desiaks
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“देखो मैडम, आप ने ऑटो में बैठकर अपनी चूचियां दिखा कर खुद ललचाया है। मेरा लौड़ा मेरे वश में नहीं है। अब हम इसको कैसे रोकें। आपको चोदे बिना मानेगा नहीं, इसलिए चुपचाप चोदने दे। वैसे भी आपके जैसी औरत हमारी किस्मत में कहां। आज तो ऐसी सुंदर औरत हाथ लगी है।” कहते कहते मेरी इलास्टिक वाले ढीली पैजामी को एक झटके में मेरी पैंटी समेत नीचे खींच लिया। अब मेेेरे नीचे का हिस्सा बिल्कुल नंगा था जो चांदनी रात में चमक रहा था।
“हाय राम, मुझे छोड़ दो । छि: छि: कैसी गंदी बात कर रहे हो। मुझे जाने दो प्लीज।” मैं अपनी योनी को अपने हाथों से ढंकने की असफल कोशिश करती रही। लेकिन अब उस ऑटो वाले को रोक पाना असंभव था, मैं रोकना चाहती भी नहीं थी। मेरी दपदपाती चांदनी रात मे चमकती योनी का दर्शन करने के बाद तो वह पागल ही हो गया। एक झटके में मेरे नीचे के कपड़े को पैरों से निकाल फेंका। इससे पहले कि मैं कुछ कहती, वह मुझ पर सवारी गांठ चुका था। मेरे दोनों पैरों को जबरदस्ती फैला कर अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी योनी छिद्र के ऊपर रख कर एक ही भीषण प्रहार से सड़ाक से पूरा लिंग उतार दिया।
“ओह्ह्ह्ह मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ,” मैं चीख पड़ी। दर असल मैं चीखने में मजबूर हो गई थी, चूंकि उसने बड़ी ही बेरहमी और जल्दबाजी में यह सब किया था। सच में उसका यह कृत्य पीड़ादायक था। मेरे गोल गोल सख्त उरोजों के ऊपर खड़े निप्पल्स को देखकर उसकी हैवानियत और बढ़ गई थी। अपने मुह में भर कर दांत गड़ा दिया।
“आह्ह्ह्ह्ह, मार डाला रे हरामी” मैं फिर चीखी। लेकिन उस पर तो भूत सवार हो चुका था। इधर मेरी चूचियों पर अपनी हैवानियत का निशान छोड़ता जा रहा था और उधर दनादन मेरी योनी में अपने मोटे लिंग का आक्रमण पर अक्रमण किये जा रहा था। मेरी चीख पुकार का उसपर कोई असर नहीं हुआ। कुछ पलों की पीड़ा के पश्चात मैं उसके मशीनी अंदाज में संभोग से अजीबोगरीब स्थिति में पहुंच गई। एक तरफ दर्द, दूसरी तरफ सुखद अहसास।
“हाय राम, मुझे छोड़ दो । छि: छि: कैसी गंदी बात कर रहे हो। मुझे जाने दो प्लीज।” मैं अपनी योनी को अपने हाथों से ढंकने की असफल कोशिश करती रही। लेकिन अब उस ऑटो वाले को रोक पाना असंभव था, मैं रोकना चाहती भी नहीं थी। मेरी दपदपाती चांदनी रात मे चमकती योनी का दर्शन करने के बाद तो वह पागल ही हो गया। एक झटके में मेरे नीचे के कपड़े को पैरों से निकाल फेंका। इससे पहले कि मैं कुछ कहती, वह मुझ पर सवारी गांठ चुका था। मेरे दोनों पैरों को जबरदस्ती फैला कर अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी योनी छिद्र के ऊपर रख कर एक ही भीषण प्रहार से सड़ाक से पूरा लिंग उतार दिया।
“ओह्ह्ह्ह मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ,” मैं चीख पड़ी। दर असल मैं चीखने में मजबूर हो गई थी, चूंकि उसने बड़ी ही बेरहमी और जल्दबाजी में यह सब किया था। सच में उसका यह कृत्य पीड़ादायक था। मेरे गोल गोल सख्त उरोजों के ऊपर खड़े निप्पल्स को देखकर उसकी हैवानियत और बढ़ गई थी। अपने मुह में भर कर दांत गड़ा दिया।
“आह्ह्ह्ह्ह, मार डाला रे हरामी” मैं फिर चीखी। लेकिन उस पर तो भूत सवार हो चुका था। इधर मेरी चूचियों पर अपनी हैवानियत का निशान छोड़ता जा रहा था और उधर दनादन मेरी योनी में अपने मोटे लिंग का आक्रमण पर अक्रमण किये जा रहा था। मेरी चीख पुकार का उसपर कोई असर नहीं हुआ। कुछ पलों की पीड़ा के पश्चात मैं उसके मशीनी अंदाज में संभोग से अजीबोगरीब स्थिति में पहुंच गई। एक तरफ दर्द, दूसरी तरफ सुखद अहसास।