Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख - Page 10 - SexBaba
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Desi Sex Story रिश्तो पर कालिख

नीरा--ठीक है आप परेशान मत होना में आ रही हूँ....आप मुझे एरपोर्ट लेने आजना.....


में--नीरा भाभी की कुछ हॅवी साड़ी ले आना अपने साथ....मम्मी को बोल देना वो तुझे दिलवा देंगी भाभी से.....अब तू खाना खा कर निकलने की तायारी कर और फ्लाइट में बैठने से पहले मुझे कॉल ज़रूर कर देना.....



नीरा--ठीक है में सब कर लूँगी....अब में फोन रख रही हूँ....जल्दी हे आपके सामने होउंगी में अब....



उसके बाद नीरा फोन काट देती है....और तभी अचानक मेरा फोन बजने लगता है.....वो कॉल डॉक्टर आलोक का था....


डॉक्टर--भाई कहाँ हो....यार माफ़ करना दिन में रूही आई थी लेकिन में किसी कारण से कहीं गया हुआ था तो उसे रिपोर्ट नही दे पाया था...4 बजे मैने तुम्हे फोन भी किया था लेकिन तुम्हारा फोन बंद आरहा था.....



में--कोई बात नही सर....में उस समय फ्लाइट में था अगर रूही ने भी मुझे कॉल किया होगा तो उसे भी मेरा नंबर बंद मिला होगा....




डॉक्टर--अच्छा सुनो वो रिपोर्ट्स रेडी हो गयी है....उस में सब कुछ ठीक है.....घर के मुखिया से ही सारे बच्चे है.... और जो नया वाला सॅंपल देकर गये थे वो तुम्हारे दोस्त की सग़ी बहन है....मेरे ख्याल से अब कोई कन्फ्यूषन नही रहा होगा तुम्हारे मन में.....



में--सर आपने एक बड़ा बोझ मेरे सीने से उतार दिया है....


डॉक्टर--अब वादे के मुताबिक तुम मुझे बताओ सच क्या है.....


में--सर ये काफ़ी लंबी कहानी है....में एक बार घर आ जाऊ उसके बाद आपको सारी बाते बता दूँगा.....


उसके बाद डॉक्टर आलोक फोन काट देते है और....में गंगा का जल हाथ में लेकर उसे पी कर अपने सिर पर छिड़क लेता हूँ....


जो काम में करने जा रहा था वो काम गंगा मेँया के आशीरावाद के बिना पूरा नही हो सकता था....
एक पाप करने जा रहा था में.... जो समाज के नियमो के खिलाफ था....एक पाप करने जा रहा था में....जिसे पापी भी इसी समाज ने बनाया है..... एक ऐसा पाप जो सब कुछ बदल के रख देगा मेरे जीवन में.....

में वहाँ से उठ कर अपनी होटेल की तरफ चल पड़ा, अपने दिल में चल रहे तूफान को लेकर....होटेल में अभी राजेश नही आया था....मैने अपने लिए कुछ पीने का सामान मंगवा लिया और थोड़ी देर मे मेरे सामने एक शराब की बोतल और कुछ खाने का सामान पड़ा था....


मेने जल्दी जल्दी अपने तीन पेग ख़तम करे और एक फोन लगा दिया.....



में--सुहानी कैसी हो....??



सुहानी--क्या बात है सर आज काफ़ी दिनो बाद याद किया....सब ठीक तो है ना



में--तुम तो जानती हो सुहानी....जब में हर तरफ से मुसीबतो से घिर जाता हूँ....तब तुम्हारी याद आ ही जाती है.....


सुहानी--क्या हुआ सर....कौनसी मुसीबतो की बात कर रहे हो आप....



में--सुहानी...समझ में नही आरहा में ये बात तुम से कैसे कहूँ....


सुहानी--जहाँ तक में आपको समझ पाई हूँ सर....आपके फ़ैसले आप दिल से लेते हो....लेकिन कभी कभी दिमाग़ का इस्तेमाल भी करना ज़रूरी होता है...अगर आप किसी ऐसी उलझन में हो जो आप मुझे बता नही सकते....इसका मतलब आपने अपने दिमाग़ को यूज़ लेना शुरू कर दिया है....आप ने जो करने की सोचा है वो बिल्कुल ठीक ही होगा सर....क्योकि कभी कभी दिल और दिमाग़ दोनो का ही सही सेमाल करना ज़रूरी होता है....आपने जो भी फ़ैसला लिया है आप अपना ध्यान पूरी तरह से उसी पर रखे....क्या होगा और क्या नही उसके परिणामो के बारे में मत सोचिए....


में--सुहानी में बस यही जानना चाहता था जो में कर रहा हूँ वो सही भी है या नही....
 
सुहानी--सर में जानती हूँ आप किसी का बुरा नही कर सकते....लेकिन अगर आप किसी का अच्छा करने की कोशिश कर रहे है तो फिर सोचना कैसा.....आप जो भी करोगे वो अच्छा ही होगा....सोचना बंद करो और अपने काम को अंजाम तक पहुचाओ....



में--एक बार फिर तुमने मेरे भटकते हुए दिल को सही रास्ता दिखा दिया है....में जल्दी ही दुबारा अपने परिवार के साथ तुमसे मिलने आउन्गा....


सुहानी--युवर मोस्ट वेलकम सर....आपसे मिलने के लिए में भी बेकरार हूँ....जल्दी आइए....


और उसके बाद सुहानी फोन काट देती है और में अपना पेग ख़तम कर के एक और पेग बना लेता हूँ.....

मेने सारी सोच अपने दिमाग़ से निकाल दी और ऐसे ही टीवी देखने लग गया....तभी मेरा मोबाइल एक बार फिर से बजने लग गया.....ये कॉल राजेश का था.....



राजेश--जय क्या हो रहा है....



में--राजेश भाई बस आप ही का वेट कर रहा था....कब तक आओगे आप..??



राजेश--दरअसल मुझे टाइम लग जाएगा ऑफीस में ही....रेड के लिए टीम रेडी कर रहा हूँ...अभी तक ये किसी को नही बताया गया है कि ये टीम किस लिए है..,..सिर्फ़ यहाँ के कमिशनर को पता है. इस बारे में....



में--कल रात को आपको रेड करनी है वहाँ पर...और मेरी बहन नीरा आ रही है यहाँ....
इसलिए में अब आपसे दुबारा यहाँ नही मिल पाउन्गा.....



राजेश--उसे क्यो बुला लिया आपने इस काम के बीच में.....


में--उसका होना काफ़ी ज़रूरी है राजेश भाई....ये में आपको समझा नही पाउन्गा लेकिन उसके बिना में शमा को यहाँ से निकाल कर नही ले जा पाउन्गा....



राजेश--ठीक है जय भाई जैसा आप सही समझे....में अब बनारस मे आपसे नही मिलूँगा....



में--ठीक है राजेश भाई अब सीधा उदयपुर में ही मिलना होगा.....

उसके बाद में वो फोन डिसकनेक्ट कर देता हूँ और फिर से टीवी देखने लग जाता हूँ....होटेल मे मैने नीरा के आने का बता दिया था....इसलिए नीरा के रुकने में कोई परेशानी नही थी....


तभी......................
 
तभी एक बार फिर से मेरा फोन घनघनाने लग गया.....इस बार कॉल नीरा का था....



नीरा--जान में एरपोर्ट पहुँच गयी हूँ....आपने खाना खा लिया....



में--नही नीरा खाना नही खाया मैने अभी तक.....लेकिन तू तो कुछ खा कर निकली है ना....



नीरा--भूख तो नही थी लेकिन मम्मी ने ज़बरदस्ती खिला दिया....आप भी कुछ खा लो...


में--चल अच्छा किया....अब जल्दी से तू यहाँ मेरे पास आजा....खुद को काफ़ी अकेला महसूस कर रहा हूँ में आज.....



नीरा--आप चिंता मत करो...सब ठीक हो जाएगा.....मेरी फ्लाइट का टाइम हो गया है अब में फोन काट रही हूँ....यहाँ पहुँच कर आपको रिंग करती हूँ.....



फोन एक साइड में रखने के बाद एक बार फिर से में ख्यालो में डूब गया..और कब मुझे नींद ने अपने आगोश में ले लिया मुझे पता ही नही चला...,.



सपने मे मुझे फिर से वही साधु बाबा नज़र आने लगे....वो मुझ से कुछ कह रहे थे....




साधु--बेटा तूने बिल्कुल सही फ़ैसला लिया है.....वरना कब तक वो मासूम बच्ची भगवान के चर्नो में अपना सिर पटकती रहती....



में--बाबा ये फ़ैसला कैसे सही है.....एक बहन की कुर्बानी देकर दूसरी बहन को बचाना...,.ये कहाँ का इंसाफ़ है....



साधु--नीरा तुमसे प्यार करती है.....उसके लिए सारी दुनिया में तुम से बढ़ कर कुछ नही है....और कभी ना कभी तो ये होना ही था...ये मत सोचो कि तुम लोगो के प्यार का गवाह एक मामूली कोठा बनेगा....बस इतना सोचो कि उस कोठे में भी भगवान विराज्ते है....तुम जो कर रहे हो सही है....और जो आगे भी करोगे वो भी सही ही होगा....तुम्हे अभी काफ़ी लंबा रास्ता तैय करना है.....और ये कोठा तुम्हारी पहली मंज़ील है.....

अब उठ और अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़....उठ और जो जीते जी मर चुके है उन्हे फिर से जीवन दान दे....उठ अब और किसी बालक की भाती सोना बंद कर....समय तेरी प्रतीक्षा कर रहा है....उठ तेरा प्यार तुझे याद कर रहा है......


और इसीके साथ में हड़बड़ा के उठ जाता हूँ मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था.......में तुरंत अपने मोबाइल को उठाता हूँ और उस में समय देखने लगता हूँ....2.30 बज गये थे....में फटाफट उठा और फ्रेश होकर होटेल द्वारा मँगवाई गयी टेक्शी में बैठ कर एरपोर्ट की तरफ चल पड़ा.......

में एरपोर्ट पहुँच गया था.....मुझे नीरा वही इंतजार करती हुई मिल गयी बिल्कुल मासूम सी गुड़िया लग रही थी वो इस समय....मुझे देखते ही वो भागकर मेरे सीने से लग गयी....



नीरा--पता है कितना डर लगता है जब आप साथ में नही होते मेरे....



में--मेरे होते हुए तुझे कैसा डर चल अब होटेल चलते है....फिर बाकी की बाते वही करेंगे....



नीरा--मेरे माथे पर किस करते हुए.....आइ लव यू जान....

उसके बाद हम फिर से होटेल की तरफ बढ़ जाते है....

होटेल पहुँच कर में नीरा को फ्रेश होने के लिए कहता हूँ और एक बढ़िया साड़ी पहने ने के लिए कह देता हूँ.....


जब वो साड़ी पहन कर बाहर आजाति है तो में उसे बस देखता ही रह जाता हूँ....किसी परी से कम नही थी मेरी नीरा.....
वो मेरे सामने आकर खड़ी होगयि और में उसे अपलक निहारे जा रहा था....


नीरा--कहाँ खो गये....मुझे इस तरह देखना बंद करो शर्म आ रही है मुझे....



में--तुम्हारी खूबसूरती का कोई मुक़ाबला नही है नीरा....सच मे मैने कुछ अच्छे काम किए होंगे तभी एक पत्नी के रूप में तुम मुझे मिल रही हो.....



नीरा--अब बंद भी करो मेरी तारीफ़ करना....और मुझे जल्दी से बताओ कि क्या हुआ है जो इतना जल्दी सब कुछ कर रहे हो.....


में खुद का ध्यान नीरा की खूबसूरती से हटते हुए कहता हूँ....



में--नीरा हमारी एक बहन और भी है....में उसे ही बचाने यहाँ आया हूँ....


नीरा--क्या....??ये क्या कह रहे हो आप....एक बहन और....कहाँ है वो मुझे अभी उस से मिलना है....मेरी एक बहन और है और ये आप मुझे अब बता रहे हो....



में--नीरा में पहले खुद कन्फर्म करना चाहता था....लेकिन अब कन्फर्म हो गया है....कि शमा ही हमारी बहन है.....



नीरा--तो फिर हम अभी तक यहाँ क्यो रुके है चलो....चलके शमा को घर ले चलते है....



में--ये इतना आसान नही है नीरा....वो एक कोठे पर है....और उसको यहाँ से भगा के लेजाना काफ़ी मुश्किल है....



नीरा--तो आपने अब तक क्या सोचा है....में शमा से मिलने के लिए मरी जा रही हूँ...अब आप जल्दी उसके पास मुझे ले चलो....



में--शमा की मालकिन कामली बाई ने एक शर्त रखी है....कि शमा की नथ उतराई उसी के कोठे पर होगी....मुझे उस वक़्त कुछ समझ में नही आया इसलिए उसे मैने कह दिया ये सब कुछ मेरी पत्नी के सामने होगा....
 
नीरा--आपका मतलब ये है कि उस कमरे में हम तीन जने होंगे और कमरे के अंदर नथ उतरई शमा की नही बल्कि मेरी होगी......


में अपना सिर झुका कर नीरा को हाँ में जवाब दे देता हूँ.....



नीरा--मुझे कोई परेशानी नही है....अगर आपने सोच हे लिया है तो.....में आपसे इतना प्यार करती हूँ कि आप अगर मुझे किसी चौराहे पर भी नंगा होने को कहोगे तो में खुशी खुशी अपने प्यार की खुशी के लिए अपने सारे कपड़े वही उतार दूँगी....शमा तो फिर भी मेरी बहन है....


में--नीरा में जानता हूँ तू मुझ से कितना प्यार करती है....इसीलिए बिना सोचे समझे तुझे उस गंदे महॉल में ले जाने के लिए तैयार हुआ......

लेकिन अब सब ठीक है....मैने सब कुछ सोच लिया है....में तुझ से पहले शादी करूँगा.....और उसके बाद ही हम वहाँ चलेंगे....


सुबह 6 बज गये थे....हम लोगो को बाते करते करते....मैने होटेल वालो से एक कार का इंतज़ाम करने को कहा जिसे में खुद ही चलाने वाला था.....जब हम लोग अपने रूम में से निकलकर होटेल लॉबी में पहुँचे तो वहाँ मोजूद सभी लोगो की नज़रें बस नीरा पर ही टिकी हुई थी.....उसकी खूबसूरती के वार से तो वहाँ मोजूद औरते और लड़किया भी खुद को ठंडी साँस भरने से नही रोक पाई.....हम लोग सीधा गंगा नदी के किनारे बने एक मंदिर में पहुँच गये....रास्ते में एक सुनार की दुकान से हमने एक मंगल सूत्र भी खरीद लिया था और पुजारी को कुछ पैसे देकर वहाँ हमने पूरे धार्मिक रीति रिवाज से शादी कर ली.....नीरा गजब ढा रही थी ....

उसकी माँग में मेरे नाम का सिंदूर भरा हुआ था....और सीने पर लटकता . नीरा की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहा था.....साक्षात रति का अवतार लग रही थी नीरा.....

हम दोनो का रिश्ता अब बदल चुका था....अब हमारे बीच भाई बहन के रिश्ते की जगह पति पत्नी के रिश्ते का मजबूत बंधन पड़ चुका था...

मंदिर से भगवान का आशीर्वाद लेकर हम वहाँ से वापस सीधा होटेल पहुँच गये....

रूम के अंदर पहुँचते ही मैने नीरा को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया....


नीरा--अरे थोड़ा सब्र करो पहले जो काम करने आए है उस पर ध्यान दो....



में--नीरा के गालो पर हाथ फेरते हुए कहता हूँ....सही कहा नीरा तुमने....मुझे अभी बॅंक जाना है....वहाँ से कुछ पैसे भी निकलवाने है....



नीरा--ठीक है आप जाकर आओ तब तक में थोड़ा फ्रेश हो जाती हू....और शमा के यहाँ कब चलना है....



में--शमा के पास हमे 2 बजे तक पहुँचना है....अभी 10 बज रहे है....जब तक में बॅंक का काम निपटा लेता हूँ....



नीरा---ठीक है आप जाइए....में आपके आने का इंतजार करूँगी....



उसके बाद में वहाँ से निकल कर सीधा बॅंक पहुँचता हूँ....और बॅंक से पैसे निकलवाने के बाद.....में बाज़ार से कुछ फ्रूट्स और मिठाई खरीद लेता हूँ.....मुझे बाजार में घूमते हुए 12 बज चुके थे उसके बाद में वहाँ से निकल कर सीधा होटेल पहुँच जाता हूँ.,.,रूम मे नीरा मेरा इंतजार कर रही थी....जब उसने दरवाजा खोला वो कुछ इस तरह लग रही थी..

में उसकी तरफ लगातार देखे ही जेया रहा था....और उसके करीब जा कर मैने पहले उसके माथे को चूमा और फिर....उस की आँखो से थोड़ा काजल निकाल कर उसकी गरदन के पीछे एक काला टीका लगा दिया...



में--जिस जगह हम जा रहे है...वहाँ सब की नज़रे तुम पर ही होंगी....और में नही चाहता किसी की भी बुरी नज़र तुम पर पड़े.....


नीरा--इतना प्यार करते हो मुझ से....



में--हाँ मेरी जान......तेरे लिए में कुछ भी कर जाउन्गा....


नीरा--अब बातें बनाना बंद करो और जल्दी चलो में शमा को देखने के लिए बैचेन हो रही हूँ कब से....



में--नीरा शमा को यही पता है कि में अपनी वाइफ के साथ यहाँ आ रहा हूँ..,.अपने बारे में उसे कुछ नही पता........


नीरा--जब हम यहाँ से उसे ले जाएँगे तो उसे सब कुछ सच सच बता देंगे....और वैसे भी अब में आपकी पत्नी हूँ....इसलिए मुझे अब कोई डर नही है....


उसके बाद हम दोनो उसी कार में बैठकर गलियो में से होते हुए....उस कोठे के बाहर तक पहुँच गये....पूरा बाज़ार सज़ा हुआ था जैसे वहाँ कोई शादी का महॉल हो....
 
जब हम दोनो कार से उतरे तो हर किसी की निगाहे सिर्फ़ नीरा पर ही थी....में जल्दी जल्दी उस जगह से नीरा को उस कोठे में ले आया ....

वहाँ नज़्म पहले से ही खड़ी थी....उसके हाथो में आरती का सुंदर थाल था अंदर आते ही उसने हम दोनो की साथ में आरती उतारी....और मैने कुछ 500-500 के नोट उस थाली में रख दिए....


नज़्म--क्या किस्मत पाई है बाबूजी आपने....इतनी सुंदर बीवी हर किसी को नही मिलती....कभी किसी की बुरी नज़र ना लगे इनको....

और ये कह कर वो हम दोनो का रास्ता छोड़ देती है....कामली बाई भी हॉल में ही हमे मिल जाती है....सब से पहले कामली बाई नीरा की बालाएँ लेती है....और एक नींबू नीरा के उपर वार के नज़म को उसे चौराहे पर रख कर आने को कह देती है....


कामली--वाह जनाब इतनी खूबसूरती मैने आज तक नही देखी....अब तो आपके पास दो दो खूबसूरती की मिसाले हो गयी है....



नीरा--कामली जी अगर आप बुरा ना माने तो क्या में अब शमा से मिल सकती हूँ....



कामली--इस में बुरा मानने वाली बात कौनसी है....अब तो वैसे भी वो आप लोगो की हो चुकी है....जैसे चाहो वैसे मिलो....उसके बाद सुम्मी नीरा को एक रूम की तरफ ले जाती है वहाँ शमा बेसब्री से हमारा इंतजार कर रही होती है.

नीरा और सुम्मी के चले जाने के बाद....में और कामली बाई मिनी बार वाले रूम में चले जाते है....अंदर बैठते ही में उसे 15 लाख रुपये दे देता हूँ.....



कामली--जनाब क्या कमाल का रूप है आपकी पत्नी का....कोई बूढ़ा भी देख ले तो शेर बन जाए....



में--कामली बाई नीरा के लिए कहा गया हर बुरा शब्द....मेरे गुस्से को बढ़ा देता है...इसलिए आपसे गुज़ारिश है आप उसके लिए कुछ ग़लत ना बोले....



कामली--नही...नही....जनाब में तो तारीफ़ कर रही थी....में उस हुश्न की मल्लिका के लिए बुरा कैसे कह सकती हूँ.....
अब बताइए क्या लेंगे आप ठंडा या गर्म...


में--कुछ भी पिला दीजिए जो आपको पसंद हो....

उसके बाद कामली बाई....मेरे लिए एक चाँदी के ग्लास में शराब भर के ले आती है और पहला सीप मारने के बाद में उस से कहता हूँ.....


में--कामली बाई वादे के मुताबिक मैने आपको पैसे देकर अपना वादा पूरा कर दिया है....अब आपकी बारी है वादा पूरा करने की.....



कामली--पूछिए जनाब क्या पूछना चाहते है....अब शमा आपकी हो गयी है....और शमा के साथ जुड़ा हर राज़ भी....



में--शमा आपके कोठे पर कैसे पहुँची.... इसके माँ बाप कौन है....???



कामली--19 साल पहले मेरे पास दीनू इस बच्ची को लेकर आया था....बच्ची को देख कर लग रहा था कि कुछ दिन पहले ही ये पैदा हुई है.....पहले तो मैने उस हरामजादे को खूब पिटवाया अपने आदमियो से....इतनी मासूम बच्ची को अपनी माँ से जुदा करने के लिए....और जब उस से पुछा गया ऐसा उसने क्यो किया है तो उसने किसी का नाम लिया.....



में--किसका नाम लिया कामली बाई...याद करिए...


कामली--दीनू किसी मुंबई में रहने वाले प्रधान की बात कर रहा था....उसने इस बच्ची को ख़तम करने की सुपारी दी थी....लेकिन ज़्यादा पैसा कमाने के चक्कर में वो इसे मेरे पास बेचने के लिए ले आया.....



में अपने मन में ही प्रधान का नाम सुनकर चोन्के बिना नही रह सका....


में--क्या मुझे प्रधान या दीनू के बारे में कोई जानकारी मिल सकती है.....
 
कामली--जनाब जिस तरह से मैने अभी तक आपके बारे में नही पूछा वैसे ही मैने ना ज़्यादा प्रधान के बारे में पूछा और ना ही दीनू के बारे में.....लेकिन दीनू की पिटाई करवाने के बाद उसकी जेब में जो भी माल था वो सब निकाल लिया गया था....तकरीबन 20000 रुपये और कुछ कागज भी मिले थे उसकी जेबो मे से.....उन कागजो में उसका गाड़ी चलाने का लाइसेन्स भी था....



में--क्या में वो सब कागज देख सकता हूँ...


कामली--बेशक जनाब.....माना कि ये कागज मेरे किसी काम के नही थे लेकिन अमानत के तौर पर आज भी मैने संभाल कर रखे है...क्या पता वो अपने कागजात लेने वापस आता लेकिन 19 सालो में वो दुबारा कभी नही आया....में अभी वो कागजात ले कर आती हूँ....


में--मन मे ही सोचे जा रहा था....प्रधान और दीनू के बारे मे....इन दोनो का नाम मैं पहले भी कही सुन चुका था....लेकिन कहाँ सुना कुछ याद नही आ रहा था....लेकिन अगर कामली के पास दीनू का ड्राइविंग लाइसेन्स पड़ा है तो इसका मतल्ब जल्दी ही इस पहली से परदा हट जाएगा.....


तभी कामली भी वापस आचुकी थी...उसने वो कागज मेरे हाथ में पकड़ा दिए....



उन कागजो में कुछ हिसाब किताब लिखा था कुछ रसीद थी सामानों की और एक ड्राइविंग लाइसेन्स
में उस लाइसेन्स को उलट पुलट कर देखने लगता हूँ....दिनेश वर्मा....सोन ऑफ गोपाल लाल वर्मा
अथवा लाने नियर क्रिस्टल अपार्टमेंट सूरत गुजरात.....


मेरे पास दीनू का 19 साल पहले का पता आचुका था...


में--कामली बाई क्या में इसे अपने पास रख सकता हूँ....



कामली--ज़रूर जनाब....लेकिन मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है....आप क्यो गढ़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश कर रहे है....



गढ़े मुर्दे नही में बिछड़े हुए कुछ अपनो को मिलाने की कोशिश कर रहा हूँ....कम से कम शमा जान तो पाएगी कि उसके माँ बाप कौन है....


कामली--जनाब आप सही कह रहे है....लेकिन ये कोठा है और यहाँ जो एक बार आजाता है उसे दुनिया इतनी आसानी से नही अपनाती है...


में--आपको कोई ऐतराज तो नही है अगर में शमा के माँ बाप को ढूँढने की कोशिश करूँ....



कामली--जनाब ऐतराज कैसा शमा की पूरी कीमत दी है आपने....आप जो चाहे वो करे लेकिन इस कोठे के कुछ उसूल है इन्हे आपको पूरा करना बाकी है....अब आप शमा की नथ उतराई की रसम जल्दी से जल्दी पूरा कर दीजिए....


में--कामली बाई आपसे एक चीज़ माँगूँ....



कामली--हुकम कीजिए जनाब....



में--जब हम लोग यहाँ से जाए....तो वो खून से सना हुआ कपड़ा आप मुझे वापस लौटा दीजिएगा....क्योकि में तंत्र मंत्र पर काफ़ी यकीन रखता हूँ और में नही चाहता कोई भी उस कपड़े का ग़लत यूज़ करे.....



कामली--जनाब यहाँ के रिवाज के अनुसार कोठे के चारो तरफ घुमा लेने के बाद वो कपड़ा हमारे किसी काम का नही होता वैसे तो हम उसे जला देते है लेकिन अगर आप उसे अपने साथ लेजाना चाहे तो ले जा सकते है.....
 
कामली--जनाब यहाँ के रिवाज के अनुसार कोठे के चारो तरफ घुमा लेने के बाद वो कपड़ा हमारे किसी काम का नही होता वैसे तो हम उसे जला देते है लेकिन अगर आप उसे अपने साथ लेजाना चाहे तो ले जा सकते है.....


अब में कामली की तरफ 2 लाख रुपये और बढ़ा देता हूँ और बड़ी अदा के साथ वो उन 2_2हज़ार के नोटो को अपने ब्लाउस की गहराईयो में दफ़न कर देती है....


कामली--अब उठिए जनाब.....वो दोनो आपकी राह देख रही होंगी....



और इसीके साथ में अपना जाम एक ही साँस में ख़तम करके नीरा और शमा के रूम की तरफ बढ़ जाता हूँ....रूम का दरवाजा खोलते ही में पलट कर जल्दी से उसे लॉक कर देता हूँ....

शमा और नीरा वहाँ मोजूद डबल बेड पर बैठी हुई एक दूसरे से बाते कर रही थी....

कमरे मे काफ़ी रोशनी थी बेड से थोड़ी ही दूरी पर लकड़ी का एक बाथ टब गर्म पानी से लबालब भरा हुआ था एक कमोड भी लगा हुआ था वही कौने में ही....यानी कि उस रूम का बाथरूम भी बिना चार दीवारी के था.....सिर्फ़ एक खिड़की पर परदा लगा हुआ था बाकी परदा रखने की कोई जगह उस कमरे में नही थी....

बेड पर बैठी हुई शमा और नीरा दोनो ही खूबसूरती मे बेमिसाल लग रही थी ऐसा लग रहा था दोनो ही के जिस्मों को भगवान ने बड़ी फ़ुर्सत में बनाया हो...दोनो की आँखे नाक बिल्कुल एक जैसे लग रहे थे....जैसे दोनो जुड़वा बहने हो....

में अब उन दोनो के पास बैठ गया उस रूम को अच्छे से देखने के बाद...



शमा--भैया अब कैसे होगा ये सब....भाभी को भी आपने यहाँ बुला लिया....कैसे सबूत दे पाएँगे हम नथ उतराई का....



नीरा--तुम चिंता मत करो शमा....सब कुछ हो जाएगा....तुम्हारी जगह आज में लूँगी इस नथ उतराई की रस्म मे....



शमा--लेकिन भाभी कैसे दे पाएँगी आप वो सबूत....आप तो कुँवारी नही है फिर कैसे होगा सब कुछ....



नीरा--किसने कहा में कुवारि नही हूँ....हम लोगो ने आज ही शादी करी है....सिर्फ़ तुझे यहाँ से निकालने के लिए....और आज पहली बार हम दोनो के जिस्म मिलेंगे....आत्मा तो कब की मिल चुकी है....



शमा--लेकिन यहाँ आप मेरे सामने सब कुछ कैसे कर पाएँगे....


में--शमा मेरी बहन मुझे माफ़ कर देना लेकिन ये सब तुम्हारे सामने ही होगा....


तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और हम तीनो एक दूसरे की शकल देखने लग जाते है में शमा को अपनी गोद में खीच लेता हूँ शमा को अपनी गोद में बिठाने के बाद में नीरा से दरवाजा खोलने की कह देता हूँ.....

नीरा दरवाजा खोलती है और कामली बाई के साथ नज़्म एक बड़ी सी ट्रे में चाँदी के ग्लास कुछ खाने का सामान और एक बढ़िया स्कॉच की बोतल ले कर अंदर घुस जाती है....कामली बाई शमा को मेरी गोद में इस तरह बैठे देख कर हम दोनो की बालाए लेने लग जाती है...,



कामली--मुझे माफ़ करे जनाब शमा अभी बच्ची है और इसे ज़्यादा दर्द ना हो इसीलिए में ये शराब आप लोगो के लिए ले आई....अब आपको कोई तंग नही करेगा अब जब आप ये दरवाजा खोलेंगे....तभी ये दरवाजा खुलेगा,...
और ये कह कर वो दोनो बाहर चली जाती है....
 
कामली--मुझे माफ़ करे जनाब शमा अभी बच्ची है और इसे ज़्यादा दर्द ना हो इसीलिए में ये शराब आप लोगो के लिए ले आई....अब आपको कोई तंग नही करेगा अब जब आप ये दरवाजा खोलेंगे....तभी ये दरवाजा खुलेगा,...
और ये कह कर वो दोनो बाहर चली जाती है....


उनके जाते ही नीरा अच्छे से दरवाजा बंद कर देती है और में शमा को अपनी गोद मे से उठा देता हूँ...


शमा मेरी गोद से उठ कर जाम बनाने लग जाती है....और एक एक करके हम दोनो को दे देती है इतने में नीरा अपना जाम लेकर मेरी गोद मे आकर बैठ जाती है....हम दोनो एक दूसरे के हाथो से वो जाम पीने लगते है....शराब ख़तम होने के बाद में नीरा को कस कर अपनी बाहो में भर लेता हूँ....अचानक नीरा मेरी बाहो में से छूट कर मुझ से दूर हो जाती है लेकिन उसकी साड़ी का पल्लू मेरे हाथों में ही रह जाता है....

नीरा अपने खूबसूरत बदन को मुझ से छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन एक शर्म से भरी हल्की सी मुस्कुराहट मुझे अपने पास बुलाने का संकेत दे रही थी में अपनी जगह से उठ कर नीरा को कस कर अपने सीने से लगा लेता हूँ..,

मेरे होंठ अब नीरा के होंठो का रस को चूसने में लगे थे....


अचानक नीरा मेरी बाहो मे ही पलट जाती है और में उसका ब्लाउस उसके कंधे से नीचे करके उसकी गर्दन की खुसबु सूंघने लग जाता हूँ..

खुद पर हुए इस तरह के हमले को नीरा सह नही पाती और वो मेरी बाहो मे ही तड़पने लग जाती है.....एक ख़ुसनूमा तड़प नीरा के रोम रोम मे से उठती खुश्बू से जाहिर हो रही थी....


ज़्यादा देर वो मेरा ऐसा करना बर्दाश्त नही कर पाती और मुझे बेड पर धक्का दे देती है....और बेड पर लेटते ही में अपनी शर्ट उतार देता हूँ.....मेरे इस तरह नंगे सीने को देख कर नीरा मुझ पर चढ़ बैठती है....और मेरे सीने को सहलाते हुए अपने होंठ मेरे मेरे होंठो से लगा लेती है.

नीरा--जान कितना तडपी हूँ में इस दिन के लिए....ना जाने कितना और इंतजार करना पड़ता मुझे....हमेशा अपनी नीरा को अपने दिल में बसा कर रखना....वरना में जी नही पाउन्गि एक पल भी.....


में उसके होंठो पर अपना हाथ रखते हुए कहता हूँ....



में--मरने की बात मत कर जान जी तो में भी नही पाउन्गा तेरे बिना....तेरी कसम जान दुनिया की कोई ताक़त अब हम दोनो को जुदा नही कर सकती....बस कभी मरने की बात मत करना.....तेरी कसम तेरी तरफ उठी हुई हर उंगली में जड़ से उखाड़ दूँगा....हमेशा मुझे ऐसे ही प्यार करती रहना....तेरी हर ज़िद तेरी हर बात....तेरा कहा गया हर शब्द....तेरी कसम.... में अपनी जान देकर भी पूरा करूँगा....



अब में नीरा को अपने नीचे ले चुका था और उसका ब्लाउस उसके बदन से अलग कर चुका था....एक नज़र मैने शमा पर डाली....वो ज़मीन पर हमारी तरफ पीठ करके बेड के सहारे बैठी हुई शराब पी रही थी....उसके मन की हालत में अच्छे से समझ पा रहा था....वो ना चाहते हुए भी हमारे मिलन की गवाह बन चुकी थी....


मैने अपना चेहरा नीरा के बूब्स की घाटियो में दबा लिया.. नीरा ने अपने एक हाथ से मेरे सिर को काफ़ी ज़ोर लगा कर अपने सीने में दबा दिया था...जैसे मुझे अपने अंदर समा लेना चाहती हो....


अब वो मुझे पलटते हुए हुए मेरे उपर आ गयी थी और अपनी ब्रा मे से एक बूब निकाल कर मेरे मुँह में डालने लगी....
में उसका बूब पागलो की तरह चूसने लग गया और ना जाने कब उसकी ब्रा से उसका दूसरा बूब भी मैने बाहर निकाल दिया....


नीरा की सिसकिया पूरे कमरे में फैलने लग गयी थी....मैने अपने एक हाथ से उसकी ब्रा को खोल दिया....और फिर से उसके दोनो बूब्स पर टूट पड़ा जगह जगह मैने अपने दाँतों के निशान उसके बूब्स पर बना दिए थे.....


में एक दम से नीरा से अलग हुआ और उसका पेटिकोट और पैंटी एक झटके में उतार कर खुद भी उसके सामने नंगा हो गया....और फिर से उसे अपनी बाहो में भर लिया....

अब हम एक दूसरे की बाहो में पूरे बेड पर गुलाटियाँ खाने लग गये कभी नीरा मेरे उपर आजाती और कभी में उसके उपर....

अब वो समय आ गया था जब हम दोनो को एक दूसरे मे समा जाना था....मैने नीरा की आँखो मे देखा और मेरा इशारा समझ कर वो बेड पर सीधी लेट गयी....
 
में उसके पूरे बदन पर अपने होठों से किस करता हूँ....उसकी चूत तक पहुँच गया था....मैने अपनी जीभ से नीरा की चूत को कुरेदना शुरू कर दिया....नीरा की चूत किसी गरम भट्टी की तरह भाप छोड़ रही थी....उसकी ये गरमी मेरे चेहरे पर बर्दाश्त नही हो रही थी....


मैने उसकी टांगे फैलाई और अपना लिंग उसकी चूत पर सेट करके एक जोरदार झटका लगा दिया....मेरा ऐसा करते ही नीरा ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ाने लग जाती है....


कुछ पल रुक कर में नीरा को दर्द से बाहर आने देता हूँ....और जब वो थोड़ा नौरमल होती है....में एक और झटका लगा कर अपना पूरा लिंग नीरा की चूत में उतार देता हूँ....मेरे इस हमले से नीरा दर्द से बिलबिला उठती है ....वो ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारने लग जाती है.....

दर्द मुझे भी हो रहा था ....उसकी चूत की गर्मी मेरे लिंग को झुलसा रही थी....ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ाब डाल दिया हो मैने अपने लिंग पर....एक जलन के साथ साथ बेपनाह दर्द मुझे भी महसूस हो रहा था....

लेकिन में धीरे धीरे नीरा की चूत मे अपना लिंग लगातार अंदर बाहर किए जा रहा था.....नीरा का चेहरा पूरा लाल हो चुका था...दर्द की वजह से उसकी बंद आँखो मे से भी आँसुओ की धारा फूट पड़ी थी....मैने धीरे धीरे झटके लगाते हुए नीरा के होंठो को चूसना शुरू किया....


मेरा इस तरह से करने से उसका दर्द अब धीरे धीरे कम हो रहा था....अब वो भी अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लग गयी थी....20 मिनिट्स तक चले इस खेल मे नीरा 2 बार झड चुकी थी और अब मेरा भी वक़्त आ गया था....में अपने झटको की स्पीड बढ़ाता हुआ नीरा पर हावी हो रहा था.....तभी सारे बाँध एक साथ टूट पड़े....मेरा लावा नीरा की चूत की गहराईयो में उतरता चला गया....साथ ही साथ नीरा ने भी अपना चरम सुख पा लिया था....वो एक के बाद एक कयि झटके खाती हुई लगातार झड़ने लगी थी उसका झड़ना बंद ही नही हो रहा था....वो लागातार बस झड़े ही जा रही थी....उसकी चूत से निकलता हुआ बेशुमार रस पूरे बेड पर फैलने लग गया था....और इस के साथ एक जोरदार चीख के साथ वो पूरी तरह से झड गयी....मुल्टीपल ओर्गज़म उसे पहली बार में ही हो गया था.....में ये सोच कर हैरान था कि कुछ लोग इस सुख को सारी ज़िंदगी नही पा पाते....और नीरा ने इस सुख को पहली बार में ही पा लिया...


नीरा बेहोश हो चुकी थी इस तरह झड़ने के बाद में वहाँ से उठा और एक तेज पुक्क्क की आवाज़ के साथ मेरा लिंग भी नीरा की चूत मे से बाहर आ गया था.....


पूरे बेड पर खून ही खून फैला हुआ था...मेरा लिंग भी खून से सना हुआ था....मेरा लिंग बुरी तरह से सूज गया था....और उसमें से लगातार खून निकल रहा था....मेरे लिंग का टांका भी अब टूट चुका था....में वहाँ से उठ कर एक टवल उस बाथ टब के गर्म पानी में डुबो कर नीरा की चूत को अच्छे से सॉफ करता हूँ....गरम पानी नीरा से लगते ही उसकी आँखे खुल जाती है और एक दर्द भरी कराह के साथ मुझे देखने लग जाती है....


वो उठने की कोशिश करती है लेकिन में उसे अपनी बाहो में उठाकर उस गरम पानी से भरे बाथ टब मे लेटा देता हूँ....और अपने लिंग को अच्छे से पोछ कर अपने कपड़े पहनने लग जाता हूँ....बेड पर से चादर उठा कर उसे साइड में रख देता हूँ....और शमा की तरफ देख कर उसे आवाज़ लगा देता हूँ....

शमा अभी भी बेड का सहारा लेकर मेरी तरफ पीठ करके बैठी हुई थी....



में--शमा उठो यहाँ से अब चलने का वक़्त हो गया है ....



शमा जैसे ही मेरी तरफ पलटती है उसके आँसुओ से भरा हुआ चेहरा मेरे दिल में आग लगा देता है....वो वहाँ से उठ कर मेरे पैरो मे गिरकर रोने लग जाती है.....


शमा--भैया मुझे माफ़ कर दो....मेरी वजह से आपको अपना मिलन एक ऐसी जगह करना पड़ा जिसकी छाया भी शरीफ लोग अपने घर पर पड़ने नही देते....


में शमा को अपने पैरों में से उठाकर अपने सीने से लगा लेता हूँ....और कहता हूँ....


में--शमा तुझे यहाँ से निकालने के लिए में कुछ भी कर सकता था....लेकिन सब से बड़ा बलिदान जो किसी ने आज दिया है वो है नीरा....मेरी बहन मेरी पत्नी....इसीकि वजह से आज हम साथ रह पाएँगे....



शमा--क्या कहा आपने बहन....??


में--हाँ शमा नीरा मेरी छोटी सग़ी बहन है....लेकिन अब ये मेरी पत्नी है....हम लोग इसकी पढ़ाई के बाद शादी करना चाहते थे लेकिन तुन्हे यहाँ से निकालने के लिए ये बिना सोचे समझे ही तैयार हो गयी....


शमा मेरी बात सुनते ही नीरा की तरफ दौड़ पड़ी और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर रोते हुए उसको प्यार करने लगी....



नीरा--शमा अब तुन्हे रोना नही है....अब तो तुम्हारे खुशियो के दिन आ गये है...अब जल्दी ही हम यहाँ से बाहर निकल जाएँगे....लेकिन एक प्राब्लम है....



में--अब क्या बाकी रह गया नीरा....कौनसी प्राब्लम की बात कर रही हो तुम....
 
में--अब क्या बाकी रह गया नीरा....कौनसी प्राब्लम की बात कर रही हो तुम....


नीरा--आपने जो मेरे जिस्म पर इतने सारे लव बाइट्स दिए है जो में किसी से छुपा भी नही सकती....लेकिन जब बाहर कोई शमा पर ये निशान नही देखेगा तो कुछ भी सोच सकता है....इसलिए आपको शमा के जिस्म पर भी वैसे ही लोव बाइट्स बनाने होंगे....


में--बात तो तेरी सही है...लेकिन में शमा के साथ ये सब कैसे कर सकता हूँ....तुझे तो में फिर भी प्यार करता हूँ लेकिन शमा के साथ ऐसा कुछ करने की में सोच भी नही सकता....



नीरा--जान सोचना तो आपको पड़ेगा ही किसी को भी शक हो गया तो सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है....इसलिए आपको ऐसा करना ही होगा....


नीरा पानी के टब मे से नंगी ही बाहर आजाती है....और शमा की तरफ देखते हुए कहती है....


नीरा--माफ़ करना मेरी बहन अब कुर्बानी देने की बारी तुनहारी है....में चाहूं तो अपने दांतो से भी तुम्हारे जिस्म पर निशान बना सकती हूँ लेकिन एक मर्द से बने निशान एक औरत से बने निशानो से अलग हो सकते है....



शमा--भैया आपको जो भी करना हो मेरे साथ कर लो....बस अब में यहाँ ज़्यादा देर नही रह सकती....अगर कुछ देर और यहाँ रही तो मेरी आत्मा मेरा शरीर छोड़ देगी....



अब नीरा ने आगे बढ़कर शमा का ब्लाउस पकड़कर उसके दोनो बूब्स बाहर निकाल दिए....

और मुझे इशारा करके निशान बनाने के लिए बोल दिया और खुद जाकर फिर से उस टब में बैठ गयी....

दरवाजा नीरा ने खोल दिया...में शमा को अपनी गोद मे उठाकर बाहर ले आया मेरे पीछे पीछे नीरा भी हमारे मिलन का सबूत वो चादर अपने हाथो मे लिए लड़खड़ाते हुए चल रही थी....


नीरा--ये लीजिए कामली जी आपका सबूत....


कामली वो चादर खोल के सब को दिखाती है...वहाँ पर इतना खून देख कर सब के मुँह खुले के खुले रह जाते है....



में--कामली बाई अब आप जल्दी से आपकी रसम पूरी कर लीजिए...अब हमे निकलना होगा....



कामली जैसे नींद से जागी हो... वो उस चादर को नज़म को देकर रसम पूरी करने का बोलकर नीरा से कहती है...


कामली--हाँ...हाँ...क्यो नही बस 2 मिनिट में रसम पूरी हो जाएगी....लेकिन जनाब आपने शमा को गोद में क्यो उठा रखा है....


नीरा--शमा की हालत ठीक नही है....इसे जल्दी से डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा...



कामली--हालत तो आपकी भी कुछ ठीक नही लगती है....लगता है....शमा के बाद आपका नंबर लग गया हो....


नीरा मुस्कुराते हुए....


नीरा--इनको झेलना कोई आसान काम नही है....पहली बार में तीन दिन तक बेड से नही उठ पाई थी....


कामली--ये मर्द भी बड़े निर्दयी होते है...थोड़ा आराम से नही कर सकते थे जनाब आप....देखो दोनो फूल जैसी बच्चियो की क्या हालत कर दी है आपने....



में--ये दोनो भी किसी शेरनी से कम नही है....इन्हे काबू करने के लिए थोड़ा ज़ोर तो लगाना ही पड़ता है....



कामली--आपने सही कहा...और वैसे भी ये खेल ऐसा है ज़ोर कोई भी लागाए जान दोनो की ही निकलती है....


तभी नज़म भी वहाँ आजाती है....और आकर वो चादर नीरा के हाथो में समेट कर दे देती है.....



में--कामली बाई आपका एहसान रहेगा मुझ पर जो आपने इतना खूबसूरत तोहफा दिया है मुझे....,,


कामली--तोहफा तो आपने दिया है शमा को एक सुखी जीवन जीने का....



में--कामली बाई...में आप से एक बात और कहना चाहता हूँ....इस दरवाजे से बाहर निकलते ही ना आप मुझे पहचानती है और ना आप शमा को जानती है....आप कभी भी ये जानने की कोशिश नही करेंगी कि शमा कहाँ है....



कामली--जनाब में ऐसा कुछ भी नही करूँगी...आप तीनो जहाँ भी रहो वहाँ खुश रहो बस मेरे श्याम से यही प्रार्थना करूँगी...


उसके बाद में शमा को गोद में उठाकर वहाँ से बाहर ले आया और किसी तरह नीरा भी लड़खड़ाते हुए हिम्मत करके कार तक पहुँच ही जाती है....नज़म पीछे वाला दरवाजा खोल देती है जहाँ में शमा को बैठा देता हूँ...और फिर में नीरा को सहारा देकर आगे वाली सीट पर बैठा देता हूँ....वहाँ अब सभी की आँखो में आँसू आ गये थे जैसे कोई दुल्हन विदा होकर जा रही हो....नज़म का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया था....वो बस बार बार शमा से लिपटकर रो रही थी...

मैने नज़म को संभालते हुए कामली बाई के पास छोड़ दिया और कार लेकर उन गलियो को दुबारा वापस ना आने का वादा करके वहाँ से निकल गया.......

हम वहाँ से अब निकल के सीधा होटेल पहुँचे और वहाँ से अपना सामान लेकर एरपोर्ट की तरफ़ बढ़ गये....नीरा को मैने एक पेन किल्लर दे दी थी...उसकी वजह से वो अब काफ़ी आराम महसूस कर रही थी....

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