Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका - Page 5 - SexBaba
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Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका

प्रियंका ने अपनी प्यारी बेहन की कानो की लौ को चूमते हुए
कहा, "ओ कितना अच्छा लग रहा है, करती रहो."

सोनाली खुद उत्तेजना मे इतनी भरी हुई थी कि उससे ये जारी रखना
मुश्किल हो रहा था, फिर भी उसने अपनी बेहन की खुशी के लिए अपनी
तीन उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल दी और अपने अंगूठे से उसकी चूत के
दाने को सहलाने लगी.

"हाां सहलाओ ईिईसे, यहीी वो जाअगह है, मीईईं तो थोड़ी देर
मे ही झाड़ ज़ाआआआऊण्घी." प्रियंका सिसक रही थी.

सोनाली ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगलियाँ अपनी बेहन की चूत के अंदर बाहर
करने लगी. उसे पता था कि प्रियंका को ज़ोर की चुदाई पसंद थी.

"प्रियंका याद है विजय ने हमारी चुदाई की एक वीडियो बनाई थी."
सोनाली ने कहा.

सोनाली ने अपनी उंगलियाँ प्रियंका की चूत से निकाल ली और अपनी
चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. प्रियंका भी अपनी उंगली से
अपनी चूत को चोद रही थी.

थोड़ी देर बाद प्रियंका सिसकी, "ऑश सोन्न्नली मेरा छूटने वाला
है." और वो झाड़ गयी. सोनाली भी जोरों से अपनी चूत मे उंगली
अंदर बाहर कर झाड़ गयी.

दोनो लड़कियाँ झड़ने के बाद एक दूसरे के आँखों मे झाँक रही थी.
प्रियंका ने सोनाली को अपनी बाहों मे भर लिया, "में तुमसे बहुत
प्यार करती हूँ सोनाली." वो धीरे से फुस्फुसाइ.

"में भी करती हूँ, अब ठीक से सोना." कहकर सोनाली अपने कमरे मे
आ गयी.

टू बी कंटिन्यूड……………
 
बुधवार को सोनाली राकेश की दुकान पर ठीक शाम के 5.00 बजे पहुँच
गयी. अपनी गाड़ी उसकी दुकान के ठीक सामने पार्क करने के बाद वो कॅश
काउंटर पर गयी और प्रियंका के बारे मे पूछा.

"वो पीछे शायद स्टोर मे माल निकलवा रही है." काउंटर पर बैठी
लड़की ने बताया.

सोनाली पूरी दुकान की लंबाई पर करते हुए स्टोर रूम मे पहुँची.
चारों तरफ शेल्फ बने हुए थे जिनपर कार्टून्स मे माल भरा हुआ
था. सोनाली को वो जगह एक दम सुनसान लग रही थी, अचानक दुरके
शेल्फ के पीछे से उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी. सोनाली बिना कोई आवाज़
किए शेल्फ के पास पहुँची.

तभी सोनाली को राकेश की आवाज़ सुनाई दी, "ःआआआआण ले मेरा पूरा
लौंडा ले ले ओह ःआआआआण कितना अच्छा लगा रहा है."

"हे भगवान." सोनाली सोच रही थी, क्या जो उसना सुना वो सच है,
क्या राकेश शेल्फ के पीछे किसी को चोद रहा है, क्या वो उसकी बेहन
प्रियंका की चुदाई कर रहा है?

सोनाली ने झाँक कर देखा तो देखा कि राकेश की काली जांघे उपर
नीचे हो रही है, वो किसी की जांघों को पकड़ धक्के लगा रहा है.
ये बात साफ थी कि वो किसी की गान्ड मार रहा है. सोनाली को राकेश
की टाँगो के बीच तो सफेद टाँगे दिखाई दी. ऐसा लगा कि कोई डिब्बों
को पकड़े घोड़ी बना हुआ है और राकेश से गान्ड मरवा रहा है.
सोनाली शेल्फ की पीछे इस तरह छुप गयी कि उसे कोई देख ना सके.

राकेश उस इंसान के कूल्हे दबाते हुए धक्के मार रहा था. सोनाली को
नही दिखाई दे रहा था कि वो कौन है? पर उसकी सिसकियों से ऐसा
लग रहा था कि उसे भी मज़ा आ रहा था.

राकेश ने अपने धक्को की रफ़्तार के साथ अपनी बड़बड़ाहट भी बढ़ा
दी, "हाआँ मुझे माअज़ा आ रहा है तुम्हारी गान्ड कितनी प्यारी है
ले ले मारा पूरा लंड ले ले ओह्ह्ह्ह में छूटा."

बेचारी प्रियंका, राकेश के मूसल लंड ने तो ज़रूर आज इसकी गान्ड
फाड़ दी होगी, सोनाली चिंतित हो उठी. तभी उसे किसी के पास होने का
एहसास हुआ, उसने देखा कि प्रियंका उसके बगल मे खड़ी है. प्रियंका
ने उसे आँख मारी और अपनी उंगली होठों पर रख, "श्ह्ह्श्ह" चुप
रहने का इशारा किया.

सोनाली ने अपना मुँह प्रियंका के कान के पास किया और
फुस्फुसाइ, "मेने सोचा कि वो तुम्हारी गान्ड मार रहा है."

प्रियंका अपनी गर्दन हिला रही थी, "तुम्हारी जान की कसम में तो
इस मूसल लंड को कभी भी ना झेलु. देखो उसे, आधा घंटा हो गया
और अभी भी चोदे जा रहा है, पता नही वो लड़का बेचारा कैसे
झेल रहा होगा?"

सोनाली चौंक पड़ी, "क्या कहा, लड़का?"

प्रियंका ने कहा, "हां सोनाली वो लड़का है. राकेश गान्डू है."

सोनाली कुछ कहना चाहती थी पर राकेश की सिसकियाँ सुन वो चुप हो
गयी.

"ये छुउुउटा मेरा हाँ लीईए कुत्ते साअले मेराा पूराअ
लंड ले." राकेश का शरीर पूरी तरह काँप रहा था और उसके लंड
ने उस लड़के की गान्ड मे अपना वीर्य छोड़ दिया. उसी समय उस लड़के का
भी पानी छूट गया और वहाँ बिखरे डिब्बों पर अपना वीर्य फैंकने
लगा.

सोनाली ने प्रियंका को अपनी बाँहे खींचते महसूस किया, "वो हमे
देखे इससे पहले चलो यहाँ से."
 
सोनाली इतनी मगन थी देखने मे कि वो वहीं खड़ी रही. राकेश ने
अपना लंड उस लड़के की गान्ड से बाहर निकाला. इस मुरझाई अवस्था मे
भी सोनाली को उसका लंड पसंद आया. प्रियंका सोनाली को लगभग
घसीटती हुई वहाँ से ले आई.

बाद मे गाड़ी सड़क पर चलाते हुए सोनाली बोली, "हे भगवान क्या
भयंकर चुदाई थी, मेरी चूत तो अभी तक गीली है."

प्रियंका मुस्करा के रह गयी. तभी सोनाली ने उसकी बाँह पर एक ज़ोर
का थप्पड़ मारा. "हे मुझे मारा क्यों?" प्रियंका ने पूछा.

"साली, तुमने मुझे दो रास्ते बताए थे याद है? एक तो में
राकेश से चुदवा लूँ या फिर राज को तुम्हे चोदने दूं? राकेश तो गन्दू
है, तुमने मुझसे झूट क्यों बोला?" सोनाली ने कहा.

"अब वो चोदु था कि गान्डू मुझे कुछ तो कहना था. अगर ना कहती तो
राज से चुदवाने को कैसे मिलता………सच राज से चुदवाने मे कितना मज़ा
आया था. जब भी में उसके बारे में सोचती हूँ तो मेरी चूत मे
खुजली होने लगती है." प्रियंका ने जवाब दिया.

सोनाली अब भी ऐसे बर्ताव कर रही थी कि जैसे वो नाराज़ है, पर
वो ज़्यादा देर तक वैसे नही रह सकी और हँसने लगी, "हां मुझे
भी ऐसा ही लगता है, कि उस रात से गरम रात कोई नही थी……..है
ना? सोनाली अपने उस सपने के बारे मे सोच रही थी जिसमे राकेश ने
उसके साथ बलात्कार किया था और उसकी चूत और गान्ड मारी थी.

"तो, राकेश किसकी गान्ड मार रहा था?" सोनाली ने पूछा.

"वो एक डेलिवरी वाला लड़का था. दोनो पुराने परिचित है. जब भी वो
लड़का यहाँ आता है, राकेश स्टोर रूम मे उसकी गान्ड मारता है.
दुकान मे काम करने वाले करीब करीब सभी ये बात जानते है. पर
में इन सब बातों के बीच मे नही पड़ती. मुझे जब पता चला कि
तुम्हे स्टोर रूम की ओर भेजा है तो तुम्हे लेने दौड़ती हुई चली
आई पर में शायद थोड़ी लेट हो गयी." प्रियंका ने बताया.

"नही मुझे लगता है कि तुम ठीक समय पर आ गयी थी." सोनाली ने
कहा.

"सोनाली क्या तुमने कल पिताजी को देखा? प्रियंका ने कहा. सोनाली अपनी
बेहन को देखने लगी, उसका चेहरा लाल हो गया.

"हां मेने पिताजी को देखा था." सोनाली ने कहा.

"फिर क्या हुआ?" प्रियंका ने पूछा.

"हां पाँच बजे में बाल्कनी में उनकी खिड़की के पास गयी थी.
पर्दे गिरे हुए थे फिर भी उनके बीच मे से मुझे दिखाई दे रहा
था. पिताजी बिस्तर पर बैठे थे और कमर के नीचे से पूरी तरह
नंगे थे. वो अपने लंड को मुठिया रहे थे. उनका लंड बहोत ही
लंबा और मोटा दिखाई दे रहा था, यही करीब 10' इंच का होगा."

प्रियंका ने कहा, "हां काफ़ी बड़ा है…….है ना?"
 
"बड़ा नही काफ़ी बड़ा है. मेने इतना बड़ा लंड अपनी जिंदगी मे कभी
नही देखा. मुझे नही लगता कि वो लंड मेरे छोटे हाथों की मुट्ठी
मे भी आ पाएगा क्या?" सोनाली ने कहा.

"तुम कहीं ये तो नही कहना चाहती हो कि तुम उस लंड को अपने हाथों
मे लेना चाहती हो?" प्रियंका ने पूछा.

सोनाली उसकी बात सुनकर शरमा गयी. "बेशर्म कहीं की! तभी
हमारी प्यारी नौकरानी उमा जो तीस साल की है कमरे मे आई और
बिना कुछ कहे पिताजी के सामने ज़मीन पर बैठ गयी. फिर उसने
पिताजी के लंड को मुँह मे लिया और चूसने लगी. उनके लंड को अपने
मुँहे मे भींच वो इस कदर चूस रही थी जैसे कोई लॉलीपोप चूस
रही हो."

क्या बताऊ प्रियंका उसे देख ऐसा लग रहा था कि उसे भी काफ़ी मज़ा
रहा है. "उमा का मुँह उपर नीचे होते हुए जोरों से पिताजी का लंड
चूस रही थी. तभी पिताजी ने उसके सिर को अपने हाथों मे पकड़ कर
स्थिर कर दिया. में उस नज़ारे को देख नही पा रही थी पर कसम
से उस मोटे लंड को देख कर मेरी चूत तभी गीली हो गयी थी."

"सोनाली तू बड़ी कुत्ति है, पिताजी का लंड देखने से तुम्हारी चूत
गीली हो गयी." प्रियंका ने हंसते हुए कहा.

"हां में जानती हूँ कि ये ग़लत है, पर में इसमे क्या कर सकती
थी." सोनाली ने अपने मन की बात बताई.

प्रियंका ने अपना एक हाथ सोनाली की जांघों पर रख दिया और
बोली, "चिंता मत करो. जब मेने पहली बार उमा को पिताजी का लंड
चूस्ते देखा था तो मेरी भी ऐसी ही हालत हो गयी थी. में इतना
गरमा गयी थी कि घंटो में अपनी उंगली चूत के अंदर बाहर करती
रही."

"हां मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था. बाल्कनी मे पिताजी से कुछ देर
के फ़ासले पर में अपनी चूत को मसल रही थी. मेरा पानी छूटने
ही वाला था कि मेने देखा कि पिताजी उमा के मुँह को जोरों से चोद
रहे थे. उनका भी छूटने वाला है ये उनके चेहरे के भावों से
पता चल रहा था."

प्रियंका सच कहूँ उमा को देख कर भी यही लग रहा था कि उसे भी
मज़ा आ रहा था. इतनी देर तक लंड चूसने से उसके भी जबड़े दुखने
लगे होंगे पर वो उसकी रफ़्तार से लंड को चूसे जा रही थी.

"तभी पिताजी ने अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और अपने वीर्य की
पिचकारी उसके मुँह मे छोड़ने लगे. उमा बड़ी मुश्किल से उस वीर्य को
निगल पाई, कुछ वीर्य उसके मुँहे के किनारों से बहने लगा. उसकी
गर्दन से होते हुए उसकी कमीज़ पर गिर रहा था."

"प्रियंका एक बार तो मे घबडा गयी थी, हुआ ये कि जब पिताजी का
पानी छूट रहा था उस वक़्त उनकी निगाहें मेरी ओर थी और मुझे
लगा कि वो मुझे ही देख रहे है. में ज़मीन पर झुक गयी."

"पिताजी ने जब अपना पूरा वीर्य उसके मुँह मे उगल दिया तो उमा उनके
लंड को अपने मुँह के बाहर निकाल इस तरह चाटने लगी जैसे वो कोई
आइस्क्रीम कोन हो. मेने अपने आपको संभाला और दौड़ते हुए अपने
कमरे मे आ गयी. बिस्तर पर गिर कर मेने अपना गाउन उतारा और अपनी
पैंटी को नीचे खिसकाते हुए अपनी तीन उंगलियाँ अपनी चूत मे डाल
अंदर बाहर करने लगी."
 
"पिताजी के लंड का नज़ारा मेरी आँखों के सामने था, में कितनी
बार झड़ी और मेरी चूत ने कितना पानी छोड़ा मुझे पता नही. तुम
विश्वास नही करोगी ये सब सोच कर ही मेरी चूत अभी गीली हो
गयी है." सोनाली ने कहा.

प्रियंका ने अपनी बेहन सोनाली के गालों को चूमते हुए कहा, "गुड़िया
मेरी भी यही हालत है, मेरी भी चूत सिर्फ़ सुनकर गीली हो चुकी
है."

थोड़ी देर तक दोनो शांत रही. सोनाली ने अपना ध्यान गाड़ी चलाने मे
लगा दिया और वो दोनो घर पहुँच गये.

प्रियंका ने उस शांति को भंग करते हुए कहा, "क्या हमे माँ को ये
बताना चाहिए?"

"मुझे पता नही. हो सकता हो मम्मी को ये सब पहले से मालूम हो.
और हो सकता है कि यही कारण हो उनके अलग होने का. वैसे भी हम
उनसे क्या कहेंगे कि हमने पिताजी को नौकरानी से लंड चूस्वाते हुए
देखा. ये सुनकर उन्हे कैसा लगेगा."

प्रियंका मुस्कुरा दी, "अगर कोई मुझसे ऐसा कहे तो में तो गरम हो
जाउन्गि, पर हमारी मम्मी नही."

"छोड़ो इन बातों को." प्रियंका ने कहा, "और बताओ राज का वो पिक्चर
के साथ कैसा चल रहा है, तुम्हारी बात हुई कि नही?"

सोनाली थोड़ा सोच मे पड़ गयी, "मुझे पता नही, कई दिनो से मेरी
उससे बात नही हुई है. जब मेने तुम्हारे डिल्डो से उसे कॅम पर
दिखाया था, वो आखरी दिन था."

"तो फिर आज राज को ही क्यों बात नही करती उससे?" प्रियंका ने
कहा.

और सोनाली ने वैसा ही किया. माइयन होटेल के कमरे मे पहुँचा ही था
और गायत्री के साथ रात के खाने के लिए जाने वाला था कि फोन
की घंटी बजी. सोनाली थी.

सोनाली ने मुझे सब कुछ सच सच बता दिया किस तरह उसने राकेश
को लड़के की गान्ड मारते हुए देखा. मेरे दिल को शांति मिली आख़िर
राकेश गान्डू निकला, पर उसके पिताजी के बारे मे सुन कर में चौंक
उठा, "तुमने अपने पिताजी को नौकरानी से लंड चूस्वाते हुए देखा."

जब सोनाली ने विस्तार से मुझे पूरी बात बताई तो उसकी बात सुनकर
ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मेने उस नौकरानी को कई बार देखा था,
और उस नज़ारे की कल्पना ने ही मुझ मे आग भर दी.

सोनाली ने मुझ से कहा, "राज तुम नही जानते तुम्हारे बिना में कैसे
तड़प रही हूँ. तुम्हारे मस्त मोटे लंड को में अपनी चूत मे महसूस
करना चाहती हूँ. मेरी चूत मे आग लगी हुई है."
 
"में जानता हूँ डार्लिंग, पर मुझे वापस आने मे तो अभी एक महीना
बाकी है. तुम ऐसा करो अपनी बेहन से उसका नक़ली लंड उधार माँग
लो, वैसे भी तुम्हे उससे मज़ा आ रहा था उस दिन." मेने मज़ाक
करते हुए कहा.

"हां आया तो था, पर वो नकली लंड तुम्हारे असली लंड जैसा मज़ा
थोड़ी देगा." सोनाली ने कहा.

"मेने जानता हूँ, पर इतनी दूर बैठा में इससे ज़्यादा कुछ कर भी
नही सकता. वैसे भी मेरे ना होने पर और कई लोग तो हैं जो तुम्हारी
प्यास बुझा सकते है." में थोड़ा झल्लाते हुए बोला.

"तुम कहना क्या चाहते हो?" सोनाली ने पूछा.

"देखो ना में वहाँ पर नही हूँ तो भी तुम अपने परिवार के साथ
चुदाई के मज़े ले रही हो. में यहाँ पर अकेला तड़प रहा हूँ.
जैसे तुमने बताया उस दिन तुमने प्रियंका के साथ सेक्स का मज़ा लिया
और अब ये ना कहना कि विजय तुम्हारी मदद करने को तय्यार नही है."
मेने कहा.

"राज अब तुम हद से बाहर जा रहे हो?" सोनाली ने कहा.

"मेने तो तुम्हे सच कहा है और तुम्हे बुरा लग रहा है." मेने भी
गुस्से मे जवाब दिया.

"तो तुम्हारे कहने का मतलब ये है कि में अपनी बेहन और भाई से ये
जाकर कहूँ कि मेरी चूत की प्यास बुझा दो? क्या ये तुम्हे अच्छा
लगेगा?" सोनाली भी गुस्से मे बोली.

मुझे भी गुस्सा आ रहा था, और में इतना थका हुआ था कि उसकी इस
बकवास सुनने का मन नही था. "हां मेरा कहने का मतलब यही है,
क्यों ना तुम और प्रियंका साथ मे विजय के लंड से चुदवा लेती हो?"

सोनाली भी जोरों से गुस्से मे बोली, "हां अब मे यही करूँगी, और
शायद पिताजी भी हम लोगों को चुदाई करते देखें. तुम्हे तो मुझसे
या मेरी परेशानी से कोई मतलब है नही? है ना!"

"हां!" मेने कहा और गुस्से मे फोन पटक दिया. अपने गुस्से को
शांत करने के लिए मे बाथरूम मे ठंडे पानी के नीचे नहाने लगा.
जब मेरा गुस्सा थोडा शांत हुआ तो मुझे लगा कि मेने ग़लती की है,
मुझे सोनाली से इस तरह बात नही करनी चाहिए थी. आख़िर वो
मुझसे प्यार करती है. शायद काम के बोझ ने मेरे दिमाग़ को
खराब कर दिया था.

मेरा काम बहोत ही अच्छा चल रहा था. डाइरेक्टर मेरे काम से काफ़ी
खुश था, पर मेरे सामने दो समस्याएँ थी. एक तो में और गायत्री
करीब करीब हर वक़्त साथ होते थे. वो फिर से हमारे पुराने
रिश्तों को जगाना चाहती थी. में भी उसकी और आकर्षित होता जा
रहा था.

दूसरी समस्या सोनाली और उसके परिवार को लेकर थी. उनके परिवार की
चुदाई की दास्तान मुझे परेशान कर रही थी. अपने भाई विजय से
भूल से एक बार चुदवाना अलग बात है, पर फिर हम दोनो ने उसे
साथ साथ चोदा. वो अपनी बेहन के साथ सोती है, और अब उसने अपने
पिताजी को नौकरानी से लंड चूस्वाते देखा. उसके परिवार मे ये क्या
हो रहा है? क्या सब के सब चुदक्कड है.
 
मेरे वहाँ ना होने से विजय ज़रूर अपनी बेहन को फिर से चोदने की
कोशिश करेगा, और मेरा सोनाली से झगड़ा होने के बाद तो वो भी अपने
दोनो बाहें पसारे उसका स्वागत करेगी. सच कहूँ तो मुझे मन ही
मन जलन हो रही थी.

माना वो उनका परिवार था और वो सब आपस मे एक दूसरे से बहोत प्यार
करते हैं. सोनाली का जब मन करता वो किसी से भी अपनी चूत की
प्यास बुझा सकती थी, और में यहाँ होटेल के कमरे मे रोज़ रात को
मूठ मारता जबकि एक सुंदर लड़की मेरे बगल के कमरे मे मुझसे
चुदवाने को तय्यार बैठी है. मुझे भी लगा कि मुझे अपना अगला
कदम गायत्री की ओर बढ़ा देना चाहिए.

गायत्री और मेने उस रात एक अच्छे से रेस्टोरेंट मे खाना खाया,
दूसरे दिन हमारी छुट्टी थी इसलिए हम दोनो ने शराब कुछ ज़्यादा ही
पी ली थी. खाने के वक्त कई बार गायत्री अपनी टाँगो को मेरी टाँगो
से रगड़ देती, एक बार तो उसने अपनी टाँग ठीक मेरी जांघों के बीच
रख अपने अंगूठे से मेरे लंड को छेड़ने लगी. मुझे अच्छा लग रहा
था, आग दोनो तरफ बराबर की लगी हुई थी.

कुछ घंटे बाद हम अपने होटेल के रूम के बाहर खड़े एक दूसरे की
आँखों मे झाँक रहे थे, "गायत्री कुछ वक्त मेरे साथ बिताना पसंद
करोगी मेरे कमरे मे?" मेने उससे पूछा.

उसकी आँखों मे चमक आ गयी, "कुछ देर नही बल्कि पूरी रात
तुम्हारे साथ गुज़ारने का दिल कर रहा है." वो खुश होती हुई बोली.

गायत्री उछल कर मेरी बाहों मे आ गयी और हम एक दूसरे को
बेतहाशा चूमने लगे. में हाथ पकड़ कर उसे कमरे मे लाया और
लेजा कर बिस्तर पर धकेल दिया. में भी उछल कर उसके पास लेट
गया और उसे चूमने लगा.

गायत्री के हाथ मेरे शरीर पर रेंग रहे थे, और मेरे कपड़ों को
खोलने लगे. में भी उसके बदन को सहला रहा था, कपड़ों के उपर
से उसकी तनी चुचियों को सहलाने लगा. मुझे उसकी चुचियाँ बड़ी प्यारी
लग रही थी, सोनाली की चुचियों से भी बड़ी.

"थोड़ा सब्र करो मेरे राजा." गायत्री ने कहा, "में थोड़ी देर के
लिए बाथरूम जाकर आती हूँ."

में उसके शरीर से हट गया और वो उठ कर बाथरूम की ओर चली
गयी, "ज़्यादा देर मत लगाना." मेने कहा. मेने देखा कि मेरे कमरे
का दरवाज़ा अभी भी खुला था, उसे मेने बंद कर दिया.

जहाँ गायत्री बाथरूम मे फ्रेश हो रही थी में सोच रहा था कि
क्या जो में करने जा रहा हूँ वो उचित है. क्या में सोनाली से
बेवफ़ाई कर सकता हूँ. पर सोनाली भी औरों से चुदवाती है, उनके
परिवार वाले है तो क्या हुआ. पर क्या इससे सच्चाई बदल जाएगी.

मेने अपना मन बना लिया. मेने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम मे
घुस गया. गायत्री के कपड़े शेल्फ पर टँगे थे. वो टाय्लेट सीट पर
बैठी अपनी चूत सॉफ कर रही थी. मेरा खड़ा लंड तन्कर उसके
मस्त शरीर की ओर देख रहा था.

वो अपना काम ख़तम कर चुकी थी और वहाँ से उठना चाहती थी, पर
मेने उसे ऐसा करने नही दिया. मेने उसे घसीट कर टाय्लेट सीट के
किनारे पर कर दिया और अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा. धीरे
धीरे मेरा लंड उसकी बिना बालों की चूत मे गायब होने लगा.

गायत्री ने मुझे मेरी गर्दन से पकड़ नीचे किया और मेरे होठों को
अपने होठों मे ले चूसने लगी. मेने उसे बाहों मे उठाया और दीवार
के सहारे कर दिया. उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर के इर्द गिर्द
जाकड़ दी और अपनी चूत को मेरे लंड पे दबाने लगी. मेरा लंड उसकी
चूत की जड़ तक घुस चुका था. में उसे उपर नीचे करते हुए धीमे
धीमे धक्के लगाने लगा. दोनो का शरीर पसीने मे नहा गया था.
 
मेरा लंड मुझे उसकी चूत की गहराईयो को छूता महसूस हो रहा
था. में और अंदर तक अपने लंड को घुसाने लगा.

"हाां राअज और अंदर तक घुस्सा दो. चोदो मुझे और जोरों
से." वो सिसकी.

"जैसा तुम कहो मेरी रानी." कहकर में जोरों से धक्के लगाने लगा.
मेरे लंड की दोनो गोलाइयाँ उसकी चूत के सिरे से बार बार टकरा रहे
थे. उसे दीवार के सहारे सटा में इतनी कस के धक्के मार रहा था
कि मुझे लगा कि हमने ज़रूर बगल के कमरे वालों को जगा दिया होगा.
दीवार इतनी जोरों से हिल रही थी कि बाथरूम मे समान शेल्फ से
गिरने लगा.

पर मुझे इसकी परवाह नही थी. में इतना ही चाहता था कि मेरा लंड
जितना अंदर तक घुस सके उसे जोरों से चोद्ता रहूं. आज में उसकी
चूत को फाड़ देना चाहता था. उसकी चुचियाँ मेरी छाती पर धँस
रही थी और मुझे और उत्तेजित कर रही थी.

"ओओओओः डॅयेयार्लिंग मे कब से इस वक्त का इंतेज़ार कर रही
थी. रोज़ तुम्हे सेट पर देखती थी पर तुम्हे छू नही सकती
थी. अंदर ही अंदर में मरे जा रही थी." गायत्री अपनी कमर को
उछालते हुए बोली.

"में भी, बस में अपने आपको आज रोक ना सका आज में तुम्हे हर
हालत मे चोदना चाहता था." में ज़ोर से सिसका. बड़ी मुश्किल से
मेने अपने आपको झड़ने से रोका. उसकी प्यारी चूत ने मेरे लंड को
जाकड़ लिया और निचोड़ने लग रही थी. मेने थोड़ी देर के लिया अपने
धक्के रोक दिए.

"क्या तुम्हारा छूटने वाला है?" उसने पूछा.

"हां, लगभग." मईएनए कहा.

"छूटने के पहले बाहर निकाल लेना में गोलियों पर नही हूँ और
तुमने कॉंडम भी तो नही पहना हुआ." गायत्री ने कहा.

"धात में खरीद कर लाना भूल गया." कहकर मेने अपने लंड को
उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. गायत्री मेरी कमर से उतर मेरे
साथ खड़ी हो गयी.

"में लेकर आई हूँ, मेरे कमरे मे है." उसने कहा और मेरे लंड
को देखने लगी जो उसके रस से भीगा हुआ था. "पर में तुम्हारे लंड
को ऐसे भी तो नही छोड़ सकती." कहकर वो ज़मीन पर बैठ गयी और
मेरे लंड को मुँह मे ले चूसने लगी.

वो मेरे लंड को अपने गले तक ले चूस रही थी, में बड़ी मुश्किल
से अपने आप को रोक पा रहा था. में उसके गोरे चेहरे को अपने लंड
पर उपर नीचे होते देख रहा था.

गायत्री ने मेरे दोनो अंडकोष पकड़ लिया और सहलाने लगी, अचानक
उसने जोरोंसे एक को भींच दिया, "ओह ग्ाआयत्री ऐसा मत
करूऊ मेरा छूट जाईगा." में चिल्ला पड़ा.

इसके पहले की मेरा लंड पानी छोड़ता वो मुझसे अलग हो गयी, जिससे
उत्तेजना थोड़ी शांत हो गयी, "मेरी जान अभी नही, तुम्हारा पानी
छुड़ाने का मेरे पास दूसरा इल्लाज़ है, मेरे पीछे आओ." गायत्री ने
कहा.
 
गायत्री कमरे मे आ बिस्तर पर घोड़ी बन गयी और अपनी गान्ड हवा मे
उठा दी. "में चाहती हूँ कि तुम्हारा लंड मेरे अंदर पानी छोड़े पर
मेरी चूत या मुँह मे नही." वो उत्तेजित होते हुए बोली.

में समझ गया कि वो क्या चाहती है. में उसके पीछे आ गया और
निमंत्रण देती उसकी गान्ड के छेद को देखने लगा. बिना कुछ सोचे
में उसकी गान्ड के छेद पर अपनी उंगली घूमाने लगा. उसकी गान्ड बड़ी
कसी और गरम थी ठीक वैसी जैसी मुझे पसंद थी.

मेने उसके चूतड़ को थोड़ा फैलाया और अपनी एक उंगली उसकी गान्ड मे
डाल अंदर बाहर करने लगा. मेने देखा कि गायत्री का शरीर काँप
रहा था और वो अपनी चूत मे उंगली कर रही थी.

जब में और उसकी गान्ड मे उंगली अंदर बाहर करने लगा तो गायत्री ने
मेरी और देखते हुए कहा, "राज बहोत खेल चुके अब अपना लंड अंदर
डालो और मेरी गान्ड मारो?"

जैसे उसने कहा मेने अपना लंड एक ही धक्के मे उसकी गान्ड मे घुसा
दिया. मुझे आश्चर्य हुआ कितनी आसानी से मेरा लंड उसकी गान्ड मे घुस
गया था.

"लगता है तुम्हे गान्ड मराने का बहोत शौक है?" मेने धक्के
लगाते हुए उससे पूछा.

"राज जब कोई लंड मेरी गान्ड मे घुसता है तो मुझे बहोत अच्छा लगता
है. सही बोलूं तो मेरे पहले प्रेमी का मेने दो चार बार लंड चूसा
था. और एक दिन जब उसने मुझे चोदने की कोशिश की उस दिन कमरे मे
इतना अंधेरा था और वो इतना घबराया हुआ था कि उसने अपना लंड
ग़लत छेद मे घुसा दिया." गायत्री ने बताया.

"तब तो तुम्हे बहोत दर्द हुआ होगा…………."

"हां थोड़ी देर के लिए हुआ था, पर मेरी गान्ड मे उसके लंड का एहसास
मुझे बहोत अच्छा लगा था. पर मेरी किस्मत वो तुरंत ही झाड़ गया."
गायत्री ने कहा और मेने अपना लंड और अंदर तक घुसा दिया.

"चलो इस बार अच्छी तरह मज़े ले लो." मेने मज़ाक किया और उसकी
गान्ड मारने लगा. में धीरे और हल्के धक्कों से उसकी गान्ड मार रहा
था. मैं अपने लंड बाहर खींचता और फिर एक धक्के मे पूरा अंदर
घुसा देता.

में उसपर लेट कर आगे से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और मसल्ने
लगा. अब मेरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ रही थी. वो अपनी चूत मे
जोरों से उंगली कर रही थी. हमारी रफ़्तार इतनी तेज हो गयी कि एक
बार तो मेरा लंड फिसल कर बाहर निकल गया.

"राज इसे फिर से अंदर डालो." गायत्री ने कहा.

मेने अपने लंड को फिर से उसकी गान्ड के छेद पर लगाया और अंदर
घुसा दिया. उसकी गान्ड मारते हुए मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि में
क्या बताऊ.

"ऊऊओ ग्ाआयत्री तुम्हारी गाअंड इतनीी प्यारी हाईईइ ओह मेरा
छूटने वाला है." में बड़बड़ा रहा था.

"हाां राआज ओह हाां और जूओर ज़ूर सीई मारो ओ हाआँ
छोड़ दो अपना Pआआनि मेरी गणन्ड़ मे भररर दो मेरी गान्ड को अपने
वीर्य से." वो भी आयेज पीछे होते हुए सिसक रही थी.
 
मेरी नसें तनने लगी और मेरे लंड ने एक फवारा सा उसकी गान्ड मे
छोड़ दिया. जिंदगी मे पहली बार मेरे लंड ने इतना पानी छोड़ा होगा.
मेरा वीर्य उसकी गान्ड से बहता हुआ नीचे चूह रहा था.

"ओह हाआअँ आआआज मेरााआ भी छूट रहाा है ओह
चूओड़ो मुझीईए." सिसकते हुए गायत्री भी झाड़ गयी.

मेने उसके उपर सुसताने के लिए लेट गया. पर शायद हम दोनो ही उसी
अवस्था मे सो गये थे. करीब एक घंटे के बाद मेरी आँख खुली तो
मेने देखा कि मेरा लंड अभी भी उसकी गान्ड मे घुसा हुआ था.

जब मेने अपना लंड उसकी गान्ड से बाहर निकाला तो वो सिसक
उठी, "ओ राज कितनी अच्छी चुदाई थी ये."

मेने उसके गालों को चूमा और बाथरूम की ओर बढ़ गया. मुझे
जोरों से पेशाब लगी थी. टाय्लेट पे खड़ा में अपने मुरझाए लंड को
देख रहा था. थोड़े ही दिन पहले मेरे लंड ने सोनाली, प्रियंका को
चोदा था. पर वो सारे ख़यालात आज की चुदाई ने मेरे जेहन से मिटा
दिए.

गायत्री के साथ की गयी चुदाई मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी चुदाई
थी, मुझे अच्छा भी लग रहा था, और में एक बार फिर उसे चोदना
चाहता था. में कमरे मे वापस आ गया और देखा कि गायत्री बिस्तर
पर लेटी हुई है. वो पीठ के बल हो गयी और उसकी चुचियाँ आसमान
की ओर तन गयी.

उसने अपनी आँखें खोली, "बदमाश कहीं के, क्या देख रहे हो?" उसने
पूछा.

"तुम्हे और तुम्हारे इस सुंदर बदन को देख रहा हूँ." मेने
मुस्कुरा कर कहा.

"जो देख रहे हो वो तुम्हे अच्छा लगा कि नही?" उसने पूछा.

"हां! बुरा नही है." मेने उसे चिढ़ाया.

गायत्री ने मुँह बनाया, "बुरा नही है! ठीक है यहाँ मेरे पास आओ
फिर बताती हूँ कि तुम इसके साथ क्या क्या कर सकते हो? बुरा नही
बदमास कहीं के." गायत्री ने मुस्कुराते हुए अपनी बाहें फैला दी.

में उसकी बाहों मे आगया और उसने मुझे वो सब बताया जो में उसके
साथ कर सकता था. हम लग भग सुबह होने तक चुदाई करते रहे.
फिर एक दूसरे की बाहों मे सो गये और पूरे दिन सोते रहे.

खैर जब में यहाँ गायत्री के साथ रात गुज़ार रहा था वहीं
सोनाली कुछ और कर रही थी. अगर मुझे पहले पता चल जाता तो
शायद मुझे वो शर्मिंदगी नही होती जो मुझे गायत्री को चोदने के
समय हुई थी.
 
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