hotaks444
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देवा;भी अपनी रत्ना को बाहों में भर कर उसके रसीलें होंठो को चुमने लगता है।
वो मौसम ए बहार की आमद का दिन तो नहीं था हाँ मगर कई सालो से जमी हुए बर्फ की मोटी सी परत अब पिघलने लगी थी।
अपने प्यार को अपने आग़ोश में भर कर जहाँ रत्ना का दिल ख़ुशी से फुला नहीं समां रहा था वहीँ देवा भी अपनी माँ में आये इस बदलाव से बेहद खुश था।
देवा;रत्ना की कमर को पीछे से पकड़ कर उसे उठा लेता है।
मर्द की मज़बूत बाहों में आकर रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।
दोनो के होंठ अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे।
बस साँसें तेज़ हुए जा रही थी।
जहां माँ की मोहब्बत एक प्रेमिका का रूप ले चुकी थी।
वही बेटा भी अपनी माँ को पत्नी का दर्जा देने को बेकरार था।
देवा;रत्ना को बिस्तर पर लिटा देता है।
रत्ना; आहह देवा....
धीरे से ना.....
देवा;के हाथ अपने काम में लग चुके थे। वो रत्ना का साडी का पल्लू हटा कर उसके ब्लाउज के बटनों को खोलते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगता है उसकी इस हरकत से रत्ना के तनबदन में झुरझुरी सी पैदा हो जाती है।
चुत की फाँके आपस में शोर मचाने लगती है
और चीखते हुए रत्ना से कहने लगती है की
आज मिला दे हमे भी हमारे मेहबूब से।
उस ज़ालिम लंड से जिस की तपीश में आकर कई चुतों ने हार मान ली।
जिस की गर्मी की इन्तहाँ इतनी ज़्यादा है की हर चूत उसे अपने अंदर लेना चाहती है।
रत्ना;क्या कर रहे हो देवा।
देवा;अपनी रत्ना का दूध पीना है मुझे माँ...
रत्ना;आहह ऐसे नही ना बेटा।
देवा;मुझे ऐसे ही पीना है माँ।
रत्ना;आहह धीरे से आह्ह्ह्ह।
देवा;सच में इतनी ज़ोर से रत्ना की चुचियों को मसल रहा था की एक पल के लिए रत्ना को ये डर सताने लग गया था की कहीं उसके इस तरह मसलने से कई सालों का जमा हुआ दूध न निकलने लगे।
देवा;भी अपनी रत्ना को बाहों में भर कर उसके रसीलें होंठो को चुमने लगता है।
वो मौसम ए बहार की आमद का दिन तो नहीं था हाँ मगर कई सालो से जमी हुए बर्फ की मोटी सी परत अब पिघलने लगी थी।
अपने प्यार को अपने आग़ोश में भर कर जहाँ रत्ना का दिल ख़ुशी से फुला नहीं समां रहा था वहीँ देवा भी अपनी माँ में आये इस बदलाव से बेहद खुश था।
देवा;रत्ना की कमर को पीछे से पकड़ कर उसे उठा लेता है।
मर्द की मज़बूत बाहों में आकर रत्ना अपना बदन ढीला छोड देती है।
दोनो के होंठ अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे।
बस साँसें तेज़ हुए जा रही थी।
जहां माँ की मोहब्बत एक प्रेमिका का रूप ले चुकी थी।
वही बेटा भी अपनी माँ को पत्नी का दर्जा देने को बेकरार था।
देवा;रत्ना को बिस्तर पर लिटा देता है।
रत्ना; आहह देवा....
धीरे से ना.....
देवा;के हाथ अपने काम में लग चुके थे। वो रत्ना का साडी का पल्लू हटा कर उसके ब्लाउज के बटनों को खोलते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगता है उसकी इस हरकत से रत्ना के तनबदन में झुरझुरी सी पैदा हो जाती है।
चुत की फाँके आपस में शोर मचाने लगती है
और चीखते हुए रत्ना से कहने लगती है की
आज मिला दे हमे भी हमारे मेहबूब से।
उस ज़ालिम लंड से जिस की तपीश में आकर कई चुतों ने हार मान ली।
जिस की गर्मी की इन्तहाँ इतनी ज़्यादा है की हर चूत उसे अपने अंदर लेना चाहती है।
रत्ना;क्या कर रहे हो देवा।
देवा;अपनी रत्ना का दूध पीना है मुझे माँ...
रत्ना;आहह ऐसे नही ना बेटा।
देवा;मुझे ऐसे ही पीना है माँ।
रत्ना;आहह धीरे से आह्ह्ह्ह।
देवा;सच में इतनी ज़ोर से रत्ना की चुचियों को मसल रहा था की एक पल के लिए रत्ना को ये डर सताने लग गया था की कहीं उसके इस तरह मसलने से कई सालों का जमा हुआ दूध न निकलने लगे।