desiaks
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“अरे बलराम भाई, जरा चोद के तो देखो, ऐसा चूत पहले कभी नहीं चोदा होगा, कसम से, मजा नहीं आया तो मेरा नाम श्यामलाल से चूतलाल रख देना।” ड्राईव करते करते श्यामलाल बोला। उसकी बात सुनकर कोई भूमिका बांधे बिना सीधा मुद्दे पर आ गया। मेरे पैरों को फैलाया और अपनी एक उंगली मेरी योनी में घुसा दिया और उंगली निकाल कर चाट लिया।
“वाह, टेस्टी है” वह चटखारे ले कर बोला।
“छि: छि:” मेरे मुंंह से निकला। उसने फिर वही क्रम दुहराया, लेकिन इस बार उसने दो उंगलियां घुसा दीं। “आह्ह्ह्ह्ह, क्या करते हो” मेरे मुह से निकला। लेकिन अब वह दनादन दो उंगलियां अंदर बाहर करने लगा और करीब दो मिनट तक वह तूफानी रफ्तार से ऐसा ही करता रहा जिसके कारण मैं अपने को रोक नहीं पाई और “ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्” करती हुई मैं उसी वक्त झड़ गई। मेरी थरथराहट और मेरे मुख से निकले निश्वास से उसे पता चल गया कि मैं झड़ रही हूँ।
“इतनी जल्दी ढीली मत पड़ो मैडम, अभी तो जी भर के चोदुंगा तुम्हें। रोज कोई न कोई मिल जाती थी चोदने के लिए, लेकिन आज कोई औरत मिली नहीं और किस्मत से मिली भी तो इतनी मस्त चुदक्कड़ औरत। सच में मजा आ गया” कहते हुए उसने मेरी चूचियों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया। उंगलियां निकाल कर मेरी चूचियों पर मेरे चूत रस को मल दिया और बदस्तूर चाटता रहा चूसता रहा। फिर उसने अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालकर उंगलियों से चोदना जारी रखा, उसकी इन हरकतों ने मुझे दुबारा जागृत कर दिया। मेरे बदन को ऐंठते देख कर वह समझ गया कि तवा गरम है, बिना एक पल गंवाए अपने विशालकाय लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रख कर, मेरी कमर को कस के पकड़ा और एक करारा ठाप लगा दिया।
“ले साली कुतिया मैडम मेरा लौड़ा, ओह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म्म्म, ओह, साली इतना बड़ा भोंसड़ा मगर इतना टाईट? ओह्ह्ह्ह मजा आएगा अब सचमुच में चोदने में। सच बोला श्याम, साले मादरचोद, ऐसी माल को अकेले अकेले इतने दिन से चोदता रहा। हमें भूल गया था गांडू।” बलराम आनंदित होता हुआ बोला।
“हा्आ्आ्आ्आय्य्य्य्य्य्य रा्आ्आ्आ्आ्आम, फट्ट्ट्ट्ट गई््ईई््ईई््ईई््ईई,” सचमुच में इस प्रहार से दर्द के मारे बेहाल हो गई। मेरे अंदाज से कुछ ज्यादा ही मोटा था उसका लंड। ऐसा लग रहा था फट गई मेरी चूत। अपनी सीमा से बाहर फैल गई थी और मेरी चूत ने उसके लिंग को कस कर जकड़ लिया था।
“चिल्लाओगी हरामजादी, चिल्ला, जी भर के चिल्ला। पता नहीं कितने लोगों का लंड अपनी चूत में डलवाई है, अब मेरा लौड़ा गया तो गांड़ फट रही है, साली रंडी।” खूंखार हो गया था वह, मानो शेर को खून का स्वाद मिल गया हो। अब वह मेरी चीख पुकार की परवाह किए बगैर मेरी कमर को सख्ती से अपनी दानवी गिरफ्त में ले कर गचागच चोदने में मशगूल हो गया। उफ्फ्फ, उसके चोदने का वह वहशियाना अंदाज, मेरी चूचियों पर अपने दांत गड़ा दिया, मेरे गालों को दांतों से काटने लगा था, मेरी गर्दन पर अपने दांतों का निशान लगाता जा रहा था। मेरे शरीर को किसी वहशी जानवर की तरह भंभोड़ता रहा करीब चालीस मिनट तक। शुरू में मैं उसकी पाशविक प्रवृत्ति से घबरा गई थी, किंतु कुछ मिनट पश्चात वही पीड़ा दायक पाशविक संभोग मुझे बेहद आनंदित करने लगा, “ओह्ह्ह्ह राजा, आह्ह्ह्ह्ह मेरे बल्लू (बलराम), ओह्ह्ह्ह चोदू, उफ्फ्फ मेरी मां, ओह मेरे कामदेव, ऐसा सुख पहले कभी नहीं मिला
“वाह, टेस्टी है” वह चटखारे ले कर बोला।
“छि: छि:” मेरे मुंंह से निकला। उसने फिर वही क्रम दुहराया, लेकिन इस बार उसने दो उंगलियां घुसा दीं। “आह्ह्ह्ह्ह, क्या करते हो” मेरे मुह से निकला। लेकिन अब वह दनादन दो उंगलियां अंदर बाहर करने लगा और करीब दो मिनट तक वह तूफानी रफ्तार से ऐसा ही करता रहा जिसके कारण मैं अपने को रोक नहीं पाई और “ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्” करती हुई मैं उसी वक्त झड़ गई। मेरी थरथराहट और मेरे मुख से निकले निश्वास से उसे पता चल गया कि मैं झड़ रही हूँ।
“इतनी जल्दी ढीली मत पड़ो मैडम, अभी तो जी भर के चोदुंगा तुम्हें। रोज कोई न कोई मिल जाती थी चोदने के लिए, लेकिन आज कोई औरत मिली नहीं और किस्मत से मिली भी तो इतनी मस्त चुदक्कड़ औरत। सच में मजा आ गया” कहते हुए उसने मेरी चूचियों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया। उंगलियां निकाल कर मेरी चूचियों पर मेरे चूत रस को मल दिया और बदस्तूर चाटता रहा चूसता रहा। फिर उसने अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालकर उंगलियों से चोदना जारी रखा, उसकी इन हरकतों ने मुझे दुबारा जागृत कर दिया। मेरे बदन को ऐंठते देख कर वह समझ गया कि तवा गरम है, बिना एक पल गंवाए अपने विशालकाय लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रख कर, मेरी कमर को कस के पकड़ा और एक करारा ठाप लगा दिया।
“ले साली कुतिया मैडम मेरा लौड़ा, ओह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म्म्म, ओह, साली इतना बड़ा भोंसड़ा मगर इतना टाईट? ओह्ह्ह्ह मजा आएगा अब सचमुच में चोदने में। सच बोला श्याम, साले मादरचोद, ऐसी माल को अकेले अकेले इतने दिन से चोदता रहा। हमें भूल गया था गांडू।” बलराम आनंदित होता हुआ बोला।
“हा्आ्आ्आ्आय्य्य्य्य्य्य रा्आ्आ्आ्आ्आम, फट्ट्ट्ट्ट गई््ईई््ईई््ईई््ईई,” सचमुच में इस प्रहार से दर्द के मारे बेहाल हो गई। मेरे अंदाज से कुछ ज्यादा ही मोटा था उसका लंड। ऐसा लग रहा था फट गई मेरी चूत। अपनी सीमा से बाहर फैल गई थी और मेरी चूत ने उसके लिंग को कस कर जकड़ लिया था।
“चिल्लाओगी हरामजादी, चिल्ला, जी भर के चिल्ला। पता नहीं कितने लोगों का लंड अपनी चूत में डलवाई है, अब मेरा लौड़ा गया तो गांड़ फट रही है, साली रंडी।” खूंखार हो गया था वह, मानो शेर को खून का स्वाद मिल गया हो। अब वह मेरी चीख पुकार की परवाह किए बगैर मेरी कमर को सख्ती से अपनी दानवी गिरफ्त में ले कर गचागच चोदने में मशगूल हो गया। उफ्फ्फ, उसके चोदने का वह वहशियाना अंदाज, मेरी चूचियों पर अपने दांत गड़ा दिया, मेरे गालों को दांतों से काटने लगा था, मेरी गर्दन पर अपने दांतों का निशान लगाता जा रहा था। मेरे शरीर को किसी वहशी जानवर की तरह भंभोड़ता रहा करीब चालीस मिनट तक। शुरू में मैं उसकी पाशविक प्रवृत्ति से घबरा गई थी, किंतु कुछ मिनट पश्चात वही पीड़ा दायक पाशविक संभोग मुझे बेहद आनंदित करने लगा, “ओह्ह्ह्ह राजा, आह्ह्ह्ह्ह मेरे बल्लू (बलराम), ओह्ह्ह्ह चोदू, उफ्फ्फ मेरी मां, ओह मेरे कामदेव, ऐसा सुख पहले कभी नहीं मिला