hotaks444
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- Nov 15, 2016
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माँ की बातें सुनकर मैं करण और रितिका के बारे मे भूल ही गया और भूल गया कि मैं ख़ान भाई के
पास जा रहा था,,,बात करते करते मैने बाइक को घर की तरफ घुमा लिया था,,,,,,,रात कविता के साथ मस्ती
करने वाला ही था कि उसने मुझे रोक दिया था,,,मूठ भी नही मारी थी रात को ऐसे ही सो गया था,,,लंड
उपर तक भरा हुआ था स्पर्म से और मैं जल्दी से इसको खाली करना चाहता था,,,
मैने माँ को बोला कि मैं बस कुछ देर मे आया और फोन कट करके पॉकेट मे रखा और बाइक को भगा
दिया घर की तरफ,,,,
घर पहुँचा तो माँ नाइटी मे दरवाजा खोलने आ गई थी,,,नाइटी के नीचे माँ ने कुछ न्ही पहना हुआ
था,,ना ब्रा और ना ही पेंटी,,,,
माँ ने मुझे देखा और कस्स्के बाहों मे भर लिया और जल्दी से दरवाजा बंद करके मेरे से लिपट गई,,
माँ थोड़ा सबर करो कपड़े तो खोलने दो,,,,
नही बेटा अब सबर नही होता,,,,और ये कपड़े तो मैं खोल देती हूँ,,,माँ ने जल्दी से मेरी टी-शर्ट पकड़ी
और उपर उठाकर निकाल दी और फिर अपनी नाइटी को भी जल्दी से निकाल दिया और नंगी हो गई,,,,इतनी देर मे
मैने अपने हाथ से अपनी पॅंट को निकालना शुरू किया लेकिन माँ ने नाइटी उतारी और मेरे से चिपक गई,,,
तू इतनी मेहनत मत कर जल्दी थक जाएगा,,,,ला मैं निकाल देती हूँ तेरी पॅंट,,,,माँ जल्दी से नीचे बैठ
गई और मेरी पेंट निकालने लगी,,,मेरी पॅंट अभी घुटनो तक नीचे सर्की थी कि मेरा लंड माँ के मुँह मे
घुस गया,,,मेरा लंड अभी अंगड़ाई ले रहा था लेकिन माँ के होंठों के एहसास से वो ओकात मे आने लगा
,,माँ ने मेरे लंड को मुँह मे भर लिया और हल्के से काट दिया और साथ ही मेरी पॅंट को मेरे पैरो तक
पहुँचा दिया,,,,बूट्स . होने की वजह से पॅंट नीचे से नही निकल रही थी तो माँ ने पॅंट को ऐसे
ही छोड़ दिया और लंड को हाथ मे पकड़ लिया ,,एक हाथ से माँ ने लंड को पकड़ा और एक हाथ मेरी बॉल्स
पर रखा और हल्के हल्के सहलाते हुए मेरे लंड की टोपी को दाँतों मे पकड़कर चूसने लगी,,,माँ मेरे
बाकी लंड को मुँह मे नही भर रही थी बस टोपी को ही चूसने लगी थी,,,बाकी लंड पर माँ के हाथ अपना
कमाल दिखा रहे थे,,,,,माँ टोपी को इसलिए चूस रही थी क्यूकी माँ को पता था ऐसे करने से मेरा लंड
और भी ज़्यादा जल्दी से और तेज़ी से ओकात मे आ जाएगा और ऐसा ही हुआ,,,कुछ 2-3 मिनट मे ही लंड पूरी ओकात
मे आ गया और माँ ने लंड से अपने हाथ हटा लिया और लंड को मुँह मे घुसाना शुरू कर लिया,,जैसे जैसे
लंड हार्ड होता गया ओकात मे आता गया माँ ने वैसे वैसे ही मेरे लंड को अंदर लेना शुरू कर दिया और जब
तक लंड पूरी ओकात मे आ गया था तब तक मेरा पूरा लंड माँ के मुँह मे गले से नीचे तक घुसने लगा
था,,,
मेरा लंड माँ के गले से नीचे तक घुस गया था और माँ तेज़ी से अपने मुँह को आगे पीछे करके लंड को मुँह
मे अंदर बाहर कर रही थी,,,उनका एक हाथ मेरी बॉल्स पर था जबकि एक हाथ से माँ अपने बूब्स को दबा
रही थी,,मैं मस्ती मे आ चुका था ,,मेरे लंड मे एक हल्का दर्द हो रहा था क्यूकी कविता के साथ रात
मस्ती नही कर सका था इसलिए लंड भरा हुआ था स्पर्म से और जब तक लंड खाली नही करता तब तक ये दर्द
होता रहना था,,,मैं जल्दी झड़ना चाहता था इसलिए मैने माँ के सर को पकड़ा और माँ के मुँह मे तेज़ी से
लंड पेलने लगा,,,,ऐसा नही कि मुझे जल्दी झड़ना था बात तो ये थी कि मुझे माँ के मुँह की चुदाई करके
बहुत मज़ा आता था ,,जितनी तेज़ी से चुदाई करता था उतना ही ज़्यादा मज़ा आता था,,माँ ने भी अपने दोनो हाथ
मेरी कमर पर रखे और मेरी कमर को तेज़ी से आगे पीछे हिलाने लगी और मुझे ज़्यादा तेज़ी से लंड को उनके
मुँह मे घुसाने का इशारा करने लगी,,,,मेरी स्पीड इतनी तेज़ी थी जैसे की मैं माँ के मुँह को नही बल्कि उसकी
चूत की या गान्ड की चुदाई कर रहा हूँ लेकिन माँ मुझे और ज़्यादा तेज़ी से करने को उकसा रही थी,मेरी
बॉल्स माँ की चिन से टकरा रही थी जिन पर थूक लगा हुआ था और बॉल्स जब भी माँ की चिन से लगती तो एक
हल्का सा शोर होता ,,लेकिन जितनी तेज मेरी स्पीड थी उस हिसाब से वो शौर थोड़ा तेज होने लगा,,,उस अजीब
मस्त करने वाली आवाज़ से मेरी स्पीड और तेज होने लगी ,,,माँ भी यही चाहती थी कि मैं तेज़ी से उनके मुँह की
चुदाई करूँ और उनके मुँह को भर दूँ अपने स्पर्म से,,,एक तो माँ को मेरा स्पर्म बहुत अच्छा लगता था
और दूसरा उनको पता था कि अगर मैं एक बार स्पर्म निकाल दूं तो अगले राउंड मे मैं ज़्यादा देर तक टिक
सकता हूँ और जमकर माँ की चूत और गान्ड की चुदाई कर सकता हूँ,,,माँ ने यही सोच कर मेरे लंड को
तेज़ी से अपने मुँह मे घुसाना जारी रखा,,,माँ के मुँह से उनकी ज़ुबान बाहर निकल आई थी जिस से मुँह मे और
ज़्यादा जगह बन गई थी,,,माँ की ज़ुबान मुँह से निकल कर नीचे की तरफ मूड गई थी ,,माँ का मुँह भी थूक
से भर गया था और मुँह चुदाई मे मुझे चूत चुदाई का पूरा सुख मिल रहा था,,,,,माँ के मुँह से थूक
ज़ुबान के रास्ते बहने लगा ,,माँ की ज़ुबान नीचे की तरफ मूडी हुई थी जिस से थूक ज़ुबान से होता हुआ माँ
के बूब्स पर गिरने लगा,,,,थूक की एक बूँद का एहसास अपने बूब्स पर होते ही माँ ने मेरे लंड को मुँह
से निकाल दिया और जल्दी से मुँह मे जमा थूक को अपने बूब्स की लाइन के बीच मे उघल दिया और तभी मेरे
लंड को पकड़ा और अपने बूब्स की लाइन मे दबा दिया,,इस से पहले मैं कुछ करता माँ ने अपने बूब्स की
लाइन मे मेरे लंड को दबा लिया और दोनो हाथों से अपने बूब्स को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी,,
माँ के बूब्स के बीच दबे हुए मेरे लंड पर दोनो तरफ से एक सॉफ्ट सा दबाव बना हुआ था और दोनो
बूब्स मेरे लंड पर रगड़ खाते हुए आगे पीछे हो रहे थे,,,ये एक अजीब सा मज़ा था ,,एक सॉफ्ट और टाइट
गान्ड मारने जैसा मज़ा,,,लेकिन बूब्स गान्ड से भी कहीं ज़्यादा सॉफ्ट थे,,,मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा
था मैने खुद को अड्जस्ट किया और खुद ही अपने लंड को माँ के बूब्स के बीच मे आगे पीछे करने लगा
,,रगड़ की वजह से थोड़ी गर्मी पैदा हो रही थी जिस से थूक सूखने लगा था तभी माँ ने थोड़ा थूक
और उघल दिया अपने मुँह से अपने बूब्स पर और फिर लंड को भी मुँह मे भरके थोड़ी देर चूसा और वापिस
अपने बूब्स मे भर लिया,,,,फिर से सॉफ्ट और टाइट बूब्स के बीच मेरा लंड आगे पीछे होने लगा ,,मेरा
लंड कुछ ज़्यादा ही लंबा था जिस वजह से मेरा लंड जब भी बूब्स से उपर की तरफ निकलता तो माँ के गले
से नीचे या माँ की चिन पर टकरा जाता इस बात से माँ ने अपने मुँह को खोला और मेरे लंड की तरफ मोड़
दिया ऐसा करने से मेरे लंड जब भी बूब्स से निकल कर उपर की तरफ आता तो माँ के मुँह मे घुस जाता,,
मैने खुद को थोड़ा अड्जस्ट किया और अपने लंड को भी ताकि मेरा लंड माँ के मुँह से बाहर नही निकले
उसका आगे का हिस्सा माँ के मुँह मे ही रहे जबकि बाकी लंड बूब्स मे दबा रहे और मेरे लंड की हल्की मालिश
होती रहे..,,,,अब लंड बूब्स मे भी दब गया था और माँ के मुँह मे भी अंदर बाहर हो रहा था,,मुझे
एक साथ दो मज़े आ रहे थे,,,चूत चुदाई का भी और लंड चुसाई का भी,,,मेरे लंड का उपर का 2-3 इंच
का हिस्सा माँ के मुँह मे अंदर बाहर हो रहा था ,,,माँ बीच बीच मे अपने मुँह से लंड निकाल कर
थोड़ा थूक उघल देती थी अपने बूब्स पर,,,,मैं करीब 10-15 मिनट से माँ मे बूब्स और मुँह की चुदाई
कर रहा था,,,,तभी मेरी तेज सिसकियाँ शुरू हो गई और जब माँ को पता चल गया कि मैं झड़ने वाला हूँ
तो माँ ने मेरे लंड पर बूब्स की पकड़ को थोड़ा और ज़्यादा दबा दिया और मेरे लंड की टोपी को अपने
होंठों मे भर लिया और सिर्फ़ टोपी को ही चूसने लगी,,,क्यूकी . हिस्सा था जिस पर लास्ट टाइम मे सबसे ज़्यादा
मज़ा आता था और स्पर्म निकालने मे बड़ी आसानी होती थी,,,माँ ने लंड को टोपी को मुँह मे भरके चूसना
शुरू कर दिया और कोई 2-3 मिनट बाद मैं तेज़ी से सिसकियाँ लेता हुआ माँ के मुँह मे झड़ने लगा,,,मेरा
लंड माँ के मुँह मे उनकी ज़ुबान के उपर पिचकारी मारना शुरू हो गया था,,माँ ने मेरे स्पर्म का स्वाद
लेते हुए उसको गले से नीचे निगलना शुरू कर दिया था,,,जितना टाइम मेरे लंड से स्पर्म निकलता रहा उतना
टाइम माँ अपने बूब्स से मेरे लंड को सहलाती रही और जब सारा स्पर्म निकल गया तो माँ ने मेरे लंड को
हाथ मे पकड़ा और लंड की लास्ट ड्रॉप को भी निचोड़ लिया अपने मुँह मे ,,फिर लंड की टोपी को अपने लिप्स मे
भरके चूसने और चाटने लगी फिर लंड के होल पर जहाँ से स्पर्म निकलता था उस होल से भी स्पर्म की
लास्ट ड्रॉप को चाट कर लंड को अच्छी तरह सॉफ कर दिया,,,लेकिन लंड को हाथ से नही छोड़ा बल्कि दोबारा
से मुँह मे भरके चूसना शुरू कर दिया,,,,मैं समझ गया कि अब माँ चुदाई के लिए लंड को तैयार करने
लगी है,,,,
पास जा रहा था,,,बात करते करते मैने बाइक को घर की तरफ घुमा लिया था,,,,,,,रात कविता के साथ मस्ती
करने वाला ही था कि उसने मुझे रोक दिया था,,,मूठ भी नही मारी थी रात को ऐसे ही सो गया था,,,लंड
उपर तक भरा हुआ था स्पर्म से और मैं जल्दी से इसको खाली करना चाहता था,,,
मैने माँ को बोला कि मैं बस कुछ देर मे आया और फोन कट करके पॉकेट मे रखा और बाइक को भगा
दिया घर की तरफ,,,,
घर पहुँचा तो माँ नाइटी मे दरवाजा खोलने आ गई थी,,,नाइटी के नीचे माँ ने कुछ न्ही पहना हुआ
था,,ना ब्रा और ना ही पेंटी,,,,
माँ ने मुझे देखा और कस्स्के बाहों मे भर लिया और जल्दी से दरवाजा बंद करके मेरे से लिपट गई,,
माँ थोड़ा सबर करो कपड़े तो खोलने दो,,,,
नही बेटा अब सबर नही होता,,,,और ये कपड़े तो मैं खोल देती हूँ,,,माँ ने जल्दी से मेरी टी-शर्ट पकड़ी
और उपर उठाकर निकाल दी और फिर अपनी नाइटी को भी जल्दी से निकाल दिया और नंगी हो गई,,,,इतनी देर मे
मैने अपने हाथ से अपनी पॅंट को निकालना शुरू किया लेकिन माँ ने नाइटी उतारी और मेरे से चिपक गई,,,
तू इतनी मेहनत मत कर जल्दी थक जाएगा,,,,ला मैं निकाल देती हूँ तेरी पॅंट,,,,माँ जल्दी से नीचे बैठ
गई और मेरी पेंट निकालने लगी,,,मेरी पॅंट अभी घुटनो तक नीचे सर्की थी कि मेरा लंड माँ के मुँह मे
घुस गया,,,मेरा लंड अभी अंगड़ाई ले रहा था लेकिन माँ के होंठों के एहसास से वो ओकात मे आने लगा
,,माँ ने मेरे लंड को मुँह मे भर लिया और हल्के से काट दिया और साथ ही मेरी पॅंट को मेरे पैरो तक
पहुँचा दिया,,,,बूट्स . होने की वजह से पॅंट नीचे से नही निकल रही थी तो माँ ने पॅंट को ऐसे
ही छोड़ दिया और लंड को हाथ मे पकड़ लिया ,,एक हाथ से माँ ने लंड को पकड़ा और एक हाथ मेरी बॉल्स
पर रखा और हल्के हल्के सहलाते हुए मेरे लंड की टोपी को दाँतों मे पकड़कर चूसने लगी,,,माँ मेरे
बाकी लंड को मुँह मे नही भर रही थी बस टोपी को ही चूसने लगी थी,,,बाकी लंड पर माँ के हाथ अपना
कमाल दिखा रहे थे,,,,,माँ टोपी को इसलिए चूस रही थी क्यूकी माँ को पता था ऐसे करने से मेरा लंड
और भी ज़्यादा जल्दी से और तेज़ी से ओकात मे आ जाएगा और ऐसा ही हुआ,,,कुछ 2-3 मिनट मे ही लंड पूरी ओकात
मे आ गया और माँ ने लंड से अपने हाथ हटा लिया और लंड को मुँह मे घुसाना शुरू कर लिया,,जैसे जैसे
लंड हार्ड होता गया ओकात मे आता गया माँ ने वैसे वैसे ही मेरे लंड को अंदर लेना शुरू कर दिया और जब
तक लंड पूरी ओकात मे आ गया था तब तक मेरा पूरा लंड माँ के मुँह मे गले से नीचे तक घुसने लगा
था,,,
मेरा लंड माँ के गले से नीचे तक घुस गया था और माँ तेज़ी से अपने मुँह को आगे पीछे करके लंड को मुँह
मे अंदर बाहर कर रही थी,,,उनका एक हाथ मेरी बॉल्स पर था जबकि एक हाथ से माँ अपने बूब्स को दबा
रही थी,,मैं मस्ती मे आ चुका था ,,मेरे लंड मे एक हल्का दर्द हो रहा था क्यूकी कविता के साथ रात
मस्ती नही कर सका था इसलिए लंड भरा हुआ था स्पर्म से और जब तक लंड खाली नही करता तब तक ये दर्द
होता रहना था,,,मैं जल्दी झड़ना चाहता था इसलिए मैने माँ के सर को पकड़ा और माँ के मुँह मे तेज़ी से
लंड पेलने लगा,,,,ऐसा नही कि मुझे जल्दी झड़ना था बात तो ये थी कि मुझे माँ के मुँह की चुदाई करके
बहुत मज़ा आता था ,,जितनी तेज़ी से चुदाई करता था उतना ही ज़्यादा मज़ा आता था,,माँ ने भी अपने दोनो हाथ
मेरी कमर पर रखे और मेरी कमर को तेज़ी से आगे पीछे हिलाने लगी और मुझे ज़्यादा तेज़ी से लंड को उनके
मुँह मे घुसाने का इशारा करने लगी,,,,मेरी स्पीड इतनी तेज़ी थी जैसे की मैं माँ के मुँह को नही बल्कि उसकी
चूत की या गान्ड की चुदाई कर रहा हूँ लेकिन माँ मुझे और ज़्यादा तेज़ी से करने को उकसा रही थी,मेरी
बॉल्स माँ की चिन से टकरा रही थी जिन पर थूक लगा हुआ था और बॉल्स जब भी माँ की चिन से लगती तो एक
हल्का सा शोर होता ,,लेकिन जितनी तेज मेरी स्पीड थी उस हिसाब से वो शौर थोड़ा तेज होने लगा,,,उस अजीब
मस्त करने वाली आवाज़ से मेरी स्पीड और तेज होने लगी ,,,माँ भी यही चाहती थी कि मैं तेज़ी से उनके मुँह की
चुदाई करूँ और उनके मुँह को भर दूँ अपने स्पर्म से,,,एक तो माँ को मेरा स्पर्म बहुत अच्छा लगता था
और दूसरा उनको पता था कि अगर मैं एक बार स्पर्म निकाल दूं तो अगले राउंड मे मैं ज़्यादा देर तक टिक
सकता हूँ और जमकर माँ की चूत और गान्ड की चुदाई कर सकता हूँ,,,माँ ने यही सोच कर मेरे लंड को
तेज़ी से अपने मुँह मे घुसाना जारी रखा,,,माँ के मुँह से उनकी ज़ुबान बाहर निकल आई थी जिस से मुँह मे और
ज़्यादा जगह बन गई थी,,,माँ की ज़ुबान मुँह से निकल कर नीचे की तरफ मूड गई थी ,,माँ का मुँह भी थूक
से भर गया था और मुँह चुदाई मे मुझे चूत चुदाई का पूरा सुख मिल रहा था,,,,,माँ के मुँह से थूक
ज़ुबान के रास्ते बहने लगा ,,माँ की ज़ुबान नीचे की तरफ मूडी हुई थी जिस से थूक ज़ुबान से होता हुआ माँ
के बूब्स पर गिरने लगा,,,,थूक की एक बूँद का एहसास अपने बूब्स पर होते ही माँ ने मेरे लंड को मुँह
से निकाल दिया और जल्दी से मुँह मे जमा थूक को अपने बूब्स की लाइन के बीच मे उघल दिया और तभी मेरे
लंड को पकड़ा और अपने बूब्स की लाइन मे दबा दिया,,इस से पहले मैं कुछ करता माँ ने अपने बूब्स की
लाइन मे मेरे लंड को दबा लिया और दोनो हाथों से अपने बूब्स को मेरे लंड पर आगे पीछे करने लगी,,
माँ के बूब्स के बीच दबे हुए मेरे लंड पर दोनो तरफ से एक सॉफ्ट सा दबाव बना हुआ था और दोनो
बूब्स मेरे लंड पर रगड़ खाते हुए आगे पीछे हो रहे थे,,,ये एक अजीब सा मज़ा था ,,एक सॉफ्ट और टाइट
गान्ड मारने जैसा मज़ा,,,लेकिन बूब्स गान्ड से भी कहीं ज़्यादा सॉफ्ट थे,,,मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा
था मैने खुद को अड्जस्ट किया और खुद ही अपने लंड को माँ के बूब्स के बीच मे आगे पीछे करने लगा
,,रगड़ की वजह से थोड़ी गर्मी पैदा हो रही थी जिस से थूक सूखने लगा था तभी माँ ने थोड़ा थूक
और उघल दिया अपने मुँह से अपने बूब्स पर और फिर लंड को भी मुँह मे भरके थोड़ी देर चूसा और वापिस
अपने बूब्स मे भर लिया,,,,फिर से सॉफ्ट और टाइट बूब्स के बीच मेरा लंड आगे पीछे होने लगा ,,मेरा
लंड कुछ ज़्यादा ही लंबा था जिस वजह से मेरा लंड जब भी बूब्स से उपर की तरफ निकलता तो माँ के गले
से नीचे या माँ की चिन पर टकरा जाता इस बात से माँ ने अपने मुँह को खोला और मेरे लंड की तरफ मोड़
दिया ऐसा करने से मेरे लंड जब भी बूब्स से निकल कर उपर की तरफ आता तो माँ के मुँह मे घुस जाता,,
मैने खुद को थोड़ा अड्जस्ट किया और अपने लंड को भी ताकि मेरा लंड माँ के मुँह से बाहर नही निकले
उसका आगे का हिस्सा माँ के मुँह मे ही रहे जबकि बाकी लंड बूब्स मे दबा रहे और मेरे लंड की हल्की मालिश
होती रहे..,,,,अब लंड बूब्स मे भी दब गया था और माँ के मुँह मे भी अंदर बाहर हो रहा था,,मुझे
एक साथ दो मज़े आ रहे थे,,,चूत चुदाई का भी और लंड चुसाई का भी,,,मेरे लंड का उपर का 2-3 इंच
का हिस्सा माँ के मुँह मे अंदर बाहर हो रहा था ,,,माँ बीच बीच मे अपने मुँह से लंड निकाल कर
थोड़ा थूक उघल देती थी अपने बूब्स पर,,,,मैं करीब 10-15 मिनट से माँ मे बूब्स और मुँह की चुदाई
कर रहा था,,,,तभी मेरी तेज सिसकियाँ शुरू हो गई और जब माँ को पता चल गया कि मैं झड़ने वाला हूँ
तो माँ ने मेरे लंड पर बूब्स की पकड़ को थोड़ा और ज़्यादा दबा दिया और मेरे लंड की टोपी को अपने
होंठों मे भर लिया और सिर्फ़ टोपी को ही चूसने लगी,,,क्यूकी . हिस्सा था जिस पर लास्ट टाइम मे सबसे ज़्यादा
मज़ा आता था और स्पर्म निकालने मे बड़ी आसानी होती थी,,,माँ ने लंड को टोपी को मुँह मे भरके चूसना
शुरू कर दिया और कोई 2-3 मिनट बाद मैं तेज़ी से सिसकियाँ लेता हुआ माँ के मुँह मे झड़ने लगा,,,मेरा
लंड माँ के मुँह मे उनकी ज़ुबान के उपर पिचकारी मारना शुरू हो गया था,,माँ ने मेरे स्पर्म का स्वाद
लेते हुए उसको गले से नीचे निगलना शुरू कर दिया था,,,जितना टाइम मेरे लंड से स्पर्म निकलता रहा उतना
टाइम माँ अपने बूब्स से मेरे लंड को सहलाती रही और जब सारा स्पर्म निकल गया तो माँ ने मेरे लंड को
हाथ मे पकड़ा और लंड की लास्ट ड्रॉप को भी निचोड़ लिया अपने मुँह मे ,,फिर लंड की टोपी को अपने लिप्स मे
भरके चूसने और चाटने लगी फिर लंड के होल पर जहाँ से स्पर्म निकलता था उस होल से भी स्पर्म की
लास्ट ड्रॉप को चाट कर लंड को अच्छी तरह सॉफ कर दिया,,,लेकिन लंड को हाथ से नही छोड़ा बल्कि दोबारा
से मुँह मे भरके चूसना शुरू कर दिया,,,,मैं समझ गया कि अब माँ चुदाई के लिए लंड को तैयार करने
लगी है,,,,