desiaks
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“न...नहीं...आह...नहीं...अ...आह...मैं आशा नहीं हूं—मैं ब्यूटी हूं...ब...ब्यू...आह...आह!” उस छोटे-से, परन्तु पूरी तरह सुसज्जित टॉर्चर रूम में आशा की मर्मान्तक चीखें गूंज रही थीं—उसके चेहरे पर तेज वॉट तीन-चार बल्बों का प्रकाश पड़ रहा था—इस वक्त वह टॉर्चर चेयर पर बैठी थी।
बिजली के शॉक दिए जा रहे थे उसे, ठीक सामने जेम्स बॉण्ड खड़ा सिगरेट पी रहा था—टॉर्चर रूम का दरवाजा अन्दर से बन्द था—रूम में केवल तीन ही व्यक्ति थे—आशा, बॉण्ड और बिजली के शॉक देने वाला शक्ल से ही जल्लाद नजर आता व्यक्ति।
बॉण्ड ने हाथ उठाकर जल्लाद को रुक जाने का संकेत दिया तो उसने शॉक देने बन्द कर दिए—टॉर्चर चेयर पर बंधी आशा निढाल-सी बड़बड़ाए जा रही थी—“न...नहीं...मैं आशा नहीं हूं—मेरा नाम ब्यूटी है—मैं किसी आशा को नहीं जानती।”
बार-बार यही बड़बड़ाती हुई वह निढाल-सी हो गई।
यह क्रम पिछले एक घण्टे से चल रहा था—टॉर्चर के दौरान आशा दो बार बेहोश हो चुकी थी—दोनों ही बार उसे अप्राकृ-तिक रुप से होश में लाया गया और पुन: तड़पाने वाली यातनाओं का सिलसिला शुरू किया गया, सवाल एक ही था—तुम आशा हो, भारतीय जासूस हो। आशा का एक ही जवाब था—मेरा नाम ब्यूटी है, मैं जापानी हूं—किसी आशा को नहीं जानती।”
यदि सच कहा जाए तो यह कोई ऐसा सवाल नहीं था, जिसका जवाब बॉण्ड को मालूम न हो—वह आशा ही है—इस सच्चाई को वह उतनी ही अच्छी तरह जानता था जितनी अच्छी तरह ये जानता था कि वह बॉण्ड है—फिर भी यह बात कि वह आशा है, आशा के मुंह से ही स्वीकार करवाना उसके लिए निहायत जरूरी था—आशा के चेहरे पर मौजूद मेकअप और उसके बालों को बाण्ड कई प्रकार के कैमिकल्स से धो चुका था, परन्तु न चेहरे पर ही कोई फर्क पड़ा और न ही बालों पर।
यह समझने में बॉण्ड को देर नहीं लगी कि मेकअप उन पदार्थों से किया गया है, जिन पर कोई रसायन कान नहीं करेगा, एक महीने के बाद मेकअप स्वयं ही कमजोर पड़ना शुरू होगा और दो महीने पूरे होते-होते चेहरा पूरी तरह साफ हो जाएगा।
अब यह साबित करने का कि कोहिनूर को प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन में भारतीय जासूस सक्रिय हैं, उसके पास एक ही रास्ता था— वह यह कि आशा के मुंह से कहलावाए कि वह आशा है।
इसी के लिए वह प्रयत्न भी कर रहा था।
एक कदम बढ़ाकर वह टॉर्चर चेयर के बिल्कुल करीब आ गया, दोनों होथों से आशा के गाल थपथपाता हुआ बोला—“आशा—आशा!”
“आं!” निढाल-सी आशा ने आंखें खोलने की कोशिश की। अधखुली आंखों से बाण्ड को देखती हुई वह बोली—“आशा—आशा!”
“तुम शायद यह सोच रही हो कि यदि तुमने अपना आशा होना स्वीकार कर लिया तो मैं बड़ी आसानी से विश्व के सामने यह सिद्ध कर दूंगा कि भारत के जासूस होने से विश्व स्तर पर भारत की गरिमा को आघात पहुंचेगा।”
“एक जापानी लड़की को जबरदस्ती भारतीय जासूस साबित करना चाहते हो मिस्टर बॉण्ड?”
“तुम न भी कहो, तब भी दुनिया के सामने हकीकत को साबित करने के लिए मेरे पास बहुत-से रास्ते हैं।”
“झूठ, झूठ ही रहता है।”
“मेरे पास भारतीय सीक्रेट सर्विस के सभी जासूसों की उंगलियों के निशान हैं, उस फाइल में तुम्हारी उंगलियों के निशान भी हैं, आशा, मैं तुम्हारे निशानों को उनसे मिलाकर साबित कर सकता हूं।”
“क्या सबूत है कि जिन निशानों से तुम मेरे निशानों को मिलाओगे वे भारतीय जासूस आशा के ही हैं?”
“त...तुम!” बेबसीवश तिलमिलाते हुए बॉण्ड ने दांत पीसे, दरअसल कुछ सूझ नहीं रहा था उसे—अजीब बात थी, उसके लिए आशा को आशा साबित करना एक समस्या बन गई थी—झुंझलाहट में उसने अपनी पूरी ताकत से एक जोरदार घूंसा आशा की नाक पर मारा।
आशा के कण्ठ से चीख निकल गई।
खून की धारा फूट पड़ी।
बॉण्ड ने बेरहमी से उसके बाल पकड़े, दांत भींचकर गुर्राया—“मैं सब जानता हूं कि ये मेकअप किन पदार्थों से किया गया है, अभी तक इन पदार्थों की रासायनिक काट नहीं बनी है—मगर दो महीने बाद ये मेकअप खुद तुम्हारा चेहरा छोड़ देगा आशा—तब खुद-ब-खुद ही साबित हो जाएगा कि तुम आशा हो—मैं तुम्हें छोङूंगा नहीं, दो महीने तक इसी टॉर्चर चेयर पर कैद रखूंगा—इस बीच ऐसी-ऐसी यातनाएं सहनी होंगी तुम्हें कि तुम्हारी रूह कांप जाएगी।”
“फिर भी ब्यूटी को आशा नहीं बना सकोगे बॉण्ड!”
“हुंह!” झुंझलाकर बॉण्ड ने जोरदार झटके के साथ उसके बाल छोड़ दिए, टॉर्चर चेयर की पुश्त से आशा के सिर का पिछला भाग टकराया, पुन: एक चीख निकल गई उसके मुंह से—मगर उस तरफ कोई ध्यान दिए बना बॉण्ड गुस्से की अधिकता में हलक फाड़कर चिल्लाय—“टॉर्चर करो इसे, जिस्म से सारा रक्त निचोड़ लो!” जल्लाद हरकत में आया—कक्ष में पुन: विजय-विकास को पुकारती हुई-सी आशा की चीखें गूंजने लगीं।
¶¶
बिजली के शॉक दिए जा रहे थे उसे, ठीक सामने जेम्स बॉण्ड खड़ा सिगरेट पी रहा था—टॉर्चर रूम का दरवाजा अन्दर से बन्द था—रूम में केवल तीन ही व्यक्ति थे—आशा, बॉण्ड और बिजली के शॉक देने वाला शक्ल से ही जल्लाद नजर आता व्यक्ति।
बॉण्ड ने हाथ उठाकर जल्लाद को रुक जाने का संकेत दिया तो उसने शॉक देने बन्द कर दिए—टॉर्चर चेयर पर बंधी आशा निढाल-सी बड़बड़ाए जा रही थी—“न...नहीं...मैं आशा नहीं हूं—मेरा नाम ब्यूटी है—मैं किसी आशा को नहीं जानती।”
बार-बार यही बड़बड़ाती हुई वह निढाल-सी हो गई।
यह क्रम पिछले एक घण्टे से चल रहा था—टॉर्चर के दौरान आशा दो बार बेहोश हो चुकी थी—दोनों ही बार उसे अप्राकृ-तिक रुप से होश में लाया गया और पुन: तड़पाने वाली यातनाओं का सिलसिला शुरू किया गया, सवाल एक ही था—तुम आशा हो, भारतीय जासूस हो। आशा का एक ही जवाब था—मेरा नाम ब्यूटी है, मैं जापानी हूं—किसी आशा को नहीं जानती।”
यदि सच कहा जाए तो यह कोई ऐसा सवाल नहीं था, जिसका जवाब बॉण्ड को मालूम न हो—वह आशा ही है—इस सच्चाई को वह उतनी ही अच्छी तरह जानता था जितनी अच्छी तरह ये जानता था कि वह बॉण्ड है—फिर भी यह बात कि वह आशा है, आशा के मुंह से ही स्वीकार करवाना उसके लिए निहायत जरूरी था—आशा के चेहरे पर मौजूद मेकअप और उसके बालों को बाण्ड कई प्रकार के कैमिकल्स से धो चुका था, परन्तु न चेहरे पर ही कोई फर्क पड़ा और न ही बालों पर।
यह समझने में बॉण्ड को देर नहीं लगी कि मेकअप उन पदार्थों से किया गया है, जिन पर कोई रसायन कान नहीं करेगा, एक महीने के बाद मेकअप स्वयं ही कमजोर पड़ना शुरू होगा और दो महीने पूरे होते-होते चेहरा पूरी तरह साफ हो जाएगा।
अब यह साबित करने का कि कोहिनूर को प्राप्त करने के लिए ब्रिटेन में भारतीय जासूस सक्रिय हैं, उसके पास एक ही रास्ता था— वह यह कि आशा के मुंह से कहलावाए कि वह आशा है।
इसी के लिए वह प्रयत्न भी कर रहा था।
एक कदम बढ़ाकर वह टॉर्चर चेयर के बिल्कुल करीब आ गया, दोनों होथों से आशा के गाल थपथपाता हुआ बोला—“आशा—आशा!”
“आं!” निढाल-सी आशा ने आंखें खोलने की कोशिश की। अधखुली आंखों से बाण्ड को देखती हुई वह बोली—“आशा—आशा!”
“तुम शायद यह सोच रही हो कि यदि तुमने अपना आशा होना स्वीकार कर लिया तो मैं बड़ी आसानी से विश्व के सामने यह सिद्ध कर दूंगा कि भारत के जासूस होने से विश्व स्तर पर भारत की गरिमा को आघात पहुंचेगा।”
“एक जापानी लड़की को जबरदस्ती भारतीय जासूस साबित करना चाहते हो मिस्टर बॉण्ड?”
“तुम न भी कहो, तब भी दुनिया के सामने हकीकत को साबित करने के लिए मेरे पास बहुत-से रास्ते हैं।”
“झूठ, झूठ ही रहता है।”
“मेरे पास भारतीय सीक्रेट सर्विस के सभी जासूसों की उंगलियों के निशान हैं, उस फाइल में तुम्हारी उंगलियों के निशान भी हैं, आशा, मैं तुम्हारे निशानों को उनसे मिलाकर साबित कर सकता हूं।”
“क्या सबूत है कि जिन निशानों से तुम मेरे निशानों को मिलाओगे वे भारतीय जासूस आशा के ही हैं?”
“त...तुम!” बेबसीवश तिलमिलाते हुए बॉण्ड ने दांत पीसे, दरअसल कुछ सूझ नहीं रहा था उसे—अजीब बात थी, उसके लिए आशा को आशा साबित करना एक समस्या बन गई थी—झुंझलाहट में उसने अपनी पूरी ताकत से एक जोरदार घूंसा आशा की नाक पर मारा।
आशा के कण्ठ से चीख निकल गई।
खून की धारा फूट पड़ी।
बॉण्ड ने बेरहमी से उसके बाल पकड़े, दांत भींचकर गुर्राया—“मैं सब जानता हूं कि ये मेकअप किन पदार्थों से किया गया है, अभी तक इन पदार्थों की रासायनिक काट नहीं बनी है—मगर दो महीने बाद ये मेकअप खुद तुम्हारा चेहरा छोड़ देगा आशा—तब खुद-ब-खुद ही साबित हो जाएगा कि तुम आशा हो—मैं तुम्हें छोङूंगा नहीं, दो महीने तक इसी टॉर्चर चेयर पर कैद रखूंगा—इस बीच ऐसी-ऐसी यातनाएं सहनी होंगी तुम्हें कि तुम्हारी रूह कांप जाएगी।”
“फिर भी ब्यूटी को आशा नहीं बना सकोगे बॉण्ड!”
“हुंह!” झुंझलाकर बॉण्ड ने जोरदार झटके के साथ उसके बाल छोड़ दिए, टॉर्चर चेयर की पुश्त से आशा के सिर का पिछला भाग टकराया, पुन: एक चीख निकल गई उसके मुंह से—मगर उस तरफ कोई ध्यान दिए बना बॉण्ड गुस्से की अधिकता में हलक फाड़कर चिल्लाय—“टॉर्चर करो इसे, जिस्म से सारा रक्त निचोड़ लो!” जल्लाद हरकत में आया—कक्ष में पुन: विजय-विकास को पुकारती हुई-सी आशा की चीखें गूंजने लगीं।
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