desiaks
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मानस का भी बुरा हाल था, लिंग को योनि पर घिसना बंद कर के, लिंग को योनि से टीकाया और नीचे हाथ ले जा कर उसके नितंबों को थाम लिया..... जलते बदन को मानस जैसे और तडपा रहा हो....
लिंग योनि से टिका कर वो रुका रहा.... ड्रस्टी आखें मुन्दे आहें भर रही थी... उस से बर्दास्त कर पाना भी मुस्किल हो रहा था... मानस को रुका देख ड्रस्टी अपनी आखें खोली ... और इशारों मे जैसे चिढ़ती हुई कह रही हो... "अब और मत तड़पाओ"
मानस थोड़ा मुस्कुराया और नितंबों को थाम कर धीरे-धीरे लिंग अंदर डालने लगा.... योनि की कसावट इतनी थी कि लिंग पर योनि की दीवार घिस रही थी... ड्रस्टी मज़े के साथ हल्का दर्द भी महसूस कर रही थी जो इस कामुक उत्तेजना को और भी बढ़ा रहा था...
मानस लिंग कोधीरे-धीरे अंदर डालते वक़्त थोड़ा बेकाबू होगया और ज़ोर से एक झटका मार दिया.... आधा लिंग योनि मे प्रवेस कर चुका था...... जैसे ही लिंग योनि मे प्रवेस किया...... "आआअहह" की ज़ोर दार चींख ड्रस्टी के मुँह से निकल गयी और अपने बदन को उपर लहराती वो मानस की गोद मे बैठ गयी....
"उम्म्म्मममममम.... थोड़ा रुक जएईए"...... ड्रस्टी, मानस के कंधे पर अपना मुँह लगा कर अपने दर्द को छिपाती हुई कहने लगी..... मानस लिंग आधा अंदर डाले वैसे ही रुका रहा और अपने सिर को नीचे किया और मुँह स्तनों पर डाल कर उसे चूसने लगा....
उम्म्म्ममम.... स्तनों को चूसने और चुसवाने का भी अहसास अजीब ही था.... दोनो काम उत्तेजना मे वापस लौटने लगे.... जलती योनि मे गरम लिंग महसूस करना रोमांचक था... धीरे-धीरे दर्द गायब होने लगा और ड्रस्टी की कमर मे हलचल होने लगी ....
मानस से भी रुक पाना मुस्किल हो रहा था... उसने भी अब धीरे-धीरे धक्का मारना शुरू कर दिया.... उफफफ्फ़ ये कैसा नया ही एहस्सास था... फिर से ड्रस्टी की आखें बंद हो गयी... मादक सिसकारियों से महॉल गूँज गया....
एक बार फिर मानस ने योनि मे इतनी ज़ोर की ठोकर मारी कि पूरा लिंग अंदर चला गया... एक बार फिर ड्रस्टी की चींख निकल गयी ... दर्द से बदन काँपने लगा...... मानस को लगा रुकना चाहिए, उसने धक्को पर विराम लगाया और स्तनों को बड़े प्यार से मुँह मे ले कर चूसने लगा...
पर ड्रस्टी कुछ और मूड से ही थी..... "आहह.... रूको नही करते रहो... ये दर्द तो हमे सहना ही होता है".....
ड्रस्टी ने जैसे प्यार मे समर्पण दिया हो..... मानस, ड्रस्टी की पीठ पर हाथ टिका कर धीरे-धीरे धक्के मारने लगा और दोनो स्तनों का स्तनपान बारी-बारी से करता रहा....
लिंग योनि से टिका कर वो रुका रहा.... ड्रस्टी आखें मुन्दे आहें भर रही थी... उस से बर्दास्त कर पाना भी मुस्किल हो रहा था... मानस को रुका देख ड्रस्टी अपनी आखें खोली ... और इशारों मे जैसे चिढ़ती हुई कह रही हो... "अब और मत तड़पाओ"
मानस थोड़ा मुस्कुराया और नितंबों को थाम कर धीरे-धीरे लिंग अंदर डालने लगा.... योनि की कसावट इतनी थी कि लिंग पर योनि की दीवार घिस रही थी... ड्रस्टी मज़े के साथ हल्का दर्द भी महसूस कर रही थी जो इस कामुक उत्तेजना को और भी बढ़ा रहा था...
मानस लिंग कोधीरे-धीरे अंदर डालते वक़्त थोड़ा बेकाबू होगया और ज़ोर से एक झटका मार दिया.... आधा लिंग योनि मे प्रवेस कर चुका था...... जैसे ही लिंग योनि मे प्रवेस किया...... "आआअहह" की ज़ोर दार चींख ड्रस्टी के मुँह से निकल गयी और अपने बदन को उपर लहराती वो मानस की गोद मे बैठ गयी....
"उम्म्म्मममममम.... थोड़ा रुक जएईए"...... ड्रस्टी, मानस के कंधे पर अपना मुँह लगा कर अपने दर्द को छिपाती हुई कहने लगी..... मानस लिंग आधा अंदर डाले वैसे ही रुका रहा और अपने सिर को नीचे किया और मुँह स्तनों पर डाल कर उसे चूसने लगा....
उम्म्म्ममम.... स्तनों को चूसने और चुसवाने का भी अहसास अजीब ही था.... दोनो काम उत्तेजना मे वापस लौटने लगे.... जलती योनि मे गरम लिंग महसूस करना रोमांचक था... धीरे-धीरे दर्द गायब होने लगा और ड्रस्टी की कमर मे हलचल होने लगी ....
मानस से भी रुक पाना मुस्किल हो रहा था... उसने भी अब धीरे-धीरे धक्का मारना शुरू कर दिया.... उफफफ्फ़ ये कैसा नया ही एहस्सास था... फिर से ड्रस्टी की आखें बंद हो गयी... मादक सिसकारियों से महॉल गूँज गया....
एक बार फिर मानस ने योनि मे इतनी ज़ोर की ठोकर मारी कि पूरा लिंग अंदर चला गया... एक बार फिर ड्रस्टी की चींख निकल गयी ... दर्द से बदन काँपने लगा...... मानस को लगा रुकना चाहिए, उसने धक्को पर विराम लगाया और स्तनों को बड़े प्यार से मुँह मे ले कर चूसने लगा...
पर ड्रस्टी कुछ और मूड से ही थी..... "आहह.... रूको नही करते रहो... ये दर्द तो हमे सहना ही होता है".....
ड्रस्टी ने जैसे प्यार मे समर्पण दिया हो..... मानस, ड्रस्टी की पीठ पर हाथ टिका कर धीरे-धीरे धक्के मारने लगा और दोनो स्तनों का स्तनपान बारी-बारी से करता रहा....