Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 18 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

सोनल इन नाखूनों की चुभन से उभरी नही थी कि सुनील ने उसकी चूत में लंड घुसा डाला और वही हाल किया जो सूमी का किया था….तड़फ़ उठी थी सोनल …ऐसी चुदाई तो सुनील ने आज तक नही करी थी……खच खच कर लंड उसकी चूत में घुसाता और बाहर निकालता …..अपनी तड़प का असर कम करने के लिए वो सूमी के उरोज़ मसल्ने लगी और ज़ोर ज़ोर से उसके होंठ चूसने लगी…….सुनील बस मशीन की तरहा सोनल की चूत की धज्जियाँ उड़ाने में लगा हुआ था…वो पल भी जल्दी आ गया जब सोनल को इस दमदार चुदाई का मज़ा आने लगा….और वो भी तेज़ी से अपनी गंद पीछे को धकेलने लगी ….

कुछ ही देर में सोनल का भी तगड़ा ओर्गसम हुआ और वो सूमी के उपर गिर पड़ी…पर सुनील अभी दूर था ….उसका लंड अच्छी तरहा भीगा हुआ था…..वो थोड़ा और आगे हुआ और सोनल की गान्ड में लंड सटा के तेज धक्का मारा ….म्म्म्मजमममाआआआआररर्र्र्र्र्र्ररर गगगगगगगाआआयययययीीईईईईईईईईईई न्न् ी8नणन्नाआआआअहहिईीईईईईईईईईईई ब्बबााअहहारर न्णंईनिककलल्ल्ल्लूऊऊऊऊऊओ

सोनल अभी अपने मज़े में डूबी हुई थी कि सुनील का लंड उसकी गंद में घुस गया और वो चिल्ला पड़ी बाहर निकालने के लिए…पर सुनील कहाँ सुनने वाला था…..दो तीन तेज झटके मारे और पूरा लंड अंदर घुस्सा दिया.

उूुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ प्प्प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीीईआआआआसस्स्स्स्सीईईईईईईई

निकाल लो हहाईईईईईईई द्द्द्ददडिईईयययद्द्द्ददडिईईईईईईईईई र्र्र्र्र्र्र्रूऊऊक्क्क्कककूऊऊओ ईिईन्न्ननणणनीईईईईई

सुमन ने सोनल के होंठ अपने होंठो के क़ब्ज़े में ले लिए और उन्हें चूस ना शुरू कर दिया………सोनल तड़प रही थी इस वक़्त वो सूमी और सुनील के बीच फसि हुई थी. उसके उरोज़ सूमी के उरोज़ में धस्ते जा रहे थे…. सुनील ने उसे थोड़ा उपर किया …उसकी कमर पे अपनी पकड़ सख़्त करी और अपने लंड को हरकत दे दी……पहले धीरे धीरे फिर उसकी स्पीड बढ़ने लगी…..

सोनल की चीखें….सूमी के मुँह में ही दबने लगी….

कुछ देर में सोनल को अपनी गंद मरवाने का मज़ा आने लगा ….सुनील का लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था. सोनल खुद अपनी चूत रगड़ने लगी थी और तेज़ी से अपने चरम पे पहुँचने लगी थी….थप थप ठप जिस्मो के टकराने की आवाज़ कमरे में फैलने लगी थी.

सुनील बस दे दनादन उसकी गंद की कुटाई कर रहा था…..सोनल जल्दी ही अपने दूसरे चरम पे पहुँच गयी और पस्त हो गयी…जान ही नही बची थी उसमे. सुनील ने उसकी ये हालत देखी तो अपना लंड बाहर निकाल लिया और सोनल सूमी के उपर से हट साइड में लूड़क गयी .

सुनील के उपर झुक गया और उसके होंठ चूसने लग गया. साथ ही बेदर्दी से उसके मम्मे मसल्ने लग गया…..सूमी भी गरम होने लगी और सुनील के होंठ चूसने लग गयी….दोनो का स्मूच गहरा होता चला गया….सूमी के निपल कड़े हो चुके थे ……..सुनील ने अपना लंड उसकी चूत से सेट किया और फट से अंदर घुसा डाला……हालाँकि उसकी छूट बहुत गीली थी ओर्गसम के बाद पर सुनील ने जिस तरहा लंड अंदर किया था…दर्द के मारे उसकी जान निकल गयी.

सूमी ने सुनील को कस के अपने से चिपका लिया ताकि वो अभी हिल ना सके….कुछ देर में उसकी पकड़ ढीली हो गयी जब दर्द का अहसास कम हुआ….सुनील उपर उठा सूमी की टाँगों को अपने कंधों पे रख लिया…अब उसकी चूत उपर उठ गयी थी ….लंड अभी भी चूत में घुसा हुआ था….सुनील थोड़ा आगे झुका और सूमी का जिस्म थोडा और उपर उठ गया…तब सुनील ने एक तकिया उसकी गंद के नीचे रख दिया और फिर सूमी की आँखों में झाँकते हुए अपने लंड को हरकत दे दी…और कुछ ही पलों में स्पीड पकड़ ली….दोनो बस एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे……

जैसे जैसे स्पीड बढ़ी वैसे वैसे सूमी की सिसकियाँ भी छूटने लगी.

उफ़फ्फ़ उम्म्म ओह अहह हहुउऊउउर्रर्ज्गमणन्

और फिर शुरू हुआ पागल पन …..सुनील तेज़ी से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा……आआअहह
चोदो चोदूऊऊ और तेज….और तेज….फाड़ दो आज मेरी चूत…..फक मी फक मी हार्ड …यस यस डू इट……..सूमी ज़ोर से चिल्लाने लगी और जिस तेज़ी से सुनील लंड अंदर घुसाता उसी तेज़ी से
सूमी अपनी चूत उपर उठाती……

फॅक फक्शच फॅक फॅक…ठप ठप ठप की मिश्रित आवाज़ें कमरे में फैलने लगी….


दोनो एक दूसरे में खो चुके थे और जिस्म जिस्म से तेज़ी से टकरा रहे थे….जैसे पूरे के पूरे एक दूसरे में घुस जाना चाहते हो……दोनो के जिस्म में कामग्नी की ज्वाला इतनी तेज हो चुकी थी …कि पसीने में भीगे हुए हाम्फते हुए रुकने का नाम ही नही ले रहे थे….

‘ओह सुनिल्ल्ल्ल्ल्ल्ल फक मी हार्ड……’

सूमी बार बार उसे और तेज चोदने के लिए उकसा रही थी….सुनील भी बहुत देर से दोनो की चुदाई में लगा हुआ था और तेज़ी से अपने चरम की तरफ बढ़ रहा था……..तीनो एक दूसरे में इतना खो चुके थे की भरे हुए वाइन ग्लास ऐसे ही पड़े रह गये थे…..

अहह म्म्म्मिमममाआआआआ गगगगगगाआयययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सूमी चीखते हुए झड़ने लगी और उसी वक़्त सुनील के लंड ने भी उसकी चूत में पिचकारियाँ चोदने शुरू कर दी. दोनो हान्फते हुए जोंक की तरहा एक दूसरे से लिपट गये.

सुनील जब संभला तो उसे बहुत तेज प्यास लगी और वो एक शॉर्ट पहन कमरे से बाहर निकला…..
किचन के पास उसे एक साया दिखा……..रात को इस वक़्त कॉन कमरे से बाहर निकला होगा…सुनील थोड़ा हैरान हुआ..फिर यही सोचा किसी को प्यास लगी होगी…जैसे ही वो किचन के नज़दीक पहुँचा ….तो एक लड़की किसी से फोन पे बात कर रही थी……कॉन हो सकता है ये……सुनील जैसे ही नज़दीक पहुँचा तो पहचान गया ये …आवाज़ मिनी की थी….वो ध्यान से सुनने लगा कि ऐसी क्या बात है जो मिनी यहाँ फोन पे बात कर रही है…..

‘भाई ज़्यादा देर बात नही कर सकती…..समझा करो कोई सुन लेगा’

‘नही नही ये सब नही…..गाँव आने में तो वक़्त लगेगा इनका आक्सिडेंट जो हो चुका है….’

‘आग तो मेरी चूत में भी लगी हुई है…कब्से चुदाई नही हुई…..’

‘ना ना यहाँ चूत में उंगली नही कर सकती…….कहीं सुनील ने सुन लिया तो मेरी खैर नही….’

‘उफ़फ्फ़ समझो ना वो बहुत ही मर्यादा वाला है….मैं कोई रिस्क नही ले सकती….’

‘अब तो जब आउन्गि…जी भर के चोद लेना….मुझे भी तुम्हारे लंड की बहुत याद आती है……अच्छा रखती हूँ…’

मिनी फोन बंद कर फट से अपने कमरे की तरफ भाग गयी और सुनील खड़ा अभी भी सोच रहा था उसने क्या सुना…….मिनी का चक्कर उसके भाई के साथ था….तभी रमण की सच्चाई जानने के बाद उसपे कोई उल्टा असर नही पड़ा था……ओह तो ये बात है..इसीलिए मिनी रमण से शादी करने को तयार हुई……अब तो किसी भी कीमत पे रूबी को इनके साथ नही भेजूँगा…..फ्रिड्ज से पानी की बॉटल निकाल वो अपने कमरे की तरफ चला गया……सूमी और सोनल दोनो ही सो चुकी थी पर सुनील की नींद उड़ चुकी थी.
 
रात वही जब कविता पहली बार घर आई थी सुनील और सोनल के साथ. खाने के बाद सवी रूबी और कविता के पास ही रही थी.

कमरे में जब ये तीनो पहुँच गये ….तो एक बिस्तर पे सवी बैठ गयी और एक पे रूबी और कविता.

सवी : कविता बेटी चेंज कर लो……

कविता चुप रही और उठी नही शायद उसके पास नाइट ड्रेसस नही थी. रूबी और कविता का जिस्म बराबर ही था बस थोड़ा फरक ये था कि रूबी के उरोज़ कविता के मुक़ाबले बड़े थे.

सवी : रूबी बेटा अपना एक नाइट सूट बहन को दे कल इसे लेके देंगे.

कविता …नही माँ ठीक है..मैं ऐसे ही सोती हूँ…

सवी …माँ की बात नही टालते…..

रूबी ने अपना नाइट सूट निकाल दिया और कविता अटॅच्ड बाथरूम में घुस्स गयी.

कविता के जाने के बाद रूबी ने पूछ ही लिया.

रूबी : माँ ये है कॉन और मेरी बहन कैसे लगी.

सवी ….जब तेरा सुनील भाई इसे बहन बोलता है तो तेरी क्या लगी.

रूबी …वो तो ठीक है पर किस रिश्ते से….आज तक तो इसके बारे में किसी को कुछ नही पता था.

सवी….कुछ देर चुप रही….तेरे ही बाप की करतूत है ……अब इस बारे में दुबारा बात नही होनी चाहिए.

रूबी …का मुँह खुला रह गया.

कविता आ गयी तो दोनो कविता की पढ़ाई वगेरह के बारे में बातें करने लगी. बातें करते करते तीनो कब सोई पता ही ना चला.

साथ वाले कमरे में …मिनी रमण की सपंगिंग कर उसे कपड़े पहना रही थी.

मिनी के नाज़ुक हाथों का स्पर्श पा आज काफ़ी दीनो बाद रमण का लंड खड़ा हो गया…..उसके सभी जखम ठीक हो गये थे बस हाथ और टाँग का प्लास्टर रह गया था.
उसके शॉर्ट में बने बम्बू को देख मिनी के होंठों पे मुस्कान आ गई और उसके लंड को छेड़ते हुए बोली….आज तो ये जनाब भी जाग गये…लगता है आज इनकी सेवा भी करनी पड़ेगी.

‘तुम हो ही इतनी हॉट यार…क्या करूँ इन पट्टियों में ना बँधा होता तो अब तक….

‘अब तक क्या….’

अब तक तो तुम्हें सैर करवा रहा होता इसकी….’

‘तरस गयी हूँ इसकी सैर करने के लिए ……आप तो सो जाते हो कुछ कर नही सकते और मैं रात भर जलती रहती हूँ’

‘उफ्फ यार अब इसके साथ सोउंगा कैसे….’
‘इसे तो मैं अभी ठंडा कर देती हूँ…बहुत प्यासी हूँ मैं भी’

मिनी ने रमण के लंड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया और चाटने लगी…

अहह मिन्नो ( रमण उसे प्यार से कभी कभी निम्मो भी बुलाता था’

मिनी थोड़ी देर उसका लंड चूस्ति रही …और वो जल्दी ही झाड़ गया…..सारा रस मिनी पी गयी…..

इसके बाद रमण तो सो गया पर मिनी की नींद उड़ चुकी थी…उसका जिस्म जल रहा था…चूत में खलबली मची हुई थी …..वो अपनी चूत रगड़ने लगी …पर आग बढ़ती चली गयी….फिर खुद को ठंडा करने के लिए वो बाथरूम में घुस्स गयी….कपड़ों समेत वो शवर के नीचे खड़ी हो गयी…पर ठंडा पानी भी आज उसके जिस्म को राहत नही पहुँचा पा रहा था….उसकी हालत ऐसी थी कि कोई भी उसे छूता तो फट से चुदने के लिए तयार हो जाती. कई बार उसके मन में आया कि सुनील को फाँसे पर जितना उसने सुनील के बारे में रमण से सुना था..उसकी हिम्मत ना हुई सुनील के करीब जाने की.

मिनी ने अपने कपड़े उतार फेंके और शवर के नीचे खड़ी हो अपने मम्मे मसल्ने लगी और एक हाथ से अपनी चूत रगड़ने लगी …फिर अपनी दो उंगली अपनी चूत में घुसा के अपनी चूत की कुटाई करने लगी….अह्ह्ह्ह रमण…..सुनिल्ल्ल्ल जल रही हूँ मैं उफफफफ्फ़ मेरा तो कोई नही सोचता…….अपनी भाभी को संभाल लो सुनील वरना मैं कहीं गिर ना जाउ……

ओह्ह्ह्ह माँ क्या करूँ…….

अपनी आँखें बंद कर वो कल्पना करने लगी कि सुनील उसके जिस्म से खेल रहा है….अहह सुनील चोद डालो मुझे …..फाडो मेरी चूत ….कितनी देर वो बड़बड़ाती रही और कल्पना में सुनील से चुदती रही…तब कहीं जा कर उसकी चूत ने अपना रस छोड़ा और उसे कुछ शांति मिली.

फिर बाहर आ उसने नाइटी पहनी और बिस्तर पे लेट गयी…रात कबीब 12 बजे उसका फोन वाइब्रट होना शुरू हुआ….चुप चाप बाहर निकली और फोन करने वाले से बात करने लगी…यही वही वक़्त था जब सुनील भी कमरे से बाहर निकला था और उसके मिनी की सारी बातें सुन ली थी.

वहाँ कमरे में बिस्तर पे लेटा सुनील ये सोचने पे मजबूर हो गया कि कहीं रमण की माफी कहीं नाटक तो नही …..कहीं ये रमण और मिनी की मिली भगत तो नही कुछ और कांड करने की….पहले रमण ने रूबी का फ़ायदा उठाया…फिर शादी भी ऐसी लड़की से करी है जिसके संबंध अपने भाई से हैं….क्या रमण को पता है इस बारे में??? जैसे मिनी को रमण के बारे में पता है…मुमकिन है रमण को पता होगा…कहीं ये प्लान तो नही कि रूबी की शादी मिनी के भाई से करने का इरादा हो…ताकि…बाद में….नही नही ……ऐसा नही होने दूँगा मैं.

सर फटने लग गया सुनील का…उसकी नज़र वाइन के ग्लासस पे पड़ी और उठा के पीने लग गया.
 
रात भर सुनील सो नही पाया ……..एक पल तो ये भी सोचने लग गया …कहाँ फसा दिया डॅड …किस किस को देखूं….अब ये एक और ज़िम्मेदारी कविता की भी सर पे आ गयी है….और ये मिनी रमण की बीवी….ये क्या चाहती है….अब सुनील यही दुआ करने लगा कि रमण जल्दी ठीक हो …और वो यहाँ से चला जाए.

सुबह जब सूमी की नींद खुली तो सुनील को गमगीन देखा वाइन का ग्लास हाथ में.

‘आए जान ये ये क्या है…रात भर आप पीते रहे……क्या हुआ….इतने खुश थे फिर क्या हो गया रातों रात ….’

‘पहले एक ब्लॅक कॉफी पिलाओ फिर बात करता हूँ’…….सूमी अभी भी सुहागन के रूप में थी…अभी उसे अपना रूप बदलना था….उसने सोनल को उठा दिया….

सोनल उठी और उसने भी जब…सुनील को इस हालत में देखा तो घबरा गयी….सूमी की तरफ देखा….

‘जा इनके लिए ब्लॅक कॉफी ले आ फटाफट …पता नही अब कॉन सा बवाल उठ गया है हमारी जिंदगी में’

सोनल ने फट से नाइटी पहनी और किचन में चली गयी…आज पहली बार ऐसा हुआ था कि इनकी गुड मॉर्निंग किस नही हुई थी.

सोनल कुछ ही देर मैं कॉफी ले आई तब तक सुमन फिर से विधवा के रूप में आ गयी थी….और सुनील तो बस ख़यालों में गुम था……..

सोनल …..सुनील के पास जा के बैठ गयी ….कॉफी सामने रख दी और उसके गले में बाँहें डाल बोली….’क्या बात है जान इतना परेशान तो कभी नही देखा ये रातों रात क्या हो गया….किस सोच में डूबे हो’

सुनील ने उसे गले से लगा लिया और उसके साथ चिपक सा गया ….

‘क्या हुआ मेरी जान…बोलो ना….देखो मुझे कुछ होने लगता है…जब भी आपको परेशान देखती हूँ’

सूमी भी पास आ के बैठ गयी ….’क्या बात है जानू…..’

सुनील एक ठंडी साँस भरता है …..और फिर बोलना शुरू करता है….रात को उसने मिनी की क्या क्या बातें सुनी…..
जैसे जैसे वो बोलता गया….वैसे वैसे….सूमी और सोनल की आँखें चौड़ी होती चली गयी.

अपनी बात ख़तम करने के बाद सुनील बस इतना बोला……सूमी मैं नही चाहता ….कि रमण ठीक होने के बाद पल भर भी यहाँ रुके…..सवी उसके साथ जाना चाहे तो जा सकती है….रूबी यहीं रहेगी….और कविता का क्या करना है…..अच्छी तरहा सोच लो…..ये ना हो…कि उसे बहुत बड़ा झटका लगे…..अभी उसका ट्रान्स्फर करवाया है….दुबारा वापस नही हो पाएगा….और कविता …हमारी ज़िम्मेदारी रहेगी या फिर रमण की.

जल्दी कोई नही है आराम से सोचो फिर रात को बात करेंगे.

सूमी नाश्ता रेडी कर दो…सोनल देख लो कविता और रूबी रेडी है या नही …तब तक मैं तयार होता हूँ….आज कविता को प्रिन्सिपल से भी मिलना है और उसका अड्मिशन फॉरमॅलिटी भी पूरी करनी हैं.

तभी दरवाजे पे नॉक होता है…..सोनल दरवाजा खोलती है तो सामने रूबी खड़ी थी…..

‘भाई मैं अंदर आ जाउ’

सोनल दरवाजे से हट जाती है …….रूबी अंदर आती है और दरवाजा बंद कर लेती है……तीनो हैरान उसने दरवाजा बंद क्यूँ किया.

सुनील…क्या बात है रूबी….

रूबी….भाई वो…वो…

सोनल….बेझीजक बोल डरने की कोई बात नही.

रूबी …भाई वो कल रात……
फिर रूबी वही सब बातें दोहराती है जो सुनील ने सुनी थी ……..सुनील हैरान ..उसे रूबी क्यूँ नही दिखी…..शायद अंधेरे की वजह से……

अपनी बात पूरी करने के बाद रूबी फिर बोली…..

‘भाई आप लोगो के कहने पे रमण को माफ़ कर दिया ….इसका मतलब ये नही कि मैं उसके साथ वापस जाउन्गि ….वो बदला है या नही बदला…मुझे कोई मतलब नही….अगर आप पे बोझ हूँ……’

‘तेरे दो लगाउन्गा अब ज़यादा बोली तो…तू मेरी ज़िम्मेदारी है ….बस इतना याद रखना…..जा जाके रेडी हो ……कॉलेज के लिए’

‘लव यू भाई…..रूबी के सीरीयस चेहरे पे मुस्कान आ गयी थी.

जब ये तीनो कॉलेज पहुँचे तो जयंत किसी काम से निकल रहा था उसकी नज़र इन तीनो पे पड़ी …और नज़रें रूबी से फिसल कर कविता पे टिक गयी….फट से अपना चेहरा मोड़ा…और सोचने लगा….प्यार मैं रूबी से करता हूँ फिर नयी लड़की पे मेरी नज़रें क्यूँ रुक रही हैं….कॉन है ये वो भी सुनील के साथ….ये तो किसी लड़की को आँख उठा के भी नही देखता.

सुनील की नज़र भी जयंत पे पड़ गयी थी….

‘जयंत!!’ सुनील पुकार उठा

‘जयंत को पलटना ही पड़ा और फिर नज़रें कविता का स्कॅन करने लगी…..मुश्किल से खुद को संभाला ….

‘हां बोलो….’

‘ब्रेक में फ्री हो तो कुछ बात करनी है.’

‘ठीक है कॅंटीन में मिलते हैं’ ये कह जयंत चला गया …पर इतना समझ चुका था के सुनील कमाल के बारे में बात करेगा

सुनील ने कविता का अड्मिशन करवाया और तीनो क्लास में चले गये.

दोपहर में वादे के मुताबिक जयंत कॅंटीन पहुँच गया…सुनील ने रूबी और कविता को अलग टेबल पे बिठा दिया और अपना जो खाना हो मंगवाने के लिए बोल दिया.
इस वक़्त जयंत ने दोनो लड़कियों में से किसी को भी नही देखा बस सुनील के सामने बैठ गया.

सुनील …क्या लोगे

जयंत ….कोल्ड ड्रिंक चलेगी

सुनील ने उसके लिए कोल्ड ड्रिंक मँगवाई और अपने लिए कॉफी.

जयंत ….मुझे किस लिए बुलाया

सुनील ….ये पता करना था…वो रेप वाला केस सॉल्व हो गया ….और सेक्यूरिटी में कुछ चेंजस आए हैं या नही.

जयंत …सीसीटीवी कॅमरास बढ़ गये हैं…8 बजे के बाद हॉस्टिल रूम से बाहर निकलना बंद हो गया है…..डिन्नर टाइम 7 बजे हो गया है…गार्ड्स बढ़ गये हैं….

सुनील……और कुलपरीत कॉन था…..

जयंत …..वो लंबी बात है…फिर कभी करेंगे …ब्रेक में ये बात नही हो सकती……क्लास शुरू होने वाली है मैं चलता हूँ.

सुनील ने अपनी और रूबी की टेबल का बिल दिया फिर तीनो क्लास में चले गये ……..और शाम करीब 7 बजे घर पहुँच गये.

शाम को जयंत अपने रूम में पहुँचा तो कुर्सी पे बैठ गया….और सोचने लग गया …..वो तो रूबी से प्यार करता था फिर आज ये नयी लड़की क्यूँ उसकी आखों में सामने लगी है……इतनी हिम्मत ही नही हुई थी कि सुनील से उसके बारे मे पूछता …..वो थी इतनी खूबसूरत कल तो पूरा कॉलेज उसके बारे में बातें करेगा.

वाज़ ही लविंग रूबी ऑर इट वाज़ ओन्ली इनफाचुयेशन…..और आज …ये खिचाव उस नयी लड़की के लिए क्या था.

सर फटने लग गया जयंत का….उसे समझ नही आ रहा था…कभी रूबी के लिए उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती तो कभी उस नयी लड़की के लिए.
 
उधर सबने घर पहुँच/चाइ/कॉफी पी और पढ़ने बैठ गये…..रूबी और कविता अपने कमरे में और सुनील अपने कमरे में चला गया पढ़ने……उसी कमरे में सोनल भी बैठ के पढ़ रही थी…दोनो में कोई चुहलबाजी नही हुई…बस सारा ध्यान पढ़ने में ही लगा रहा.

रात को खाने के बाद सभी अपने कमरे में चले गये…..रूबी और कविता ने फिर पढ़ना शुरू कर दिया था……सुनील अपनी एक किताब ले कर सूमी के कमरे में चला गया था और रमण अपने बिस्तर पे लेटा आँसू बहा रहा था…..और अपनी ग़लतियों पे पछता रहा था…….उसका वो वीडियो जो मिनी के क़ब्ज़े में था…अगर वो रिलीस हो जाए तो उसकी एमबीबीएस की डिग्री तक कॅन्सल हो जाए…कैसे निकले उसके चुंगल से….हर वक़्त वो बस यही सोचता रहता था…इतनी हिम्मत नही थी कि सुनील से सच बोल कर कुछ मदद ले….बस अपने ठीक होने का इंतेज़ार कर रहा था और मिनी को कभी ये पता नही चलने देता था….कि कितनी नफ़रत करता था वो मिनी से…..

आज रात खाने के बाद सोनल अपने कमरे में ही चली गयी थी…क्यूंकी अब उसका एमडी का एंट्रेन्स एग्ज़ॅम सर पेट था…एक साल पहले बर्बाद हो चुका था…अब वो हर हालत में अड्मिशन चाहती थी.

सुनील भी सुमन के कमरे में चला गया था और वहीं पढ़ रहा था…रूबी और कविता डिस्टर्ब ना हों इस लिए सवी हॉल में बैठी वक़्त काट रही थी टीवी देख कर…

तभी सूमी भी उसके पास आ कर बैठ गयी.

सूमी : सवी तुझ से बहुत ज़रूरी बात करनी है.

सवी : हां दी बोलो…

सूमी : देख तेरी बड़ी बहन हूँ…मेरी बात का बुरा मत मानना

सवी …मैं समझी नही क्या कहना चाहती हो…

सूमी : देख अभी तेरी उम्र कोई ज़यादा नही हुई है…कब तक अपने जिस्म की ज़रूरत को दबाती रहेगी….कहीं ये ना हो जाए कि डिप्रेशन में चली जाए …या फिर दुबारा तू सुनील..के पीछे…

सवी……दूसरी शादी तो भूल जाओ दीदी…कल रूबी की शादी करनी है और अब कविता की भी ज़िम्मेदारी है ….अगर मैने दूसरी शादी कर ली तो इनके लिए अच्छे लड़के नही मिलेंगे और सुनील….उसे तो तुमने महात्मा बना दिया है….चाह कर भी उसकी तरफ नही देख सकती……बहुत सी औरतें ऐसी होती हैं जिनकी किस्मेत में जलना ही लिखा होता है….सब तुम्हारी तरहा अपनी किस्मेत लिखवा के नही लाती…..छोड़ो तुमसे तो बात करना ही बेकार है…..


सूमी ….तू ग़लत सोच रही है…तेरी शादी से रूबी और कविता दोनो की शादी पे कोई असर नही पड़ेगा…मैं इस बात की ज़िम्मेदारी लेती हूँ….देख बात सिर्फ़ सेक्स की नही होती…औरत को एक मानसिक सहारा भी चाहिए होता है…एक साथ चाहिए होता है ….अकेले जीना बहुत मुश्किल हो जाता है.

सवी …मेरी शादी का जिक्र सुनील ने ही उठाया होगा….ये बोल के वो मुस्कुरा उठी.

सूमी …हां ..क्यूँ?

सवी….तू ये नही देख रही कि बार बार वो मेरी शादी की बात उठा देता है ….क्यूँ? टूट रहा है वो अंदर से…..आख़िर है तो समर का ही खून..कभी तो ज़ोर मारेगा….मर्द की फ़ितरत ही ऐसी होती है…वो कितना भी अच्छा क्यूँ ना हो…दूसरी औरत की लालसा हमेशा बनी रहती है…वो मुझे इसलिए दूर करना चाहता है…कि कभी वो मुझे अपनी बाँहों में ना भर ले……वो तुम दोनो से बहुत प्यार करता है..इसलिए उसने खुद को रोक के रखा हुआ है …एक बार उसे छूट दे कर देख…..उसी दिन मुझे अपने नीचे लिटा लेगा. क्या सागर में ये कमज़ोरी नही थी. जिसने पाला वो भी कमजोर था और जिसका खून है उसके अंदर…उसके लिए औरत सिर्फ़ बिस्तर का खिलोना थी.

सूमी ……तेरा दिमाग़ खराब है सवी…वो तेरी चिंता करता है….इसलिए उसने ये बात उठाई..वरना उसे क्या फरक पड़ता है…रमण ठीक हो जाए तो चली जाना उसके साथ…सुनील नही रोकेगा….हां रूबी को वो नही जाने देगा…रूबी की ज़िम्मेदारी हमारी ही रहेगी…कविता के बारे में अभी कुछ सोचा नही….

सवी …खैर ये तो वक़्त बताएगा…तू एक काम कर उसे छूट देदे …फिर देख मैं ग़लत निकलती हूँ या तू….है इतनी हिम्मत तुझ में…है इतना भरोसा उसपे…..

सूमी ….ठीक है मैं उसे पूरी छूट दे दूँगी …..लेकिन अगर तू ग़लत निकली तो तू शादी के लिए तयार हो जाएगी…

सवी …ठीक है…अगर मैं ग़लत निकली …तो जो तू कहेगी वही करूँगी…और अगर तू ग़लत निकली…तो तू सुनील को मेरे साथ बाँट लेगी….बोल मंजूर है…..

सूमी ….मंजूर है…10 दिन दिए तुझे इन दस दिन मैं अगर सुनील ने तेरे साथ संबंध बना लिए तो जो तू कहेगी वही होगा वरना जो मैं कहूँगी या सुनील कहेगा वही होगा.

सूमी उठ के बाहर चली गयी सीधा अपने सुनील के पास उसे पढ़ते हुए देखा तो चुप चाप बाहर निकल आई और किचन में चली गयी कॉफी बनाने ….सुनील/सोनल/रूबी/कविता के लिए …इस वक़्त चारों ही पढ़ रहे थे.

‘कॉफी बनाते हुए सूमी सोच ने लगी…कितनी बड़ी ग़लतफहमी है सवी को सुनील के बारे में…वो पहले ही ये जानता है कि सवी के दिल में उसके लिए इच्छा दब गयी होगी ..पर जड़ से ख़तम नही होगी….अपनी जिंदगी से इन दुश्वरियों को ही तो दूर करना चाहता है…ताकि सकुन से जी सके…बेवकूफ़ अभी तक सुनील को समझी ही नही….अगर समर के खून का ज़रा भी असर उसके अंदर होता तो वो हम दोनो से शादी नही करता बस भोगने लग जाता हमे…सोनल तो कब से उसकी दीवानी थी….वो ही पीछे हटता रहा…यहाँ तक कि मेरे मजबूर करने पे तयार हुआ…..मुझे उसपे गर्व है सवी…और ये बात तू कभी समझ ही नही पाएगी….समर के साथ तेरा दिमाग़ पूरी तरहा भ्रष्ट हो चक्का है…..अब तयार होज़ा शादी करने के लिए….’ मुस्कुरा उठी सूमी और कॉफी ले कर पहले रूबी और कविता को दी फिर सोनल को और आख़िर में सुनील के पास गयी…. उसे कॉफी दे कर वापार सोनल के पास चली गयी....

सोनल...क्या बात है दीदी कुछ कहना है क्या?

सूमी ....एक ठंडी साँस भरते हुए ....हां..कितना भरोसा है तुझे इन्पे....

सोनल...मतलब ...आप सुनील की बात कर रहे हो!!!!!!

सूमी ....हां

सोनल...आज ये सवाल क्यूँ....असल बात बताओ...

तब सूमी...सवी से लगी शर्त के बारे में बताती है.

सोनल हँसने लग गयी

सूमी ....तू हँस रही है.....

सोनल मुश्किल से अपनी हँसी रोकती है......हँसू नही तो क्या करूँ....आपको ये स्वाल पूछने की ज़रूरत ही क्यूँ पड़ी....आप नही जानती क्या उनको और सवी नंगी भी आ के खड़ी हो जाएगी उनके सामने तब भी उसे कुछ नही मिलेगा उनसे सिवाए एक थप्पड़ के.....

और सोनल फिर हँसने लग गयी .....

सूमी ...अरे बस कर ...हँसे ही जा रही है....

सोनल...याद है ना क्या कहा था उन्होने......सवी को शादी के लिए मनाने के लिए ....वो जानते हैं सवी क्या चीज़ है ......और सवी शर्त लगा बैठी.....मज़ा आएगा इस खेल में. अरे दीदी यूँ मुँह ना बनाओ....ये तो बड़ी मस्ती वाले दिन आनेवाले हैं....और सोनल फिर हँसने लगी..इस बार सूमी ने भी उसका साथ दिया.

सूमी ….तुझे बुरा नही लगा मैने बिना तुझ से पूछे ये शर्त लगा ली …

सोनल…क्यूँ मुझे क्यूँ बुरा लगेगा…मुझे तो मज़ा आ रहा है….सोच सोच के दिल बल्लियों उछलने लगा है …जब सवी मेनका का रूप धारण करने की कोशिश करेगी….हमारे राजा को पटाने के लिए …..वाह ये दस दिन …बहुत मज़े के होंगे…और सच कहूँ तो सुनील वाक़ये में औरत के दिल को पढ़ना जानते हैं…इसकी वजह भी आपको पता होनी चाहिए …अगर आपने ध्यान दिया हो तो उनका इंटेरेस्ट ह्यूमन साइकॉलजी में ज़यादा है..इसीलिए वो इतने एमोशनल भी हैं..मिनी की बात को ले इतना एमोशनल हो गये रात भर पीते रहे और जाने क्या क्या सोच लिया होगा…ये हुआ तो ये होगा..वो हुआ तो ये होगा…सारी परम्युटेशन कॉंबिनेशन उसके दिमाग़ में घूम गयी होंगी….और पता है क्यूँ…ही लव्स अस टू मच…वो हर बात में पहले ये सोचते हैं..कि हमे किसी बात से कोई ख़तरा तो नही….आइ’म प्राउड ऑफ हिम…बस जब गुस्सा हो जाते हैं तो अच्छे नही लगते…उनके चेहरे पे हमेशा मुस्कान होनी चाहिए…मेरी तो हमेशा यही कोशिश रहती है…बस उनके चेहरे पे मुस्कान खिली रहे.
 
सूमी …ह्म्म्मन बात तो तू सही कर रही है…बस जाने क्यूँ मुझे लगा ..कि शायद तू बुरा ना मान जाए…आख़िर तेरा भी उतना ही हक़ है उनपे.

सोनल….कम ऑन चिल डार्लिंग …लेट’स एंजाय दा फन …वी गॉना सी ……( उठ के डॅन्स करने लगी)

सूमी …अरे अरे …ये क्या पागलपन है…

सोनल ….पागलपन नही ….दिल नाचने को करता है …ये सोच के …कि मेनका कितनी कोशिश करेगी हमारे विश्स्वामित्र की अंकशायनी बनने के लिए….और उसका क्या हाल होने वाला है….मुझे तो विदाई की शहनाईयां सुनाई देने लगी हैं.

सूमी …..अच्छा बाबा…बस …अब पढ़ ले थोड़ा…मैने ऐसे ही तुझे डीवियेट कर दिया…

सूमी कमरे से बाहर चली गयी ….सोनल कुछ देर इन्ही बातों को सोच हँसती रही फिर दिमाग़ झटक पढ़ने लग गयी….

सूमी जब सुनील के पास पहुँची …तो….’यार एक कप कॉफी और मिलेगी’

‘अभी लाई ….’

सूमी कॉफी बनाने चली गयी एक नज़र हाल में डाली तो देखा सवी ख़यालों में गुम बैठी है और कभी कभी हँस पड़ती कभी हँसते हुए शर्मा जाती ……..सूमी ने ठंडी साँस भरी…हो गयी ये पागल …..और किचन में घुस गयी.

सूमी के जाने के बाद सवी सोचने बैठ गयी…अभी लगी शर्त पे….ये शर्त उसे हर हाल में जितनी थी ….

दिमाग़ में दसियों ख़याल आने लगे सुनील को सिड्यूस करने के लिए ….और सबसे बड़ी रुकावट उसे सूमी और सोनल की माजूदगी लग रही थी…वो ये अच्छी तरहा जानती थी…कि अगर कोई उनके हुश्न की तुलना करे तो वो हमेशा इन दोनो से पीछे ही रहेगी….और जिसके पास ये दो हसीनाएँ हों ..उसे सिड्यूस करना आसान नही ….वो भी उस आदमी को जो मर्यादा की सख़्त दीवारों के पीछे खुद को छुपा के रखता हो…पर समर के कुछ गुण तो होंगे ही सुनील में…उन गुणों को जल्दी पकड़ना होगा और फिर आगे का खेल शुरू होगा…दस दिन…दस दिन में ये काम करना ही है……सवी का दिमाग़ घूम गया कि वो कॉन सी ड्रेसस पहने जिसे देख सुनील के लंड में हलचल मचनी शुरू हो जाए….वो अपनी सभी ड्रेसस के बारे में सोचने लगी और उन ड्रेसस के बारे में ज़यादा जिन में समर उसे देखना पसंद करता था.


सवी ने अगले दिन शॉपिंग करने का निर्णय ले लिया और कमरे में चली गयी ….रूबी और कविता भी सोने की ही तायारी कर रही थी…सवी बिस्तर पे तो लेट गयी पर नींद आँखों से कोसो दूर थी.

सूमी ने जब सुनील को दुबारा कॉफी दी …तो सुनील पढ़ने में ही लगा हुआ था…वो डिस्टर्ब ना हो तो उसने हाल में जा के बैठने का सोचा..कमरे से बाहर निकली तो सोनल आ रही थी…सूमी सोनल को ले कर उसी के कमरे में चली गयी.

कमरे में पहुँच दोनो बिस्तर पे लेट गयी…सूमी के दिल में हूक मची हुई थी …अभी तक वो विधवा के रूप में थी…
सोनल उसके दिल की बात समझ गयी ….ड्रेसिंग टेबल वहाँ है दीदी और आज आप मेरी नाइटी ही पहन लो.

सूमी मुस्कुरा उठी और ड्रेसिंग टेबल पे जा के बैठ गयी…हल्का फूलका मेक अप कर लिया जो उसे सुहागन का रूप दे रहा था.
सोनल ने अपना नाइट सूट पहन लिया था और एक सूमी के लिए निकाल दिया….सूमी ने भी कपड़े बदल लिए और दोनो बिस्तर पे लेट गयी.

सोनल …..दीदी मैं सोच रही थी कि अब जब शर्त लगा ही ली है तो क्यूँ ना सवी को पूरा मोका दिया जाए…

सूमी …मतलब ?

सोनल …मतलब ये कि सवी ये सोचेगी कि हम दोनो यहाँ है तो वो कुछ भी ट्राइ कर ले कुछ नही कर पाएगी…क्यूँ ना उसे दो दिन दे दें …हम दोनो कहीं बाहर चली जाती हैं..

सूमी …दिमाग़ खराब हो गया है क्या….हम बस उनको इस शर्त के बारे में नही बताएँगे…बाकी हम कहीं नही जानेवाले…इस वक़्त उन्हें हमारी ज़रूरत है …मैं तो उन्हे अकेला नही छोड़ूँगी……बात सिर्फ़ सवी की नही है…मुझे ये मिनी भी कुछ कम नही लगती….ये भी कोई ना कोई गुल तो खिलाएगी ही…क्यूंकी रमण इस हालत में नही है कि इसकी प्यास भुजा सके…
ना उनको अकेला तो मैं कभी नही छोड़ूँगी …अब जब कविता की भी ज़िम्मेदारी सर पे आ चुकी है.
तू जा ज़रा देख के आ उन्हें कुछ चाहिए तो नही…..

सोनल उठ के चली गयी ……सुनील अब भी पढ़ने में लगा हुआ था…….

सोनल…..टाइम देखो हज़ूर…..क्या सारे रेकॉर्ड ब्रेक करने हैं इस बार

सुनील मुस्कुराते हुए ….ये जो इतने दिन मिस हुए हैं वो भी तो कवर अप करने हैं जानेमन …और इरादा तो रेकॉर्ड ब्रेक करने का ही है..

सोनल …..कुछ ला दूं….

सुनील….एक काम करो…थर्मस ही भर दो कॉफी की……

सोनल …मतलब रात भर लगे रहोगे ….कल कॉलेज भी जाना है…नींद आएगी क्लासस में…

अब सुनील गुस्से से देखने लगा

सोनल ने फट से कान पकड़े ….लाती हूँ….और भाग ली कमरे से बाहर….

सुनील ने फिर नज़रें किताब पे जमा ली.

कुछ देर बाद सोनल एक कप में कॉफी ले आई और थर्मस भी रख दी…पहले की कप उठा के बाहर चली गयी….

सुनील के इस तरहा पढ़ने का असर ये पड़ा कि वो भी कमरे में जा के पढ़ने लगी …और सूमी उसमे इस बदलाव को देख मंद मंद मुस्काती हुई आँखें बंद कर लेटी रही.

सूमी कब सोई पता नही चला….सोनल जब पढ़ते पढ़ते तक गयी तो रात के 3 बज चुके थे….वो सुनील को देखने चली गयी …अब भी वो पढ़ रहा था….उसे डिस्टर्ब करे बिना ….चुप चाप कमरे में आ कर सूमी के पास लेट गयी और सो गयी…


अगले दिन सभी नाश्ते की टेबल पर बैठे तो आज मिनी भी आ गयी थी…सभी चोन्के क्यूंकी मिनी अपना और रमण का नाश्ता कमरे में ले जाया करती थी.

नाश्ता सुमन और सोनल ने मिल के तयार किया था….सवी ने एक डीप कट वाली नाइटी पहनी हुई थी जिसमे से उसका क्लीवेज सॉफ नज़र आ रहा था और वो बिल्कुल सुनील की बगल में जा के बैठ गयी…अमूमन वहाँ सुमन ही बैठती थी ….सोनल और सुमन दोनो ही उसकी इस हरकत पे मुस्कुरा उठी और सोनल सुनील की दूसरी साइड से उठ गयी और सुमन को वहाँ बिठा दिया खुद कविता के पास जाके बैठ गयी…नाश्ते की टेबल पे ही सुनील ने अनाउन्स कर दिया कि वो आज लेट आएगा…कॉलेज के बाद उसका प्लान विक्रम से मिलने का था….और सवी की ड्यूटी लगा दी रूबी और कविता को कॉलेज से पिक करने की…मिनी बार बार चोर नज़रों से सुनील को देख रही थी.

सवी ने तो आज लंबी शॉपिंग करनी थी इसलिए उसने ऐतराज नही क्या दिन भर शॉपिंग करने के बाद वो रूबी और कविता को कॉलेज से पिक कर लेगी.
 
कॉलेज में दिन भर कोई खास बात नही हुई…सुनील ने दिन में ही फोन कर विक्रम से टाइम ले लिया था. सवी टाइम पे पहुँच गयी थी दोनो लड़कियों को लेने …कार शॉपिंग बॅग्स से भरी हुई थी…पता नही क्या क्या खरीद डाला था उसने….एक खास बात जो दोनो लड़कियों ने नोट करी वो थी सवी का मेक अप…जब से वो समर को छोड़ के आई थी वो साधारण लिबास में रहने लगी थी …देख कोई नही कह सकता था कि वो अब भी शादी शुदा है या फिर विधवा या फिर डाइवोर्स …बहुत ही हल्का मेक अप करती थी…पर आज तो वो पूरे फॉर्म में थी…उसका लॉजिक ये था ..कि अभी डाइवोर्स नही हुआ है…ना ही वो विधवा है…तो क्यूँ ना बने सँवरे……खैर वो लड़कियों को ले कर घर के लिए निकल गयी और सुनील पोलीस स्टेशन चला गया.

घर में बैठी सुमन ये सोच रही थी कि कविता की ज़िम्मेदारी से कैसे मुक्त हो…….अचानक उसके दिमाग़ में एक लड़के की तस्वीर उभरी जो इसी कॉलेज से एमएमबीएस कर रहा था और उसकी सहेली का बेटा था.. सूमी को कविता के लिए वो मॅच अच्छा लगा…इससे पहले वो सुनील से इस बारे में कोई बात करती ..उसने पहले अपनी सहेली से बात करना ठीक समझा .

सुमन अपनी सहेली को कॉल करती है और अगले दिन मिलने का टाइम फिक्स कर लेती है ….ये लड़का कोई और नही जयंत था.

सुनील विक्रम के पास पहुँच गया और …विक्रम उसे अपने रूम में ले गया…उसके लिए कॉफी मँगवाई और दोनो में बात शुरू हो गयी.

विक्रम ….ये तुम्हारी बहन ने स्यूयिसाइड अटेंप्ट क्यूँ किया ..मेरे ख़याल से ये तुम बेहतर जानते हो…क्यूंकी कोई भी लड़की स्यूयिसाइड करने का नही सोचती अगर उसपे रेप अटेंप्ट हुआ हो तो…

इतना बोल विक्रम सुनील की तरफ देखने लगा कि उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है…लेकिन सुनील ने अपना चेहरा सपाट रखा हुआ था…विक्रम उसके चेहरे से कुछ नही पढ़ पाया.

विक्रम ने आगे बोलना शुरू किया….रूबी पे अटेंप्ट कमल ने किया था…साला प्यार में इतना पागल हो गया था कि ये सोचने लगा था कि अगर वो रेप कर लेता है और फिर उसका हाथ माँगने सामने आता है तो तुम लोगो की नज़रों में देवता बन जाएगा.

जब उसने स्यूयिसाइड अटेंप्ट के बारे में सुना तो उसकी वाट लग गयी थी इसलिए अगले दिन ही वो तुमसे शादी की बात करने पहुँच गया था……लड़का अच्छा था पर सोचने का तरीका ग़लत था.

कमल इतना बुरा नही था पर नफ़रत और उसकी बहन के साथ जो गुजरा था …उसका बदला लिया था उसने…उन दो लड़कों से जिन्होंने उसकी बहन का रेप किया और फिर गायब हो गये और आज तक नही पकड़े गये …इसीलिए उसने उन दो लड़कियों की छाती पे के खोद दिया …ये उनको जिंदगी भर याद दिलाने के लिए था…जो तुमने उसकी बहन कुमुद के साथ किया था…वही तुम्हारी बहनों के साथ हुआ …उसकी बहन तो अब भी कोमा में है…पर उसने इनकी इतनी बुरी हालत नही करी कि ये मर जाती या कुछ और ही हो जाता इनके साथ…एक जीता जागता नासूर छोड़ दिया इन सबकी जिंदगी में….जब तक जिंदा रहेंगे तब तक उन्हें कमल का बदला याद आता रहेगा. ये दोनो लड़कियाँ कोई और नही उन दो लड़कों की बहने थी.

कमल को भी पता नही था इन दो लड़कियों के बारे में …वरना ये कांड शायद बहुत पहले हो जाता ….

जिस दिन कमल ने रूबी पे अटेंप्ट किया था…उसके अगले दिन ही उन लड़कियों में से एक अपनी फोटोस अपनी सहेलियों को दिखा रही थी.. उन फोटोस में से एक फोटो ऐसी थी जिसमे कमल की बहन उसका बाय्फ्रेंड, उसके दोनो दोस्त उनकी ये दो बहने और कमल भी था.

वो दो लड़कियाँ उस फोटो से एक दूसरे को पहचान गयी. और बदक़िस्मती से कमल भी वहाँ पहुँच गया उस वक़्त कॅंटीन में जब ये फोटो दिखाई जा रही थी…उन लड़कियों को पहचानने के बाद …उसने बदला लेने की ठान ली थी और फिर वही हुआ …जो सबको मालूम है.

कमल की बहन की फोटो और उसका पूरा इतिहास मैने मंगवा लिया था ..ये सोच कर कि उसकी कोई मदद करने की कोशिश करूँगा….पर मेरे कुछ करने से पहले उसने अपना बदला ले लिया.

वैसे कमल ने कोई सबूत नही छोड़ा था अपने खिलाफ …लेकिन जब मैने सेकेंड विक्टिम के रूम की तलाशी ली ..तो ये फोटो मिल गयी…और सारी परतें खुलती चली गयी…गिरफ्तार करने के बाद कमल ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.

अब सज़ा तो उसे मिलेगी ही…पर मैं कोशिश कर रहा हूँ कि उसकी जिंदगी बर्बाद ना हो वो अपना एमबीबीएस का कोर्स पूरा कर सके…बाकी जो होगा वो तो उपरवाला ही जानता है.
मिलोगे क्या कमल से….

सुनील उठ खड़ा हुआ…विक्रम को थॅंक्स बोला और बाहर निकल गया.

सुनील जब घर पहुँचा तो सवी ने दरवाजा खोला ...उस वक़्त वो,,,,,,,,,,,


सवी को ओवरलुक करता हुआ सुनील अंदर घुसा तो सामने मिनी को हॉल में पाया


‘क्या बात है इस घर की औरतें क्या मॉडलिंग कॉंपिटेशन में हिस्सा लेने जा रही हैं' इतना बोलता हुआ वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गया रेफ्रेश होने ( सूमी का कमरा)

सवी और मिनी उस के इस रिमार्क पे जल भुन के रह गयी …मिनी पैर पटक रमण के पास चली गयी और सवी …मन में सोचते हुए 'अभी तो तुमने एक झलक देखी है…पिघला ना दिया तुम्हें तो मेरा नाम भी सवी नही'….भुन्भुनाती हुई अपने कमरे में चली गयी…..सुनील का रिमार्क उसे बता गया था…कि ये सब उसे अच्छा नही लगा.
 
सुनील के रियेक्शन को सुन किचन में खड़ी सुमन की हँसी छूट ते छूट ते रह गयी..बड़ी मुश्किल से काबू पाया था उसने….
सुनील के लिए कॉफी तयार कर वो कमरे में चली गयी..सोनल कमरे में बैठी मुस्कुरा रही थी…सुनील बाथरूम में था.
सूमी को देख सोनल बोले बिना ना रह सकी

आग है लगी हुई
आग है लगी हुई हर तरफ यहाँ वहाँ
जल रही है ये ज़मीन, जल रहा है आसमान
आग है लगी हुई हर तरफ यहाँ वहाँ
जल रही है ये ज़मीन, जल रहा है आसमान
आग है लगी हुई

दिल क्या काँच का खिलोना है, स्वप्न एक सलोना है
दिल बड़ा नाज़ुक है ये टूट ना जाए कही
खेलते हैं दिल से जो ये सफ़र उनको नहीं
दिल बड़ा नाज़ुक है ये टूट ना जाए कहीं
खेलते हैं दिल से जो ये सफ़र उनको नहीं
दिल गया तो क्या रहा दिल के साथ है जहाँ
जल रही है ये ज़मीन जल रहा है आसमान
आग है लगी हुई

तब तक सुनील बाथरूम से बाहर निकल आया …’क्या बात है कहाँ आग लग गयी’

सोनल ….अजी अब आपको क्या बताएँ कहाँ कहाँ लगी हुई है….जल रहा है ये जिस्म …उठ रहा है धुआँ धुआँ

‘इरादे नेक नही लगते मेम्साब के’

‘लो कर लो बात….हज़ूर की एक नज़र यहाँ आग के शोले भड़का देती है…और जनाब को हमारे इरादे नेक नही लगते’

सुमन का हँस हँस के बुरा हाल हो गया.

‘लगता है आज मेरी खैर नही’ सुमन के हाथ से कप ले बैठ गया और कॉफी पीने लगा.

‘उम्म्म मज़ा आ गया …तो रेफ्रेशिंग व्हेन यू मेक इट’

‘मैं तो सोच रही थी कि आपको कुछ और रेफ्रेशिंग लगता है…..’ सोनल बड़ी अदा से बोली…

सुनील ने कॉफी का कप साइड में रखा और झपट्टा मार सोनल को अपनी गोद में खींच लिया….और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए…..सुमन ने फट से दरवाजा बंद कर दिया.

कुछ पल बाद जब सुनील ने अपने होंठ सोनल के होंठों से हटाए …उसकी आँखें बंद हो चुकी थी ……’अब कॉफी पीने की इज़ाज़त मिलेगी’

सोनल ने अपनी आँखें खोली…एक दम लाल सुर्ख हो चुकी थी…साँस तेज चल रही थी…….

‘बहुत गंदे हो…..’ इतना कह वो बिस्तर पे लूड़क गयी और खुद पे छाए नशे को काबू में करने की कोशिश करने लगी.

‘ये हुआ क्या है इन दोनो को आज ‘ सुनील का इशारा सवी और मिनी की तरफ था.

सुमन …पता नही पूछ लो दोनो से

सुनील….मिनी तो समझ में आती है रमण को खुश करने के लिए ये ड्रेस पहन ली होगी…पर ये सवी को क्या हुआ…दो जवान लड़कियाँ घर में और माँ को अपनी नुमाइश का शोक चढ़ गया…क्या असर पड़ेगा रूबी और कविता पे.

सुमन…रहने दो ना खुश उसे…घर में ही पहन रही है बाहर तो नही जा रही ऐसे कपड़ों में

सुनील…लगता है पागल हो गयी है…वही हो रहा है जिसका मुझे डर था….शी’ज ट्राइयिंग टू सिड्यूस मी.

सुमन…….तो हो जाओ सिड्यूस होना चाहते हो तो ….नही होना चाहते तो आपको क्या फरक पड़ता है..करने दो उसे जो कर रही है.

सुनील…भाड़ में जाए वो..जो करना है कर ले…अब मुझे थोड़ी देर पढ़ने दो….और एक थर्मस कॉफी की मेरे पास रख दो.

सुमन…मैं हूँ ना बनाने के लिए…कोई थर्मस नही आपको जब चाहिए तब फ्रेश कॉफी बन के मिलेगी…थर्मस में टेस्ट खराब हो जाता है. तू लेगी सोनल…

सोनल हां में गर्दन हिलाती है …अजीब नज़रों से सुनील को देखती है और अपने कमरे में चली जाती है.

सुनील और सोनल को कॉफी देने के बाद सुमन खाने की तायारी में लग गयी आज सवी नही आई उसका हाथ बटाने पर कुछ देर में मिनी आ गयी…माजी मैं भी कुछ हाथ बटा दूं..

‘अरे नही बेटी ..तू जा रमण को कब तेरी ज़रूरत पड़ जाए….’

‘नही माँ वो ठीक हैं अब…बस प्लास्टर ही तो खुलना बाकी रह गया है…मुझे अच्छा नही लगता आप ही सारा काम करें….’

सुमन कुछ नही बोली आगे और मिनी साथ में हाथ बटाने लगी.

जब खाना तयार हो गया तो सुमन ने मिनी को बोला जा के सबको ले आए वो सुनील और सोनल को बुलाती है. हालाँकि मिनी खुद सुनील को बुलाना चाहती थी पर चुप रही और बाकी को बुलाने चली गयी.

सवी जब आई तो एक मस्त ड्रेस में थी और उसने कुछ बटन खोल रखे थे...कोई भी होता इस वक़्त तो सीधा उसे अपने नीचे लेने के ख्वाब देखने लगता.


रूबी और कविता भी आज हैरान थी कि माँ को क्या हो गया है आज....पर दोनो चुप ही रही थी.

सुनील आया एक नज़र सवी पे पड़ी उसका तो पारा ही चढ़ गया...चुप चाप खाना अपनी प्लेट में डाला और निकल लिया कमरे की तरफ ये बोलता हुआ...'बॉन अपेटिटे ...मुझे काम है कमरे में ही खा लूँगा'

सुनील का फिर इस तरहा ओवरलुक करना ना मिनी को अच्छा लगा और ना ही सवी को. सवी के चेहरे पे तो सॉफ सॉफ गुस्सा दिखने लगा था..क्यूंकी उसे अपना अपमान महसूस हो रहा था...और सोनल उसकी शकल देख मन ही मन हँस रही थी.

सुमन....चलो लड़कियों फटाफट खाना ख़तम करो और लग जाओ अपनी पढ़ाई पे.

सब चुप चाप खाने लगे .....सुनील कमरे में खाने के बाद पढ़ने बैठ गया था.

खाने के बाद सुनील पढ़ने तो बैठ गया था…पर दिमाग़ में उफ्फनता हुआ गुस्सा उसे पढ़ने नही दे रहा था…किताबों को एक तरफ रख पहले तो वो कमल के बारे में सोचने लगा…कितनी घटिया सोच का आदमी निकला…प्यार को पाने के लिए रेप करना ठीक समझा…दिल तो कर रहा था कि लॉक अप में जा के 2-3 लगा दे उसे ….पर खुद पे मुश्किल से थाने में कंट्रोल रखा और घर में जो हो रहा था उसने तो उसका फ्यूज़ उड़ा दिया था….कहीं गुस्से में सवी को कुछ ऐसा ना कह दे जो रूबी और कविता को भी बुरा लगे….आख़िर समझ क्या लिया है उसको सवी ने….वासना का पुतला…कल समझाने पे मासी बन गयी आज फिर वही धाक के तीन पात …क्या सेक्स सब कुछ होता है जिंदगी में…

ये तो गनीमत थी कि उसे पता नही था इनकी बातों के बारे में ….वरना दोनो की खैर नही थी…उसके कहर से सूमी भी नही बच पाती.
 
खाना खाते खाते सोनल को कुछ अजीब सा लगने लगा….उसका दिल उसे सुनील की तरफ ले जा रहा था…ज़रूर वो परेशान हो रहा है….उसने खाना बीच में छोड़ा और ये कहते हुए कि वो देख के आती है …सुनील को कुछ और तो नही चाहिए….सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी…एक हुक सी सूमी के दिल में भी उठी थी..पर उसने खुद पे काबू रखा. दोनो का ही टेबल से उठ के जाना ठीक नही था. मुश्किल से वो खाने लगी.

सोनल ने तो ये सोचा था कि पिछली रात की तरहा सुनील देर तक पढ़ेगा …लेकिन डिन्नर टेबल पे उसे कुछ अजीब महसूस होने लगा था जिस वजह से वो उठ के सुनील को देखने आ गयी थी पर जैसे ही वो कमरे में घुसी उसके दिल को गहरी चोट लगी….सुनील विस्की की बॉटल ले के खड़ा था और उसे घूर रहा था…..
खाना भी उसने अधूरा खाया था ……..

सोनल आगे बढ़ी और उसके हाथ से विस्की की बॉटल खींच ली ‘जब साकी माजूद है तो आप ये जहमत क्यूँ उठा रहे हैं ‘ सोनल की आँखें नम पड़ चुकी थी


‘क्यूँ हर बात दिल पे लेते हो…..करने दो ना मासी को जो कर रही है ……आप क्यूँ दुखी हो रहे हो….या आप को कुछ होने लगा है उनको ऐसी ड्रेस में देख’

सुनील गुस्से से सोनल को देखने लगा

‘ये गुस्से से देखने की ज़रूरत नही…मैं जानती हूँ क्या सोच रहे हो…कूल डार्लिंग …कूल ‘

सुनील धम्म से बिस्तर पे बैठ गया …

‘इतना भी बावकूफ़ नही होना चाहिए जान’ सोनल ड्रिंक बनाते हुए बोली

‘ये घर है या रंडी खाना …ये क्या क्या ड्रेस पहन रही है वो ….आख़िर चाहती क्या है …दो जवान बेटियाँ नज़र नही आती उसे ……रूबी और कविता की आँखों को देखा तुमने …कितने सवाल भरे हुए थे उन आँखों में’

‘आप शांत होगे …..या मैं शांत करूँ आपको अपने तरीके से’ अब सोनल जंगली शेरनी के रूप में आ चुकी थी

सुनील कुछ ढीला पड़ गया सोनल का बदलता हुआ रूप देख कर .

‘डू यू वान्ट टू हॅव हर’

सोनल की ये बात सुन सुनील का तन बदन जल गया …..उसका हाथ तक उठ गया था …जिसने उसे बड़ी मुश्किल से रोका था…ये इल्ज़ाम वो बर्दाश्त नही कर पा रहा था’

‘तुम …..तुम …ये पूछ रही हो मुझ से…शरम नही आई ऐसा घिनोना इल्ज़ाम लगाते हुए’

‘देन स्टे कूल …क्यूँ बिदक रहे हो…कॉन देख रहा है…वो दो बेटियाँ ना …वो तीनो नंगी भी हो जाएँ एक दूसरे के सामने तो कुछ फरक नही पड़ेगा …..आपको क्यूँ ऐतराज हो रहा है ….या कुछ…ओह हाथ उठा हुआ है मारना चाहते हो ..तो मार लो…….आपके लिए ये भी सही’

सुनील का उठा हुआ हाथ ही नही गिरा …वो खुद भी धम्म से गिर गया ….एक चीत्कार निकल रही थी उसके दिल से….सोनल ने बहुत बड़ा इल्ज़ाम लगा दिया था उसपे …ये महॉल तब नही था जब सागर था…अगर वो उसी महॉल को चाहता था …तो क्या गुनाह कर रहा था…'

मरी हुई आवाज़ में बस इतना बोला ' मैं भूल गया था कि ये घर अब सागर का नही समर के उसूलों पे चलेगा...कब ये बदलाव आया पता ही नही चला'

सुनील कमरे से बाहर निकल गया ...कमरे से ही नही वो घर से भी बाहर निकल गया ....और उसके पीछे सूमी दौड़ी .....सोनल को तो समझ ही नही आया कि ये हुआ क्या


सुनील निकल चुका था किसी अंजानी राह की ओर …कुछ पल तो कमरे के बाहर खड़ी सूमी को भी समझ नही आया की अंदर हुआ क्या …लेकिन जब उसने सुनील को घर से बाहर निकलते हुए देखा तो भागी उसके पीछे ……सुनील बस चलता ही जा रहा था …कदमों में इतनी तेज़ी थी कि ना जाने कहाँ बहुत जल्द पहुँचना चाहता हो …..सूमी को तो दौड़ना ही पड़ गया था उसके पीछे ..और दौड़ते दौड़ते सुनील की कमीज़ के कॉलर को पकड़ गिर गयी ….कॉलर फट ता हुआ कमीज़ को फाड़ता हुआ उसके हाथ के साथ गिरता रहा….सूमी की ज़ुबान पे बस ये था…'मुझे छोड़ कहाँ……' आगे वो बोल नही पाई और सुनील पलटा और उसकी नज़र जब उसपे पड़ी …….तुम!!!!! ……फट से उसे अपनी गोद में उठाया और वापस घर की तरफ दौड़ चला ….सांस फूलती रही पर सूमी को जल्द से जल्द वो सकुन पहुँचाना चाहता था…..दिल रो रहा था….तड़प रहा था……सूमी की ये हालत बर्दाश्त नही हो रही थी…


सुनील सूमी को गोद में उठाए घर पहुँचा और हाल में उसे सोफे पे लिटा दिया …..हाल के दूसरे दरवाजे पे खड़ी सवी खुश हो रही थी …..ये भूकंप जो मचा था….वो ये समझ रही थी कि सुनील ने आज उसे अपनाने की बात करी होगी अपनी आदत के अनुसार ……सच जो बोलता है …इसीलिए …..उसका हँसते हँसते बुरा हाल होने लगा…….


सुनील ने भाग के फ्रिड्ज से ठंडा पानी निकाला और सूमी के चेहरे पे छिड़का …कुछ पलों में सूमी होश में आई और सुनील के गले लग ज़ोर ज़ोर से रोने लगी……’कहाँ जा रहे थे मुझे छोड़ कर’

सुनील खुद रो रहा था ….उसने सूमी को अपने गले से दूर किया और उसकी आँखों में अपनी भीगी आँखों से देखा …..नो सॉरी….नो थॅंक यू ……लागू हो गया ….आँखों ने आँखो से बात कर ली और दोनो एक दूसरे से लिपट गये …….दरवाजे के पीछे खड़ी सवी के सीने पे साँप लॉट गये.

सुनील …सूमी को गोद में उठा कर कमरे में ले गया….जहाँ सोनल पत्थर बनी दरवाजे को देख रही थी ….उसे उसका सुनील बस जाते हुए दिख रहा था…जिसे वो दौड़ कर रोक ना सकी…..

सूमी को बिस्तर पे लिटा सुनील ने सोनल की तरफ ध्यान दिया …उसके सामने जा के खड़ा हो गया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले लिया…..सुनील के हाथों के अहसास ने सोनल में जान डाल दी और वो बिलखते हुए सुनील पे मुक्के बरसाने लगी …..मुझे छोड़ के जाओगे…मुझे छोड़ के जाओगे….ज़रा सी बात नही बर्दाश्त कर सकते……'


सुनील ने उसके होंठों से अपने होंठ सटा दिए और सोनल का बिलखना बंद हो गया….वो लिपट गयी सुनील से इस तरहा जैसे अब कभी अलग नही होगी..उसकी डूबती हुई नब्ज़ को नयी जिंदगी मिल गयी…दिल की धड़कन ने अपनी रफ़्तार फिर पकड़ ली…साँसों ने अपनी रवानगी फिर चालू कर दी…रूह को वो सकुन मिला कि जैसे नर्क लोक से वापस आई हो.
सुनील के हाथ उसके मम्मो तक पहुँचे तो सोनल अलग हो गयी…..आज नही…..3-4 दिन की छुट्टी ..प्लीज़…..

सुनील ने उसे छोड़ दिया और सोनल अपने पीरियड्स को कोसने लगी…..उसका जिस्म उसकी रूह सुनील से मिलने को बेकरार थे पर कुदरत ने अपनी रोक लगा दी थी..मन मसोस कर वो बिस्तर पे लेट गयी….सुनील दोनो के बीच लेट गया…सूमी उसकी तरफ पलट गयी और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले उसकी नज़रों से नज़रें मिलाते हुए बोली…पहले हमे जान से मार देना …फिर हमे छोड़ने की बात सोचना….

सुनील ने उसके गले में अपनी बाँहों का हार डाला और उसे अपने उपर और झुका लिया…होंठ होंठों से बात करने लगे …जैसे कह रहे हों…माफ़ कर दो जानम अब कभी ऐसा नही होगा…कभी कभी तुम दोनो को छोड़ के नही जाउन्गा.
 
सूमी ने सुनील और सोनल की पूरी बात तो नही सुनी थी…पर इतना वो समझ गयी थी कि सुनील सवी में आते हुए बदलाव से परेशान हो गया था….ये महॉल उसे बिल्कुल पसंद नही था….पर वो सुनील को ये भी नही बता सकती थी कि शर्त लगी हुई है….और सवी ना जाने और कितने और कैसे कैसे तीर चलाएगी….ये 10 दस दिन बहुत भारी पड़ने वाले थे और सूमी अब पछता रही थी कि उसने ये शर्त लगाई ही क्यूँ….क्यूँ अपने सुनील को ऐसे महॉल का सामना करने दिया जिससे वो नफ़रत करता था…पर सूमी अपना तीर चला चुकी थी…जिसे वो वापस नही ले सकती थी…हां इतना ज़रूर कर सकती थी..की घायल सुनील को अपने प्यार की मरहम लगाती रहे.

सुनील को अपने होंठों का जम पिलाते हुए सूमी के अपने दिल में बसे दर्द का अहसास थोड़ा धीमा पड़ने लग गया….क्यूंकी वो महसूस कर रही थी…कि सुनील उसके अंदर खोता जा रहा है……उसमे समाने के लिए बेचैन हो रहा है.

बिस्तर के दूसरे कोने में लेटी सोनल इन दोनो को देख तड़प रही थी…उसकी चूत बहने लगी थी और साथ साथ खून का बहाव भी बढ़ गया था….उसकी हालत धीरे धीरे खराब हो रही थी….सुनील की नज़र उसपे पड़ी तो उसने सूमी को खुद से अलग कर दिया……नही चाहता था कि सोनल की हालत बिगड़े.

अपने आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए उसने अपनी सोच को बदला और विक्रम से हुई बातें छेड़ बैठा…..कमल के बारे में सूमी और सोनल सुनती रही ….चाहे उसने भावना के अंदर आके बदला लिया था…पर जो भी किया था वो ग़लत था…खास तौर पे रूबी को पाने के लिए जो कदम उसने उठाया था….वो दोनो से ही बर्दाश्त ना हुआ और नफ़रत की चिंगारियाँ दोनो की आँखों से निकलने लगी.

बातें करते करते तीनो सो गये.

अगले दिन सवी सबसे पहले उठ गयी और उसने सबके लिए चाइ/कॉफी बना डाली….
सूमी के कमरे को खटकाते हुए उसने तीनो को नींद से जगाया और मॉर्निंग विश करते हुए ….तीनो के लिए कॉफी अंदर टेबल पे रख बाहर चली गयी….इस वक़्त उसने सलवार सूट पहना हुआ था…..जिसे देख सुनील को थोड़ा चैन मिला और वो कल की हरकत दिमाग़ से निकाल बैठा.

सवी का मगर आज प्लान कुछ और था….उसने रूबी और कविता को जल्दी नाश्ता करवाया और अपनी कार से दोनो को कॉलेज भेज दिया…जब तक सुनील तयार होता और नाश्ते की टेबल पे आता दोनो बहनें जा चुकी थी……


सवी ने बड़े कातिलाना अंदाज़ में साड़ी पहनी थी

मिनी भी ब्रेकफास्ट टेबल पर आ गयी काली साड़ी में गजब ढा रही थी....

ये सास बहू लग रहा था जैसे आपस में कोमटीशन कर रही हो ....कॉन ज़यादा सुंदर ..कॉन ज़यादा कामुक.

सुनील दोनो की परवाह ना करते हुए अपने नाश्ते में बिज़ी था .....

'ये रूबी और कविता कहाँ है....कॉलेज नही जाना क्या' उन दोनो को ना देख सुनील पूछ बैठा.

'वो दोनो को कुछ काम था तो जल्दी निकल गयी मेरी कार ले कर' सवी बोली

'ऐसा कॉन्सा काम पड़ गया .....कोई बात नही कॉलेज पहुँच कर पता करता हूँ...'

मिनी ....भाई मुझे कुछ खरीदना है ....रास्ते में किसी माल पे ड्रॉप कर दोगे.....

सवी के तो तनबदन में आग लग गयी वो प्लान कर रही थी सुनील के साथ जाने का..इसीलिए तो उसने रूबी और कविता को जल्दी भेज दिया था.

सवी .....हां मुझे भी ड्रॉप कर देना

सुनील ....कल तो इतनी शॉपिंग करी है.....अब क्या लेना रह गया आपका....

सवी....अब औरतों को क्या क्या चाहिए होता है ...सब बताऊ क्या...कल कुछ भूल गयी थी.

सुनील .....आंटी जी नाराज़ क्यूँ हो रही हो...आपको भी ड्रॉप कर दूँगा.

सवी ...मैं कोई 70 साल की बुढ़िया हूँ जो आंटी जी कह रहे हो.

सोनल ......मासी आंटी नही बोले तो क्या बोले.....

सवी ....नाम से नही बुला सकता......

सुनील ...ओके ओके सविता आंटी ...लडो मत ....ये ठीक रहेगा ना....अब आप कोई मेरी गर्ल फ्रेंड तो हो नही जो सिर्फ़ नाम से पुकारूँ.....मॅनर्स भी कोई चीज़ होते हैं.

सवी मुँह में बड़बड़ करने लगी.....

नाश्ता ख़तम होते ही सुनील उठ खड़ा हुआ....चलिए आप दोनो को ड्रॉप कर दूं.

मिनी फट से आगे निकली और सुनील के साथ आगे बैठ गयी ...सवी छटपटाती हुई पीछे बैठी.

मिनी कुछ इस तरहा बैठी थी कि गियर बदलते हुए सुनील का हाथ बार बार मिनी की जाँघ से रगड़ खा रहा था.

मिनी ....भाई कल ज़रा मेरे साथ चल सकते हो....मुझे रमण के लिए कुछ लेना है...सुना है आपकी चाय्स बहुत अच्छी है.

सवी पीछे बैठी हुई बोली...मैं चल दूँगी बेटी ..इसे क्यूँ परेशान कर रही हो...

मिनी...नही मोम ...लड़कों की पसंद लड़के ज़यादा बेहतर जानते हैं....चलोगे ना भाई....

सुनील...कल रहने दो परसो सनडे है...तब चलते हैं...

मिनी ...हां ये ठीक रहेगा....सनडे को सब घर पे होंगे तो रमण को अकेले छोड़ने की भी चिंता नही रहेगी...

शॉपिंग माल आ गया...सुनील दोनो को ड्रॉप कर कॉलेज की तरफ बढ़ गया.

सब जा चुके थे....पीरियड्स की वजह से सोनल रेस्ट कर रही थी....इसलिए उसने 4 दिन की हॉस्पिटल से छुट्टी ले रखी थी....सुमन ने भी छुट्टी ले ली थी....

सुमन ने एक बार रमण के कमरे में जा उससे पूछा कि कुछ चाहिए तो नही....रमण ने एक कप चाइ माँग ली...

रमण को चाइ दे कर सुमन और सोनल वहीं हॉल में बैठ गये.

सोनल ...दीदी ये तो सास बहू का सीरियल शुरू हो गया......सवी को उसकी बहू ही कॉंपिटेशन दे रही है...शकल देखी थी सवी की कैसे जल बिन मछली की तरह तडपी थी जब मिनी ने माल पे ड्रॉप करने को बोला.

सुमन ....लड़ने मरने दे दोनो को....बस रमण ठीक हो और छुटकारा मिले इन दोनो बलाओ से....

सोनल .....वाक़ई में अच्छा सीरियल बनेगा ....10 दिन सास बहू के .....

सोनल इस तरहा नाटक करते हुए बोली कि सुमन का हँस हँस के बुरा हाल हो गया.


घंटे में दोनो सास बहू घर पहुँच गयी.

सुमन .....क्या हुआ तुम दोनो तो शॉपिंग करने गये थे.

मिनी ....कुछ पसंद ही नही आया...सनडे को भाई के साथ जाउन्गि ...तब ही खरीदुन्गी...

सुमन....तुझे भी कुछ पसंद नही आया क्या सवी...

सवी ...जो लेना चाहती थी...वो चीज़ मिली ही नही ....कल किसी दूसरे माल में देखती हूँ.

मिनी ....माँ दोपहर का खाना में तयार कर लूँगी...आप लोग आराम करो.

सवी......हम दोनो मिल के तयार कर लेंगे......

सुमन और सोनल अपने कमरे में चली गयी...मिनी रमण के पास जा के बैठ गयी और सवी टीवी में चॅनेल इधर उधर करते हुए सोचने लगी ...ये मिनी तो चिपक गयी है...अब इससे कैसे पीछा छुड़ाऊ.

रमण से कुछ देर बातें करने के बाद मिनी किचन में चली गयी...

जब तक ये लंच तयार करती...रूबी और कविता भी घर आ गयी और सीधा अपने कमरे में पढ़ने बैठ गयी...अगले महीने से एग्ज़ॅम शुरू होनेवाले थे.
 
शाम तक सुनील भी आ गया और सीधा अपनी दोनो बहनों के पास चला गया...घंटा भर दोनो से पढ़ाई के मामले में बात करता रहा और फिर अपने कमरे में चला गया ...और पढ़ने बैठ गया...उसके भी अगले महीने एग्ज़ॅम्स थे.

सवी छटपटा रही थी कि सुनील के साथ कुछ वक़्त तो अकेले में मिले...जो नसीब नही हो रहा था.


सुनील अपने कमरे में आ के बैठा ही था कि एक कोरियरवाला आया…दो कोरियर थे एक सुमन के नाम और एक सोनल के नाम.

सोनल को हॉस्पिटल ने उसी कान्फरेन्स के लिए जाने का ऑर्डर किया था जो दुबारा हो रही थी और सोनल पहले बहाना बना बीच में छोड़ आई थी ….साथ में सोनल की रिटर्न टिकेट और होटेल का वाउचर था….होटेल वही बुक हुआ था जहाँ कान्फरेन्स हो रही थी….सुमन के करियर में उसी कान्फरेन्स के लिए इन्विटेशन था कुछ प्रेज़ेंटेशन्स करने के लिए जिसमे सुमन को महारत हासिल थी.

अब दोनो के सामने ये सवाल खड़ा था कि जाना तो पड़ेगा ही पीछे सवी पे कैसे नज़र रखी जाए.. सोनल तो कॅन्सल नही कर सकती थी…पर सुमन कॅन्सल कर सकती थी….दोनो ने सुनील से डिसकस किया तो सुनील ने सुमन को कॅन्सल करने से मना कर दिया.

सोनल और सुमन की बीच अकेले बात हुई तो सोनल ने सुमन को परेशान ना होने को कहा …चाहे कुछ भी हो जाए उसे सुनील पे पूरा भरोसा था…..वो उन्दोनो को कभी दगा नही देगा.

दोनो अपनी पॅकिंग करने लगी…..सुनील अपनी पढ़ाई में लगा रहा…..रात का खाना सवी ने तयार किया …..जब उसे ये खबर मिली कि दोनो जा रही हैं…वो बहुत खुश हुई पर अपनी खुशी जाहिर नही होने दी……….

दोनो नही जानती थी ..कि पिच्चे क्या बवाल होनेवाला था…वो तो अपने विश्वास पे कायम थी. रात को सवी ने कोई उल्टी सीधी हरकत नही करी ..क्यूंकी उसे आगे मैदान खाली दिख रहा था. लेकिन मिनी ने अपने तीर चलाने बंद नही किए थे.

डिन्नर टेबल पे मिनी कुछ ऐसा नाइट सूट पहन के आई ...अंदर ब्रा नही पहनी थी ..पूरा क्लीवेज दिख रहा था और कपड़ा इतना महीन था कि उरोज़ सॉफ सॉफ दिख रहे थे....

सुनील ने उसकी तरफ ध्यान ही नही दिया ….मिनी चोर नज़रों से उसे देखती रही जैसे कह रही हो…कब तक बचोगे जानेमन देखो तुम्हारी भाभी क्या क्या गुल खिलाती है…ना तुम्हें अपने हुस्न का दीवाना बनाया तो मेरा भी नाम मिनी नही.

सोनल खाते हुए सोच रही थी कि 4 दिन के लिए जाना है…वो तो सुनील को प्यार नही कर सकती और दोनो को देख उसकी हालत खराब हो जाती है ……उसने आज अलग सोने का फ़ैसला कर लिया ….ताकि सुमन आज सुनील की रात रंगीन कर सके ….वो वापस आ कर सारी कसर पूरी कर लेगी.

खाने के बाद सोनल सूमी से बात कर अपने कमरे में चली गयी और सुमन सुनील के पास अपने कमरे में….मिनी रमण के पास जा के लेट गयी और उसके लंड से खेलने लगी….कुछ देर तक उसके लंड को सहलाती रही फिर चूस के उसका सारा माल पी गयी.

मिनी….रमण एक बात कहूँ बुरा तो नही मनोगे

रमण…नही बोलो क्या कहना है…

मिनी……मुझे सुनील का घमंड तोड़ना है …..बहुत उड़ता है मर्यादा की दीवार के पीछे …वो सारी दीवारें मुझे तोड़नी है….एक भी दिन उसने मेरी तारीफ नही करी …ऐसी भी क्या बेरूख़ी…

रमण …..हँसने लगा ….तुम…तुम सुनील को तोडोगी……हा हा हा हा….तुम…..हा हा हा …तुम उसे जानती नही हो….वो तुम्हें तोड़ के रख देगा…ये जो गरूर है तुम्हें अपने हुस्न पे….उसका सत्यानाश कर डालेगा…..मैं उसे अच्छी तरहा जानता हूँ समझता हूँ….चट्टान है वो….तुम सर फोड़ती रहोगी और उसे कुछ फरक नही पड़ेगा.

मिनी …..औरत चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है…….और कोई मर्द ऐसा नही जो औरत के हुस्न की आगे घुटने ना टेक दे …कुछ जल्दी टूट जाते हैं..कुछ टाइम लगाते हैं…बस इतना ही फरक होता है..

रमण……अच्छा इतना ओवर कॉन्फिडेन्स……चलो देखते हैं कॉन टूटता है तुम या सुनील.

मिनी ….तुम नाराज़ तो नही होगे ना अगर मैं उसके साथ……

रमण……जो बात हो ही नही सकती …उसको सोच कर फालतू में क्यूँ दिमाग़ खराब करूँ…(मन ही मन रमण यही सोच रहा था वह क्या बहाना बना रही है अपने जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए पर ये नही जानती कि सुनील इन बातों से बहुत परे है …वो वाकई में एक सच्चा मर्द है)

मिनी …..ठीक है तो चॅलेंज हुआ ….देख लेना मैं उसे तोड़ के ही रहूंगी…ना उसे अपना दीवाना बनाया तो मेरा नाम मिनी नही.

रमण ….ट्राइ युवर लक बेबी…आइ नो आइ विल विन……जब तक मैं पूरी तरहा से ठीक नही होता तब तक का टाइम दिया तुम्हें.

इसके बाद दोनो में कोई बात नही होती....और दोनो सो जाते हैं.....पर मिनी की आँखों में नींद नही थी....आज वो अपने पूरे ज्ञान का इस्तेमाल करने की योजना बना रही थी...आख़िर फार्मेसी का कोर्स जो किया था....कुछ चीज़ों के नाम उसे याद आ गये और चेहरे पे मुस्कान बढ़ती चली गयी.

वहाँ सुमन.....आज खुद को तयार कर रही थी.....वो भी इस तरहा की स्वर्ग की अप्सराएँ भी उसे देख शरमा जाएँ.

सुमन जब तयार हुई तो कुछ यूँ दिख रही थी

गहरी लाल रंग की लिपस्टिक से सजे उसके होंठ अंगारों की तरहा दहक रहे थे.

सुमन के इस रूप को देख सुनील की तो आँखें ही फटी रह गयी …..बिजलियों पे बिजलियाँ गिरने लगी उसपे जब सुमन धीरे धीरे अपनी पायल की झंकार करते हुए उसके करीब आने लगी ….गला सुख गया सुनील का …..आज तो वाकई में बचने वाला नही था…उसकी जंगली बिल्ली अपने पूरे रूप में आ चुकी थी….पूरी तरहा से तयार उसका कत्ल करने को…सुमन के इस मनमोहक रूप को सुनील ताजिन्दगी नही भूलनेवाला था.
 
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