Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 4 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

सोनल की नज़रें सुनील के चेहरे पे ही गढ़ी हुई थी. उसके चेहरे पे छाई फीकी हसी के पीछे छुपे हुए दर्द को वो महसूस कर रही थी. दोनो माँ बेटा उस से कुछ छुपा रहे थे. मोम कितनी जान छिडकती है सुनील पे वो अच्छी तरहा जानती थी. कुछ ऐसी बात ज़रूर हुई है जिसे ये दोनो छुपा रहे हैं. ये ख़याल सोनल को बहुत तंग कर रहा था.

सुनील ने किसी तरहा चाइ ख़तम की और आँखें बंद कर वहीं सोफे पे अढ़लेटा सा हो गया. वो सोनल की नज़रों का सामना नही करना चाहता था और ना ही घर से बाहर जा कर उसके दिमाग़ में शक़ के कीड़े को और पनपने देना चाहता था.

सोनल सुनील के पास जा के बैठ गयी और झुक के उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर उसके माथे पे किस किया फिर उसके गालों पे किस किया.

‘अब तू मुझ से झूठ भी बोलने लगा, तू नही जानता सुनील तू मेरी रग रग में समा चुका है – पहले मैं समझी नही थी – या समझ के समझना नही चाहती थी – लड़ रही थी अपने आप से – पर आज मुझे पता चला है कि में तुझ से कितना प्यार करती हूँ – तू क्या माइने रखने लग गया है मेरे लिए – मैं तुझे कभी भी तकलीफ़ में नही देख सकती – आइ लव यू सुनील – आइ लव यू’ और सोनल के होंठ सुनील के होंठों से चिपक गये.

सुनील के लिए तो धरती हिल गयी – एक तरफ वो माँ और मोसा के संबंध को जान गया था और यहाँ उसकी बहन उसे प्रपोज़ करने लगी है. जीजा साली के संबंधों के बारे में उसने सुना था – पर भाई-बहन – ये तो – ये तो इन्सेस्ट है. क्या हो गया है सोनल को? वो फटी आँखों से सोनल को देखने लगा.
उसने खुद को सोनल से अलग किया और हैरानी से उसे देखने लगा.

‘ तू तू पागल तो नही हो गयी – जानती भी है तू क्या बोल रही है – मैं भाई हूँ तेरा कोई बॉय फ्रेंड नही’

सोनल आज सारी हदें पार कर गयी थी. वो अपने दिल की आवाज़ को पहचान गयी थी.

‘ आज नही तो कल तू मेरे प्यार को समझेगा – मैं सारी जिंदगी तेरा इंतेज़ार करूँगी – मैं नही जानती आज तुझे किस बात से तकलीफ़ हुई है – पर मैं इतना समझ गयी हूँ – मैं मर जाउन्गि तेरे बिना’

‘यू यू …..’

‘क्या यू यू – क्या मैं सुंदर नही हूँ – क्या मैं अच्छे घर से नही हूँ – क्या मुझ में काबिलियत नही है – क्या कमी है मुझ में’

‘दी क्या हो गया है तुमको – मैं भाई हूँ तुम्हारा’

‘है तो मर्द – है तो मेरा हीरो – है तो मेरी जान – है तो मेरी रग रग में बसा हुआ – ये भाई का लेबल लग गया तो क्या’

‘उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सम्भालो खुद को दी – ये कभी नही हो सकता’

‘होगा एक दिन – अगर मेरा प्यार सच्चा है तो होगा – मुझे कितना भी तड़पना पड़े तड़प लूँगी – एक दिन तो तुझे मुझ पे रहम आएगा ही और मैं जानती हूँ तू भी मुझ से प्यार करता है’

‘तुम बिल्कुल पागल हो गयी हो’

‘हां पागल हो गयी हूँ – अपने प्यार में पागल – अपनी रूह के मालिक के इंतेज़ार में पागल’

सोनल की आँखों में दर्द समा गया सुनील से ठुकराए जाने पे उसकी आँखें छलकने लगी.

‘दी समझा करो – ये मुमकिन नही है – और मैने कभी आपको इन नज़रों से नही देखा – आइ लव यू ऐज ब्रदर ओन्ली – आइ कॅन’ट बी युवर लवर’

‘ तुझे नही पता लड़कियाँ लड़कों की आँखों को पहचान जाती हैं – मानती हूँ तू ऐसा नही सोचता – खा मेरी कसम कि तेरे दिल में एक पल बस एक पल के लिए मेरे लिए वो भाव नही आए – जो तेरे लिए मेरी रग रग में समा चुके हैं’

‘ दी प्लीज़ अपनी जिंदगी को बर्बादी की राह पे मत डालो – अब भी वक़्त है सम्भल जाओ – ऐसा कुछ नही होने वाला’

‘पगले ये सिर्फ़ मर्यादा की दीवार तुझ से बुलवा रही है – समझ कि खोखले रिवाज तुझ से बुलवा रहे हैं – मैने देखा है – मैं जानती हूँ तू मुझ से बहुत प्यार करता है – इसलिए तो सच मुझ से छुपा रहा है ताकि मुझे कोई तकलीफ़ ना हो’

सुनील को समझ में ना आया कि अब क्या जवाब दे. वो खुद अपने दिल को टटोलने लग गया – पर दिमाग़ उसे बार बार चेतावनी देने लगा – दिल की परतें खुली ही नही दिमाग़ जीत गया.

‘दी स्टॉप इट – मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ’

सोनल के चेहरे पे मुस्कान आ गयी – वो समझ गयी कि सुनील उस से बहुत प्यार करता है – बस मर्यादा की दीवार उसे रोक रही है.
 
सोनल की आँखें छलक रही थी लेकिन उसका दिल अपने ज़ज्बात को बताने से उसे रोक नही पाया और एक गीत उसके लबों पे आ गया जिसने चलते हुए सुनील के कदम रोक दिए उसकी पीठ सोनल की तरफ ही रही पर उसके कदमो ने आगे बढ़ने से मना कर दिया.

वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाँहे
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाँहे
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन
जब हँसेगी कली रंग वाली कोई
जब हँसेगी कली रंग वाली कोई
और झुक जाएगी तुमपे डाली कोई
सर झुकाए हुए तुम मुझे पाओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाँहे
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन
चल रहे हो जहाँ इस नज़र से परे
चल रहे हो जहाँ इस नज़र से परे
वो डगर तो गुज़र है दिल से मेरे
डगमगाते हुए तुम यही आओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाँहे
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाँहे
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे

एक एक लफ्ज़ सोनल के दिल का हाल ब्यान कर रहा था और सुनील के दिल को चीर रहा था.

यहाँ सोनल के मुँह से निकलते हुए गीत ने सुनील के कदम रोक दिए - उसके दिल को झिझोड़ने लगे - उसका दिमाग़ उसे कोसने लगा - वो तो पागल हो गयी है तुझे क्या हो गया है - बहन है वो तेरी - अभी ज़ज्बात की रो में है - सम्भल जाएगी - और सही रास्ते पे आ जाएगी.

सुनील का दिल कर रहा था कि फुट फुट के रोए - बड़ी मुश्किल से खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था एक कड़वे सच को जानने के बाद और ये दूसरा आघात जो उसकी प्यारी बहन उसपे कर रही थी वो उसके लिए जानलेवा बनने लगा था. आख़िर सुमन और सागर ने ऐसे संस्कार भरे थे उसमे जिनकी वो किसी भी कीमत पे अवहेलना नही कर सकता था.

लेकिन उसके कदम क्यूँ रुक गये - वो क्यूँ सोनल की आवाज़ के साथ रुक गया - ये तो वो खुद भी नही जानता था.

इधर सोनल की आवाज़ रुकी उधर सुनील वहीं ज़मीन पे बैठ के फुट फुट के रोने लगा - ये दोहरा आघात उस से सहन नही हो रहा था.

सोनल ने जब सुनील को ज़मीन पे बैठ फुट फुट के रोते हुए देखा तो दिल ने चीत्कार भरी और वो लपक के सुनील के पास पहुँच के उसे अपने सीने से लगा के खुद भी रोने लगी.

उसे तो मालूम ही नही था कि उसके प्यार पे क्या गुजर रही है - वो तो बस यही समझी कि मर्यादा की दीवार उसके अंदर इतनी सख़्त थी कि वो अपनी बहन की वेदना को सहन नही कर पाया.

उधर वहाँ गोआ में ------

‘समर मुझ से और अपने बेटे से प्यार करते हो ना’

सुमन की आँखों में आँसू थे – उसे अपने बेटे का दर्द से भरा हुआ चेहरा दिख रहा था.

‘जाओ उन्दोनो को रोको – और हमारी आज की बुकिंग कर्वाओ कैसे भी करके’

‘मैं ये नही चाहता था यार – खैर तुम सागर को कुछ मत बताना – मैं करता हूँ’

समर ने फटाफट अपनी शर्ट पहनी और मोबाइल से कहीं फोन करने लगा – उसने सबकी वापसी की बुकिंग करवा ली – सुमन के बिना अब वो नही रुकना चाहता था – उसे भी सुनील की चिंता हो रही थी – आख़िर उसका बेटा था वो .


‘टिकेट्स हो गयी हैं – तुम मुझे हर पल की खबर डोगी’

सुमन ने हां में सर हिलाया पर उसके आँसू नही रुक रहे थे.
समर ने एक पल रुक के उसके आँसू पोंछने की कोशिश करी .

‘गो मेक हिम रेडी …..’
सुमन चिल्ला पड़ी.

समर कमरे से बाहर निकल गया और सुमन फुट फुट के रोने लगी.
 
उधर.......................

वहाँ सोनल सुनील को अपने सीने से चिपकाए रो रही थी और सुनील तो काबू में ही नही आ रहा था उसका बहुत बुरा हाल था.

‘मत रो यार – मेरा प्यार कबूल नही है तो कोई बात नही – पर रो मत मेरी जान’

सुनील सोनल को कैसे बताता कि उसपे क्या गुजर रही है.

रोते हुए हिचकियाँ लेते हुए सुनील बोल पड़ा

‘दी मैं तेरे लायक नही – प्लीज़ ये ख़याल अपने दिमाग़ से निकाल दे’

‘ तू नही चाहता कोई बात नही – पर अपने मन मंदिर में जिसको बिठा चुकी हूँ उस देवता की बस आराधना करती रहूंगी – कभी तो प्रसाद मिलेगा अपनी पूजा का--- तू भूल जा सब – बस रो मत मेरी जान – मैं तेरा दर्द तेरे आँसू नही सह सकती – चुप हो जा यार वरना मुझे कुछ हो जाएगा – मुझे नही मालूम था मैं इतनी बुरी हूँ ---- बस तू चुप होज़ा – प्लीज़ मेरे लिए’

सुनील के आँसुओं को एक दम जैसे ब्रेक लग गया – उसकी बहन रोए ये भी तो वो सहन नही कर सकता था.

सागर और सुमन एक साथ फ्लाइट में बैठे हुए थे . सागर के दिमाग़ में बहुत सवाल थे क्यूंकी समर ने उसे कुछ नही बताया था.

‘सूमी – क्या बात है? यूँ अचानक वापसी – समर ने कहा था कि सुनील की तबीयत खराब हो गयी है’

‘ह्म्म मुझे उसकी बड़ी चिंता रहती है – तुम तो जानते ही हो कि उस हादसे के बाद उसे कुछ भी हो मैं सहन नही कर सकती’ सुमन ने असली बात छुपाई लेकिन दिल में एक डर बैठा हुआ था कि कहीं सुनील खुल के फट ना पड़े.

‘हे इस आ ब्रेव गाइ – योउ नो इट – क्या हुआ है – लगता है कुछ छुपा रही हो’

‘तुम से कभी कुछ छुपाया है क्या’ सुमन सागर की गर्देन पे एक चुंबन करते हुए बोली.

पता नही क्यूँ सागर का दिल ज़ोर से धड़क रहा था – उसे ऐसा लग रहा था – जैसे तूफान से पहले हवा शांत हो गयी हो. फ्लाइट में भी उसे यही एहसास हो रहा था.

‘सागर तुमने कभी सोचा?’

सागर के कान खड़े हो गये – ये लफ्ज़ उसे आने वाले तूफान का संकेत दे रहे थे – उसके दिल की धड़कन और भी तेज हो गयी .

सुमन उसके साथ चिपक के बैठी हुई थी उसे सागर की बड़ी हुई धड़कनों का एहसास हो रहा था.

लेकिन सागर उसका प्यार था – उसका सब कुछ था – जो तूफान जिंदगी में आ गया था – अगर उसके बारे में सागर को बाद में पता चलता तो उनके अपने रिश्तों में दरार आ जाती.

‘तुम कहना क्या चाहती हो यार – ये अचानक वापस जाना – सुनील की तबीयत खराब होना – कुछ समझ नही आ रहा – क्या हुआ है सुनील को’

‘ही ईज़ सफरिंग फ्रॉम एमोशनल सेट बॅक’

‘मतलब? ऐसा क्या हो गया कहीं उसकी और सोनल की लड़ाई हुई है क्या – पर ये तो हो ही नही सकता’

सुमन को समझ नही आ रहा था कैसे सागर को बताए – वो शब्दों को खोजने लगी.

‘लुक डॉन’ट मेक मी टेन्स – शूट आउट दा फॅक्ट्स’

‘तुमने कभी सोचा कि बच्चों को अगर सच का पता चल गया तो क्या होगा?’

सुमन का ये सवाल सागर के दिल और दिमाग़ की धज्जियाँ उड़ा गया – उसे एक अंजाना डर लगने लगा – बेटी को अपना नही सकता और जिस बेटे पे अपना सब कुछ लूटा दिया उसे खोने का डर उसे पागल करने लगा.

'सूमी सूमी प्लीज़ मुझे डरा मत - आज तक तूने ये सवाल नही उठाया - आज क्यूँ - प्लीज़ जान - मुझे एक डर सा लगने लगा है आज जिंदगी में पहली बार-
ये आज तुम्हें क्या हो गया है ? क्यूँ ऐसी बहकी बहकी बातें कर रही हो?’

‘कुछ नही – पता नही – क्यूँ एक डर सा लगने लगा है’ सुमन एक डर से सहमी हुई थी.

‘चल स्टुपिड – जब तक उसे कोई कुछ बताएगा नही – उफफफ्फ़ तेरे चक्कर में मैं भी क्या सोचने लग गया- वैसे हुआ क्या है सुनील को – कॉन सा एमोशनल सेट बॅक हुआ है – कहीं उसकी कोई गर्ल फ्रेंड?’

‘काश उसकी कोई गर्ल फ्रेंड होती – सोनल का फोन आया था कि वो बहुत परेशान है – उसे इस हालत में छोड़ हम मस्ती करें….’ सुमन ने बातों के रुख़ को बदलने की कोशिश करी’

‘तुम्हारे किसी फ़ैसले पे मैने कभी सवाल उठाया है जान – तुम ऐसे ही घबरा रही हो – ही ईज़ आ ब्रेव बॉय’

‘लेट’स होप सो – अब ये अकेले की छुट्टियाँ बंद – वी वॉन’ट लीव किड्स अलोन’

‘ ऐज यू विश – बट दे आर नो मोर किड्स डार्लिंग – दे वुड लाइक टू फ्लाइ इन देयर ओन डाइरेक्षन्स’

सागर जानता था सुमन बच्चों से कितना प्यार करती है – उसकी साँसे बच्चो में ही अटकी रहती है – जो तूफान आ चुका था उससे बेख़बर वो सुमन के कंधे पे सर रख आराम से बैठ गया.

वहाँ हॉल में ज़मीन पे सोनल सुनील को खुद से चिपकाए रो रही थी. भाई ने तो किसी तरहा अपने आँसू जब्त कर लिए पर बहन का बुरा हाल हो गया था – उसे भी तो दो दो गम एक साथ मिले – पहला भाई का यूँ परेशान होना और दूसरा उसके प्यार की कोई कद्र ना होना.

सुनील ने खुद को संभाला और सोनल को अपनी बाँहों में उठा के उसके बेडरूम में ले गया. जैसे ही उसने सोनल को उसके बिस्तर पे लिटाने की कोशिश करी सोनल उसके साथ चिपक गयी और सुनील खींचता हुआ सोनल के उपर गिर पड़ा – एक अजीब सा सकून सोनल को मिला – चाहे दोनो के जिस्म वस्त्रों में क़ैद थे – पर इस एक साथ जुड़े होने का अहसास कुछ था जिसे सोनल तो समझ रही थी पर सुनील अंजान था – या अंजान बना रहना चाहता था.

‘ दी बस अब चुप हो जाओ और खुद को सम्भालो’

‘कैसे सम्भालूं खुद को – जब मेरा प्यार दुखी हो’

‘उफ्फ तुम भी…. खैर… छोड़ो मुझे आंड टेक रेस्ट’

‘तुझे छोड़ ही तो नही सकती’ सोनल ने पलटी मारी और सुनील के उपर आ गयी. उसके मम्मे सुनील की छाती में धँस गये और सोनल के मुँह से एक अहह निकल पड़ी.

अपनी भीगी आँखों से सोनल सुनील को निहारने लगी जो खुद दर्द के सागर में गोते खा रहा था. सोनल का चेहरा सुनील के चेहरे पे झुकता चला गया.

सोनल सुनील की भीगी पलकों में बसे आँसू के कतरो को अपनी ज़ुबान से समेटने लगी – सुनील बेबस हो गया – वो उठना चाहता था पर सोनल का ये प्यार उसके अंदर अजीब सी भावनाओं को जगाने लगा – वो भावनाएँ जिनसे वो दूर रहना चाहता था. सोनल सुनील के गालों को चाटने लगी – वो नमकीन आँसू सोनल को किसी मिठाई से कम नही लग रहे थे – वो आँसू उसके प्यार के थे और वो उन्हें अपने अंदर समाती जा रही थी.

सुनील ने बिस्तर को अपनी मुट्ठी में जाकड़ लिया – वो सोनल को अपनी बाँहों में समेटना चाहता था – पर उसका दिमाग़ उसे हर बार रोक रहा था.

सोनल जितना उसे प्यार करती जा रही थी – वो उतना ही तड़पने लगा

कम ऑन दी स्टॉप इट नाउ – सुनील ने सोनल को खुद से परे किया और अपने रूम में जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

सुनील के जाने के बाद सोनल बिस्तर पे ही लेटी रही – और अभी जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी.

उफ्फ ये क्या कर दिया इतनी हिम्मत उसमे कैसे आ गयी – अपने भाई से प्यार का इज़हार कर बैठी. क्या ये ठीक है ? क्या मैं वाकयी में उसे प्यार करने लगी हूँ. क्या ये संभव है ? नही कोई भी उसके प्यार को कबूल नही करेगा – मोम डॅड तो मार ही डालेंगे – और सुनील – वो भी तो उसके प्यार को कबूल नही कर रहा.
 
सुनील अपने कमरे में बैठ सोच रहा था कि सोनल को क्या हो गया है . उसने कभी सोनल को वासनात्मक दृष्टि से नही देखा था. उसके लिए वो सिर्फ़ एक प्यारी बहन थी. सोनल को किस तरहा समझाए उसे कुछ भी पल्ले नही पड़ रहा था – सोचते सोचते वो इस निर्णय पे पहुँच गया कि उसे हॉस्टिल चले जाना चाहिए – सोनल की नज़रों से दूर हो जाएगा तो ये भूत जो उसके सर पे चढ़ा है अपने आप उतर जाएगा. और सुनील ने सागर से भी बात करने की सोची कि सोनल की शादी करवा देनी चाहिए. एमडी तो शादी के बाद भी होज़ायगी.

आधी रात को सागर और सुमन घर पहुँच गये – दोनो बच्चे अपने कमरों में सो चुके थे – जैसा कि उन्होने सोचा. सागर ने अपनी चाभी से घर खोला.

दोनो लगेज को वहीं हाल में छोड़ अपने कमरे में चले गये. सागर तो सो गया पर सुमन को नींद नही आ रही थी. सागर के सोने के बाद उसके कदम सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गये. लाइट जल रही थी. यानी सुनील जाग रहा था – सुमन की ममता चीत्कार भर उठी – उसकी वजह से आज उसका बेटा तकलीफ़ में था. सुमन ने दरवाजा खोलने की कोशिश करी पर वो तो सुनील ने अंदर से बंद कर रखा था.

पहले तो सुमन ने सोचा कि वापस अपने कमरे में चली जाए – पता नही क्यूँ उसने हल्के से दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया.

अंदर – आवाज़ आई – दी अभी तक सोई नही क्या. प्लीज़ सो जाओ.

सुमन : बेटा मैं हूँ – दरवाजा खोलो.

सुमन की आवाज़ सुन सुनील सकते में आ गया. वो तो सुबह तड़के निकल जाना चाहता था – उसे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी कि उसके माँ बाप अपना हॉलिडे बीच में ही कॅन्सल करके आ जाएँगे.

'मोम इट्स टू लेट आप थके होगे सो जाइए – सुबह बात करेंगे.'
‘मैने कहा दरवाजा खोलो’

मरता क्या ना करता सुनील को दरवाजा खोलना ही पड़ा.

सुनील ने दरवाजा खोला और नज़रें झुकाए पीछे हट गया.

सुमन अंदर आ गयी और गहरी नज़रों से सुनील को देखने लगी – माँ की नज़रें फॉरन पहचान गयी कि उसका बेटा तकलीफ़ में है.

सुमन ने इस वक़्त एक पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी – जिसमे से उसका गदराया हुआ जिस्म झलक रहा था.

कुछ देर सुनील को निहारने के बाद सुमन आगे बड़ी और सुनील को अपनी बाँहों में भर उसके माथे पे चुंबन अंकित करने लगी और फिर उसके गालों को चूमने लगी.

सुमन सुनील से चिपकी हुई थी और उसके मम्मे सुनील की छाती में धँस रहे थे नाइटी इतनी पतली थी कि सुनील को अपनी नंगी छाती पे सीधे अपने माँ के मम्मो का अहसास होने लगा . वो सिहर उठा कुछ बोलना चाहता था पर बोल नही पा रहा था.

‘मैने अपने बेटे को बहुत तकलीफ़ दी ना’ सुमन चूमते हुए बोली.

सुनील हैरान रह गया – उसे तो सपने में भी इस बात की उम्मीद नही थी कि उसकी माँ इस तरहा बात की शुरुआत करेगी.

‘त्त्त्तक्लीफ को कॉन सी तकलीफ़ – आप मुझे कभी तकलीफ़ दे ही नही सकती’ सुनील हकलाते हुए बोला.

'बेटा मुझे नींद नही आ रही क्या तेरे साथ सो जाउ – शायद नींद आ जाए.'

सुनील के लिए तो ये एक बॉम्ब के धमाके से कम ना था – उसके दिमाग़ में फोन पे सुनी हुई बातें घूमने लगी



‘मोम आप यहाँ सोना चाहती हैं’सुनील हैरानी से बोला.

‘क्यूँ अपने बेटे के पास नही सो सकती क्या?’

‘न…न…आ मेरा मतलब था कि आपको पापा के पास ही रहना चाहिए था –अगर रात को उन्हें कुछ ज़रूरत हो तो….’

‘बच्चे नही हैं वो और आज मेरा मन अपने बेटे के साथ रहने का कर रहा है- तुझे कोई इतराज़ है क्या?’

‘इतराज़ !! नहीं मोम बेशक आप यहाँ सो जाइए’

‘चल तू भी लेट जा’

सुनील जा के बिस्तर पे लेट गया और सुमन भी उसके साथ लेट गयी.

‘सुनील – तुझ से कुछ बात करनी थी’

सुनील को फोन की बातें याद आने लगी . वो चुप रहा और अपनी आँखें बंद कर ली.

‘बेटे आज जो मैं तुझे बताने जा रही हूँ – वो बस अपने तक ही रखना’

‘मोम अगर आप मोसा जी के बारे में बात करना चाहती हो – तो मुझे कुछ नही सुनना – मेरे डॅड नीचे सो रहे हैं और वही मेरे डॅड हैं – मैं और कुछ नही सुनना चाहता’
 
सुमन आवक रह गयी कितनी आसानी से सुनील ने ये कह डाला – उसे तो शब्द ही नही मिल रहे थे बात शुरू करने के लिए .

सुमन उपर उठी और सुनील के माथे को चूमते हुए बोली – ‘ सुनील बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो वो बच्चे नही रहते दोस्त बन जाते हैं’

‘तेरी जिंदगी का कड़वा सच ये है कि समर तेरे असली पापा हैं और रूबी के पापा सागर हैं.’

ये बोल के वो सुनील की आँखों में देखने लगी – उसकी आँखों में दर्द की लहरें दिख गयी उसे – आख़िर माँ जो थी.

सुनील चुप रहा कुछ नही बोला.

‘मैं जानती हूँ उस दिन फोन पे तूने कुछ सुना था – लेकिन ये सच हम शायद नही बताते – पर अब बताना ज़रूरी हो गया था. ये सब कैसे हुआ …..’

‘मुझे कुछ नही सुनना मोम – मैं पहले भी कह चुका हूँ मेरे डॅड सागर हैं – बस --- अब और कुछ नही’

सुनील अपनी पूरी कोशिश कर रहा था कि बात यहीं ख़तम हो जाए – वो अपने मोम डॅड की सेक्स लाइफ के बारे में नही सुनना चाहता था वो भी अपनी माँ से. ना जाने क्या सोच के मोम ये सब बोल रही थी – ना जाने कितनी तकलीफ़ हो रही होगी मोम को. काश उस दिन मोम फोन काट देती और उसे कुछ सुनाई ना देता.

‘लेकिन मुझे बताना है – क्या मैं अपनी भावनाएँ अपने बेटे – अपने दोस्त के साथ नही बाँट सकती – बरसों से सुलग रही हूँ मैं- मेरा पास कोई नही जिससे मैं अपने दिल की बातें कर सकूँ – क्या मेरा बेटा भी मेरा साथ नही देगा’ सुमन की आँखों में आँसू आ गये.

‘मोम – कुछ बातें बच्चों से नही करी जाती’
‘अधूरा सच बहुत ख़तरनाक होता है – तुझे पूरा सच नही पता – और आज मैं तुझे पूरा सच बताउन्गि – मेरे दिल का बोझ भी हल्का हो जाएगा और तेरा दुख भी थोड़ा कम’

सुमन ने अपना सर सुनील की छाती पे रख लिया और सुनील अपनी माँ के बाल सहलाने लगा.

‘मोम आप रेस्ट करो – बातें तो फिर भी हो जाएँगी’

‘नही सुनील आज मुझे खुद को हल्का करने दो ‘

सुनील आगे कुछ नही बोल पाया. फिर भी उसने एक आख़िरी कोशिश करी.

‘मोम आपको तकलीफ़ होगी – मैं बेटा हूँ आपका – और कोई माँ अपने बेटे से अपनी सेक्स लाइफ नही डिसकस करती – मैं नही चाहता आपको कोई तकलीफ़ हो’

सुमन ने सुनील के चेहरे पे फिर चुंबनो की झड़ी लगा दी .

‘हां बेटे से नही पर एक दोस्त से तो कर सकती है – अब बेटा ही वो दोस्त हो तो क्या प्राब्लम – और वो भी तो जुड़ा हुआ है – उसे भी तो हक़ है सच जानने का’

‘ऐज यू विश' – सुनील ने अपने हथियार डाल दिए.

सुमन सुनील की छाती पे हाथ फेरने लगी और बोलना शुरू कर दिया.

'तेरी मासी की शादी मेरी शादी के तीन साल बाद हुई थी. जिस दिन तेरी मासी की सगाई हुई थी तब समर –मेरा होने वाला जीजा - ने कहा था कि अगर मेरी शादी पहले ना हुई होती तो वो मुझ से ही शादी करता. मैं बात को मज़ाक में ले कर भूल गयी. तब सोनल नही पैदा हुई थी.

उसी साल सोनल का जनम हुआ और रमण का भी इसलिए दोनो की उम्र बराबर है.

हमारा समाज ऐसा है कि औरत को बहुत कुछ सहना पड़ता है. समर तेरे डॅड का अच्छा दोस्त बन गया. और जब सोनल पैदा हुई तो मुझ पे और निखार आ गया था. समर तब यहीं रहता था मुंबई तो वो काफ़ी साल बाद शिफ्ट हुए थे.

हरहफ्ते समर सविता और बच्चे को लेकर हमारे यहाँ आ जाता . शाम को तेरे डॅड और वो दोनो दारू पीने बैठ जाते. मैं और सविता तो दोनो बच्चों को ले कर बेड रूम में अपनी बातें करते रहते थे.
 
समर ने तेरे डॅड को स्वापिंग के लिए तयार कर लिया. तेरे डॅड को भी तेरी मासी में इंटेरेस्ट हो गया. मैने बहुत मना किया पर समर ने तेरी मासी को भी राज़ी कर लिया.

एक दिन मैं हॉस्पिटल से घर पहुँची तो देखा तेरे डॅड तेरी मासी के साथ बिस्तर पे लगे हुए थे.

मेरे हाथ पैर फूल गये क्यूंकी अब मेरे लिए सारे रास्ते बंद हो चुके थे – मुझे मजबूरन समर की बाँहों में जाना पड़ा.

लेकिन मुझे समर के साथ बहुत मज़ा आया उसका स्टाइल तेरे डॅड के स्टाइल से बहुत अलग है. फिर ये सिलसिला चल पड़ा और महीने में एक बार हम स्वापिंग करने लगे.


सुनील मेरी बात समझने के लिए सेक्स को समझना बहुत ज़रूरी है. क्या जानते हो तुम सेक्स के बारे में?

सुनील की हालत खराब होने लगी. उसकी माँ उससे ये सवाल भी पूछेगी. एक बार तो उसे यूँ लगा कि उसके कान खराब हो गये हैं - वातावरण में ठहरी हुई कोई ध्वनि उसे सुनाई दे गयी है. उसकी आँखें तक फट पड़ी और सुमन उसकी हालत देख हँसने लगी. हँसते हुए सुमन बोल पड़ी

'ऐसे क्या आँखें फाडे देख रहा है. माँ बाप बच्चों को सब कुछ सीखाते हैं - तो सेक्स क्या है ये भी तो माँ बाप की ज़िम्मेदारी होती है बताना.'



सुनील के चेहरे के रंग बदलते जा रहे थे. शर्म के मारे उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया जैसे जिस्म का सारा खून उसके चेहरे पे आ गया हो. उसका दिल कर रहा था उठ के भाग जाए. पर वो सुमन का दिल भी नही तोड़ना चाहता था.
सुमन गौर से उसके चेहरे के बदलते रंगो को देख रही थी. फिर बड़े प्यार से उसके निपल को सहलाते हुए बोली.


'देखो तो मेरा जवान बेटा कैसे शर्मा रहा है'



सुनील ने एक बार कहीं पढ़ा था कि जापान में बेटों को सेक्स माँ ही सीखाया करती थी - पढ़ के उसे हँसी आई - लेकिन आज जो उसके साथ हो रहा था उसे वो बात ठीक लगने लगी - ज़रूर ऐसा होता होगा - तभी तो उसकी माँ..... फिर उसे समर की बात जो फोन पे हुई थी याद आई - कैसे उसने माँ को कन्विन्स किया था - मुझे ट्रेन करने के लिए - तो क्या माँ सब कुछ करेगी मेरे साथ - नही नही ये कैसे हो सकता है - वो तो बस अपने दिल का गुबार निकाल रही है.


सोचते सोचते सुनील अपनी आँखें बंद कर लेता है. उसे सुमन से नज़रें मिलाने में अब तकलीफ़ होने लगी थी.

सुनील के चेहरे को देखते हुए सुमन को समर की याद आने लगी - सुनील की कद काठी बिल्कुल समर पे गयी थी - सुमन के जिस्म में उत्तेजना का संचार होने लगा . पर खुद को संभाल के वो कुछ और सोचने लगी - सुनील के अंदर की शर्म को ख़तम करने का उपाय उसके दिमाग़ में आ गया.

'नींद आ रही है क्या"

'मोम आधी रात से ज़यादा का वक़्त हो गया है सुबह कॉलेज भी जाना है'

'नही तुम 4 दिन कॉलेज नही जाओगे - हम दोनो कल बाहर जा रहे हैं- चलो अब सो जाओ कल बात करते हैं'
सुनील के माथे को चूम के सुमन सागर के पास चली गयी.

दूसरे कमरे में सोनल अभी तक जाग रही थी. उसकी आँखों से नींद उड़ चुकी थी - बार बार अपने आप से सवाल करती कि क्या वो सच में सुनील से प्यार करने लगी है. हर बार खुद को यही जवाब देती - हां.

अपने मम्मो पे सुनील की सख़्त छाती के दवाब का उसे अब भी अहसास हो रहा था - वो खुद अपने मम्मे मसल्ने लगी और बंद आँखों से सुनील का तस्सवुर लेने लगी

'ओह सुनील - लव मी जान
अपने आप से खेलते हुए वो बार बार यही बड़बड़ा रही थी.

अहह सुनील - सिसकते हुए सोनल ने अपने मम्मे ज़ोर से मसल डाले. रात भर वो सो नही पाई.

समर और सविता भी अपने घर पहुँच गये. दोनो का ही मूड ऑफ था क्यूंकी मस्ती अधूरी रह गयी थी.

समर सुनील को ले कर भी परेशान था. उसने अगले दिन सुमन से बात करने का सोचा ताकि सुनील की हालत के बारे मे पता चल सके.

यहाँ सुमन के जाने के बाद - सुनील ने एक ठंडी सांस भरी - नींद तो आ नही रही थी - उठ के कुर्सी पे बैठ गया और आज जो कुछ भी उसके साथ हुआ उसके बारे में सोचने लगा.

उसे समर पे गुस्सा आने लगा - उसकी वजह से ही मोम उसके साथ सेक्स के उपर बात करने लगी है. दिल कर रहा था जा के उसका जबड़ा तोड़ दे. पता नही क्या जादू कर रखा था मोम पे - जो मोम उसकी बातों पे अमल करने लगी है.


सुमन सागर के साथ चिपक के लेट गयी- पर वो गहरी नींद में था उसने कोई हरकत नही करी. सुनील को अपनी दास्तान सुनाते हुए वो काफ़ी गरम हो गयी थी और उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी - दिल कर रहा था कि सागर अभी उठे और उसे चोद डाले. सागर की तरफ से कोई प्रक्रिया ना पा के वो उस से अलग हो गयी . अपनी नाइटी कमर तक उँची कर वो अपनी चूत सहलाने लगी. आँखें बंद करी तो सुनील का चेहरा नज़र आया - अहह सुनिल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल सिसकते हुए अपनी चूत में उंगलियाँ घुसा डाली और अपनी चूत की कुटाई करने लगी.

उम्म्म्ममममम सुनीिीईईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल उसे बहुत ज़ोर का ओर्गसम हुआ वो भी बहुत जल्द शायद ये सुनील को अपने ख़यालों में रखने का असर था.

कुछ ही देर में वो सो गयी.
 
चिड़ियों का चहचाहाना शुरू हो गया था - सुमन की आँख खुल गयी एक नये दिन का स्वागत करने के लिए. चेहरे पे छाई मुस्कान फीकी पड़ गयी - वो अपनी रात को की गयी हरकत के बारे में सोचने लगी.

उसे सुनील के बर्ताव पे ताज्जुब हो रहा था. जिस टाइप की लाइनाये वो पहन के गयी थी कोई और शख्स होता तो टूट पड़ता - पर सुनील की नज़रों में एक पल के लिए भी उसके सुंदर जिस्म की प्रशंसा का भाव नही आया. - क्या सुनील की मर्यादा की दीवार इतनी पक्की है - सुनील को कभी लड़कियों के साथ नही देखा सिवाय रजनी के जो इसके पीछे पड़ी है पर ये उसे घास तक नही डालता.

सुमन को सुनील के चेहरे पे बसे हुए दर्द का ध्यान आ गया. हाई राम कितना तकलीफ़ में है - पर कुछ भी नही बोला - क्यूँ? कहीं वो हम से दूर तो नही चला जाएगा? नही नही हम तो मर जाएँगे उसके बिना.

क्या जो मैं कर रही हूँ - क्या वो ठीक है? समर तो पागल है दिमाग़ खराब कर के रख दिया मेरा.

यहाँ सुमन कमरे मैं बैठी सोच रही थी और सुनील जो रात भर नही सोया था अपने कमरे में बॅग पॅक कर रहा था हॉस्टिल जाने के लिए.

सोनल भी रात भर नही सोई - अपने आपसे सवाल करती रही और अंत में इस नतीजे पे पहुँची कि वो असल में सुनील की दीवानी हो चुकी उसकी नस नस सुनील से प्यार करती - उसकी रूह सुनील के प्रेम रस के लिए तड़प रही है - अब किस्मत में जो लिखा है देखा जाएगा- अगर उसका प्यार सच्चा है तो आज नही तो कल सुनील उसे ज़रूर मिलेगा. अपने आप को तसल्ली देती हुई वो किचन की तरफ बढ़ गयी. उसे अभी तक नही पता था कि मोम डॅड आ चुके हैं.

चाइ तयार करते वक़्त उसकी नज़र हॉल में पड़े लगेज पे गयी - ओह तो मोम डॅड आ गये पर कब पता ही नही चला. उसने चाइ में पानी और दूध और मिलाया 2 कप और तयार करने के लिए.

चाइ जब रेडी हो गयी तो पहले वो मोम डॅड के कमरे में गयी - नॉक किया तो सुमन ने अंदर बुला लिया. सुमन की तेज नज़रें ताड़ गयी कि सोनल रात भर नही सोई है.

माँ बेटी दोनो गले मिली .

'क्या बात है गुड़िया रात को सोई नही क्या?'

'बस ऐसे ही नींद नही आई सुनील के बारे में सोच रही थी - पता नही क्या हो गया है उसे'

'कुछ नही हुआ - ठीक हो जाएगा- जा उसे चाइ दे आ - मैं तेरे डॅड को जगाती हूँ'

सोनल सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी .

अभी सोनल चाइ लेकर सुनील के कमरे तक पहुँची ही नही थी - कि उसने सुनील को कमरे से बाहर निकलते हुए देखा एक दम तयार और हाथ में सूट केस.

'कहाँ जा रहा है सुबह सुबह - और ये सूटकेस?'

सुनील कुछ जवाब नही देता.

'चल बैठ के चाइ पीते हैं - मोम डॅड भी आ चुके हैं'

'मैं हॉस्टिल जा रहा हूँ'

'क..क्क़...क्क़..क्यूँ?' सोनल को लगा जैसे किसी ने उसके कानो में बॉम्ब फोड़ दिया हो.

सुनील बहाना बनाता है - ' डेली अप डाउन से टाइम बहुत वेस्ट हो रहा है - पढ़ाई का बहुत नुकसान होता है'

'चल चल अंदर बैठ पहले चाइ पी- नाश्ता कर फिर बात करते हैं'

सुनील तो सुमन को अवाय्ड करना चाहता था. वो नही रुकता और सोनल को साइड कर आगे बढ़ जाता है.

'प्लीईईईईईईईईईईज़ मेरे लिए रुक ज़ाआाआ' सोनल चिल्लाती है जो नीचे सुमन और सागर भी सुन लेते हैं.

सुनील नही रुकता.

'मर जाउन्गि मैं अगर तू गया' सोनल के हाथ से ट्रे नीचे गिर जाती है - वो सुनील के पीछे भागती है. सुनील नीचे हॉल में पहुँच चुका था और गेट की तरफ बढ़ाने लगा था.

सागर और सुमन घबराए से बाहर निकलते हैं - सोनल को पागलों की तरहा हॉल की तरफ भागते हुए देखते हैं -
 
सुनील हाल का गेट खोल रहा था. सोनल उसे पीछे से पकड़ लेती है.

'मुझे छोड़ के मत जा' सोनल के मुँह से ये लफ्ज़ निकले और वो बेहोश हो के सुनील की कमीज़ को खींचते फाड़ते हुए नीचे गिर पड़ी.

'दीईईईईईईई' सुनील घबरा गया सोनल की ये हालत होगी उसने सपने में भी नही सोचा था. सूटकेस छूट के गिर गया और उसने फटाफट सोनल को अपनी गोद में उठाया और सोफे पे लिटा दिया.

सागर और सुमन भी वहाँ पहुँच चुके थे - दोनो ने सोनल को गिरते देखा था - सोनल - सोनल दोनो चीखते हुए लपके.

सुनील भाग के किचन से पानी ले आया - सागर सोनल का चेकप करने लग गया.

सुमन ने गुस्से से सुनील की तरफ देखा - जो जिंदगी में आए तूफान से मुकाबला ना कर भाग रहा था.

सुमन सुनील से पानी ले सोनल के मुँह पे छींटे मारती है - कुछ पलों में सोनल की आँखें खुल जाती है - वो घबराई हुई इधर उधर देखती है और सुनील जो वहीं पास ज़मीन पे बैठा उसे देख रहा था - उसे खींच के उसके चेहरे को चूमने लगती है - 'मेरा हीरो मुझे छोड़ के जा रहा था - नही जाएगा ना - मेरा रखवाला चला गया तो मेरा क्या होगा' सोनल की आँखों में आँसू थे. उसे होश में आया देख दोनो माँ बाप ठंडी सांस भरते हैं.

बहन का प्यार भाई के लिए देख दोनो माँ बाप की आँखें भर गयी. तभी सागर ने पूछ ही लिया.

'क्या है ये सब-- कहाँ जा रहा था तू - वो भी बिना बताए?'

सागर की आवाज़ में गुस्सा और दर्द दोनो ही थे.

सोनल सुनील से जोंक की तरहा चिपक गयी और उसने ही जवाब दिया - 'हॉस्टिल जा रहा था - मुझे छोड़ के - नही जाने दूँगी'

'होस्टेल!! --- पर अभी क्यूँ अभी तो टाइम है - 4 महीने पड़े हैं - और जा भी रहे थे तो पहले हम से बात तो करते - ये कॉन सा तरीका हुआ.'

'शायद ये भूल गया - हम इसे कितना प्यार करते हैं - हमारा वजूद शायद ख़तम हो गया इसके लिए' सुमन दर्द भरी आवाज़ में बोली.


'मोम!!!!!' सुनील लग भग चीख पड़ा - उसकी आँखों में भी आँसू आ गये - असल बात वो बोलना नही चाहता था - सोनल पे क्या असर पड़ेगा - सागर क्या सोचेगा.

'सॉरी डॅड - सॉरी मोम - मैं कुछ परेशान था - ये रोज आने जाने में टाइम वेस्ट हो रहा था - और एमबीबीएस करना कोई मज़ाक तो नही - पहले भी कितना मेरा मिस हुआ - बड़ी मुश्किल से बॅक लोग पूरा किया था - अब प्रेशर ज़यादा बन रहा है'

सुमन तो समझ गयी कि झूठ बोल रहा है . सागर - हँस पड़ा ' वाह मेरे शेर इस बात से इतना परेशान कि बिना बताए हॉस्टिल जाने की तैयारी - और हमारे बारे में कुछ नही सोचा - तुझे गायब पा कर हमारी हालत क्या होती - देख अपनी बहन को क्या हाल हुआ है उसका'

सुनील अपने हाथ जोड़ लेता है - सॉरी डॅड - सॉरी ऑल.

सागर - उसे गले से लगा लेता है - सॉरी की ज़रूरत नही बेटे - बस ज़िम्मेदारी को मत भूला करो.

सुमन : जा सूटकेस कमरे में रख - मैं आती हूँ चाइ लेके.

सुमन - सोनल के गालों पे किस करती है 'इतना प्यार अपने भाई से - कुछ हमारे लिए भी है या नही'

'मोम ' सोनल सुमन के गले लग गयी और सुमन प्यार से उसके बालों में हाथ फेरने लगी.

'चल जा फ्रेश हो जा - मैं चाइ बनाती हूँ'

सोनल फ्रेश होने चली गयी - सुनील कमरे में बैठा सोचने लगा अब क्या करे.

सागर भी अपने कमरे में चला गया.

सुमन ने पहले सोनल को चाइ दी फिर वो सुनील के कमरे में गयी . सुनील अपने ख़यालों में डूबा बिस्तर पे अढ़लेटा कहीं खोया हुआ था.
चाइ टेबल पे रख सुमन उसके पास बैठ गयी.
 
'ये क्या हरकत थी - ऐसे कोई मैदान छोड़ के जाता है - इतना कमजोर कैसे हो गया तू'

सुनील अपने ख़यालों से वापस आया.

'कमजोर नही हूँ - खुद को पहचानने की कोशिश कर रहा हूँ - कभी सोचा है क्या होगा उस लड़के का हाल जब उसे पता चले - ही ईज़ आ बस्टर्ड'

सुमन के दिल की धड़कन जैसे रुक गयी- उसे यूँ लगा कि किसीने उसे गहरे अंधे कुएँ में फेंक दिया हो - चारों तरफ अंधेरा - उसे अपना बेटा खोता हुआ नज़र आया'

धाड़ एक ज़ोर का चाँटा सुनील के गाल पे पड़ा - सुमन का चेहरा इस वक़्त चन्डिमाई के प्रकोप की तरहा लाल हो गया था - नथुने फूलने लग गये थे.

'तेरी हिम्मत कैसे हुई खुद को बस्टर्ड कहने की- जानता भी है - माँ ही बताती है कि कॉन बाप है - माँ को ही पता होता है सब - क्या कमी रखी है सागर ने - दिल का टुकड़ा है तू हमारा'

'लेकिन जिसे सारी जिंदगी अपना बाप समझता था - वो मेरा बाप नही - मैं उसका खून नही - तुम लोगो की वासना का परिणाम हूँ मैं'

सुमन से बर्दाश्त नही हुआ - गुस्सा हवा में उड़ गया- ग्लानि ने उसे घेर लिया और वो फुट फुट के रोने लगी - सुनील की छाती से चिपक बार बार रोते हुए यही बोल रही थी - तू मेरा बेटा है - तू मेरे प्यार की निशानी है - तू हरामी नही है.

सुमन का यूँ बिलखना सुनील से बर्दाश्त नही हुआ और अपनी माँ को अपनी बाजुओं में भर ' ना माँ रो मत - क्या करूँ - मुझ से झेला नही जा रहा - रो मत अब कभी मेरे मुँह से कुछ नही निकलेगा'

दरवाजे पे खड़ा सागर सब सुन रहा था. ना तो वो सुमन के आँसू बर्दाश्त कर सकता था और ना ही सुनील का दर्द. अब उसे समझ में आया सुनील क्यूँ बिना बताए जा रहा था. दिल कर रहा था अंदर जा के अपनी बीवी और बेटे को संभाले - दोनो उसकी जान थे - एक में उसकी रूह बस्ती थी और दूसरा उसके दिल का टुकड़ा था. अपने आँसुओं को रोकते हुए वो अंदर नही गया और हॉल की तरफ बढ़ गया - माँ बेटे के बीच इस वक़्त वो नही आना चाहता था. हां ये ज़रूर उसने फ़ैसला ले लिया था कि सुनील से अकेले में बात ज़रूर करेगा.

सुमन खुद को संभालती है ' मैने कहा था ना सब कुछ सम्झाउन्गि - गेट रेडी - ब्रेकफास्ट के बाद हम दोनो 4 दिन के लिए बाहर जा रहे हैं - मैं तेरे कॉलेज फोन कर दूँगी - और खबरदार अपने मन मैं ऐसी कोई बात रखी तो.'

सुमन अपने कमरे में जा के फटाफट अपना बॅग पॅक करने लगी.

सागर गुम्सुम सा हॉल में बैठा हुआ था - अपने बेटे का खुद को हरामी कहना उसके कलेजे को चीर रहा था.

सोनल कमरे में रेडी हो कर शीशे के सामने खुद को निहार रही थी - हाथ में एक फोटो थी सुनील की ' गंदे देखती हूँ कैसे मुझ से दूर जाते हो- एक दिन तो इन बाँहों में तुम्हें आना ही पड़ेगा - लव यू जान' सुनील की फोटो पे 3-4 चुंबन जड़ देती है और फोटो अपने पर्स में डाल ब्रेकफास्ट के लिए अपने रूम से निकल पड़ती है.

ब्रेकफास्ट टेबल पे चारों बैठे हुए चुप चाप खा रहे थे - चारों सीरीयस थे - महॉल को खुशनुमा बनाने की कोशिश करते हुए सागर बोला - 'यार तुम लोगो ने नेक्स्ट हॉलिडे डेस्टिनेशन के बारे में सोच लिया है कि नही'

सोनल : अभी बहुत टाइम है डॅड, सोच लेंगे तू बता भाई तूने कुछ सोच रखा है क्या.

सुनील बस ना में गर्दन हिला देता है सागर की नज़रें सुनील पे जमी हुई थी.

सुमन : बीचिज बहुत हो गये इस बार सिक्किम जाएँगे.

सागर : वह क्या डेस्टिनेशन चुनी है - मैं भी यही सोच रहा था.

सोनल ; हां मिया बीवी एक तरहा ही तो सोचेंगे.

सागर और सुमन हँस पड़ते हैं- सुनील का चेहरा बिल्कुल सपाट था.

सुमन : तू क्यूँ मजनू की तरहा मुँह लटकाए बैठा है - गर्ल फ्रेंड भाग गयी क्या.

सुनील : स्टॉप दा क्रॅप मोम

सोनल : क्या मोम आपको पता तो है इसका कोई इंटेरेस्ट नही लड़कियों में - पता नही ये कहीं.....

सुमन : चलो छोड़ो इसका मूड मैं ठीक कर दूँगी - ये और मैं एक लोंग डेट पे जा रहे हैं जस्ट आफ्टर ब्रेकफास्ट.

सोनल के हाथ से चम्मच छूट जाता है और सुनील भी मुँह फाडे अपनी माँ की तरफ देखता है.

सुमन : लो बज गये 12 दोनो के चेहरे पे - अरे मेरी सहेली की बेटी की शादी है - बहुत काम है इसलिए सुनील को साथ ले जा रही हूँ - विल बी बॅक आफ्टर 4-5 डेज़.

सागर एक ठंडी साँस भरता है और जेब से अपना क्रेडिट कार्ड निकाल के देदेता है
'सुनील ये रखो - ज़रूरत पड़े तो इस्तेमाल कर लेना'
 
सुनील चुप चाप कार्ड अपनी जेब में डाल लेता है. ब्रेकफास्ट के बाद सुमन अपने कमरे में तयार होने चली गयी जब बाहर आई तो ना सिर्फ़ सागर बालिक सोनल और सुनील के मुँह भी खुल गये शायद तीनो ही सीटी बजा देते - कयामत की भी क्या औकात होगी जो इस वक़्त सुमन लग रही थी. सोनल को लगा कि सच में ये दोनो डेट पे ही जा रहे हैं - दिल घबराने लगा कहीं माँ ही तो उसके प्यार पे डाका डालने जा रही - नही नही - माँ है वो - दिल का दूसरा कोना बोला तो क्या हुआ तू भी तो बहन है - अगर बहन भाई से प्यार कर सकती है तो माँ क्यूँ नही. ना ना भाई नही मानेगा - अगर ऐसा होता तो मेरा प्यार कबूल कर लेता.

'अच्छा चलते हैं'
जैसे ही सुमन के मुँह से ये निकला सोनल उठ के सुनील से चिपक गयी 5 दिन उसके बिना कैसे रहेगी - सुबह उसका चेहरा ना देख ले तो दिन दिन नही लगता था उसे. सुनील ने उसके माथे को चूमा -


'कुछ दिनो के लिए ही तो जा रहा हूँ ऐसे क्यूँ मुँह लटका लिया जैसे जंग पे जा रहा हूँ- विल बी बॅक शॉर्ट्ली'

सोनल का दिल मुस्कुरा उठा - विल बी बॅक सुन कर - उसे यूँ लगा - उसका प्यार उसके पास लॉट आएगा.

सुमन को बोलना ही पड़ा - अरे अब तो छोड़ उसे हमे देर हो रही है - ये बोलने से पहले सुमन सागर के गले लग उसे चूम चुकी थी ' टेक केर जान'

'ह्म्म्म' सागर ने उसे बाँहों में जाकड़ एक जोरदार चुम्मा ले डाला.

सोनल ने बेमन से सुनील को छोड़ा और वो कार में सूटकेस रखने चल दिया.


सारा रास्ता एरपोर्ट पहुँचने तक सुमन और सुनील में कोई बात नही हुई बस सुमन बार बार सुनील के चेहरे को देखती रही उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश करती रही.

ड्राइवर इन्हें एरपोर्ट छोड़ के वापस चला गया. गेट पे ही सुमन की सहेली का ड्राइवर खड़ा था इनकी एयिरटिकेट्स और होटेल वाउचर लिए. सुनील को अब भी नही पता था कि वो कहाँ जा रहे हैं.

ना जानने वाला कोई भी इन दोनो को देखता तो यही लगता कि जोड़ा हॉलिडे पे जा रहा है - सुमन इस क़दर तयार हुई थी - उसने अपने आपको इतना मेनटेन किया हुआ था कि कोई भी उसे देख ये नही कह सकता था कि वो दो जवान बच्चों की माँ है.

चेक्किन करते वक़्त ही सुनील को पता चला कि वो खजुराहो जा रहे हैं. खजुराहो - यहाँ कॉन सी सहेली आ गयी मोम की - उसने सोचा - फिर खुद को वक़्त के हवाले कर दिया - देखते हैं आगे क्या होता है.

प्लेन में चढ़ने से पहले दोनो बिज़्नेस लाउंज में बैठ गये. सुमन दोनो के लिए कॉफी ले आई.

'रिलॅक्स डियर - डॉन'टी बी अंडर टेन्षन - एवेरितिंग विल बी ऑल राइट'

सुनील चुप चाप कॉफी पीने लग गया.

फ्लाइट में दोनो के बीच कोई बात नही हुई लेकिन को-पॅसेंजर्स दोनो को देख आँहें भर रहे थे. सुमन ने अपना सर सुनील के कंधे पे रखा सारा रास्ता.
 
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