desiaks
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रामू- “मजा आ रहा है ना मेडम?” रामू ने फिर से पूछा।
मैंने फिर से पहली बार की तरह सिर हिलाकर हाँ कहा।
रामू- “बोलकर कहो ना मेडम...” रामू ने कहा।
मैं- “हाँ..” मैंने इतना ही कहा।
फिर रामू भी झूम उठा, और पूछा- “और ज्यादा मजा चाहिए मेडम?”
मैं सोच में पड़ गई कि कैसे? फिर भी मैं धीरे से बोली- “हाँ..."
उसने अपनी जीभ से फिर से मेरी चूत चाटनी चालू कर दी, पर इस बार वो अंदर डालने की बजाय चूत को दो उंगली से चौड़ी करके आगे के भाग पर जो जी-स्पाट होता है उसे चाटने लगा। उसकी ये हरकत मुझ पर भारी पड़ने लगी। आज तक सेक्स करते वक़्त एकाध दो बार मैं छोटी-छोटी सिसकारियां ले लेती थी, पर आज तो मेरे मुँह से सिसकारियां बंदूक की गोली की तरह फूटने लगीं- “आहह... उहह... उह्ह... अयाया... ओहह... अयाया...” और मुझे मजा बहुत आया।
रामू जोरों से जी-स्पाट चाट रहा था। मैं पागलों की तरह कराह रही थी। मुझे लगने लगा था कि अब मैं कभी भी झड़ सकती हूँ। मैंने सख्ती से रामू की सिर पकड़ लिया।
रामू- “मेडमजी इसे चूत का दाना कहते हैं..." रामू ने इतना कहकर फिर से चूत चुसाई चालू कर दी।
मेरा खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था। मैं बेड पर सोकर चुसवाना चाहती थी, पर इतनी देर रामू चूसना बंद कर दे वो भी मेरे लिए असह्य था।
रामू ने उंगली चूत में डाल दी और उससे चूत की चुदाई करने लगा, साथ में उसका चूसना जारी था। मेरी सांसें तो कब की भारी हो चुकी थीं, मैं जोरों से सांसें ले रही थी। तभी रामू ने मेरे ‘जी-स्पाट' को मुँह में लेकर जीभ से दबाया, और मेरी सहनशीलता खतम हो गई। मैं झड़ गई पर ये ओगैस्म मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे शानदार था।
मैंने फिर से पहली बार की तरह सिर हिलाकर हाँ कहा।
रामू- “बोलकर कहो ना मेडम...” रामू ने कहा।
मैं- “हाँ..” मैंने इतना ही कहा।
फिर रामू भी झूम उठा, और पूछा- “और ज्यादा मजा चाहिए मेडम?”
मैं सोच में पड़ गई कि कैसे? फिर भी मैं धीरे से बोली- “हाँ..."
उसने अपनी जीभ से फिर से मेरी चूत चाटनी चालू कर दी, पर इस बार वो अंदर डालने की बजाय चूत को दो उंगली से चौड़ी करके आगे के भाग पर जो जी-स्पाट होता है उसे चाटने लगा। उसकी ये हरकत मुझ पर भारी पड़ने लगी। आज तक सेक्स करते वक़्त एकाध दो बार मैं छोटी-छोटी सिसकारियां ले लेती थी, पर आज तो मेरे मुँह से सिसकारियां बंदूक की गोली की तरह फूटने लगीं- “आहह... उहह... उह्ह... अयाया... ओहह... अयाया...” और मुझे मजा बहुत आया।
रामू जोरों से जी-स्पाट चाट रहा था। मैं पागलों की तरह कराह रही थी। मुझे लगने लगा था कि अब मैं कभी भी झड़ सकती हूँ। मैंने सख्ती से रामू की सिर पकड़ लिया।
रामू- “मेडमजी इसे चूत का दाना कहते हैं..." रामू ने इतना कहकर फिर से चूत चुसाई चालू कर दी।
मेरा खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था। मैं बेड पर सोकर चुसवाना चाहती थी, पर इतनी देर रामू चूसना बंद कर दे वो भी मेरे लिए असह्य था।
रामू ने उंगली चूत में डाल दी और उससे चूत की चुदाई करने लगा, साथ में उसका चूसना जारी था। मेरी सांसें तो कब की भारी हो चुकी थीं, मैं जोरों से सांसें ले रही थी। तभी रामू ने मेरे ‘जी-स्पाट' को मुँह में लेकर जीभ से दबाया, और मेरी सहनशीलता खतम हो गई। मैं झड़ गई पर ये ओगैस्म मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा और सबसे शानदार था।