Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - Page 25 - SexBaba
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Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही

भाभी कुछ देर ऐसे ही मुझे किस करती रही और लंड को हाथ मे लेके मसल्ति रही फिर कुछ देर बाद भाभी
मेरे जिस्म से उपर उठ गई ऑर मेरे लिप्स से अपने लिप्स दूर करके मेरी चेस्ट पर किस करने लगी ऑर साथ ही मेरे
लंड को मसलती रही ,,,,फिर भाभी मेरी चेस्ट से नीचे की तरफ बढ़ने लगी ऑर नीचे बढ़ती हुई अपने लिप्स को मेरी
चेस्ट पर टच करने लगी ऑर हल्की हल्की किस करके नीचे बढ़ती रही,,,,कुछ देर बाद भाभी फिर से मेरे लंड
के करीब पहुँच गई ऑर लंड पर अपने लिप्स रख कर हल्की किस करने लगी,,,,ऑर जैसे ही भाभी मे अपना मुँह 
खोला ऑर मेरे लंड को मुँह मे लेने लगी तभी बाहर डोर बेल बजी,,,,

मेरो तो गान्ड ही फॅट गई ऑर शायद भाभी की भी,,,,,,,

मुझे लगा कि शायद कविता आ गई ऑर अगर कविता आई है तो पक्का साथ मे सोनिया भी होगी ऑर अगर उसने मुझे
इस हालत मे देख लिया तो मेरी मौत पक्की है आज,,मेरे को तो पसीना आने लगा ऑर शायद रंग भी पीला पड़ गया
था मेरा,,,,

तभी भाभी एक दम से बेड से उठी,,,,तुम यही रूको मैं देखती हूँ कॉन है,,,

मेरे हाथ तो खोल दो भाभी ताकि मैं जल्दी से कपड़े पहन सकूँ ,,,,,

तुम टेन्षन मत लो आराम से यहीं लेटे रहो ऑर कोई आवाज़ मत करना मैं देखती हूँ कॉन है बाहर ,,,

लेकिन भाभी,,,,,मैं अभी बोलने ही लगा था कि भाभी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,बोला ना चुप करके
लेटे रहो को आवाज़ मत करना मैं देख कर आती हूँ कॉन है बाहर,,,,,,,,,

इतना बोलकर भाभी पीछे हट गई ओर फिर कोई 2-3 मिनट बाद मुझे भाभी के रूम का दरवाजा खुलने ऑर
बंद होने की आवाज़ आई,,,,,,भाभी रूम से बाहर चली गई थी,,,,ऑर मैं यहाँ बेड पर लेटा हुआ डर से काँप
रहा था ,,मेरी गान्ड फटी हुई थी मेरी बॉल्स मेरे गले मे अटकी हुई थी,,,मैं उठकर कपड़े पहनना चाहता 
था लेकिन मेरे हाथ बँधे हुए थे मैं कुछ नही कर सकता था बस दुआ ही कर सकता था कि बाहर जो कोई
भी है वो इस रूम मे नही आए,,,

मैं अंदर बेड पर लेटा हुआ था दोनो हाथ बेड से बँधे हुए थे आँखों पर भी पट्टी बँधी हुई थी,,बाहर
डोर बेल बजी ऑर भाभी बाहर चली गई,,,,अंदर मेरी बेड पर लेटे हुए ही गान्ड फटी हुई थी ये सोच सोच कर
कि बाहर गेट पर कॉन आया होगा,,,सबसे ज़्यादा डर था मुझे कविता के आने का लेकिन उस से भी कहीं ज़्यादा डर 
था मुझे कविता के साथ सोनिया के आने का क्यूकी अगर कविता मुझे ऐसी हालत मे देख लेती तो मुझे इतना फ़र्क 
नही पड़ने वाला था ,वैसे पंगा तो तब भी बहुत होना था लेकिन अगर सोनिया मुझे ऐसी हालत मे यहाँ देख 
लेती तो मेरी मौत आज पक्की थी ,,,,,,यही बिस्तेर मे मेरी लाश मिलनी थी आँखों पर पट्टी ऑर हाथ बँधे हुए,,

मैं बेड पर लेटा पता नही क्या क्या सोच रहा था तभी रूम का दरवाजा खुला ऑर कोई अंदर आ गया,,मेरी 
गान्ड अभी भी फटी हुई थी लेकिन जल्दी ही मैं शांत हो गया क्यूकी अंदर आते ही भाभी की आवाज़ मेरे कानो
मे पड़ी थी,,,,,

इतना पसीना क्या आ गया है तुमको सन्नी ,,,,,,,एसी ऑन है फिर भी तुमको गर्मी लग रही है क्या,,,,इतना बोलके
भाभी हँसने लगी,,,,

आग लगाओ एसी को भाभी आपको मज़ाक सूझ रहा है यहाँ मेरी गान्ड फटी हुई थी,,कॉन आया था गेट पर,,,,

अच्छा तेरी भी फटी है क्या ,,मुझे तो लगा था तू ही सब्की फाड़ता है,,भाभी फिर हँसने लगी,,,,

आज भाभी कुछ ज़्यादा ही खुल कर बातें कर रही थी ,,,,या तो मेरे साथ मस्ती का असर था या फिर मेरी आँखों
पर बँधी हुई पट्टी का असर जिस वजह से भाभी बिल्कुल भी शर्म नही रही थी,,,,

हाँ भाभी ऐसे मोके पर मेरी भी कभी कभी फॅट जाती है,,,बोलो ना कॉन आया था गेट पर,,,,

इतना मत डरो कोई नही था तुम टेन्षन मत लो,,,,

कोई नही था फिर डोर बेल अपने आप बजने लगी थी क्या,,,,

अरे मेरा मतलब घर का कोई सदस्य नही था,,पोस्टमॅन था,,,,अब चला गया है,,,,

अच्छा पोस्टमॅन था,,,,,,पोस्टमॅन का सुनकर मेरी जान मे जान आ गई,,,
अच्छा तो पोस्टमॅन से आपका कोई चक्कर वक्कर है क्या,,,मैने हँसते हुए भाभी से पूछा,,,मेरा डर अब 
कहीं उड़ गया था इसलिए मैं भी भाभी से मस्ती करने लगा था,,,,

चक्कर ???????कैसा चक्कर सन्नी,,,,,,,,,,

अरे आप पोस्ट मॅन को मिलने बिना कपड़ो के बाहर भाग गई थी इसलिए पूछा,,,,

चल बेशरम मैं बिना कपड़ो के थोड़ी गई थी,,कपड़े पहन कर गई थी,,नही यकीन तो ये देख ले,

भाभी मेरे पास आई ओर अपने बूब्स मेरे मुँह पर रख दिए,,,,मुझे भाभी के जिस्म पर कपड़ो का एहसास हुआ

देख कुछ महसूस हुआ मेरे जिस्म पर कपड़े है या नही,,,,इतना बोलकर भाभी भी हँसने लगी

मैने भी अपना मुँह खोला लेकिन हँसने के लिए नही ,,मैने भाभी के एक बूब को उनके कुर्ते के उपर से ही मुँह
मे भर लिया ओर हल्के से काट दिया,,,,

भाभी एक मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गई,,,,,,,,,,थोड़ा आराम से करले मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या,,इतना बोलके
भाभी पीछे हट गई ,,शायद फिर कपड़े उतारने लगी थी,,,,,,

भाभी ये पट्टी खोल दो ना मुझे आपके नंगे ऑर खूबसूरत जिस्म को देखना है,,,,

नही सन्नी अगर पट्टी खोल दूँगी तो कुछ नही कर सकूँगी मैं ,,,बस शरमाती रह जाउन्गी ,,,अब पट्टी की वजह
से शरम दूर हुई है मेरी ऑर मस्ती करने की हिम्मत आई है,,,प्लीज़ इस पट्टी को ऐसे ही रहने को ऑर मस्ती करो 
मेरे साथ मिलकर,,,इतना बोलकर भाभी बेड पर आ गई ऑर आते ही मुझे किस करने लगी,,किस करते हुए मेरे जिस्म
से एक दम सट गई थी मुझे पता चल गया था कि भाभी फिर से नंगी हो गई है जिस से मुझे मस्ती से छेड़ने
लगी थी ऑर मेरा लंड फिर से ओकात मे आने लगा था भाभी ने भी जल्दी से मेरे लंड को हाथ मे ले लिया ऑर
किस करते हुए लंड की मूठ मारने लगी,,,फिर कुछ देर बाद भाभी उठकर बैठ गई क्यूकी बेड बहुत ज़्यादा हिला
था,,,भाभी ने उठकर मेरे लंड को तेज़ी से हाथ मे लेके मूठ मारना शुरू कर दिया,,,,

अब देख मैं क्या हाल करती हूँ तेरा सन्नी,,,इतना बोलकर भाभी मेरे लंड पर झुक गई ऑर मेरे लंड को 
मुँह मे ले लिया,,,पहले तो हल्के हल्के अपने सॉफ्ट लिप्स से मेरे लंड की टोपी पर किस करने लगी फिर लंड की टोपी
पर अपनी ज़ुबान घुमाने लगी ऑर लंड की टोपी को अपनी ज़ुबान से चाटने लगी फिर कुछ देर बाद मुँह को थोड़ा
ज़्यादा खोलकर लंड को मुँह मे भर लिया ऑर हल्के हल्के सर को उपर नीचे करने लगी ,,,,कुछ देर तो मुँह को
उपर नीचे करती रही फिर रुक कर आधे से ज़्यादा लंड को मुँह मे लेके अपने मुँह मे मेरे लंड पर अपनी
ज़ुबान घुमाने लगी ,,भाभी मुँह मे अंदर अपनी ज़ुबान से मेरे लंड के साथ खेलने लगी,,,मुझे बड़ा 
मज़ा आने लगा था क्यूकी अब भाभी बहुत कुछ सीख गई थी,,अब तो लंड चूसने का अंदाज़ भी बिल्कुल मस्ती
भरने वाला हो गया था,,,भाभी मेरे लंड को पूरा मुँह मे लेने की कोशिस करने लगी लेकिन इतना बड़ा लंड
मुँह मे लेना अभी भाभी के बस की बात नही थी इसलिए वो आधे से थोड़ा ज़्यादा लंड को मुँह मे भरके चूसने
लगी थी,,जिस तरह से पहली बार उन्होने मेरा लंड चुसाइ था उस अंदाज़ से तो आज का अंदाज़ काफ़ी बेहतर लग
रहा था उनका,,मेरा आधे से ज़्यादा लंड उनके मुँह मे था जो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी ऑर मेरे लिए भी 
क्यूकी पहली बार तो वो आधा लंड भी मुँह मे नही ले पा रही थी ऑर आज तो आधे से भी ज्याद लंड मुँह मे ले
रही थी,,,भाभी आधे से ज़्यादा लंड को मुँह मे लेके चूस रही थी ऑर बाकी बचे लंड पर अपने हाथ से मूठ
मार रही थी भाभी के लंड चूसने का अंदाज़ बहुत निराला हो गया था ऑर नये खिलाड़ी से लंड चुसवाने की
एक्सिट्मांट ने मुझे कुछ ज़्यादा ही मस्त कर दिया था मुझे लगने लगा था कि मेरा लंड अब पानी छोड़ने 
वाला है ऑर छोड़ता भी क्यू नही भाभी पीछे 10-15 मिनट से मेरे लंड को बड़े मस्त अंदाज़ मे चूस
रही थी ऑर साथ ही मूठ भी मार रही थी मुझे लगा कि अब मेरा होने ही वाला है लेकिन तभी भाभी ने 
मेरे लंड को मुँह से निकाल दिया,,,,
 
भाभी म्मूउहह सीई क्क्यययूउ ननीककाल्ल्ला चुउस्स्त्ती र्राहहू नाआ म्मेरेरा हहूननी हहीी व्वाल्ला
हहाइईईईई,,,,,,,,,,,

नही सन्नी अभी नही होने देना अपना कम अभी तो मुझे तेरे को दूसरा सर्प्राइज़ देना है इतना बोलकर भाभी
मेरे उपर आने लगी,,,,

भाभी आपकी पहली बार गान्ड मारनी है मुझे आप उपर मत आओ मेरे हाथ खोल दो ताकि मैं खुद आपकी गान्ड
मार सकूँ आप से पहली बार मे नही होगा प्लाज़्ज़्ज़ मेरे हाथ खोल दो मेरा वैसे भी होने ही वाला है ,,

ठीक है लेकिन अपनी पट्टी मत खोलना ऑर तेरा हाथ भी एक ही खोलूँगी मैं दूसरा नही,,,,

ठीक है भाभी एक हाथ खोल दो लेकिन जल्दी खोलो अब रुका नही जाता मेरे से ,,जल्दी से अपना मूसल आपकी
गान्ड मे घुसाने को दिल कर रहा है ,,,,,,भाभी आगे बढ़ी ऑर मेरा एक हाथ खोल दिया ,,,,,,

मैं उठकर बैठ गया इतने मे भाभी मेरे सामने झुक कर कुतिया बन गई क्यूकी उनकी गान्ड मेरे करीब
थी ऑर मेरा हाथ उनकी पीठ पर आ गया था मैने हाथ को उनकी गान्ड की तरफ ले जाना शुरू किया इतने मे उन्होने
मेरे हाथ को अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर अपनी गान्ड पर रख दिया,,उनकी गान्ड पर अभी भी थोड़ा आयिल लगा हुआ 
था कुछ आयिल कपड़े पहनने की वजह से कपड़ो पर लग गया होगा बहभही के लेकिन थोड़े आयिल से भी भाभी की 
गान्ड काफ़ी चिकनी लग रही थी ओर इधर मेरा लुडन भी भाभी के थूक की वजह से काफ़ी चिकना हो गया था मैने
लंड को हाथ मे लिया ऑर भाभी की गान्ड के होल पर रखा ऑर हलके से ज़ोर लगाया लेकिन लंड गान्ड मे नही गया
मैने फिर कोशिस की ऑर थोड़ा थूक गान्ड पर लगा दिया जिस से गान्ड का होल ज़्यादा चिकना हो गया एक तो 
पहले से गान्ड पर आयिल लगा हुआ था उपर से मेरा थूक लगने से गान्ड ज़्यादा चिकनी हो गई थी ,,,मैने अपने
लंड को हाथ मे लिया ऑर हल्के से ज़ोर लगाया तो लंड गान्ड मे घुस गया तभी भाभी की दबी हुई सिसकी निकल्ने
लगी लेकिन भाभी ने मुँह पर हाथ रखके सिसकी को दबा दिया इसलिए हल्की सी आवाज़ निकली भाभी के मुँह से लेकिन
वो आवाज़ मुझे कुछ ठीक नही लगी खैर मैने लंड को पीछे किया ऑर फिर से हल्का ज़ोर लगा कर आगे किया तो
इस बार आधा लंड भाभी की गान्ड मे चला गया भाभी की फिर दबी हुई आवाज़ निकली ,,मैने ऑर ज़्यादा लंड 
घुसाना मुनासिब नही समझा क्यूकी भाभी की पहली गान्ड चुदाई थी इसलिए लेकिन मुझे भाभी की गान्ड इतनी भी
ज़्यादा टाइट नही लग रही थी हालाकी उनकी पहली गान्ड चुदाई थी उनकी गान्ड तो टाइट होनी चाहिए थी फिर मुझे 
याद आया कि शोभा ने भाभी की गान्ड मे नकली लंड देके इसको थोड़ा खोल दिया था हो सकता है भाभी ने भी अपनी
गान्ड मे कुछ लिया हो ताकि वो अपनी गान्ड को थोड़ा खुली कर सके मेरे बड़े मूसल के लिए ,,,,

भाभी की गान्ड भले ही थोड़ी खुल गई थी लेकिन फिर भी मेरा बड़ा मूसल पूरा टाइट होने अंदर बाहर हो रहा था
क्यूकी एक तो भाभी की गान्ड मे पहली बार असली लंड गया था दूसरा मेरा लंड था ही इतना मोटा की खुली गान्ड मे भी
पूरी रगड़ ख़ाता हुआ अंदर जाता था ऑर ये तो नई नवेली गान्ड थी,मुझे ऐसा लग रहा था मैं अपने दोनो हाथों
पर आयिल लगा कर अपने लंड को माजब्बूती से पकड़ कर मूठ मार रहा हूँ मुझे सच मे भाभी की गान्ड मारने
बहुत मज़ा आ रहा था ,,,,इतना मज़ा आ रहा था कि मुझे बीच बीच मे एक ज़ोर का मस्ती भरा झटका लगा रहा 
था ,,,


मैं अपना एक हाथ भाभी की पीठ पर रख कर तेज़ी से भाभी की गान्ड मार रहा था कि तभी मुझे एक
जबरदस्त झटका लगा ,,कुछ देर बाद मैने अपनी स्पीड थोड़ी तेज करदी लेकिन अभी भी मैं आधे लंड से ही भाभी
की गान्ड मार रहा था पूरा लंड घुसने का दिल तो कर रहा था लेकिन डर भी लग रहा था कहीं पूरा लंड एक
झटके मे घुसा दिया तो भाभी को दर्द होगा ऑर कहीं दर्द ज़्यादा हो गया तो भाभी मुझे मस्ती नही करने देगी
फिर अपना हाथ जगन-नाथ करके ही पानी निकालना पड़ेगा इसी बात से डर कर मैं आधे लंड से ही भाभी की गान्ड
मारने लगा लेकिन मेरी स्पीड तेज थी,,मेरी स्पीड तेज होने से भाभी की सिसकियाँ शुरू हो गई लेकिन साथ ही मुझे एक
दबी दबी आवाज़ सुनाई दे रही थी शायद भाभी अपने मुँह पर हाथ रख लेती थी सिसकियाँ लेते टाइम,,मेरा हाथ 
भाभी की पीठ पर था ,,हाई क्या मस्त कोमल पीठ थी उनकी हाथ फिसलता ही जा रहा था एक दम पतली कमर ऑर
वो भी संगमरमर की तरह एक दम चिकनी,,हाथ घुमाने की ज़रूरत नही हाथ रखते खुद ही अपने आप फिसलने
लग जाता था लेकिन मेरा हाथ उनकी पूरी पीठ तक नही आ पा रहा था,,मैने अपने हाथ को भाभी के बूब्स तक ले जाने
की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा क्यूकी मेरा एक हाथ अभी भी बेड से बँधा हुआ था ,,ऐसी हालत मे मेरा हाथ 
उनकी आधी पीठ तक ही जा रहा था उनके बूब्स तक भी नही पहुँच रहा था ,,,लेकिन उनकी आधी नंगी पीठ पर ही
हाथ घुमा घुमा कर मेरी मस्ती बढ़ने लगी थी बीच बीच मे मेरा हाथ उनकी कमर तक भी चला जाता था
जो एक दम पतली थी ,,,

मैने सोचा कि मेरा हाथ भाभी के बूब्स तक नही जा रहा तो क्या हुआ मैं भाभी की चूत पर हाथ रख लेता हूँ
क्यूकी वैसे भी कुछ ही देर मे मेरा होने वाला था तो सोचा क्यू ना भाभी की चूत मे भी उंगली करनी शुरू कर
दूँ ताकि भाभी का काम भी जल्दी हो जाए ऑर वो मेरे साथ ही झड जाए ,,,मैने जैसे ही अपना हाथ भाभी की
चूत पर ले जाना चाहा तभी भाभी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया ऑर वापिस अपनी पीठ पर रख दिया,,
मैं वापिस अपने हाथ को भाभी की चूत पर ले जाने लगा तभी मुझे महसूस हुआ कि भाभी कुछ ज़्यादा ही हिलने
जुलने लगी थी मैं समझ गया कि भाभी खुद अपने हाथ से अपनी चूत मे उंगली करने लगी थी ,,उनको खुद चूत मे
उंगली करके मज़ा लेना था तभी मेरा हाथ चूत तक नही जाने दिया भाभी ने,,,यही सोच कर मैने अपने हाथ को 
चूत की तरफ नही ले जा कर वापिस भाभी की पीठ पर रख दिया ,,भाभी की हल्की हल्की सिसकियाँ अब थोड़ा तेज हो 
गई थी लेकिन बीच बीच मे दबी दबी आवाज़ मे भी भाभी अह्ह्ह्ह्ह्ह अहह कर रही थी,,,,भाभी की मस्ती भरी
सिसकियाँ सुनकर मैने लंड को थोड़ा ज़्यादा अंदर कर दिया क्यूकी भाभी की सिसकियों से सॉफ ज़ाहिर हो गया था कि
भाभी अब फुल मस्ती मे आ गई है ,,लेकिन अभी भी मैने पूरा लंड अंदर नही किया था कुछ देर ऐसे ही स्पीड 
नॉर्मल रखी ओर कुछ देर बाद पूरा लंड अंदर कर दिया ,,,जब भाभी ने पूरा लंड ले लिया गान्ड मे तो मैने
स्पीड थोड़ी तेज करदी मेरी स्पीड से पूरा बेड हिलने लगा ,,लेकिन बेड हिलने मे मैं अकेला ज़िम्मेदार नही था जितनी
स्पीड से मैं भाभी की गान्ड मे लंड पेल रहा था उतनी ही तेज़ी से भाभी अपनी चूत मे खुद उंगली कर रही थी
कभी कभी तो उनका हाथ मेरे लंड के नीचे बॉल्स पर ऑर कभी जाँघो पर टच होने लगता था,,भाभी सच मे
काफ़ी तेज़ी से अपनी चूत मे उंगली कर रही थी,,ऑर उतनी ही तेज़ी से सिसकियाँ भी ले रही थी ,,सिसकियाँ ज़्यादा तेज नही हो जाए इस बात का ख्याल रखते हुए भाभी कभी कभी अपने मुँह पर हाथ भी रख लेती थी इसलिए दबी दबी आवाज़ मे भी
उनके मुँह से अह्ह्ह्ह निकल जाती तो काफ़ी स्लो होती मैं भी मुश्किल से ही सुन पा रहा था उस दबी दबी आवाज़ को,,

अब मेरी स्पीड पूरी रफ़्तार पर थी ऑर मेरा लंड भी भाभी की गान्ड मे पूरा अंदर तक घुसा हुआ था सीधी भाषा
मे बोलू तो मेरा मूसल भाभी की गान्ड की जड़ तक समा गया था ,,,अब भाभी को भी मेरा पूरा मूसल गान्ड मे
लेने मे कोई दिक्कत नही हो रही थी बल्कि भाभी तो मस्ती मे सिसकियाँ लेती थक ही नही रही थी,,,,कभी कभी तो उनकी
आवाज़ इतनी तेज होती कि पूरे कमरे मे गूंजने लगती ऑर कभी कभी इतनी स्लो होती कि मेरे कानो तक पहुँचने मे 
मुश्किल होती,,भाभी की टाइट गान्ड मे मेरा लंड अच्छी तरह रगड ख़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था वो भी पूरी
रफ़्तार पर उपर से कुछ देर पहले भाभी ने मेरे लंड को इते ज़्यादा मज़े से चूसा था कि मेरा पानी निकलने वाला
हो गया था ऑर आज मुझे भी एक नई टाइट गान्ड मारने की एग्ज़ाइट्मेंट कुछ ज़्यादा हो गई थी कि मेरा लंड अभी झड़ने
के करीब आ गया था इसलिए मैने एक हाथ से ही भाभी की कमर को उनकी टाँग के पास से कस्के पकड़ा ऑर अपनी स्पीड को ओर भी ज़्यादा तेज कर दिया इतना तेज कि अब मैं अपनी पूरी रफ़्तार पर आ आ गया था अब बस किसी भी पल मेरा लंड पानी छोड़ने ही वाला था ,,मेरा बदन रह रह कर झटके खाने लगा था वो भी टाइट गान्ड मार कर की मस्ती भरे
तेज झटके जिसका अपना ही अलग मज़ा था ऑर तभी मेरे लंड ने भाभी की गान्ड मे पिचकारी मारना शुरू कर दिया
ऑर मैने अपने स्पर्म से भाभी की गान्ड को भरना शुरू कर दिया मैं अभी भी तेज़ी से भाभी की गान्ड मार 
रहा था ऑर स्पर्म निकलते टाइम मेरा बदन मस्ती भरा झटके खा रहा था लेकिन तभी मुझे एक तेज झटका लगा
वो झटका भाभी की गान्ड की मस्ती से भी कहीं ज़्यादा तेज था,,,

किस ने मेरे पास आके मेरे सर को अपने हाथों मे पकड़ लिया था ऑर मेरे सर को अपनी तरफ मोड़ कर मुझे किस
करने लगा था मैं भी मस्ती मे किस का रेस्पॉन्स तो देने लगा था क्यूकी मेरा लंड अभी भी पानी निकाल रहा था
ऑर ऐसी हालत मे किसी भी मर्द को बहुत ज़्यादा मस्ती चढ़ि होती है वो चाह कर भी रुक नही पाता मेरा भी यही हाल 
था मैं लंड से पानी निकलता हुआ किस का रेस्पॉन्स दे रहा था लेकिन थोड़ा हैरान भी हो गया था कि अगर मैं 
भाभी की गान्ड मार रहा हूँ तो मेरे को किस कॉन कर रहा है यही सोच कर मुझे झटके पे झटका लग रहा
था,,,,,
 
लेकिन फिर जो झटका मुझे लगा वो सब से ज़्यादा तेज था अब तक मुझे इतनी तेज झटका कभी नही लगा था मेरे
लंड से सारा पानी निकल चुका था लेकिन लंड अभी भी भाभी की गान्ड मे था ऑर तभी मैने किसी के झड़ने 
की आवाज़ सुनी जिस आवाज़ ने मेरे होश उड़ा दिए ,,,,,,,,वो आवाज़ इतनी तेज थी कि कमरे मे गूंजने लगी थी लेकिन वो गूँज मेरे दिल ऑर दिमाग़ पर हावी हो गई थी,,,,,उस गूँज से दिल मे एक डर पेदा हो गया था ऑर दिमाग़ मे एक उलझन,,,,

तभी मेरी पास खड़ा शक्स जो मुझे किस कर रहा था उसने मेरी आँखों से पट्टी उतार दी ,,मेरी आँखों के सामने
अभी बहुत अंधेरा था उपर से वो शक्स मुझे किस कर रहा था ऑर मेरे बहुद करीब होने की वजह से मुझे उसका
चेहरा भी सॉफ नज़र नही आ रहा था लेकिन उसको किस करने से मुझे एक मज़ा ज़रूर आ रहा था क्यूकी उसका किस
करने का अंदाज़ ही निराला था,,तभी कुछ देर बाद मेरा लंड भाभी की गान्ड से निकल गया ऑर मेरी आँखों से सामने
से अंधेरा भी हट गया ऑर मेरी नज़र पारी मेरे सामने खड़े शक्स पर जो मुझे किस कर रहा था वो शक्स थी
कामिनी भाभी मैं उनको अपने पास देख कर डर गया ,,,फिर मेरा दिमाग़ ठनका ऑर मुझे याद आया कि अभी किसी
के झड़ने की आवाज़ सुनी थी मैने उस आवाज़ के डर ऑर उपर से मैं ये सोच रहा था कि अगर भाभी मेरे पास खड़ी 
किस कर रही थी तो मेरा लंड किसकी गान्ड मे था इसलिए मैने भाभी की अपने से थोड़ा दूर किया ऑर बेड पर अपने
सामने की तरफ़ देखने लगा तो मैं देख कर दंग रह गया मेरे सामने सूरज था ,,कामिनी का पति ओर कविता का भाई
इस से पहले मैं कुछ बोलता या कुछ करता सूरज ने मेरे लंड को मुँह मे ले लिया ,,,मैं तो ये देख कर दी दंग रह
गया ,,मैं पीछे हटना चाहता था मैं नही चाहता था कि सूरज मेरे लंड को मुँह मे भरे लेकिन मुझे हैरत
का इतना जबरदस्त झटका लगा था कि मेरा जिस्म एक दम सुन्न हो गया था मैं बड़े आराम से बिना हिले जुले सूरज के
मुँह मे जाते अपने लंड को देख रहा था जो अभी भी आधा खड़ा हुआ था जिस पर मेरा स्पर्म लगा हुआ था ,,सूरज
ने मेरे लंड को मुँह मे भर लिया ऑर अच्छी तरह चूसने लगा ऑर हाथ मे लेके अपनी ज़ुबान से चाटने भी लगा,,,उसने
2 मिनट मे मेरे लंड को मुँह मे रखके चूसा ऑर चाटा फिर जब लंड अच्छी तरफ सॉफ हो गया तो उसने लंड को मुँह
से निकाल दिया ऑर आराम से बेड पर लेट गया ओर मेरी तरफ देख कर हँसने लगा,,,लेकिन मेरे फेस पर कोई भाव नही 
था ना हैरत ना ना खुशी का ना मस्ती का ,,,मैं तो बस चुप चाप सूरज की तरफ देख रहा था ,,तभी मेरे पास
खड़ी कामिनी भाभी ने मेरे सर को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर अपनी तरफ टर्न करके वापिस मुझे किस करने लगी ,,वो
तो मस्ती मे मुझे किस कर रही थी लेकिन मैं उनकी किस का रेस्पॉन्स नही दे रहा था ,,मेरा जिस्म ऐसा हो गया था कि
जैसे अब मेरे मे जान ही नही बची हो,,,मैं कुछ सोच समझ भी नही पा रहा था दिमाग़ साला एक दम गुम्म
हो गया था कहीं,,,

भाभी भी इस बात को समझ गई ऑर मेरे लिप्स से अपने लिप्स हटा कर बेड पर सूरज के पास चली गई,,मैं वहीं घुटनो
पर बैठा हुआ भाभी ऑर सूरज की तरफ़ देखने लगा ,,मेरा एक हाथ अभी भी बेड से बँधा हुआ था ,,,मैं भी बेड
पर गिर गया ,,मुझे कोई होश नही था दुनिया की कोई खबर नही थी,,जो कुछ अभी हुआ था बस वही सब मेरे दिमाग़ 
मे घूम रहा था जिसको समझ पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था,,,,मैं सोच सोच कर हैरान हो रहा था
कि कैसे मेरा स्पर्म से भीगा हुआ लंड सूरज के मुँह मे था ऑर वो कितने प्यार से मेरे लंड को चाट कर सॉफ कर
रहा था ,,तभी मैं ऑर ज़्यादा हैरान रह गया क्यूकी जब भाभी मेरे को किस कर रही थी तो मेरा लंड किसी की 
गान्ड मे था तो क्या उस टाइम मेरा लंड सूरज की गान्ड मे ,,ओह्ह नो ये कैसे हो सकता है ,,मेरा दिमाग़ हैरत
से फटा जा रहा था कुछ समझ नही आ रहा था मुझे,,,,टेन्षन के मारे मेरी आँखें बंद हो गई शायद मुझे
नींद आ गई थी या मैं ज़्यादा टेन्षन से बेहोश हो गया था,,,,


कुछ देर बाद मेरे कानो मे एक आवाज़ पड़ी,,,,,,,,सन्नी उठो क्या हुआ तुमको ,,सन्नी ,,,सन्नी,,,,,

मैने हल्के से आँखें खोलते हुए देखा तो कामिनी भाभी मुझे उठा रही थी,,,मेरे आँखों के सामने अभी भी
अंधेरा था ऑर दिमाग़ भी काफ़ी भारी भारी लग रहा था ,,,,मेरा उठने को दिल नही कर रहा था लेकिन भाभी मुझे
बार बार उठा रही थी मेरा नाम पुकार रही थी,,,मैं अपने हाथों से अपनी आँखों को मलते हुए उठकर बैठ
गया ,,,,आँखें मलने से अंधेरा कुछ कम हुआ तो मुझे कामिनी भाभी की शक्ल सॉफ सॉफ नज़र आने लगी,,,मैने
देखा कि बेड पर मैं ओर कामिनी भाभी ही थे ,,

क्या हुआ सन्नी ,,तुम ठीक तो हो,,,,भाभी ने मेरे से पूछा,,,

तभी मुझे याद आई सूरज की ,,,मैने कमरे मे हर तरफ उसको ढूँढने लगा लेकिन वो वहाँ नही था ,,,

क्या हुआ सन्नी कुछ बोलो ना,,,,तुम चुप क्यू हो,,तबीयत तो ठीक है ना,,,भाभी लगातार बोलती जा रही थी 

लेकिन मेरी नज़रे सूरज की तलाश रही थी ,,,,पर सूरज कहीं नज़र नही आ रहा था,,,
 
बोलो ना सन्नी क्या हुआ है,,इतना परेशान क्यूँ है,,,,ऑर किसको तलाश रहे हो रूम मे इधर उधर देख कर,,,

भाभी उूओ,वूऊ,,,,,,,,

अरे वू वू क्या लगा रखा है सीधी तरह बोलो क्या हुआ,,,,,

भाभी वो सूरज भाई कहाँ है,,,,

तभी सूरज बाथरूम से निकल कर बाहर आया,,,,,,मैं यहाँ हूँ सन्नी,,,,

मेरा ध्यान बाथरूम की तरफ गया तो मैने देखा की सूरज नंगा होके बाथरूम से बाहर आ रहा था,,,

वो बेड के पास आया ऑर मेरे से थोड़ा दूर हटके बैठ गया,,,,,,मैं फिर से आँखें फाड़ फाड़ कर सूरज को 
देखने लगा,,,इतने मे भाभी जो मेरे पास बैठी हुई थी उठकर सूरज के पास चली गई ऑर दोनो मिलकर किस करने
लगे,,,,

मैं दोनो की तरफ देख रहा था ,,,,अक्सर तो किसी को ऐसे किस करते देख कर मैं मस्ती मे आने लग जाता हूँ ऑर 
मेरा लंड भी खड़ा होने लगता है लेकिन अभी ना मैं मस्ती मे आ रहा था ऑर ना ही मेरा दीन-द्यारल,,,,जैसे
उदास ऑर गुम सूम मैं था उस से कहीं ज़्यादा उदास ऑर गुम सूम था मेरा दीन-द्या ल,,,,दीन-द्या ल तो सिर्फ़ गुम-सूम
था लेकिन मैं तो हैरान ऑर परेशान भी था,,,,,


क्यू सूरज मज़ा आया ना सन्नी के साथ मस्ती करके ,,,,भाभी ने सूरज से पूछा,,,,,

सूरज ने भाभी के बूब को हाथ मे लेके मसल्ते हुए बोला,,,,,,,हाँ कामिनी बहुत मज़ा आया,,,इतना बड़ा मूसल है
सन्नी का मस्ती ऑर मज़े से दिमाग़ खराब होने लग गया था मेरा ,,इतना मज़ा तो आज तक कभी नही आया लेकिन दर्द
भी हुआ ,,,पहली बार जो इतना बड़ा मूसल लिया है गान्ड मे ,,पहले तो छोटे लंड से ही काम चलता रहता था,,,लेकिन
आज इस मूसल ने तो ज़िंदगी का असली मज़ा दिया है मुझे,,,,,तू सच कहती थी कि सन्नी का मूसल बहुत बड़ा है ऑर मज़ा भी बहुत देता है,,,मैं ही तेरी बात पर यकीन नही करता था ,,,

आज तो यकीन आ गया ना मेरी बात पर,,,,कामिनी ने हँसते हुआ पूछा,,,

हाँ बाबा आज यकीन भी आ गया ओर ज़िंदगी का असली मज़ा भी आ गया,,,,

मैं उनदोनो की बातों को चुप चाप सुन रहा था,,,,कुछ नही बोल रहा था बस टुकूर टुकूर उनकी तरफ़ देख रहा
था,,,,,

ज़रा सन्नी से भी पूछ ले उसको मज़ा आया या नही मेरी गान्ड मार कर,,,,इतना बोलकर सूरज हँसने लगा ऑर कामिनी
भाभी वापिस मेरे करीब आ गई ,,,,

बोलो सन्नी मज़ा आया क्या सूरज की गान्ड मार कर ,,बोलो ना चुप क्यू हो,,,,,इतना बोलकर भाभी ने मुझे किस करने
की कोशिश की लेकिन मैने भाभी को खुद से दूर कर दिया,,,,

सूरज ने मेरी तरफ हँसके देखा ओर कामिनी को वापिस अपने पास आने का इशारा किया,,,कामिनी भी वापिस सूरज के पास चली गई,,,,,

लगता है सन्नी का ये पहला तजुर्बा है कामिनी ,,,,,,,,,,,,इसलिए थोड़ा परेशान है ,,आज पहली बार किसी मेल की गान्ड 
मारी होगी इसने,,,,इतना बोलकर सूरज हँसने लगा साथ मे कामिनी भी लेकिन मैं चुप करके दोनो की तरफ देख रहा
था,,,,,,,,,,

मुझे पता है सन्नी तू चुप क्यूँ है ,तेरे दिमाग़ मे बहुत सारे सवाल होंगे ,,,बहुत सारी बातें होगी जो तेरी 
ज़ुबान तक नही आ रही है ,,,,तेरी परेशानी की वजह मैं जानता हूँ तेरा ये पहला तजुर्बा था ये भी पता लग गया
है मुझे,,लेकिन तू ज़्यादा परेशान मत हो ,,मैं तेरे पूछने से पहले ही तेरी सब बातों का जवाब दे देता हूँ,,,

इतना बोलकर सूरज मेरे थोड़ा करीब आ गया लेकिन उसके करीब आते ही मैं वहाँ से थोड़ा पीछे हट गया,,,उसने ऑर
करीब आने की कोशिश की लेकिन मैं थोड़ा ओर पीछे हट गया तो वो वहीं रुक गया,,,

देखो भैया मैं ऐसा लड़का नही हूँ ऑर ना ही मेरा टेस्ट ऐसा है,,,,,आप प्लीज़ मेरे से दूर रहो,,

मेरी बात सुनके भाभी हँसने लगी ऑर साथ ही सूरज भी,,,,

जानता हूँ तेरा टेस्ट ऐसा नही है सन्नी वो तो तेरे चहरे को देख कर ही पता चल रहा है,,लेकिन क्या करूँ मेरा
टेस्ट ऐसा है ,,,,मुझे लंड चूसना ऑर गान्ड मे लेना बहुत अच्छा लगता है ,,

हाँ हाँ जान गया हूँ मैं ,,,तुम पक्के गान्डु हो,,,इसलिए तो बच्चा भी पेदा नही कर सकते,,,,मैं थोड़ा गुस्से
मे बोला,,,,

हाँ सन्नी तू सच बोल रहा है ,,मैं गान्डु ही हूँ,,बच्चा भी पेदा नही कर सकता,,,,,

मैने उसकी बात को बीच मे टोक दिया,,,,,,,,,,,,,,सॉरयी सॉरी,,,मेरे से ग़लती हो गई,,,,तुम बच्चा तो पेदा कर सकते हो
लें लड़का पेदा नई कर सकते ,,,हर बार लड़की ही पेदा कर सकते हो,,,तुम गान्डु हो ना इसलिए तुम्हारे स्पर्म मे
जान नही है,,वो बात नही है जो तुमको ऑर तुम्हारी बीवी को एक बेटा दे सके,,,,

मैने अभी अपनी बात ख़तम नही की थी कि सूरज ने मेरी तरफ देखा ओर उसकी आँखों मे हल्की नमी आ गई ,,,
 
लड़का ऑर लड़की मे मुझे कोई फ़र्क नही है सन्नी मैं तो ऐसा बदकिस्मत हूँ जो लड़का क्या लड़की भी पेदा नही कर सकता,,,, लड़का लड़की क्या मैं तो बच्चा ही पेदा नही कर सकता,,,,,सूरज आँखों मे नमी लाके हल्का उदास होके बोला,,,,

मैं उसकी बात सुनके थोड़ा हैरान हो गया,,,,क्या बोल रहे हो सूरज भाई,,,,आप बच्चा पेदा नही कर सकते,,

हाँ सन्नी मैं ठीक बोल रहा हूँ,,,,मैं बच्चा पेदा नही कर सकता,,इतना बोलकर सूरज ने अपने लंड को हाथ मे
पकड़ा ऑर मेरी तरफ करके मुझे दिखाने लगा,,,

मैं उसका लंड देख कर हैरान रह गया,,,लंड क्या वो तो एक छोटी सी नुन्नि थी,,जो उसके जिस्म से बाहर भी नही निकली
थी,,शायद आधा इंच की थी ,,,

क्यू हैरान हो गये ना सन्नी इसको देख कर,,इतना छोटा सा लंड आधे इंच से भी छोटा जो खड़ा होके भी 1 इंच से 
हल्का सा बड़ा होता है बस,,,सूरज अभी भी हल्के उदास स्वर मे बोल रहा था,,,,

लेकिन सूरज भाई कामिनी भाभी तो अबॉर्षन करवा चुकी है फिर वो,,,,

तभी फिर से मेरी बात बीच मे टोक कर सूरज बोलने लगा,,,,,मुझे पता था तू यही बोलगा अब सन्नी,,,कामिनी ने 
जब भी अबॉर्षन करवाया उसके पेट मे मेरा नही ,,,,,इतना बोलकर सूरज चुप हो गया ऑर कामिनी की तरफ़ देखने लगा,,
भाभी ने सूरज का हाथ अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर सूरज को आगे की बात बोलने की मंज़ूरी दे दी,,,,

वो बच्चा मेरा नही था सन्नी मेरे बाप का था,,,,

मैं सूरज की बात सुनके थोड़ा हैरान हो गया ऑर थोड़ा परेशान भी,,,,मेरे पैरो एक नीचे से ज़मीन निकलती हुई महसूस
हो रही थी मुझे,,,,,

ये क्या बोल रहे हो सूरज भाई,,,,,तुम्हारी बीवी के पेट मे तुम्हारे बाप का बच्चा था,,,,,

हाँ सन्नी मैं ठीक बोल रहा हूँ,,,,मेरी बीवी के पेट मे मेरे बाप का बच्चा था,,,,,

क्या ये बात तुम दोनो ही जानते हो,,,,मेरा मतलब शोभा ये बात जानती है क्या,,,,,ऑर तुम्हारे घरवाले,,,क्या उनको
ये बात पता है,,,,

नही सन्नी शोभा भी उतना ही जानती है जितना अब तक तुम जानते थे,,,लेकिन इसके बारे मे मेरी माँ सब कुछ जानती
है,,,

तो तुम्हारी माँ ने तुम्हारे बाप को रोका क्यूँ नही,,,,,

वो रोकना चाहती तो भी नही रोक पाती सन्नी,,,,क्यूकी मेरा बाप अपना वंश आगे बढ़ाना चाहता था ,,ऑर मेरी माँ भी
यही चाहती थी,,,हमारी शादी को काफ़ी टाइम हो गया था लेकिन बच्चा नही हो रहा था ऑर होता भी कैसे ,,मैं तो शुरू से
ऐसा हूँ कि बच्चा पेदा ही नही कर सकता ,,,ये बात मेरे घर वाले भी जानते थे ,,,,लेकिन लोगो की बातें सुनके मेरे
माँ बाप परेशान हो गये थे ,,,,,हर कोई यही पूछता था कि शादी को इतना टाइम हो गया है फिर भी बच्चा नही हो रहा
आपकी बहू ये बेटे मे कोई प्राब्लम है क्या,,,,,बस हर बार मेरे को या मेरी बीवी को निशाना बना लेते थे गली मुहल्ले
वाले ,,,मेरे माँ बाप इन सब से परेशान हो गये थे इसलिए मेरे बाप ने मेरी बीवी के साथ वो सब किया जो एक बच्चा 
पेदा करने के लिए ज़रूरी था,,,

तुम्हारे बाप ने ऐसा किया तो तुमने उसको रोका क्यूँ नही,,क्या तुम्हारी भी रज़ामंदी थी उस सब मे,,,ऑर जब तुमको 
पता था कि तुम बच्चा पेदा नही कर सकते तो तुमने शादी ही क्यूँ की थी कामिनी से ,,इसकी ज़िंदगी बर्बाद करने के लिए,,

नही सन्नी मैं इसकी ज़िंदगी बर्बाद नही करना चाहता था मैने तो अपने घर वालो को शादी के लिए सॉफ मना कर
दिया था लेकिन जब ज़्यादा ही ज़ोर डाला गया मेरे पर तो मैं कुछ नही कर सका ऑर शादी के लिए हां कर दी ,,ऑर उपर से कामिनी के पापा मेरे पापा के अच्छे दोस्त थे उन लोगो का ही विचार था दोस्ती को रिश्तेदारी मे बदलने का,,,,,
 
दोस्ती को रिश्तेदारी मे तो बदल लिया तुमने लेकिन एक पति का फर्ज़ तो नही निभा सके ना ,,कामिनी भाभी की ज़िंदगी तो
बर्बाद करदी ना तुमने,,,,,

तभी भाभी बोल पड़ी,,,,,नही सन्नी ऐसी बात नही है मेरी ज़िंदगी बर्बाद नही की सूरज ने ,,भले ही ये बच्चा पेदा
नही कर सकते लेकिन फिर भी ये मुझे बहुत प्यार करते है,,,इतना बोलकर भाभी ने सूरज को गले से लगा लिया,,,,

हाँ ये मैं जान ही गया कि ये तुमको कितन प्यार करता है,,अपने प्यार की वजह से ही तुमको अपने बाप के बिस्तर तक 
पहुँचा दिया था इसने,,,,अगर प्यार करता तो रोकता अपने बाप को ये ,,,,इतना सब कुछ नही होने देता,,,,मैं हल्के गुस्से
मे बोला

सन्नी मैं चाह कर भी नही रोक सकता था,,,क्यूकी अगर रोकता तो मैं भी अपने बाप के सुख से हाथ धो बैठता,,

क्या मतलब मैं कुछ समझा नही,,,,,

सन्नी भाई जब मैं बहुत छोटा था करीब --एडिटेड-- साल का तब मेरा एक छोटा सा आक्सिडेंट हो गया था ,,उस आक्सिडेंट
मे चोट तो बहुत छोटी लगी थी मुझे लेकिन उसका दर्द बहुत बड़ा लगा था मुझे,,,,,एक मर्द की असली पहचान उसका लंड
ही होती है लेकिन मेरे लंड पर ही चोट लग गई थी,,,,तभी से मेरे लंड का विकास रुक गया था,,,बहुत एलाज़ करवाया था 
मेरे बाप ने मेरा लेकिन कोई हल नही निकला ,,,आख़िर मैने ओर मेरे परिवार ने इसको किस्मत पर छोड़ दिया ,,लेकिन मैं
सब कुछ किस्मत पर नही छोड़ सकता था,,,,जब तो बचपन था तब तो इसकी ज़रूरत महसूस नही हुई लेकिन जब कॉलेज
जाने लगा ,,जवान होने लगा तो दोस्तो से सुनता रहता था कि आज उसने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चुदाई की तो उसने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ ,,मैं सब कुछ सुनकर खामोश रहता था ,,मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही बनी कभी ऑर किसी को गर्लफ्रेंड बना कर करता भी क्या जिस काम के लिए गर्लफ्रेंड बनाता वो काम तो फिर भी नही कर सकता था,,,,

अपने सपनो पर खुद ही मिट्टी डालने लग गया था मैं यही सोच सोच कर कि मैं जवानी के मज़े कभी नही ले सकता,,,
इतना बोलते टाइम सूरत हल्का हल्का रोने भी लग गया था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन एक दिन एक पॉर्न मूवी देखी थी गे की तब दिल किया कुछ ऐसा करने को ,मैं भी सेक्स का मज़ा लेना चाहता था लंड खड़ा नही होता तो क्या हुआ एक लंड की वजह से
मैं इस मज़े से विचलित नही रह सकता था ,,आख़िर मेरा भी दिल करता है जवानी का मज़ा लेने को,,,तभी मैने सोचा 
क्यू ना किसी से गान्ड मरवाई जाए ,,देखा था लोग कैसे गान्ड मरवा कर मस्ती करते थे खुश होते थे देख 
देख कर मेरा भी दिमाग़ खराब होने लगा ओर मैं इस रास्ते पर चल पड़ा,,,,


तो क्या तुम अपने दोस्तो से या,,

नही सन्नी ,,मैं मज़ा लेना चाहता था लेकिन बदनामी से भी डरता था,,,इसलिए मैने अपने ही घर मे ये सुख लेने 
की कोशिश की ऑर कामयाब भी हो गया,,,,

क्या मतलब अपने ही घर मे,,,,,,,क्या तुमने अपनी गान्ड अपने बाप से मरवाई थी,,,,,

हाँ सन्नी ,,,मैं अक्सर डॅड के साथ सोता था एक रात डॅड के लंड को हाथ मे लेके मसल्ने लगा लेकिन डॅड बुरा मान
गये ,,,लेकिन जल्दी ही मेरी बातें सुनकर मेरे पर तरस आ गया उनको ऑर उन्होने मुझे खुश करना शुरू कर दिया,,ये
बात मेरी माँ भी जानती थी ,,,,पहले पहले तो उनको इस सब पर गुस्सा आया उन्होने डॅड से बहुत झगड़ा भी किया था इस
बात को लेके लेकिन जब उनको पता चला कि मैं बदनामी से डरता हूँ इसलिए घर मे ही चुदाई का सुख ले रहा हूँ तो
उनको फिर कोई एतराज़ नही हुआ ,,क्यूकी वो भी समझ गई थी कि मैं जवानी के मज़े लेना चाहता हूँ ऑर अगर ये मज़ा
मुझे घर से नही मिला तो मैं बाहर मुँह मारना शुरू कर दूँगा ऑर इस सब से पूरे परिवार के बदनाम होने का
ख़तरा था,इसलिए माँ ऑर पापा मेरी बात मान गये थे,,,,ऑर डॅड को भी ये बात मैने हो बोली थी कि वो मेरी बीवी से सेक्स
करे ताकि मुझे एक बच्चा मिल जाए,,,,,पहले तो कामिनी ने सॉफ मना कर दिया था लेकिन जल्दी ही वो मेरी बात मान गई थी,,,,

अच्छा अगर कामिनी अपनी मर्ज़ी से मानी थी तो कुछ टाइम पहले तुम लोगो के घर पर झगड़ा क्यूँ हुआ था,,,जिस की सज़ा कामिनी के साथ साथ कविता को भी मिली थी,,,,

सूरज ऑर कामिनी एक दूसरे की तरफ देखने लगे,,,,रूम मे कुछ देर सन्नाटा रहा,,,,,,फिर सूरज बोला,,,,

मेरे बाप को लड़का चाहिए था सन्नी लेकिन हर बार लड़की ही पेदा होने लगी थी कामिनी के पेट मे ,,,,डॅड ने अबॉर्षन
करवा दिया था कामिनी का ,,लेकिन इस बार कामिनी ने अबॉर्षन से मना कर दिया था कविता ने भी इसका साथ दिया था,,इसलिए घर पर झगड़ा हुआ था,,,,झगड़ा ख़तम करने के लिए तुम्हारी बेहन शोभा भी आई थी ,,ऑर जब शोभा कामिनी को कमरे मे बैठ कर समझा रही थी कि वो किसी गैर मर्द से सेक्स करले ताकि उसको एक लड़का मिल जाए तो मैं बाहर खड़ा इनकी बातें सुन रहा था ऑर मैने ही शोभा को बोला था कामिनी क लिए तुमको राज़ी करने को ,,क्यूकी मेरे घर वाले ना तो बच्चा अडॉप्ट करना चाहते थे ना ही किसी गैर मर्द से कामिनी को सेक्स करने देते ,,,,

लेकिन इस बार तो मैने सेक्स किया है ,,,अगर तुम्हारे बाप को पता चल गया कि ये बच्चा उसका नही किसी ऑर का है तो क्या होगा,,,,

नही ऐसा नही हो सकता सन्नी ,,क्यूकी जिस रात तुम लोगो ने बुटीक पर अपना काम किया था उस से अगले दिन ही मैने
डॅड को यहाँ बुला लिया था ये बोलकर कि कामिनी सेक्स के लिए तैयार है ,,ताकि मेरे बाप के पास शक़ करने की गुंजाइश ही ना रहे,,,,


अभी मैं कुछ ओर बात करने ही वाला था कि भाभी ने बीच मे टोक दिया,,,,,


अब क्या बातें लेके बैठ गये तुम दोनो,,,क्यू बोर कर रहे हो ,,इतनी मुश्किल से तो जवानी के मज़े लेने शुरू किए है 
मैने ऑर तुम लोग बातों मे टाइम वेस्ट कर रहे हो,,,,,चलो ना कविता के आने से पहले एक बार ऑर करते है,,,,,

इतना सुनकर सूरज खुश हो गया ओर मेरे करीब आने लगा,,,,,,,

नही सूरज भाई आप मेरे करीब मत आओ प्लीज़ मेरे को ऐसा कोई शॉंक नही है,,,,

जानता हूँ सन्नी ,,,मैं तेरे करीब नही आउन्गा,,,मुझे तो बस तेरा ये मूसल चाहिए ,,,कभी अपने हाथ में कभी
अपने मुँह मे तो कभी अपनी गान्ड मे इस से ज़्यादा मैं कुछ नही चाहता ,,,ऑर अगर तू मुझे खुश नही करेगा तो 
कामिनी भी तेरे हाथ नही आएगी,,,,इतना बोलकर कामिनी ऑर सूरज दोनो हँसने लगे,,,,

ठीक है सूरज भाई ,,,मैं अपना लंड आपके हाथ मे दूँगा मुँह मे दूँगा गान्ड मे भी दूँगा लेकिन प्लीज़ मेरे को
टच करने की या कुछ ऑर करने की कोशिश मत करना ,,,मुझे वो सब अच्छा नही लगता,,,,,

ठीक है सन्नी ,,,मैं सिर्फ़ तेरे लंड को टच करूँगा ओर किसी पार्ट को नही,,,,,,,ये बात सूरज हँसते हुए मज़ाक मे
बोल रहा था ऑर कामिनी भी हस्ती जा रही थी,,,,,

उस दिन मैने सूरज की खूब गान्ड मारी ,,,दिल तो भाभी की गान्ड मारने का भी था लेकिन भाभी ने किसी ऑर दिन का वादा 
किया क्यूकी आज वो चाहती थी कि मैं सूरज को ही खुश करूँ,,ऑर ये ज़रूरी भी था ,,,,क्यूकी अगर मैं भाभी से सेक्स 
करना चाहता था तो सूरज को खुश करना ज़रूरी था वैसे भी अब ना तो भाभी को कोई टेन्षन थी ऑर ना किसी बात का
डर क्यूकी सूरज भी हमारे साथ शामिल हो गया था इस खेल मे,,,,,

आज कविता के आने से पहले मैने 3 बार सूरज की गान्ड मारी ,,,वो तो लट्तू हो गया था दीवाना बन गया था मेरे लंड 
का ,,भाभी भी खुश थी ऑर मैं भी अब हम रोज मिल सकते थे,,,क्यूकी उनके सास ससुर चले गये थे अब वापिस नही
आने वाले थे जब तक उनका ससुर रिटाइर नही हो जाता ,,,,ऑर कविता भी कॉलेज चली जाती थी ,,,,रही बात सूरज की तो उसका 
अब कोई डर नही रह गया था मुझे ऑर भाभी को,,,,,,अब कविता के कॉलेज से आने से पहले मैं रोज चुदाई कर सकता
था भाभी की,,,,,यही सोच सोच कर दिल खुश हो रहा था मेरा,,,,

कविता के आने से पहले मैं कामिनी भाभी ऑर सूरज को अलविदा बोलकर चला गया था,,,,मैं बाइक पर घर जा रहा था
ऑर आज जो कुछ भी हुआ था कामिनी भाभी ऑर सूरज के साथ उस सब के बारे मे सोच रहा था,,,,मुझे आज कामिनी भाभी
की गान्ड मारनी थी लेकिन मुझे सूरज की गान्ड मारने को मिल गई थी,,,,पर इस से कोई फरक नही पड़ा मुझे क्यूकी सूरज
की गान्ड भी भाभी की गान्ड की तरफ काफ़ी टाइट थी,,,,फ़र्क बस इतना था जहाँ भाभी ने आज तक कोई असली लंड नही लिया
था गान्ड मे वही सूरज अपने ही बाप का लंड लेता था गान्ड मे इसलिए उसकी गान्ड थोड़ी खुली हुई थी फिर भी मेरे
मूसल के लिए सूरज की गान्ड एक दम सील पॅक गान्ड की तरह थी ,,,मुझे सच मे बहुत मज़ा आया था सूरज की गान्ड
मार कर ऑर उसको लंड चुस्वा कर ,,,उसको लंड चूसने का अच्छा हुनर था ,,,आज तक कभी किसी ने मेरा लंड इतनी मस्ती ऑर
मज़े से नही चूसा था जितना सूरज ने,,,,यहाँ तक कि मेरी बुआ ,,,शोभा ,,,मेरी माँ ऑर तो ऑर रेखा ने भी इतना मज़ा नही
दिया था मुझे लंड चूस्ते टाइम जितना मज़ा आज सूरज को लंड चुस्वा कर आया था,,,,,मेरे लिए ये न्या तजुर्बा था जो बहुत
ही बढ़िया था,,,,हालाकी मुझे थोड़ा अजीब भी लग रहा था क्यूकी मेरा टेस्ट ऐसा नही था,,,,लेकिन उसकी गान्ड मारने का 
टेस्ट मुझे बहुत अच्छा लगा ओर मुझे ये सब भी फील नही हुआ कि मैं किसी औरत की नही मर्द की गान्ड मार रहा हूँ
हालाकी सूरज मर्द नही था लेकिन वो औरत भी तो नही था बट उसकी गान्ड का मज़ा किसी भी औरत की गान्ड से कम नही था,,,,,

हल्की मस्ती ऑर मज़े से सब बातें सोचता हुआ मैं घर आ गया,,,घर की बेल बजाई तो माँ ने आके दरवाजा खोला ,,,

अरे माँ इतनी जल्दी आ गई तुम,,,करण चला गया क्या,,,,

तभी माँ ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया,,,,धीरे बोल सोनिया नीचे ही बैठी हुई है,,,,,माँ थोड़ा डर कर बोल रही थी,,,

सोनिया का नाम सुनके मैं भी डर गया ,,,क्यूकी अगर सोनिया घर आ गई थी तो कविता भी अब तक घर पहुँच चुकी 
होगी,,,मैं ठीक टाइम से ही निकल आया था वहाँ से वर्ना पंगा हो जाना था,,,,

अच्छा करण कहाँ है माँ,,,,

,वो थोड़ी देर पहले ही गया है,,,,सोनिया के आने के बाद,,,,जब कविता सोनिया को छोड़ कर वापिस
घर गई तो करण भी कुछ देर बाद चला गया,,,,,

अपने घर गया क्या वो,,,,

नही बुटीक पर गया है ,,,क्यूकी मामा शोभा ऑर शिखा वहीं है,,,बोल रहा था अब वहीं मस्ती करेगा फिर रात को
शिखा को लेके घर चला जायगा,,,,,

ऑर मामा शोभा के साथ वापिस आएगा या वहीं रहेगा,,,,,,मैने हँसते हुए बोला

उनका मुझे नही पता,,,,घर आते है या वहीं रुकते है रात को,,,माँ भी भी हल्के मुस्कुराते हुए मेरी बात का
जवाब दिया,,,,

फिर मैं अंदर आ गया,,,सोनिया सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी,,,मैं सीधा उपर अपने कमरे मे चला गया ऑर फ्रेश
होके कपड़े चेंज करके नीचे आ गया,,,,मैं नीचे आके सोफे की तरफ बढ़ा ही था कि सोनिया गुस्से से वहाँ से उठी ऑर
उपर की तरफ़ चली गई,,,

माँ ने ये देखा तो हँसने लगी,,,,,लगता है तुम दोनो का झगड़ा अभी तक ख़तम नही हुआ,,,,सोनिया कुछ नही बोली ऑर
उपर आने कमरे की तरफ चली गई,,,मैं वहीं सोफे पर बैठ गया ओर टीवी देखने लगा,,,उसके बाद कुछ खास नही हुआ,,

रात की खाना खाने क टाइम पर शोभा आ गई वो बहुत खुश थी आज पूरा दिन मस्ती जो की थी मामा के साथ,,,फिर जब हम
लोगो ने खाना खा लिया तो उसके 10-15 मिनट बाद मामा भी आ गया ,,,,माँ ने मामा को खाना दिया ओर इतनी देर मे 
सोनिया ऑर शोभा अपने अपने रूम मे चली गई थी,,,,

उस रात को ज़्यादा कुछ नही हुआ,,,,क्यूकी सब लोग दिनभर की चुदाई से थके हुए थे,,,,माँ करण के साथ मस्ती करती
रही सारा दिन,,,मामा शिखा ऑर शोभा के साथ बिज़ी रहा ओर मैं सूरज की गान्ड मारता रहा,,,,,रात को किसी की हिम्मत 
नही थी चुदाई करने की इसलिए इसके बारे मे किसी ने कोई बात भी नही की,,,,सब लोग अपने अपने कमरे मे जाके सो गये,,


मुझे सोनिया एक साथ नही सोना था इसलिए मैं माँ के रूम मे सो गया,,,,हालाकी मेरा ऑर माँ का किसी का मूड नही था
मस्ती करने के लेकिन एक साथ एक बेड पर सोने पर मूड बन गया तो मैने रात को एक बार माँ की गान्ड मारी थी लेकिन
मुझे वो मज़ा नही आया जो सूरज की गान्ड मार कर आया था,,,,

सुबह मैं माँ के रूम से निकल कर अपने रूम मे गया क्यूकी सोनिया वहाँ नही थी वो नीचे आ चुकी थी,,,इसलिए मैं
अपने रूम मे गया ऑर तैयार होके नीचे आ गया,,,माँ नाश्ता लगा चुकी थी ,,,सब लोग बैठे हुए थे मैं भी जाके
बैठ गया ओर नाश्ता करने लगा,,,

शोभा दीदी नाइट सूट मे ही बैठी हुई थी,,,,

दीदी आपने आज कॉलेज नही जाना क्या,,,,मैने दीदी से पूछा,,,,

नही सन्नी आज मूड नही है कॉलेज जाने का वैसे भी बुआ के जाने के बाद बुटीक का काम कुछ ज़्यादा हो गया है
अभी कुछ देर घर पर रहूंगी ओर बाद मे बुटीक चली जाउन्गी,,,,इतना बोलकर दीदी ने मुझे आँख मार दी,,

मैं समझ गया कि दीदी का मूड घर पे रहके मस्ती करने का है,,,,,

हम लोग नाश्ता कर ही रहे थे तभी डोर बेल बजी,,,शोभा ने जाके दरवाजा खला तो देखा कि करण ऑर शिखा आए
थे ,,दीदी ने उनको अंदर आने को बोला ऑर वो लोग अंदर आ गये ,,,,

माँ करण को देख कर खुश हो गई,,,,,अरे कारण बेटा ,,कैसे हो,,,,,,

नमस्तये आंटी जी,,मैं ठीक हूँ ,,,,हाउ आर यू आंटी जी,,,

मैं भी ठीक हूँ बेटा,,,


तभी आगे बढ़ कर शिखा ने माँ को नमस्ते बोला 

अरे आज तो शिखा बेटी भी आई है,,,माँ अपनी चेर से उठ गई ओर आगे बढ़ कर शिखा को नमस्ते बोलकर शिखा के पास
जाके शिखा को हग करके मिलने लगी,,,

उधर मामा भी शिखा को देख कर मुँह से वासना की लार टपकाने लगा था,,,

आज तुम दोनो भाई बेहन का आना कैसे हुआ ,,,,

कुछ नही आंटी जी मैं कॉलेज जा रहा था तो दीदी ने बोला कि मुझे बुटीक पर छोड़ देना लेकिन बुटीक पर लॉक
लगा हुआ था इसलिए मैं दीदी को यहाँ लेके आ गया,,,,

बहुत अच्छा किया बेटा,,,,चलो बैठो नाश्ता कर्लो,,,माँ ने एक चेयर आगे करते हुए शिखा को बैठने को बोला,,,,

शुक्रिया आंटी जी हम लोग नाश्ता करके आए है अभी घर से,,,,

अच्छा नाश्ता मत करो मगर कॉफी तो पी सकते हो,,,चलो बैठो यहाँ,,,

शिखा चेयर पर बैठ गई ओर दूसरी तरफ करण भी जाके बैठ गया तभी सोनिया गुस्से से वहाँ से उठी ओर अपना बॅग उठा 
कर वहाँ से चली गई,,,उसने करण ओर शिखा को हाई भी नही बोला,,,,

ये सोनिया को क्या हुआ आंटी जी,,,,इतना गुस्से मे क्यू गई है वो,,,,

करण ऑर शिखा को लगा कहीं सोनिया उनके बारे मे जान तो नही गई,,,लेकिन माँ ने बात को संभाल लिया,,,,,,,

अरे कुछ नही बेटी सोनिया का ऑर सन्नी का झगड़ा चल रहा है इसलिए वो गुस्से से उठकर चली गई,,,ये दोनो जब देखो
बच्चों की तारह लड़ते रहते है,,पता नही कब बड़े होगे ये दोनो,,,,इतना बोलकर माँ करण ऑर शिखा को कॉफी देने 
लगी,,,

माँ का ध्यान करण की तरफ था जबकि करण भी एक-टक माँ के बूब्स को देख रहा था,,उधर शिखा का ध्यान मामा
की तरफ़ ऑर मामा का ध्यान शिखा की तरफ ,,,,लेकिन मैं ऑर शोभा हर किसी की तरफ देख रहे थे,,,,

तभी करण बोला,,,,,ओह्ह शिट जल्दी कर सन्नी भाई हम लोगो ने लेट हो जाना है कॉलेज के लिए,,,,वो जल्दी से अपनी कॉफी पीने लगा,,,,

लेट क्यू हो जाना है अभी तो बहुत टाइम बाकी है,,,,ऑर वैसे मेरा तो दिल ही नही कर रहा कॉलेज जाने को,,,

सही बोला भाई मत जाओ कॉलेज,,मैं भी तो नही जा रही ,,,,सब घर मे रहके मस्ती करते है,,,,इतना बोलकर शोभा
उठी ऑर मेरे पास आ गई ऑर देखते ही देखते मेरी गोद मे बैठ गई,,,,

माँ ने भी मोका देखा ऑर करण के पास चली गई ऑर जाके करण के सर को पकड़ कर उपर की तरफ मोड़ दिया ऑर खुद खड़ी होके नीचे की तरफ झुक कर करण को किस करने लगी,,,,

शिखा ये देख कर हैरान हो गई थी क्यूकी उसने आज पहली बार देखा था मेरी माँ को ऑर करण को किस करते हुए
वो थोड़ा डरी हुई थी ऑर परेशान थी लेकिन इतने मे मामा भी अपनी चेयर से उठा तो शिखा समझ गई अब उसकी बारी है तो वो भी जल्दी से डरती हुई अपनी चेयर से उठ गई,,,,

अभी शिखा ऑर मामा ने किस शुरू की थी ऑर इधर शोभा ने भी अपने लिप्स मेरे लिप्स मे जकड दिए थे लेकिन इतने मे ही करण ने खुद को माँ से अलग किया,,,,,

आंटी जी अभी जाने दो वापिस आके जो करना है कर लेना,,,इतना बोलकर करण मेरे पास आया ऑर मुझे भी दीदी से अलग कर दिया

इन लोगो को मस्ती करने दो सन्नी भाई हम लोगो का आज कॉलेज जाना बहुत ज़रूरी है,,,आज शर्मा सर ने टेस्ट लेना है ऑर जो स्टूडेंट आज टेस्ट के डर से कॉलेज नही आया उसको नेक्स्ट डे प्रिन्सिपल के ऑफीस मे जाना होगा,,

साला करण की बात सुनके जो हल्की मस्ती चढ़ि थी मुझे वो एक पल मे उतर गई,,,,वो कमीना शर्मा हमारे कॉलेज का
सबसे बड़ा हिट्लर सर था,,,उसके टेस्ट की खातिर जो आज जाना ही होगा कॉलेज,,,,,,मूड तो नही था फिर भी हम लोग जल्दी से वहाँ से कॉलेज की तरफ निकल पड़े,,,,

माँ ने रोकना चाहा हम दोनो को बट हम नही रुके,,,,,

अरे बेटा रुकजा तुझे पता है एक लंड से मेरा कुछ नही होता ,,मुझे एक टाइम पर दो लंड चाहिए,,,,ऑर आज तो तेरा
मामा अकेला है ऑर हम तीन है,,,एक साथ कैसे मज़ा देगा हम सब को,,,,

माँ इन लोगो को जाने दो मैं हूँ ना,,,,शोभा ने हमे जाने का इशारा किया ऑर माँ के करीब चली गई ,,

मैं ऑर करण मोका देख वहाँ से भाग निकले,,,,

हम लोग कॉलेज आए ,,फिर टेस्ट देके करीब 2 अवर्स के बाद फ्री हो गये ,,हम लोगो को जल्दी थी घर जाने की ओर चुदाई
समारोह मे शामिल होने की,,,,

लेकिन हमारे साथ आज फिर कलपद होने वाला था

हम जैसे ही वहाँ से जाने लगे हमने देखा कि कुछ स्टूडेंट एक जगह जमा हो गये थे,,,

मैं ऑर करण भी उस भीड़ के पास चले गये,,,,जहाँ कुछ लोग किसी लड़के को मार रहे थे,,,

हमने आगे जाके देखा तो अमित के दोस्त सुमित की पिटाई कर रहे थे ,,,,पास से कुछ प्रोफ़ेसर लोग भी गुजर रहे थे
लेकिन उन लोगो को कोई रोक नही रहा था,,,ऑर ना ही कोई स्टूडेंट उनलोगो को रोकने की हिम्मत कर रहा था ,,लेकिन मेरी ऑर करण की बात ओर थी,,,,

हम लोग जल्दी उस फाइट का हिस्सा बन गये ऑर उन लोगो की पिटाई करने लगे ,,,पहले वो लोग 8 थे लेकिन जब उन लोगो मे से कुछ की पिटाई करदी मैने ऑर करण ने तो वो लोग 4 ही रह गये,,,,लेकिन उन लोगो मे अमित नही था ,,ये सब उसके चम्चे थे,,

मैने ओर करण ने मिलकर उन लोगो को मारा ऑर सुमित को एक साइड करके बचा लिया ,,फाइट ख़तम हो गई,,,लेकिन गुस्सा ख़तम नही हुआ था,,,

गुस्से से भरे वो लोग वहाँ से जाने लगे लेकिन तभी उन लोगो मे से एक लड़का बोला,,,,

साले आज तो तू बच गया इन लोगो की वजह से लेकिन दोबारा कभी हाथ लगा तो जान से मार दूँगा तेरे को,,,,ये आवाज़ थी' अमित के दोस्त सुरेश की ,,,सुरेश का बाप ऑर अमित का बाप दोनो तगड़े पॉलिटीशियन है ,,,अमित के बाप की तरह सुरेश के बाप का भी पूरा दबदबा है कॉलेज मे,,,इसलिए वो भी अमित की तरह सब लोगो पर रोब झाड़ता रहता है,,,
 
साला खुद मे तो दम नही है लेकिन कुछ चम्चे साथ मे रख कर बड़ा दादा बनता है कॉलेज का,,,हाइट 5 फीट
से भी छोटी है ,,,,रंग एक दाम कोयले जैसा काला,,,,मुँह ऐसा है जैसे किसी ने दीवार पर गोब्बर पटक कर मारा होता
है,,,साला देखो तो उल्टी करने का दिल करता है,,,,किसी साउतइंडियन फिल्म का गुंडा लगता है,,,,लेकिन हाइट मे उनसे कहीं
छोटा है,,,,

उसकी धमकी से मैं ऑर करण तो नही डरे लेकिन बेचारा सुमित डर गया ,,क्यूकी उनलोगो ने बहुत मारा था उसको,,,उसका
एक हाथ तो पहले से टूटा हुआ था,,,,वो डर तो गया था लेकिन मेरे ऑर करण के साथ होते ही उसकी हिम्मत बढ़ गई थी,,,,

साले फिर कभी की बात क्या करते है आज ही फैंसला कर लेते है,,,,,आ अगर माँ का दूध पिया है,,लेकिन याद रखना
अब अगर मुझे हाथ भी ल्गया तो सोच लेना ,,,तेरे ऑर तेरे बाप अमित की वो सीडीज़ मेरे पास है,,,तेरा बाप भले ही वो
असली सीडीज़ अपने साथ ले गया लेकिन उन सीडीज़ की कॉपीस मेरे पास है,,,,दोबारा अगर मेरे रास्ते मे भी आया तो सीडीज़ की इतनी कॉपीस बना लूँगा कि पूरे कॉलेज मे बाँट दूँगा,,

सीडीज़ की बात सुनके सुरेश थोड़ा डर गया ओर बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया लेकिन फिर से जाते जाते अपना गुस्सा वो
किसी ऑर पर उतार गया,,,,,,,,,सुरेश ने जाते जाते कॅंटीन के बाहर पड़ी कोल्ड्रींक्स की बोतटेल्स पर लत मरके उसको गिरा दिया
बेचारा कॅंटीन वाला भी कुछ नही कर सका,,,ऑर बस रोता रह गया,,,,अगर वो कुछ कहता तो उन लोगो ने उसको भी 
मारना था,,,,

कॅंटीन वाला रो रहा था लेकिन सुमित खुश हो रहा था क्यूकी उसने देख लिया था कि सीडीज़ की बात सुनके वो लोग चुप चाप
वहाँ से चले गये थे,,,

वो लोग वहाँ से चले गये ,,,,भीड़ भी अपने अपने रास्ते चली गई ,,लेकिन भीड़ दूर होते ही मैने देखा कि सोनिया ऑर कविता 
वहाँ खड़ी हुई मुझे ऑर करण को देख रही थी ,,,,लेकिन जैसे ही मेरी नज़ारे सोनिया से मिल्ली वो कामिनी वही हिट्लर वेल गुस्से 
के अंदाज़ से मुझे देखती हुई कविता का हाथ पकड़ कर वहाँ से ले गई,,,,


मैं ऑर करण भी सुमित को कॉलेज के क्लिनिक पर ले गये ओर उसकी मरहम पट्टी करवके उसको घर छोड़के अपने घर 
की तरफ चले गये,,क्यूकी हम लोगो को जल्दी थी ,,सोनिया ऑर कविता भी घर के लिए निकल गई थी,,अगर तो सोनिया कविता के 
घर पर रुक जाती तो ठीक था वर्ना मेरा ऑर करण का मस्ती करने का प्लान बीच मे ही अटक कर रह जाता,,,,

वहाँ से जल्दी जल्दी बाइक चला कर मैं ऑर करण घर पहुँचे तो बेल बजाने के तुरंत बाद ही माँ ने दरवाजा 
खोल दिया,,,

दरवाजा इतनी जल्दी खुलते ही मैं समझ गया कि अंदर कोई प्रोग्राम नही चल रहा है,,,उपर से माँ की हालत भी ठीक
थी ऑर उनका चेहरा भी उदास था,,,मैं उनका उदास चेहरा देख कर हँसने लगा,,,

क्या हुआ माँ इतनी उदास क्यूँ हो,,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,

चल बदमाश ऐसे पूछ रहा है जैसे कुछ जानता ही नही,,,,तेरी हिट्लर सोनिया घर आ गई है ,,,सारा मज़ा खराब
कर दिया,,,,

कहाँ है सोनिया माँ,,,,,,,,,मैने माँ से पूछा,,,,

वो उपर है अपने रूम मे अभी कुछ देर पहले आई,,,सारा खेल बीच मे रोकना पड़ा हम सब को,,,,इतना मज़ा आ रहा
था कि क्या बताऊ,,,,इतना बोलते बोलते माँ एक साइड हट गई ,,,

मैं ऑर करण घर के अंदर आ गये,,,,

क्यू क्या हुआ माँ ,,,,,सारा मज़ा खराब क्यू हो गया,,,,,

अरे बेटा तेरा मामा मुझे तो देख ही नही रहा था,,,शोभा ऑर शिखा के पीछे ही पड़ा हुआ था,,मैं तो बस नकली
लंड से खुद को खुश करती रही ओर जब मेरी बारी आई शिखा के साथ मस्ती करने की तो अभी मैने उसकी चूत पर अपनी
ज़ुबान रखी ही थी तभी सोनिया आ गई,,,,सारा मज़ा किरकिरा हो गया,,,,,,

बाकी सब कहाँ है आंटी,,,,करण ने आगे होके माँ से पूछा,,,

वो सब तो मज़ा करने बुटीक पर चले गये बेटा,,,मुझे यहाँ अकेला छोड़ गये,,,

आप अकेली कहाँ हो आंटी,,,अब मैं ऑर सन्नी आ गये है ना,,,,,करण ने इतना बोलके माँ के बूब्स को हाथों मे 
पकड़ लिया ऑर माँ को किस करने लगा,,,,

नही बेटा अभी नही ऑर यहाँ तो बिल्कुल नही,,,,सोनिया उपर है,,,अभी तुम दोनो बैठो कुछ चाइ कॉफी पिओ फिर देखते 
है क्या करने है आगे ऑर कैसे करना है,,,,

मैं ऑर करण मुँह हाथ धो कर सोफे पर बैठ गये,,,,

अरे यार आज तो सच मे कलपद हो गया ,,,,,पहले सुबह घर पर ऑर फिर कॉलेज मे पंगा ऑर अब घर वापिस आके फिर 
से कलपद ,,,,आज हम दोनो की किस्मत ही खराब है,,,

तेरी किस्मत नही सन्नी मेरी किस्मत खराब है तू तो जब चाहहे शोभा ऑर आंटी के साथ मस्ती कर सकता है लेकिन मेरा
क्या,,,,मैं तो शिखा दीदी के साथ तभी मस्ती कर सकता हूँ जब माँ घर पर नही होती,,,,या रात को जब वो सो रही होती
है लेकिन उस मे टेन्षन बहुत होती है ,,,हर टाइम डर लगा रहता है कि कहीं माँ ना आ जाए ,,,

क्या सही टाइम पर बात बोली तूने यारा,,,,आज अभी तेरे घर चलते है माँ को लेके फिर माँ अलका आंटी को पटाने मे
हम लोगो की मदद करेगी,,,,

मेरी बात सुनके करण सोफे से उछल पड़ा,,,,,ऑर मेरे को कस्के बाहों मे भर लिया,,,,जल्दी करो सन्नी भाई नैक
काम मे देरी नही होनी चाहिए,,,

इतने मे माँ कॉफी लेके आ गई,,,,,कॉन्सा नेक काम करने की सोच रहे हो तुम दोनो,,,,

कुछ नही माँ आपको तो पता ही है कि करण अपनी माँ को यानी अलका आंटी को भी चोदना चाहता है ऑर उनको भी अपने
ऑर शिखा दीदी के साथ खेल मे शामिल करना चाहता है,,,,

हाँ हाँ पता है मुझे उस दिन शोभा ने बोला था,,,,

ऑर ये भी बोला था कि आपको हम लोगो की मदद करनी होगी,,,,

हाँ बेटा ये भी बोला था शोभा ने ,,तो इसमे कोन्सि बड़ी बात है अलका को तो मैं चुटकी मे मना लूँगी,,,,

सच मे आंटी जी,,,आप मेरी माँ को मना लोगि क्या ,,,करण खुशी से उछल कर माँ के पास चला गया,,,ऑर माँ को 
बाहों मे भर लिया,,,,करण सच मे पागल हुआ जा रहा था अपनी माँ के बारे मे सुन सुन कर,,,,

हाँ करण बेटा ,,,तेरी माँ को मनाना कोई मुश्किल काम नही है ,,,लेकिन फिर भी कोई जल्दबाज़ी करनी ठीक नही होगी,,,हमे
आराम से सब कुछ करना होगा,,,,

सही बोला माँ इसलिए मैं ऑर करण सोच रहे थे क्यू ना आज आप ऑर मैं इसके घर चले,,,आप आज से ही अपने प्लान को
आगे बढ़ाना शुरू करदो,,,,

हाँ ये बात तो ठीक है बेटा,,,,तुम लोग कॉफी पिओ तब तक मैं तैयार हो जाती हूँ,,,,

मैं ऑर करण कॉफी पीने लगे,,,,मैं तो आराम से पी रहा था लेकिन करण को तो जैसे बहुत जल्दी थी,,,जैसे मेरी माँ
इसके घर जाते ही इसकी माँ को चुदाई क लिए माना लेगी ओर जाते ही ये अपनी माँ की गान्ड मे लंड घुसा देगा,,,तभी तो
सला गर्म गर्म कॉफी को भी तेज़ी से पी रहा था,,

मैने ऑर करण ने जितनी देर मे कॉफी ख़तम की उतनी देर मे माँ तैयार हो गई ऑर बाहर आ गई,,,माँ ने ब्लॅक कलर का 
तंग फिटिंग वाला सूट पहना हुआ था ,,जो उनके जिस्म से चिपका हुआ था,,,,उनके बड़े बड़े बूब्स आधे से भी ज़्यादा
बाहर निकले हुए थे,,,मैं तो माँ को देख कर ही दंग रह गया लेकिन करण जल्दी से सोफेसे उठकर माँ के करीब
चला गया,,,,,

अरे आंटी जी आज तो आप कयामत लग रही हो,,,कसम से अगर सोनिया घर नही होती तो अभी आपको यहीं हॉल मे नंगा
करके चोदना शुरू कर देता,,,,

चल बदमाश जब देखो मसखरी करता रहता है,,,,,,माँ ने हल्के हाथ से थप्पड़ मारा करण के ऑर हँसने लगी

मैं भी माँ के करीब चला गया,,,,,सच मे माँ आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो,,,,करण सही बोल रहा है ऑर अगर 
इसकी जगह मैं होता तो मैं भी ऐसा ही करता ,,,,बस 2 मिनट मे आपको नंगी करके यहीं चोदना शुरू कर देता

तुम दोनो भी ना,,कितनी झूठी तारीफ करते हो,,अब मैं बूढ़ी हो गई हूँ ,,,,थोडा रस भी नही बचा है मुझमे
जो तुम लोगो को पिला सकु,,जवान थी तो बात कुछ ऑर थी,,,

अरे आंटी आपको किसको कहाँ आप बूढ़ी हो ,,,आज भी आपकी मस्त मोटी गान्ड ऑर बड़े बड़े बूब्स देख कर 1000 लंड 
खड़े हो जाते होंगे सलामी देने के लिए,,,,,,इतना बोलकर करण हँसने लगा,,,,

सही बोला माँ करण ने यकीन नही तो ये देखो,,,,मैने अपने लंड की तरफ इशारा किया जो माँ के बड़े बड़े बूब्स 
देख कर पूरी ओकात मे आ गया था,,,,,

हाई राम क्या करूँ मैं इस लड़के का,,,,,एक ही पल मे लंड खड़ा कर लेता है,,,,वक़्त ऑर हालात भी नही देखता,,,,क्यू
बार बार तडपा रह है अपनी माँ को,,,,मैं भी सोनिया की वजह से चुप हूँ वर्ना तुम दोनो को ऐसा निचोड़ती की याद
रखते,,,

चलो अब ज़्यादा बातें नही करो करण के घर चलते है इसकी माँ को भी तो मनाना है,,,,

अपनी माँ ना नाम सुनते ही करण जल्दी से चलता हुआ दरवाजे की तरफ जाने लगा मैं ओर माँ पीछे से उसको जाते देख
कर हँसने लगे,,,,

करण अपने बिके पर चला ओर मैं अपने बाइक पर ,,,माँ मेरे साथ ही बैठी हुई थी,,,,,,

करण चाहता था कि माँ उसके साथ बैठे लेकिन माँ मेरे साथ बैठ गई थी,,,
 
आज बहुत टाइम बाद माँ मेरे साथ बैठी थी बाइक पर मुझे एक अलग ही मज़ा आ रहा था ,,उनके बड़े बड़े बूब्स
मेरी पीठ से दब रहे थे,,,नून टाइम था इसलिए गर्मी बहुत थी ऑर सभी सड़कें सुनसान थी,,बहुत कम लोग थे 
सड़को पर,,,,लेकिन जितने भी लोग थे सब मेरी माँ की तरफ घूर घूर कर देखते जा रहे थे,,जितने भी मर्द
हमारे पास से गुजर रहे थे उनमे से शायद ही कोई मर्द होगा जिसनेपलट कर माँ को नही देखा होगा,,,आज मेरी 
माँ इतनी खूबसूरत लग रही थी कि हर कोई मर्द दिल ही दिल मे उसको चोदने की ख्वाहिश कर रहा था ,,मेरा भी हाल
कुछ ऐसा ही था,,,

माँ आज तो आप सच मे बहुत मस्त लग रही हो,,,देखो सड़क पर जो भी मर्द गुजर रहा है आपको एक बार पलट कर 
ज़रूर देख रहा है,,,,हर किसी का लंड खड़ा हो रहा होगा आपको देख कर,,,

मुझे हर किसी के लंड की नही तेरे लंड की ज़रूरत है बेटा,,,,इतना बोलकर माँ ने मेरे लंड को हाथ मे पकड़ लिया ऑर
हल्के से दबा दिया,,,,,,

क्या करती हो माँ कोई देख लेगा,,,,

तो मैं क्या करूँ कोई देखता है तो देखने दे,,,,,,इतना बोलकर माँ ने हल्के से लंड को फिर से दबा दिया,,मेरे मुँह 
से अहह निकल गई ,,,,

करण मेरे एक साइड मे बराबर ही बाइक चला रहा था उसको मेरी अह्ह्ह्ह सुन गई ओर वो मुझे ऑर माँ को देख कर 
हँसने लगा ऑर जल्दी ही उसने बाइक को एक गली मे मोड़ दिया,,,,

मैने भी उसके पीछे पीछे बाइक मोड़ दिया,,,

अबे करण इस तरफ बाइक क्यू मोड़ा ,,,तेरे घर नही जाना क्या,,,,

सन्नी भाई ये रास्ता भी मेरे घर को ही जाता है ,,,,बस फ़र्क इतना है कि रास्ता खराब होने की वजह से यहाँ से कोई आता
जाता नही,,,,,,अब आंटी जितना चाहहे तेरे लंड को मसल सकती है ,,,किसी के आने का डर नही इस रास्ते पर,,,,

मेरा बेटा कितना ख्याल रखता है अपनी माँ का,,,,,माँ ने करण को हँसते हुए बोला,,,,

मैं मिरर मे से पीछे देख रहा था तभी माँ ने हँसके मुझे देखा ऑर मेरे लंड से हाथ हटा लिया ऑर फिर
अपने दुपट्टे से अपने सर ऑर फेस को कवर कर लिया ताकि कोई अगर हमे देख भी ले तो माँ को पहचाने नही,,,माँ
की सिर्फ़ आँखें ही बाहर थी बाकी फेस कवर हो गया था,,,,,

माँ ने वापिस हाथ मेरे लंड पर रखा ऑर मसल्ने लगी,,,मैने नीचे अंडरवेार नही पहना हुआ था जिस से मेरा
लंड पॅंट मे पूरी तरह से फूल गया ऑर पूरा ओकात मे आ गया,,,माँ तेज़ी से मूठ नही मार रही थी बस हल्के हल्के लंड
को सहला रही थी,,लेकिन इतने से ही मेरी हालत खराब हो रही थी,,,,,जैसे तैसे 10 मिनट खुद पर क़ाबू करते हुए 
मैं करण के घर तक पहुँच गया,,,,

करण बाइक से उतरा ऑर घर के गेट पर गया ऑर बेल बजाने लगा,,,,इतने मे मैं भी बाइक साइड पर रोक चुका था,,,माँ 
बाइक से उतरी ऑर मेरे गाल पर हल्की किस करके मेरे लंड को एक बार ऑर दबा कर आगे करण के घर की तरफ बढ़ गई,,

मैं बाइक से उतरा ऑर मेरा ध्यान अपने लंड पर गया तो मेरी पैंट पर मेरे लंड का हल्का पानी लगा हुआ था,,,जो लंड
की चिकनाई थी जो चुदाई करते टाइम बीच बीच मे निकलती रहती है,,,उस चिकनाई की वजह से मेरी पैंट हल्की गीली हो
गई थी,,,,

मैं भी बाइक से उतर कर करण ऑर माँ के पास चला गया,,,

लगता है माँ घर पर नही है,,,,इतना बोलकर करण नीचे झुक गया ऑर गाते पर अंदर से लगे लॉक को देखने की 
कोशिश करने लगा,,,,

माँ घर पर नही है ,,,लॉक लगा हुआ है अंदर से,,,,,

अब क्या करे वापिस चले क्या,,,माँ ने करण से पूछा,,,,

अरे नही आंटी जी मेरे पास घर की दूसरी चाबी है,,,इतना बोलकर करण ने पॉकेट से चाबी निकाली ऑर लॉक खोल दिया,,,,

लॉक खुलते ही माँ जल्दी से अंदर चली गई क्यूकी बाहर गर्मी बहुत थी,,,,माँ के पीछे पीछे करण भी अंदर चला गया
ऑर करण के पीछे मैं भी,,,,,

अंदर जाते ही करण घर के मेन डोर का लॉक खोलने लगा ऑर लॉक खुलते ही माँ अंदर चली गई ऑर मैं भी जल्दी से
अंदर चला गया,,,,जबकि करण वापिस पीछे मूड कर बाहर की तरफ चला गया गेट बंद करने,,,,

अंदर आते ही माँ सोफे पर बैठ गई,,करण ने एसी ऑन किया ऑर माँ के लिए पानी लेने किचन मे चला गया जबकि मैं
जल्दी से भाग कर करण के रूम मे बाथरूम मे चला गया,,,माँ ने रास्ते मे मेरे लंड को इतना सहलाया था कि
करण के घर तक आते आते मेरा लंड फटने वाला हो गया था,,,,जब बाथरूम मे जाके पेशाब किया तो कुछ राहत मिली


मैं बाथरूम से बाहर आया तो माँ अपना दुपट्टा उतार कर साइड पर रख चुकी थी ऑर मुझे करण के रूम से आते 
देख कर हंस रही थी,,,,मैं भी माँ के पास आके सोफे पर बैठ गया ,,,इतने मे करण 3 ग्लास मे कोल्ड्ड्रिंक लेके आ गया

करण ने एक ग्लास माँ की तरफ बढ़ाया ऑर एक ग्लास मुझे दिया ऑर एक ग्लास खुद लेके साथ वाले सोफे पर बैठ गया,,,

मैं कोल्ड-ड्रिंक पीता हुआ अपनी पैंट की तरफ देख रहा था तभी माँ ने मेरी तरफ देखा ऑर मुझे अपनी गीली पॅंट
की तरफ देखता हुआ पा कर हँसने लगी,,,,

अरे बेटा तूने पॅंट मे भी पेशाब कर दिया क्या,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी ऑर करण भी माँ का साथ देने लगा

आंटी जी अपने इतने प्यार से सारे रास्ते इसके लंड को मसला था पेशाब तो निकलना ही था इसका,,,करण फिर हँसने लगा,,

मैने जल्दी से अपना ग्लास ख़तम किया फिर ग्लास को टेबल पर रख दिया,,,,

हाँ माँ करण सही बोल रहा है तूने रास्ते भर इतने प्यार से मसला मेरे मूसल को की इसने पॅंट मे ही पानी निकलना
शुरू कर दिया था ऑर अब देख मैं तेरी चूत को ऐसी मसलूंगा की तेरा भी पानी निकल जाएगा,,,

इतना बोलकर मैं माँ के करीब हो गया ऑर माँ ने भी एक ही पल मे खुद को मेरी तरफ़ मोड़ लिया ऑर मेरे आगे होते ही
माँ ने अपना हाथ मेरे पॅंट के उपर से मेरे लंड पर रख दिया जो अभी तक हल्की मस्ती मे आधा खड़ा हुआ था,,

हयी राम अभी तक सोया नही ये,,,,,

नही माँ अभी ये अंगड़ाई लेना शुरू ही हुआ था कि अब फिर से तेरे हाथ लगते नींद उड़ गई इसकी,,,इतना बोलकर मैं
ऑर आगे हुआ ऑर माँ के लिप्स की तरफ़ बढ़ने लगा,,,माँ ने भी अपने फेस को मेरे करीब करण शुरू कर दिया ऑर पल भर
मे मेरी ऑर माँ की किस शुरू हो गई,,,,,मैं माँ को किस करते हुए माँ के बूब्स को हल्के से दोनो हाथों मे लेके
मसल्ने लगा माँ भी मेरे लंड को प्यार से सहलाने लगी,,,रास्ते भर माँ ने मेरे लंड को इतना मसला था कि मैं तो 
करण के घर आते ही माँ को चोदने क लिए तैयार बैठा था ऑर माँ का भी यही हाल था,,,,मैं ऑर माँ किस कर रहे थे
 
तभी मैने देखा कि करण ने अपनी माँ को फोन कर दिया,,,,


करण,,,,,,,,,,हेलो,,,

अलका,,,,,,हेलो बेटा

करण,,,माँ कहाँ हो आप,,,,

अलका ,,,,,,,,,बेटा मैं बाहर आई हूँ शॉपिंग के लिए ,,घर का कुछ समान लेना था ऑर सब्जी भी लेनी थी,,,

करण,,,,,माँ जल्दी आ जाओ आपसे मिलने के लिए कोई आया है घर पे,,,,

अलका ,,,,,,,बेटा मुझे तो 3-4 घंटे लग जाने है,,,,वैसे कॉन आया है ये तो बता,,,,

करण,,,,,सन्नी ऑर उसकी मोम आए है आपसे मिलने,,,,,

अलका,,,,,क्या सरिता दीदी आई है,,,,हाइ राम मैं तो अभी बहुत दूर हूँ बेटा,,,,मुझे तो काफ़ी टाइम लग जाना है,,,इतने
दिनो बाद सरिता दीदी आई है ऑर मैं घर पर नही हूँ,,,,,तू ऐसा कर बेटा उन लोगो को चाइ कॉफी पिला मैं जल्दी से
जल्दी घर आने की कोशिश करती हूँ,,

करण,,,,,,,ठीक है माँ लेकिन फिर भी कितनी देर तक आओगी आप,,,,,,सरिता आंटी पूछ रही है,,,,

अलका,,,,,बेटा वैसे तो मुझे 3 अवर्स लग जाने है लेकिन तुम सरिता दीदी को मत बोलना,,उनको बोलो कि मैं बस 15-20 
मिनट मे आ रही हूँ,,,,,वर्ना उन लोगो ने चले जाना है ओर फिर पता नही कब आएँगी दोबारा ,,,,

करण,,,,,,,,,,ठीक है माँ लेकिन आप जल्दी आने की कोशिश करना,,,,

अलका,,,ठीक है बेटा,,,,बयी

करण फोन बंद करता है इतनी देर मे मैं माँ की कमीज़ उतार चुका था ओर अपनी टी-शर्ट भी क्यूकी मैने करण
ऑर उसकी माँ की बात सुन ली थी जब उसकी माँ उसको 3-4 अवर्स मे वापिस आने का बोल रही थी,,,

मैं ऑर माँ तो पहले ही मोका ढूँढ रहे थे ,,क्यूकी माँ आज सोनिया के जल्दी वापिस घर आने की वजह से पूरी मस्ती 
नही कर सकी थी इसलिए पूरी भरी बैठी थी ,,,ऑर रास्ते मे माँ ने मेरे लंड को इतना मसला था कि मैं भी बस मोके की
तलाश मे था कि कब मोका मिले ऑर मैं अपना मूसल घुसा दूं माँ की गान्ड मे,,,,मेरे लंड को सहलाने की वजह
से माँ की आग भी कुछ ज़्यादा भड़क गई थी,,,वो भी बस जल्दी से मोका देख कर मेरे लंड को गान्ड मे लेना चाहती
थी,,,,,

सोफे पर बैठे हुए मैं अपनी टी-शर्ट उतार चुका था ऑर माँ की कमीज़ भी उतर गई थी,,,,मैं ऑर माँ किस करते हुए
एक दूसरे के जिस्म पर हाथ फेरने लगे थे,,,,मेरे हाथ माँ की ब्रा के उपर से माँ के बूब्स को सहलाना शुरू कर 
चुके थे ऑर माँ के हाथ भी मेरी चेस्ट पर घूमने लगे थे ,,,मैं माँ को किस करते हुए करण की तरफ देखने 
लगा वो उठा ऑर जल्दी से भाग कर बाहर की तरफ चला गया शायद गेट को अच्छी तरह बंद करने गया था फिर वापिस
आके उसने घर के अंदर वाला मेन डोर भी लॉक किया ऑर सोफे पर हम लोगो की तरफ बढ़ने लगा ,,आगे की तरफ चलते
हुए उसने अपने कपड़े खोलना शुरू कर दिए,,,पहले टी-शर्ट ऑर बनियान निकाल दी फिर बूट उतार कर जल्दी से पैंट भी
निकाल कर एक दम नंगा हो गया ,,,उसने भी नीचे अंडरवेार नही पहना था ,,,,या तो शुरू से नही पहनता होगा या
फिर मेरी तरह जबसे घर मे चुदाई का सुख लेना शुरू किया होगा तबसे पॅंट के नीचे अंडरवेार डालने की आदत 
छोड़ चुका होगा,,,,जहाँ मैं ओर माँ 2 मिनट मे आधे नंगे हुए थे वहीं करण 2 मिनट मे पूरा नंगा 
हो गया था,,

माँ ने मुझे किस करना बंद किया ऑर करण की तरफ देखने लगी,,,,करण नंगा सोफे के करीब खड़ा हुआ था ऑर 
हम दोनो उसके ऐसे नंगा खड़ा देख कर हँसने लगे,,,,जहाँ मेरा ऑर माँ का बुरा हाल था वहीं करण का तो 
हमसे भी ज़्यादा बुरा हाल था,,,,,

माँ ने हाथ उठाकर करण का हाथ पकड़ा ऑर उसको अपने साथ सोफे पर बिता लिया करण भी जल्दी से बैठ गया ,,माँ 
बीच मे थी जबकि मैं ऑर करण माँ की दोनो तरफ बैठ गये थे,,माँ पहले तो मेरी तरफ फेस करके बैठी हुई
थी ऑर मुझे किस कर रही थी लेकिन करण के बैठने के बाद माँ एक दम सीधी बैठ गई उसने ना तो मेरी तरफ फेस
किया ऑर ना ही करण की तरफ,,,वो तो बस अपनी पीठ सोफे से सटा कर आराम से बैठ गई ,,वो जैसे मुझे ऑर करण को ये
बोल रही थी कि मुझे कुछ नही करना तुम दोनो ही मिलकर मुझे खुश करो,,,,करण तो नंगा था ऑर उसने जल्दी से
माँ के लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया ऑर माँ को किस करने लगा माँ भी पल भर मे उसकी किस का रेस्पॉन्स देने लगी
तभी मैं उठा ऑर मैने भी अपने कपड़े निकाल दिए ऑर नंगा होके वापिस सोफे पर बैठ गया ,,,करण ऑर माँ दोनो 
किस कर रहे थे करण का एक हाथ माँ के बूब्स को ब्रा के उपर से मसल रहा था ऑर माँ का हाथ भी उसके लंड पर
चला गया था ऑर माँ ने उसके लंड को हाथ मे लेके मसलना शुरू कर दिया था ,,,मैं भी माँ की दूसरी तरफ बैठ
गया था मैने माँ के एक बूब को हाथ मे लिया ऑर मसल्ने लगा करण ने दूसरे बूब को पकड़ लिया कुछ देर तो मैं
मसलता रहा लेकिन फिर मेरे से रहा नही गया तो मैने बूब को ब्रा के उपर से बाहर निकाल लिया ऑर मुँह मे भर लिया
माँ ने जल्दी से अपनी पीठ को सोफे से थोड़ा आगे किया ऑर अपने दोनो हाथ पीठ पर ले गई ऑर जल्दी से अपनी ब्रा खोल दी 
ऑर फिर मेरे सर को अपना हाथ मे पकड़ा ओर मुझे जबरदस्त किस करने लगी ,,

माँ मेरे लिप्स को अपने मुँह मे भरके चूसने लगी ऑर अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह के अंदर हर कोने मे अच्छी तरह
टच करने लगी ,,इधर उधर घुमाने लगी ,,मैं भी माँ के मुँह मे अपनी ज़ुबान घुसा कर माँ के मुँह का
अंदर से मुआयना करने लगा ,,माँ का लोवर लिप्स मेरे लिप्स मे जकड़ा हुआ था जबकि मेरा उपर वाला लिप्स माँ के
लिप्स मे क़ैद हो गया था ,,माँ मेरे लिप्स को चूस चूस कर मेरे रस को पीने मे लगी हुई थी ऑर मैं भी माँ के लिप्स
को कस्के अपने लिप्स मे जाकड़ कर चूस्ता जा रहा था ,,माँ के सॉफ्ट सॉफ्ट लिप्स मेरे मुँह मे घुलते ही जा रहे थे ऑर 
मैं उन घुलते हुए लिप्स के रस को पीता हुआ अपने गले से नीचे गटाकता जा रहा था,,,मेरा हाथ माँ के बूब पर था 
ऑर मैं उस बूब को हाथ मे लेके मसल्ने लगा तभी मैने हाथ आगे करके दूसरे बूब को पकड़ने की कोशिश की 
तो मेरा हाथ करण के सर पर लग गया मैं समझ गया कि वो माँ के दूसरे बूब को मुँह मे भरके चूस रहा होगा,,

मेरा हाथ माँ के बूब को मसल्ने लगा तो माँ का हाथ भी मेरे लंड पर चला गया माँ का एक हाथ मे मेरा लंड
था जबकि दूसरे हाथ मे करण का लंड ,,,माँ दोनो लंड को बड़े प्यार से उपर से नीचे तक मसल्ति हुई मूठ मार 
रही थी,,बीच बीच मे माँ मेरे लंड की टोपी को अपनी हाथ की मुट्ठी मे भरके हल्के से दबा रही थी जिस से पूरे
लंड मे एक तेज मस्ती की लहर दौड़ जाती थी,,लंड की नसों मे खून पूरी तेज़ी से दौड़ने लगता था ऑर लंड मे रुक रुक
कर एक हल्का मीठा दर्द होने लगता था जिस से मेरी मस्ती कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई थी ऑर उसी मस्ती मे मैं माँ के
लिप्स को चूस्ता ही जा रहा था ऑर साथ ही बड़े प्यार से लेकिन थोड़ा ज़ोर लगा कर माँ के बूब को भी मसल रहा था,,,कुछ
देर बाद माँ ने मेरे लिप्स से अपने लिप्स दूर कर लिए ऑर वापिस करण के सर को अपने बूब से हटा कर उसके लिप्स पर
किस करने लगी ,,मेरे लिप्स फ्री होते ही मैने अपने लिप्स को माँ मे बूब की तरफ मोड़ दिया ऑर जल्दी से माँ के बूब को
मुँह मे भर लिया ,,मैं माँ के बूब को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर ज़ोर से दबा रहा था ऑर बूब की डुँड़ी को
अपने दाँतों मे हल्के से दबा कर काट रहा था ऑर बीच बीच मे हल्की ज़ुबान से बूब के उपर बनी डुँड़ी ऑर
उसके आस पास के हल्के ब्राउन कलर के राउंड को अपनी ज़ुबान से चाटने लग जाता फिर वापिस मुँह मे भर लेता,,
 
उधर करण के लिप्स फिर से माँ के लिप्स मे जकड़े गये ऑर फिर से उन दोनो की किस शुरू हो गई ,,माँ करण के लंड को
मसल रही थी ऑर कारण का हाथ माँ के दूसरे बूब पर था ,,तभी करण ने अपने हाथ को माँ के बूब्स से हटा कर 
पेट पर रखा ऑर पेट से सहलाते हुए अपने हाथ को माँ की सलवार के उपर से माँ की छूट पर ले गया ,,वो माँ की छूट
को सलवार के उपर से सहलाने लगा तो मैने जल्दी से अपने हाथ को माँ की सलवार मे घुसा दिया ऑर माँ की सलवार
के नाडे को बाहर निकाल कर जल्दी से खोल दिया ऑर माँ की सलवार को नीचे करने लगा ,,मेरा दूसरा हाथ भी माँ के बूब
से हट गया ओर माँ की पीठ पर चला गया ओर वहाँ से भी माँ की सलवार को नीचे करने लगा ,,माँ ने भी खुद अपनी
गान्ड को सोफे से हल्का उपर उठा लिया ऑर मुझे उनकी सलवार निकालने मे हेल्प करने लगी ,,गान्ड उपर उठते ही मैने
तेज़ी से माँ की सलवार को गान्ड से हटा कर उनकी टाँगों के बीच मे ले आया ऑर देखते ही देखते माँ की सलवार 
ज़मीन पर थी ऑर माँ भी मेरी ऑर करण की तरह नंगी होके हम दोनो के बीच मे थी,,,जैसे मैने ऑर करण ने
पॅंट के नीचे कुछ नही पहना हुआ था वैसे माँ भी सलवार के नीचे कुछ नही पहनकर आई थी,,सलवार निकलते
ही माँ नंगी हो गई ऑर करण का हाथ माँ की चूत को सहलाने लगा लेकिन ज़्यादा देर तक नही ,,,करण ने जल्दी ही माँ
की चूत मे उंगलियाँ घुसा दी ,, माँ की चूत को सहलाना मैं चाहता था लेकिन करण का हाथ पहले वहाँ
पहुँच गया ,,मेरा मस्ती से बुरा हाल हो रहा था क्यूकी मैं रास्ते भर माँ के हाथ द्वारा लंड सहलाने से काफ़ी
उत्तेजित हो गया था,,
 
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