hotaks444
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- Nov 15, 2016
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मैने बाहर निकल कर देखा तो वो लोग कोर्ट के पिछले दरवाजे से बाहर जा रहे थे,,,जहाँ से अक्सर या
तो चोर लोग जाते है या पॉलिटीशियन,,,,लोग,,,,,,,,,,,,
उन लोगो के जाते ही करण और रितिका दोनो मेरे गले लग गये और मुझे बाहों मे हग करके थॅंक्स्क्स्क्स
बोलने लगे,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई ,,,,तूने मेरी शादी रितिका से करवा दी ये एहसान मैं ज़िंदगी भर नही
भूल सकता,,,,तेरा जितना भी शुक्रिया अदा करूँ कम है,,,,,
अबे चुप कर और फालतू की डायलॉग-बाजी बंद कर,,,,एक दोस्त कभी दूसरे दोस्त पर एहसान नही करता,,समझा
सब लोग रूम मे बड़े खुश थे ,,फिर हम लोग भी हँसते खुशी मनाते हुए कोर्टरूम से बाहर निकल
कर मेन गेट की तरफ बढ़ने लगे,,,,,,कोर्ट के मेन गेट के पास मैने देखा कि ख़ान भाई सिंपल कपड़ो
मे खड़े हुए थे,,उन्होने यूनिफॉर्म नही पहना हुआ था,,,,,और आस-पास ही उनके लोग मौजूद थे वो भी
सिंपल कपड़ो मे,,,,
हम लोग ख़ान भाई के पास पहुँचे तो रितिका भाग कर ख़ान भाई के गले लग गई और रोने लगी,,,
अरे बुद्धू लड़की,,,,अब क्यूँ रो रही है,,,अब तो तुझे खुश होना चाहिए तेरी शादी जो हो गई है करण
के साथ,,,,आज का दिन रोने का नही बल्कि खुश होने का है ,,तुझे तेरी पसंद का जीवन-साथी जो मिल गया
है,,,,,,,रितिका बस रोती जा रही थी ख़ान भाई को हग करके,,,,वो ख़ान भाई को अपने भाई सुरेश से कहीं
ज़्यादा मानती थी,,,,,इसलिए तो आज मंदिर मे जब रितिका की शादी हुई थी ख़ान भाई ने ही उसका कन्या-दान भी
किया था जो अक्सर लड़की का बाप या भाई करता है,,,,
चल बस भी कर अब रोना बंद कर मेरी छुटकी बहना,,,ख़ान भाई की आँखें भी नम हो गई थी जब उन्होने
रितिका का रोता हुआ चेहरा देखा,,,,तभी करण ने आगे बढ़ कर ख़ान भाई के पैर छू कर उनका आशीर्वाद
लिया और साथ मे रितिका ने भी,,
आज से ये तेरी अमानत है करण,,और खबरदार अगर इसको कभी हर्ट किया या रुलाया,,,याद रखना तेरी बीवी का
भाई एक पोलीस वाला है,,,,ख़ान भाई ने ये बात थोड़ी हंस कर बोली तो सब लोग भी हँसने लगे,,,
रितिका भी खुश हो गई और करण को मज़ाक मे बोलने लगी,,,,,सुन लिया ना,,,,अगर मुझे कभी हर्ट किया तो
मेरा ये पोलीस वाला भाई तुझे बहुत ज़्यादा हर्ट करेगा.,,,,,,,रितिका की बात पर भी सब लोग खुश हो गये
फिर मैने पोलीस की बड़ी बस मे देखा कि कुछ लोग बैठे हुए थे,,,,मैने पास जाके देखा तो ये वही
लोग थे जो सुबह मेरी बाइक से टकरा गये थे और अब कोर्टरूम मे अंदर आके भी मेरे से मार-पीट
करने लगे थे,,,,,
ख़ान भाई ने मुझे अपने साथ लिया और उसी वॅन के पास चले गये,,,,अब बोलो सन्नी भाई क्या करना है इन
लोगो का,,,,,मैने भी हँसते हुए मज़ाक मे बोल दिया,,,,,,कुछ खास नही ख़ान भाई बस जब तक अपना बाकी का
काम नही हो जाता तब तक सरकारी मेहमान बना कर रखो इनको और अच्छी तरह से खातिरदारी भी करो इनकी
और इस वाले की तो ज़रा ज़्यादा खातिर करना,,,,,मैने उस आदमी की तरफ इशारा किया जिसने मुझे 3-4 थप्पड़
मारे थे,,,,,
ख़ान भी हँसने लगे और वो सब लोग डर गये जो वॅन मे बैठे हुए थे,,,,,
ख़ान भाई हम लोगो से मिले और वहाँ से चले गये ,,,और कोर्ट से बाहर आते ही पायल भाभी भी टॅक्सी करके
एर-पोर्ट की तरफ चली गई और जाते जाते मुझे अपने शरारती अंदाज़ मे हग करके गई,,,उसने मुझे हग किया तो
सब लोग हमे देख रहे थे,,,,,शिखा ,,,,अलका,,करण और रितिका भी,,,,
ख़ान भाई गये अपने रास्ते ,,,पायल गई अपने रास्ते,,,और हम लोग भी चल पड़े अपने रास्ते,,,,मैं बाइक पर
गया और बाकी लोग टॅक्सी मे चल पड़े करण के घर की तरफ,,,,,,,,
आज मैं बहुत खुश था रितिका और करण की शादी करवा कर मैने अपनी शर्त पूरी करदी थी,,,जो सपना
दिखाया था रितिका और करण को उस सपने को मैने हक़ीक़त का रूप दे दिया था और सब कुछ इतनी आसानी से
हो गया था कि मुझे यकीन ही नही हो रहा था,,,मुझे लगा था वो लोग कुछ पंगा कर सकते है ,,,हालाकी
उन लोगो ने पंगा किया भी लेकिन उस से कोई खास फरक नही पड़ा,,,,लेकिन अब मुझे और भी ज़्यादा डर लगने
लगा था क्यूकी कोर्ट से जाते हुए रितिका का बाप और भाई तो सर झुका कर गये थे लेकिन अमित और उसका बाप
मुझे गुस्से से घूरते हुए गये थे,,,
मैं बाइक पर चल पड़ा टॅक्सी के पीछे पीछे करण के घर की तरफ और टॅक्सी मे शिखा ,,अलका ,,करण और
रितिका थे,,,,मैं बहुत खुश था आज करण की शादी करवा कर,,,और मेरे से भी ज़्यादा खुश थे कारण
और रितिका,,,और उतनी ही खुशी झलक रही थी अलका और शिखा के चेहरे पर,,वो लोग भी करण की शादी से बहुत
खुश थे,,,
जैसे ही टॅक्सी रुकी करण के घर के बाहर तभी सामने से एक और टॅक्सी आके रुकी,,,,और उस मे से मेरी माँ बाहर
निकल कर आ गई,,,,इधर अलका आंटी भी टॅक्सी से निकली और मेरी माँ के गले लग्के मिली,,,,
दोनो एक दूसरे के गले लग्के शादी की मुबारकबाद देने लगे,,,,,
अलका>>> जो समान मैने बोला था वो ले आई ना आप सरिता दीदी,,,,
माँ>>> हां हां जो तूने बोला था सब समान ले आई मैं,,,चल अब जल्दी शादी-शुदा जोड़ी का वेलकम
करने की तैयारी करते है,,,,इतना बोलकर माँ और अलका वापिस करण और रितिका के पास आई
माँ करण और रितिका को एक बार बड़े प्यार से मिली और बोली,,,,अभी के लिए इतना ही पहले तुम लोगो का वेलकम
करके गृहप्रवेश करके घर के अंदर ले जाउ फिर मिलती हूँ ठीक से,,,,,इतना बोलके माँ शिखा और अलका
आंटी को अपने साथ लेके घर के अंदर चली गई,,,और जाते जाते मुझे टॅक्सी मे से समान निकालने को बोल
गई,,,,,
मैं टॅक्सी के पास गया तो देखा उसमे प्लास्टिक के 6-7 बॅग पड़े हुए थे जिनको मैने टॅक्सी वाले के साथ मिलकर
घर के अंदर पहुँचा दिया फिर टॅक्सी वाले को उसके पैसे देके वहाँ से भेज दिया,,,,,इतनी देर मे माँ और
अलका आंटी ने मिलकर करण और रितिका के वेलकम की तैयारी करली,,,,
मैने देखा कि माँ अलका आंटी और शिखा हाथ मे एक आरती की थाली लेके गेट के पास खड़ी हुई थी फिर उन
लोगो ने अपने रीति-रिवाज़ के साथ करण और रितिका का वेलकम किया और उनको घर के अंदर ले गई,,,
हम सब करण को शिखा दीदी के रूम मे ले गये,,,फिर माँ और अलका आंटी ने खाने पीने का इंतेज़ाम किया
खाना घर पर नही बनाया था वो माँ लेके आई थी मार्केट से,,,,हम लोग इधर उधर की बातें करते हुए
खाना खा रहे थे लेकिन मेरा ध्यान बार बार रितिका की तरफ जा रहा था जो दुल्हन के लिबास मे बहुत
ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,,मेरा कुछ ग़लत अंदाज़ा नही था उसे देखने का मैं तो इसलिए देख रहा
था क्यूकी वो सचमुच बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,खाना खाते टाइम जब भी करण स्पून से उसको
कुछ खिलाता तो वो शर्मा जाती और रूम मे सब लोग उसको देख कर हँसने लगते,,,माँ अलका आंटी और शिखा
ने तो इतना मज़ाक किया उन दोनो के साथ कि उन लोगो का खाना पीना मुश्किल हो गया,,,,
जैसे मैं बार बार रितिका की खूबसूरती को निहार रहा था वैसे ही माँ भी बार बार रितिका की तारीफ
करती हुई थक नही रही थी,,,
तभी हम लोगो का खाना ख़तम हो गया फिर माँ अलका आंटी और शिखा दीदी उठकर करण के रूम मे
चली गई,,,,और यहाँ रह गये मैं करण और रितिका,,,
बाकी लोगो के सामने रितिका शरमा रही थी लेकिन जब हम लोग ही रह गये तो रितिका खुल कर बात करने लगी
हालाकी दुल्हन के लिबास मे होने की वजह से वो मेरे से थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन इतना भी नही जितना
वो बाकी सब के सामने शरमा रही थी,,,,
करण और रितिका बार बार मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोल रहे थे ,,,,वो लोग बहुत खुश थे शादी करके ,,खुश तो
मैं भी था लेकिन मुझे कहीं ना कहीं थोड़ा डर भी लग रहा था क्यूकी आज तो सब कुछ ठीक से हो गया
था लेकिन आगे चलके कोई पंगा हो भी सकता था,,,,,,रितिका का बाप और भाई शायद कुछ ना करे अब क्यूकी
उन लोगो की आँखों मे आने वाले आँसू बता रहे थे वो लोग कितना शर्मिंदा हो गये थे लेकिन अमित और
उसका बाप कुछ भी कर सकते थे क्यूकी जाते टाइम वो बड़े गुस्से से देख कर गये थे मुझको,,,,
हम लोग बातें ही कर रहे थे तभी माँ अलका आंटी और शिखा दीदी वापिस आ गये रूम मे,,,,,
कहाँ गये थे आप लोग,,इतना टाइम क्या कर रहे थे,,,,,
तभी शिखा हँसते हुए,,,,,नई जोड़ी के लिए सुहागरात का कमरा सज़ा रहे थे,,,,शिखा ने इतना बोला तो
रितिका ने शरमा कर नज़रे झुका ली,,,,
मैने मज़ाक मज़ाक मे बोला ,,,,ओह्ह वाउ कैसा सज़ा रूम ज़रा मुझे भी बताओ,,,,मुझे पता था ऐसे
बोलने से रितिका और शरमा जाएगी और उसका शरमाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,,,
तभी माँ बोली,,,,,जा खुद ही जाके देख ले सन्नी बेटा,,,एक दिन तेरा रूम भी तो सज़ाना पड़ेगा हम लोगो
को,,,,माँ ने इतना बोला तो अब शरमाने की बारी मेरी थी,,,,मैं रितिका से भी ज़्यादा शरमा गया और मेरी
इस हरकत से सब लोग हँसने लगे,,,,मैं इतना ज़्यादा शरमा गया कि उठकर रूम से बाहर चला गया मेरे जाते
ही सब लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे,,,,,
तभी शिखा मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर मुझे करण के रूम मे ले गई,,,,
तो चोर लोग जाते है या पॉलिटीशियन,,,,लोग,,,,,,,,,,,,
उन लोगो के जाते ही करण और रितिका दोनो मेरे गले लग गये और मुझे बाहों मे हग करके थॅंक्स्क्स्क्स
बोलने लगे,,,,थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई ,,,,तूने मेरी शादी रितिका से करवा दी ये एहसान मैं ज़िंदगी भर नही
भूल सकता,,,,तेरा जितना भी शुक्रिया अदा करूँ कम है,,,,,
अबे चुप कर और फालतू की डायलॉग-बाजी बंद कर,,,,एक दोस्त कभी दूसरे दोस्त पर एहसान नही करता,,समझा
सब लोग रूम मे बड़े खुश थे ,,फिर हम लोग भी हँसते खुशी मनाते हुए कोर्टरूम से बाहर निकल
कर मेन गेट की तरफ बढ़ने लगे,,,,,,कोर्ट के मेन गेट के पास मैने देखा कि ख़ान भाई सिंपल कपड़ो
मे खड़े हुए थे,,उन्होने यूनिफॉर्म नही पहना हुआ था,,,,,और आस-पास ही उनके लोग मौजूद थे वो भी
सिंपल कपड़ो मे,,,,
हम लोग ख़ान भाई के पास पहुँचे तो रितिका भाग कर ख़ान भाई के गले लग गई और रोने लगी,,,
अरे बुद्धू लड़की,,,,अब क्यूँ रो रही है,,,अब तो तुझे खुश होना चाहिए तेरी शादी जो हो गई है करण
के साथ,,,,आज का दिन रोने का नही बल्कि खुश होने का है ,,तुझे तेरी पसंद का जीवन-साथी जो मिल गया
है,,,,,,,रितिका बस रोती जा रही थी ख़ान भाई को हग करके,,,,वो ख़ान भाई को अपने भाई सुरेश से कहीं
ज़्यादा मानती थी,,,,,इसलिए तो आज मंदिर मे जब रितिका की शादी हुई थी ख़ान भाई ने ही उसका कन्या-दान भी
किया था जो अक्सर लड़की का बाप या भाई करता है,,,,
चल बस भी कर अब रोना बंद कर मेरी छुटकी बहना,,,ख़ान भाई की आँखें भी नम हो गई थी जब उन्होने
रितिका का रोता हुआ चेहरा देखा,,,,तभी करण ने आगे बढ़ कर ख़ान भाई के पैर छू कर उनका आशीर्वाद
लिया और साथ मे रितिका ने भी,,
आज से ये तेरी अमानत है करण,,और खबरदार अगर इसको कभी हर्ट किया या रुलाया,,,याद रखना तेरी बीवी का
भाई एक पोलीस वाला है,,,,ख़ान भाई ने ये बात थोड़ी हंस कर बोली तो सब लोग भी हँसने लगे,,,
रितिका भी खुश हो गई और करण को मज़ाक मे बोलने लगी,,,,,सुन लिया ना,,,,अगर मुझे कभी हर्ट किया तो
मेरा ये पोलीस वाला भाई तुझे बहुत ज़्यादा हर्ट करेगा.,,,,,,,रितिका की बात पर भी सब लोग खुश हो गये
फिर मैने पोलीस की बड़ी बस मे देखा कि कुछ लोग बैठे हुए थे,,,,मैने पास जाके देखा तो ये वही
लोग थे जो सुबह मेरी बाइक से टकरा गये थे और अब कोर्टरूम मे अंदर आके भी मेरे से मार-पीट
करने लगे थे,,,,,
ख़ान भाई ने मुझे अपने साथ लिया और उसी वॅन के पास चले गये,,,,अब बोलो सन्नी भाई क्या करना है इन
लोगो का,,,,,मैने भी हँसते हुए मज़ाक मे बोल दिया,,,,,,कुछ खास नही ख़ान भाई बस जब तक अपना बाकी का
काम नही हो जाता तब तक सरकारी मेहमान बना कर रखो इनको और अच्छी तरह से खातिरदारी भी करो इनकी
और इस वाले की तो ज़रा ज़्यादा खातिर करना,,,,,मैने उस आदमी की तरफ इशारा किया जिसने मुझे 3-4 थप्पड़
मारे थे,,,,,
ख़ान भी हँसने लगे और वो सब लोग डर गये जो वॅन मे बैठे हुए थे,,,,,
ख़ान भाई हम लोगो से मिले और वहाँ से चले गये ,,,और कोर्ट से बाहर आते ही पायल भाभी भी टॅक्सी करके
एर-पोर्ट की तरफ चली गई और जाते जाते मुझे अपने शरारती अंदाज़ मे हग करके गई,,,उसने मुझे हग किया तो
सब लोग हमे देख रहे थे,,,,,शिखा ,,,,अलका,,करण और रितिका भी,,,,
ख़ान भाई गये अपने रास्ते ,,,पायल गई अपने रास्ते,,,और हम लोग भी चल पड़े अपने रास्ते,,,,मैं बाइक पर
गया और बाकी लोग टॅक्सी मे चल पड़े करण के घर की तरफ,,,,,,,,
आज मैं बहुत खुश था रितिका और करण की शादी करवा कर मैने अपनी शर्त पूरी करदी थी,,,जो सपना
दिखाया था रितिका और करण को उस सपने को मैने हक़ीक़त का रूप दे दिया था और सब कुछ इतनी आसानी से
हो गया था कि मुझे यकीन ही नही हो रहा था,,,मुझे लगा था वो लोग कुछ पंगा कर सकते है ,,,हालाकी
उन लोगो ने पंगा किया भी लेकिन उस से कोई खास फरक नही पड़ा,,,,लेकिन अब मुझे और भी ज़्यादा डर लगने
लगा था क्यूकी कोर्ट से जाते हुए रितिका का बाप और भाई तो सर झुका कर गये थे लेकिन अमित और उसका बाप
मुझे गुस्से से घूरते हुए गये थे,,,
मैं बाइक पर चल पड़ा टॅक्सी के पीछे पीछे करण के घर की तरफ और टॅक्सी मे शिखा ,,अलका ,,करण और
रितिका थे,,,,मैं बहुत खुश था आज करण की शादी करवा कर,,,और मेरे से भी ज़्यादा खुश थे कारण
और रितिका,,,और उतनी ही खुशी झलक रही थी अलका और शिखा के चेहरे पर,,वो लोग भी करण की शादी से बहुत
खुश थे,,,
जैसे ही टॅक्सी रुकी करण के घर के बाहर तभी सामने से एक और टॅक्सी आके रुकी,,,,और उस मे से मेरी माँ बाहर
निकल कर आ गई,,,,इधर अलका आंटी भी टॅक्सी से निकली और मेरी माँ के गले लग्के मिली,,,,
दोनो एक दूसरे के गले लग्के शादी की मुबारकबाद देने लगे,,,,,
अलका>>> जो समान मैने बोला था वो ले आई ना आप सरिता दीदी,,,,
माँ>>> हां हां जो तूने बोला था सब समान ले आई मैं,,,चल अब जल्दी शादी-शुदा जोड़ी का वेलकम
करने की तैयारी करते है,,,,इतना बोलकर माँ और अलका वापिस करण और रितिका के पास आई
माँ करण और रितिका को एक बार बड़े प्यार से मिली और बोली,,,,अभी के लिए इतना ही पहले तुम लोगो का वेलकम
करके गृहप्रवेश करके घर के अंदर ले जाउ फिर मिलती हूँ ठीक से,,,,,इतना बोलके माँ शिखा और अलका
आंटी को अपने साथ लेके घर के अंदर चली गई,,,और जाते जाते मुझे टॅक्सी मे से समान निकालने को बोल
गई,,,,,
मैं टॅक्सी के पास गया तो देखा उसमे प्लास्टिक के 6-7 बॅग पड़े हुए थे जिनको मैने टॅक्सी वाले के साथ मिलकर
घर के अंदर पहुँचा दिया फिर टॅक्सी वाले को उसके पैसे देके वहाँ से भेज दिया,,,,,इतनी देर मे माँ और
अलका आंटी ने मिलकर करण और रितिका के वेलकम की तैयारी करली,,,,
मैने देखा कि माँ अलका आंटी और शिखा हाथ मे एक आरती की थाली लेके गेट के पास खड़ी हुई थी फिर उन
लोगो ने अपने रीति-रिवाज़ के साथ करण और रितिका का वेलकम किया और उनको घर के अंदर ले गई,,,
हम सब करण को शिखा दीदी के रूम मे ले गये,,,फिर माँ और अलका आंटी ने खाने पीने का इंतेज़ाम किया
खाना घर पर नही बनाया था वो माँ लेके आई थी मार्केट से,,,,हम लोग इधर उधर की बातें करते हुए
खाना खा रहे थे लेकिन मेरा ध्यान बार बार रितिका की तरफ जा रहा था जो दुल्हन के लिबास मे बहुत
ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,,मेरा कुछ ग़लत अंदाज़ा नही था उसे देखने का मैं तो इसलिए देख रहा
था क्यूकी वो सचमुच बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,खाना खाते टाइम जब भी करण स्पून से उसको
कुछ खिलाता तो वो शर्मा जाती और रूम मे सब लोग उसको देख कर हँसने लगते,,,माँ अलका आंटी और शिखा
ने तो इतना मज़ाक किया उन दोनो के साथ कि उन लोगो का खाना पीना मुश्किल हो गया,,,,
जैसे मैं बार बार रितिका की खूबसूरती को निहार रहा था वैसे ही माँ भी बार बार रितिका की तारीफ
करती हुई थक नही रही थी,,,
तभी हम लोगो का खाना ख़तम हो गया फिर माँ अलका आंटी और शिखा दीदी उठकर करण के रूम मे
चली गई,,,,और यहाँ रह गये मैं करण और रितिका,,,
बाकी लोगो के सामने रितिका शरमा रही थी लेकिन जब हम लोग ही रह गये तो रितिका खुल कर बात करने लगी
हालाकी दुल्हन के लिबास मे होने की वजह से वो मेरे से थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन इतना भी नही जितना
वो बाकी सब के सामने शरमा रही थी,,,,
करण और रितिका बार बार मुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोल रहे थे ,,,,वो लोग बहुत खुश थे शादी करके ,,खुश तो
मैं भी था लेकिन मुझे कहीं ना कहीं थोड़ा डर भी लग रहा था क्यूकी आज तो सब कुछ ठीक से हो गया
था लेकिन आगे चलके कोई पंगा हो भी सकता था,,,,,,रितिका का बाप और भाई शायद कुछ ना करे अब क्यूकी
उन लोगो की आँखों मे आने वाले आँसू बता रहे थे वो लोग कितना शर्मिंदा हो गये थे लेकिन अमित और
उसका बाप कुछ भी कर सकते थे क्यूकी जाते टाइम वो बड़े गुस्से से देख कर गये थे मुझको,,,,
हम लोग बातें ही कर रहे थे तभी माँ अलका आंटी और शिखा दीदी वापिस आ गये रूम मे,,,,,
कहाँ गये थे आप लोग,,इतना टाइम क्या कर रहे थे,,,,,
तभी शिखा हँसते हुए,,,,,नई जोड़ी के लिए सुहागरात का कमरा सज़ा रहे थे,,,,शिखा ने इतना बोला तो
रितिका ने शरमा कर नज़रे झुका ली,,,,
मैने मज़ाक मज़ाक मे बोला ,,,,ओह्ह वाउ कैसा सज़ा रूम ज़रा मुझे भी बताओ,,,,मुझे पता था ऐसे
बोलने से रितिका और शरमा जाएगी और उसका शरमाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,,,
तभी माँ बोली,,,,,जा खुद ही जाके देख ले सन्नी बेटा,,,एक दिन तेरा रूम भी तो सज़ाना पड़ेगा हम लोगो
को,,,,माँ ने इतना बोला तो अब शरमाने की बारी मेरी थी,,,,मैं रितिका से भी ज़्यादा शरमा गया और मेरी
इस हरकत से सब लोग हँसने लगे,,,,मैं इतना ज़्यादा शरमा गया कि उठकर रूम से बाहर चला गया मेरे जाते
ही सब लोग ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे,,,,,
तभी शिखा मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर मुझे करण के रूम मे ले गई,,,,