hotaks444
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दीपिका मॅम के बारे मे मैने अभी तक जो नोट्स बनाए थे ,उसके अनुसार ,वो एक बिंदास और हवस की पुजारीन थी, ये बताना मुश्किल था कि वो आज तक किस-किस के साथ सोई होगी, अपने पूरे मादक जिस्म का उसने अच्छा ख़ासा इस्तेमाल किया था, और रिसेस के बाद होड़ का कंप्यूटर लॅब मे आना शायद उसकी वजह दीपिका मॅम का जिस्म ही होगा, दीपिका मॅम चालाक भी बहुत थी ,वो बखूबी जानती थी कि किस लड़के को कैसे फसाना है, इसीलिए फिज़िक्स लॅब मे उसने बिना जान पहचान के मेरा हाथ नरक के द्वार से टच करा दिया था... मेरी इस स्टोरी मे दीपिका मॅम का किरदार बड़ा अजीब था ,क्यूंकी कभी-कभी उसकी स्माइल मुझे डरा देती थी , ना जाने वो जिस्म की प्यास मे क्या कर बैठे....लेकिन लौंडा मैं भी होशियार था और दीपिका मॅम की तरह दिमाग़ का इस्तेमाल करना मैं भी जानता था....उसके बाद मैं एश के टॉपिक मे आया, दो सिगरेट मैं ऑलरेडी पी चुका था इसलिए और सिगरेट पीने का मन नही कर रहा था,लेकिन मैने फिर भी एक सिगरेट और सुलगाई और एश के बारे मे सोचने लगा......
उस वक़्त पूरे कॉलेज मे शायद एश ही ऐसी थी, जिसके लिए मेरे दिल मे अरुण से भी ज़्यादा फीलिंग्स थी...एश के बारे मे भी मैने कुछ नोट्स बनाए थे, और उसके अनुसार वो एक रिच, स्वीट, इनोसेंट और बहुत जल्द गुस्सा हो जाती थी...एश की तरफ मेरा अट्रॅक्षन इसलिए था क्यूंकी वो सेम टू सेम वैसी लड़की थी,जैसी मैं चाहता था...मुझे आज के मॉडर्न जमाने मे एक मॉडर्न गर्ल फ्रेंड चाहिए थी, जिसके स्टाइलिश हेरस्टाइल हो, जिसके होंठ ऐसे हो कि देखते ही किस करने का मन करे, गाल ऐसे हो कि देखते ही प्यार से छुने का मन करे, आँख ऐसी हो कि उनमे डूब जाने का मन करे, और वो मुझसे लड़े, जैसा कि एश करती थी....क्यूंकी मुझे खूबसूरत लड़कियो से लड़ने मे बहुत मज़ा आता है....
अब जब एश के बारे मे सोचा था तो गौतम का ख़याल आना लाज़िमी था, मेरी तीसरी सिगरेट भी ख़त्म होने कगार मे थी और मैं उखड़े हुए मन से गौतम के बारे मे सोचने लगा,..गौतम भी एश की तरह रहीस था जो उसे देखकर ही लगता था, एश को लेकर शायद वो कन्फ्यूज़ था कि वो उससे प्यार करता है या नही , क्यूंकी हमारा मन एक बच्चे की तरह होता है, जिसे यदि शुरू मे मिठाई का एक टुकड़ा दिखाया जाए तो वो उसे झट से पकड़ लेता है, लेकिन यदि उसी समय मिठाई का बड़ा टुकड़ा उस बच्चे को दिखाया जाए तो वो पहले वाले को छोड़ कर दूसरे वाले टुकड़े को पकड़ लेता है, मैं उस वक़्त स्योर तो नही था लेकिन मेरे हिसाब से गौतम का केस कुछ ऐसा ही था, बचपन मे एश के करीब रहा तो एश से लगाव हो गया लेकिन जब कॉलेज आया तो उसने वही हरकते करनी शुरू कर दी ,जो एक छोटा सा बच्चा करता है....गौतम, एश से प्यार भले ना करता हो,लेकिन वो उसे पसंद ज़रूर करता था, अभी तक मैं सिर्फ़ सीडार को एमटीएल समझता था लेकिन अक्सर ऐसे कयि एमटीएल मिल जाते है, गौतम भी एमटीएल था, वो मेरी तरह बास्केट बॉल का धांसु प्लेयर था और उसकी आज तक बॅक भी नही लगी थी, और मैने उसी समय अंदाज़ा लगा लिया था कि जब कॉलेज की बॅस्केटबॉल टीम बनेगी तो एक बार फिर मेरी और उसकी तकरार होगी, बीसी मुझे हर फील्ड मे टक्कर देने के लिए गौतम तैयार खड़ा था...
"हां बोल अरुण..."मैने कॉल रिसेव की,
अरुण मुझसे पुच्छ रहा था कि मैं इतनी रात तक कहाँ हूँ, मेरे ख़याल से पहले उसने सीडार के पास कॉल किया होगा और फिर मेरे पास....
"यहीं बाहर टहल रहा हूँ..."मैने कहा...
"कहाँ है, मैं भी आता हूँ..."
"तू क्या करेगा..मैं टहलते -टहलते बहुत दूर निकल गया हूँ..."
"अमेरिका पहुच गया क्या , नौटंकी बंद कर और वापस हॉस्टिल की तरफ बढ़..."
"चल ठीक है..."मैने कॉल कट करके मोबाइल जेब मे डाला और हॉस्टिल की तरफ बढ़ चला....
अब टॉपिक अरुण था, अरुण एक पोलीस इनस्पेक्टर का लौंडा था और मेरा बेस्ट फ्रेंड भी,...वो हमेशा यही चाहता कि मैं भी वही करूँ जो वो करता है...रात भर उसके साथ सिगरेट पियू , दारू पीने मे उसका साथ दूं , वो ये भी चाहता था कि मैं एश के बारे मे सोचना छोड़ दूं,क्यूंकी वो लड़कियो पर भरोशा नही करता था, उसका कहना था कि गर्ल्स लाइक आ एटीम मशीन, जिसमे कोई भी कार्ड डालकर अपना काम निकाल सकता है, लड़कियो के लिए उसके दिल मे सिर्फ़ एक अरमान था, वो अधिक से अधिक लड़कियो को करना चाहता था,....
"इधर देख बे कुत्ते..."अंधेरे मे अरुण ने मुझे आवाज़ दी , वो थोड़ी ही दूरी पर था ....
"इतनी रात को क्या चौकीदारी कर रहा है...."जब मैं उसके पास गया तो वो मुझसे बोला"चल एस.पी. के बंग्लॉ मे घूम के आते है..."
"मूर्ख है क्या, पोलीस वाले गान्ड मे डंडा पेलेंगे..."
"आजा, "अरुण ने मेरा हाथ पकड़ कर ज़बरदस्ती मुझे घसीटा....
"वो बोर्ड देख रहा है, एस.पी. के घर के बाहर..."जिसपर एस.पी. का नाम लिखा हुआ था,उसे देखकर अरुण बोला...
"स.एल. डांगी, पोलीस अधीक्षक..."
"एक दिन वहाँ मेरा भी नाम होगा और तू ऐसे ही मेरे घर के बाहर खड़े होकर ,बोर्ड पर लिखा नाम पढ़े...अरुण कुमार, आइपीएस ऑफीसर... "
"आँड मत खा और बता मुझे बुलाया क्यूँ है..."
"फिज़िक्स पढ़ कर बोर हो गया था ,तो सोचा की टाइम पास करूँ..."
"यदि तेरा टाइम पास हो गया हो तो अब वापस चले...."
"एश से तेरी बात कहाँ तक पहुचि..."बीच रास्ते मे उसने पुछा...
"इंतियाल स्टेट मे है..."
"मैं बोल रहा हूँ ,तुझे...छोड़ दे उसको, इन लड़कियो को तू नही जानता...."
"जैसे तेरे पास लड़कियो को बनाने वाली फॅक्टरी हो, जब देखो तब फेक्ता रहता है..."
"देख अरमान,..."अरुण वही रास्ते मे खड़ा हो गया , और बोला"दुनिया मे लाखों लड़कियो का प्यार सिर्फ़ चूत-लंड का होता है, उन लाखों लड़कियो मे से कुछ ही लड़किया ऐसी होती है ,जिनका लव लेफ्ट साइड वाला होता है और एश-गौतम का लव लेफ्ट साइड वाला है..."
"तुझे फोन करके उसने बताया क्या..."वहाँ से आगे बढ़ते हुए मैने कहा....
"तेरा दिमाग़ सटक गया है क्या, या फिर तू अँधा हो रेला है... एसा को कभी देखा है कभी दूसरे लड़के की तरफ देखते हुए या फिर गौतम को किसी लड़की की तरफ देखते हुए,दोनो स्ट्रॉंग बॉन्ड मे बँधे हुए है, उन्हे कोई ब्रेक नही कर सकता...."
"उस बॉन्ड को फतेहाल गरम कर दो, टूट जाएगा और मैं वही करने वाला हूँ...."
"सिंपल लॅंग्वेज मे एक्सप्लेन कर सकता है क्या "
"विभा, किस दिन काम आएगी....उसे स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद है, "
"मेरी भी सेट्टिंग जमा ना, उससे..."
"पहले मेरा काम तो निपट जाए..."
जिस दिन मैने ऐसा करने का सोचा था ,शायद उसी दिन मैने खुद को अपनी ज़िंदगी का विलेन बना लिया था, मुझे ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहिए था,किसी हालत मे नही करना चाहिए था...लेकिन मैने किया , दिल और दिमाग़ दोनो से किया...
आख़िर कार वो दिन आ गया जिसका इंतेज़ार हम सभी को था, एलेक्षन आज ही था और मैं आज भी क्लास से बंक मार के सीडार के साथ घूम रहा था, अरुण आज भी मेरे साथ था.....मैने जैसा सोचा था, वैसे ही दो लड़को को सीडार ने खड़ा किया था, हमारा प्लान गौतम और वरुण को समझ तो आया ,लेकिन बहुत देर मे आया....अभी इस वक़्त जहाँ वोटिंग पड़ रही थी, मैं वहाँ सीडार के साथ बैठा हुआ था...हमारी पार्टी के कुछ और लड़के भी वहाँ साथ मे थे...वरुण भी वही साथ मे गौतम के साथ बैठा हुआ था,उनके साथ भी कुछ लड़के थे....अक्सर हम सबकी निगाहे मिल जाती और आँखो ही आँखो मे हम ज्वालामुखी उतर कर सामने वालो को धमकी देते.....वो आख़िरी स्टेज था वोटिंग का और आज सॅटर्डे भी था इसलिए कॉलेज जल्दी ख़त्म हुआ....
कॉलेज ख़त्म होने के बाद एश भी गौतम के पास आई, और उसे अपने साथ घर जाने के लिए कहा....
"कुछ देर रूको, फिर चलते है..."गौतम के जवाब पर एश इधर उधर देखने लगी...उसने मुझे भी देखा,लेकिन मुझसे अपनी नज़रें ऐसी हटा ली ,जैसे की वो मुझे फर्स्ट टाइम देख रही हो...वो आज भी मुझे हर दिन की तरह बहुत प्यारी लगी, उसे देखते ही लेफ्ट साइड धड़का और दिल किया उसे जल्दी से जाकर अपनी बाहो मे समेट लूँ,लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया...मैं वही सीडार के साथ अपने पार्टी वाले लोगो के साथ बैठा रहा....वो आज भी हर दिन की तरह सीधे मेरे दिल मे उतर रही थी, वही भूरी आँखे, वही शरीर...अब जैसे मोहब्बत इस सीने को चीर कर निकलने वाली थी....
"उससे बात करने का मन कर रहा है...."मैने अरुण से कहा...
"चुप साले, लफडा करेगा क्या..."
"कुछ जुगाड़ जमा ना भाई..."
"कोई जुगाड़ नही है, यदि तूने ऐसी हरकत की तो पहले गौतम तुझे मारेगा और उसके बाद मैं तुझे जान से मार दूँगा...."
जब कुछ जुगाड़ नही हुआ तो मैने अपना मोबाइल निकाला और उस दिन कॅंटीन मे एश को तीन-टीन लॅंग्वेज मे बोले गये आइ लव यू ,के वीडियो को देखने लगा....
एश जब तक वहाँ रही मैं उसे देखता रहा, कभी छुप-छुप के ,तो कभी डाइरेक्ट्ली....लेकिन हर वक़्त निगाह उसी पर टिकी रही और फिर.....वो चली गयी, गौतम के साथ...उसने जाते वक़्त भी एक बार पलट कर नही देखा.....उसकी दुनिया जैसे घर से निकलकर गौतम मे ख़त्म हो जाती थी उसे बाकियो से कोई मतलब नही था की बाकी क्या कर रहे है, क्या नही कर रहे है....उसे शायद इसकी भी परवाह नही थी कि मैने उसे एक हफ्ते तक क्यूँ परेशान किया....
"बीसी , किस्मत ही खराब है..."एश और गौतम के जाने के बाद मैने सामने वाली टेबल पर ज़ोर से अपना हाथ दे मारा....
"तोड़ दे, टेबल को...लवडे पैसा भरना फिर..."
और उसके बाद मैने सच मे वो टेबल तोड़ दिया, वहाँ मौजूद सभी लोग चौक गये, सीडार और बाकी सीनियर्स वहाँ से जा चुके थे, बस हम कुछ ही लड़के वहाँ बैठे थे....जब मैं गुस्से से टेबल तोड़ रहा था तो कयि लड़को ने अरुण से ये भी पुछा कि मैं ऐसा क्यूँ कर रहा हूँ, तो अरुण ने उन्हे जवाब दिया कि मैं एलेक्षन जीतने की खुशी मे टेबल तोड़ रहा है.......
"बस हो गया या कुछ और करने का विचार है..."मैं जब शांत हुआ तो अरुण ने मुझसे पुछा"सिगरेट पिएगा..."जवाब मे मैने सिर्फ़ अपना हाथ उसकी तरफ किया.....
एलेक्षन ख़त्म हुआ तो सोचा कि थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई अब हो जाएगी,लेकिन तभी फ्रेशर पार्टी सर पर आ गयी, सब उसके फंक्शन की तैयारियो मे जुड़ गये...हमारे यहाँ फ्रेशर पार्टी ब्रांच वाइज़ होती थी,एक बार मैं होती थी और एक बार हॉस्टिल के सीनियर्स अलग से पार्टी देते थे....लेकिन मज़ा तो मैं वाली पार्टी मे ही आता था क्यूंकी वहाँ हमारे कॉलेज की आइटम लोग भी रहती थी और रात भर नाच-गाने का प्रोग्राम चलता था, हर बार फ्रेशर पार्टी ब्रांच वाइज़ होती थी,लेकिन इस बार नही हुई थी...इस बार सब ब्रांच वालो का एक साथ फंक्षन था....ये सोच बिल्कुल ही बेकार था, ये बात अलग है कि उस वक़्त वो मुझे पसंद आया क्यूंकी सब एक साथ रहेंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा...
उस दिन सनडे था, अरुण सुबह से ही रूम से गायब था, उसका खास दोस्त होने के नाते जब वो सुबह जा रहा था तो मुझे पुछना चाहिए था कि वो कहाँ जा रहा है,लेकिन मैने नही पुछा, और दोपहर को जब मैं चादर तान के गहरी नींद मे था तो मेरे रूम का दरवाज़ा बहुत ज़ोर से किसी ने पीटा...
"अबे, आ रहा हूँ..."बोलकर मैं फिर सो गया और कुछ देर बाद फिर दरवाज़ा किसी ने ज़ोर से पीटा...
"क्या है, जा बाद मे आना..."बोलकर मैं फिर सो गया और दरवाज़ा पर एक बार फिर ज़ोर से दस्तक हुई....
"अबे मैं हूँ,अरुण...."
"बाद मे आना, अभी मूठ मार रहा हूँ....बस निकलने ही वाला है..."
"जल्दी खोल दे यार, वरना लंबे से पेला जाउन्ग..."और उसने एक बार फिर दरवाज़ा ज़ोर से पीटा...
"रुक आ रहा हूँ..."अरुण को गालियाँ देते हुए मैने बिस्तर छोड़ा और रूम का गेट खोला.."क्या है, क्यूँ इतना तूफान मचा रक्खा है..."
"फस गये बे..."अंदर आते ही अरुण ने दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर कंबल ओढ़ कर बोला"अभी कोई टीचर आए तो बोल देना कि...सर इसकी तबीयत दो दिन से खराब है..."
"कौन सर आ रहे है.."गेट खोलते हुए मैने कहा"और तेरी इतनी क्यूँ फट रही है..."
"गर्ल्स हॉस्टिल घुसे थे, तो कुछ लड़कियो ने देखकर शोर मचा दिया और अब उनकी हॉस्टिल वॉर्डन यहाँ आ रही है....."
"निकल रूम से.."अरुण का कंबल दूर करते हुए मैने कहा"तेरे चक्कर मे मैं भी जाउन्गा...."
"संभाल ले यार,फिर एक खुशख़बरी दूँगा..."और उसने फिर से कंबल तान ली...
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन उन दो तीन लड़कियो के साथ हॉस्टिल मे आई,जिन्होने शोर मचाया था कि कुछ लड़के उनके हॉस्टिल मे है....मुझे उस वक़्त कुछ नही सूझा, सो कर उठा था इसलिए दिमाग़ को रन करने मे अभी थोड़ा टाइम लग रहा था...लेकिन फिर भी मैने कुछ किया...मेरे पास जो एक कंबल पड़ी थी उसको भी अरुण के उपर डाल दिया और उसे काँपने के लिए बोल दिया....और अपनी रुमाल को पानी से भिगो कर उसके सर पर रखा और गेट खोल दिया...
"ये कौन सोया हुआ है..."गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन हमारे हॉस्टिल के वॉर्डन के साथ अंदर आई,और जिन दो लड़कियो ने अरुण और इसके दोस्तो को देखा था वो दोनो बाहर ही खड़ी रही....
"सर, ये मेरा दोस्त है...बेचारा बहुत बीमार है दो दिनो से..."मैने अरुण के सर से रुमाल हटाकर भिगोया और वापस उसके सर पर रखते हुए कहा"दो दिन से ये उठा भी नही है..."
"तो इसके घरवालो को इनफॉर्म किया..."
"वो रेलवे स्टेशन मे है, बस कुछ देर मे ही आ जाएँगे..."
"यू नालयक, ये बीमार है और तुम मुझे आज बता रहे हो"और फिर गर्ल'स हॉस्टिल की वॉर्डन की तरफ देखकर हमारे वॉर्डन ने वहाँ से चलने के लिए कहा....
उन सबके जाने के बाद मैने गेट बंद किया , अरुण पसीने से भीगा हुआ था...
"अब बता ये सब क्या चूतियापा है..."मैने पुछा...
"भू किसी लड़की को आइ लव यू ,बोलने गया था..तो मैं भी उसके साथ हो लिया..."
"तेरी गान्ड मे क्या खुजली थी, जो तू भी चला गया..उस चूतिए के साथ..."
"घंटा का चूतिया...वो तेरी तरह फटू नही है...वो बिंदास उस लौंडिया को आइ लव यू ,बोल के आया है और उसने कहा है कि यदि वो लड़की सेट हो जाएगी तो वो मुझे भी उसकी चूत दिलाएगा..."
"अबे चोदु, बाहर अपने प्यार का इज़हार करते तो क्या होता, उसी ने अपने हॉस्टिल वॉर्डन को बताया होगा कि कुछ लड़के उनके हॉस्टिल मे घुस आए है..."
"अबे कुछ लड़कियो ने देख लिया था, उन्होने शोर मचा दिया..."
"चल ये बता..."टॉपिक चेंज करते हुए मैने सिगरेट की पॅकेट उठाई और धुआ अरुण के मूह पर फेक्ता हुआ बोला"यही खुशख़बरी तू सुनाने वाला था क्या मुझे..."
"अरे हां, मैं तो भूल ही गया..."उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रक्खा और ज़ोर से मेरा गर्दन दबाते हुए बोला"हम न्सुई एलेक्षन जीत गये...."
"बीसी, गर्दन छोड़..मारेगा क्या..."
"चल आज दारू पिलाएगा..."
" सिगरेट...दारू मैं नही पीता..."
" रुक जा ,जब सीडार प्रेसीडेंट बनने की खुशी मे पार्टी देगा,तब तेरे आगे से भी और पीछे से भी दारू भरेगा...और तूने अपना मोबाइल क्यूँ ऑफ किया हुआ है, सीडार ने मुझे कॉल किया था और उसी वक़्त मैं और भू गर्ल'स हॉस्टिल मे थे और सीडार के उसी कॉल की वजह से हम पकड़े गये...यदि टेक्निकली देखा जाए, तो उसकी वजह तू है"
"यदि टेक्निकली देखा जाए तो उस खड़ूस वॉर्डन से तुझे बचाया भी मैने ही है..."जब अरुण ने गर्दन से अपना हाथ नही हटाया तो मैने उसे बिस्तर पर धक्का देते हुए कहा"ये बता गौतम ,2न्ड एअर से जीता या हारा...."
"जीत गया बीसी,...उनकी पार्टी सिर्फ़ सेकेंड एअर से जीती है और फर्स्ट एअर मे तो तू एकतरफ़ा जीता है,आज तक कोई इतने वोट्स से नही जीता...."
" अभी तू देख, मैं इस कॉलेज का नक्शा ही बदल दूँगा....वैसे थॅंक्स "मैने फिर एक कश खींचा और बोला"फ्रेशर पार्टी कब है..."
"कौन सी वाली, हॉस्टिल वाली या फिर..."
"वही,जिसमे टीचर्स, लड़किया,सिटी वाले भी शामिल रहते है..." अरुण को बीच मे रोक कर मैने कहा...
"तू उस पार्टी मे जाने के अरमान छोड़ दे,...सीडार जाने नही देगा..."
"क्यूँ..."मैं चौक गया था,जब उसने कहा की सीडार मुझे पार्टी मे जाने नही देगा....
" हॉस्टिल वाले कभी ,उस पार्टी मे नही जाते...स्पेशली वो जो सीडार के करीब रहते है..."
"क्यूँ,.."मैं फिर चौक गया, क्यूंकी ये सब तो मुझे मालूम ही नही था....
"फ्रेशर पार्टी का सारा मॅनेज्मेंट सिटी वाले देखते है और अपनी होशियारी छोड़ते रहते है...हॉस्टिल वाले ना तो कलेक्षन मे पैसे देते है और ना ही उस पार्टी मे जाते है...."
"ये तो ग़लत है यार ! "मैं इस बार भी चौका,लेकिन थोड़ा कम....."ये तो बिल्कुल ग़लत है यार, ऐसे मे तो लफडा और बढ़ता है...."
"देख अरमान , मैने कहीं पढ़ा था कि एक अकेला इंसान समुंदर के तूफान मे कश्ती नही चला सकता,..."
"मैं दा रॉं हूँ , खुद को तो समुंदर के तूफान से निकाल ही सकता हूँ...."हँसते हुए मैने कहा...
"मतलब की तू उस पार्टी मे जाएगा..."
"मैं नही, सीडार खुद भेजेगा उस पार्टी मे मुझे और तुझे भी....और कोई है..."
"भू को ले लेते है...लेकिन तू ये करेगा कैसे...सीडार कोई दूध पीता बच्चा नही है"
"यदि सीडार कोई दूध पीता बच्चा नही है तो मैं भी कोई दूध पीता बच्चा नही हूँ, आइ आम अरमान, एक यांत्रिकी अभियंता(मेकॅनिकल इंजिनियर )"
उस वक़्त पूरे कॉलेज मे शायद एश ही ऐसी थी, जिसके लिए मेरे दिल मे अरुण से भी ज़्यादा फीलिंग्स थी...एश के बारे मे भी मैने कुछ नोट्स बनाए थे, और उसके अनुसार वो एक रिच, स्वीट, इनोसेंट और बहुत जल्द गुस्सा हो जाती थी...एश की तरफ मेरा अट्रॅक्षन इसलिए था क्यूंकी वो सेम टू सेम वैसी लड़की थी,जैसी मैं चाहता था...मुझे आज के मॉडर्न जमाने मे एक मॉडर्न गर्ल फ्रेंड चाहिए थी, जिसके स्टाइलिश हेरस्टाइल हो, जिसके होंठ ऐसे हो कि देखते ही किस करने का मन करे, गाल ऐसे हो कि देखते ही प्यार से छुने का मन करे, आँख ऐसी हो कि उनमे डूब जाने का मन करे, और वो मुझसे लड़े, जैसा कि एश करती थी....क्यूंकी मुझे खूबसूरत लड़कियो से लड़ने मे बहुत मज़ा आता है....
अब जब एश के बारे मे सोचा था तो गौतम का ख़याल आना लाज़िमी था, मेरी तीसरी सिगरेट भी ख़त्म होने कगार मे थी और मैं उखड़े हुए मन से गौतम के बारे मे सोचने लगा,..गौतम भी एश की तरह रहीस था जो उसे देखकर ही लगता था, एश को लेकर शायद वो कन्फ्यूज़ था कि वो उससे प्यार करता है या नही , क्यूंकी हमारा मन एक बच्चे की तरह होता है, जिसे यदि शुरू मे मिठाई का एक टुकड़ा दिखाया जाए तो वो उसे झट से पकड़ लेता है, लेकिन यदि उसी समय मिठाई का बड़ा टुकड़ा उस बच्चे को दिखाया जाए तो वो पहले वाले को छोड़ कर दूसरे वाले टुकड़े को पकड़ लेता है, मैं उस वक़्त स्योर तो नही था लेकिन मेरे हिसाब से गौतम का केस कुछ ऐसा ही था, बचपन मे एश के करीब रहा तो एश से लगाव हो गया लेकिन जब कॉलेज आया तो उसने वही हरकते करनी शुरू कर दी ,जो एक छोटा सा बच्चा करता है....गौतम, एश से प्यार भले ना करता हो,लेकिन वो उसे पसंद ज़रूर करता था, अभी तक मैं सिर्फ़ सीडार को एमटीएल समझता था लेकिन अक्सर ऐसे कयि एमटीएल मिल जाते है, गौतम भी एमटीएल था, वो मेरी तरह बास्केट बॉल का धांसु प्लेयर था और उसकी आज तक बॅक भी नही लगी थी, और मैने उसी समय अंदाज़ा लगा लिया था कि जब कॉलेज की बॅस्केटबॉल टीम बनेगी तो एक बार फिर मेरी और उसकी तकरार होगी, बीसी मुझे हर फील्ड मे टक्कर देने के लिए गौतम तैयार खड़ा था...
"हां बोल अरुण..."मैने कॉल रिसेव की,
अरुण मुझसे पुच्छ रहा था कि मैं इतनी रात तक कहाँ हूँ, मेरे ख़याल से पहले उसने सीडार के पास कॉल किया होगा और फिर मेरे पास....
"यहीं बाहर टहल रहा हूँ..."मैने कहा...
"कहाँ है, मैं भी आता हूँ..."
"तू क्या करेगा..मैं टहलते -टहलते बहुत दूर निकल गया हूँ..."
"अमेरिका पहुच गया क्या , नौटंकी बंद कर और वापस हॉस्टिल की तरफ बढ़..."
"चल ठीक है..."मैने कॉल कट करके मोबाइल जेब मे डाला और हॉस्टिल की तरफ बढ़ चला....
अब टॉपिक अरुण था, अरुण एक पोलीस इनस्पेक्टर का लौंडा था और मेरा बेस्ट फ्रेंड भी,...वो हमेशा यही चाहता कि मैं भी वही करूँ जो वो करता है...रात भर उसके साथ सिगरेट पियू , दारू पीने मे उसका साथ दूं , वो ये भी चाहता था कि मैं एश के बारे मे सोचना छोड़ दूं,क्यूंकी वो लड़कियो पर भरोशा नही करता था, उसका कहना था कि गर्ल्स लाइक आ एटीम मशीन, जिसमे कोई भी कार्ड डालकर अपना काम निकाल सकता है, लड़कियो के लिए उसके दिल मे सिर्फ़ एक अरमान था, वो अधिक से अधिक लड़कियो को करना चाहता था,....
"इधर देख बे कुत्ते..."अंधेरे मे अरुण ने मुझे आवाज़ दी , वो थोड़ी ही दूरी पर था ....
"इतनी रात को क्या चौकीदारी कर रहा है...."जब मैं उसके पास गया तो वो मुझसे बोला"चल एस.पी. के बंग्लॉ मे घूम के आते है..."
"मूर्ख है क्या, पोलीस वाले गान्ड मे डंडा पेलेंगे..."
"आजा, "अरुण ने मेरा हाथ पकड़ कर ज़बरदस्ती मुझे घसीटा....
"वो बोर्ड देख रहा है, एस.पी. के घर के बाहर..."जिसपर एस.पी. का नाम लिखा हुआ था,उसे देखकर अरुण बोला...
"स.एल. डांगी, पोलीस अधीक्षक..."
"एक दिन वहाँ मेरा भी नाम होगा और तू ऐसे ही मेरे घर के बाहर खड़े होकर ,बोर्ड पर लिखा नाम पढ़े...अरुण कुमार, आइपीएस ऑफीसर... "
"आँड मत खा और बता मुझे बुलाया क्यूँ है..."
"फिज़िक्स पढ़ कर बोर हो गया था ,तो सोचा की टाइम पास करूँ..."
"यदि तेरा टाइम पास हो गया हो तो अब वापस चले...."
"एश से तेरी बात कहाँ तक पहुचि..."बीच रास्ते मे उसने पुछा...
"इंतियाल स्टेट मे है..."
"मैं बोल रहा हूँ ,तुझे...छोड़ दे उसको, इन लड़कियो को तू नही जानता...."
"जैसे तेरे पास लड़कियो को बनाने वाली फॅक्टरी हो, जब देखो तब फेक्ता रहता है..."
"देख अरमान,..."अरुण वही रास्ते मे खड़ा हो गया , और बोला"दुनिया मे लाखों लड़कियो का प्यार सिर्फ़ चूत-लंड का होता है, उन लाखों लड़कियो मे से कुछ ही लड़किया ऐसी होती है ,जिनका लव लेफ्ट साइड वाला होता है और एश-गौतम का लव लेफ्ट साइड वाला है..."
"तुझे फोन करके उसने बताया क्या..."वहाँ से आगे बढ़ते हुए मैने कहा....
"तेरा दिमाग़ सटक गया है क्या, या फिर तू अँधा हो रेला है... एसा को कभी देखा है कभी दूसरे लड़के की तरफ देखते हुए या फिर गौतम को किसी लड़की की तरफ देखते हुए,दोनो स्ट्रॉंग बॉन्ड मे बँधे हुए है, उन्हे कोई ब्रेक नही कर सकता...."
"उस बॉन्ड को फतेहाल गरम कर दो, टूट जाएगा और मैं वही करने वाला हूँ...."
"सिंपल लॅंग्वेज मे एक्सप्लेन कर सकता है क्या "
"विभा, किस दिन काम आएगी....उसे स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद है, "
"मेरी भी सेट्टिंग जमा ना, उससे..."
"पहले मेरा काम तो निपट जाए..."
जिस दिन मैने ऐसा करने का सोचा था ,शायद उसी दिन मैने खुद को अपनी ज़िंदगी का विलेन बना लिया था, मुझे ऐसा बिल्कुल भी नही करना चाहिए था,किसी हालत मे नही करना चाहिए था...लेकिन मैने किया , दिल और दिमाग़ दोनो से किया...
आख़िर कार वो दिन आ गया जिसका इंतेज़ार हम सभी को था, एलेक्षन आज ही था और मैं आज भी क्लास से बंक मार के सीडार के साथ घूम रहा था, अरुण आज भी मेरे साथ था.....मैने जैसा सोचा था, वैसे ही दो लड़को को सीडार ने खड़ा किया था, हमारा प्लान गौतम और वरुण को समझ तो आया ,लेकिन बहुत देर मे आया....अभी इस वक़्त जहाँ वोटिंग पड़ रही थी, मैं वहाँ सीडार के साथ बैठा हुआ था...हमारी पार्टी के कुछ और लड़के भी वहाँ साथ मे थे...वरुण भी वही साथ मे गौतम के साथ बैठा हुआ था,उनके साथ भी कुछ लड़के थे....अक्सर हम सबकी निगाहे मिल जाती और आँखो ही आँखो मे हम ज्वालामुखी उतर कर सामने वालो को धमकी देते.....वो आख़िरी स्टेज था वोटिंग का और आज सॅटर्डे भी था इसलिए कॉलेज जल्दी ख़त्म हुआ....
कॉलेज ख़त्म होने के बाद एश भी गौतम के पास आई, और उसे अपने साथ घर जाने के लिए कहा....
"कुछ देर रूको, फिर चलते है..."गौतम के जवाब पर एश इधर उधर देखने लगी...उसने मुझे भी देखा,लेकिन मुझसे अपनी नज़रें ऐसी हटा ली ,जैसे की वो मुझे फर्स्ट टाइम देख रही हो...वो आज भी मुझे हर दिन की तरह बहुत प्यारी लगी, उसे देखते ही लेफ्ट साइड धड़का और दिल किया उसे जल्दी से जाकर अपनी बाहो मे समेट लूँ,लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया...मैं वही सीडार के साथ अपने पार्टी वाले लोगो के साथ बैठा रहा....वो आज भी हर दिन की तरह सीधे मेरे दिल मे उतर रही थी, वही भूरी आँखे, वही शरीर...अब जैसे मोहब्बत इस सीने को चीर कर निकलने वाली थी....
"उससे बात करने का मन कर रहा है...."मैने अरुण से कहा...
"चुप साले, लफडा करेगा क्या..."
"कुछ जुगाड़ जमा ना भाई..."
"कोई जुगाड़ नही है, यदि तूने ऐसी हरकत की तो पहले गौतम तुझे मारेगा और उसके बाद मैं तुझे जान से मार दूँगा...."
जब कुछ जुगाड़ नही हुआ तो मैने अपना मोबाइल निकाला और उस दिन कॅंटीन मे एश को तीन-टीन लॅंग्वेज मे बोले गये आइ लव यू ,के वीडियो को देखने लगा....
एश जब तक वहाँ रही मैं उसे देखता रहा, कभी छुप-छुप के ,तो कभी डाइरेक्ट्ली....लेकिन हर वक़्त निगाह उसी पर टिकी रही और फिर.....वो चली गयी, गौतम के साथ...उसने जाते वक़्त भी एक बार पलट कर नही देखा.....उसकी दुनिया जैसे घर से निकलकर गौतम मे ख़त्म हो जाती थी उसे बाकियो से कोई मतलब नही था की बाकी क्या कर रहे है, क्या नही कर रहे है....उसे शायद इसकी भी परवाह नही थी कि मैने उसे एक हफ्ते तक क्यूँ परेशान किया....
"बीसी , किस्मत ही खराब है..."एश और गौतम के जाने के बाद मैने सामने वाली टेबल पर ज़ोर से अपना हाथ दे मारा....
"तोड़ दे, टेबल को...लवडे पैसा भरना फिर..."
और उसके बाद मैने सच मे वो टेबल तोड़ दिया, वहाँ मौजूद सभी लोग चौक गये, सीडार और बाकी सीनियर्स वहाँ से जा चुके थे, बस हम कुछ ही लड़के वहाँ बैठे थे....जब मैं गुस्से से टेबल तोड़ रहा था तो कयि लड़को ने अरुण से ये भी पुछा कि मैं ऐसा क्यूँ कर रहा हूँ, तो अरुण ने उन्हे जवाब दिया कि मैं एलेक्षन जीतने की खुशी मे टेबल तोड़ रहा है.......
"बस हो गया या कुछ और करने का विचार है..."मैं जब शांत हुआ तो अरुण ने मुझसे पुछा"सिगरेट पिएगा..."जवाब मे मैने सिर्फ़ अपना हाथ उसकी तरफ किया.....
एलेक्षन ख़त्म हुआ तो सोचा कि थोड़ी बहुत पढ़ाई-लिखाई अब हो जाएगी,लेकिन तभी फ्रेशर पार्टी सर पर आ गयी, सब उसके फंक्शन की तैयारियो मे जुड़ गये...हमारे यहाँ फ्रेशर पार्टी ब्रांच वाइज़ होती थी,एक बार मैं होती थी और एक बार हॉस्टिल के सीनियर्स अलग से पार्टी देते थे....लेकिन मज़ा तो मैं वाली पार्टी मे ही आता था क्यूंकी वहाँ हमारे कॉलेज की आइटम लोग भी रहती थी और रात भर नाच-गाने का प्रोग्राम चलता था, हर बार फ्रेशर पार्टी ब्रांच वाइज़ होती थी,लेकिन इस बार नही हुई थी...इस बार सब ब्रांच वालो का एक साथ फंक्षन था....ये सोच बिल्कुल ही बेकार था, ये बात अलग है कि उस वक़्त वो मुझे पसंद आया क्यूंकी सब एक साथ रहेंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा...
उस दिन सनडे था, अरुण सुबह से ही रूम से गायब था, उसका खास दोस्त होने के नाते जब वो सुबह जा रहा था तो मुझे पुछना चाहिए था कि वो कहाँ जा रहा है,लेकिन मैने नही पुछा, और दोपहर को जब मैं चादर तान के गहरी नींद मे था तो मेरे रूम का दरवाज़ा बहुत ज़ोर से किसी ने पीटा...
"अबे, आ रहा हूँ..."बोलकर मैं फिर सो गया और कुछ देर बाद फिर दरवाज़ा किसी ने ज़ोर से पीटा...
"क्या है, जा बाद मे आना..."बोलकर मैं फिर सो गया और दरवाज़ा पर एक बार फिर ज़ोर से दस्तक हुई....
"अबे मैं हूँ,अरुण...."
"बाद मे आना, अभी मूठ मार रहा हूँ....बस निकलने ही वाला है..."
"जल्दी खोल दे यार, वरना लंबे से पेला जाउन्ग..."और उसने एक बार फिर दरवाज़ा ज़ोर से पीटा...
"रुक आ रहा हूँ..."अरुण को गालियाँ देते हुए मैने बिस्तर छोड़ा और रूम का गेट खोला.."क्या है, क्यूँ इतना तूफान मचा रक्खा है..."
"फस गये बे..."अंदर आते ही अरुण ने दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर कंबल ओढ़ कर बोला"अभी कोई टीचर आए तो बोल देना कि...सर इसकी तबीयत दो दिन से खराब है..."
"कौन सर आ रहे है.."गेट खोलते हुए मैने कहा"और तेरी इतनी क्यूँ फट रही है..."
"गर्ल्स हॉस्टिल घुसे थे, तो कुछ लड़कियो ने देखकर शोर मचा दिया और अब उनकी हॉस्टिल वॉर्डन यहाँ आ रही है....."
"निकल रूम से.."अरुण का कंबल दूर करते हुए मैने कहा"तेरे चक्कर मे मैं भी जाउन्गा...."
"संभाल ले यार,फिर एक खुशख़बरी दूँगा..."और उसने फिर से कंबल तान ली...
गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन उन दो तीन लड़कियो के साथ हॉस्टिल मे आई,जिन्होने शोर मचाया था कि कुछ लड़के उनके हॉस्टिल मे है....मुझे उस वक़्त कुछ नही सूझा, सो कर उठा था इसलिए दिमाग़ को रन करने मे अभी थोड़ा टाइम लग रहा था...लेकिन फिर भी मैने कुछ किया...मेरे पास जो एक कंबल पड़ी थी उसको भी अरुण के उपर डाल दिया और उसे काँपने के लिए बोल दिया....और अपनी रुमाल को पानी से भिगो कर उसके सर पर रखा और गेट खोल दिया...
"ये कौन सोया हुआ है..."गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन हमारे हॉस्टिल के वॉर्डन के साथ अंदर आई,और जिन दो लड़कियो ने अरुण और इसके दोस्तो को देखा था वो दोनो बाहर ही खड़ी रही....
"सर, ये मेरा दोस्त है...बेचारा बहुत बीमार है दो दिनो से..."मैने अरुण के सर से रुमाल हटाकर भिगोया और वापस उसके सर पर रखते हुए कहा"दो दिन से ये उठा भी नही है..."
"तो इसके घरवालो को इनफॉर्म किया..."
"वो रेलवे स्टेशन मे है, बस कुछ देर मे ही आ जाएँगे..."
"यू नालयक, ये बीमार है और तुम मुझे आज बता रहे हो"और फिर गर्ल'स हॉस्टिल की वॉर्डन की तरफ देखकर हमारे वॉर्डन ने वहाँ से चलने के लिए कहा....
उन सबके जाने के बाद मैने गेट बंद किया , अरुण पसीने से भीगा हुआ था...
"अब बता ये सब क्या चूतियापा है..."मैने पुछा...
"भू किसी लड़की को आइ लव यू ,बोलने गया था..तो मैं भी उसके साथ हो लिया..."
"तेरी गान्ड मे क्या खुजली थी, जो तू भी चला गया..उस चूतिए के साथ..."
"घंटा का चूतिया...वो तेरी तरह फटू नही है...वो बिंदास उस लौंडिया को आइ लव यू ,बोल के आया है और उसने कहा है कि यदि वो लड़की सेट हो जाएगी तो वो मुझे भी उसकी चूत दिलाएगा..."
"अबे चोदु, बाहर अपने प्यार का इज़हार करते तो क्या होता, उसी ने अपने हॉस्टिल वॉर्डन को बताया होगा कि कुछ लड़के उनके हॉस्टिल मे घुस आए है..."
"अबे कुछ लड़कियो ने देख लिया था, उन्होने शोर मचा दिया..."
"चल ये बता..."टॉपिक चेंज करते हुए मैने सिगरेट की पॅकेट उठाई और धुआ अरुण के मूह पर फेक्ता हुआ बोला"यही खुशख़बरी तू सुनाने वाला था क्या मुझे..."
"अरे हां, मैं तो भूल ही गया..."उसने मेरे कंधे पर अपना हाथ रक्खा और ज़ोर से मेरा गर्दन दबाते हुए बोला"हम न्सुई एलेक्षन जीत गये...."
"बीसी, गर्दन छोड़..मारेगा क्या..."
"चल आज दारू पिलाएगा..."
" सिगरेट...दारू मैं नही पीता..."
" रुक जा ,जब सीडार प्रेसीडेंट बनने की खुशी मे पार्टी देगा,तब तेरे आगे से भी और पीछे से भी दारू भरेगा...और तूने अपना मोबाइल क्यूँ ऑफ किया हुआ है, सीडार ने मुझे कॉल किया था और उसी वक़्त मैं और भू गर्ल'स हॉस्टिल मे थे और सीडार के उसी कॉल की वजह से हम पकड़े गये...यदि टेक्निकली देखा जाए, तो उसकी वजह तू है"
"यदि टेक्निकली देखा जाए तो उस खड़ूस वॉर्डन से तुझे बचाया भी मैने ही है..."जब अरुण ने गर्दन से अपना हाथ नही हटाया तो मैने उसे बिस्तर पर धक्का देते हुए कहा"ये बता गौतम ,2न्ड एअर से जीता या हारा...."
"जीत गया बीसी,...उनकी पार्टी सिर्फ़ सेकेंड एअर से जीती है और फर्स्ट एअर मे तो तू एकतरफ़ा जीता है,आज तक कोई इतने वोट्स से नही जीता...."
" अभी तू देख, मैं इस कॉलेज का नक्शा ही बदल दूँगा....वैसे थॅंक्स "मैने फिर एक कश खींचा और बोला"फ्रेशर पार्टी कब है..."
"कौन सी वाली, हॉस्टिल वाली या फिर..."
"वही,जिसमे टीचर्स, लड़किया,सिटी वाले भी शामिल रहते है..." अरुण को बीच मे रोक कर मैने कहा...
"तू उस पार्टी मे जाने के अरमान छोड़ दे,...सीडार जाने नही देगा..."
"क्यूँ..."मैं चौक गया था,जब उसने कहा की सीडार मुझे पार्टी मे जाने नही देगा....
" हॉस्टिल वाले कभी ,उस पार्टी मे नही जाते...स्पेशली वो जो सीडार के करीब रहते है..."
"क्यूँ,.."मैं फिर चौक गया, क्यूंकी ये सब तो मुझे मालूम ही नही था....
"फ्रेशर पार्टी का सारा मॅनेज्मेंट सिटी वाले देखते है और अपनी होशियारी छोड़ते रहते है...हॉस्टिल वाले ना तो कलेक्षन मे पैसे देते है और ना ही उस पार्टी मे जाते है...."
"ये तो ग़लत है यार ! "मैं इस बार भी चौका,लेकिन थोड़ा कम....."ये तो बिल्कुल ग़लत है यार, ऐसे मे तो लफडा और बढ़ता है...."
"देख अरमान , मैने कहीं पढ़ा था कि एक अकेला इंसान समुंदर के तूफान मे कश्ती नही चला सकता,..."
"मैं दा रॉं हूँ , खुद को तो समुंदर के तूफान से निकाल ही सकता हूँ...."हँसते हुए मैने कहा...
"मतलब की तू उस पार्टी मे जाएगा..."
"मैं नही, सीडार खुद भेजेगा उस पार्टी मे मुझे और तुझे भी....और कोई है..."
"भू को ले लेते है...लेकिन तू ये करेगा कैसे...सीडार कोई दूध पीता बच्चा नही है"
"यदि सीडार कोई दूध पीता बच्चा नही है तो मैं भी कोई दूध पीता बच्चा नही हूँ, आइ आम अरमान, एक यांत्रिकी अभियंता(मेकॅनिकल इंजिनियर )"