desiaks
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एक दिन दोपहर के समय अनीता अपनी छोटी वहन सुधा के साथ बाजार से कुछ सामान खरीदकर घर आ रही थी। रास्ते में विशाल ने अनीता को रोक लिया। "सुनिये मिस अनीता....।" विशाल ने शिष्ट भाव से कहा।
अनीता उसकी आवाज को अनसनी करके आगे चल दी। मगर तभी अनीता के कानों में विशाल का स्वर दुबारा पड़ा-"प्लीज अनीता, मेरी बात तो सुनिये। आप मुझे गलत मत समझिये। बस एक बात का जबाब हां या ना में दे दीजिये।" ।
अनीता उसके याचना भरे स्वर को सुनकर घड़ी भर के लिये ठहर गई। विशाल उसके घर से दो-तीन घर छोड़कर रहता था। विशाल काफी अमीर फेमिली से सम्बन्ध रखता था। अनीता का उनके घर कम ही आना-जाना था। मगर विशाल की मां अनीता की बहुत प्रशंसा करती रहती थीं। विशाल का घर काफी बड़ा था। मगर घर में प्राणी केबल तीन ही थे। विशाल के पिता सरकारी नौकरी पर थे। विशाल की भी सरकारी नौकरी लगने ही वाली थी। अमीर होने के साथ-साथ ये लोग गरीबों से कोई दूरी नहीं रखते थे। विनीत और विशाल के परिवार में आपस में अच्छी बोल-चाल थी। विशाल जब-जब अनीता को देखता तो उसका दिल सीने से बाहर आने को मचल पड़ता। मगर वह आज तक अपने प्रेम का इजहार कभी भी अनीता के सामने नहीं कर पाया था। उसे हमेशा इसी बात का डर रहता था कि कहीं अनीता उसकी मौहब्बत का मजाक न बनाये। वह किसी भी हाल में यह नहीं चाहता था कि उसके सच्चे प्रेम पर शक की कोई भी दृष्टि उठाये। बस यही सोचकर वह अपने जबान दिल की धड़कनों को काबू में रखे था। मगर वह किसी भी हाल में अनीता को अपनी जिन्दगी से अलग नहीं करना चाहता था। वह उसे अपने घर की दुल्हन बनाना चाहता था। लेकिन वह अपनी पसंद पर किसी भी । प्रकार की कोई इच्छा नहीं थोपना चाहता था। उसे पूरा विश्वास था कि अगर वह अपनी मां से कहेगा कि वह अनीता के पिता से अनीता का हाथ मेरे लिये मांग लें तो वह कभी मना नहीं करेंगी। क्योंकि अनीता पढ़ी-लिखी एक खूबसूरत लड़की थी, जिसके आने से हमारे सूने आंगन में उजाला-ही-उजाला हो जाएगा। मगर वह यह सोच-सोचकर भी परेशान था कि अनीता कहीं उसे निराश न कर दे।
वह अपनी शादी के विषय में अनीता की इच्छा जानना चाहता था। यही सोचकर आज उसने पक्का दिल करके अनीता से बात करने का इरादा किया था। कि कहीं वह बाद में न पछताये। वह देखता रह जाए और अनीता को कोई और ब्याहकर ले जाये। यह ख्याल आते ही विशाल का दिल दहल गया। नहीं....ऐसा नहीं हो सकता। वह मेरी है, सिर्फ मेरी! मैं किसी और से शादी की कल्पना भी नहीं कर सकता। अगर अनीता ने मेरे सच्चे प्यार को ठुकरा दिया तो मैं मर जाऊंगा। वह इन्हीं सोचों में खोया था कि उसे ख्याल आया कि अनीता बाजार से आती होगी। आज वह उससे बात करके ही रहेगा। "अनीता, देखो, मैं तुमसे सड़क पर बात नहीं करना चाहता था। तुम्हारी इज्जतही मेरी इज्जत है। मैं नहीं चाहता कि कोई तुम पर उंगली उठाये। अगर किसी की उंगली तुम्हारी तरफ उठ भी गई तो मैं उसे तोड़ दूंगा।" विशाल की बातों में किस कदर अपनापन था।
अनीता यह सुनकर स्तब्ध रह गई। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि विशाल उसके लिये ऐसी भावनायें रखता होगा। विशाल की यह बात सीधी अनीता के दिल में जा उतरी थी। विशाल देखने में खूबसूरत ब अमीर घराने का शहजादा था। अनीता तो क्या कोई भी लड़की उसे देखकर मर-मिटने को तैयार न हो जाये तो कोई बात नहीं।
अनीता को वह अच्छा तो लगता था, मगर उसने कभी उसके विषय में ऐसा नहीं सोचा था। अगर पागल दिल में ऐसा ख्याल कभी आ भी जाता तो वह यह सोचकर ख्याल को झटक देती कि कहां ये अमीर लोग....कहां हम गरीब आदमी....हम तो उनके कदमों की धूल भी नहीं। आज विशाल की यह बात सुनकर दिल के सारे सोये हुए अरमान जाग उठे। वह शर्म से लाल हो गई। बड़ी मुश्किल से शर्माती हुई बोली-“कहिये विशाल जी, आप क्या कहना चाह रहे थे...."
विशाल तपाक से बोला—“मैं....तो आपको चाहता हूं....और हर हाल में तुमको अपनाना चाहता हूं।"
अनीता उसकी आवाज को अनसनी करके आगे चल दी। मगर तभी अनीता के कानों में विशाल का स्वर दुबारा पड़ा-"प्लीज अनीता, मेरी बात तो सुनिये। आप मुझे गलत मत समझिये। बस एक बात का जबाब हां या ना में दे दीजिये।" ।
अनीता उसके याचना भरे स्वर को सुनकर घड़ी भर के लिये ठहर गई। विशाल उसके घर से दो-तीन घर छोड़कर रहता था। विशाल काफी अमीर फेमिली से सम्बन्ध रखता था। अनीता का उनके घर कम ही आना-जाना था। मगर विशाल की मां अनीता की बहुत प्रशंसा करती रहती थीं। विशाल का घर काफी बड़ा था। मगर घर में प्राणी केबल तीन ही थे। विशाल के पिता सरकारी नौकरी पर थे। विशाल की भी सरकारी नौकरी लगने ही वाली थी। अमीर होने के साथ-साथ ये लोग गरीबों से कोई दूरी नहीं रखते थे। विनीत और विशाल के परिवार में आपस में अच्छी बोल-चाल थी। विशाल जब-जब अनीता को देखता तो उसका दिल सीने से बाहर आने को मचल पड़ता। मगर वह आज तक अपने प्रेम का इजहार कभी भी अनीता के सामने नहीं कर पाया था। उसे हमेशा इसी बात का डर रहता था कि कहीं अनीता उसकी मौहब्बत का मजाक न बनाये। वह किसी भी हाल में यह नहीं चाहता था कि उसके सच्चे प्रेम पर शक की कोई भी दृष्टि उठाये। बस यही सोचकर वह अपने जबान दिल की धड़कनों को काबू में रखे था। मगर वह किसी भी हाल में अनीता को अपनी जिन्दगी से अलग नहीं करना चाहता था। वह उसे अपने घर की दुल्हन बनाना चाहता था। लेकिन वह अपनी पसंद पर किसी भी । प्रकार की कोई इच्छा नहीं थोपना चाहता था। उसे पूरा विश्वास था कि अगर वह अपनी मां से कहेगा कि वह अनीता के पिता से अनीता का हाथ मेरे लिये मांग लें तो वह कभी मना नहीं करेंगी। क्योंकि अनीता पढ़ी-लिखी एक खूबसूरत लड़की थी, जिसके आने से हमारे सूने आंगन में उजाला-ही-उजाला हो जाएगा। मगर वह यह सोच-सोचकर भी परेशान था कि अनीता कहीं उसे निराश न कर दे।
वह अपनी शादी के विषय में अनीता की इच्छा जानना चाहता था। यही सोचकर आज उसने पक्का दिल करके अनीता से बात करने का इरादा किया था। कि कहीं वह बाद में न पछताये। वह देखता रह जाए और अनीता को कोई और ब्याहकर ले जाये। यह ख्याल आते ही विशाल का दिल दहल गया। नहीं....ऐसा नहीं हो सकता। वह मेरी है, सिर्फ मेरी! मैं किसी और से शादी की कल्पना भी नहीं कर सकता। अगर अनीता ने मेरे सच्चे प्यार को ठुकरा दिया तो मैं मर जाऊंगा। वह इन्हीं सोचों में खोया था कि उसे ख्याल आया कि अनीता बाजार से आती होगी। आज वह उससे बात करके ही रहेगा। "अनीता, देखो, मैं तुमसे सड़क पर बात नहीं करना चाहता था। तुम्हारी इज्जतही मेरी इज्जत है। मैं नहीं चाहता कि कोई तुम पर उंगली उठाये। अगर किसी की उंगली तुम्हारी तरफ उठ भी गई तो मैं उसे तोड़ दूंगा।" विशाल की बातों में किस कदर अपनापन था।
अनीता यह सुनकर स्तब्ध रह गई। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि विशाल उसके लिये ऐसी भावनायें रखता होगा। विशाल की यह बात सीधी अनीता के दिल में जा उतरी थी। विशाल देखने में खूबसूरत ब अमीर घराने का शहजादा था। अनीता तो क्या कोई भी लड़की उसे देखकर मर-मिटने को तैयार न हो जाये तो कोई बात नहीं।
अनीता को वह अच्छा तो लगता था, मगर उसने कभी उसके विषय में ऐसा नहीं सोचा था। अगर पागल दिल में ऐसा ख्याल कभी आ भी जाता तो वह यह सोचकर ख्याल को झटक देती कि कहां ये अमीर लोग....कहां हम गरीब आदमी....हम तो उनके कदमों की धूल भी नहीं। आज विशाल की यह बात सुनकर दिल के सारे सोये हुए अरमान जाग उठे। वह शर्म से लाल हो गई। बड़ी मुश्किल से शर्माती हुई बोली-“कहिये विशाल जी, आप क्या कहना चाह रहे थे...."
विशाल तपाक से बोला—“मैं....तो आपको चाहता हूं....और हर हाल में तुमको अपनाना चाहता हूं।"