desiaks
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इधर उसका हाथ मेरे सपाट पेट पर खेल रहा था। उसने धीरे धीरे अपना हाथ मेरी नाभी से नीचे खिसकाना शुरू किया। ओ मां, जैसे जैसे उसका हाथ मेरी योनि की ओर पहुंच रहा था, मेरी सांसें धौंकनी की तरह चलने लगी थीं। अंततः उसके दाहिने हथेली का स्पर्श पैंटी के ऊपर से ही मेरी योनी पर हुआ। सारा शरीर गनगना उठा, “ऊ्ऊ्ऊ्ई्ई्ई्ई… मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ,” मेरे अपने बेटे के हाथ का स्पर्श मेरी योनी पर! “उफ्फ भगवान” मेरे शरीर के अंदर मेरी धमनियों में रक्त का संचार उफान पर था। धधकने लगी मेरी कामाग्नि। झुलसने लगी मैं उस धधकती कामाग्नि में। मेरी योनि के अंदर से लसलसा द्रव्य निकलने लगा जिसके कारण मेरी पैंटी गीली होने लगी। ज्यों ही क्षितिज को मेरी पैंटी के गीलेपन का अहसास हुआ, वह बोल उठा, “यह क्या मॉम, आपकी पैंटी तो गीली हो गई है। इसे भी उतार दीजिए।” उसकी आंखों में एक मैं जो कुछ देख रही थी उसमें एक जिज्ञासा थी और उसकी आवाज में उत्तेजना की झलक।
“छि: छि: गंदे। यह क्या कह दिया? वहां कहाँ हाथ लगा रहा है? उफ्फ मेरे बच्चे, यह क्या कर रहे हो? हाय राम, लाज से मर जाऊंगी मैं।” मेरी आवाज में कोई विरोध नहीं था और न ही मेरा कोई प्रयास। मेरी बातों से फिर मेरे बच्चे के मन में कोई मायूसी न आए यह सोच कर तुरंत बोली, “तू उतारे बिना थोड़ी न मानेगा? चल खुद ही उतार दे, कर दे अपनी मां को नंगी और जी भर के अपनी मां के नंगे जिस्म का दीदार कर। उफ्फ मेरे प्यारे ब्वॉयफ्रेंड, मेरे बेटे, मेरे बच्चे, देख ले अपनी गर्लफ्रैंड का मादरजात नंगा बदन, जी भर के महसूस कर, प्यार कर, जो मर्जी वह कर माई डार्लिंग।” मैं उत्तेजना के आवेग में बोलने लगी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। जो होना है हो ही जाय भगवान।
“लो मेरी जानेमन मॉम, उतार दिया आपकी पैंटी। आह, यह क्या मॉम, आपकी चिकनी मुत्तू…..,” आगे शायद उसे शब्द नहीं मिल रहा था, तनिक रुका,
“आह्हह मेरे नादान बलम, मुत्तू नहीं रे शैतान, योनि बोल, चूत बोल, बुर बोल, मुनिया बोल” तुरंत मैं बोल पड़ी।
“हां हां आपकी चिकनी मुनिया कितनी खूबसूरत है मॉम, लेकिन यह लसलसा सा रस क्यों निकल रहा है?” वह मेरी चमचमाती फूली हुई योनि को अचंभे से देखते हुए बोला।
“अब मैं तुझे क्या बताऊँ मेरे बच्चे? अभी तू कैसा महसूस कर रहा है ये बता?”
“उफ्फ डियर, अजीब सा फील कर रहा हूँ। ऐसी फीलिंग पहली बार हो रही है। ऐसा लग रहा है आपसे कस के लिपट जाऊं। आपके जिस्म में समा जाऊं। मेरा मुत्तू…..” फिर रुका वह,
मैं समझ गई वह अपने लिंग को मुत्तू कह रहा है, “मुत्तू नहीं रे बुद्धू रसिया, लिंग बोल, लंड बोल, लौड़ा बोल, पपलू बोल” तुरंत मैं बोल पड़ी।
“हां हां वही, मेरा पपलू हार्ड हो गया है, उफ्फ मेरी जादूगरनी मॉम, क्या हो रहा है मेरे साथ?” वह उत्तेजना के आवेग में बोला।
“बस बस मेरे बच्चे, यही हाल मेरा भी हो रहा है इसीलिए मेरी मुनिया से यह पानी निकल रहा है, आह मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ” मैं बमुश्किल बोल पा रही थी। अब मैं पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। अबतक मैं अपनी ओर से कोई पहल नहीं कर रही थी, जो भी कर रहा था वह मेरा नादान बेटा कर रहा था, किंतु अब मैं भी धीरे धीरे उसके सीने को सहलाने लगी।
“हाय मेरे बेटे, धीरे धीरे अपनी गर्लफ्रैंड को तो नंगी कर दिया और मेरे बदन को देख लिया, अब अपने कपड़े उतार कर अपनी गर्लफ्रैंड को भी अपने खूबसूरत बदन का दर्शन करा दे पगले। कब से मरी जा रही हूँ अपने ब्वॉयफ्रेंड के नंगे जिस्म को देखने के लिए।” मैं बदहवासी के आलम में बोली।
“ओके मॉम, लो, आप भी देख लो अपने ब्वॉयफ्रेंड का जिस्म” कहते न कहते पलक झपकते खड़ा हो गया और मुक्त हो गया अपने कपड़ों से। उफ्फ भगवान, इतना खूबसूरत जिस्म दिया था भगवान ने उसे। बिल्कुल कामदेव का अवतार लग रहा था। गठा हुआ शरीर, चौड़ा चकला सीना, सीने पर हल्के रोयें, मांसल मांसपेशियों वाली भुजाएँ और और ओ मेरी मां, उसका उफान मारता फनफनाता करीब आठ इंच लंबा और उसी के अनुपात में मोटा, बेहद सुंदर चिकना लिंग, अपलक देखती रह गयी मैं।
“हाय राम, इतने खूबसूरत हो मेरे बच्चे। आ जा अपनी गर्लफ्रैंड को अपनी बांहें में ले ले।” मैं अपने बांहें खोल कर आमंत्रण दे बैठी। वह बेचारा, अनाड़ी, उत्तेजना का मारा, कूद कर आ गया मेरी बगल में और मुझे बांहों में ले कर दुबारा चूमना आरंभ किया। उफ्फ भगवान, मेरा नंगा जिस्म, मेरे अपने कोख जाए बेटे के नंगे जिस्म से चिपका, मेरे अंतरतम को अजीब सा सुखद अनुभव प्रदान कर रहा था। अभी भी मेरे अंदर अंतरद्वंद चल रहा था, उचित अनुचित का। भगवान मानो मेरी मन:स्थिति पर हंस रहा था। मैं मन ही मन बोल रही थी, “हंस रहे हो भगवान? यह सब कुछ तो तेरा ही किया धरा है।”
“पगली, मैंने क्या किया? जो कुछ आज तक तेरे साथ हुआ और अभी हो रहा है, उसकी जिम्मेदार तुम खुद हो।” भगवान मानो मुझ से कह रहे थे।
“छि: छि: गंदे। यह क्या कह दिया? वहां कहाँ हाथ लगा रहा है? उफ्फ मेरे बच्चे, यह क्या कर रहे हो? हाय राम, लाज से मर जाऊंगी मैं।” मेरी आवाज में कोई विरोध नहीं था और न ही मेरा कोई प्रयास। मेरी बातों से फिर मेरे बच्चे के मन में कोई मायूसी न आए यह सोच कर तुरंत बोली, “तू उतारे बिना थोड़ी न मानेगा? चल खुद ही उतार दे, कर दे अपनी मां को नंगी और जी भर के अपनी मां के नंगे जिस्म का दीदार कर। उफ्फ मेरे प्यारे ब्वॉयफ्रेंड, मेरे बेटे, मेरे बच्चे, देख ले अपनी गर्लफ्रैंड का मादरजात नंगा बदन, जी भर के महसूस कर, प्यार कर, जो मर्जी वह कर माई डार्लिंग।” मैं उत्तेजना के आवेग में बोलने लगी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। जो होना है हो ही जाय भगवान।
“लो मेरी जानेमन मॉम, उतार दिया आपकी पैंटी। आह, यह क्या मॉम, आपकी चिकनी मुत्तू…..,” आगे शायद उसे शब्द नहीं मिल रहा था, तनिक रुका,
“आह्हह मेरे नादान बलम, मुत्तू नहीं रे शैतान, योनि बोल, चूत बोल, बुर बोल, मुनिया बोल” तुरंत मैं बोल पड़ी।
“हां हां आपकी चिकनी मुनिया कितनी खूबसूरत है मॉम, लेकिन यह लसलसा सा रस क्यों निकल रहा है?” वह मेरी चमचमाती फूली हुई योनि को अचंभे से देखते हुए बोला।
“अब मैं तुझे क्या बताऊँ मेरे बच्चे? अभी तू कैसा महसूस कर रहा है ये बता?”
“उफ्फ डियर, अजीब सा फील कर रहा हूँ। ऐसी फीलिंग पहली बार हो रही है। ऐसा लग रहा है आपसे कस के लिपट जाऊं। आपके जिस्म में समा जाऊं। मेरा मुत्तू…..” फिर रुका वह,
मैं समझ गई वह अपने लिंग को मुत्तू कह रहा है, “मुत्तू नहीं रे बुद्धू रसिया, लिंग बोल, लंड बोल, लौड़ा बोल, पपलू बोल” तुरंत मैं बोल पड़ी।
“हां हां वही, मेरा पपलू हार्ड हो गया है, उफ्फ मेरी जादूगरनी मॉम, क्या हो रहा है मेरे साथ?” वह उत्तेजना के आवेग में बोला।
“बस बस मेरे बच्चे, यही हाल मेरा भी हो रहा है इसीलिए मेरी मुनिया से यह पानी निकल रहा है, आह मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ” मैं बमुश्किल बोल पा रही थी। अब मैं पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। अबतक मैं अपनी ओर से कोई पहल नहीं कर रही थी, जो भी कर रहा था वह मेरा नादान बेटा कर रहा था, किंतु अब मैं भी धीरे धीरे उसके सीने को सहलाने लगी।
“हाय मेरे बेटे, धीरे धीरे अपनी गर्लफ्रैंड को तो नंगी कर दिया और मेरे बदन को देख लिया, अब अपने कपड़े उतार कर अपनी गर्लफ्रैंड को भी अपने खूबसूरत बदन का दर्शन करा दे पगले। कब से मरी जा रही हूँ अपने ब्वॉयफ्रेंड के नंगे जिस्म को देखने के लिए।” मैं बदहवासी के आलम में बोली।
“ओके मॉम, लो, आप भी देख लो अपने ब्वॉयफ्रेंड का जिस्म” कहते न कहते पलक झपकते खड़ा हो गया और मुक्त हो गया अपने कपड़ों से। उफ्फ भगवान, इतना खूबसूरत जिस्म दिया था भगवान ने उसे। बिल्कुल कामदेव का अवतार लग रहा था। गठा हुआ शरीर, चौड़ा चकला सीना, सीने पर हल्के रोयें, मांसल मांसपेशियों वाली भुजाएँ और और ओ मेरी मां, उसका उफान मारता फनफनाता करीब आठ इंच लंबा और उसी के अनुपात में मोटा, बेहद सुंदर चिकना लिंग, अपलक देखती रह गयी मैं।
“हाय राम, इतने खूबसूरत हो मेरे बच्चे। आ जा अपनी गर्लफ्रैंड को अपनी बांहें में ले ले।” मैं अपने बांहें खोल कर आमंत्रण दे बैठी। वह बेचारा, अनाड़ी, उत्तेजना का मारा, कूद कर आ गया मेरी बगल में और मुझे बांहों में ले कर दुबारा चूमना आरंभ किया। उफ्फ भगवान, मेरा नंगा जिस्म, मेरे अपने कोख जाए बेटे के नंगे जिस्म से चिपका, मेरे अंतरतम को अजीब सा सुखद अनुभव प्रदान कर रहा था। अभी भी मेरे अंदर अंतरद्वंद चल रहा था, उचित अनुचित का। भगवान मानो मेरी मन:स्थिति पर हंस रहा था। मैं मन ही मन बोल रही थी, “हंस रहे हो भगवान? यह सब कुछ तो तेरा ही किया धरा है।”
“पगली, मैंने क्या किया? जो कुछ आज तक तेरे साथ हुआ और अभी हो रहा है, उसकी जिम्मेदार तुम खुद हो।” भगवान मानो मुझ से कह रहे थे।