hotaks444
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अरे ये क्या रितिका भाभी,,,,अभी आपके हाथों से शगुन की मेहन्दी भी नही उरती और आप किचन का काम करने
लगी,,,,,,,ये ग़लत बात है करण भाई,,,,रितिका भाभी को किचन के काम नही करना चाहिए,,,,
अच्छा सन्नी अगर मैं नही करूँगी तो कॉन करेगा,,,,रितिका भाभी ने हंसते हुए बोला,,,और वैसे भी माँ और
शिखा ही काम करती है अब वो नही है तो मुझे ही करना होगा ना,,,,,,अच्छा एक बात बताओ कि अगर मैं और
कारण अकेले रहते होते तो भी मुझे ही सारा काम करना पड़ता ना,,,,,,तो भी मैं क्या ये मेहन्दी के उतरने
का इंतजार करती रहती,,,,
ऐसी बात नही है भाभी ये तो परंपरा होती है हर घर की ,,नयी बहू से घर का काम नही करवाया जाता
अच्छा अगर मैं काम नही करूँगी तो कॉन करेगा,,,,और वैसे ही मैं इस घर की बहू नही बेटी बनकर आई
हूँ,,,माँ करण से ज़्यादा मुझे प्यार करने लगी है,,,
करण ने उदास होके मेरी तरफ देखा,,,,हां सन्नी भाई ये ठीक बोल रही है,,,तभी तो मेरी पसंद का
खाना न्ही बनाती माँ,,,, जो भी बनाती है रितिका की पस्संद का ही बनाती है,,,,
मैं करण की बात सुनके हँसने लगा और साथ मे रितिका भी,,, अच्छा जी,,इतना प्यार हो गया है सास बहू मे,,ये
तो बहुत अच्छी बात है,,,वैसे अब किसकी पस्संद का खाना बना रही हो आप भाभी,,,
तुम्हारी पसंद का,,,,रितिका ने हंसते हुए जवाब दिया,,,,
मेरी पसंद का,,,,भला आपको कैसे पता मुझे क्या पसंद है,,,,,
मुझे सब पता है सन्नी,,,,कुछ बातें करण से पता चली कुछ बातें माँ और शिखा दीदी से और कुछ बातें
आपकी माँ से पता चली है मुझे कि आपको क्या पसंद है और क्या नही,,,,,जैसे आपको मटर पनीर,,वाइट
चने और साथ मे भिंडी की सब्जी पसंद है और अभी मैं वही बना रही हूँ,,,,
अरे वाह आपको तो सब पता चल गया मेरे बारे मे ,,लेकिन मुझे तो कुछ भी नही पता आपके बारे,
यही तो फ़र्क है सन्नी तुम मे और मेरे मे,,मैं तुम्हारे बारे मे सब जानती हूँ लेकिन तुम सब जान कर
भी अंजान हो,,,,,मैं भाभी की बात नही समझा लेकिन जिस अंदाज़ से रितिका भाभी मुझे देख रही थी उस से
मैं थोड़ा परेशान हो गया,,,,,
तभी मैने बात को पलटने के लिए बोला,,,,,लाओ भाभी मैं भी कुछ हेल्प कर देता हूँ आपकी,,,,,
अच्छा क्या हेल्प करोगे,,भाभी ने फिर अजीब तरीके से बात की,,,
कुछ कह नही भाभी लेकिन सब्जी अच्छी तरह से काट लेता हूँ मैं,,,मैने इतना बोला और एक तरफ पड़ा हुआ
नाइफ उठा लिया और पास मे पड़ी हुई भिंडी भी उठा ली और भिंडी को काटने लगा,,,
तभी करण का फोन बजने लगा और वो फोन के लिए अपने रूम मे चला गया,,,,,
मैं शेल्व पर चॉपिंग बोर्ड रखके उसके उपर भिंडी काटने लगा जबकि रितिका मेरे से दूर खड़ी होके
आटा गूँथ रही थी,,,,मेरी पीठ थी उसकी तरफ और मैं पूरा ध्यान सब्जी काटने पर दे रहा था,,लेकिन मेरे
कानों मे आटा गूँथति हुई रितिका की चूड़ियों की आवाज़ हल्का मीठा शौर मचाने लगी थी जिस से मैं नज़रे
बचा कर रितिका की तरफ देख लेता था,,,एक बार मैं रितिका की तरफ देख रहा था तो उसने अपने हाथों से
अपने बालों की एक लट को जो उसके चेहरे पर आके उसको परेशान कर रही थी उस लट को अपने हाथ से एक साइड
करने की कोशिश की,,,,बालों की लट तो साइड हो गई थी लेकिन उसके हाथ आटे वाले थे जिस से थोड़ा गुन्था हुआ
आटा उसके फोरफेड पर लग गया था,,,,
तभी मैं उसको देखकर हँसने लगा,,,उसने मुझे उसकी तरफ देखकर हंसते हुए पकड़ लिया और इशारे मे
पूछने लगी,,क्या हुआ सन्नी हंस क्यूँ रहे हो,,
तभी मैने उसको इशारा किया कि उसके फोरहेड पर आटा लगा हुआ है,,,,
वो भी हँसने लगी और हंसते हुए मेरे करीब आ गई,,,,,,,,मुझे देख कर तुझे हँसी आती है ना सन्नी और तुझे
हंसते देखकर मुझे खुशी होती है,,वैसे भी तू शुरू से मुझपे हंसता ही आया है,,जाने अंजाने ही सही हर
बार मेरा मज़ाक ही बनाया है तूने और मैं पगली तेरी खुशी को देखकर खुश हो जाती हूँ,,,
भाभी मैं तो वो मैं ,,,,मुझसे कुछ नही बोला जा रहा था,,हिम्मत ही नही हो रही थी,,,,,रितिका भाभी
मैं तो इसलिए हंस रहा था क्यूकी आपके फोरहेड पर आटा लगा हुआ था,,,
जानती हूँ सन्नी और ये मैने जनभूज कर लगाया है ताकि तेरा ध्यान मेरी तरफ आए और तू खुश हो जाए,,,
मैं तो हमेशा तुझे खुश करना चाहती हूँ खुश देखना चाहती हूँ,,और तू है कि मुझे देखकर
ही खुश होता रहता है,,,,मेरा मज़ाक बना कर खुश होता है,,,
तुम क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा,,,
मुझे और मेरी किसी बात को तूने आज तक कभी समझा भी नही है सन्नी,,,,तू समझ जाता तो ये सब नही होता
ये बात भाभी ने थोड़ी उदास होके बोली थी,,,
लगी,,,,,,,ये ग़लत बात है करण भाई,,,,रितिका भाभी को किचन के काम नही करना चाहिए,,,,
अच्छा सन्नी अगर मैं नही करूँगी तो कॉन करेगा,,,,रितिका भाभी ने हंसते हुए बोला,,,और वैसे भी माँ और
शिखा ही काम करती है अब वो नही है तो मुझे ही करना होगा ना,,,,,,अच्छा एक बात बताओ कि अगर मैं और
कारण अकेले रहते होते तो भी मुझे ही सारा काम करना पड़ता ना,,,,,,तो भी मैं क्या ये मेहन्दी के उतरने
का इंतजार करती रहती,,,,
ऐसी बात नही है भाभी ये तो परंपरा होती है हर घर की ,,नयी बहू से घर का काम नही करवाया जाता
अच्छा अगर मैं काम नही करूँगी तो कॉन करेगा,,,,और वैसे ही मैं इस घर की बहू नही बेटी बनकर आई
हूँ,,,माँ करण से ज़्यादा मुझे प्यार करने लगी है,,,
करण ने उदास होके मेरी तरफ देखा,,,,हां सन्नी भाई ये ठीक बोल रही है,,,तभी तो मेरी पसंद का
खाना न्ही बनाती माँ,,,, जो भी बनाती है रितिका की पस्संद का ही बनाती है,,,,
मैं करण की बात सुनके हँसने लगा और साथ मे रितिका भी,,, अच्छा जी,,इतना प्यार हो गया है सास बहू मे,,ये
तो बहुत अच्छी बात है,,,वैसे अब किसकी पस्संद का खाना बना रही हो आप भाभी,,,
तुम्हारी पसंद का,,,,रितिका ने हंसते हुए जवाब दिया,,,,
मेरी पसंद का,,,,भला आपको कैसे पता मुझे क्या पसंद है,,,,,
मुझे सब पता है सन्नी,,,,कुछ बातें करण से पता चली कुछ बातें माँ और शिखा दीदी से और कुछ बातें
आपकी माँ से पता चली है मुझे कि आपको क्या पसंद है और क्या नही,,,,,जैसे आपको मटर पनीर,,वाइट
चने और साथ मे भिंडी की सब्जी पसंद है और अभी मैं वही बना रही हूँ,,,,
अरे वाह आपको तो सब पता चल गया मेरे बारे मे ,,लेकिन मुझे तो कुछ भी नही पता आपके बारे,
यही तो फ़र्क है सन्नी तुम मे और मेरे मे,,मैं तुम्हारे बारे मे सब जानती हूँ लेकिन तुम सब जान कर
भी अंजान हो,,,,,मैं भाभी की बात नही समझा लेकिन जिस अंदाज़ से रितिका भाभी मुझे देख रही थी उस से
मैं थोड़ा परेशान हो गया,,,,,
तभी मैने बात को पलटने के लिए बोला,,,,,लाओ भाभी मैं भी कुछ हेल्प कर देता हूँ आपकी,,,,,
अच्छा क्या हेल्प करोगे,,भाभी ने फिर अजीब तरीके से बात की,,,
कुछ कह नही भाभी लेकिन सब्जी अच्छी तरह से काट लेता हूँ मैं,,,मैने इतना बोला और एक तरफ पड़ा हुआ
नाइफ उठा लिया और पास मे पड़ी हुई भिंडी भी उठा ली और भिंडी को काटने लगा,,,
तभी करण का फोन बजने लगा और वो फोन के लिए अपने रूम मे चला गया,,,,,
मैं शेल्व पर चॉपिंग बोर्ड रखके उसके उपर भिंडी काटने लगा जबकि रितिका मेरे से दूर खड़ी होके
आटा गूँथ रही थी,,,,मेरी पीठ थी उसकी तरफ और मैं पूरा ध्यान सब्जी काटने पर दे रहा था,,लेकिन मेरे
कानों मे आटा गूँथति हुई रितिका की चूड़ियों की आवाज़ हल्का मीठा शौर मचाने लगी थी जिस से मैं नज़रे
बचा कर रितिका की तरफ देख लेता था,,,एक बार मैं रितिका की तरफ देख रहा था तो उसने अपने हाथों से
अपने बालों की एक लट को जो उसके चेहरे पर आके उसको परेशान कर रही थी उस लट को अपने हाथ से एक साइड
करने की कोशिश की,,,,बालों की लट तो साइड हो गई थी लेकिन उसके हाथ आटे वाले थे जिस से थोड़ा गुन्था हुआ
आटा उसके फोरफेड पर लग गया था,,,,
तभी मैं उसको देखकर हँसने लगा,,,उसने मुझे उसकी तरफ देखकर हंसते हुए पकड़ लिया और इशारे मे
पूछने लगी,,क्या हुआ सन्नी हंस क्यूँ रहे हो,,
तभी मैने उसको इशारा किया कि उसके फोरहेड पर आटा लगा हुआ है,,,,
वो भी हँसने लगी और हंसते हुए मेरे करीब आ गई,,,,,,,,मुझे देख कर तुझे हँसी आती है ना सन्नी और तुझे
हंसते देखकर मुझे खुशी होती है,,वैसे भी तू शुरू से मुझपे हंसता ही आया है,,जाने अंजाने ही सही हर
बार मेरा मज़ाक ही बनाया है तूने और मैं पगली तेरी खुशी को देखकर खुश हो जाती हूँ,,,
भाभी मैं तो वो मैं ,,,,मुझसे कुछ नही बोला जा रहा था,,हिम्मत ही नही हो रही थी,,,,,रितिका भाभी
मैं तो इसलिए हंस रहा था क्यूकी आपके फोरहेड पर आटा लगा हुआ था,,,
जानती हूँ सन्नी और ये मैने जनभूज कर लगाया है ताकि तेरा ध्यान मेरी तरफ आए और तू खुश हो जाए,,,
मैं तो हमेशा तुझे खुश करना चाहती हूँ खुश देखना चाहती हूँ,,और तू है कि मुझे देखकर
ही खुश होता रहता है,,,,मेरा मज़ाक बना कर खुश होता है,,,
तुम क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा,,,
मुझे और मेरी किसी बात को तूने आज तक कभी समझा भी नही है सन्नी,,,,तू समझ जाता तो ये सब नही होता
ये बात भाभी ने थोड़ी उदास होके बोली थी,,,