hotaks444
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“ओके ... मम्मम...एक बात और, प्लीज़ एक हिंट दे दीजिये कि चाची वहां अगर होगी तो क्या कर रही होगी? ”
“ह्म्म्म,... चलो ठीक है, एक छोटा सा हिंट तो दे ही सकता हूँ, वहां तुम्हारी चाची खातिर मदारत करती है वीवीआईपी टाइप के मेहमानों का | ”
मैं चकराया, ये क्या कहा इसने?
पूछा,
“जी, एक बार फ़िर से दोहराएँगे आप.. अभी अभी आपने जो कहा, मैं उसका मतलब समझा नहीं |”
“मेहमान नवाज़ी करती है | ” – आवाज़ इस बार थोड़ा गंभीर सा लगा |
कुछ देर और चलने के बाद एक जगह गाड़ी रुकी और इतने में उस स्पीकर से आवाज़ आई,
“तुम जा सकते हो अभय, अभी तुम्हारे घर में कोई नहीं है | उस पेपर में लिखे इंस्ट्रक्शन्स को पढ़ने मत भूलना | जो और जैसा लिखा हुआ है बिल्कुल वैसा ही करना | होटल के अन्दर जाने के बाद सब कुछ तुम्हारे कॉमन सेंस और सावधानी पर डिपेंड करेगा | अपनी तरफ़ से बात बिगड़ने मत देना और अगर फ़िर भी कुछ ऐसा वैसा हो गया तो वहां मेरे आदमी होंगे मामले को सँभालने के लिए | अब जाओ | गुड बाय |”
“पर मिस्टर एक्स, मैं आपके आदमी को पहचानूँगा कैसे ?” – अत्यंत कौतुहलवश मैं पूछ बैठा |
दो क्षण रुक कर आवाज़ आई,
“टेक केयर अभय |”
और इसी के साथ एक हल्की, खट सी आवाज़ आई दूसरी ओर से | फ़िर सब शांत.... सम्बन्ध विच्छेद हो गया था | मिस्टर एक्स मदद तो करना चाहते हैं पर बहुत ही सीमित रूप से | वैन का दरवाज़ा खुला | मैं सावधानी से बैग लेकर बाहर निकला | घर से कुछ ही दूरी पर था, मोड़ को क्रॉस कर चुका था | एक कदम आगे बढ़ कर वैन से थोड़ा दूर हुआ | देखा, सामने वाले सीट पर का शीशा उठा हुआ है | काला शीशा | वैन से थोड़ी दूरी बनते ही वैन स्टार्ट हुई और आगे निकल गई |
--------------------------------------------------------
घर पहुँच कर देर तक आने वाले कल के बारे में सोचता रहा | शाम को उसी तरह चाची कंधे पर एक बैग लटकाए घर आई | उस समय मुझे उनके हावभाव और शायद चेहरे के नक़्शे भी कुछ बदले बदले से लगे; मैंने कोई खास ध्यान नहीं दिया | और दूं भी क्यों ? चाची तो बहुत पहले से ही बदलने लगी थी | वैसे भी मैं, मेरे मन में पहले से ही चल रहे बहुत से विचारों के उधेरबुन में फँसा हुआ था |
रात को डिनर के समय, मैंने अनजाने में चाची को गौर से देखा, पहले से थोड़ी और भरी भरी सी काया लग रही थी उनकी | चेहरे पर भी एक अलग ही ग्लो था; शायद फेसिअल की वजह से हुआ हो | पर था बिल्कुल ही एक अलग ही चमक उनके चेहरे पर | गाल जैसे पहले से और ज़्यादा गोरे और लाल लग रहे थे | उनके चेहरे का एक अलग ही आकर्षण बना हुआ था | अपनी ओर एकटक मुझे देखते देख चाची मुस्कुराई पर साथ ही थोड़ी संजीदा सी हो गई | चाची – भतीजे में हल्की नोंक-झोंक भी हुई पर पूरे समय संजीदगी से पेश आई और ऐसा लगा जैसे वो मेरे चेहरे के साथ साथ मेरे मन में क्या चल रहा है उसे भी पढना चाह रही हो | मैंने भी काफ़ी सतर्कता का परिचय दिया और कई सारी बातों को अपने तक ही सीमित रखा |
चाची का इस प्रकार संजीदगी दिखाना मुझे थोड़ा अजीब लगा क्योंकि चाची थोड़ी बच्ची और खिलंदरी टाइप की महिला है | बातों को ज़्यादा घूमा फिरा कर कहना या किसी विषय पर बहुत ज़्यादा सीरियस हो कर कुछ कहना तो जैसे उनको आता ही नहीं था; उनके स्वाभाव में ही नहीं था | पर आज उनके चेहरे और आँखों ने कुछ अलग ही कहानी पेश करनी चाही | अब तो ये पूरा मामला मेरे लिए और भी अधिक रोमांचकारी और जिज्ञासा भरा हो गया था | रात में काफ़ी देर तक उस कागज़ के में दिए गए दिशा-निर्देशों एवं पूरे प्लान को पढ़ते रहा, जो मिस्टर एक्स ने दिया था मुझे | अंत में दो-तीन सिगरेट खत्म कर, अगले दिन एक अलग ही काम करने के रोमांच को तन मन में समेटे मैं सोने चला गया |
“ह्म्म्म,... चलो ठीक है, एक छोटा सा हिंट तो दे ही सकता हूँ, वहां तुम्हारी चाची खातिर मदारत करती है वीवीआईपी टाइप के मेहमानों का | ”
मैं चकराया, ये क्या कहा इसने?
पूछा,
“जी, एक बार फ़िर से दोहराएँगे आप.. अभी अभी आपने जो कहा, मैं उसका मतलब समझा नहीं |”
“मेहमान नवाज़ी करती है | ” – आवाज़ इस बार थोड़ा गंभीर सा लगा |
कुछ देर और चलने के बाद एक जगह गाड़ी रुकी और इतने में उस स्पीकर से आवाज़ आई,
“तुम जा सकते हो अभय, अभी तुम्हारे घर में कोई नहीं है | उस पेपर में लिखे इंस्ट्रक्शन्स को पढ़ने मत भूलना | जो और जैसा लिखा हुआ है बिल्कुल वैसा ही करना | होटल के अन्दर जाने के बाद सब कुछ तुम्हारे कॉमन सेंस और सावधानी पर डिपेंड करेगा | अपनी तरफ़ से बात बिगड़ने मत देना और अगर फ़िर भी कुछ ऐसा वैसा हो गया तो वहां मेरे आदमी होंगे मामले को सँभालने के लिए | अब जाओ | गुड बाय |”
“पर मिस्टर एक्स, मैं आपके आदमी को पहचानूँगा कैसे ?” – अत्यंत कौतुहलवश मैं पूछ बैठा |
दो क्षण रुक कर आवाज़ आई,
“टेक केयर अभय |”
और इसी के साथ एक हल्की, खट सी आवाज़ आई दूसरी ओर से | फ़िर सब शांत.... सम्बन्ध विच्छेद हो गया था | मिस्टर एक्स मदद तो करना चाहते हैं पर बहुत ही सीमित रूप से | वैन का दरवाज़ा खुला | मैं सावधानी से बैग लेकर बाहर निकला | घर से कुछ ही दूरी पर था, मोड़ को क्रॉस कर चुका था | एक कदम आगे बढ़ कर वैन से थोड़ा दूर हुआ | देखा, सामने वाले सीट पर का शीशा उठा हुआ है | काला शीशा | वैन से थोड़ी दूरी बनते ही वैन स्टार्ट हुई और आगे निकल गई |
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घर पहुँच कर देर तक आने वाले कल के बारे में सोचता रहा | शाम को उसी तरह चाची कंधे पर एक बैग लटकाए घर आई | उस समय मुझे उनके हावभाव और शायद चेहरे के नक़्शे भी कुछ बदले बदले से लगे; मैंने कोई खास ध्यान नहीं दिया | और दूं भी क्यों ? चाची तो बहुत पहले से ही बदलने लगी थी | वैसे भी मैं, मेरे मन में पहले से ही चल रहे बहुत से विचारों के उधेरबुन में फँसा हुआ था |
रात को डिनर के समय, मैंने अनजाने में चाची को गौर से देखा, पहले से थोड़ी और भरी भरी सी काया लग रही थी उनकी | चेहरे पर भी एक अलग ही ग्लो था; शायद फेसिअल की वजह से हुआ हो | पर था बिल्कुल ही एक अलग ही चमक उनके चेहरे पर | गाल जैसे पहले से और ज़्यादा गोरे और लाल लग रहे थे | उनके चेहरे का एक अलग ही आकर्षण बना हुआ था | अपनी ओर एकटक मुझे देखते देख चाची मुस्कुराई पर साथ ही थोड़ी संजीदा सी हो गई | चाची – भतीजे में हल्की नोंक-झोंक भी हुई पर पूरे समय संजीदगी से पेश आई और ऐसा लगा जैसे वो मेरे चेहरे के साथ साथ मेरे मन में क्या चल रहा है उसे भी पढना चाह रही हो | मैंने भी काफ़ी सतर्कता का परिचय दिया और कई सारी बातों को अपने तक ही सीमित रखा |
चाची का इस प्रकार संजीदगी दिखाना मुझे थोड़ा अजीब लगा क्योंकि चाची थोड़ी बच्ची और खिलंदरी टाइप की महिला है | बातों को ज़्यादा घूमा फिरा कर कहना या किसी विषय पर बहुत ज़्यादा सीरियस हो कर कुछ कहना तो जैसे उनको आता ही नहीं था; उनके स्वाभाव में ही नहीं था | पर आज उनके चेहरे और आँखों ने कुछ अलग ही कहानी पेश करनी चाही | अब तो ये पूरा मामला मेरे लिए और भी अधिक रोमांचकारी और जिज्ञासा भरा हो गया था | रात में काफ़ी देर तक उस कागज़ के में दिए गए दिशा-निर्देशों एवं पूरे प्लान को पढ़ते रहा, जो मिस्टर एक्स ने दिया था मुझे | अंत में दो-तीन सिगरेट खत्म कर, अगले दिन एक अलग ही काम करने के रोमांच को तन मन में समेटे मैं सोने चला गया |