hotaks444
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उस रात खाना खाने के बाद मैने माँ को बोला,,,,,,,,,,,,,,,माँ मुझे आज यहीं सोना है
कल रात उस घर मे नींद नही आई,,,,मेरे इतना बोलते ही सोनिया फिर से मुझे घूर्ने लगी
माँ--लेकिन बेटा इस घर मे एसी नही है ऑर तुझे एसी के बिना नींद नही आनी,,,,,,,,,
मैं--नही माँ मैं सो जाउन्गा बिने एसी के ,,,,,आप ऐसा करो सोनिया के साथ सो जाओ जाके ऑर मैं मामा
के साथ आपके वाले रूम मे सो जाता हूँ,,,,,,,,वैसे भी यहाँ गर्मी बहुत कम है गाँव मे,,,
फॅन चला कर ही सो जाउन्गा मैं,,,,,सोनिया कंटिन्यू मुझे घूर रही थी,,,,,,,,
माँ--लेकिन बेटा तू समझता क्यूँ नही ,,,माँ ने मुझे मामा की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,
मैं समझ गया कि माँ रात को मामा से चुदवाती होगी तभी इस घर मे सोना चाची थी,,,
मैं--माँ आप जाओ ना प्लज़्ज़्ज़ ,,,,,मैं यही सोना चाहता हूँ,,,,,,,,
माँ ने मेरी बात मान ली ऑर सोनिया के साथ चली गई जबकि मैं माँ के रूम मे मामा के साथ
सो गया,,,,,,,,,,,,,,,
मामा--अरे क्या किया बेटा तुझे पता है मुझे रात को नींद नही आती जब तक तेरी माँ को नही चोद
लेता एक बार ऑर ना ही उसको नींद आती है लंड लिए बिना,,,,,,सारा काम खराब कर दिया तूने,,
मैने मन ही मन बोला साले कमिने तुझे मेरी माँ की चुदाई की फ़िक्र है ऑर अगर मैं उस
घर मे सोने चला जाता तो मेरी माँ तो वैसे भी चुद जानी थी सोनिया के हाथों से,,,,
मैने कोई जवाब नही दिया ऑर चुप चाप सो गया,,,,वैसे भी ये घर बहुत खुला था ऑर
इसके रूम भी बड़े बड़े थे जिस से गर्मी का बिल्कुल भी एहसास नही हुआ ऑर अच्छी नींद आई
मुझे,,,,,,सुबह 5 बजे आँख खुली तो देखा मामा वहाँ नही था मैं समझ गया कि मामा
फिर से रेखा की चुदाई करने गया होगा इसलिए मैं भी जल्दी से उठा ऑर उसी जगह चला गया
लेकिन वहाँ कोई नही था ,,,,रेखा तो अंदर थी ऑर भैंसो को चारा डाल रही थी,,,
क्या हुआ सन्नी किसको ढूंड रहा है,,,,,,,रेखा ने मुझसे पूछा,,,,
मैं--मैं मामा को ढूँढ रहा था सोचा कि अब भी वो यहीं होगा ,,,,,
रेखा--नही वो यहाँ नही है नये घर मे है,,,,किसी ऑर के साथ,,,,,आज मेरी चूत मारने को दिल नही किया
उसका इसलिए नये घर मे किसी ऑर की मार राह है,,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगी,,
मैने सोचा नये घर मे तो माँ है,,कहीं मामा माँ को तो नही चोद रहा,,,,ऑर इसको कैसे
पता मामा ऑर माँ के बारे मे मैने उस से कोई बात नही की ऑर जल्दी से नये घर की तरफ
चल पड़ा मैं वापिस पलट कर उसको देख रहा था वो अब भी हंस रही थी,,,,,
मैने गेट खोला ऑर अंदर चला गया ,,जैसे मैं अंदर गया मैने देखा कि माँ ऑर मामा
छत से नीचे आ रहे थे मुझे देख कर मामा हँसने लगा,,,,,,,तू लेट हो गया भानजे हम
लोगो का काम पूरा हो गया,,,,तभी माँ मेरे पास आई ऑर मुझे गले लगा लिया,,,,रात को तूने
मुझे प्यासे ही सुला दिया इसलिए सुबह सुबह ही तेरे मामा ने मेरी रात की प्यास भुजा दी इतना
बोल कर माँ ने मुझे किस किया ऑर वहाँ से चली गई उसके साथ मामा भी चला गया,,,,,,,
मुझे इस बात की हैरत नही थी कि मामा ऑर मा ने सुबह सुबह चुदाई करली बल्कि हैरत
इस बता की थी कि माँ ऑर मामा के बारे मे रेखा को कैसे पता,,,,,कहीं मामा ने उसको सब
कुछ बता तो नही दिया है,,,
मैं वापिस रेखा के पास चला गया देखा कि वो दूध निकाल रही थी ,,,,तभी एक आदमी भी
वहाँ आ गया एक ज़ीप लेके उसके पास बहुत सारे दूध वाले कॅन थे,,,,वो भी रेखा की हेल्प
करने लगा दूध को उन कॅन्स मे भरने के लिए,,,,मुझे लगा कि अब बात करने का ठीक टाइम
नही है तो मैं वहाँ से चला गया,,,,,,,,,,,
दोपेहर मे हम लोग बैठे बातें कर रहे थे सभी लोग थे चाचा जी के रूम मे तभी
रेखा वहाँ आ गई,,,,,,,,,,,,
क्या काम है रेखा ,,,चाची ने उसको पूछा,,,,,,,
रेखा-मालकिन ये पैसे वो दूध वाला मनोहर देके गया है ,,,इस महीने का हिसाब है,,,,,,
वो बंदा जो सुबह रेखा के साथ था वो चाचा जी से दूध लेके शहर मे बेचने जाता था
अब सारा दूध घर मे तो नही लग सकता था ,,,,,वो महीने के महीने हिसाब करता था आज
वो हिसाब करके गया था रेखा वही पैसे देने आई थी,,,,,उसने पैसे दिए ऑर वहीं खड़ी रही,,,
कोई ऑर काम भी है क्या रेखा,,,,चाची ने पूछा,,,,,
रेखा--जी मालकिन,,,,,वो चारे वाली मशीन की मोटर खराब हो गई थी,,,मैने सुरिंदर को बोल कर वो
मोटर उतरवा दी थी लेकिन अब ठीक कराने के लिए शहर जाना पड़ेगा ,,,,अगर कोई चलता तो
कल रात उस घर मे नींद नही आई,,,,मेरे इतना बोलते ही सोनिया फिर से मुझे घूर्ने लगी
माँ--लेकिन बेटा इस घर मे एसी नही है ऑर तुझे एसी के बिना नींद नही आनी,,,,,,,,,
मैं--नही माँ मैं सो जाउन्गा बिने एसी के ,,,,,आप ऐसा करो सोनिया के साथ सो जाओ जाके ऑर मैं मामा
के साथ आपके वाले रूम मे सो जाता हूँ,,,,,,,,वैसे भी यहाँ गर्मी बहुत कम है गाँव मे,,,
फॅन चला कर ही सो जाउन्गा मैं,,,,,सोनिया कंटिन्यू मुझे घूर रही थी,,,,,,,,
माँ--लेकिन बेटा तू समझता क्यूँ नही ,,,माँ ने मुझे मामा की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,
मैं समझ गया कि माँ रात को मामा से चुदवाती होगी तभी इस घर मे सोना चाची थी,,,
मैं--माँ आप जाओ ना प्लज़्ज़्ज़ ,,,,,मैं यही सोना चाहता हूँ,,,,,,,,
माँ ने मेरी बात मान ली ऑर सोनिया के साथ चली गई जबकि मैं माँ के रूम मे मामा के साथ
सो गया,,,,,,,,,,,,,,,
मामा--अरे क्या किया बेटा तुझे पता है मुझे रात को नींद नही आती जब तक तेरी माँ को नही चोद
लेता एक बार ऑर ना ही उसको नींद आती है लंड लिए बिना,,,,,,सारा काम खराब कर दिया तूने,,
मैने मन ही मन बोला साले कमिने तुझे मेरी माँ की चुदाई की फ़िक्र है ऑर अगर मैं उस
घर मे सोने चला जाता तो मेरी माँ तो वैसे भी चुद जानी थी सोनिया के हाथों से,,,,
मैने कोई जवाब नही दिया ऑर चुप चाप सो गया,,,,वैसे भी ये घर बहुत खुला था ऑर
इसके रूम भी बड़े बड़े थे जिस से गर्मी का बिल्कुल भी एहसास नही हुआ ऑर अच्छी नींद आई
मुझे,,,,,,सुबह 5 बजे आँख खुली तो देखा मामा वहाँ नही था मैं समझ गया कि मामा
फिर से रेखा की चुदाई करने गया होगा इसलिए मैं भी जल्दी से उठा ऑर उसी जगह चला गया
लेकिन वहाँ कोई नही था ,,,,रेखा तो अंदर थी ऑर भैंसो को चारा डाल रही थी,,,
क्या हुआ सन्नी किसको ढूंड रहा है,,,,,,,रेखा ने मुझसे पूछा,,,,
मैं--मैं मामा को ढूँढ रहा था सोचा कि अब भी वो यहीं होगा ,,,,,
रेखा--नही वो यहाँ नही है नये घर मे है,,,,किसी ऑर के साथ,,,,,आज मेरी चूत मारने को दिल नही किया
उसका इसलिए नये घर मे किसी ऑर की मार राह है,,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगी,,
मैने सोचा नये घर मे तो माँ है,,कहीं मामा माँ को तो नही चोद रहा,,,,ऑर इसको कैसे
पता मामा ऑर माँ के बारे मे मैने उस से कोई बात नही की ऑर जल्दी से नये घर की तरफ
चल पड़ा मैं वापिस पलट कर उसको देख रहा था वो अब भी हंस रही थी,,,,,
मैने गेट खोला ऑर अंदर चला गया ,,जैसे मैं अंदर गया मैने देखा कि माँ ऑर मामा
छत से नीचे आ रहे थे मुझे देख कर मामा हँसने लगा,,,,,,,तू लेट हो गया भानजे हम
लोगो का काम पूरा हो गया,,,,तभी माँ मेरे पास आई ऑर मुझे गले लगा लिया,,,,रात को तूने
मुझे प्यासे ही सुला दिया इसलिए सुबह सुबह ही तेरे मामा ने मेरी रात की प्यास भुजा दी इतना
बोल कर माँ ने मुझे किस किया ऑर वहाँ से चली गई उसके साथ मामा भी चला गया,,,,,,,
मुझे इस बात की हैरत नही थी कि मामा ऑर मा ने सुबह सुबह चुदाई करली बल्कि हैरत
इस बता की थी कि माँ ऑर मामा के बारे मे रेखा को कैसे पता,,,,,कहीं मामा ने उसको सब
कुछ बता तो नही दिया है,,,
मैं वापिस रेखा के पास चला गया देखा कि वो दूध निकाल रही थी ,,,,तभी एक आदमी भी
वहाँ आ गया एक ज़ीप लेके उसके पास बहुत सारे दूध वाले कॅन थे,,,,वो भी रेखा की हेल्प
करने लगा दूध को उन कॅन्स मे भरने के लिए,,,,मुझे लगा कि अब बात करने का ठीक टाइम
नही है तो मैं वहाँ से चला गया,,,,,,,,,,,
दोपेहर मे हम लोग बैठे बातें कर रहे थे सभी लोग थे चाचा जी के रूम मे तभी
रेखा वहाँ आ गई,,,,,,,,,,,,
क्या काम है रेखा ,,,चाची ने उसको पूछा,,,,,,,
रेखा-मालकिन ये पैसे वो दूध वाला मनोहर देके गया है ,,,इस महीने का हिसाब है,,,,,,
वो बंदा जो सुबह रेखा के साथ था वो चाचा जी से दूध लेके शहर मे बेचने जाता था
अब सारा दूध घर मे तो नही लग सकता था ,,,,,वो महीने के महीने हिसाब करता था आज
वो हिसाब करके गया था रेखा वही पैसे देने आई थी,,,,,उसने पैसे दिए ऑर वहीं खड़ी रही,,,
कोई ऑर काम भी है क्या रेखा,,,,चाची ने पूछा,,,,,
रेखा--जी मालकिन,,,,,वो चारे वाली मशीन की मोटर खराब हो गई थी,,,मैने सुरिंदर को बोल कर वो
मोटर उतरवा दी थी लेकिन अब ठीक कराने के लिए शहर जाना पड़ेगा ,,,,अगर कोई चलता तो