desiaks
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मैंने कहा, "अब झिझकने से या हिचकिचाने से या फालतू का पर्दा रखने से काम नहीं चलेगा। अब तो हम दोनों को एकदम बेशर्म होना पडेगा। तुम्हें कुछ नहीं करना है। तुम जाओ उसको गले मिलो और पकड़ कर मेरे पास ले आओ। फिर मैं तरुण के देखते हुए ही में तुम्हारे बूब्स दबाऊंगा, तुम्हें किस करूंगा और तुम्हारे गाउन को ऊपर उठाऊंगा और मेरा लण्ड तुम्हारे हाथ में दूंगा। मैं जानता हूँ की तुम्हारे पास होते ही वह अपने आप को सम्हाल नहीं पायेगा। वह एकदम गरम हो जाएगा और एकदम गरम हो कर तुम्हारे साथ छेड़खानी शुरू कर देगा। अगर तुम भी उसे खूब प्यार करोगी और उसे बिना रोकटोक प्यार करने दोगी तो जरूर वह तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाएगा। फिर हम दोनों मिलकर तुम्हें चोदेंगे और थ्रीसम एम.एम.एफ मनाएंगे। बोलो क्या कहती हो?"
दीपा नजरें निचीं कर बोली, "मैं क्या बोलूं? मैं तुम से अलग थोड़े ही हूँ? मैं तो तुम्हारे साथ हूँ। तुम्हें ठीक लगे वह मेरे लिए भी ठीक है। मैं कोई अवरोध नहीं करुँगी। तुम मुझे सम्हाल लेना। वैसे ही तरुण महीनों से मेरे पीछे पड़ा हुआ था। तुम कहते हो तो चलो आज मैं उसके मन की और तुम्हारे मन की थ्रीसम की इच्छा भी पूरी कर दूंगी।"
मैंने कहा, "तो फिर जाओ और अपना कर्तव्य पूरा करो। तुम यह चिंता मत करो की वह तुम्हारे साथ क्या करेगा। तुम उसे यह कहो की पहले तो उसकी जॉब जायेगी ही नहीं, क्यूंकि उसके जैसा मेहनती एम्प्लोयी उसकी कंपनी को कहाँ मिलेगा? और अगर उसकी नौकरी गयी भी तो मैं मेरे बॉस से बात कर उसको जॉब दिलवा सकता हूँ। बस उसे चिंता नहीं करनी है। जरुरत पड़ी तो वह और टीना हमारे साथ रह सकते हैं जब तक उसे दुसरा जॉब ना मिले। तुम उसे पटा कर मेरे पास ले आओ, फिर हम दोनों मिलकर उसे गरम करेंगे। और अगर एक बार तरुण गरम हो गया तो फिर तो तुम भी जानती हो की उसको रोकना नामुमकिन है। वह अपने सब ग़म भूल जाएगा मैं और तरुण हम दोनों मिलकर तुम्हें चोदेंगे और मुझे यकीन है की तरुण तुम्हारी बात मान कर फिर से काम पर लग जाएगा।"
मेरी बात सुन कर मेरी और आशंका से देखती हुई अपने ही अंदर की उधेड़बुन में खोई दीपा घबड़ाई हुई हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई। हलकी सी लड़खड़ाती हुई वह तरुण जहां बाहर बरामदे में बैठा था उसके पास गयी। मेरी बीबी की चाल में कुछ अस्थिरता थी। मेरी बीबी को देख कर मुझे उसका अभिसारिका का रूप दिखा। मुझे ऐसा महसूस हुआ की अपने मन में उसने यह तय कर लिया था की उस रात वह तरुण से चुदवायेगी। वह तरुण को उसे चोदने से नहीं रोकेगी। वह मुझसे और तरुण से चुदवायेगी।
मैं खुले हुए दरवाजे से देख रहा था की मेरी बीबी तरुण के पास पहुँच कर तरुण को खड़ा कर उसका हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले आयी। घर का दरवाजा अंदर से बंद कर वह खड़ी खड़ी तरुण से लिपट गयी। दीपा जब तरुण से ऐसे बेझिझक लिपट गयी जैसे एक बेल कोई पेड़ के साथ लिपट जाती है तो तरुण के चेहरे पर अजीब से भाव दिख रहे थे। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। जब तरुण वैसे ही खड़ा हुआ दीपा के बदन को फील करता रहा तब दीपा ने तरुण का हाथ पकड़ा और उसे खीच कर बैडरूम में जहां मैं बैठा था वहाँ ले आई। तरुण की आँखों के आंसूं तब तक सूखे नहीं थे। पलंग पर तरुण को बिठा कर दीपा ने तरुण के आंसूं अपने गाउन के छोर को ऊपर उठाकर पोंछे। दीपा को यह चिंता नहीं थी की ऐसा करने पर दीपा का गाउन उसके घुटनों से भी काफी ऊपर तक उठ गया था और दीपा की करारी जाँघें नंगी दिख रहीं थीं। आंसूं पोंछ कर वह मेरे और तरुण के बिच बैठी। उसने तरुण को लिटा कर उस का सर अपनी गोद में लिया और उसके काले घने बालों में अपनी उंगलियां ऐसे फेरने लगी जैसे माँ अपने छोटे बेटे को अपनी उँगलियों से कंघा कर रही हो।
दीपा ने तरुण के सर के बालों में अपनी उंगलियां फिराते हुए प्यार भरी धीमी आवाज में पर शुरू में थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा, "तरुण बाहर जाने से पहले तुमने क्या कहा था? टीना तुम्हारी हैं। और मैं? मैं परायी हूँ? क्या मैं तुम्हारी अपनी नहीं हूँ? मैं तुम्हारी पत्नी नहीं हूँ तो क्या हुआ? क्या मैं तुम्हारी पत्नी से गयी बीती हूँ? तुम मुझ पर अपना अधिकार नहीं मानते? क्या हम तुम्हारे अपने नहीं हैं? देखो तरुण, हम तुम्हारे ही हैं। तुम्हारे साथ हैं। मुझे लगता है तुम्हारा बॉस सिर्फ तुम्हें डरा रहा है। तुम्हारी कंपनी तुम्हें निकालेगी नहीं। भला तुम्हारी कंपनी को तुम्हारे जैसे मेहनत से काम करने वाले कहाँ मिलेंगे? फिर भी अगर मानलो की तुम्हें निकाल देते हैं तो तुम्हें दीपक अपनी कंपनी में रखने की शिफारिश कर देगा। दीपक का बॉस तुम्हारे बारे में भी जानता है।"
दीपा की बात सुनकर तरुण ने दीपा की गोद में लेटे हुए दीपा की आँखों से आँखें मिलायीं और बड़े प्यार से दीपा का सर अपने हाथोँ के बिच में पकड़ कर बोला, "भाभी क्या ऐसा हो सकता है?"
दीपा ने बड़े ही आत्मविश्वास और गौरव के साथ कहा, "तुम बिलकुल फ़िक्र ना करो और अपना मूड खराब मत करो। दीपक की कंपनी में अच्छी चलती है। दीपक की बात दीपक के बॉस नकार नहीं देंगे। जरुरत पड़ी तो मैं भी दीपक के बोस से बात कर सकती हूँ। तुम्हारे लिए मैं दीपक के बॉस से ख़ास रिक्वेस्ट करुँगी। वह मेरी बात टाल नहीं पाएंगे। तुम्हें याद है, उस पार्टी में दीपक का बॉस भी आया था और उसने मुझे डान्स के लिए भी आमंत्रित किया था? दीपक मुझे कह रहा था की वह मुझ से बड़ा इम्प्रेस्सेड है या साफ़ साफ़ कहूं तो वह भी तुम्हारी तरह मुझ पर फ़िदा है। यार दुखी मत हो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ।" मेरी बीबी ने कुछ शर्म से नजरें झुका कर और कुछ गर्व से अपना सर उठा कर कहा।
दीपा की बात से मैं हैरान था की मेरी रूढ़िवादी बीबी कैसी बातें कर रही थी। ऐसा कह कर मेरी बीबी शायद तरुण को यह सन्देश देना चाहती थी की अगर जरुरत पड़ी तो वह तरुण के जॉब के लिए मेरे बॉस से चुदवाने के लिए भी तैयार थी।
तरुण ने दीपा की और प्यार भरी नज़रों से देखा और दीपा के हाथ पर चुम्मी करते हुए बोला, "क्या आप मेरे लिए इतना सब कुछ कर सकती हो? क्या मेरी जॉब के लिए आप दीपक के बॉस से भी अपने आप के ऊपर समझौता करने के लिए तैयार हो?
दीपा ने कहा, "तरुण, बात तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के भले की है। मैं उसके लिए कोई भी समझौता कर सकती हूँ। वैसे तो मैं किसी के लिए कुछ नहीं करती। पर जिनको मैं अपना समझती हूँ उनके लिए सब कुछ कुर्बान कर सकती हूँ। मैं ही नहीं मैं और दीपक दोनों ही तुम्हें अपना मानते हैं।"
मैंने देखा की तरुण की आँखें नम हो रहीं थीं। दीपा की बात सुन कर वह भावुक हो रहा था। तरुण ने कहा, "भाभी पहले तो मैं आपसे माफ़ी माँगता हूँ। मैंने आपको बहुत परेशानं किया। मैं सच बताता हूँ, आप और दीपक मेरी जिंदगी का सहारा हो। मैंने आपको इतना छेड़ा फिर भी आपने मुझे हमेशा माफ़ किया। आपके मधुर शब्दों से आपने मुझे जो भरोसा दिलाया है उससे मुझे बड़ी ताकत और हौसला मिला है। मैं तो आपकी पूजा करता हूँ। मैं सच कहता हूँ, अगर मेरा बस चलता तो मैं आपको अपनी पलकों में बिठाये रखता। मैं आपकी कितनी इज्जत करता हूँ यह टीना भी जानती है। मैंने उसे भी कह दिया था की भले ही उसे बुरा लगे पर यह सच है की मैं दीपा भाभी पर कुर्बान हूँ।" बोलते बोलते तरुण की आँखों में से आंसू भर आये।
दीपा ने तरुण की आँखों में आंसूं देखे तो उसकी आँखें भी फिर से छलक उठीं। तरुण ने मेरी और घूम कर कहा, "भाई तुम बड़े लकी हो की तुम्हें दीपा भाभी जैसी बीबी मिली और तुम जब चाहो भाभी को प्यार कर सकते हो। मुझे तुमसे जलन हो रही है।"
दीपा नजरें निचीं कर बोली, "मैं क्या बोलूं? मैं तुम से अलग थोड़े ही हूँ? मैं तो तुम्हारे साथ हूँ। तुम्हें ठीक लगे वह मेरे लिए भी ठीक है। मैं कोई अवरोध नहीं करुँगी। तुम मुझे सम्हाल लेना। वैसे ही तरुण महीनों से मेरे पीछे पड़ा हुआ था। तुम कहते हो तो चलो आज मैं उसके मन की और तुम्हारे मन की थ्रीसम की इच्छा भी पूरी कर दूंगी।"
मैंने कहा, "तो फिर जाओ और अपना कर्तव्य पूरा करो। तुम यह चिंता मत करो की वह तुम्हारे साथ क्या करेगा। तुम उसे यह कहो की पहले तो उसकी जॉब जायेगी ही नहीं, क्यूंकि उसके जैसा मेहनती एम्प्लोयी उसकी कंपनी को कहाँ मिलेगा? और अगर उसकी नौकरी गयी भी तो मैं मेरे बॉस से बात कर उसको जॉब दिलवा सकता हूँ। बस उसे चिंता नहीं करनी है। जरुरत पड़ी तो वह और टीना हमारे साथ रह सकते हैं जब तक उसे दुसरा जॉब ना मिले। तुम उसे पटा कर मेरे पास ले आओ, फिर हम दोनों मिलकर उसे गरम करेंगे। और अगर एक बार तरुण गरम हो गया तो फिर तो तुम भी जानती हो की उसको रोकना नामुमकिन है। वह अपने सब ग़म भूल जाएगा मैं और तरुण हम दोनों मिलकर तुम्हें चोदेंगे और मुझे यकीन है की तरुण तुम्हारी बात मान कर फिर से काम पर लग जाएगा।"
मेरी बात सुन कर मेरी और आशंका से देखती हुई अपने ही अंदर की उधेड़बुन में खोई दीपा घबड़ाई हुई हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई। हलकी सी लड़खड़ाती हुई वह तरुण जहां बाहर बरामदे में बैठा था उसके पास गयी। मेरी बीबी की चाल में कुछ अस्थिरता थी। मेरी बीबी को देख कर मुझे उसका अभिसारिका का रूप दिखा। मुझे ऐसा महसूस हुआ की अपने मन में उसने यह तय कर लिया था की उस रात वह तरुण से चुदवायेगी। वह तरुण को उसे चोदने से नहीं रोकेगी। वह मुझसे और तरुण से चुदवायेगी।
मैं खुले हुए दरवाजे से देख रहा था की मेरी बीबी तरुण के पास पहुँच कर तरुण को खड़ा कर उसका हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले आयी। घर का दरवाजा अंदर से बंद कर वह खड़ी खड़ी तरुण से लिपट गयी। दीपा जब तरुण से ऐसे बेझिझक लिपट गयी जैसे एक बेल कोई पेड़ के साथ लिपट जाती है तो तरुण के चेहरे पर अजीब से भाव दिख रहे थे। उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। जब तरुण वैसे ही खड़ा हुआ दीपा के बदन को फील करता रहा तब दीपा ने तरुण का हाथ पकड़ा और उसे खीच कर बैडरूम में जहां मैं बैठा था वहाँ ले आई। तरुण की आँखों के आंसूं तब तक सूखे नहीं थे। पलंग पर तरुण को बिठा कर दीपा ने तरुण के आंसूं अपने गाउन के छोर को ऊपर उठाकर पोंछे। दीपा को यह चिंता नहीं थी की ऐसा करने पर दीपा का गाउन उसके घुटनों से भी काफी ऊपर तक उठ गया था और दीपा की करारी जाँघें नंगी दिख रहीं थीं। आंसूं पोंछ कर वह मेरे और तरुण के बिच बैठी। उसने तरुण को लिटा कर उस का सर अपनी गोद में लिया और उसके काले घने बालों में अपनी उंगलियां ऐसे फेरने लगी जैसे माँ अपने छोटे बेटे को अपनी उँगलियों से कंघा कर रही हो।
दीपा ने तरुण के सर के बालों में अपनी उंगलियां फिराते हुए प्यार भरी धीमी आवाज में पर शुरू में थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा, "तरुण बाहर जाने से पहले तुमने क्या कहा था? टीना तुम्हारी हैं। और मैं? मैं परायी हूँ? क्या मैं तुम्हारी अपनी नहीं हूँ? मैं तुम्हारी पत्नी नहीं हूँ तो क्या हुआ? क्या मैं तुम्हारी पत्नी से गयी बीती हूँ? तुम मुझ पर अपना अधिकार नहीं मानते? क्या हम तुम्हारे अपने नहीं हैं? देखो तरुण, हम तुम्हारे ही हैं। तुम्हारे साथ हैं। मुझे लगता है तुम्हारा बॉस सिर्फ तुम्हें डरा रहा है। तुम्हारी कंपनी तुम्हें निकालेगी नहीं। भला तुम्हारी कंपनी को तुम्हारे जैसे मेहनत से काम करने वाले कहाँ मिलेंगे? फिर भी अगर मानलो की तुम्हें निकाल देते हैं तो तुम्हें दीपक अपनी कंपनी में रखने की शिफारिश कर देगा। दीपक का बॉस तुम्हारे बारे में भी जानता है।"
दीपा की बात सुनकर तरुण ने दीपा की गोद में लेटे हुए दीपा की आँखों से आँखें मिलायीं और बड़े प्यार से दीपा का सर अपने हाथोँ के बिच में पकड़ कर बोला, "भाभी क्या ऐसा हो सकता है?"
दीपा ने बड़े ही आत्मविश्वास और गौरव के साथ कहा, "तुम बिलकुल फ़िक्र ना करो और अपना मूड खराब मत करो। दीपक की कंपनी में अच्छी चलती है। दीपक की बात दीपक के बॉस नकार नहीं देंगे। जरुरत पड़ी तो मैं भी दीपक के बोस से बात कर सकती हूँ। तुम्हारे लिए मैं दीपक के बॉस से ख़ास रिक्वेस्ट करुँगी। वह मेरी बात टाल नहीं पाएंगे। तुम्हें याद है, उस पार्टी में दीपक का बॉस भी आया था और उसने मुझे डान्स के लिए भी आमंत्रित किया था? दीपक मुझे कह रहा था की वह मुझ से बड़ा इम्प्रेस्सेड है या साफ़ साफ़ कहूं तो वह भी तुम्हारी तरह मुझ पर फ़िदा है। यार दुखी मत हो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ।" मेरी बीबी ने कुछ शर्म से नजरें झुका कर और कुछ गर्व से अपना सर उठा कर कहा।
दीपा की बात से मैं हैरान था की मेरी रूढ़िवादी बीबी कैसी बातें कर रही थी। ऐसा कह कर मेरी बीबी शायद तरुण को यह सन्देश देना चाहती थी की अगर जरुरत पड़ी तो वह तरुण के जॉब के लिए मेरे बॉस से चुदवाने के लिए भी तैयार थी।
तरुण ने दीपा की और प्यार भरी नज़रों से देखा और दीपा के हाथ पर चुम्मी करते हुए बोला, "क्या आप मेरे लिए इतना सब कुछ कर सकती हो? क्या मेरी जॉब के लिए आप दीपक के बॉस से भी अपने आप के ऊपर समझौता करने के लिए तैयार हो?
दीपा ने कहा, "तरुण, बात तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के भले की है। मैं उसके लिए कोई भी समझौता कर सकती हूँ। वैसे तो मैं किसी के लिए कुछ नहीं करती। पर जिनको मैं अपना समझती हूँ उनके लिए सब कुछ कुर्बान कर सकती हूँ। मैं ही नहीं मैं और दीपक दोनों ही तुम्हें अपना मानते हैं।"
मैंने देखा की तरुण की आँखें नम हो रहीं थीं। दीपा की बात सुन कर वह भावुक हो रहा था। तरुण ने कहा, "भाभी पहले तो मैं आपसे माफ़ी माँगता हूँ। मैंने आपको बहुत परेशानं किया। मैं सच बताता हूँ, आप और दीपक मेरी जिंदगी का सहारा हो। मैंने आपको इतना छेड़ा फिर भी आपने मुझे हमेशा माफ़ किया। आपके मधुर शब्दों से आपने मुझे जो भरोसा दिलाया है उससे मुझे बड़ी ताकत और हौसला मिला है। मैं तो आपकी पूजा करता हूँ। मैं सच कहता हूँ, अगर मेरा बस चलता तो मैं आपको अपनी पलकों में बिठाये रखता। मैं आपकी कितनी इज्जत करता हूँ यह टीना भी जानती है। मैंने उसे भी कह दिया था की भले ही उसे बुरा लगे पर यह सच है की मैं दीपा भाभी पर कुर्बान हूँ।" बोलते बोलते तरुण की आँखों में से आंसू भर आये।
दीपा ने तरुण की आँखों में आंसूं देखे तो उसकी आँखें भी फिर से छलक उठीं। तरुण ने मेरी और घूम कर कहा, "भाई तुम बड़े लकी हो की तुम्हें दीपा भाभी जैसी बीबी मिली और तुम जब चाहो भाभी को प्यार कर सकते हो। मुझे तुमसे जलन हो रही है।"