hotaks444
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- Nov 15, 2016
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कुछ बात करनी थी लेकिन तुम जाओ और पहले कुछ कपड़े पहन लो,,,,मैने इतना बोल दिया लेकिन फिर भी वो
अपनी जगह से नही हिली ,,,बस उसी जगह खड़ी होके काँपति रही,,,मैं समझ गया कि ये मेरे करीब से होके
किसी भी हालत मे रूम से बाहर नही जाने वाली इसलिए मैं जल्दी से रूम से बाहर चला गया,,,और जाके
हॉल मे खड़ा हो गया,,,,सोनिया और शोबा के रूम की तरफ पीठ करके,,,,तभी कुछ देर बाद हल्के कदमो
से सोनिया शोबा के रूम से बाहर निकली और अपने रूम मे चली गई,,,मुझे उसके रूम का दरवाजा बंद
होने की आवाज़ सुनाई दी और मैं पलट कर खड़ा हो गया,,,,
मैं नीचे नही गया और ना ही शोबा के रूम मे वापिस गया,,,मैं वहीं खड़ा हुआ पता नही किस सोच मे
डूब गया,,,,मुझे सोनिया को ऐसी हालत मे देखना था ,,,किसी टवल मे ,,किसी सेक्सी ड्रेस मे,,,पैंटी और ब्रा
मे या सिर्फ़ टवल मे,,,,जिस से मेरे दिल को खुशी होती,,,लेकिन आज उसको ऐसी हालत मे देख कर मुझे खुशी
नही हुई,,,क्यूकी ऐसी हालत मे वो मेरे सामने खड़ी होके डरी हुई थी,,घबराई हुई थी,,,वो इतनी बुरी तरह
से डर गई थी जैसे कोई औरत खुद को 4-6 मर्दो के बीच नंगी पाके दार जाती है,,,उसका काँपता हुआ जिस्म
थरथराते हुए होंठ जिनसे बोलना भी मुश्किल हो रहा था उस से ,,वो सब मेरी आँखों के सामने से गुजर
रहा थे और मुझे आज खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,,मेरी बेहन आज मेरे से ऐसे डर रही थी जैसे मैं
कोई गुंडा हूँ कोई रेपिस्ट हूँ,,,क्या सच मे मैं इतना बुरा बन गया हूँ सेक्स और वासना की वजह से कि
मेरी बेहन मेरे पास होने से थर-थर काँपने लगी थी,.,क्या सेक्स और वासना ने मुझे इतना बदल दिया था
कि जिस बेहन के साथ मैं अक्सर हँसता खेलता था एक ही रूम मे सोता था,,वो आज मेरे साथ एक ही रूम
मे खड़ी होने से भी डर रही थी,,,,
मैं इन्ही सोचो मे डूबा हुआ था तभी सोनिया अपने रूम से निकल कर बाहर आ गई,,,उसने एक पयज़ामा और
साथ मे माचिंग टी-शर्ट पहनी हुई थी,,,,लेकिन अभी भी वो बुरी तरह से डरी हुई थी,,,,वो अपनी टी-शर्ट के
कलर को इतना कस्के पकड़े हुए खड़ी हुई थी जैसे अभी भी वो मेरे सामने टवल मे थी,,,और उसने अपने
टवल को कस के पकड़ा हुआ था,,,
क्या बात करनी है तुमने मेरे से सन्नी,,,वो दूर खड़ी हुई डरते हुए बोल रही थी,,,
मैं वो मैं बस,,,,,,मैं बस तुमसे सौरी बोलने आया था,,,,वो जो कुछ नीचे किचन मे हुआ उसके लिए
मैने जो तेरा मज़ाक बनाया उसके लिए,,,सौरी प्ल्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर्दे,,,
तभी उसका मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,क्या तू सन्नी है ,,,,,या कोई और,,,उसने बड़ी हैरत से मेरे
से पूछा,,,
क्या मतलब है तेरा,,,,,,मैं कुछ समझा नही,,,
मैने पूछा क्या तू सन्नी है या कोई और,,,,,,,,,क्यूकी सन्नी ग़लती करके मुझसे माफी माँग लेता
था लेकिन जो सन्नी का नया रूप है वो मुझसे सौरी नही बोलता कभी,,,बस ग़लती पर ग़लती ही करता रहता है
,,,, उस सन्नी को मैं नही जानती और जान-ना भी नही चाहती,,,,,इसलिए पूछा कि तू सन्नी है या कोई और,,,
मुझे उसकी बात से थोड़ी मायूसी हुई और खुद पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आया,,,मेरी आँखें भी थोड़ी नम हो
गई,,,मैने सर झुका लिया लेकिन उसने मेरी आँखों मे आने वाले आँसू देख लिए,,,,,,,,,मैं वहीं सन्नी
हूँ इसलिए तो माफी माँग रहा हूँ,,,,,
तभी वो मेरे करीब आ गई,,,अब उसका डर ख़तम हो गया था,,वो मेरे करीब आई और दोनो हाथों से
मेरे सर को उपर उठा दिया और फिर एक हाथ से मेरे आँसू पोंछने लगी,,,,
लेकिन तभी मैने उसके हाथ पकड़े और उसको खुद से दूर कर दिया,,,,नही प्लज़्ज़्ज़ मेरे करीब मत आ तू,
मैं सन्नी हूँ तेरा भाई और मैं तेरा भाई ही रहना चाहता हूँ,,,लेकिन अगर तू मेरे करीब आएगी तो
मैं सन्नी नही रहूँगा,,,,एक जानवर बन जाउन्गा,,,प्लज़्ज़्ज़ तू मेरे से दूर रह ,,मैं तुझे हर्ट नही करना
चाहता ,,और ना ही तेरे से दूर रहना चाहता हूँ,,,,
मुझे भी कोई और इंसान नही वो पहले वाला सन्नी ही चाहिए जो मेरी क़दर करे,,मुझे अपनी बेहन समझे
ना कि कोई लज़ीज़ इस्तेमाल करने लाएक कोई चीज़ या खिलोना,,तू बुरा नही है भाई,,,लेकिन तू जानभूज कर
मेरे सामने बुरा बनता है,,बुरा बन-ने का नाटक करता है,,मैं जानती हूँ तू जानभूज कर मुझे
तंग करता है,,,बारिश मे बच्चों की तारह खेलते टाइम भी तू मुझे तंग ही कर रहा था,,,मुझे सब
पता है भाई,,,,,मुझे तंग करके तू मस्ती करने के नाटक करता है लेकिन मुझे तंग करके तू मस्ती नही
कर सकता तू खुद भी उतना ही तंग होता है,,,,,,प्लज़्ज़्ज़ ऐसी हरकते मत कर भाई,,,मुझे मेरा भाई सन्नी
वापिस चाहिए भाई,,,
वो रोते हुए मेरे गले लग गई ,,,,लेकिन मैं जल्दी से उस से दूर हो गया,,,
बोला ना मेरे करीब मत आ तू,,,,मैं तेरा भाई हूँ और भाई ही रहूँगा,,,लेकिन दूर दूर से,,करीब
आएगी तो पछताएगी,,,तू मेरे करीब आती है तो मेरे अंदर का जानवर जागने लगता है और ये जानवर ये नही
जानता कि तू मेरी क्या लगती है,,,मेरे जानवर को मत जगा तू प्लज़्ज़्ज़ दूर रह मेरे से,,,,
उसने मेरी बात सुनी और रोते हुए पहले मुझे गुस्से से देखा फिर आँखों मे नमी लिए हुए हँसने लगी
मुस्कुराने लगी और मेरे गाल पर एक हल्के से थप्पड़ मारा,,,,,,
समझ गई,,,अब हम भाई बेहन है,,दोस्त है,,,लेकन दूर दूर से,,,करीब नही आउन्गि तेरे और अगर तू आया
तो तेरा सर फोड़ दूँगी याद रखना,,,,उसने ये सब हँसते हुए बोला लेकिन आखों मे नमी थी उसके,,
चल अब नीचे चलते है और कविता की हेल्प करते है,,,,वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे नीचे लेके चली
लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और दूर हट गई,,,,,,,,,,,सौरी बाबा ग़लती
हो गई,,,,अब नीचे चले क्या,,,,,वो मुस्कुराते हुए बोल रही थी,,मैं भी उसको मुस्कुराता देख कर खुश
हो गया,,,,क्यूकी काफ़ी लंबे टाइम बाद वो मेरे साथ रहके खुश थी,,,वर्ना तो हर बार बस गुस्सा ही होती
'रहती थी,,,,,,,
फिर वो नीचे की तरफ चलने लगी और मैं भी उसको साथ नीचे की तरफ चलने लगा लेकिन हम दोनो 2
सीडियों के फंसले से चल रहे थे लेकिन हँसते और मज़ाक करते हुए,,,,,,
मैं और सोनिया हँसते हुए बातें करते हुए नीचे की तरफ गये तभी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर कविता सब्जी
काट रही थी साथ मे माँ भी आके बैठ गई थी,,,,,वो दोनो भी बातें करते हुए सब्जी काट रही थी लेकिन
जैसे ही मैं और सोनिया बातें करते हुए नीचे गये तो माँ और कविता की बातें बंद हो गई और वो दोनो
बड़ी खुशी से हम दोनो की तरफ देखने लगी,,,,,
शूकर है तुम दोनो की फाइट ख़तम हुई,,,माँ ने इतना हँसते हुए बोला तो साथ मे कविता भी हँसने लगी
,,,,,,,,,लेकिन ये चमत्कार हुआ कैसे ?,,,,मुझे भी तो पता चले,,,,
तभी डॅड अपने रूम से बाहर निकलते हुए,,,,,,,,,क्या चमत्कार हो गया भाई हमे भी तो पता चले
डॅड ने बड़ी उत्सुकता से पूछा माँ से,,,,
खुद ही देख लो,,,,माँ ने डॅड से इतना बोला और हम दोनो की तरफ इशारा कर दिया,,,,
अरे वाह,,,,भाई बेहन दोनो एक साथ,,,,,ये तो अच्छी बात है,,,,वैसे ये चमत्कार हुआ कैसे,,,
ये चमत्कार मुझे लगता है कविता की वजह से हुआ होगा,,,,माँ ने हंस कर कविता के सर पर हाथ फेरते
हुए बोला,,,,,
इस से पहले कविता कुछ बोलती मैं बोल पड़ा,,,,,,,,,,,इसमे चमत्कार कैसा,,,,हम दोनो मे कॉन्सा कोई
फाइट थी,,,बस हल्का मन-मुटाव था जो अब ख़तम हो गया,,,,आंड इस सब मे इस नौकरानी का कोई हाथ नही
है ना कोई चमत्कार किया है इसने,,,,,,,,,,,,मैने इतना बोला तो कविता गुस्से से,,,,,,,,
अच्छा बच्चू अब सब ठीक हो गया तो मैं नोकारानी बन गई फिर से,,,,,याद रखना रात मे खाना मैं ही
बना रही हूँ आंटी के साथ मिलकर,,,इतनी हरी मिर्ची डाल दूँगी तेरी दाल मे कि याद रखेगा,,,,
अरे बेटी इसकी दाल मे ही डालना कहीं ग़लती से हम लोगो की दाल मे मत डाल देना,,,,डॅड ने हँसते हुए बोला
तो कविता शरमा गई,,,,वैसे जो आज तूने किया है ये बहुत अच्छा काम था तुम्हारा कविता बेटी,,इस से सबका
फ़ायदा होगा,,,,,,,,,,
वो कैसे अंकल जी,,,,,,कविता ने बड़ी उत्सुकता से पूछा,,,,,
तेरे को तेरे दोनो दोस्त मिल जाने है,,,,जैसे अक्सर थे दोनो ,,,पहले तो दोनो की फाइट की वाजहह से एक टाइम पर
एक दोस्त ही तेरे साथ होता था,,,,,,,और अब जब ये दोनो साथ मिल गये है तो सन्नी का भी एग्ज़ॅम मे पास होना
तय हो गया है,,,,,,अब सन्नी को न्यू कार मिलेगी और सोनिया को अपना समान,,,अक्तिवा मोबाइल एट्सेटरा..
सब लोग इसी बात पर खुश हो गये,,,,,उसके बाद ऐसे ही हँसी मज़ाक चलता रहा और ऐसे ही बातें करते
हुए डिन्नर भी हो गया और डिन्नर के बाद हम लोग वापिस उपर रूम मे स्टडी करने के लिए बैठ गये,,,
अपनी जगह से नही हिली ,,,बस उसी जगह खड़ी होके काँपति रही,,,मैं समझ गया कि ये मेरे करीब से होके
किसी भी हालत मे रूम से बाहर नही जाने वाली इसलिए मैं जल्दी से रूम से बाहर चला गया,,,और जाके
हॉल मे खड़ा हो गया,,,,सोनिया और शोबा के रूम की तरफ पीठ करके,,,,तभी कुछ देर बाद हल्के कदमो
से सोनिया शोबा के रूम से बाहर निकली और अपने रूम मे चली गई,,,मुझे उसके रूम का दरवाजा बंद
होने की आवाज़ सुनाई दी और मैं पलट कर खड़ा हो गया,,,,
मैं नीचे नही गया और ना ही शोबा के रूम मे वापिस गया,,,मैं वहीं खड़ा हुआ पता नही किस सोच मे
डूब गया,,,,मुझे सोनिया को ऐसी हालत मे देखना था ,,,किसी टवल मे ,,किसी सेक्सी ड्रेस मे,,,पैंटी और ब्रा
मे या सिर्फ़ टवल मे,,,,जिस से मेरे दिल को खुशी होती,,,लेकिन आज उसको ऐसी हालत मे देख कर मुझे खुशी
नही हुई,,,क्यूकी ऐसी हालत मे वो मेरे सामने खड़ी होके डरी हुई थी,,घबराई हुई थी,,,वो इतनी बुरी तरह
से डर गई थी जैसे कोई औरत खुद को 4-6 मर्दो के बीच नंगी पाके दार जाती है,,,उसका काँपता हुआ जिस्म
थरथराते हुए होंठ जिनसे बोलना भी मुश्किल हो रहा था उस से ,,वो सब मेरी आँखों के सामने से गुजर
रहा थे और मुझे आज खुद पर गुस्सा आ रहा था,,,,मेरी बेहन आज मेरे से ऐसे डर रही थी जैसे मैं
कोई गुंडा हूँ कोई रेपिस्ट हूँ,,,क्या सच मे मैं इतना बुरा बन गया हूँ सेक्स और वासना की वजह से कि
मेरी बेहन मेरे पास होने से थर-थर काँपने लगी थी,.,क्या सेक्स और वासना ने मुझे इतना बदल दिया था
कि जिस बेहन के साथ मैं अक्सर हँसता खेलता था एक ही रूम मे सोता था,,वो आज मेरे साथ एक ही रूम
मे खड़ी होने से भी डर रही थी,,,,
मैं इन्ही सोचो मे डूबा हुआ था तभी सोनिया अपने रूम से निकल कर बाहर आ गई,,,उसने एक पयज़ामा और
साथ मे माचिंग टी-शर्ट पहनी हुई थी,,,,लेकिन अभी भी वो बुरी तरह से डरी हुई थी,,,,वो अपनी टी-शर्ट के
कलर को इतना कस्के पकड़े हुए खड़ी हुई थी जैसे अभी भी वो मेरे सामने टवल मे थी,,,और उसने अपने
टवल को कस के पकड़ा हुआ था,,,
क्या बात करनी है तुमने मेरे से सन्नी,,,वो दूर खड़ी हुई डरते हुए बोल रही थी,,,
मैं वो मैं बस,,,,,,मैं बस तुमसे सौरी बोलने आया था,,,,वो जो कुछ नीचे किचन मे हुआ उसके लिए
मैने जो तेरा मज़ाक बनाया उसके लिए,,,सौरी प्ल्ज़्ज़ मुझे माफ़ कर्दे,,,
तभी उसका मुँह खुला का खुला रह गया,,,,,क्या तू सन्नी है ,,,,,या कोई और,,,उसने बड़ी हैरत से मेरे
से पूछा,,,
क्या मतलब है तेरा,,,,,,मैं कुछ समझा नही,,,
मैने पूछा क्या तू सन्नी है या कोई और,,,,,,,,,क्यूकी सन्नी ग़लती करके मुझसे माफी माँग लेता
था लेकिन जो सन्नी का नया रूप है वो मुझसे सौरी नही बोलता कभी,,,बस ग़लती पर ग़लती ही करता रहता है
,,,, उस सन्नी को मैं नही जानती और जान-ना भी नही चाहती,,,,,इसलिए पूछा कि तू सन्नी है या कोई और,,,
मुझे उसकी बात से थोड़ी मायूसी हुई और खुद पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आया,,,मेरी आँखें भी थोड़ी नम हो
गई,,,मैने सर झुका लिया लेकिन उसने मेरी आँखों मे आने वाले आँसू देख लिए,,,,,,,,,मैं वहीं सन्नी
हूँ इसलिए तो माफी माँग रहा हूँ,,,,,
तभी वो मेरे करीब आ गई,,,अब उसका डर ख़तम हो गया था,,वो मेरे करीब आई और दोनो हाथों से
मेरे सर को उपर उठा दिया और फिर एक हाथ से मेरे आँसू पोंछने लगी,,,,
लेकिन तभी मैने उसके हाथ पकड़े और उसको खुद से दूर कर दिया,,,,नही प्लज़्ज़्ज़ मेरे करीब मत आ तू,
मैं सन्नी हूँ तेरा भाई और मैं तेरा भाई ही रहना चाहता हूँ,,,लेकिन अगर तू मेरे करीब आएगी तो
मैं सन्नी नही रहूँगा,,,,एक जानवर बन जाउन्गा,,,प्लज़्ज़्ज़ तू मेरे से दूर रह ,,मैं तुझे हर्ट नही करना
चाहता ,,और ना ही तेरे से दूर रहना चाहता हूँ,,,,
मुझे भी कोई और इंसान नही वो पहले वाला सन्नी ही चाहिए जो मेरी क़दर करे,,मुझे अपनी बेहन समझे
ना कि कोई लज़ीज़ इस्तेमाल करने लाएक कोई चीज़ या खिलोना,,तू बुरा नही है भाई,,,लेकिन तू जानभूज कर
मेरे सामने बुरा बनता है,,बुरा बन-ने का नाटक करता है,,मैं जानती हूँ तू जानभूज कर मुझे
तंग करता है,,,बारिश मे बच्चों की तारह खेलते टाइम भी तू मुझे तंग ही कर रहा था,,,मुझे सब
पता है भाई,,,,,मुझे तंग करके तू मस्ती करने के नाटक करता है लेकिन मुझे तंग करके तू मस्ती नही
कर सकता तू खुद भी उतना ही तंग होता है,,,,,,प्लज़्ज़्ज़ ऐसी हरकते मत कर भाई,,,मुझे मेरा भाई सन्नी
वापिस चाहिए भाई,,,
वो रोते हुए मेरे गले लग गई ,,,,लेकिन मैं जल्दी से उस से दूर हो गया,,,
बोला ना मेरे करीब मत आ तू,,,,मैं तेरा भाई हूँ और भाई ही रहूँगा,,,लेकिन दूर दूर से,,करीब
आएगी तो पछताएगी,,,तू मेरे करीब आती है तो मेरे अंदर का जानवर जागने लगता है और ये जानवर ये नही
जानता कि तू मेरी क्या लगती है,,,मेरे जानवर को मत जगा तू प्लज़्ज़्ज़ दूर रह मेरे से,,,,
उसने मेरी बात सुनी और रोते हुए पहले मुझे गुस्से से देखा फिर आँखों मे नमी लिए हुए हँसने लगी
मुस्कुराने लगी और मेरे गाल पर एक हल्के से थप्पड़ मारा,,,,,,
समझ गई,,,अब हम भाई बेहन है,,दोस्त है,,,लेकन दूर दूर से,,,करीब नही आउन्गि तेरे और अगर तू आया
तो तेरा सर फोड़ दूँगी याद रखना,,,,उसने ये सब हँसते हुए बोला लेकिन आखों मे नमी थी उसके,,
चल अब नीचे चलते है और कविता की हेल्प करते है,,,,वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे नीचे लेके चली
लेकिन जैसे ही मैने उसकी तरफ देखा उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और दूर हट गई,,,,,,,,,,,सौरी बाबा ग़लती
हो गई,,,,अब नीचे चले क्या,,,,,वो मुस्कुराते हुए बोल रही थी,,मैं भी उसको मुस्कुराता देख कर खुश
हो गया,,,,क्यूकी काफ़ी लंबे टाइम बाद वो मेरे साथ रहके खुश थी,,,वर्ना तो हर बार बस गुस्सा ही होती
'रहती थी,,,,,,,
फिर वो नीचे की तरफ चलने लगी और मैं भी उसको साथ नीचे की तरफ चलने लगा लेकिन हम दोनो 2
सीडियों के फंसले से चल रहे थे लेकिन हँसते और मज़ाक करते हुए,,,,,,
मैं और सोनिया हँसते हुए बातें करते हुए नीचे की तरफ गये तभी डाइनिंग टेबल पर बैठ कर कविता सब्जी
काट रही थी साथ मे माँ भी आके बैठ गई थी,,,,,वो दोनो भी बातें करते हुए सब्जी काट रही थी लेकिन
जैसे ही मैं और सोनिया बातें करते हुए नीचे गये तो माँ और कविता की बातें बंद हो गई और वो दोनो
बड़ी खुशी से हम दोनो की तरफ देखने लगी,,,,,
शूकर है तुम दोनो की फाइट ख़तम हुई,,,माँ ने इतना हँसते हुए बोला तो साथ मे कविता भी हँसने लगी
,,,,,,,,,लेकिन ये चमत्कार हुआ कैसे ?,,,,मुझे भी तो पता चले,,,,
तभी डॅड अपने रूम से बाहर निकलते हुए,,,,,,,,,क्या चमत्कार हो गया भाई हमे भी तो पता चले
डॅड ने बड़ी उत्सुकता से पूछा माँ से,,,,
खुद ही देख लो,,,,माँ ने डॅड से इतना बोला और हम दोनो की तरफ इशारा कर दिया,,,,
अरे वाह,,,,भाई बेहन दोनो एक साथ,,,,,ये तो अच्छी बात है,,,,वैसे ये चमत्कार हुआ कैसे,,,
ये चमत्कार मुझे लगता है कविता की वजह से हुआ होगा,,,,माँ ने हंस कर कविता के सर पर हाथ फेरते
हुए बोला,,,,,
इस से पहले कविता कुछ बोलती मैं बोल पड़ा,,,,,,,,,,,इसमे चमत्कार कैसा,,,,हम दोनो मे कॉन्सा कोई
फाइट थी,,,बस हल्का मन-मुटाव था जो अब ख़तम हो गया,,,,आंड इस सब मे इस नौकरानी का कोई हाथ नही
है ना कोई चमत्कार किया है इसने,,,,,,,,,,,,मैने इतना बोला तो कविता गुस्से से,,,,,,,,
अच्छा बच्चू अब सब ठीक हो गया तो मैं नोकारानी बन गई फिर से,,,,,याद रखना रात मे खाना मैं ही
बना रही हूँ आंटी के साथ मिलकर,,,इतनी हरी मिर्ची डाल दूँगी तेरी दाल मे कि याद रखेगा,,,,
अरे बेटी इसकी दाल मे ही डालना कहीं ग़लती से हम लोगो की दाल मे मत डाल देना,,,,डॅड ने हँसते हुए बोला
तो कविता शरमा गई,,,,वैसे जो आज तूने किया है ये बहुत अच्छा काम था तुम्हारा कविता बेटी,,इस से सबका
फ़ायदा होगा,,,,,,,,,,
वो कैसे अंकल जी,,,,,,कविता ने बड़ी उत्सुकता से पूछा,,,,,
तेरे को तेरे दोनो दोस्त मिल जाने है,,,,जैसे अक्सर थे दोनो ,,,पहले तो दोनो की फाइट की वाजहह से एक टाइम पर
एक दोस्त ही तेरे साथ होता था,,,,,,,और अब जब ये दोनो साथ मिल गये है तो सन्नी का भी एग्ज़ॅम मे पास होना
तय हो गया है,,,,,,अब सन्नी को न्यू कार मिलेगी और सोनिया को अपना समान,,,अक्तिवा मोबाइल एट्सेटरा..
सब लोग इसी बात पर खुश हो गये,,,,,उसके बाद ऐसे ही हँसी मज़ाक चलता रहा और ऐसे ही बातें करते
हुए डिन्नर भी हो गया और डिन्नर के बाद हम लोग वापिस उपर रूम मे स्टडी करने के लिए बैठ गये,,,