसको प्राइवेट रूम मे शिफ्ट कर दूँगा फिर आराम से
मिल लेना इसको,,,


डॉक्टर के कहने पर सभी लोग बाहर चले गये लेकिन कविता नही गयी,,,,डॉक्टर ने कविता
को भी बाहर जाने को बोला लेकिन उसने मना कर दिया,,,,,



तभी माँ बोल पड़ी,,,,,इसको यहीं रहने दीजिए डॉक्टर साहब,,,,जबसे आई है तबसे एक पल
के लिए दूर नही हुई ये सन्नी से,,,,


सब लोग बाहर चले गये लेकिन कविता मेरा हाथ पकड़ कर वहीं बैठी रही,,,,,डॉक्टर ने
कुछ चेक-अप किया और वहाँ से चला गया,,,फिर मुझे भी प्राइवेट रूम मे शिफ्ट कर दिया
गया,,,,,
 
रूम मे सब लोग थे ,,,,माँ भुआ,,,शोभा,,,कविता,,,,,लेकिन सोनिया नही थी,,,,

मेरी नज़रे सोनिया को तलाश कर रही थी,,,,भुआ ये बात समझ गयी थी,,,,,सन्नी सोनिया
यहीं है,,,अभी आ जाएगी थोड़ी देर मे,,,,,

लेकिन भुआ वो है कहाँ,,,,,,

तभी माँ बोली,,,,,,वो ब्लड दे रही है तुम्हारे लिए,,हम लोगो मे से किसी का ब्लड तेरे
ब्लड से नही मिलता सन्नी,,,,बस सोनिया का ही मिलता है,,,,वो तेरे लिए ब्लड दे रही है

तभी नर्स रूम मे आई,,,,आपकी बेटी आपको बुला है है,,,,उसने माँ को इतना बोला तो माँ
के साथ साथ शोभा भी सोनिया के पास चली गयी,,,,

भुआ मेरे बेड पर बैठ गयी और मेरे सर को सहलाने लगी,,,वो रो रही थी,,,एक तरफ कविता
मेरा हाथ पकड़ कर बैठी हुई थी वो भी रो रही थी,,,,


अरे अब रोना बंद भी करो,,,मैं बिल्कुल ठीक हूँ,,,डॉक्टर की बात नही सुनी थी क्या आप
लोगो ने,,,,अब रोना बंद करो इस से पहले मैं रोना शुरू कर दूं,,,,और याद रखा तुम
लोग मैं रोते हुए बहुत बुरा दिखता हूँ,,,,,,मेरी बात सुनके कविता और भुआ खुश हो गयी


भुआ डॅड कहाँ है,,,,

बेटा वो पोलीस स्टेशन गये है ख़ान भाई के पास,,,,,कुछ पेपर साइ करने थे,,,,अभी
आ जाएँगे थोड़ी देर मे,,,,,


तभी शोभा और माँ रूम मे आ गयी,,,,

माँ आप दोनो आ गयी ,,,,,सोनिया कहाँ है,,,,

शोभा ने मुझे दरवाजे की तरफ एशारा किया तो सोनिया दरवाजे के पास खड़ी होके रो रही
थी,,,,,,वहाँ क्यूँ खड़ी है पगली,,इधर आ अपने भाई के पास,,,मैने इतना बोला तो वो
भाग कर मेरे पास आ गयी और मेरे गले लग्के फूट फूट कर रोने लगी,,,,,



काफ़ी टाइम वो मेरे गले लग्के रोती रही ,,,फिर माँ ने उसको मेरे उपर से उठाया और चुप
करवाया,,,,

रो क्यूँ रही है बेटी तुझे तो खुश होना चाहिए जो इतना प्यार करने वाला भाई मिला है
तुझे तो तेरी खातिर मरने को भी तैयार हो गया आज,,,,तुझे तो खुशी होनी चाहिए,,,चल
अब रोना बंद कर,,,,बिल्कुल ठीक है तेरा भाई,,चल चुप कर अब,,,,,


चुप कर जा सोनिया ,,,,ये बात बोली शोभा ने और सोनिया को अपने गले लगा लिया,,,ये सब नाटक
कर रहा है सन्नी,,,,मेरी शादी मे नाचना नही पड़े इसलिए यहाँ हॉस्पिटल मे आके लेट
गया है,,इसको पता है ये नाचेगा मेरी शादी मे तो जोकर जैसा लगेगा,,,,नाचने से बचने
के लिए यहाँ आ गया है ये,,,,,

शोभा की इस बात से सभी लोग हँसने लगे,,,क्यूकी मुझे नाचना जो नही आता था,,,सच मे
जब भी नाचता मैं तो जोकर जैसा लगता था,,,,

मेरी वजह से सब लोग रो रहे थे लेकिन अब मेरे मज़ाक की वजह से खुश भी हो गये थे


अरे शोभा दीदी फ़िक्र मत करो,,,,जोकर ही क्यूँ ना बन-ना पड़े लेकिन आपकी शादी मे नाचूँगा
ज़रूर मैं,,,इतनी खुशी का दिन होगा जब आप दूर जाओगी हम लोगो से ,,,कब्से दुआ कर रहा
था अब जाके भगवान ने मेरी सुनी है,,,,,मैने इतना मज़ाक मे बोला तो सब लोग हँसने लगे,,

लेकिन शोभा हल्के गुस्से से मुझे देखती हुई बोली,,,,देखो ना माँ अपनी बहन को घर से
भेजने की कितनी जल्दी है इसको,,,,आपकी बेटी को ये ऐसे बोल रहा है आप कुछ बोलो ना इसको
मा,,,,


अरे मैं क्या बोलू,,,तुम दोनो की आपस की बात है,,,,वैसे भी पंगा तूने शुरू किया है अब
तू ही संभाल अपने भाई को,,,,मुझे क्या मेरी एक बेटी जाएगी तो दूसरी आ जाएगी,,,,

दूसरी,,,दूसरी कॉन माँ,,शोभा ने हैरान होते हुए पूछा,,,,

और कॉन,,,,,ये कविता,,,,,क्यूँ बेटी आएगी ना मेरे घर,,,सन्नी की दुल्हन बनके,,,,माँ ने
एक दम ऐसे बोला तो कविता शर्मा गयी और अपने सर मेरे बेड पर झुका लिया,,,,

अरे अरे शर्मा क्यूँ रही हो,,,,सोनिया ने सब बता दिया मुझे,,कैसे तू सन्नी की जान बचाने
के लिए उसके सामने आके बैठ गयी थी,,,,इतना प्यार करती है ना मेरे सन्नी से,,,बोल बनेगी
मेरे सन्नी की दुल्हन,,,,

कविता ने शरमाते हुए चेहरा उठाया और हल्की आवाज़ मे बोली,,,,जी आंटी जी,,,,

आंटी नही अब माँ बोलने की आदत डाल लो कविता भाभी,,,,,शोभा ने इतना बोला तो सब लोग
हँसने लगे,,,कविता की तो हालत खराब हो गयी थी,,,जहाँ सब लोग हंस रहे थे वहीं
सोनिया चुप खड़ी थी,,,,उसके फेस पर हल्की उदासी थी,,,,मैं हंसता हुआ उसके उदास फेस
को ही देख रहा था,,,,और भुआ का ध्यान हम दोनो की तरफ था,,,,,


कुछ देर बाद डॉक्टर आया और मुझे नींद का इंजेक्षन लगा गया,,,,हम सब लोग हँसी मज़ाक
कर रहे थे लेकिन सोनिया के फेस पर हल्की उदासी मेरे से छुप नही रही थी,,,वो हंस
ज़रूर रही थी लेकिन उसके चहरे पर उदासी थी जिसको वो झूठी हँसी से छुपाने की बड़ी
कोशिश कर रही थी लेकिन सब कोशिश मेरे सामने नाकाम थी,,,


बातें करते हुए मेरी आँखें बंद होने लगी,,,,और कब मैं सो गया पता ही नही चला,,,
शायद नींद के इंजेक्षन का असर हो गया था मेरे उपर ???

आधी रात के करीब मेरी आँख खुली,,रूम मे एक छोटा बल्ब जल ज़रा था जिसकी हल्की-हल्की
रोशनी थी रूम मे,,,मेरे बेड के अलावा रूम मे एक 3 सीट वाला सोफा पड़ा हुआ था जिसपर
भुआ सो रही थी,,,,साथ मे 2 चेर्स पड़ी हुई थी एक पर सोनिया बैठी हुई थी जबकि
दूसरी पर उसने अपने पैर रखे हुए थे,,उसकी आँखें खुली हुई थी ,,नींद का नाम-ओ-निशान
नही था उसकी आँखों मे,,,,मेरे राइट साइड पर एक छोटे टेबल पर कविता बैठी हुई थी
जो मेरे राइट हॅंड को पकड़े हुए सर को मेरे बेड पर झुका कर आराम कर रही थी,,,



तभी मैने उसको हल्के से आवाज़ दी,,,,,कविता,,,,,कविता,,,,


उसने सर उठाकर मुझे देखा और साथ ही सोनिया की नज़रे भी हम लोगो की तरफ हो गयी,,


क्या हुआ सन्नी,,,,,प्यास लगी है क्या,,,,,या वॉशरूम जाना है,,,,


नही मुझे प्यास भी नही लगी और वॉशरूम भी नही जाना,,,,

तो फिर,,,तुम उठ क्यूँ गये,,,,चलो सो जाओ और आराम करो,,,,

मैं तो आराम कर लूँगा लेकिन तुम भी तो आराम करो,,,,कब तक बैठी रहोगी ऐसे टेबल पर


मेरी बात सुने कविता ने सोफे और चेर्स की तरफ देखा मैं समझ गया ,,,,उसके लिए जगह
नही थी,,,,,तभी मैं थोड़ा लेफ्ट साइड की तरफ खिसक गया और राइट साइड मे थोड़ी जगह
बन गयी,,,,,,मैने उसके इशारा किया अपने साथ लेट जाने का,,,,


उसने मना कर दिया,,,

मैने दोबारा हल्का ज़ोर देकर कहा तो उसने सोनिया की तरफ देखा,,,सोनिया ने भी उसको इशारे
मे मेरे साथ लेटने को बोल दिया,,,,,,

कविता मेरी राइट साइड पर लेट गयी और मेरे राइट शोल्डर पर सर रखके एक हाथ को मेरे
पेट पर रखा और आराम करने लगी,,,,,,मैने देखा जैसे ही कविता लेट गयी मेरे साथ तो
सोनिया की भी आँखें बंद हो गयी,,,,आँखें बंद करते टाइम उसने मेरी तरफ देखा तो उसकी
आँखों मे हल्की उदासी थी,,,,जो मुझे भी उदास कर रही थी,,,,,,,


कविता मेरे साथ चिपक कर लेट गयी थी और शायद उसकी आँख लग गयी थी,,मैने भी अपनी
आँखें बंद की और वापिस नींद के आगोश मे चला गया,,,,,
 
सुबह शोभा मुझे और कविता को उठा रही थी,,,,,,उठो लैला मजनू सुबह हो गयी,,,,इतनी
बात सुनके मैने आँखें खोली तो भुआ,,सोनिया और माँ सोफे पर बैठी हुई थी,,,,डॅड चेयर
पर और शोभा मेरे बेड के पास खड़ी मुझे उठा रही थी,,,,


शोभा की आवाज़ सुनके मैं उठ गया और मेरे साथ सो रही कविता भी उठ गयी,,कविता ने जैसे
ही उठकर शोभा की तरफ देखा जो हमे उठा रही थी,,,,उसने उठकर शोभा को गुड मोर्निंग
बोले,,,,,लेकिन जैसे ही उसकी नज़र रूम मे बैठे बाकी लोगो पर गयी वो शर्मसार हो गयी

क्यूकी वो सब लोगो के सामने मेरे साथ एक ही बेड पर लेटी हुई थी,,,,,वो जल्दी से उठी और
वॉशरूम की तरफ भाग गयी,,,,

उसके भागने से रूम मे सब लोग हँसने लगे,,,,


तभी डॅड बोले,,,,,तुम सही कह रही थी सरिता,,,लगता है अब शोभा के साथ साथ सन्नी
की भी शादी कर देनी चाहिए,,,,


सब लोग हँसने लगे और मेरी तरफ देखने लगे,,मैं भी हल्का सा शरमा गया था,,,लेकिन
मैने देखा कि सोनिया अभी भी उदास आँखों से मुझे देख रही थी,,,,


कुछ देर मे कविता वॉशरूम से बाहर आ गयी वो अभी भी शर्मा रही थी,,,,


अब क्यूँ शर्मा रही हो कविता बेटी अब तो चोरी पकड़ी गयी,,,कविता शरमाती हुई मेरे पास
आके टेबल पर बैठ गयी,,,,,


ना ना अब यहाँ नही बैठा तुमने बेटी,,,अब तुम घर जाओ और कुछ आराम करो,,,अब सरिता
और शोभा यहाँ रुकेगी सन्नी के पास,,,,,तुम गीता और सोनिया घर जाके कुछ देर आराम करो


प्लज़्ज़्ज़ अंकल मुझे यहाँ रहने दीजिए ना सन्नी के पास,,,वैसे भी मैने आराम कर लिया था
रात को,,,कविता ने सर झुका कर बोला,,,,वो डॅड से नज़रे नही मिला रही थी,,


पहले तो मुझे अंकल नही दाद बोलो,,,,,और रही बात आराम की वो तो हम सबने देख लिया है
की कितना आराम किया तुम दोनो ने,,,,,


डॅड की बात से फिर से रूम मे हँसी गूँज उठी,,,,कविता तो शरम से पानी पानी हो गयी
थी,,,,


तभी भुआ सोनिया उठी और मेरे पास आके मुझे मिली और घर जाने लगी,,,,सोनिया का दिल नही
कर रहा था घर जाने को,,,,ये उसकी आँखों से पता चल रहा था मुझे,,,,वो घर जाने
की बात से उदास थी,,,,तभी डॅड फिर से कविता को बोले ,,,,,चलो चलो उठो बेटी,,घर
जाओ,,,,,थोड़ा आराम करना फिर आ जाना,,,,वैसे भी तेरा सन्नी यहीं है कहीं भाग नही
रहा,,,,


कविता कुछ नही बोली बस शरमाते हुए उठी और आके सोनिया के पास खड़ी हो गयी,,,,फिर वो
दोनो भुआ के साथ घर चली गयी,,,,,


दाद भी थोड़ा कम से चले गये,,,,माँ और शोभा मेरे पास रही,,,,,,



कुछ टाइम बाद शोभा के सास ससुर भी मुझे देखने आए,,,,जब शोभा के सास ससुर जाने
लगे तो शोभा और माँ उनको बाहर तक छोड़ने गयी,,,,,,


जैसे ही वो लोग बाहर गये सुरेश का बाप अंदर आ गया,,,,,


कैसा है सन्नी,,,,तबीयत कैसी है,,,,,वो मेरा हाल चाल तो पूछ रहा था लेकिन उसकी
आँखें नम थी,,वो रोया हुआ लग रहा था,,,,रोता भी क्यूँ नही कल बेटा मरा था उसका


जीई मैं ठीक हूँ,,,,,आइएम सौरी अंकल,,,,वो सुरेश,,,


वो मेरे पास आके बैठ गये,,,,,,उसके साथ वहीं हुआ जो उसने खुद अपनी किस्मत मे लिखा था
,,कम से कम कोई और जुर्म करने से तो बच गया,,,,क्या होता अगर तुझे ये तेरी फॅमिली को
कुछ हो जाता,,,,,मुझे किसी पर गुस्सा नही है सन्नी,,,,मैने पहले जो कुछ किया उसको
बचाने क लिए किया,,,,,आख़िर वो मेरा बेटा था,,,,लेकिन कोर्ट रूम मे वो वीडियोस देखकर
मुझे उसपे गुस्सा आने लगा,,,मैं सोच भी नही सकता था मेरा बेटा इतनी गिरी हुई हरकते
कर सकता है,,,,,अच्छा हुआ अब वो मर गया,,,,ऐसा बेटा होने से अच्छा था भगवान मेरे को
रितिका जैसी एक और बेटी दे देता,,,,,इतना बोलकर वो फूट फूट कर रोने लगा,,,,


वो अकेले गुनहगार नही था अंकल जी,,,,उसने अकेले ने कुछ नही किया,,,,हो सकता है उसने
अमित और बाकी दोस्तो की बातों मे आके ऐसा काम किया हो,,,


जो भी हो सन्नी,,,,काम तो उसने बहुत बुरा किया,,,,उसकी सज़ा भी मिल गयी उसको,,,और अब बाकी
लोगो को भी सज़ा ज़रूर मिलेगी,,,,,कल मैने ख़ान को फोन करके बता दिया था जब सुरेश
तुझे मारने के लिए घर से निकला था,,,,,पहले तो मैं उसको पोलीस से बचाता रहा,,,अपने
ही घर मे छुपा कर रखा उसको लेकिन जब वो तुझे मारने निकला तो मैने भी ख़ान को वो सब
करने को बोला जो ज़रूरी था,,,,,,,ख़ान ने अपना काम बखूबी किया और अब मेरी बारी है,
मेरे से अब जो बन पड़ेगा मैं करूँगा,,,,,अब मैं भी तेरा साथ दूँगा सन्नी,,,बेटी मेरी
बाहर सुरक्षित है,,,,बेटा मेरा मर गया,,,,अब मुझे भी उन लोगो का कोई डर नही,,,,

इतना बोलकर वो वहाँ से चला गया लेकिन जाते जाते मुझे कोई दिलासा देता गया,,,,,,,



अब पता नही ये क्या करने वाले है,,,,मुझे उनकी बातों से कुछ समझ नही आया,,,लेकिन
इतना विश्वास हो गया था कि अब ये जो भी करेंगे ठीक ही करेंगे,,,,जो बंदा अपने ही
बेटे को मरवा सकता है उसको कोई और जुर्म करने से रोकने के लिए वो बंदा बाकी लोगो को सज़ा
दिलवाने के लिए कोई भी जोखिम लेने को तैयार हो जाएगा,,,,,




सोनिया और कविता को घर गये अभी 2 अवर्स ही हुए थे कि दोनो वापिस आ गयी,,,,,


अरे तुम दोनो इतनी जल्दी आ भी गयी,,,,आराम तो कर लेना था थोड़ी देर,,,,,

माँ हम लोगो ने रात को आराम कर लिया था,,,,ये बात बोली सोनिया ने,,,,,


हां हाँ जानती हूँ कितना आराम किया,,,,सीधी तरह क्यूँ नही बोलती कि तू अपने भाई के पास
रहना चाहती है,,,,,चलो ठीक है रहो तुम दोनो सन्नी के पास वैसे भी मुझे और शोभा
को थोड़ी शॉपिंग करनी है,,,,,इतना बोलकर माँ ने मेरे फोरहेड पर हल्की किस की और वहाँ
से चली गयी,,,,,,



फिर पूरा दिन सोनिया और कविता मेरे पास रही,,,रात भी ज़िद्द करके दोनो यहीं रुक गयी थी


अगले दिन शोभा की शादी थी,,,मैं शादी पर नही गया क्यूकी मुझे डॉक्टर ने छुट्टी नही
दी थी,,,,वैसे भी ज़्यादा लोग नही थे वहाँ पर,,,,इधर से माँ भुआ डॅड और सोनिया थे
उधर से लड़का ,लड़के के माँ बाप और चाचा चाची थे ,,,,लड़के का चाचा डॅड का अच्छा
दोस्त था जिसने रिश्ता करवाया था,,,,शादी करवाने वही आदमी आया था कोर्ट से जिसने करण
और रितिका की शादी करवाई थी,,,,,वो ख़ान भाई का दोस्त था ख़ान भाई ने उसको बुलवाया
था

शादी के बाद एक छोटा सा फॅमिली लंच था,,,,,शादी के बाद शोभा अपने ससुराल चली
गयी थी,,,,,,


कविता शादी पर नही गयी,,,,वो यहीं थी मेरे पास,,,,और अगले 2 दिन भी वो यहीं रही
मेरे पास,,,ज़िद्द करती गयी और मोम डॅड उसकी ज़िद्द मानते गये,,क्यूकी अब उनकी नज़र मे वो उनकी
बहू थी,,,,,इस बात से सब लोग खुश थे बट सोनिया खुश न्ही थी,,,,



फिर आया रिसेप्षन की पार्टी का दिन,,,,,डॉक्टर ने भी मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी थी,
क्यूकी हॉस्पिटल मे भी आराम ही करना था जो मैं घर जाके भी कर सकता था,,,
 
घर जाके अपने रूम मे अपने बेड पर आराम कर रहा था,,,,,घर मे खूब रोनक थी,,मैं
बाहर निकलना चाहता था लेकिन घर वालो ने मना किया था,,,पार्टी रात को थी इसलिए रात
तक मुझे आराम करने को बोला गया था,,,,,डॉक्टर ने भी ज़्यादा चलने फिरने से मना किया
था क्यूकी जखम अभी भरा नही था,,,टाँके भी अच्छी तरह से सूखे नही थे,,खून
बहने का डर था ज़्यादा चलने फिरने से,,,,,


लेकिन फिर भी मेरे से रहा नही गया,,,टाइम कोई 2-3 बजे के आस पास था,,,मैं नीचे आया
तो देखा घर पूरा सज़ा दिया गया था,,,,फ्रंट गार्डन मे ड्ज लगा था,,,,डॅन्स का प्रोग्राम
वहीं था जबकि पीछे वाले गार्डन मे खाने पीने का बंदोबस्त किया गया था,,,मैं नीचे
घूम ही रहा था तभी मेरी नज़र पड़ी माँ और डॅड के रूम मे,,,,वहाँ रेखा मनोहर और
मामा बैठे हुए थे,,,वो लोग कुछ बात कर रहे थे,,,,मैं आराम से रूम के दरवाजे के
पास जाके खड़ा हो गया और उन लोगो की बातें सुन-ने लगा,,,,



देखने पर तो मुझे मामा रेखा और मनोहर नज़र आ रह थे लेकिन बातों को सुनकर पता
चला माँ भुआ और डॅड भी वहीं थे उस रूम मे,,,,


सुरेंदर,,,,,,अशोक तूने तो मुझे माफ़ कर दिया लेकिन अभी भी किसी से माफी माँगनी है
मुझे,,,,,


अशोक,,,,,,,माफ़ तो करना ही था तुझे सुरेंदर ,,,तूने जो किया उसमे तेरी जितनी ग़लती थी
उतनी ही ग़लती मेरी भी थी,,,सज़ा का हक़दार तो मैं भी हूँ,,,,

गीता ,,,,,हां सुरेंदर ग़लती हम सब से हुई है,,,हर कोई सज़ा का हक़दार है लेकिन अब
इन बातों का कोई फ़ायदा नही,,,,जो होना था हो गया,,,अब हमे आगे की सोचनी है,,,,


सुरेंदर,,,,,आगे की बाद मे पहले मुझे किसी से माफी माँगनी है,,,,


गीता ,,,,,,किस से माफी माँगनी है अब तुझे ,,,,

सुरेंदर,,,,,,,सन्नी से,,,,,,वही रहता है जिसको सब कुछ बताना है और माफी माँगी है
,,,,सोनिया को इस सब के बारे मे कुछ नही पता इसलिए उस से कोई बात नही करनी,,वैसे
है कहाँ सन्नी,,,,,


अशोक,,,,,,अपने रूम मे आराम कर रहा है,,,,अभी कुछ मत बताना उसको,,,पहले से बेचारा
बहुत दुखी है,,,,,आज ही तो हॉस्पिटल से आया है,,,,और वैसे भी आज जशन का माहौल है
घर मे ,,,,अभी कुछ मत बताना ,,सही टाइम आने दो हम सब बता देंगे उसको,,




मनोहर,,,,,,,,,अब आप लोगो को ज़्यादा देर नही करनी चाहिए,,,,सब कुछ सच सच बता
देना चाहिए,,,,क्यूकी सच बताने मे जितनी देर होती है उतना ही बुरा असर होता है लोगो
पर,,,,सच जितनी जल्दी सामने आ जाए उतना ही अच्छा है,,,,मनोहर ये बात रेखा की तरफ
देखकर बोल रहा था,,,,रेखा की आँखों मे आँसू आ गये,,वो मनोहर के गले लग गयी,,,


अरे अब तू क्यूँ रो रही है,,,,,तूने तो सब बता दिया ना मुझे,,,,अब ये रोना धोना किस
बात का,,,,,,चल चुप कर,,,,



सुरेंदर ,,,,,,,ठीक कहा मनोहर ,,,,सच जितनी जल्दी सामने आ जाए उतना अच्छा होता है,
मैं भी जल्दी से अब सब कुछ बता दूँगा ,,,,,बस सन्नी कुछ ठीक हो जाए,,,,


फिर वो लोग कुछ और बातें करने लगे,,,,मैं दरवाजे से हटके जाने ही लगा था कि मेरा
ध्यान गया पीछे की तरफ जहाँ खिड़की पर सोनिया खड़ी हुई थी,,,,वो भी अंदर की सारी
बातें सुन रही थी,,,,


मैने पलट कर उसकी तरफ देखा तो वो अंजान बनते हुए,,,,तू यहाँ क्या कर रहा है चल
उपर जाके आराम कर,,,,डॉक्टर ने ज़्यादा चलने फिरने से मना किया है ना,,,,चल जा उपर
और रात पार्टी के पहले अपने बेड से नही उठना,,,,,

वो अंजान बन-ने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वो ये भी जान गयी थी कि मैने उसको '
बातें सुनते हुए पकड़ लिया था,,,फिर भी वो अंजान बनती जा रही थी,,अंजान बनते हुए
उसने मेरा हाथ पकड़ा और उपर मेरे रूम मे ले गयी,,,,जहाँ कविता बैठी हुई थी,,


ये ले संभाल अपने सन्नी को,,,,डॉक्टर ने बोला है आराम करने को लेकिन ये पूरे घर मे
घूम रहा है,,,,अब इसको रूम से बाहर नही जाने देना,,,समझी,,,,,,सोनिया ने इतना बोला
तो कविता ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर लेटा दिया,,,,



मैं 2 मिनिट के लिए वॉशरूम क्या गयी तू रूम से बाहर चला गया,,,,चल अब आराम कर और
अगर रात से पहले बाहर निकला तो मेरे से बुरा कोई नही होगा,,,,


मैं बेड पर लेट गया,,,,,और सोचने लगा अब ऐसी क्या बात है जो मुझे बताई जानी है'
लेकिन सोनिया को नही,,,,,और ऐसी क्या ग़लती हुई मामा से जिसके बारे मे मुझे बताया जाना
ज़रूरी है,,,ऐसा क्या सच है जो सामने आना ज़रूरी है,,,,,जिसके बारे मे शायद रेखा भी'
जानती है और उसने मनोहर को भी बता दिया,,,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,


मैं रात पार्टी टाइम तक अपने रूम मे ही रहा,,,मामा मनोहर और रेखा मेरा हाल चाल पूछ
कर नीचे चले गये थे किसी ने कोई ज़्यादा बात नही की थी,कोई सच नही बताया था मुझे
,,उन लोगो को सही टाइम का इंतजार था और सही टाइम कब होगा ,,,कॉन जाने,,,,,,
रात करीब पार्टी शुरू होने से पहले 7 बजे के करीब मैं तैयार हो गया,,,,बड़ी मुश्किल
हो रही थी कोट पेंट पहन-ने मे,,,,अभी तो शर्ट के बटन भी बंद नही हो रहे थे
तभी दरवाजे से चलके अंदर की तरफ कविता आ गयी,,

उसने मेरी हेल्प की तैयार होने मे,,,,,शर्ट पहनाई,,,,फिर पेंट भी और शूज भी,,,ऐसे
तैयार कर रही थी मुझे जैसे कोई माँ अपने बच्चे को तैयार करती है या कोई बीवी अपने पति
को,,,,,

मुझे तैयार करके वो खुद चली गयी तैयार होने,,,,,मैं तैयार होके रूम से बाहर आ गया,,
अभी मेहमान तो नही आए थे क्यूकी पार्टी टाइम 10 बजे का था,,,,मैं जल्दी तैयार हो गया
था,,,,,सभी मर्द जल्दी तैयार हो गये थे लेकिन औरतें अभी तैयार हो रही थी और रब जाने
कितना टाइम लगना था इन लोगो को तैयार होने मे,,,मैं नीचे नही गया और उपर के फ्लोर पर
ही घूम रहा था,,,मैं भुआ के ड्रॉयिंग रूम की खिड़की से बाहर फ्रंट गार्डन का नजारा
देख रहा था,,,,

काफ़ी टाइम मैं वहीं खड़ा रहा,,,,फिर दिल किया पीछे वाले गार्डन मे जाके देखने को,
देखु तो सही खाने मे क्या बन रहा है,,,,,बाकी सब की टेन्षन नही थी,,,बस देखना था
चिकन है या नही,,,,वैसे तो हम पंजाबी थे बिना चिकन के पार्टी करना मुश्किल था
हम लोगो के लिए लेकिन फिर भी एक चीज़ ज़रूरी थी,,,तंगड़ी कबाब,,वही देखने के लिए
मैं पीछे की तरफ जा रहा था,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी भुआ के रूम मे,,,जहाँ सोनिया
खड़ी हुई थी ड्रैसिंग टेबल के सामने,,,,,


उसने लाल रंग का पेटिकोट पहना हुआ था और साथ मे लाल रंग का ब्लाउस ,,,,वो ब्लाउस की
डोरी को बाँधने की कोशिश कर रही थी जिसमे उसको मुश्किल हो रही थी,,,मेरा ध्यान उसकी
चिकनी पीठ पर टिका हुआ था,,साथ साथ मैं मिरर मे उसके मासूम और खूबसूरत चेहरे
को भी देख रहा था,,,,उसका ध्यान एक दम से मेरी तरफ आ गया,,,,वो थोड़ी परेशान हो
गयी,,,,उसके हाथ अभी भी उसकी पीठ पर थे,,,,वो पीठ पर ब्लाउस की डोरी बाँधती हुई
मेरी तरफ देख रही थी मिरर मे,,,,


उसकी तरफ देखते हुए मेरे कदम आगे रूम की तरफ बढ़ने लगे,,,,वो थोड़ा डर गयी उसने सर
को ना मे हिला कर मुझे अंदर आने से मना किया लेकिन मैं आगे की तरफ बढ़ता गया,,वो
थोड़ा डर गयी,,,वो समझ गयी थी अब मैं उसके करीब आ रहा हूँ,,,वो जल्दी से पलट
गयी और मेरी तरफ देखते हुए मुझे अंदर आने से मना करने लगी,,,,वो अपने सर को ना मे
हिला रही थी लेकिन मैं आगे बढ़ता जा रहा था,,,तभी दरवाजे के पास जाके मैने दरवाजे
की नॉब को पकड़ा और दरवाजा बंद करने लगा,,,,जब मैं दरवाजा बंद कर रहा था तो सोनिया
की तरफ देख रहा था,,,वो मेरी इस हरकत से खुश हो गयी थी,,मैं उसके पास नही गया
था बल्कि दरवाजा बंद करके वहाँ से आगे की तरफ चला गया था,,,,



मैं चलके पीछे वाले गार्डन की तरफ चला गया और छत से नीचे की तरफ देखने लगा
मैं देखने तो कुछ और आया था लेकिन मेरा ध्यान सोनिया की तरफ था,,उसका चेहरे मेरी
नज़रो से दूर ही नही हो रहा था,,,,हालाकी अब उसका हंसता हुआ चेहरा देखकर आया था
लेकिन मुझे उसका उदास चेहरे भी याद रहा रहा था जब माँ ने कविता से मेरी शादी की
बात की थी तो सोनिया उदास हो गयी थी,,,,ये बात नही सोनिया को मेरे और कविता से कोई जलन
थी लेकिन पता नही क्यूँ फिर भी वो उदास थी,,,,,मुझे उसकी उदासी की वजह जान-नी थी,,


मैं यहाँ खड़ा हुआ नीचे देख रहा था तभी डॅड मेरे पास आ गये,,,,,अरे तैयार हो गये
तुम सन्नी बेटा,,,,लेकिन ये क्या,,,,,तूने टाइ क्यूँ नही पहनी,,,,,,

तभी डॅड की नज़र पड़ी कविता पर जो भुआ के रूम से तैयार होके बाहर आ गयी थी,,,अरे
कविता बेटी सुनो ज़रा,,,,

कविता चलके हम लोगो के पास आ गयी,,,,,मैने कविता को देखा तो देखता रह गया,,,उसने
भी लाल रंग की साड़ी पहनी थी जैसी सोनिया पहन रही थी,,,,बाल खुले थे उसके,,हाथ
से लेके एल्बो तक उसकी बाजू चूड़ियों से भरे हुए थे,,,हल्के जेवर भी पहने हुए थे
और हल्का मेक-अप भी किया हुआ था,,,,,लाल रंग की लिपस्टिक भी लगाई हुई थी,,,,मैने
उसको देखा तो नज़र हटाने को दिल नही किया उस पर से ,,


जी अंकल अपने मुझे बुलाया,,,,,,,कविता पास आके बोली,,,


अंकल नही डॅड बोला करो अब तुम,,,,अब तुम इस घर की बहू बन-ने वाली हो,,,

कविता शरमा गयी और सर झुका लिया,,,,जी डॅड अपने मुझे बुलाया,,,,


हां ये हुई ना बात,,,देखो ना बेटी ये तैयार तो हो गया लेकिन टाइ नही पहनी इसने,,तुम ज़रा
इसको टाइ पहना दो,,,,

सौरी डॅड मैं भूल गयी थी,,,,अभी पहना देती हूँ,,,चलो सन्नी मेरे साथ,,,,उसने इतना
बोला तो मैं जैसे दौर पतंग के साथ खींची चली जाती है मैं भी कविता के साथ साथ
खींचा चला गया,,,,
 
रूम मे जाके कविता ने टाइ उठाई और मेरे सामने आके मुझे टाइ पहनाने लगी,,,वो मुझे टाइ
पहना रही थी और मैं उसके चहरे को देख रहा था,,,,उसने हर शृंगार किया हुआ था लेकिन
सब हर शृंगार उसके एक मासूम फेस के आगे फीका पड़ गया था,,,बहुत क्यूट लग रही थी वो


ऐसे क्या देख रहे हो सन्नी,,,,,,उसने टाइ लगाते हुए पूछा,,,,

कुछ नही,,,बस देख रहा हूँ कि इतनी खूबसूरत परी मेरी किस्मत मे कैसे आ गयी,लगता
है उपर वाले ने किस्मत लिखते टाइम ध्यान नही दिया,,,यकीन नही हो रहा कि इतनी खूबसूरत
लड़की मेरी बीवी बन-ने वाली है,,,,,,

वो शरमा गयी और फिर बोली,,,,,चल चल तुझे किसने कहाँ मैं बीवी बनूँगी तेरी,,,,सपना
आया था क्या,,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगी,,,,

सपना ही सही,,,एक बार मेरी बीवी बनी तो सही तुम,,,,और मुझे तो ये सब भी सपना लग
रहा है जो तुम मेरे इतने करीब खड़ी हो,,,

ये सपना नही हक़ीक़त है बुद्धू,,,इतना बोलकर उसने मेरे सर पर हाथ मारा,,,,यकीन हुआ या
नही,,,



ऐसे थोड़ी होने लगा यकीन ,,इतना बोलकर मैने उसको एक हाथ से अपने करीब खींच लिया
वो भी आराम से मेरे करीब आ गयी,,,फिर मैने उसके लाल सुर्ख होंठों पर एक किस करदी


कुछ टाइम हम लोग ऐसे ही खड़े किस करते रहे,,,,,फिर वो मेरे से अलग हुई,,,उसके लिप्स
से लिपस्टिक उतर चुकी थी,,,उसके लाल सुराख होंठ अब गुलाबी हो गये थे,,,उसके होंठों
से थोड़ी लिपस्टिक मेरे होंठो पर लग गयी थी,,,,वो पीछे हटके अपने हाथ से मेरे होंठों
से लिपस्टिक सॉफ करने लगी,,,,



तभी सोनिया रूम मे आ गयी,,,,सोनिया को देखकर दिल खुश हो गया,,वो भी लाल साड़ी मे थी
कविता और सोनिया दोनो एक जैसी लग रही थी,,बस सोनिया हाइट मे थोड़ी बड़ी थी कविता से
लेकिन दोनो की दोनो बहुत खूबसूरत थी,,,,तय करना मुश्किल था कॉन ज़्यादा खूबसूरत है

अरे तूने भी लिपस्टिक लगानी शुरू करदी सन्नी,,,वैसे अच्छा कलर है ,,,

सोनिया की बात से कविता शरमा गयी,,,,

अब तू भी शुरू हो गयी सोनिया,,,

सौरी बाबा,,,क्या करूँ आदत से मजबूर हूँ,,,लेकिन तुम लोग अपनी आदत सुधार लो,,,जब भी
कुछ ऐसा करना हो दरवाजा बंद कर लिया करो,,,,,माँ बाहर खड़ी होके सब देख रही थी
जब तुम दोनो मस्ती मे मगन थे,,,,

हयी मैं मर गयी,,,,माँ ने सब कुछ देख लिया क्या,,,कविता थोड़ी डरते हुए बोली,,

और नही तो क्या,,,तभी कहती हूँ दरवाजा बंद कर लिया करो,,,,चल अब जल्दी शोभा दीदी
और जीजू भी आ गये है,,,,,,

लेकिन मैं माँ के सामने कैसे जाउन्गी,,,,,,मुझे डर लग रहा है,,,सब कुछ देख लिया आज
माँ ने और सब इस सन्नी की ग़लती है,,जब देखो शुरू हो जाता है,,,


अच्छा अब मेरी ग़लती हो गयी सारी,,,मुझे कोई टेन्षन नही माँ के सामने जाने मे,,मैं चला
तुझे आना है तो आ वरना रूम मे खुद को लॉक करके बैठ जा,,,,मैने इतना बोला और वहाँ
से हंसता हुआ नीचे चला गया,,,,,

कविता भी डरी सहमी हुई सोनिया के साथ नीचे आ गयी,,,,



पार्टी खूब मस्त चल रही थी,,,,डॅड के बॅंक के काफ़ी दोस्त आए थे जिनको मैने हमेशा
बॅंक मे देखा था,,,,,भुआ की बुटीक की सहेलियाँ आई हुई थी,,,,,शोभा के कुछ कॉलेज
फ्रेंड्स थे,,,,,आस पड़ोस वाले थे जो आज पहली बार हमारे घर आए थे,,,क्यूकी अक्सर
घर मे चुदाई का खेल चलता था इसलिए ना तो डॅड किसी को घर लेके आते थे और ना ही
भुआ या माँ,,,,,माँ ने तो सफाई करने के लिए भी किसी को नही रखा था,,,,


पार्टी मे सब लोग शोभा और उसके पति को बधाई दे रहे थे,,,,मेरा हाल चाल भी सब लोगो
ने पूछा था,,,,लेकिन इसके साथ साथ एक और बात थी ,,,माँ और डॅड कविता को सब से मिलवा
रहे थे,,,,अब पक्का हो गया था कविता इस घर की बहू बन-ने वाली थी,,,लेकिन सोनिया
इस बात से खुश नही लग रही थी,,,,वो कविता के साथ साथ चल रही थी लेकिन झूठी
मुस्कान थी उसके चहरे पर,,,,मुझे उसकी उदासी की वजह समझ नही आ रही थी,,,



खैर पार्टी अच्छी चली,,,,खूब मस्ती की सब लोगो ने,,,सब लोग अपने अपने घर चले गये
शोभा भी चली गयी थी,,,,,अब बस फॅमिली वाले ही रह गये थे,,,,कामिनी भाभी और सूरज
भाई भी अभी यहीं थे,,,,,,,,


तभी डॅन्स फ्लोर पर गीता भुआ ने एक रोमॅंटिक ट्रॅक प्ले कर दिया,,,,म्यूज़िक ऑन होते ही
माँ डॅड के साथ,,,,भुआ सुरेंदर के साथ,,,,रेखा मनोहर के साथ और कामिनी सूरज के साथ
बाहों मे बाहें डालके डॅन्स करने लगी,,,,तभी कविता भी चलके मेरे पास आ गयी,,और
अपने हाथ मेरे गले मे डालके डॅन्स करने लगी,,,,मेरा एक हाथ तो पट्टी से बँधा हुआ था
जो पट्टी मेरे गले मे पड़ी हुई थी,,,,,लेकिन मैने दूसरा हाथ उसकी कमर पर रख दिया और
डॅन्स करने लगा,,,,,वो मुझे पार्टी की बातें बताने लगी कि कैसे माँ ने उसको सब लोगो
से मिलवाया,,,म्यूज़िक काफ़ी लाउड था इसलिए वो मेरे कान के पास आके बोल रही थी,,,वो मेरे
से हाइट मे छोटी थी इसलिए मैने भी अपना सर झुका कर अपने कान को उसके करीब कर
दिया था,,,,


मैं उसकी बातें तो सुन रहा था लेकिन मेरा ध्यान था सोनिया की तरफ,,,क्यूकी रोमॅंटिक
ट्रॅक पर सब डॅन्स कर रहे थे एक सोनिया ही अकेली दूर खड़ी हुई थी,,,मैं उसकी तरफ
ही देख रहा था,,,तभी भुआ ने मेरी तरफ देखा और सोनिया के पास चली गयी और सोनिया को
लेके डॅड के पास,,,,,माँ पीछे हट गयी और डॅड सोनिया के साथ डॅन्स करने लगे,,,माँ पीछे
हटके चेयर पर बैठ गयी थी,,


सोनिया डॅड के साथ डॅन्स करने लगी,,,डॅड की पीठ थी मेरी तरफ जिस से सोनिया के चहरे
को देख पा रहा था मैं,,,,मेरा चहरे भी उसकी तरफ था जबकि कविता की पीठ थी उस
तरफ,,,,मैं अभी भी सोनिया की तरफ देख रहा था वो बहुत ज़्यादा उदास लग रही थी मुझे

भुआ हम दोनो की तरफ देख रही थी,,,तभी कविता का ध्यान भी मेरी तरफ आया तो उसने
मेरी नज़रो का पीछा किया और पलट कर देखा तो सोनिया डॅड के साथ डॅन्स कर रही थी और
मेरा ध्यान सोनिया की तरफ था,,,,वो समझ गयी और जल्दी से हटके डॅड के पास चली गयी और
डॅड को अपने साथ डॅन्स करने क लिए बोलने लगी,,,,,जैसे ही डॅड ने सोनिया को खुद से अलग
किया तो कविता ने जल्दी से सोनिया को मेरे करीब कर दिया और खुद डॅड के साथ डॅन्स करने
लगी,,,,


मैं कविता की इस हरकत से खुश हो गया और सर झुका कर कविता का शुक्रिया अदा किया,,,
उसने भी सर झुका कर नज़रे हो नज़रों मे मुझे वेलकम बोला और डॅड के साथ डॅन्स करने
लगी,,,,


सोनिया मेरे करीब खड़ी हुई थी,,,,वो थोड़ी डरी हुई थी,,,,कविता ने ये सब इतनी जल्दी
मे कर दिया तो मुझे और सोनिया को पता ही नही चला,,सोनिया मेरे करीब थी लेकिन आगे नही
बढ़ रही थी,,,,तभी मैने अपने राइट हॅंड को उसकी तरफ किया और उसको डॅन्स के लिए पास
आने को बोला,,,,,उसने डरते डरते अपना लेफ्ट हॅंड मेरे राइट हॅंड मे पकड़ा दिया,,मैने बड़े
प्यार से उसको अपने करीब किया और उसका लेफ्ट हॅंड अपने शोल्डर पर रख दिया,,,,उसने अपना
राइट हॅंड खुद-ब-खुद मेरे लेफ्ट शोल्डर पर रख दिया,,,,लेकिन वहाँ मुझे गोली लगी
थी तो डरते डरते मजबूरी मे सोनिया ने अपने हाथ को मेरे गले मे डाल दिया,,,मैने भी
अपने राइट हॅंड को उसकी कमर से होते हुए उसकी नंगी पीठ पर रख दिया और उसको खुद से
चिपका लिया,,,,
 
हम दोनो एक दूसरे से चिपक गये थे,,मेरा लेफ्ट हॅंड गले मे पहनी हुई पट्टी से लटककर
मेरे सीने पर था जो अब मेरे और सोनिया के सीने के बीच दबने लगा था,,उसके दोनो
हाथ मेरे गले मे थे और मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर,,,उसका चेहरा मेरे राइट तरफ
के शोल्डर के पास था लेकिन वो अपने सर को मेरे और ज़्यादा करीब करने से डर रही थी
तभी मैने अपने हाथ को उसकी पीठ से सहलाते हुए उसके सर पर रखा और उसके सर को अपने
शोल्डर पर रख दिया,,,,वो थोड़ा बेचैन हो गयी मेरी इस हरकत से,,,,,

मेरा हाथ उसके सर से वापिस उसकी पीठ पर चला गया,,,,,

हम दोनो एक दूसरे से चिपके हुए हल्के हल्के इधर उधर हिलते हुए स्लो डॅन्स कर रहे
थे,,,,हम दोनो इतने करीब थे इसलिए हम दोनो की हालत खराब होने लगी थी,,,तभी
मेरा हाथ उसकी पीठ पर थिरकने लगा,,,,उसकी पीठ की तरफ डॅड और कविता डॅन्स कर रहे
थे लेकिन डॅड की पीठ थी हम लोगो की तरफ वो हमे नही देख सकते थे,,लेकिन कविता
हमे देख सकती थी,,,,मेरा हाथ सोनिया की पीठ पर थिरकने लगा था,,,,सोनिया की हालत
खराब हो रही थी,,,कविता भी ये जान गयी थी इसलिए मुझे मना कर रही थी ऐसा करने
से,,,,उसको पता था कि अगर हम लोग बहक गये तो कोई ग़लती कर देंगे लेकिन अब देर हो
गयी थी,,मैं कविता की बात सुन ही नही रहा था,,,

बाकी लोग भी मेरी पीठ पीछे डॅन्स कर रहे थे इसलिए मेरा हाथ सोनिया की पीठ पर हिलता
हुआ नही देख सकते थे,,,,,


कविता मुझे मना करती जा रही थी इशारे मे लेकिन मैं उसकी बात नही सुन रहा था,तभी
सोनिया मेरे कान के पास अपने लिप्स करके बोली,,,,,,



मात्त्तत्त काररर सुउनययी कूिइ दीकख लीगगाअ,,,,अहह सामाजज़ता क्यउउूउ ंहिि
तुउुउउ,,,,मात्तत्त कार्ररर नाअ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़

उसकी साँसे उखाड़ने लगी थी,,गर्म होने लगी थी जिसका एहसास मुझे अपने कान पर हो रहा
था,,,,उसके दिल की धड़कनें भी काफ़ी तेज हो गयी थी,,,जो मुझे उस हाथ पर महसूस हो
रही थी जो मेरे और सोनिया के बीच मे दबा हुआ था,,,,मेरा वो हाथ उसके छोटे छोटे बूब्स
पर टच हो रहा था,,,,,



म्यूज़िक चल रहा था इसलिए किसी को शक़ नही हो रहा था जो हम इतनी करीब होके बातें
कर रहे थे,,,,


उसका गाल मेरे गाल को टच कर रहा था,,,,उसके लिप्स मेरे कान के पास थे,,


माअत्त्त कारर नाआ सुन्नयी प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़,,कूविइ डीएकखह लीएगगाआ,आहह तुउुउउ
संमज़्ज़तताअ क्कक्यउउुउउ ंहिईीईई,,,,हमम्म्ममममममममम माअत्त्त काररर नाआआअ प्लज़्ज़्ज़


कोई देखता है तो देखने दे,,,मुझे डर नही ,,,,मैं तुझे प्यार करता हूँ,,,,तुझे हाँसिल
करना चाहता हूँ,,,,और तुझे हाँसिल करने के लिए मुझे किसी से डरने की ज़रूरत नही,,


प्याररर माऐईन्न बहीी कर्र्त्ती हून्न्न तुउज्झ्ही लेक्किन्न दार्र लग्गतता हाीइ म्मूउजझी
और्र्रर तूऊ वाईससी बहिि मुउज़्झहही हँससिल्ल कारर्र छुक्का हाईईइ टू भ्हाल्ला यी सब
क्क्ययउउू कार रहहा हाई,,,,मेररी ल्लीइयईी टुउन्ने अप्प्पंनी जीिस्सम्म पार गूल्लीइी खाइइ
हाीइ एब्ब बल्ला और्र कय्या राहह गया मुउजझी हँसिल्ल कररननी मी,,,तू अब पुउर्रीई
तरराहह सी मुउज़्झहही हँसिल्ल्ल कारर्र छुक्का हाीइ,,,अब माइिईन्न मुउर्रीई त्तररहह सी
टीएरर्र्रृिइ हूऊंणन्न् सुउन्नयययी,,,,,,,


नही पूरी तरह से नही अभी तो तुझे दिल से हाँसिल किया है,,,,अभी कुछ और हाँसिल करना
बाकी है,,,,लेकिन तू डर रही है,,,


हान्ं मुउजझी दरर्र लग्गतता हाीइ सुउन्न्णी,,,कययुउककीी यईी सब्बब गग्ग्गाल्लत्ट हाीइ
अहह माट्त्ट कार्ररर प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ कययउउू तद्डप्पा रहहा हाई मुउज़्झहही मॅट कार
ना प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़


तडपा मैं नही रहा ,,तू तडपा रही है मुझे भी और खुद को भी,,,जब मुझे कोई डर नही
तो भला तू क्यूँ डर रही है,,,,


क्युक्कीी मैईन्न तेर्रीइ बहहानं हूंन तेरीई मशहूओक़्क़ नाहहिईिइ कववीितता कििई तररहह
,,,,,अहह हात्त जा नाअ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ दीकख मुउुज्झहहस्सी आब्ब्ब औरर्र नाहहिि रुउक्का
जेया राहहा इश्स सी पहल्ली कू गल्लतीीई हूओ जययी और मैईन्न अपपननीी गल्लतीीई पार
रुसववा हू जौउउन्न्ञन् मत्त कार रुक्क्क जा तुउज़्झहही मेरि कासामम




सोनिया ने इतना बोला और अपनी कसम दी तो मैं एक पल मे रुक गया और तभी म्यूज़िक ऑफ हो गया
हम दोनो एक दूसरे से दूर हट गये,,,,,उसकी हालत बहुत खराब हो गयी थी,,,


तभी भुआ बोली,,,,वन्स मोर वन्स मोर,,,,,,लेकिन सोनिया पीछे हट गयी,,,,,,मैं थक गयी
हूँ चलो ना सो जाते है,,,,



तभी कविता उसकी हालत समझ गयी,,,,हां हां मैं भी बहुत थक गयी चलो सो जाते है


डॅड भी मान गये और सब लोग घर के अंदर जाने लगे,,,,तभी कामिनी भाभी और सूरज भाई
कविता को लेके अपने घर जाने लगे तो माँ बोली,,,


अरे बेटा यहीं रुक जाओ सुबह चले जाना,,,,,

नही आंटी जी,,,,सुबह ऑफीस जाना है,,,,,अभी नही रुक सकता,,,,


ठीक है तो बेटा,,,,लेकिन जब टाइम मिले तो आना ,,और कामिनी को भी साथ लेके आना,,तुमसे
ज़रूरी बात करनी है,,,,


मैं समझ गया आंटी जी,,,,,कविता और सन्नी की शादी की बात करनी है ना,,,,मैं माँ से
बात कर लूँगा और आपको बता दूँगा,,,,फिर माँ को लेके ही आपके घर आउन्गा,,,,


कविता और मेरी शादी की बात होने वाली थी,,,,कविता शरमा रही थी,,सब लोग खुश थे
लेकिन सोनिया खुश नही थी,,,,,वो सबके साथ मिलके हंस तो रही थी लेकिन उसकी उदासी
मेरे से छुपि नही थी,,,,और शायद कविता से भी नही,,,,वो भी सोनिया की तरफ देख रही
थी,,,

मैं भी एक तक सोनिया की तरफ देख रहा था,,तभी मेरा ध्यान गया भुआ की तरफ जो मुझे
सोनिया की तरफ देखते हुए देख रही थी,,,,,

पार्टी ख़तम हो गयी,,,,,सब लोग अपने घर चले गये,,,,शोभा भी गयी अपने ससुराल,,,आज
कविता भी अपने घर चली गयी क्यूकी पिछले 8-10 दिन ये वो यहीं थी,,,,


नीचे माँ भुआ डॅड और सुरेंदर मामा सो गये,,,,और उपर भुआ के रूम मे मनोहर और रेखा सो
गये,,,,,मैं जब अपने रूम मे गया तो सोनिया कपड़े चेंज करके बेड पर बैठी हुई थी,,,,

मैं अंदर पहुँचा और अपने कपड़े चेंज करने लगा,,,,मेरे गले मे पट्टी बँधी हुई थी
जिस से मैने अपने लेफ्ट हॅंड को सहारा दिया हुआ था,,,मैने अपना हाथ पट्टी मे से निकाला और
कोट निकालने लगा,,,,,मुझे कोट निकालने मे थोड़ी परेशानी हो रही थी,,ये बात सोनिया भी
समझ गयी थी,,,,


तभी सोनिया बोली,,,,,कविता कहाँ है भाई,,,,,


वो चली गयी अपने घर,,,,,अब क्या हमेशा यहीं रहेगी,,,,,


हां भाई यहीं तो रहने वाली है वो हमेशा,,,,तेरी शादी जो होने वाली है उसके साथ

ये बात बोलते हुए वो नकली हँसी लिए हुए मुझे एसा दिखा रही थी जैसे वो खुश है,बट
मैं उसको अच्छी तरह से जानता था,,,,,उसके चहरे की उदासी मेरे से कभी छुपि नही थी


हां अब क्या कर सकते है,,,माँ ने भी सूरज भाई को बात करने क लिए बुला लिया है,अब
तो लगता है शादी होके ही रहेगी,,,,

होके रहेगी मतलब,,,तू शादी नही करना चाहता क्या कविता से,,,,उसने थोड़ा सवालिया नज़रो
से देखते हुए पूछा,,,,

क्यू नही करना चाहता ,,,,मैं तो मरा जा रहा हूँ उस से शादी करने के लिए,,,,लेकिन अब
उस से ज़्यादा मरा जा रहा हूँ ये कोट उतारने के लिए,,,,मेरे शोल्डर मे दर्द हो रहा था
ये बात सोनिया जान गयी थी,,,,


तभी वो अपने बेड से उठी और मेरे करीब आके मेरा कोट उतारने लगी,,,,,कोट उतारते ही
मैने शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए,,,,वो थोड़ा पीछे हट गयी,,जब शर्ट के बटन
खुल गये तो उसने आगे बढ़ के शर्ट निकालने मे भी मेरी हेल्प की,,,अब मैं बनियान मे था और
पेंट निकालने वाला था,,,,लेकिन अभी मैने पैरो मे जूते पहने हुए थे,,,,सोनिया ने मुझे
बेड पर बैठने को बोला और मैं बैठ गया फिर वो ज़मीन पर घुटनो के बल बैठकर मेरे
जूते निकालने लगी,,,,,जूते निकल गये तो मैं खड़ा होके पेंट निकालने लगा तो वो एक दम
से पलट कर खड़ी हो गयी,,,,,वो मुझे इस हालत मे देखना नही चाहती थी,,,,तभी मैं
भी एक दम से रुक गया,,,क्यूकी मैने पेंट के नीचे अंडरवेअर जो नही पहनता था,,,,घर मे
चुदाई की वजह से ये आदत पड़ी थी मुझे,,,,,
 
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