Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 59 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

अपडेट 91



देवा;भी अपनी रत्ना को बाहों में भर कर उसके रसीलें होंठो को चुमने लगता है।

वो मौसम ए बहार की आमद का दिन तो नहीं था हाँ मगर कई सालो से जमी हुए बर्फ की मोटी सी परत अब पिघलने लगी थी।
अपने प्यार को अपने आग़ोश में भर कर जहाँ रत्ना का दिल ख़ुशी से फुला नहीं समां रहा था वहीँ देवा भी अपनी माँ में आये इस बदलाव से बेहद खुश था।

देवा;रत्ना की कमर को पीछे से पकड़ कर उसे उठा लेता है।
मर्द की मज़बूत बाहों में आकर रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।

दोनो के होंठ अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे।
बस साँसें तेज़ हुए जा रही थी।
जहां माँ की मोहब्बत एक प्रेमिका का रूप ले चुकी थी।
वही बेटा भी अपनी माँ को पत्नी का दर्जा देने को बेकरार था।

देवा;रत्ना को बिस्तर पर लिटा देता है।

रत्ना; आहह देवा....
धीरे से ना.....

देवा;के हाथ अपने काम में लग चुके थे। वो रत्ना का साडी का पल्लू हटा कर उसके ब्लाउज के बटनों को खोलते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगता है उसकी इस हरकत से रत्ना के तनबदन में झुरझुरी सी पैदा हो जाती है।
चुत की फाँके आपस में शोर मचाने लगती है
और चीखते हुए रत्ना से कहने लगती है की
आज मिला दे हमे भी हमारे मेहबूब से।
उस ज़ालिम लंड से जिस की तपीश में आकर कई चुतों ने हार मान ली।
जिस की गर्मी की इन्तहाँ इतनी ज़्यादा है की हर चूत उसे अपने अंदर लेना चाहती है।

रत्ना;क्या कर रहे हो देवा।

देवा;अपनी रत्ना का दूध पीना है मुझे माँ...

रत्ना;आहह ऐसे नही ना बेटा।

देवा;मुझे ऐसे ही पीना है माँ।

रत्ना;आहह धीरे से आह्ह्ह्ह।

देवा;सच में इतनी ज़ोर से रत्ना की चुचियों को मसल रहा था की एक पल के लिए रत्ना को ये डर सताने लग गया था की कहीं उसके इस तरह मसलने से कई सालों का जमा हुआ दूध न निकलने लगे।
 
देवा;माँ तुझे नंगी करना चाहता हूँ।।

रत्ना;आहह नंगी करके क्या करेगा देवा।

देवा;माँ तुझे नंगी करके तेरी चूत चाटना चाहता हूँ मैं अभी गलप्प गलप्प।

रत्ना;नही देवा आहह काट मत ना रे...
देवा के दाँत रत्ना के नरम मख़मली चुचियों के निप्पल को काटने लगते है।
एक तरफ दो जवान प्रेमियों का जोश था दूसरी तरफ माँ बेटे के बीच की दिवार गिर जाने का डर भी था रत्ना को।
वो जानती थी अगर उसने अभी देवा को नहीं रोका तो पता नहीं वो पगला फिर रुके न रुके ।
मगर उसका दिमाग बस ये कह रहा था दिल तो बेक़रार हुए जा रहा था।

देवा;धीरे से अपने एक हाथ से रत्ना की कमर को अपने लंड से चिपका कर उसकी चूत को भी साडी के ऊपर से सहलाने लगता है
माँ चाटने दे न बहुत तडपाती है मुझे तू गलप्प गलप्प्प।

रत्ना;रुक जा ना रे।
तू क्यों नहीं सुनता मेरी देवा।
आह्ह्ह्ह।

देवा;मुझे अपनी रत्ना को नंगी देखना है फिर से गलप्प
गलप्प्प गलप्प्प।
रत्ना;क्या करेगा नंगी देख कर उहह्ह्ह्ह।

देवा;अपनी माँ के ऑंखों में देखने लगता है और उसके ऑंखों में झाँकते हुए बड़े प्यार से कहता है।
मै मेरी माँ को नंगी देखना चाहता हूँ।
तेरी चूचि को अपने मुँह में लेकर चुसना चाहता हूँ जैसे बचपन में पिया करता था।

रत्ना;उसे अपनी छाती से लगा लेती है।

देवा; हाँ माँ ऐसे गलप्प गलप्प गलप्प्प।

रत्ना;और क्या करना चाहता है तू बेटा।

देवा;और मै तुझे नंगी करके तेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाटना चाहता हूँ माँ गलप्प गलप्प्प।

रत्ना;देवा वहां नही ना....

देवा;क्यूं न माँ।

रत्ना;तू नहीं समझेगा देवा। वहां नही और कहीं भी चाट ले चूस ले आह्ह्ह...
 
देवा: मैं और भी कुछ करना चाहता हूँ माँ...

रत्ना;क्या बेटा।

देवा;सिर्फ मंगलसुत्र पहनाकर अपनी रत्ना को दिन भर रात भर चूत और गाण्ड दोनों मारना चाहता हूँ मै तेरी रत्ना।
तेरी चूत से निकला था मै और उसमें घुस जाना चाहता हूँ। मै तुझे अपनी पत्नी की तरह रखना चाहता हूँ । मै अपनी माँ की चूत को अपने पानी से भर देना चाहता हूँ मैं।
जब तू सुबह चले तो मेरा पानी तेरी चूत से गिरते हुए देखना चाहता हूँ मैं।
तूझे दिन रात नंगी रखना चाहता हूँ मै रत्ना।
जब मेरा मन करे तेरे मुँह में लंड डालकर तुझे चोदना चाहता हूँ मैं।
बोल माँ करने देगी न मुझे बोल ना।

रत्ना;देवा की बात सुनकर जलते हुए शोलों पर जा बैठी थी।
उसका तन उसके मन का साथ छोड चूका था और अग्नि की तरह जलने पर मजबूर हो चुकी रत्ना देवा को अपने नीचे लेकर उसके ऊपर चढ जाती है और अपने दोनों हाथ पीछे डालकर वो अपना ब्लाउज और ब्रा दोनों निकल कर फ़ेंक देती है।
अपने देवा की शर्ट भी वो उतेजना में उतार देती है।



देवा ने इस से पहले कभी अपनी माँ को इस रूप में नहीं देखा था।
वो जान गया था की उस ने औरत के उस रूप को जगा दिया है जिस रूप में वो बहुत कम आती है और जब आती है तो मरद को मरद नहीं रहने देती।

देवा;नीचे नंगा था और उसकी माँ उसके ऊपर आधी नंगी। दोनो एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे।

देवा;दोनों हाथ बढा कर अपने माँ के दोनों बडी बडी चुचियों को जकड लेता है और उसे अपनी तरफ नीचे झुकाता चला जाता है।
अपनी चूत को ठीक देवा के लंड के ऊपर टीका कर रत्ना भी देवा के ऊपर झुकती चली जाती है।

रत्ना;अपने देवा से चिपक जाती है उसके मुँह में अपने निप्पल डाल कर वो सिसकारियां भरने लगती है।

देवा;भी दोनों हाथों में रत्ना की कमर दबोच लेता है।
 
रत्ना;देवा मेरे देवा अब और नहीं रहा जाता।
मुझे अपना बना लो।
मुझे अपनी पत्नी बना ले।
बस तुम्हारे बापू के बारे में बता दो वो ज़िंदा है की मर गये।
बस मुझे और कुछ नहीं जानना।
उसके बाद तुम जो कहोंगे मै करुँगी जैसा चाहोंगे वैसे रहुंगी।
बस मुझे अपनी बना लो....
बहुत तडपती हूँ मै तुम्हारे बिना। रातें नहीं कटती बेटा।
अपनी माँ को जल्दी से अपने लंड की रानी बना ले
तेरी गुलाम बनकर रहूँगी मैं वादा करती हूँ।

देवा;मेरी रत्ना।
तू फिकर मत कर मै भी तुझे चोदने को तड़प रहा हूँ ना।
बापु के बारे में अब जल्दी पता लगा लुँगा मैं।
उसके बाद मुझसे चुदवायेंगी न जैसे मै चाहता हूँ वैसे।

रत्ना; हाँ हाँ चुदवाऊँगी। रोज चुदवाएंगी रत्ना अपने बेटे से अपने होने वाले पति से अपने सुहाग से आहह ज़ोर से चूस मेरे चूचि को अपने मुँह में ले कर काट इसे आहह हाँ ऐसे ही आह्ह्ह....

देवा;मुँह में ले लंड मेरा।चूत तो देती नहीं साली आज तेरी मुँह को ही चोदुँगा तेरी चूत के बदले।


रत्ना;नीचे सरकते चली जाती है अपने होने वाले पति की आज्ञा का पालन करते हुए वो उसका अंडरवियर उतार देती है और झट से उसके लंड को मुठी में भर कर पहले एक मर्तबा चुमती है और अगली मर्तबा मुँह के गहराइयों में ले कर चुसती चली जाती है।
गलप्प गलप्प गलप्प गलप्प्प आह्ह्ह्ह गलप्प्प गलप्प आह्ह्ह गलप्प्प गलप्प।

देवा;माँ माँ आह्ह्ह्ह।
मेरा लौडा तेरी चूत में जायेगा आह्ह्ह।

रत्ना;बस मेरी चूत में गलप्प गलप्प
मेरा लंड है ये आहह गलप्प
गलप्प



वो हलके हलके दाँतो से उसके लंड के सुपाडे को काटते हुए चाटने लगती है।
अपने हलक में जितने अंदर तक वो लंड ले सकती थी उतने अंदर तक उसे लेकर चाटने लगती है चुसने लगती है मरोड़ने लगती है।
आज रत्ना अपने आप में नहीं थी।
 
देवा;का लंड अब रत्ना अपने मुँह से निकालने को तैयार नहीं थी।
मगर देवा की चाहत कुछ और ही था वो आज मिले इस मौके को खोना नहीं चाहता था।
वो अपने हाथ को रत्ना की पेंटी के अंदर डाल देता है।
अपनी चूत पर गरम हाथ लगते ही रत्ना उछल पडती है।

वो और ज़ोर जोर से देवा का लंड चाटने लगती है और देवा और ज़ोर से उसकी चूत को सहलाने लगता है।

देवा;जैसे ही अपनी एक ऊँगली रत्ना की चूत में ड़ालता है। रत्ना अपने मुँह से लंड निकाल कर खड़ी हो जाती है।

देवा;क्या हुआ।

रत्ना;बिना कुछ बोले वहां से जाने लगती है मगर देवा वहीँ उसे दिवार से दबोच लेता है।

देवा;आज अधूरा नहीं जाने दूंगा मैं।
वो अपनी ज़ुबान रत्ना के मुँह में डाल देता है और उसके हाथ में अपना लंड थमा देता है।



इसे ठण्डा कर साली रंडी वरना सब भूल जाऊँगा की तुझसे मैंने कोई वादा किया था।

रत्ना;आह्ह्ह्ह।
करती हूँ ना....
वह नीचे बैठकर फिर से देवा का लंड चाटने लगती है। मगर इस बार देवा के टेस्टीस को भी मरोड़ते हुए चाटती है जिससे देवा के लंड में बला का खिंचाव होने लगता है।देवा अपने लंड को बहुत स्पीड में अपनी माँ रत्ना के मुँह में पेलने लगता है।लंड रत्ना के मुँह में पूरा अंदर बाहर होने लगता है। लंड की नसें इतनी ज़्यादा फूल जाती है की उससे रहा नहीं जाता और वो वही खड़े खड़े रत्ना के मुँह में अपने लंड का गाढा गाढा पानी निकालने लगता है।

लंड से जितना भी पानी निकलता है उस पानी के एक एक क़तरे को रत्ना गिरने नहीं देती और चटखारे मारते हुए उसे पी जाती है।

देवा;खुश था की रत्ना उसकी बातें सुनने लगी है
हर मरद यही चाहता है की उसकी औरत उसकी बात एक आवाज़ में सुने वही करे जो वो चाहता है।

रत्ना;देवा की तरफ देख शरमा जाती है उसके होठो पर अब भी देवा के लंड का वीर्य लगा हुआ था।
 
देवा;रत्ना को फिर से फिर से अपनी बाहों में भर कर बिस्तर पर ले आता है।

रत्ना;क्या देख रहे हो जी।

देवा;तेरे होंठ मेरे लंड के पानी से चमक रहे है।

रत्ना;तुम्हारे होठो को भी चमका दुं।

देवा; कैसे..

रत्ना;अपने होठो को देवा से होठो से मिला देती है और देवा रत्ना के नीचे के होंठ को अपने मुँह में लेकर चुसने लगता है।



रत्ना;सुन.... शालु से बात करूँ क्या नीलम और तुम्हारी शादी के बारे में।

देवा;कर ले।

रत्ना;क्या जल्दी बोलता है। कर ले।
सब मरद हरामी होते है क्या।
एक चूत मिली नहीं की दूसरे के बारे में सोचने लगते है।

देवा;क्या करें ये चूत तड़पा बहुत रही है न।

रत्ना;शादी के बाद मुझे भूल जाओंगे जवान बीवी की बाहों में पड़े रहोंगे इसलिए नहीं दे रही मै भी।

देवा; अच्छा ये बात है। तो सुनो
नीलम भी इसी कमरे में रहेगी और तुम भी एक बिस्तर पर वो भी नंगी। रात भर तुम दोनों सास बहु की चूत मारूँगा मैं।

रत्ना; हाय दैया बहु के सामने करेंगे मुझे नहीं नही।
मुझे नहीं करवाना।

देवा; जोर से रत्ना के निप्पल्स को मरोड़ देता है।

रत्ना;अजजी अजजी अजजी नही न उन्हह।

देवा;साली ये चाहिए की नही।

रत्ना; चाहिए न जी।

देवा;तो वही होंगा जो मै कहुँगा।

रत्ना;ठीक है।
 
देवा;शालू से शादी की बात कर उसके बाद तुझे मै बापू के बारे में बता दूंगा उसके बाद तेरी जुदाई एक पल के लिए भी बर्दाश्त नहीं करुँगा।

रत्ना;मुस्कुराते हुए।
अच्छा और अगर मै फिर से मना कर दूँ तो....

देवा;कर नहीं सकती।

रातना;वो क्यूं।

देवा;अपने हाथ से रत्ना की चूत सहलाने लगता है।
ये तुझे नहीं करने देंगी।

रत्ना;अपनी आँखें बंद कर लेती है।हाँ
सच कहा बेटा। नहीं करुँगी आह्ह।

बाहर से आती आवाज़ से दोनों चौकन्ने हो जाते है।

रत्ना;झट से देवा के ऊपर से उठकर अपने ब्लाउज और ब्रा को लेकर अपने रूम में भाग जाती है।


उसके थोडी देर बाद ममता और प्रिया की आवाज़ें घर के अंदर सुनाई देती है।
वो दोनों अभी अभी शालु के घर से आई थी।

प्रिया;दूसरे रूम में चलि जाती है और ममता देवा को ढूँढ़ती हुए उसके रूम में चली आती है।

रूम में घुसते ही देवा दरवाज़े के पीछे से निकल कर उसे अपनी बाहों में जकड लेता है।

ममता चीखते चीखते रह जाती है।
हाय रे भाई ये क्या किसी की लेकर आ रहे हो क्या
या माँ के साथ थे।

देवा;नहीं मै बाहर जा रहा था कपडे बदल रहा था की तू आ गई।

देवा;अभी भी नंगा ही था।
और उसकी बहन ममता उसके सामने खड़ी थी।


ममता;देवा का लंड हाथ में पकड़ लेती है।
दिल तो कर रहा है अभी पैर खोल कर लेट जाऊं
मगर....

देवा;मगर क्या रानी।

ममता ;प्रिया....

देवा; प्रिया उसकी माँ की चूत....
बहुत गरम चीज़ है सच में बहुत दिन से लेना चाहता हूँ उसकी।

ममता; क्या तुम भी।

देवा; मैं भी मतलब।

ममता ;आओ यहाँ बैठो।
ममता देवा को बिस्तर पर बैठा कर दरवाज़ा बंद कर देती है।
 
ममता ;एक बात बताउँ।

देवा;हाँ बता।

ममता; ये जो प्रिया है ना।
बडी कमिनी है।

देवा;सच में क्या की उसने।

ममता;अरे ये कहो क्या नहीं करती वो।
प्रिया और मेरी सास दोनों एक नंबर की छिनाल है।
रात में जब तक तुम्हारे जीजू और मेरे ससुर इन दोनों को कस कर नहीं चोद लेते।
हरामज़ादियों को नींद नहीं आती।

देवा;का मुँह ये सुनकर खुला का खुला रह जाता है
क्या। जीजा जी और तेरे ससुर।
दोनो मिलकर तेरी सास और तेरी ननद को चोदते है तेरे सामने......

ममता; हाँ....
धीरे बोलो....हाँ बाबा मुझे भी अजीब लगा था
मगर बाद में मुझे भी इस सब की आदत हो गई।

देवा;तो क्या तेरा ससुर भी तुझे।

ममता;नहीं नहीं मै सिर्फ अपने पति के साथ।
न बाबा मै नहीं करवाना चाहती।
अपने ससुर के साथ बिलकुल नही।

ममता की आँखें बता रही थी की वो सफेद झूठ बोल रही है।
देवा उसकी बात पर यक़ीन कर लेता है।

देवा;साली मुझे लगा प्रिया कुँवारी है और मुझसे इस लिए नहीं मरवा रही।
अब तो और मजा आयेगा।

ममता;क्या मतलब।

देवा;अपनी बहन को अपने लंड पर बैठा देता है और उसकी दोनों चुचियों को मसलते हुए उसके कान में कहता है।
तूझे और तेरी ननद को आज रात लुँगा मैं।

ममता; आह्ह्ह्ह्ह।
आज नहीं पहले उसके दिल में क्या है। मुझे पता करने दो।फिर कल देखेंगे....

देवा;कैसे पता लगाएँगी तु।

ममता दिल में सोचने लगती है।
जब मेरी ज़ुबान उसकी चूत से लगेगी न भाई छिनाल सब बता देगी की वो चुदवाना चाहती है या नही।

देवा भी दिल में सोचने लगता है।
कोई बात नहीं आज नहीं तो न सही। कल सही
आज वैसे भी देवा को कहीं और जाना था।
 
अपडेट 92





रात के खाने के बाद देवा बाहर टहलने का कह कर चला जाता है।

रत्ना;भी देवा के लंड की चुसाई से मस्त हो चुकी थी। घर के थोड़े काम निपटा कर वो अपने बिस्तर पर सोने चली जाती है।

ममता और प्रिया एक रूम में सोने चले जाते है।

रत्ना ने ही ममता प्रिया को साथ सोने के लिए कही थी।
मेहमान को अकेले नहीं सुलाया जाता
और यही तो ममता चाहती थी।

रात काफी घिर चुकी थी।
सर्दियों के दिन होने की वजह से गांव वाले जल्दी घर आ जाते थे और रज़ाई में दुबक कर सो भी जल्दी जाते थे।

ममता ;बिना ब्रा और पेंटी के सिर्फ एक नाइटी पहन के प्रिया के बगल में लेटी हुई थी।
दोनो इधर उधर की बातें कर रही थी।
ठंडी हवायें जब खिडकी से होती हुई रूम में उनके बदन से गुज़रती तो एक सरसराहट सी दोनों के जिस्म में दौड जाती और दोनों के दिल में बस एक गरम चीज़ का ख्याल दौड जाता।
देवा के फौलादी लंड का.......

ममता ;तो कई बार उसकी मार खा चुकी थी।
मगर प्रिया अब भी उस दर्द से अन्जान थी।
अपनी माँ कोमल की चुदाई देख कर उसकी आँखों का पानी तो काफी हद तक मर चूका था।
उसे बस एक सहारे की ज़रूरत थी।
ऐसा सहारा जिसकी बदौलत वो देवा तक पहुँच सके।
अपनी भाभी के घर में अपनी भाभी के भाई से चुदवाना तो वो चाहती थी मगर उसे डर भी था की अगर किसी को पता चल गया तो हमेशा की बदनामी हो जाएगी।

मगर प्रिया नहीं जानती थी की आज रात उसकी ज़िन्दगी में वो होने वाला था
जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं होगा।

ममता ;एक टाँग प्रिया के टाँग के बिलकुल पास रख कर उसकी तरफ करवट करके बातें कर रही थी।
ये वही ममता थी जो चुदने से पहले नूतन की चूत की खुशबु सूँघ लेती थी और पहचान भी लेती थी की नूतन की चूत क्या चाहती है।
 
आज भी ममता को वही महक आ रही थी फ़र्क़ सिर्फ इतना था की आज उसके बगल में नूतन नहीं प्रिया थी।
उसकी ननद।

प्रिया;भाभी आपका गांव बहुत खूबसूरत है।
मेरा तो दिल लग गया है यहाँ।

ममता; अच्छा जी दिल गांव में लग गया है या किसी से दिल लग गया है।

प्रिया;शरमा जाती है।
क्या भाभी तुम भी न । जब देखो मज़ाक़ मजाक।

ममता ;ओई होई मेरी भोली भाली ननद जी।
सच बताओ क्या बात है।
चेहरा तो बड़ा खिला खिला लग रहा है यहाँ आ कर तुम्हारा।

प्रिया;कोई बात नहीं है।
मुझे नींद आ रही है।

ममता;तुम्हें तो नींद आ जाएगी मगर मेरा क्या।

प्रिया;क्या मतलब भाभी।

ममता; हाय क्या बताऊँ अब तुम से क्या छुपाना। प्रिया
तेरे भैया की बड़ी याद आ रही है।

प्रिया;ममता की आँखों में देखने लगती है।
इससे पहले उन दोनों के बीच कभी इस तरह की बातें नहीं हुई थी।
मगर आज ममता के दिल में क्या था ये ममता ही जानती थी।
वो अपनी ननद की चूत पर अपना भविष्य देख रही थी।
कहते है अगर सास और ननद का कोई राज़ बहु को पता चल जाए तो सारे घर पर बहु की हुकूमत चलती है।

ममता;कोमल और प्रिया के कई राज़ जानती थी मगर उसकी बातों से ऐसा लग रहा था की वो कुछ और भी चाहती थी।

प्रिया;क्यों भाभी भाई की याद क्यों आ रही है।

ममता ;अपना एक हाथ प्रिया के गले में डाल देती है
हाय रे मेरी भोली भाली प्रिया तुम तो ऐसे पूछ रही हो जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं की मुझे याद क्यों आ रही है।

प्रिया;अपनी आँखें चुराते हुए।
मुझे कैसे पता होंगा भाभी।

ममता;पर मुझे सब पता है।

प्रिया;क्या पता है।

ममता; यही की तू अपने हरी भैया से चुदवाती है।
 
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