desiaks
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#46
थर्स्डे’ 30थ डिसेंबर
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सुबह जल्दी उठ कर हमने होटेल छोड़ दिया और देहरादून आ गये , फिर वहाँ से हमने फ्लाइट पकड़ी और अपने नेक्स्ट डेस्टिनेशन , शिमला पहुँच गये ……….
शिमला में भी हमारे लिए एक सूयीट बुक था…… बिल्कुल वैसा ही जैसा मसूरी में था……..रूम्स थोड़े बड़े थे और बाल्कनी भी थोड़ी बड़ी थी ……..
शिमला पहुँच कर हम लोगो ने थोड़ा आराम किया और फिर शाम को 4.00 बजे हम लोग अपनी मीटिंग के लिए चले गये ……
मीटिंग और उसके बाद हमारे कस्टमर्स के लिए डिन्नर का अरेंज्मेंट था…….पता ही नही चला कि कब रात हो गयी ……..देर रात हम दोनो अपने होटेल वापस लौटे और अपने अपने रूम में जाकर सो गये ……..दिन भर हम दोनो को टाइम ही नही मिला कि हम अपने बारे में कोई बात कर सकें …
फ्राइडे’ 31स्ट डिसेंबर
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सुबह मैं जल्दी सो कर उठ गया था……..मैं कमरे से बाहर निकल कर बाल्कनी में आ गया…..हमारा होटेल माल रोड से थोड़ा अलग था और कुछ हद तक यह जगह कम भीड़-भाड़ वाली थी ………. मैं काफ़ी देर तक यूँ ही खड़ा हुआ सामने नज़र आ रहे पहाड़ो की सुंदरता का मज़ा लेता रहा ……
मुझे अपने पीछे कुछ आहट हुई ……. मैने मूड कर देखा , यह नेहा थी …..शायद अभी सो कर उठी थी ……
“ गुड मॉर्निंग राजीव ……”
“ हाई नेहा ……..गुड मॉर्निंग “
“ आप हमेशा मुझ से पहले उठ जाते हैं …?” उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा…
“ ह्म्म्म्म……शायद मुझे आप से कम नींद आती है “ मैने हंसते हुए जवाब दिया…..
कुछ देर के लिए हम दोनो चुप हो गये ……. और फिर उसने पूछा “आज कहाँ घुमाने ले जा रहे हैं आप ? “
“जहाँ आप कहें ……शिमला मेरे लिए भी नयी जगह है , और शायद आपके लिए भी ……चलिए, तयार होकर निकलते हैं ……आज का पूरा दिन मैने आपके नाम ही लिखा हुआ है “ मैं उसकी आँखों में देखते हुए बोला …और उसने शर्मा कर नज़रें झुका ली ………
11 बजे के लगभग हम दोनो माल रोड पर आ गये थे …….यह जगह वैसे भी काफ़ी भीड़ भाड़ वाली होती है ……और आज तो मानो पूरा
शहर जाते हुए साल का विदा करने के लिए और नये साल का स्वागत करने के लिए यहाँ इकट्ठा हो गया था ……
चलते चलते हम दोनो मार्केट में आ गये ….नेहा बड़े ध्यान से एक एक दुकान को देख रही थी ……और मेरे लिए तो उसका साथ रहना ही काफ़ी था …साथ चलते हुए कब मैने उसका हाथ पकड़ लिया , मुझे मालूम भी नही पड़ा…..और ना ही उसने कोई रिक्षन किया………..और फिर थोड़ी ही देर में उसकी टिपिकल औरतो वाली बातें शुरू हो गयी …….वो हर एक दुकान में घुस कर अपने लिए और मेरे लिए शॉपिंग
करने लगी ………मुझे कुछ भी नही चाहिए था , पर मैं उसको मना कैसे कर सकता था …………..वो मेरे लिए कपड़े सेलेक्ट करती रही ,और मैं सिर्फ़ उसको देखता रहा…….
2 घंटे बाद हमको होश आया कि हम लोग अभी तक मार्केट में ही घूम रहे हैं …….मैने ड्राइवर को बुलाया और फिर गाड़ी में बैठ कर हम लोग पास में ही मौजूद पिक्निक स्पॉट कुफरी के लिए चल दिए ………
मौसम खराब होने लगा था……..बारिश शुरू हो गयी थी और बर्फ़बारी के भी पूरे चान्स थे …….कुफरी पहुँच कर हमलोग साथ साथ वहाँ मौजूद मंदिर में गये और थोड़ी देर यूँ ही मौसम का मज़ा लेते रहे ………..हमारे देखते ही देखते हल्की हल्की बर्फ बारी शुरू हो गयी थी
………एक बात जो मुझे अच्छि लग रही थी , वो था नेहा के चहरे की मुस्कुराहट …..जो पिच्छले दो दिन बिल्कुल गायब सी हो गयी थी ……पर अब फिर से वापस आ गयी थी ……
हम लोग गाड़ी में बैठे और वापस शिमला आ गये ……………वापस आते आते शाम होने को आ गयी थी ………..यहाँ माल रोड पर भी अब हल्की हल्की बर्फ बारी होने लगी थी ………….. हम दोनो एक रेस्टोरेंट में जाकर बैठ गये और कॉफी पीने लगे ………….
तभी अचानक उसका मोबाइल बोलने लगा …….उसने मोबाइल अपनी जॅकेट की जेब से निकाला और स्क्रीन पर नंबर चेक किया ……….फिर एक्सक्यूस मी बोलकर वहाँ से उठ कर बाहर चली गयी ………मैं उसको जाते देखते रहा और फिर कॉफी पीने में बिज़ी हो गया ……..2 मिनिट से पहले ही वो वापस आ गयी और मेरे सामने आकर बैठ गयी ……
“ किसका फोन था ? “ मैने पूछा ………
“ मेरे पापा का …….क्यों ? “ उसने कॉफी पीते हुए कहा
“ नही……. कोई ख़ास बात नही , ऐसे ही पूच्छ रहा था…” मैने कहा और कॉफी ख़तम कर के कप टेबल पर रख दिया…..फिर उसकी तरफ देखा….वो भी अपना कप खाली कर चुकी थी और मेरी तरफ देख रही थी …….मैने इशारा किया और हम दोनो उठ कर कॉफी शॉप से बाहर आ गये …….
बाहर अब बर्फ बारी तेज़ हो गयी थी ……एक सफेद चादर सी पूरे माल रोड और आस पास बिच्छने लगी थी ……..पर शायद वहाँ घूम रहे
लोगो को इस से कोई फ़र्क नही पड़ता था …….जैसे जैसे समय बीत रहा था , वहाँ भीड़ भी बढ़ती जा रही थी …….
हम दोनो साथ साथ चलते हुए एक शेड के नीचे आ गये ………..हम दोनो पीछे की तरफ खड़े हुए थे , और नीचे घाटी में उड़ते हुए बादलो को देख रहे थे …….मेरी नज़र नेहा पर पड़ी …..वो नीचे कहीं देख रही थी , उसके बाल खुल गये थे और उसके चेहरे पर आ रहे थे …….उसकी दिलकश मुस्कुराहट उसके होंठो पर थी ………
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