desiaks
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फिर चरणजीत और सुखजीत दोनों बस में चढ़ जाती हैं। बस पूरी भरी हुई थी। वो दोनों बस में चढ़ तो जाती हैं, पर बस में बहुत ज्यादा भीड़ लग रही थी, वो दोनों फँसकर खड़ी हुई थी। सुखजीत आगे को खड़ी हो जाती है
और चरणजीत उसके पीछे खड़ी थी। इतने में कंडक्टर सीटी मार देता है और बस चल पड़ती है। तभी दो-तीन बंदे भाग-भागके आते हैं, और बस में चढ़ जाते हैं।
इतने में कंडक्टर टिकेट लेने के आ जाता है। बस में इतनी भीड़ होती है, की जो एक बार फँस गया तो वापिस निकल नहीं सकता था। कंडक्टर अभी भी एक बूढ़ी औरत से पैसे ले रहा था टिकेट के। तभी उसकी नजर सुखजीत पर पड़ती है। वो सुखजीत की पूरी नंगी गोरी बाजू देखकर हैरान रह जाता है। क्योंकी पूरे गाँव और आस-पास के गाँव में कट-स्लीव कुर्ता कोई नहीं डालता था। कंडक्टर सुखजीत और चरणजीत को देखकर पागल हुआ जा रहा था। वो ये सोच रहा था, की ये दोनों सिरे की रांड़ आज इस लोकल बस में क्या कर रही हैं। फिर वो आगे सुखजीत की तरफ आ जाता है और बोलता है- “हाँ जी टिकेट..."
सुखजीत- “हाँ, दो टिकेट दे दो...” कहकर सुखजीत पैसे पड़का देती है।
कंडक्टर सुखजीत को टिकेट देकर सुखजीत के पीछे से निकलने लगता है। जब वो सुखजीत के पीछे से निकलता है, तो वो अपना लण्ड सुखजीत के पूरे चूतरों पर रगड़कर जाता है। भीड़ ज्यादा होने के कारण सुखजीत भी कुछ खास नहीं कर सकती थी। सुखजीत को पार करने के बाद वो सुखजीत के साथ खड़ी, चरणजीत के चूतरों पर भी अपना लण्ड रगड़ता आगे चला गया।
जब कंडक्टर आगे जाता है तो सुखजीत मीते को देखकर बोली- “मीता भाईजी, आप आज बस में कैसे?"
मीते का नाम सुनते ही चरणजीत ने पीछे मुड़कर देखा तो मीता चरणजीत को देखकर अपनी मूछों को ताव दे रहा था। और मीता सुखजीत की बात का जवाब देते हए बोला।
मीता- "बस यार, आज ऐसे ही दिल कर गया बस में सफर करने का...”
फिर कंडक्टर आगे निकल जाता है। चरणजीत एक बार फिर से नजरें घुमाकर मीता को देखती है।
मीता चरणजीत को स्माइल करते हुए बोला- “सत श्री अकाल भाभीजी.."
चरणजीत- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मीता थोड़ा आगे आ आता है, और अपने आपको चरणजीत के जिश्म से एकदम चिपका कर बोला- जहाँ मेरी भाभी जाएगी, वहीं पर उसके पीछे मीता जाएगा..”
चरणजीत ये सुनकर शर्माकर बोली- “ओये तू थोड़ी शर्म कर ले, अपनी भाभी के साथ कैसी बातें करता है तू?"
और चरणजीत उसके पीछे खड़ी थी। इतने में कंडक्टर सीटी मार देता है और बस चल पड़ती है। तभी दो-तीन बंदे भाग-भागके आते हैं, और बस में चढ़ जाते हैं।
इतने में कंडक्टर टिकेट लेने के आ जाता है। बस में इतनी भीड़ होती है, की जो एक बार फँस गया तो वापिस निकल नहीं सकता था। कंडक्टर अभी भी एक बूढ़ी औरत से पैसे ले रहा था टिकेट के। तभी उसकी नजर सुखजीत पर पड़ती है। वो सुखजीत की पूरी नंगी गोरी बाजू देखकर हैरान रह जाता है। क्योंकी पूरे गाँव और आस-पास के गाँव में कट-स्लीव कुर्ता कोई नहीं डालता था। कंडक्टर सुखजीत और चरणजीत को देखकर पागल हुआ जा रहा था। वो ये सोच रहा था, की ये दोनों सिरे की रांड़ आज इस लोकल बस में क्या कर रही हैं। फिर वो आगे सुखजीत की तरफ आ जाता है और बोलता है- “हाँ जी टिकेट..."
सुखजीत- “हाँ, दो टिकेट दे दो...” कहकर सुखजीत पैसे पड़का देती है।
कंडक्टर सुखजीत को टिकेट देकर सुखजीत के पीछे से निकलने लगता है। जब वो सुखजीत के पीछे से निकलता है, तो वो अपना लण्ड सुखजीत के पूरे चूतरों पर रगड़कर जाता है। भीड़ ज्यादा होने के कारण सुखजीत भी कुछ खास नहीं कर सकती थी। सुखजीत को पार करने के बाद वो सुखजीत के साथ खड़ी, चरणजीत के चूतरों पर भी अपना लण्ड रगड़ता आगे चला गया।
जब कंडक्टर आगे जाता है तो सुखजीत मीते को देखकर बोली- “मीता भाईजी, आप आज बस में कैसे?"
मीते का नाम सुनते ही चरणजीत ने पीछे मुड़कर देखा तो मीता चरणजीत को देखकर अपनी मूछों को ताव दे रहा था। और मीता सुखजीत की बात का जवाब देते हए बोला।
मीता- "बस यार, आज ऐसे ही दिल कर गया बस में सफर करने का...”
फिर कंडक्टर आगे निकल जाता है। चरणजीत एक बार फिर से नजरें घुमाकर मीता को देखती है।
मीता चरणजीत को स्माइल करते हुए बोला- “सत श्री अकाल भाभीजी.."
चरणजीत- तू यहाँ क्या कर रहा है?
मीता थोड़ा आगे आ आता है, और अपने आपको चरणजीत के जिश्म से एकदम चिपका कर बोला- जहाँ मेरी भाभी जाएगी, वहीं पर उसके पीछे मीता जाएगा..”
चरणजीत ये सुनकर शर्माकर बोली- “ओये तू थोड़ी शर्म कर ले, अपनी भाभी के साथ कैसी बातें करता है तू?"