desiaks
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ये दीदी क्या कह रही है? मेरे मूठ मारने से वो खुश है? समर ने सोचा भी ना था ये। फिर से उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था। उसका हाथ अभी भी पाजामे के अंदर था।
.
नेहा- “चल अब जो कर रहा था उससे पूरा कर.." नेहा बोली।
समर बौखला गया- “नहीं दीदी, बिल्कुल नहीं। मैं आपके सामने ऐसा कुछ नहीं कर सकता...” वो बोला।
नेहा- “अभी तो कर रहा था। मैंने देखा तू क्या कर रहा था पाजामे के अंदर। मुझे सब समझ आता है...” नेहा बोली- “तुझे कहा ना मेरे सामने शर्माने की जरूरत नहीं है। आराम से मूठ मार...”
समर ये बातें सुन तो रहा था मगर उसे यकीन नहीं हो रहा था। एक नार्मल भाई बहन का रिश्ता इस मोड़ तक कैसे पहुँच गया, जहाँ बहन अपने भाई को मूठ मारने के लिए उकसा रही है।
नेहा- “चल चालू कर..." नेहा ने फिर कहा।
समर- "नहीं..." वो अपना हाथ बाहर निकालने लगा की नेहा ने उसका हाथ पकड़ लिया।
नेहा- “सेक्सुवलिटी को लेकर शर्माना नहीं चाहिये। तू एक नौजवान है। मूठ मारना बहुत नार्मल है। और तू अपने रूम में है, बाहर सड़क पे नहीं जो शर्मा रहा है." नेहा बोली- “मैं तेरी बहन हूँ। हाँ... मगर उससे ज्यादा मैं तेरी दोस्त हूँ। तू कुछ गलत नहीं कर रहा। इसे समझ, और अब पूरा कर इसे.."
समर की शकल के तोते उड़े हुए थे। लेकिन वो बुत बनकर बैठा हुआ था।
नेहा- “एक और कारण है जो मैं तुझे ये करने को बोल रही हूँ.." नेहा बोली।
समर- “क्या दीदी?"
नेहा- “समर तू मेरा छोटा भाई है मगर तुझे मैं ये एक दोस्त के नाते बता रही हूँ। मैंने आज तक कभी किसी लड़के को असलियत में खुद से खेलते नहीं देखा। मैं बहुत उत्सुक हूँ। इसलिए मैं चाहती हूँ की तू मुझे दिखाए। अब जब इतना अच्छा मर्द मेरे घर में है तो मैं बाहर किसी और से ये क्यों कहूँ?" नेहा ने कहा।
समर फिर हैरान हो गया। उसकी दीदी एक लड़के को मूठ मारते हुए देखना चाहती थी, और वो लड़का आज समर बनने वाला था।
समर- “दीदी, मुझे ये अच्छा आइडिया नहीं लगा...” समर बोल ही रहा था।
तभी नेहा बोल पड़ी- “ओहह... अब समझी। तुझे विजुवल स्टीम्युलेशन नहीं मिल पा रहा.” और वो फिर से खिड़की की ओर मुँह करके खड़ी हो गई, और कहा- “ये ले... पहले भी तू मेरी आस देखकर मूठ मार रहा था ना...
ले अब फिर से देख मेरी आस...” वो बोली- “आस को हिन्दी में क्या कहते है... ओहह... हाँ... गाण्ड.."
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नेहा- “चल अब जो कर रहा था उससे पूरा कर.." नेहा बोली।
समर बौखला गया- “नहीं दीदी, बिल्कुल नहीं। मैं आपके सामने ऐसा कुछ नहीं कर सकता...” वो बोला।
नेहा- “अभी तो कर रहा था। मैंने देखा तू क्या कर रहा था पाजामे के अंदर। मुझे सब समझ आता है...” नेहा बोली- “तुझे कहा ना मेरे सामने शर्माने की जरूरत नहीं है। आराम से मूठ मार...”
समर ये बातें सुन तो रहा था मगर उसे यकीन नहीं हो रहा था। एक नार्मल भाई बहन का रिश्ता इस मोड़ तक कैसे पहुँच गया, जहाँ बहन अपने भाई को मूठ मारने के लिए उकसा रही है।
नेहा- “चल चालू कर..." नेहा ने फिर कहा।
समर- "नहीं..." वो अपना हाथ बाहर निकालने लगा की नेहा ने उसका हाथ पकड़ लिया।
नेहा- “सेक्सुवलिटी को लेकर शर्माना नहीं चाहिये। तू एक नौजवान है। मूठ मारना बहुत नार्मल है। और तू अपने रूम में है, बाहर सड़क पे नहीं जो शर्मा रहा है." नेहा बोली- “मैं तेरी बहन हूँ। हाँ... मगर उससे ज्यादा मैं तेरी दोस्त हूँ। तू कुछ गलत नहीं कर रहा। इसे समझ, और अब पूरा कर इसे.."
समर की शकल के तोते उड़े हुए थे। लेकिन वो बुत बनकर बैठा हुआ था।
नेहा- “एक और कारण है जो मैं तुझे ये करने को बोल रही हूँ.." नेहा बोली।
समर- “क्या दीदी?"
नेहा- “समर तू मेरा छोटा भाई है मगर तुझे मैं ये एक दोस्त के नाते बता रही हूँ। मैंने आज तक कभी किसी लड़के को असलियत में खुद से खेलते नहीं देखा। मैं बहुत उत्सुक हूँ। इसलिए मैं चाहती हूँ की तू मुझे दिखाए। अब जब इतना अच्छा मर्द मेरे घर में है तो मैं बाहर किसी और से ये क्यों कहूँ?" नेहा ने कहा।
समर फिर हैरान हो गया। उसकी दीदी एक लड़के को मूठ मारते हुए देखना चाहती थी, और वो लड़का आज समर बनने वाला था।
समर- “दीदी, मुझे ये अच्छा आइडिया नहीं लगा...” समर बोल ही रहा था।
तभी नेहा बोल पड़ी- “ओहह... अब समझी। तुझे विजुवल स्टीम्युलेशन नहीं मिल पा रहा.” और वो फिर से खिड़की की ओर मुँह करके खड़ी हो गई, और कहा- “ये ले... पहले भी तू मेरी आस देखकर मूठ मार रहा था ना...
ले अब फिर से देख मेरी आस...” वो बोली- “आस को हिन्दी में क्या कहते है... ओहह... हाँ... गाण्ड.."