desiaks
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शाम को सब्जी लेकर आ रही थी, तब रामू लिफ्ट के पास बैठा बीड़ी पी रहा था। मैं जैसे ही लिफ्ट के पास पहुँची तो रामू ने उठकर लिफ्ट की जाली खोल दी। मैं उसके सामने देखे बगैर लिफ्ट में दाखिल हो गई।
रामू ने जाली बंद करते हुये पूछा- “कल से फिर काम पे आ जाऊँ मेमसाब?”
मैंने मुँह से कोई जवाब दिए बगैर “हाँ” में सिर हिलाया और तीसरे फ्लोर का बटन दबाया। दूसरे दिन रामू के आने से पहले मैंने साड़ी पहन ली, सामान्य तौर पर मैं घर में हमेशा गाउन ही पहनती हूँ, और जब तक राम् घर में काम करता रहा, तब तक मैं दरवाजा बंद करके बेडरूम में चली गई।
रामू ने काम खतम करते ही दरवाजे पर खटखट करके कहा- “मैं जा रहा हूँ मेमसाब, घर बंद कर लीजिए...”
उसके जाने के 5 मिनट बाद मैंने बाहर निकालकर दरवाजा बंद किया, फिर तो ये रूटीन हो गया। वो हर रोज आता तो मैं बेडरूम में चली जाती। जाते वक़्त वो कहकर जाता तो मैं बाहर जाकर दरवाजा बंद कर लेती। 15 दिन निकल गये, मैं थोड़ी नार्मल हो गई। पर अभी भी मैं रामू के सामने देखती नहीं थी। उसके घर में आते ही मैं नजरें नीची करके बेडरूम में चली जाती थी, और जाने के थोड़ी देर बाद ही बाहर निकलती थी। कभी कभार लिफ्ट के पास बैठे हुये मिल जाता तो मैं सीढ़ियां चढ़ जाती।
फिर आज का दिन बहुत ही खराब उगा। सुबह से आज कुछ अच्छा नहीं हो रहा था। और सुबह को जो हुवा ना... वो तो मेरी ही गलती थी और गलती भी कितनी बड़ी... किसी को पता चले तो मेरे बारे में कुछ भी सोच ले। मैं रसोई करते हुये सुबह जो हुवा उसके बारे में सोच रही थी।
रामू ने जाली बंद करते हुये पूछा- “कल से फिर काम पे आ जाऊँ मेमसाब?”
मैंने मुँह से कोई जवाब दिए बगैर “हाँ” में सिर हिलाया और तीसरे फ्लोर का बटन दबाया। दूसरे दिन रामू के आने से पहले मैंने साड़ी पहन ली, सामान्य तौर पर मैं घर में हमेशा गाउन ही पहनती हूँ, और जब तक राम् घर में काम करता रहा, तब तक मैं दरवाजा बंद करके बेडरूम में चली गई।
रामू ने काम खतम करते ही दरवाजे पर खटखट करके कहा- “मैं जा रहा हूँ मेमसाब, घर बंद कर लीजिए...”
उसके जाने के 5 मिनट बाद मैंने बाहर निकालकर दरवाजा बंद किया, फिर तो ये रूटीन हो गया। वो हर रोज आता तो मैं बेडरूम में चली जाती। जाते वक़्त वो कहकर जाता तो मैं बाहर जाकर दरवाजा बंद कर लेती। 15 दिन निकल गये, मैं थोड़ी नार्मल हो गई। पर अभी भी मैं रामू के सामने देखती नहीं थी। उसके घर में आते ही मैं नजरें नीची करके बेडरूम में चली जाती थी, और जाने के थोड़ी देर बाद ही बाहर निकलती थी। कभी कभार लिफ्ट के पास बैठे हुये मिल जाता तो मैं सीढ़ियां चढ़ जाती।
फिर आज का दिन बहुत ही खराब उगा। सुबह से आज कुछ अच्छा नहीं हो रहा था। और सुबह को जो हुवा ना... वो तो मेरी ही गलती थी और गलती भी कितनी बड़ी... किसी को पता चले तो मेरे बारे में कुछ भी सोच ले। मैं रसोई करते हुये सुबह जो हुवा उसके बारे में सोच रही थी।